00:00शेकर एक नेक इंसान था, जितना उसके पास था, उतने में ही वो सब की सायता करता था, उसके दो बच्चे थे, वो बहुत अच्छा पड़ते थे, एक दिन पड़ोसी गाउं के बच्चों के स्कूल देखने के लिए वो निकलता है, बस्टान पे बस का इंतजार करता है, बस
00:30दर जाते हैं, और तुछ देर बाद तो बिचली पे होती है, तेज हवा के कारण बस आगे नहीं जा पाती है, इसलिए ड्राइवर बस को वही रोग देता है, बस में मौझूद एक पंड़ित ऐसे कहता है, उपर भगवान बहुत क्रोधित है, हम में से किसी को वो उपर ले
01:00सब ही मर जाएंगे, दूर में एक पेड़ है, उस बस से एक के बाद एक उतर कर उस पेड़ के पास जाते हैं, और जिसने भी सबसे ज्यादा पात किये हैं, उन्हें भगवान उपर ले जाएगा, सबसे पहले वहां के पंड़ित उस पेड़ के पास जाता है, पेड़ के नी
01:30सभी वहां जाते हैं सभी को सिर्फ एक आदमी पे शक है और वो है शेकर बसमें मौजुद सभी उस पेड के पास जा चुके थे सिवाए शेकर के और सभी उसे बहुत गुष्से से घूरते हैं उसे भला बुरा कहते हैं लेकिन शेकर मन ही मन में बहुत दुख होता है कि अगर �
02:00और सोचता है कि उसके कारण कम से कम बाकी लोग तो बच जाएंगे और वो उस पेर तक पहुँचता है
02:07हे भगवान मुझे ले जा रहे हो ठीक है मगर मेरे बच्चों का अनात्मत करना तुम ही को उनका ख्याल रखना होगा
02:16ऐसे प्रातना करके उसकी आँखे बंद कर दीता है और तुरंथ आस्मान से जोर-जोर के आवाजे आती है बिचलिया गिरती है और उसमें से एक पिचली उस बस पे गिजाती है सब ही मर जाते हैं
02:32अब तक उस बस में सभी का बचने का कारण सिर्फ शेकर था उसके ही अच्छाई इमानदारी और सहायता करने की गुनों के कारण उस बस में किसी को कुछ नहीं हुआ था जब शेकर उस बस से उतर गया बाकी सारे लोग मर जाते हैं
02:49हमारे एक अच्छे काम से बाकी के दस लोगों का भला होना शायद इसी को कहते हैं
02:57गोरागपूर नामक एक सुन्दर गाव में सूरज और लालिता नामक पती बद्नी रहते थे
03:08वो उसी गाव में रिक्षा चलाता था वो एक नेक इंसान था और हर रोस खाली रहे बिना कोई न कोई काम मेहनत करते हुए जरूर करता था
03:20एक दिन सुबर वो जल्दी उठके रिक्षा चलाते हुए रिक्षा स्टैंड के पास जाता है
03:26स्टैंड पे अपने रिक्षा को लगा के वो कोई ग्राहक का इंतजार करते रहता है
03:32इतने में एक आदमी रिक्षा स्टैंड के पास आता है
03:35सुनिए बस्टान के पास आएंगा
03:38जी हाँ मैं आओंगा रिक्षा में बैठिये साब
03:42उस आदमी को बिठा के वो रिक्षा चलाते हुए बस्टान के पास जाता है
03:47ऐसे ही मुझे हर रोज बिना खाली रहे रिक्षा चलाते रहना चाहिए
03:52तभी में ज्यादा पैसे कमा पाऊंगा
03:55ऐसे सोचते हुए वो रिक्षा को बस्टैंड के पास जाकर रोगता है
03:59ग्राहक रिक्षा का पैसे देखर वहां से चले जाता है
04:03ऐसे वो उस दिन मेहनत करके रिक्षा चलाके
04:07शाम के समय पे रिक्षा के स्टैंड के पास जाकर
04:10रिक्षा को वहां लगा के वही आराम करने लगता है
04:13इतने में एक औरत रिक्षा स्टैंड में किसी और के पास जाकर कहती है
04:18सुनिए अभी मेरे पास पैसे नहीं है
04:21पर मैं आपको कल पैसे पक्का दे दूँगी
04:24मेरा इस गाउं की स्वामी जी के पास जाना बहुत जरूरी है
04:28कृपिया मुझे उनके पास ले जाएए
04:30अरे मेम साब आप तो कह रही हैं कि आपके पास पैसे नहीं है
04:35इस रात के समय में आपको कही नहीं लेके जा सकता
04:39जाएए मेम साब चले जाएए
04:41उस आदमी का गुसे में ये समाधान देते हुए सुनकर वो औरत वहां से दूर जाकर दुखी हो जाती है
04:49रिक्षा में बैटकर आराम कर रहे सूरज ये सब सुनकर रिक्षा लेकर उस आदमी से रिक्षा के लिए पूछा है
05:02आपके पास पैसे नहीं है तो आप दुखी मत होना
05:06मैं आपको वहाँ लेके जा सकता हूँ
05:08सची सुनिए मैं आपको आपके पैसे कल फक्का से लोटा दोंगी
05:13अरे अगर आप पैसे नहीं भी दिये तो चलेगा
05:17बहुत देर हो रही है मेम साब
05:19आप जल्दी बैच जाएए ना मैं आपको वहाँ लेके जाओंगा
05:22सूरज के ये कहने पर वो औरत खुशी से उसके रिक्षा में बैच जाती है
05:27सूरज रिक्षा को बहुत तेजी से चलाते हुए उस औरत को स्वामी जी के पास पहुचा देता है
05:34ये जानकर कि मेरे पास पैसे नहीं है आपने मेरी मदद की है और इसके लिए मैं आपका बहुत शुक्र गुजार हूँ
05:41अरे मेम साब कोई नहीं आप बस ध्यान से चले जाएए
05:46ये कहके बेर रात होने के कारण वो रिक्षा को चलाते हुए वहाँ से चले जाता है
05:53ऐसे ही सूरज हर रोज बहुत मेहनद करते हुए सुबह से रात तक काम करता था
06:00ऐसे बहुत दिन बीच जाते हैं
06:03एक रात को जब सूरज उसका रिक्षा चलाते हुए उसके घर जा रहा था
06:07तो बीच रस्ते में उसे एक औरत खड़ी हुई नजर आती है
06:11वो उसका रिक्षा रोकती है
06:13सुनिए मुझे इस गाउ में मौजुद स्वामी जी के पास जल्दी जाना होगा
06:18आज अगर मैं उनके पास नहीं गई तो कभी नहीं जा पाऊंगी
06:22ठीक है मेंसाब मैं आपको उनके पास ले जा सकूँगा
06:27सुरज के ऐसे कहने पर वो औरत उसका रिक्षा चड़ जाती है
06:31तब सुरज रिक्षा को चला कर स्वामी जी के आश्रम पे रिक्षा को रोकता है
06:38मेंसाब आपको यहीं उतरना था
06:41जी शुक्रिया
06:43ये कहके वो रिक्षा उतर कर चले जाती है
06:46इतने में सूरज कहता है
06:49मेम साब आपने तो मुझे पैसे ही नहीं दिया
06:52पैसे? हरे रे मेरे पास तो भी पैसे नहीं है
06:57ठीक है मेम साब अभी तो आपके पास पैसे नहीं है न
07:01जब आपके पास पैसे होंगे तो मुझे जरूर लोटा दीजेगा
07:05ये कहने के बाद वो रिक्षा चलाते हुए वहां से चले जाता है
07:09उजह सबसे पहले उस सौमी जी से मिलना होगा
07:13और ऐसे वो औरत तुरंद उस सौमी जी के पास चली जाती है
07:18सौमी जी, आपके बारे मैंने किसी और से सुना है, इसलिए मैं आपके पास आई
07:23मैं एक देवदोत हूँ और मुझे श्राप लगने के कारण
07:27मुझे ऐसे साधारन मनुश्य बनके रहना पड़ गया
07:29अगर आज मैंने अपना पुराना रूप नहीं पाया
07:33तो मुझे हमेशा की तरह देवदोत नहीं
07:36बल्कि साधारन मनुश्य बनके रहना होगा
07:39खृप्या मेरी मदद कीजे और इस श्राप से मुझे विमुक्त कीजे
07:44आप फिकर मत कीजे आपके श्राप से मैं आपको जरूर विमुक्त करूँगा
07:50ये कहके वो स्वामी जी उनके पास मौजूद माया जल को उस औरत पे फुहारता है
07:57और तुरंत वो औरत एक देवदूद के रूप में बदल जाती है
08:02स्वामी जी के मदद से अपना पूर्व रूप पाने पर वो स्वामी जी का शुक्रियादा करके बहां से चली जाती है
08:10मेरे पास पैसे ना होने के कारण मैंने उस रिक्षा वाले को पैसे नहीं दिये है
08:15पर उसी के कारण मैं सही समय पे यहां आप आई हूँ
08:20कुछ भी करके उस आदमी का मदद करना होगा मुझे
08:23ये सोचते हुए वो देवदूद रिक्षा को इधर उधर ढूंती रहती है
08:28इतने में वही एक और देवदूद को देख वो उसके पास जाती
08:32बेहन तुम भी मेरे ही तर स्वामीजी के पास आओगी ये मुझे पता था
08:39इसलिए मैं तुम्हारी इंतजार कर रही थी
08:41दीदी, क्या तुम भी इस स्वामीजी से अपनी श्राब का विमुक्त के लिए आई हो?
08:48हाँ बेहन, सही समय में मुझे एक और टो रिक्षा वाले ने यहां स्वामीजी के पास पहुचाया
08:55इसलिए मैं श्राब से विमुक्त पाई हूँ
08:57लेकिन मेरे पास उस रिक्षावाले को देने के लिए पैसे भी नहीं थे
09:02मुझे कुछ भी करके उस रिक्षावाले का कोई मदद करना होगा
09:06इसलिए उसको ढूंड रही हूँ मैं
09:09दीदी ठीक तुम्हारे ही तरह मुझे भी एक रिक्षा वाले ने यहां तक पहुचाया इसलिए मैं अपनी पुरानी रूप को पाई हूँ लेकिन मैं उस रिक्षा वाले के बारे में भूल गई
09:21बहन चलो देखते हैं कि हम दोनों को जिसने मदद किया वो शायद एक ही आदमी हो यह फैसला करके वो दोनों देवतूद उस रिक्षा वाले को ढूंडते हुए उसके रिक्षा के सामने प्रकड होते हैं
09:36सूरेज उसके सामने दो देवदूतों को देख आश्चे रचकित हो जाता है
09:41अरे कौन है आप? आप मेरे रिक्षा के सामने क्यों आये हैं?
09:46बेहन इसी आदमी ने मेरा भी मदद किया है
09:49अपसे इसको ऐसे महनत करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी
09:53हमें उसकी मदद करना होगा
09:54हाँ दीदी, बिल्कुल
09:57हमारे पास पैसे ना होने के बावजूत आपने हमारी मदद की है
10:02इसलिए आपकी शुक्रियादा करने के लिए हम आपको सोना देना चाते है
10:07नहीं नहीं, जो पैसे आपको देना था रिक्षा के लिए बस वो दीजी
10:13मुझे ये सोना नहीं चाहिए
10:15अरे हम तो आपके शुक्र कजार है
10:18इसलिए हमारी खुशी के लिए इस सोने को स्वीकार कीजी
10:22ये कहके वो दोनों देवतोत सोने को उसके पास छोड़कर वहां से गायब हो जाते है
10:29और वो रिक्षा वाला वो सोना लेकर खुशी से जीने लगता है