Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 7 weeks ago

Category

😹
Fun
Transcript
00:00मधुपूर नामक एक सुन्दर गाउं में जैन्त और मानसा नामक पती-पत्नी रहते थे
00:11पती-पत्नी दोनों उसी गाउं में सब्सिया बना के बेचते थे और आये हुए पैसों से खुश रहते थे
00:19जैन्त का मानसिक्ता ऐसा था कि अगर उसे कुछ करना है तो करना ही होगा एक दिन जब वो सब्सी खरीद में दुकान जाता है तो किलो प्यास कितने का है भाईया
00:31150 रुपए क्या 150 रुपए जी हाँ अब तो प्यास के दाम बढ़ गया ना अब कोई भी दुकान जाए यही दाम होगा
00:43आप सब लोग सबजी आउगाने वाले के पास सबजी कम दाम में खरीद के हमें जियादा दाम में बेचते हो
00:51ऐसे अगर करोगे तो कोई खरीदेगा सबजी आपके पास
00:54मुझे 2 किलो का प्यास 200 में दोगे
00:58मेरे दुकान में मौजूत प्यास की गुणवत्ता अच्छी है
01:02इसलिए मैंने इस दाम पे बेचता हूँ
01:04आप चाहे तो खरीदो या नहीं
01:07पर मेरा अदाब इससे कम नहीं होगा
01:09दुकानदाय की इस बाते सुनकर जैन्द को बहुत कुछ सा आता है
01:13इसलिए वो सिर्फ उसके पास सब्जी खरीद कर बिना प्यास के घर लोटता है
01:18अपने पती को घर आते हुए देख मानसा उनके पास जाती है
01:23अरे आप प्यास नहीं लाए क्यों?
01:27एक किलो प्यास का दाम एक सो पच्चास उरुपए हो गया है
01:30इसलिए नहीं लाया मैं
01:32अरे रे सब्जी बनाकर बेचने के लिए हमें हर सब्जी में प्यास डालना है
01:37क्योंकि उनके बिना तो स्वात अच्छा नहीं होता है जी
01:40अगर प्यास का दाम बढ़ गया है तो कम प्यास लेके आ जाते
01:44और हम भी उसका इस्तमाल कम ही करते
01:47ऐसे प्यास ज्यादा दिन भी आएंगे
01:49मगर आपने तो गुस्से में प्यास ही नहीं लाया
01:52गुस्सा कम होने के बाद
01:54मेरी बातों को जरा धंडी दिमाग से सोचे
01:57आपको ही समझाएगा
01:58ये कहके मांसा वहाँ से चली जाती है
02:14यह तरकी बच्चा है
02:16मैं सबजी उगाने वाले के पास जाऊंगा
02:19मुझे वैसे भी इस गाउ में
02:21प्यास उगाने वाला एक आग्मी पता है
02:23उसके पास जाके मैं प्यास खरीदूंगा
02:26तब कम डाम में ज्यादा प्यास मिल जाएंगे
02:28बहुत दूर होने के बावजूद भी
02:32जैन्त उस सबजी उगाने वाले के पास जाता है
02:35भाई साब मुझे कुछ किलो की प्यास चाहिए
02:38आप पहले ये बताओ कि एक किलो का दाम क्या दे रहे हो
02:42मेरे पास पूरे 500 किलो के प्यास है भाई
02:46उस सब को मैं 30,000 वे बेचना चाहता हूँ
02:50उसमें से आपको कितने किलो चाहिए
02:52इसके हिसाब से देखा जाए
02:55तो हर किलो का 60 रुपए हुए है
02:59मेरी ही तरह सब को प्यास की जरूरत है
03:02इसलिए अगर मैं इसके पास मौचुद सारे प्यास को खरीद लूँगा
03:07तो मैं ही उन्हें बेच सकता हूँ
03:09और मुझे दुगनालाब मिलेगा
03:11हाँ
03:12भाई साब आपके पास मौचुद सारे प्यास को तल में आके खरीद लूँगा
03:18ऐसे कहकर वो खुशी-खुशी अपने घर चले जाता है
03:22लेकिन मुझे सब की ही तरह
03:24दुकान के बज़ाए कुछ और तरीके से
03:27कुछ नए तरीके से इन प्यास को बेचना होगा
03:31यही सोचते हुए वो अपने घर पहुंचता है
03:34हाँ
03:36अगर मैं एक ओनियन बैंक शुरू करूंगा तो
03:39जो भी पहले आते हैं
03:42बिना देरीके उनको मैं उनका हिसाब दे दूँगा
03:45और वो भी कम दाम पे
03:47तो सब ही मेरे ही पास आएंगे ना
03:49पहले मुझे यह देखना होगा
03:51कि मेरे पास बचट के पैसे कितने है
03:53यह फैसला करके
03:55बहुत साल से बचाते हुए पैसों को गिनने में लग जाता है
03:59उसकी पत्नी यह सब देखकर उसके पास जाकर पूछती है
04:03हरे आप हमारे बचट के पैसों को क्यों गिन रहे हैं
04:08मैं इन पैसों से 500 किलो की प्यास को
04:11सिर्फ किलो के 60 रुपे पे खरीदने वाला हूं
04:14और बेचते वक्त उन्हें 100 रुपे किलो का बेचूंगा
04:18ऐसे मैं हमारे पैसों को दुगना करने वाला हूं
04:22हमारे बचट के पैसों का ऐसे इस्तमाल करना पता नहीं
04:28आपका सबजी बेचना तो यह पहली बार है
04:31अगर नुकसान हुआ तो हमें बहुत कश्ट लेना पड़ेगा
04:36इससे बेटर है कि हम हमेशा की तरह अपनी सबजी बेचे
04:40मानसा जहां तक मैं जानता हूँ
04:43इस हिसाब से हमें सिर्फ लाब में लेगा
04:46नुकसान नहीं, मुझे जो करना है पता है
04:49इसलिए तुम इसमें मत पड़ो
04:51ये कहकर उस सारे पैसो को लेकर
04:55वो सबजी दुकानदार के पास जाकर
04:57पांसो किलो के प्यास खरीदता है
05:00और खुशी-खुशी अपने घर लोट जाता है
05:03उसके विचार के अनुसार ही वो ओनियन बैंक लगाता है
05:07और गाव में सबको उसके बारे में पता चलता है
05:11क्योंकि वो एक किलो का सो रुपए
05:13और पांच किलो का चार सो रुपए लेने लगता है
05:16ये सब वो एक बोर्ट पे भी लिखके बाहर रखता है
05:20तो सभी उसके पास प्यास खरीदने आते हैं
05:23ऐसे ही कुछ दिनों में गाव में सारी लोग सिर्फ जयन्त के पास प्यास खरीदने जाते थे, क्योंकि उसके पास का दाम बहुत कम था।
05:33इतना कि लोग दुकान से प्यास खरीदना बंद ही कर देते हैं। ऐसे बहुत दिन बीच जाते हैं।
05:40एक दिन जयन्त उसकी ओन्यन मैंक में कमाई हुए पैसों को गिनने लगता है। लगता है कि कुछ दिनों में और भी बढ़ने वाला है।
05:50वैसे ही गाव में सभी लोगों को प्यास मेरे ही पास खरीदने की आदत लग गई है। इसलिए जब तक प्यास का दाम न बढ़ जाए तब तक मैं उनको मेरे पास छुपा दूँगा।
06:02एक बार जो दाम बढ़ जाए मैंने वापस बेचतूँगा कम दाम पे। तब मैं और पैसे कमा पाऊंगा। ऐसे वो उसके सोच के अनुसार ही उस सारे प्यास को छुपा देता है और उन्हें बेचता नहीं है। ऐसे ही कुछ दिन बीच जाते हैं।
06:20एक दिन जैंत सब्जी खरीदने दुकान जाता है। ऐसे एक दुकान दर चिलाते रहता है। ये सुनकर जैंत आश्चर चकित हो जाता है।
06:34क्या सो रुपय का चार किलो प्यास हरे मैंने तो सोचा था कि प्यास का दाम बढ़ जाएगा लेकिन ये तो गिर गया है अब मैं क्या करूं तूनंत मुझे अपने प्यास को देखना है और उन्हें शायद बेच देना होगा ये सोचकर वो उसके ऑनियन बैंग जाता है जब ख
07:04कुछ दिनों में ये खराब हो जाएंगे इसलिए यही बैतर है कि मैंने अभी कम दामें बेचतूं क्योंकि बाद में तो इन पे एक रुपय भी नहीं मिलेगा और ऐसे वो सारे प्यास को कम दाम में बेच कर निराश होकर अपने घर की और बढ़ता है घर पहुंचने के बा
07:34चैन्त के पास जाती है अरे आप ऐसे दुखी क्यों बैठे हैं जी अगर उसी दिन मैं तुम्हारा बात सुना होता ता ना मांसा तो आज हमारे बचत के पैसे ऐसे व्रिदा नहीं होते और मैं ऐसे दुखी नहीं होता ये सब मेरे वज़े से हुआ
07:52ये कहते हुए प्यास बेचकर आए हुए पैसों को उसकी बीवी को दिखाता है और बहुत दुखी होता है आपके दुखी होने से गुजरा वक्त तो वापस नहीं आएगा ना चलिए छोडिए जो हो गया सो हो गया आप तो आप जान चुके हैं ना आपको आपकी गलती के �
08:22कर फैसला लीजेगा ठीक है ठीक है मानसा अपसे मैं जो भी करूंगा सोच समझ कर करूंगा जल्द बाजी में ऐसे फैसला नहीं करूंगा मैं तब से पती-पती दोनों हमेशा की तरह सबजी बनाकर उन्हें बेचते हुए और उनके पैसे बचाते हुए खुशी से जीते है
Be the first to comment
Add your comment

Recommended