00:00सुश्मिता अपनी जिठानी शांती के साथ रहती थी। दिखाने को दोनों देवरानी जिठानी एक दुसरी से बहुत प्यार करती थी। लेकिन देवरानी जिठाने के बीच की लड़ाए उन दोनों के अलावा अगर कोई जानता था तो वो थे उनके पती। उन दोनों में हम
00:30मैं सोच रहा था कि इस घर में एक नौकर रख लेते हैं क्योंकि इस बड़े से घर में मेरी भावी मा और मेरी प्यारी पत्नी के अलावा और कोई नहीं रहता है इस घर की सफाई करने में इन दोनों का कितना समय बीच जाता है यह हमारे लिए खाना कैसे बना पाएंगी तो मै
01:00यह बात तो है ठेक है फिर एक नौकर रख लेते हैं हाँ हाँ इस घर में नौकर ले आओ लेकिन एक नहीं दो क्योंकि जो नौकर मेरा काम करेगा मैं नहीं चाहती कि वही नौकर मेरी जिठानी का भी नौकर बन कर रहे हाँ हाँ मैं भी नहीं चाहती कि मेरा नौकर तेरा का
01:30जगड़ा हो जाता है। ये देख वरुन और विक्रम उन दोनों की लड़ाई में ना पढ़ते हुए अपने अपने काम पर निकल जाते हैं। और काम पर जाते जाते दोनों भाई आपस में एक दुसरे से बात करते हैं।
02:00वो दोनों अपनी भाईस में इतनी मगन हो जाती हैं कि उन दोनों को पता ही नी चलता कि कब समय बीच चुका है। ऐसे ही शाम हो जाती है। और शाम की वक्त जब डॉर्बल बचती है, सुश्मिता दरवासा खुलती है। उसके सामने वरुन और विक्रम के साथ एक नौकर दि
02:30सुश्मिता की बाते सुनकर शांती का गुस्सा सात्वे आस्मान पर पहुँच जाता है, जिसके बाद वो अपने पती के उपर चिलाते हुए कहती है।
03:00शामलाल कीचिन में जाई रहा था कि तभी शांती उसे रोपते हुए कहती है। आरे शामलाल, पहले तुम मेरा और विक्रम जी का खाना बना देना। इन दोनों को क्या है। इन दोनों का आराम से बनाते रहना क्योंकि ये लेट नाइट सोते हैं। ठीक है मैम सब। आरे ऐ
03:30अब विक्रम शामलाल का समय फिक्स करतेगा और अपने समय अनूसार शामलाल अपना काम करता है। कुछ दिन तो घर में शांती का माहल बना रहता है, लेकिन एक दिन शामलाल कपड़े धोने के लिए सुश्मिता के पास जाता है और उसे कहता है।
03:56अगर तुमने मेरे कपड़े नहीं धुए तो मैं तुमें नौकरे से निकाल दूगी
03:59जी जी नाम तो आपका शांती है लेकिन आपके अंदर ना शांती नहीं है बिलकुल भी
04:05आरे इस समय वो मेरे कपड़े धुएगा
04:08श्यामलाल उन दोनों की बाते सुनकर फिर से एक बार फस जाता है दुखी होते हुए कहता है
04:15नेम साब आप दोनों ही मुझे अपने कपड़े दे दीजे मैं एक साथ कपड़े धो दूँगा
04:20नहीं हमारे कपड़े एक साथ नहीं धुलेंगे
04:23नहीं हमारे कपड़े एक साथ नहीं धुलेंगे
04:26उनकी बात सुनकर श्यामलाल बिचारा एक बार फिर कन्फ्यूज हो जाता है
04:30और वहाँ से मू लटका है नीचे किचन में जाकर काम करने लगता है
04:33ऐसे ही समय बीटने लगता है
04:36और एक दिन श्यामलाल शान्ती के कमरे में कुर्सी पर खड़ा होकर पंकी को रगड़ रगड़ के साफ कर रहा था
04:42ये देख सुश्मिता नौकर के उपर चिलाते हुए कहती है
04:46श्यामलाल तुमने आज तक इस तरह से मेरे कमरे की सफाई तो नहीं करी
04:51अरे ऐसी कौन से महरमानी करी जिठानी जी जो तुम उनके कमरे की इतने अच्छे से सफाई कर रहे हो
04:57श्यामलाल कुछ बोलता तबी शान्ती आ जाती है और सुश्मिता को जवाब देती हुए कहती है
05:03देवरानी जी आप कुछ नहीं बोल सकती क्योंकि अभी आपके कमरे की सफाई का समय नहीं आया है
05:10तो आप मेरे कमरे में आकर अपना लेक्चर मत दो श्यामलाल को
05:15सुश्मिता मू बनाती हुए वहाँ से अपने कमरे में चली जाती है
05:19कुछ समय बाद शामलाल सुश्मिता के कमरे की सफाई करने आता है
05:23सुश्मिता शामलाल से अपने दरवाजे को भी खिसवाती है
05:27और अपने शीशे को भी चमकवाती है
05:29कभी अपने कमरे के फर्ष को अच्छे से रगडवाती है
05:32और इस तरह शामलाल पूरी तरह से फस जाता है
05:36उससे समझ में ही नहीं आ रहा था कि इन दोनों को कैसे संभाला जाए
05:40लेकिन वो बिचारा करता भी क्या? मजबूर था
05:43ऐसे ही एक दिन शामलाल बाजार से सबजिया लेने जा रहा था
05:47तब ही वो खुद से कहता है
05:49क्यों ना मैं एकी समय पर दोनों में साब की सबजिया ले आऊ
05:53और दोनों को अलग-अलग समय पर दिखा दूँगा
05:56कि मैं अलग समय पर यही सबजिया लेकर आया हूँ
05:59यही डीग रहेगा
06:01इस तरह शामलाल सबजियों को लेकर आ जाता है
06:04लेकिन जैसे ही वो घर में घुस्ता है, वैसे ही उसके सामने सुश्मिता और शांती खड़ी होती है
06:09ये देख शामलाल के पसीने छूट जाते है
06:12ये देख कर सुश्मिता कहती है
06:15क्यों शामलाल, तुम्हारे पसीने क्यों छूट रहे हैं?
06:18तुमने कोई गलत काम किया है क्या
06:21श्यामलाल मैंने कितनी बार मना किया था
06:25कि इसके काम के साथ मेरा काम नहीं करना
06:28लेकिन तुमने फिर से वही किया ना जो तुम्हें नहीं करना था
06:32इस तरह दोनों अब श्यामलाल को घरी खोटी सुनाने लगती है
06:36और इतना सुननी की बात कोई नौकर उनके घर में काम कर ले, ऐसा तो होई नहीं सकता
06:41इसलिए श्यामलाल ने जवाब देते हुए उन दोनों से कहा
06:44मेम साब माफ करना, लेकिन मैं आपके घर में और काम नहीं कर सकता
06:48क्योंकि एक ही काम दो-दो बार करना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है
06:51आरे, तो क्या तुम उसके पैसे नहीं ले रहे हो?
06:55उसकी ये बात सुनकर बिचारा श्यामलाल चुप हो जाता है
06:58और ना चाहते हुए भी उन दोनों का काम करना पड़ता है
07:02अलग-अलग समय पर एक ही काम दो बार करता हुआ
07:06खुद को देख वो बहुत परिशान होता रहता है
07:08परिशान होकर विक्रम और वरुन की पास जाता है और कहता है
07:12साब, वे और काम नहीं कर सकता है यहां
07:15एक ही काम दो-दो बार करना पड़ता है
07:17अरे एक काम अगर कोई दो दो बार करेगा तो परिशानी हो जाएगा ना
07:21इसलिए मैंने अप्ठान लिया है कि इतने कम पैसो में मैं नहीं काम करने वाला
07:25अगर आपको काम करवाना है तो आप किसी दूसरे नौकर को डूण लो
07:28मैं तो यही सला देना चाहूंगा
07:30इतना गयकर शामलाल उनकी नौकरी उनको ही सौपकर चला जाता है
07:41इस तरह बेचारे वरुन और विक्रम परिशान हो जाते हैं
07:45कुछ समय बाद उन दोनों की पत्निया हॉल में आती है और अपने पतियों से कहती है
07:48अरे शामलाल कहा है?
07:50अरे शामलाल कहा है?
07:52दोनों भाई एक दुसरी की तरफ देखते हैं और कहते हैं
07:55वो काम छोड़ कर चला गया
07:58तुम दोनों ने उसके नाग में दम कर रखा था
08:01अच्छा, तो हम लोगों ने उसके नाग में दम कर रखा था
08:04तो तुमने उसको निकाल दिया ना?
08:06तो अब इस घर का काम तुम लोगी करोगे
08:08हाँ, मेरी देवरानी बलकुछ सही क्या रही है
08:11अब इस पूरे घर का काम तुम लोगों को ही करना होगा
08:14इतना क्या कर दोनों देवरानी जिठानी चली जाती है
08:18हाँ, बिचारे वरुण और विक्रम
08:21दोनों को ही घर का काम करना पड़ता है, घर की सफाई, कपड़े दोते, बरतन दोते और खाना बनाने की बाद बेचारे दोनों आफिस चाहते
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