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  • 1 week ago

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00:00जॉइंट फैमिली
00:30ज्याशोकर नीशा वहाँ से चली जाती है
00:32नीशा तुम राश्नी को घर का कामकाज क्यों नहीं सिखाती
00:36अगर यही हाल रहा फिर तो दो दिन में उसके सिसुराल वाले उसे यहाँ छोड़ कर चल देंगे
00:41मैं तो बहुत कोशिश करती हूँ उसे घर के जिम्मेदारियां सिखाने की
00:46लेकिन वो मेरी सुने तब ना आप तो जानते ही हैं ना कि वो कितनी जिद्धी है
00:51हमें नीशा के लिए कैसा लड़का ढूना होगा जिसका भरा पूरा परिवार हो
00:56कुछ दिनों के बाद रोष्णी का परिवार उसके लिए लड़का देखना शुरू कर देता है
01:12और एक दिन चिराग नाम का लड़का रोष्णी को देखने अपने परिवार के साथ उसके घर पहुँच जाता है
01:18देखिये भाई साहब मैं पहले ही आपको बता देती हूँ हमारा परिवार बहुत बड़ा है
01:26इसलिए अगर आपकी लड़की हमारे घर की जिम्मेदारियां बिना ना नुकूर के उठा सकती है तब ही हम ये रिष्टा पक्का करेंगे
01:35अरे ये भी कोई बोलने वाली बात है बहन जी हमारी रोष्णी आपके पूरे परिवार को बैठे बैठे खिला सकती है इतनी जिम्मेदार है मेरी बेटी
01:45अगर ऐसी बात है फिर तो हमें इस रिष्टे से कोई आपती नहीं है
01:50तो फिर चट मंगनी पड़ ब्या के बारे में क्या खायाल है
01:54अहां बिल्कुल शादी में दिर किस बात की तीन हफ़ती बाद ही शादी का शुवयोग है
02:00अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो हम इनकी शादी भी तीन हफ़ते बाद ही करा देते हैं
02:06अरे हमें इसमें कोई परिशानी नहीं है
02:09इस तरह दोनों परिवारों में शादी की तैयारियां शुरू हो जाती है
02:13और कुछी दिनों बाद रोश्नी की शादी चिराख से करा दी जाती है
02:17शादी के बाद
02:19बहू इनसे मिलो
02:21यह है तुम्हारी दाती सास
02:23ये बड़ी सास और बड़े ससूर
02:25ये तुम्हारे जेट, ये जठानी
02:28ये दोनों तुम्हारे देवर
02:31और ये इस परिवार के सबसे छोटी बेटी सिम्रन
02:34यानि कि तुम्हारी नंदध है
02:36परिवार में इतने सारे लोगों को देखकर
02:40रोश्नी का सर चकरा जाता है
02:53जो आपने मुझे ऐसा परिवार दिया
02:56बेटा, किस सोच में बड़ गई तुम?
03:01और कितने लोग हैं आपके परिवार में?
03:05बस हम इतने ही लोग हैं बेटा
03:07ज्यादा लंबा परिवार नहीं है हमारा
03:10अब इस से लंबा और कितना बड़ा परिवार होगा आपका
03:16ये सिसुराल कम चिडिया घर ज्यादा लग रहा है
03:19कुछ कहा क्या तुमने बेटा?
03:23नहीं ममी जी, मैं बहुत ठक गई हूँ तो
03:26क्या आप मैं सोने जा सकती हूँ?
03:29हाँ, क्यों नहीं बहु?
03:32चिराग, बहु को अंदर कमरे में ले कर जा
03:34जी, मा, चिराग राशनी को अंदर कमरे में ले कर जाता है
03:39चिराग, मुझे यहां नहीं रहना, मुझे अलग रहना है
03:44ये तुम क्या बोल रही हो राशनी?
03:47अभी तो आई हो तुम, और अभी अलग होने की बात कर रही हो
03:50परिवार वालों को पता चलेगा, तो कितने दुखी होंगे वो लोग
03:54मुझे नहीं मतलब किसी से, और इसे तुम परिवार कहते हो
03:58ये परिवार कम कोई गली महला स्यादा लग रहा है
04:01राशनी, अभी तुम नई हो इस परिवार में, इसलिए शायद तुम्हें ऐसा लग रहा है
04:06कुछ दिन में आदत हो जाएगी तुम्हें
04:09चिरा की बात सुनकर, राशनी अपना सर पकड़ लेती है
04:13आपको समझाना तो दिवार में सर पटकना है
04:16इतना बोलकर राशनी बिस्तर पर लेट जाती है
04:23राशनी को देख कर चिरा का मूँ खुला का खुला रह जाता है
04:27वो भी पैर पटकते हुए बिस्तर के दूसरे कोने में अपना मूँ मोड कर सो जाता है
04:32अगले दिन
04:33देवरानी जी आप उठ भी जाएए सुबह के छेव बच चुके हैं
04:41सोने दोना मम्मे क्यों परिशान कर रही हो
04:44देवरानी जी मैं आपकी मम्मी नहीं जिठानी हूँ
04:48सुबह सुबह क्या मसा आगे मम्मे
04:50इतना कहकर रोश्णी अपनी आखे मसलते हुए उठती है
04:54और अपनी जिठानी को देख कर चौक जाती है
04:57दीदी आप यहाँ
05:00पिछले एक घंडे से तुम्हें उठा रही हूँ
05:02लेकिन तुम हो कि अब उठ रही हो
05:04लेकिन अभी तो सिर्छे बज रहे हैं
05:08आपने मुझे उठाया क्यों?
05:10वो इसलिए क्योंकि आज तुम्हारे इस गर में पहली रसुई है
05:13तो खाना आज तुम्हें ही बनाना होगा ना?
05:17क्या?
05:18मुझे पूरे महले के लिए खाना बनाना पड़ेगा?
05:23नहीं रोश्णी
05:24तुम्हें पूरे महुले के लिए नहीं, सिर्फ परिवार के लोगों के लिए ही खाना बनाना है।
05:54वा बहु, खाना तो बड़ा स्वाद बना है।
06:24खाना खाने के बाद सभी लोग रोश्नी को शगुन का नेक देते हैं और फिर अपने अपने रूम में चले जाते हैं।
06:30क्या या रोश्नी, इतना टेस्टी खाना बनाना जरूरी था क्या। अब फस गई ना तू। ये सब मा पापा की वज़े से हो रहा है।
06:40उनके कारण मुझे ये सब छेलना पड़ रहा है।
06:44रोश्नी गुस्से में अपने रूम में जाती हैं और अपनी मा को फोन मिलाती है।
06:48ममे मैं आपको कभी माफ नहीं करूँगी। अपने जान बुझकर मुझे इतने बड़े परिवार में भीजा है। जहां मुझे सांस लेने की भी फुरसत नहीं है।
06:58हमने ये सब इसलिए किया ताकि तु अपनी जिम्मेदारियां निभाना सिखे। अब मायके की तरह ससुराल में भी अपनी जिम्मेदारियों से मूँ मत मोड लेना।
07:07मुझे नहीं रहना मा यहां। इस गर में जितने लोग हैं उतने तो हमारे गली मौले में भी नहीं दे।
07:14मा मैं आपसे आपकी सारी बाते मानूंगी पर प्लीज मुझे यहां से ले जाएए।
07:20बिल्कुल नहीं, आपसे वही तेरा सब कुछ है, वहां से भागने के बजाए अपने जिम्मेदारियां पूरी करना सीख, इससे हमें भी थोड़ी खुशी मिल जाएगी
07:30मा की बातों से निराश होकर रोश्णी फोन काड़ देती है, जिसके बाद उसकी नजर नेक में मिले पैसों पर पड़ती है, और वो फटा फट से बिस्तर पर बैठ कर पैसे गिनना शुरू कर देती है
07:43अरे वा, ये तो पूरे पचीस अजार रुपे हैं, किसी ने भी 51 से कम का नेक नहीं दिया
07:51चलो अच्छा है, कुछ तो फाइदा हुआ, इतने बड़े परिवार में शादी करने का
07:58अब इन सब पैसों से मैं अकेले शॉपिंग करूँगी, बहुत मजा आएगा
08:03शॉपिंग के बारे में सूच सूच कर ही रौशनी अपने बिस्तर पर कूदने लगती है
08:08उसे बिस्तर पर कूदता देख सभी लोग चाउंचाते है
08:11भाबी, आप ऐसी क्यों उचल रही हो, छोटी बच्ची हो क्या?
08:17अपनी ननत की बाद सुनकर रौशनी का मुग खुला का खुला रह जाता है
08:21थोड़ी देर बाद रौशनी घर में बिना बताए शॉपिंग के लिए निकल जाती है
08:25और शगुन में मिले पूरे पैसों को शॉपिंग में उड़ा देती है
08:29शाम में
08:30देवरानी जी, कहां गई थी आप?
08:34जानते हैं सब आप के लिए कितना परिशान हो गए थे
08:36कम से कम आपको बता कर तो जाना चाहिए था ना?
08:40सारी दीदी, मैं आप लोगों को बताना भोल गई
08:43पैसे इतने सारे बैग किस चीज़ के हैं?
08:47तुम शापिंग आने गई थी क्या?
08:50हाँ दीदी, वो आज नेक में इतने सारे पैसे मिले थे ना
08:54तो मैंने सुच़ा क्यों ना मैं उन पैसों की शापिंग ही कर लूँ
08:58आरे वाँ, ये तो बहुत अच्छा सोचा तुमने
09:02ममी, पापा, सिमरेन, देवर जी, सब बहार आईए
09:07देखे रोश्णी हम सब के लिए क्या लाई है
09:10रोश्णी कुछ समझ दी, उससे पहले ही वहाँ सब लोग आ जाते हैं
09:15क्या हुआ आर्ती बहु, क्यों चिल्ला रही हो?
09:18अरे देखे न मा, रोश्णी हम आरे लिए शॉपिंग करके आई है
09:22वो देखे, रोश्णी हम सब के लिए कितने कपड़े लेकर आई है
09:26आर्ती की बात सुनकर, रोश्णी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है
09:31उसके मूँ से एक शब्द तक नहीं निकलता
09:34सच में, भावी आप कितनी अच्छी हो
09:38बेटा, हम सब के लिए तुझे खरीदारी करने की क्या जरूरत थी
09:43अभी तेरी नई-नई शादी हुई है
09:46तुझे अपने लिए लेना चाहिए था ना
09:49एक काम कर ये सारे कपड़े तु ही रख ले
09:51किसी को कुछ देने की जरूरत नहीं है
09:54चलो, कोई तो समझदार है इस गर में
09:59वाव भावी, कितनी सुन्दर ड्रेस है
10:01ये शॉर्ट ड्रेस मुझे पता है
10:03आप मेरे लिए ही लाए होंगे है ना
10:06इसे मैं रख लेती हूँ
10:08मा, रोश्णी इतने प्यार से सब के लिए
10:11कपड़े लेकर आई है
10:12हमें मना नहीं करना चाहिए
10:14तु सही बोल रही है बेटा
10:18उसका मन रखने के लिए
10:20मैं ले लेती हूँ एक दो साड़िया
10:22रोश्णी जूठी मुस्कान लिए
10:25खड़े होकर सब देखती रहती है
10:27देखते ही देखते उसके लाए
10:29सारे कपड़े घर वाले आपस में
10:31बांट लेते हैं और अब सिर्फ
10:33एक रुमाल को छोड़कर
10:35उसके पास कुछ नहीं बच्चता
10:37अब ये रुमाल भी क्यों छोड़ा
10:40इसे भी लेही लेते
10:41इतने में ही सिमरन
10:44रुष्णी को आवाज देती है
10:45भाबी वो गलती से रुमाल
10:48रह गया है क्या वो मुझे मिल सकता है
10:50रुष्णी वो रुमाल भी सिमरन को दे देती है
10:54इतनी मैनत से
10:56मैंने ये सब कुछ लिया था
10:58लेकिन इन लोगों से मेरी खुशी
10:59बरताश नहीं हुई, कुछ भी नहीं छोड़ा
11:02थोड़ी दिर बाद
11:04रोश्नी का पती भी वहाँ आ जाता है
11:05मैंने सुना है
11:07आज तुमने सभी के लिए खरेदारी की है
11:09तुम मेरे लिए
11:11कुछ लेकर नहीं आई
11:12बस फिर क्या था
11:14इतना असंत ही रोश्नी का पारा
11:17हाई हो जाता है
11:18और वो चिराग को घूरने लगती है
11:20जिससे चिराग डर के
11:22मारे माँ से खिसक जाता है
11:24हाई रे
11:26फूटी किस्मत मेरी
11:28जो ये जोइन फैमिली मेरे मत थे चड़ी
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