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  • 12 hours ago

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Transcript
00:00तीन बेहनों की लालची भावी
00:02करिश्मा, रेश्मा और मनिशा तीन बेहने हैं
00:06उनका एक भाई भी है मयंग
00:08मयंग अपनी बेहनों को बहुत प्यार करता है
00:10लेकिन मयंग की पत्नी सविता इस मामले में मयंग से बिलकुल ही अलग है
00:15वो अपनी ननदों का जितना बुरा कर सकती है उतना बुरा करती ही रहती है
00:19और अपनी ननदों पर हुकम भी चलाती है
00:22करिश्मा, करिश्मा, तुमने अभी तक नाश्ता नहीं बनाया
00:26तुमारे भाईया का उफिस जाने में देर हो रही है
00:29हाँ भावी बस अभी बनाती हूँ
00:32का रेश्मा तुम ये धीलापन छोड़ दो
00:34कल को पराय घर जाना है
00:35वहाँ अगर तुम इस तरह से काम करोगी
00:38तो लोग क्या कहेंगे
00:39कि माने और भावी ने कुछ सिखा नहीं
00:41और तुम्हारी दोनों बहने कहा है
00:43अब रेश्मा मार्केट गई है
00:45और मनिशा सो रही है
00:47क्या
00:48सुब़ के आणढ बज रहे हैं
00:50और ये महरानी अभी भी सो रही है
00:52ये कहते हुए सभीता
00:54अपने सास दुर्गा देवी के पास चाती है
00:57माजी देख रहे हो
00:58अपनी बेटियों के तौर तरीके
01:00क्या हुआ बहू, सुबह सुबह क्या कर दिया मेरी बेचियों ने
01:06आरे एक तो अभी अभी उठकर किचन में गई है, दूसरी सुबह सुबह बाहर चली गई
01:11और तीसरी अभी तक सो रही है
01:13क्या करू मैं इन दिनों का, मैं तो परिशान हो गई हूँ
01:19सवीता सीधा मनिशा के कमरे में जाती है और उससे कहती है
01:27महरानी, जल्दी उठो, सूरज सर पर आ गया है
01:31भावे, थोड़ी दिर और सोने दो ना, मैं रात को लेट सोई थी, वो क्या है ना, योनिट टेस्ट चल रहे है
01:39शराफत से उठती है या नहीं, या फिर पानी की भरी बाल्टी डालू तेरे उपर
01:44ने, नी बाबी, मुझे बेस्टर में नहीं ना, उठती हो मैं
01:48मनिशा जल्दी से उठकर बात्रों में चली जाती है
01:50सभी आराम से बैट कर नाश्टा कर रहे होते कि तभी, रेश्मा बाजार से हाथ में सामान ले आ जाती है
01:57रेश्मा को देखते ही सवीता उस पर बरस पड़ती है
02:00लो, आ गई महरानी, ऐसा भी क्या सामान लाना था, जो सुबह आँख मलते ही बाजार की तरफ रवाना हो गई
02:08भाबी, कल आप ही तो चीख रहे थी, कि घर का सारा सामान मुझे ही लाना पड़ता है
02:14घर में किसी को भी किसी काम से कोई लेना देना नहीं है
02:16अब मैं बाजार जाकर सामान ले आई, तो आपको इस बात से भी तकलिफ हो रही है
02:20देख रही हो माजी, अपनी बेटी की सुबान कैजी से भी तेज चलती है
02:25और मैंक आप, आप तो कुछ कहेंगे नहीं अपनी लाडली बेहन को
02:29रेश्मा, अपनी भाबी से ऐसे बात नहीं करते, चलो माफी मांगो
02:33भाईया मैं क्यों माफी मांगो, आप भाबी से बूली न, कि हम पर कम हुकम चलाया करे
02:38हम इस घर की बेटी आ हैं और आपकी पत्नी की ननद है, नौकरानी नहीं
02:42लोक कर लो बात, इनकी भलाय के लिए कुछ भी बोलो तो इन्हें बुरा लग जाता है, इस घर में यही हिस्सत है मेरी, देख लो माची, आपकी बेटी किस लहजे में मुझसे बात कर रही है
02:52सवीता वहाँ से चली जाती है, मैयं को बहुत गुसा आता है, वो भी वहाँ से चला जाता है, फर करिश्मा रेश्मा को समझाती है
03:00रेश्मा, तुम्हे भावी से माफी मांग लेनी चाहिए थी ना
03:04लेकिन दिदी मैंने कुछ किया ही नहीं, तो मैं माफी क्यों मांगू?
03:09हाँ का रेश्मा दिदी, रेश्मा दिदी जैसे ही घर में आई भावी ही उन पर चिला रही थी
03:14हाँ मैं मानती हूँ कि गलती भावी की थी
03:17मैं तो इसलिए बोल रही हूँ कि भावी ने मा को तो पूरी तरह अपने वश में कर लिया है
03:21वो हमारी बात सुनती ही नहीं
03:23मायंग भाया हमारे लिए हमेशा खड़े रहते हैं
03:25इसलिए उनकी बात का मान तो तुम्हें रखना चाहिए था ना?
03:28कुई फाइदा नहीं दिदी, कुछ दिनों की बात और है, भाबी उन्हें भी हमारे खिलाव फढ़का दिएगे, फिर वो भी मां की तरह हमारी किसी बात का विश्वास नहीं करेंगे.
03:36इसी तरह सवीता अपनी तीनों ननदों को किसी न किसी बात पर परिशान करती रहती थी, एक दिन मैंक अपनी तीनों बहनों के लिए गिफ्ट लाया, करिश्मा ये तुम्हारे लिए हार का सेट, रिश्मा तुम्हारे लिए सुन्दर सी ड्रेस, और मनीशा तुम्हें किताब
04:06भाईया को तीन दिन पहले फोन पर ये डिजाइन दिखाया था और आज भाईया ये ले आए
04:10सवीता तो अपनी ननदों की गिफ्ट्स देखकर जल गई और करिश्मा का नेकलेस तो उसे भी बहुत पसंद आया था
04:17अपनी बहनों के लिए कितना अच्छा नेकलेस लिकर आये हैं, मुझे कभी कोई गिफ्ट नहीं दिया
04:22मैं आज ही ये हार चुरा लूँँ
04:24रात में सवीता करिश्मा का हार चुरा लेती है और इसी तरह उसे अपनी ननदों की जूबी चीज अच्छी लगती वो उसे मांगती नहीं, बलकि रात के अंधिरे में चुरा लेती
04:35इसी तरह दिन बीटते गए और सवीता ने मयंग के दिल में भी उसकी बेहनों के लिए नफरत पैदा कर दी
04:40एक दिन मयंग ने करिश्मा और रेश्मा के लिए रिष्टा देखा और ये बात उसने घर में सबको बताई
04:45मह, करिश्मा और रिश्मा के लिए बहुत अच्छा रिष्टा आया है
04:49वो लोग कल इन्हें देखने आ रहे हैं
04:52आप और सविता मिलकर सारी तैयारी कर लेना
04:54ये सुनकर करिश्मा और रिश्मा खुश हो जाती है
04:57लेकिन सविता सोचती है
04:58अगर इन दोनों बहनों की शादी हो गई
05:01तो घर और बाहर का काम कौन करेगा
05:03मनिशा तो एक नंबर की काम चुर है
05:05उससे तो किसी बात की उमिर लगाना ही बेकार है
05:08मुझे इस शादी को रोकना होगा
05:11अगले दिन सभी लड़के वालों की इस वागत की तयारी करने में लगे होते है
05:15तब ही मैंक अपनी बेहनों से आकर कहता है
05:18तयार हो गई तुम दोनों
05:19देखो दोनों लड़के बहुत अच्छे हैं
05:21मैं कोई कसन नहीं छोड़ना चाता
05:23इसलिए तुम उनके सामने अच्छे से बिहेव करना
05:26और अपनी भाबी से लड़ने मत लग जाना
05:28करिश्मा तुम वो नेकलेस पहन लो न
05:31जो मैं तुम्हारे लिए लाया था
05:32भाईया मैं बहुत देर से वो नेकलेस रून रही हूँ
05:35लेकिन मुझे मिले नहीं रहा
05:36क्या तुमने नेकलेस खो दिया
05:39तुम्हें पता भी है वो कितना मैंगा था
05:41तुम कोई काम धंग से नहीं कर सकती
05:43मैं गुस्से में वहाँ से चला जाता है
05:46थोड़ी दिर बाद लड़के वाले भी आ जाते हैं
05:49वो दोनों बेहनों को पसंद कर लेते हैं
05:50और रिष्टा पक्का हो जाता है
05:51लेकिन सवीता के दिमाग में तो कुछ और ही खिटड़ी पक रही थी
05:56वो पंडी जी के पास करिश्मा की कुंडली लेकर जाती है
05:59और उन्हें पैसे देकर करिश्मा की कुंडली बदलवा दीती है
06:03जब लड़के वालों के पास करिश्मा की कुंडली जाती है तो वो दुरका को फोन करते हैं
06:09बेहन जी हमने करिश्मा की कुंडली अपने पंडी जी को दिखाई थी
06:13आपकी बेटी की कुंडली नहीं बलकि दोशों का पिटारा है
06:17देखे मैं और मेरे पती इन सब बातों में बहुत विश्वास करते हैं
06:22इसलिए हम आपकी बेटी से अपने बेटी की शादी नहीं करा सकते
06:25इस तरह करिश्मा का रिष्टा तूट जाता है
06:28और सबी घरवालों को बहुत दुख होता है
06:30अब कविता सोचती है
06:32चलो, कर रिष्मा का तो रिष्टा तूट गया
06:36अब रिष्मा का भी रिष्टा तोड़ना है
06:39क्या करू क्या करू
06:41अब सविता आवास बदल कर किसी अन्नोन नंबर से
06:45रेश्मा की होने वाले सिसुराल में फोन करती है
06:47हेलो, मैं कौन हूँ कौन नहीं
06:51ये आपके लिए जानना ज़रूरी नहीं
06:54बस इतना सुनलो की रेश्मा का दो साल से किसी के साथ अफेर चल रहा है
06:59बस रेश्मा का रिष्टा तोड़वाने के लिए सविता का इतना कहना काफी था
07:04अब रेश्मा का भी रिष्टा तूट गया
07:06मयंक और दुरगा दिवी ने रेश्मा को खूब खरी खोटी सुनाई
07:09और उससे बार बार उस लड़के के बारे में पूछने लगी
07:12आप तुनों मुझे क्यों परेशान कर रहे हो
07:15अरे कोई लड़का होगा मेरी लाइफ में तो मैं बताऊंगी न
07:18जिब कोई है नहीं तो कहां से लाओं मैं कोई लड़का
07:21तो तेरे होने वाले सिस्राय वालों को फोन किस ने किया था
07:26माम मैं नहीं जानती किस ते फोन किया था, मैं सच कह रही हूँ
07:29मैं तो पहले ही कह रही थी, इसकी लगाम खीच कर रखो, लेकिन मेरी सुनता ही कौन है
07:34आप चुपरेए भाबी, ये सब आपका ही क्या धरा है
07:38अब तीनों बहनों को विश्वास हो जाता है, कि ये सब उनकी भाबी ही कर रही है
07:43तीनों बहने अपनी भाबी को सबक सिखाने के लिए एक वकील कर लेती है, और घर में हिस्सा मांग रही है
07:49देखो भाईया, माबाब की जायदात में जितना बेटों का हक होता है, उतना ही बेटियों का
07:54इसलिए इस गर के चार हिस्से होंगे, और हमें अपना हिस्सा चाहिए
07:58मैंने तुमारे लिए क्या क्या नहीं किया, और तुम इस गर में हिस्सा मंग रही हो
08:03भाईया आप और मा हम बहनों की कोई बात नहीं सुनते हो
08:07और भाबी हमारी शादी नहीं होने देगी
08:09क्योंकि उन्हें लगता है कि आप हमारी शादी में ज्यादा पैसा लगाऊगी
08:13और उन्हें हम जैसी फ्री की नौकरानी कहा मिलेगी
08:16तो हम भाबी के साथ तो रह नहीं सकते हम बहनों को अपना हिस्सा चाहिए
08:20तुम्हें शेर माने चाहिए अपने भाबी पर ऐसा हिसाम लगाते हुए
08:26वो तुम्हारे बारे में कितना सोचती है
08:29हाँ मा भाबी हमारे बारे में बहुत सोचती है
08:32दिन रात पस यही सोचती रहती है कि किस तरह से अपनी तीनों ननदों को परिशान करू और कभी मुझे पढ़ने भी नहीं देती। दोनों बेहनों का रिष्टा भी तो इन्हों नहीं तुड़वाया है। और रात में हमारे कमरे में आकर हमारी चीज़ें भी चुराती हैं।
09:02और दुरगा को भी अपनी गलती का एसास हो गया। अब सभीता खुद करिश्मा और रिष्मा के लिए अच्छा रिष्टा ढूंटी है और उनकी शादी करवाती है।
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