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  • 6 weeks ago

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Transcript
00:00वल्लूरू नामक गाउं में कुंड़या नामके गाद में रहता था।
00:09वो हर रोस लकडी काटकर उन्हें बेचकर आए हुए पैसों से उसका जीवन चलाता था।
00:16हर रोस की तरह कुंड़या जंगल जाता है।
00:20लेकिन दिन बदिन पेड़ों की संख्या कम होते जाने के कारण उसे समझ नहीं आता है कि वो कौन सा पेड़ काटे।
00:27तब ही अचानक उसे एक बढ़ा पेड़ दिखता है।
00:31उतना बढ़ा पेड तो कुंड़या ने कभी नहीं देखा था।
00:35इसलिए वो मनी मन बहुत खुश होता है क्योंकि उस एक बढ़े पेड़ से उसे बहुत लाबा आएगा।
00:42वो इस सोच में पढ़ जाता है कि उसे बहुत दिनों तक काम मिल गया है और उसे बहुत पैसे मिलने वाले हैं।
00:49जब वो उसके कुलहारी से उस पेड़ को काटने जाता है तो अचानक वहाँ एक देवी परकट होती है।
00:57कौन हो तुम? मैं वर्शा देवी हूँ।
01:01क्या चाते हैं हाँ? मानव तुम इस पेड़ को भला क्यों काट रहे हो।
01:08मुझे जीने के लिए पैसों की जरूरत है और पैसे कमाने के लिए मुझे इस पेड़ को काट कर इसकी लकड़ी को बेचना पड़ेगा।
01:16तब ही मैं खुशी से जी पाऊंगा।
01:19ऐसे अगर तुम सारे पेड़ काट दोगे तो आखिर में कोई पेड़ नहीं बचेगा न, तब क्या करोगे।
01:27पता नहीं।
01:30ठीक है, क्या मैं तुम्हें एक सलाह दूँ।
01:34बोलिये, तुम्हें अपसे पेड़ काटना बंद करना होगा। उसके बदले में मैं तुम्हें एक तौफा दोँगी।
01:43हाँ, ठीक है।
01:46तुरंत वो देवी उनकी शक्ती से एक बतक को प्रकट करती है। ये लो।
01:53इस बतक को अपने घर ले चलो। ये हर रोज तुम्हें सिर्फ एक सोनी का अंडा देगा। अगर तुम उसे पेचोगे तो तुम्हें पैसे मिलेंगे। और तुम खुश रपाओगे।
02:05कुंडया खुशी से उस बतक को लेके जाता है। घर जाते ही कुंडया उसकी बीवी को जो कुछ पी हुआ बताता है।
02:15उस देवी के कहे के अनुसारी वो बदक हर रोज एक सोनी का अंडा देता है और उसे लेकर कुंड़या शहर में बेचकर खुशी से पैसे घर ले आता है।
02:45लेकर सोनी का अंड़ आ रहा है तो इसके पेट में बहुत सारे अंडे होंगे और इसी कारण वो उस बतक को मार देता है।
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