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  • 2 days ago

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00:00देवरानी, जिठानी और बच्चे
00:02रमाकान जी के दो बेटी थे, मनमोहन और मुकेश, दोनों की शादी की उम्रों हो चली थी, अब वो भी अपनी जिम्मदारी से मुक्त होना चाती थे
00:13देखिये जी, हमारे जाद बिरादरी में ऐसे ही लड़कियों का अकाल पड़ गया है
00:1924-24 साल के बच्चे शादी कर ले रहे हैं, और हमारे बेटे 30 पार करने को है
00:26अब उनकी शादी होगी नहीं, तो कुआरे डोलते फिरेंगे पूरी जिन्दगी
00:31अरो तो मैं कौन सा हाथ पे हाथ देरे बैठा हूँ, ढूंडी तो रहा हूँ लड़की, पर तुम्हारे बेटे हैं, इनको कोई रास ही नहीं आती
00:39तब ही दोनों भाई दुकान जाने के लिए निकलते हैं
00:43लो अगे लाड़ साव आपके, अरे नहीं का निशादी तो ऐसे बोल दो, इस बुड़े की किसमत में पोते पोतियों का सुख भी नहीं है क्या
00:52क्या फाइदा शादी करके पापा, अंकुर कोई देख लीजिए, कौन सा सुखी है, रोज अपनी बीबी के डंडे खाता है वो
01:02और वो अनुज, अरे भगवान ऐसे दिन किसी को ना दिखा है, रोज क्लेश होता है उसके गर में
01:09यही तुम लोगों के डायलोग सुन-सुन कर मैं साट की हो चली, अब मुझ से काम नहीं होता, अरे एक समय के बाद सबको साथी की जरूरत होती है बेटा
01:22देखे जी, इनका तो चलता रहेगा, आप लड़की फाइनल कीजिए बस
01:28और उसी दिन रमाकान जी को अपने एक दोस्त का कॉल आता है, जिनकी बेटी मीता भी आज शादी के लायक हो गई थी
01:37से परिवार सब मीता को देखने जाते हैं
01:44बताओ बेटी, अपने बारे में सबको बताओ अपना परिची दो
01:47मेरा परिची तो मेरा परिवार ही है
01:51पहले माई का था, अब ससुराल होगा
01:54कितनी अच्छी वादे करती हैं ये
01:57मैं खामखा सभी लड़कियों को गलत समझ रहा था
02:00मन मोहन बड़ा शांस वबाव का था
02:04उसे मीता पसंद आ जाती है
02:05मीता के साथ ही उसकी नटखट सी सहली प्रीता भी खड़ी थी
02:09जिस पर से मनोज की नजरे हटी नहीं रही थी
02:13था कुर्जी की रहमत देखो
02:17लगता है आज दो-दो बहुआई यहीं से लेकर जाएंगे
02:21मीता और प्रीता की शादी मन मोहन और मनोज सी हो जाती है
02:25और दोनों सहलियां बहुआ बनकर रमा निवास में आ जाती है
02:30सुबह सुबह
02:31अरे प्रीता तुझे तो नौ बज़े उटने की आदत है ना
02:35अभी क्यों उट गई? मैं हूँ ना तुझा मैं नाश्ता बनाती हूँ
02:38तू क्या खाएगी?
02:39मीता नाश्ता बनाती है और प्रीता घर की साफ सफाईकर रमा के पैरों में तेल लगाती है
02:53कौन कहता है देवरानी जिठानी में कलह होता है?
02:58मेरे घर आए घर नहीं स्वर्ग बना दिया तुम दोनों ने
03:02सबी नाश्ति के लिए बैखते हैं
03:05इतनी मिर्ची, ये नाश्ता किसने बनाया है, पूरा मुई ही जल गया मेरा
03:11गलती हो गई भईया, मुझसे ही मिर्ची ज्यादा गिर गई
03:15वनना मीता तो मिर्ची खाती ही नहीं
03:18दोनों बहों के बीच ऐसा प्यार देख कर रमा कान की तो आँख ये भर जाती है
03:23दोनों मिल जुल कर रहती, काम भी बांट कर करती
03:27घर में कभी ऐसा लगता ही नहीं कि देवरानी जचानिया रहती है
03:31दोनों बहनों की तरह रहती थी
03:33फिर एक दिन प्रीता को उल्टिया होने लगी और उसे पता चला कि वो मा बनने वाली है
03:38मीता, मैं मा बनने वाली हूँ
03:42आज भगवान ने सारी खुशिया मेरी जोली में डाल दी
03:46हाँ, तुम आराम करो
03:49अपनी देवरानी के मा बनने की खुशी मीता को खटक जाती है
03:54घर में बड़ी बहु के होते हुए भी घर को वारिश छोटी बहु देने वाली थी
04:00मीता का मन खटा हो चुका था
04:02पर किसी को इसकी खबर लगती उसके पहले ही
04:05मीता को पता चलता है कि वो भी मा बनने वाली है
04:08और कुछ दिनों में दोनों एक-एक बेटे को जन्म देती है
04:12खाना भी मैं बनाओ, बच्चे को भी मैं संभालू
04:16समने सर पर चड़ा रखा है प्रीता को
04:18अरे बच्चो तो मुझी भी हुआ है
04:22मुझी भी तो संभालना होगा न अपने बच्ची को
04:24अरे तुम्हारा बच्चा तो साल भर का हुने आया
04:27मेरा तो अभी पैदा हुआ है
04:29चालिस दिन तो ऐसे मैं दुश्मन भी बख्ष देते है
04:32देख लीजिए मा जी, मेरे बच्ची के दिन गिन रही है
04:36कितनी गिर गई हो तुम मीता
04:38अरे अब बहुत हुआ, तुम दोनों भी हद कर रही हो
04:42मैं हूँ, तुम्हारे ससूर जी है
04:44हम देख लेंगे बच्चों को
04:46तुम लोगों को जो मर्जी करो
04:48पर घर का माहौल मत बिगाड़ो
04:50बच्चे अब स्कूल जाने लायक हो जाते हैं
04:54सभी मिलकर ये तैय करते हैं
04:55कि मीता रसुई संभालेगी
04:57और प्रीता बच्चों और सास ससुर को
04:59एक दिन खेल-खेल में संजू मोनो को मार देता है
05:03रसुई से भागते हुए मीता आकर देखती है
05:11कि मोनो जोर-जोर से रो रहा है
05:13बिना कुछ सोचे समझे मीता संजू को एक थपड मार देती है
05:18आपकी इतनी हिमत मेरे बेटे पर हाथ उठाया
05:21दोनों की चीक पुका से पूरा घर हॉल में जमा हो जाता है
05:26बात हुआ, अब मुझे इस घर में नहीं रहना
05:30आज ये औरत मेरे बेटे को मार रही थी
05:33कलकु मैं ना रही तो पता नहीं मेरे बच्चे को दो ये बेच डाले
05:36माप कहती थी ना घर बसाओ
05:41आखिर वही हुआ ना जिसका डर था
05:43अब क्या करेंगे हम
05:45आज से ठीक एक महिने बाद घर का बटवारा हो जाएगा
05:50पड़ता अब तक प्रीता रसोई और मीता घर और बच्चों को देखेगी
05:55रसोई और राशन की जिसे जरा भी समझना थी
05:59उस प्रीता को रसोई में नाश्ता बनाने जाना पड़ा
06:03ये मीता कैसे खाना बना लेती है
06:06अब घर में इतने लोग सब की लिए अलग-अलग खाना
06:10ये भगमान
06:11और इधर साथ बजे तक उठ जाने वाली मीता को आज चार बजे उठना पड़ा
06:17ये प्रीता तो पहले नाव बजे उठती थी
06:20बच्चों को स्कूल बेजने के लिए
06:22इतने सुबह कैसे उठती होगी वो
06:24प्रीता जैसे तैसे बच्चों का टिफिन मनाती है
06:27मीता उन्हें तयार करके स्कूल बेजती है
06:30ये सब रमा देख रही थी, नाश्टे के वक्त
06:33दोपेर को मीता बच्चों को लाने स्कुल जाती है
06:46इतनी धूप में प्रीता बच्चों को कैसे लियाती है, मेरा तो शरीर जल गया
06:52घर लाने के बाद वो दोनों को खाना खिलाने की कोशिश करती है, पर दोनों इधर-उधर भागते ही रहते हैं
06:59और इसी में मोहन की पैर से उलज कर संजु गिर जाता है
07:02दोनों बच्चों की रोने की आवाज सुनकर सब भागती हुए वहां आते हैं
07:07लगता है एक मैना नहीं, एक दिन मैं ही बटवारा करना पड़ेगा
07:12नहीं नहीं माजी, मैं सब समझ गई हूँ
07:16और मैं भी माजी
07:18हम दोनों से गलती हो गई
07:20बच्चों के मौ में हम इतने अंधे हो गए
07:23कि छोटी-छोटी बातों में लड़ने जगरने लगे
07:26बर माजी, अब प्रामिस करते हैं
07:29कि अब से ऐसा नहीं होगा
07:30दोनों को अपनी गलती का ऐसास हो जाता है
07:34और रमा निवास पहली की तरह खुशाल हो जाता है
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