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  • 46 minutes ago

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00:00नींद में बोलने वाली बहू
00:01उस चाय वाली आंटी को तो मैं छोड़ोंगी नहीं
00:05बारा रुपे की चाय में उस दे एक इलाईची का दालना तक नहीं डाला
00:10अब देखो कल मैं उसका क्या हाल करती हूँ
00:12चितना की आवाज सुनकर उसकी माता पिता वहां आ जाते हैं
00:30कुछ याद भी नहीं रहता
00:31यही तो दिक्कत है
00:33कल को इसे पराए घर जाना है
00:35वहां पर भी अगर इसने ऐसे ही नींद में अपनी सास की बुराई शुरू कर दी
00:40तब क्या होगा
00:41खुद तो भूल जाएगी
00:43लेकिन वो लोग तो नहीं भूलेंगे ना
00:46तो इसमें गलत क्या है
00:48वैसे भी हमारी बेटी
00:50नींद में सची तो बोलती है
00:52आप अभी ना ये सब हलके में ले रहे हैं
00:57कल जब इसके ससराल वाले
00:58इसे नींद में बोलने की वज़े से
01:00घर से निकाल देंगे ना
01:02तब बैढ़ कर पश्टाते रहना
01:04अब हम इसमें कर भी क्या सकते हैं
01:07सबी डॉक्टर्स ने तो अपने हाथ खड़े कर दिये
01:10ऐसे ही दिन गुजरते जाते हैं
01:13चेतना के माता पिता
01:14उसकी नींद में बोलने की बिमारी से
01:16परिशान रहते हैं
01:18तबी एक दिन चेतना को देखने
01:20अनमोल नाम का एक लड़का
01:22अपने माता पिता की साथ आता है
01:23बहन जी
01:25हमें तो आपकी लड़की बहुत पसंद है
01:28हमने तो अभी से इसे
01:29अपनी बहु मान लिया है
01:31अब बस आप ये बताईए
01:36कि शादी कब करनी है
01:37हम तो इसे बहु बना कर ले जाने के लिए
01:39बेचेन हुए जा रहे है
01:40हमें भी आपका लड़का बहुत पसंद है
01:44अब जब आपको हो
01:46हम इनकी शादी करवा देंगी
01:48अगर आप लोगों को अतराज ना हो तो
01:52एक हफते बाद ही शादी का शुभ योग है
01:54क्यों ना हम तब इन दोनों की शादी करा दे
01:57हाँ क्यों नहीं
02:00हमें इसमें कोई अतराज नहीं है
02:02देखते ही देखते
02:03चेतना और अनमुल की शादी हो जाती है
02:06अपनी नेंद में बोलने वाली बीमारी से अंजान चेतना
02:10शादी से बहत खुश होती है
02:12ससुराल में पहले दिन ही वो अपने व्यावार से सब का दिल जीत लेती है
02:17बहु तेरे माई के वालों ने तुझे क्या-क्या सामान दिया है बताना तो
02:25मम्मी पापा ने मुझे दो-चार साड़ियां और कुछ गैने दिये है
02:30बहु एक काम कर वो असामना तुम मुझे दे दे वो क्या है ना मैं उन्हें अपनी तिजोरे में रख दूँगी तुझसे कहीं इधर उधर हो गए तो
02:40चेतना अपनी सास के इरादों को समझ जाती है लेकिन वो कुछ ना बोलकर गहने देना ही उचित समझती है
02:48ये लीजी ममी जी माई के से मुझे यही सब मिला है
02:52अच्छा किया बहु जो तुने मुझे यह सब साब दिया अब सुन ये सब तू अपने माई के वालों को मत बताना घर की बात तो घर में ही रहनी चाहिए ना
03:02जी मम्मी जी, आप चिंता मत कीजिए, मैं उन्हें कुछ नहीं बताऊंगी
03:06चल, अब तु अपने कमरे में जा कर सो, हाँ बिता
03:11सास की बात मान कर बविता अपने कमरे में चली जाती है
03:15रात में अनमोल और चेतना साथ में ही सोये होते हैं
03:20इतने में चेतना फिर से नेंद में बोलना शुरू कर देती है
03:23और इस बार वो किसी और की नहीं बलकि अपनी सास की ही बुराईयां शुरू कर देती है
03:29मेरी लालची सास ने मेरे सारे गयने ले लिये
03:33माँ पापा ने किते प्यार से मुझे वो सब दिया था
03:36मेरे सास इतनी लालची होगी इसका तो मुझे अंदाजा ही नहीं था
03:41चेतना की आवाज सुनकर अनमोल की नेन खुल जाती है
03:44वो बिस्दर से उठकर चेतना की तरफ देखता है
03:47ये चेतना नेन में क्या बोले जा रही है
03:51मेरे माय के से इतना दहज मिलने के बाद भी
03:54उस खुसर बुढ़िया का पेट नहीं बरा
03:57मेरे साडिया, मेरे गैने, सब उस चुड़ैल बुढ़ियाने हडप लिए
04:01अनमोल ये सब सुनकर हक्का बक्का रह जाता है
04:05वो चेतना को जोर-जोर से आवाज देकर हिलाने लगता है
04:08अनमोल चेतना को उठाने की भरपूर कोशिश करता है
04:17लेकिन उठना तो दूर, चेतना टस से मस तक नहीं होती
04:21अंत में ठक हार कर वो अपने दोनों कानों में रूई डाल कर सुजाता है
04:25और अपनी नेंद में बोलने की आदत से अंजान चेतना
04:29बेफिक्र होकर पूरी राद बर बोलती रहती है
04:32अगले दिन सुबह
04:34मम्मी जी, आज मेरी पहली रसोई है, खाने में क्या बनाओ?
04:39अरे जो तेरा मन हो, कच भी बना दे अच्छा सा
04:42बस अनमोल कहा है, उठानी अभी तक
04:45नई मम्मी जी, वो तो ऐसे घोड़े बेच कर सो रहे हैं, जिसे राद बर सोई ही ना हो
04:51इतना कहकर चेतना रसोई में खाना बनाने के लिए चली जाती है
04:56थोड़ी दिर में अनमोल भी उचकर बाहर आ जाता है
04:59अरे क्या हुआ अनमोल, इतनी देर तक तो तो कभी सोया नहीं
05:04फिर आज कैसे इतनी देर तक सोता रहे गया
05:07अब क्या बताऊ मा, पूरी राज चेतना ने सोने ही नहीं दिया
05:12वो राद भर
05:14इससे आगे कि अनमोल कुछ कहता, उससे पहले ही दुश्यन बूल उठता है
05:20ये सब बाते कौन बताता है नलायक
05:23अरे पापा पहले मेरी पूरी बात तो सुन लो
05:26आप जिससे अपने बहु बना कर घर लाये हो न
05:29वो कर पूरी राद नेंद में आप लोगों को गालिया दे रही थी
05:33गालिया? लेकिन क्यों?
05:36अरे वो सब तो आप मा से ही पूछो
05:37इन्होंने बेचारी के सारे गहने जो ले लिये थे
05:40तो नेंद में वो गाली ही देगी ना इन्हें
05:43अब काम भी तो ऐसा ही किया है इन्होंने
05:45हाँ? अरे तो मैंने कौन सा पहु से जबरतस्ती गहने मागे थे?
05:51अरे वो तो मैंने सोचा कि जब मैं अपने गहने ती जोरी में संभाल रही हूँ
05:56तो पहु से भी पूछ लेती हूँ
05:57बविता की बात अभी पूरी ही हुई थी कि तभी वहाँ चेतना सभी के लिए खीर लेकर आ जाती है
06:03ये लीजी मम्मी जी मैंने आप सब के लिए खीर बनाई है
06:07वाँ चेतना ये सही है कभी शोला तो कभी शबनम
06:12क्या मतलब?
06:14मतलब ये कि कल रात भर तो तुम मम्मी को गालिया दे रही थी
06:18कोस रही थी
06:19और अब ऐसे खीर खिला रही हो
06:21जैसा तुम इनसे कितना प्यार करती होगी?
06:25ये अब क्या कह रहे हैं? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा
06:27मेरा बेटा बोल रहा है कि कल पूरी रात
06:31तुम मुझे गालिया दे रही थी
06:33क्या ये सच है बहू?
06:35ममी जी भला मैं आपको गालिया क्यों दूँगी?
06:39ऐसा तुम्हे सपने में भी नहीं सोच सकती
06:41सपने में ही कल तुम पूरी रात मा को गालिया दिये जा रही थी
06:46कभी खुशर तो कभी चुड़यल बुढिया बोल रही थी मेरी मा
06:49क्या बहू?
06:51तुझे मैं चुड़यल दिखाय देती हूँ
06:53अर किस एंगल से मैं तुझे बुढिया दिखाय दे रही हूँ
06:56जरा बताना तो
06:57ममी जी मेरा यकीन कीजिए
07:00मुझे कुछ याद नहीं है
07:02इतने में चेतना रोने लग जाती है
07:05चेतना को रोता देख सभी उसे माफ करतेते हैं
07:08और हसी खुशी बैट कर उसके हाथ की खीर खाने लगते हैं
07:12रात में
07:12सबके पती देवता होते है
07:15लेकिन मेरा पती देवता नहीं राक्षस है राक्षस
07:18मन तो करता है उन्हें कच्चा जबा जाओ
07:21जेतना की खुसुर पुसुर की आवाज सुनकर
07:24अनमोल फिर से उठ जाता है
07:26और उसकी बाते सुनकर डर से कापने लगता है
07:29ये जेतना क्या बोड़ रही है
07:32अभी मुझे एक दिन नहीं हुआ यहाँ आए
07:35और उस चिरकुट ने मम्मे जी से मेरी चुगली कर दी
07:38ऐसे पती तो भगवान दुश्मन को भी ना दे
07:41जैसाब मुझे दिया है
07:42मन तो कर रहा था उनकी खीर में चीनी की जग़े जहर मिला दू
07:46जेतना के बात उसे अनमोल के पसी ने चुटने लगते है
07:50उसे कुछ समझ में नहीं आता कि अब वो क्या करे
07:53वो चूप चाप बिस्दर की दूसरी साइड चदर से मुझ ड़क कर सो जाता है
07:58अगले दिन
07:58बहु यह अनमोल को आजकल क्या हो गया है
08:02सुबह के दस बच चुक है लेकिन ये लड़का अभी तक उठा नहीं
08:06सरूर मेरे खिलाव कोई नई कहानी सोच रहे होंगे
08:09आप उनकी टेंशन छोड़ दीजे पापाजी
08:12मैं आपके लिए गर्मा गर्म चाय बना कर लाती हूँ
08:16इतना कहकर चेतना रसुए में जा रही होती है कि तबही वहाँ अनमोल आजाता है
08:20चेतना को देखते ही अनमोल थर-थर कांपने लगता है
08:24इससे पहले कि चेतना कुछ समझ पाती अनमोल जठ से
08:28उससे दो हाथ की दूरी पर खड़ा हो जाता है
08:30अभी नहीं क्या हो गया?
08:33खेर, मुझी क्या?
08:35चीतना उसे नजर अंदास करते हुए रसुई की ओर चली जाती है
08:38क्यों बिनालायक?
08:40शादी क्या हो गई? इस घर का नियम भूल गया क्या?
08:44दास बचे सोकर कौन उठता है?
08:46आपको बता कर क्या फाइदा है?
08:48मेरी बात पर तो आपको यकिन होगा नहीं
08:50दूशिंद कुछ कहता इससे पहले ही चेतना सब के लिए चाई बना कर लिया आती है
08:55मुझे नहीं पिनी चाई
08:57वैसे तो रोज सुबह उटकर तू चाई मांगा करता था
09:01फिर आप क्या हो गया तुझे?
09:02मां मुझे इसके हाथ की चाई नहीं पिनी
09:06क्यों? क्या मैंने इसमें आपके लिए जहर मिलाया है?
09:10तुम्हारा भरोसा नहीं है
09:11क्या पता जहर ही मिलाया हो मेरी चाई में?
09:14अनमुल की बातों से चेतना को फिर बुरा लग जाता है
09:17वो रोते हुए वहाँ से चली जाती है
09:19ये क्या है अनमुल?
09:21चेतना बीवी है तुम्हारी
09:23वो तुम्हें जहर क्यों देगी भला?
09:25अरे पापा कल वो नीन में यहीं सब बोल रही थी
09:28उसका क्या भरोसा?
09:30कल बोल रही थी?
09:31आज सच में जहर दे देती तो?
09:33अनमुल की बाते सुनकर बबीता आग बुबुला हो जाती है
09:37और तुरंट चेतना के माई के वालों को फोन लगा देती है
09:40नमशकार बेहन जी
09:42नमशकार बबीता जी सब ठीक है ना?
09:46अब हम आपको क्या बताएं?
09:48जब से आपकी बेटी इस घर में आई है
09:50तब से कभी नीन में मुझे चुडायल बोलती है
09:53तो कभी बुडिया और हद तो तब हो गई
09:56जब आज उसने मेरे बेटे को भला बुरा बोला
09:58आपने अपनी बेटी की नीन में बोलने की बिमारी के बारे में
10:02हमें पहले क्यों नहीं बताया?
10:04देखे वेहन जी
10:05आप उसकी बातों का फ्लीज बुरा मत मानिये
10:08वो नादान है
10:10और फिर उसे ना अपनी सादत की बारे में पता तक नहीं है
10:13दरसल दिन भर में उसे जिन बातों का बुरा लगता है न
10:18वो सिर्फ उनी बातों को सपनों में दौराती है
10:21और फिर सुबह तक तो सब भूल भी जाती है
10:24तो आप ये कहना चाती हैं
10:27कि हम उसे खुश नहीं रखते हैं
10:29नहीं नहीं मेरे कहने का वो मतलम नहीं था
10:32आप बस उसे एक बार समझने की कोशिश कीजी
10:35वो कभी किसी को पलट कर जवाब नहीं देती न
10:38इसलिए जब कोई बात उसके दिल में चुब जाती है
10:41तो वो उसे नीन में बढ़ बढ़ाती रहती है
10:43मीनाक्षी की बाते सुनकर बभीता सोच में पढ़ जाती है
10:47और फोन रख देती है
10:49कुछ समय बाद घर की नई बभु को देखने पास ही रहने वाले पडोस की कुछ लोग आती है
10:55बभीता तेरी बभु तो बहुत संदर है
10:59अहां से मिली तुझे इतनी संदर बभु
11:01अब इसे तो तुम लोग मेरी फूटी किसमती समझ लो
11:06कि भगवान ने इसे मेरे पले बाद दिया
11:08क्यों पभीता तुखुश नहीं है क्या अपने बभु से
11:12अब खुश रहने के अलावा कोई और आप्शन भी है क्या
11:16ये तिरे गले में हार तो बड़ा संदर लोग रहा है
11:21बभु के माईके वालों ने दिया है क्या
11:23अरा नहीं ये तो मेरा है
11:25बहु अपने माईके से तो बहुत सस्ती चीज़े लाई है
11:29मुझे तो उन्हें पहनने में भी शर्म आ रही है
11:32और इसके माईके वालों को देने में भी शर्म नहीं आई
11:35बभीता की ये बाते सुनकर चेतना की आँखे भराती है
11:39होटों को दबाते हुए वो अपने आसु रोकनी की कोशिश करती है
11:43और जब उसमें काम्याब नहीं होती तो भागते हुए अपने रूम में चली जाती है और फूट-फूट कर रोने लगती है
11:49मा, आपको इतना कुछ नहीं बोलना चाहिए था
11:53बेटा, मैं चाहती थी कि वो खाड़े होकर बोले जिससे उसे फिर कभी नींद में बोलने की ज़रूरत ही ना पड़े
12:00लेकिन सब उल्टा हो गया
12:03रात में दुशंत और बबिता भी चेतना और अनमोल के रूम में आ जाते हैं
12:08जहां वो चेतना को नींद में बढ़ बढ़ाती हुए देखते हैं
12:11मम्मे जी आज आपने बिल्कुल अच्छा नहीं किया
12:15सबके सामने मेरे परिवार वालों का मजाग उड़ा है
12:18मुझे उनकी बाते सुनकर आज बहुत चूड लगी है
12:22देखा मा, चेतना को कितना बुरा लगा है
12:25मिनाक्षी जी सही बोल रही थी
12:29चेतना कभी बड़ों का अनादर नहीं करती
12:32उन्हें पलट कर जवाब नहीं देती
12:34लेकिन जिन चीजों से उसे ठेस पहुँचती है
12:37वो उसे निंद में बोलती है
12:38गल्ती हमारी है, हम बहु को समझ ना सके, जिसे हम लोग बिमारी का नाम दे रहे थे वो बिमारी नहीं, इसके दिल के आसू थे
12:48सच में पापा, हमने इस समझने में बहुत बड़ी गल्ती कर दी
12:52यहां कोई भी अच्छा नहीं है, कोई भी मुझसे प्यार नहीं करता, सब मुझे टूकते हैं, अनमोल जी भी मुझसे दूर भागते हैं
13:01आप कहा हो माम डैड, मुझे यहां से ले जाएए, मुझे नहीं रह नहीं यहां
13:07चीतना के दर्द बरी बाते सुनकर सभी की आँखों में आसु आ जाते हैं
13:12बेरी बहु जैसी भी है, मुझे स्विकार है
13:16मुझे भी ममी, इससे सारा दर्द अपने सीने में छुपा कर रखा, लेकिन किसी से एक शब्द नहीं का
13:23इससे अच्छी पत्नी मुझे कोई और मिल ही नहीं सकती
13:27चलो बहुत रात हो गई है, अब तुम लोग भी सो जाओ और बहु को भी सोने दो
13:32अगले दिन सुबह जब चेतना उठती है, तो सब लोग उससे बहत प्यार से बात करते हैं
13:38उसे अपनापन महसुस कराते हैं, और अब तो उसका पती भी उससे दूर नहीं भागता
13:43एक रात में अचानक सब का बदला व्यवार जेतना को बहत पसंद आता है, अब वो हसी, खुशी सब के साथ रहती है
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