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  • 4 weeks ago

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Transcript
00:00नीलापूर नामक एक सुन्दर गाउं में आकाश उसकी माँ बनचा के साथ रहता था
00:06वो सबजिया होगा के उनको बेच कर आए हुए पैसो से उसकी माँ का अच्छा देखबाल करता था
00:15एक दिन जब वो सबजियों को बेचने के लिए गाउं जाता है तब सबजिया सबजिया ताजा ताजा सबजिया आईए बाबू आईए
00:25ऐसी उसकी पुकार सुनकर सभी उसके पास आकर सबजिया खरीदते हैं
00:31इतने में एक औरत
00:32आरे आकाश तुम्हारे पास सबजिया कितनी ताजा होती है
00:37और वो भी इतने कमदाम में
00:39वा भाई वा
00:41आरे दीदी आकाश इन सबजियों को खुद से उगाता है
00:45और इतना ही नहीं वो आए हुए इन पैसों से उसकी मा का बहुत अच्छा देखबाल भी करता है
00:51ये बहुत अच्छा आदमी है आकाश मुझे एक किलो टमाटर चाहिए
00:57जी मेम साब ऐसे ही गाव में सब ही लोग उसके बारे में बहुत अच्छा बात करते थे
01:03और इसकी अच्छाई के बारे में बहुत उचा सोचते थे
01:07ऐसे ही सबसी बेचते हुए वो पडोसी गाव में जाता है और जाते ही वहाँ एक बड़े घर के पास रुपता है
01:15लगता है कि इस गाव में सबसे बड़ा घर यही है
01:19इस घर में जरूर बहुत सारा पैसा और सोना मिलेगा
01:23इस गाउ में मैं इसी घर से चोरी करना शुरू करूँगा
01:28आज रात जब सबी सो जाएंगे इस घर को आके मैं चोरी करूँगा
01:33हाँ
01:34ये सोचकर वो वहाँ से चले जाता है
01:37उसके योजना के अनुसार ही उस रात को वो उस पडोसी गाउ के बड़े घर में चोरी करने जाता है
01:44हाँ
01:46लगता है कि आजुबाजुके सारे लोग सो गए हैं
01:50ये ही अच्छा मौका है इस घर में गुसने का
01:52ये सोचकर वो उस घर में गुसके पूरा पैसा और सोना वहाँ से चोरी करके निकल जाता है
01:58घर पहुचते ही अपनी मा को सोते हुए देख वो चुप चाप एक और कमरे में चले जाता है
02:05हाँ
02:06बहुत दिनों से मैं सुबे में तासा सबजियों को बेच कर रात के समय में इसे चोरी कर रहा हूँ
02:14लेकिन आज मैं और भी पैसे लाया हूँ
02:17एक बार मुझे इखटा किये हुए इन सारे पैसे और सोने को देखना होगा
02:22ये फैस्वा करके वो उसके कमरे में इखटा किये हुए सारे पैसे, गहनी और सोना को निकल कर एक जगा पे रख देता है
02:31बापरी, मैंने क्या इतने पैसे और सोना चोरी किया है? ऐसे वो चौंक जाता है
02:38इतना सारा पैसा और सोना मैं घर पे लगाऊंगा तो मुसीबत आजाएगी
02:43मुझे जल से जल इसे कही छुपा देना होगा
02:47लेकिन मैं इसे भला कहां छुपा पाऊंगा? इस सोच में पढ़ जाता है
02:52हाँ, अगर मैं इस सब पैसे को एक ऐसे जगह पे छुपाऊंगा
02:58जहां कोई लोग नहीं आ पाएंगे, तो?
03:02यानि जमीन के उपर नहीं, बलकि जमीन के नीचे
03:06एक घर बनाके अगर मैं सारे पैसे और गहनी और सोने को छुपाऊंगा
03:12तो कोई भी नहीं आएगा वहाँ, और किसी को कभी भी पता नहीं चलेगा
03:17ऐसे वो उसके फैसले के मताबिक ही, जमीन के नीचे एक घर बनाता है
03:22और उसमें इस सारे सोने, पैसे और गहनों को छुपा देता है
03:28हाई भगवान, अच्छा हुआ कि मैंने ये सब कर दिया
03:32अब इस जगे में कोई भी नहीं आ पाएगा
03:35और तो और चोरी के सारे पैसों को यही चुपा पाऊंगा
03:39और जब मन चाहे मैं यहां आके आराम कर पाऊंगा
03:43तब वो उस घर से बाहर आके जमीन के उपर पहुँचता है
03:48और उस रस्ते को ऐसे छुपा देता है कि किसी और को शक भी ना आए
03:53और तब वहां से खुशी खुशी चले जाता है
03:56ऐसे ही वो हर रोज हमेशा की तरह सुबह के समय में सबजिया उगाके
04:01उन्हें बेच कर अपने मा के साथ रहते हुए रात के समय में चूरी करके
04:06उस सारे पैसे को उसके नए घर में चुपा देता था
04:10ऐसे बहुत दिन बेच जाते हैं
04:13एक दिन सुबह सबजिया बेचते हुए आकाशे घर के पास रुपता है
04:18आज रात मुझे इस घर में चूरी करना होगा
04:23वहाँ से जाते वक्त वो रस्ते में एक मांस की दुकान को देखता है
04:29अर्य यार मांस को देखते ही खाने का मन कर रहा है
04:35मांस खाके बहुत दिन हो चुके हैं
04:38लेकिन अब अगर मैं यहां से मांस लेकर अपने घर जाओंगा
04:42तो बना कर खाने में बहुत देर लग जाएगा
04:45और रात के समय में मैं चोरी करने नहीं जा पाऊंगा
04:48अब मैं क्या करूँ?
04:51ऐसे सोच में पढ़ जाता है
04:53अरी हाँ, यहां से तो मेरा नया घर पास है
04:57अगर वहां जाकर मैं खाना पका के खालूँगा
05:01तो मांस का मजा भी आ जाएगा
05:03और साथ में थोड़ा आराम भी मिल जाएगा
05:06और वही से रात में चोरी करने भी जा सकता हूँ
05:10यह फैसला करके वो मांस के दुकान जाकर
05:13मांस को खरीद के उसकी सबजी के बंडी पे लगा देता है
05:18वहां से वो उसके नये घर के पास जाता है
05:21उसकी बंडी को जमीन पे छोड़के
05:24वो मांस लेकर उसके घर के अंदर चले जाता है
05:28इतने में निरुपम नामक एक आदमी उसके गाए के साथ उस तरफ आता है
05:34उसके गाए को घास किलाने के लिए वो उन्हें ऐसे जगल ले आता है जा कोई नहीं होता है
05:40पर वहां आकाश की बंडी को देख वो चौंग जाता है
05:44अरे ये क्या आकाश की बंडी तो यहां है पर वो कहीं नहीं दिख रहा
05:50शायद बंडी को कुछ हो गया होगा इसलिए वो उसे यहां छोड़कर उसके घर चला गया होगा
05:57ये सोचते हुए वो उसकी अंगूटी से खेलते रहता है और अचानक वो अंगूटी जमीन के छेड में गिर जाती है
06:06अरे बापरी मेरा सोने का अंगूटी अरे ये गिर गया अब मैं इसको कैसे वापस लाओं
06:13उस अंगूटी को वापस लाने के लिए वो उस छेद में से देखने लगता है
06:18इतनी में उसको उस छेद से मांस का सुगंद आने लगता है
06:23हाँ, चुहे के छेद में से मांस की सुगंद क्यों आ रही है?
06:29यहा तो इनसान भी नहीं रहते हैं
06:31अच्छा जो भी हो, कुछ भी करके मुझे अपना अंगूटी वापस लेना होगा
06:35ऐसे जब वो उस अंगूटी को ढून रहा था
06:38तब उसे एक जगा पे घास के बेना रेथ ही दिखाए देता है
06:43यहाँ घास क्यों नहीं है?
06:46और ये रेथ गहरा भी नहीं है
06:48कि सोचते हुए, वो वहाँ थोड़ा खोदने लगता है
06:52इतने में उसे वहाँ एक दर्वाजा दिखाई देती है
06:55समीन पे दर्वाजा क्यों है?
06:59तब वो उस दर्वाजे को उपर के दिशा में खोलता है
07:02वहाँ सीडियों को देख, वो आश्चर चकत हो जाता है
07:06यहाँ सीडिया क्यों है?
07:10पर अगर मैं इस रास्ते से नीचे जाऊंगा
07:12तो शायद मुझे अपना अंगोटी मिल जाएगे
07:15जब वो सीडियों से नीचे पहुँचता है
07:17तो वहाँ सोना, चांदी, गहने, मोती, पैसे देख, वो चौंक चाता है
07:24बाप रे बाप, इतना सारा पैसा और सोना, यह सब यहाँ क्यों है?
07:31ऐसे सोचते ही रहता है कि इतने में उसे आकाश खाना पकाते हुए दिख जाता है
07:37ओहो, तो यहाँ से आ रही थी मांस की खुश्बू
07:42दिन के समय में गाउं में सबजी बेचते हुए और सबसे अच्छा रहते हुए इसने जो नकल डाला है वो बहुत गलत है
07:52मुझे जल से जल सब के सामने इसका नकल उतारना होगा
07:56तब निरुपम तुरंत वहाँ से चले जाता है
08:00गाउं जाकर वहाँ के सारे लोगों को आकाश की सच्चाई के बारे में बताकर उन सब को उस घर की ओर ले आता है
08:07जमीन के नीचे निर्मित किये हुए घर में सोना, चांदी, गहने, मोती और उतना सारा पैसा देख गाउं वाले दंग रह जाते हैं
08:19आहाहा, मेरा मन पसंद मांस का खाना अब बन गया है, बस इसे खाने की देरी है
08:26ये कहकर आकाश खाने लगता है, इतने में
08:31बापरी, इतना सारा पैसा मैंने अब तक नहीं देखा
08:35हाँ, ये क्या, घर में तो मैं अकेल्या हूँ, तो ये आवास कहां से आ रही है
08:41ये सोचते हुए आकाश पीछे मुर्ता है
08:45वहाँ सारे गावलों को देख दंग रह जाता है
08:48अरे बापरे, सारे गावले यहां क्या कर रहे हैं
08:53इस सब पैसे को सूने को देख
08:55वो नचाने क्या सोचेंगे
08:57उनके सवालों का मैं क्या जवाब दूँ
09:00आकाश तुम तो सबजियां बेचते हो ना इतना सारा पैसा तुम्हारे पास कैसे आया
09:07सच सच बताओ वरना तुम्हें पोलीस के हवाले कर देंगे हम
09:11बेवजा मांस को खाने की लालच में मैं यहां आ गया
09:16वरना ये लोग यहां नहीं आते और इन्हें मेरा सच्चा ही पता नहीं चलता
09:21अब अगर मैं उनको सच नहीं बताओंगा तो ये लोग मुझे जेल में डलवा देंगे
09:27उससे यहीं बेतर है कि इन्हें सच बता दूँ और फिर माफी मांगो
09:32मुझे माफ कर दीजी, मैंने ये सब चोरी किया है
09:36और मैंने जिस जिस से एक जो भी लिया है उन्हें वापस लोटा दूगा
09:42मुझे कृप्या पुलिस के हवाले मत कीजी
09:45ऐसे कहकर वो गाउवालों से माफी मांगता है
09:49ठीक है ठीक है इस बार के लिए हम तुम्हें माफ कर देंगे लेकिन अगली बार ऐसा कुछ किया तुमने तो तुम्हें जरूर पौरिस के हवाले कर देंगे
09:59कम से कम अब इमानदारी से जीना सीख लो
10:02गावालों के ऐसे कहने के बाद आकाश में बदलाव आता है
10:07उसे उसकी गल्ती का एसास होता है
10:09और वो तब से चोरी करना छोड़ देता है
10:13और इमानदारी से काम करने लगता है
10:15ऐसे वो भी खुश रहता है और बाकी सारे भी खुश रहते हैं
10:32झाल झाल
11:02झाल झाल
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