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  • 6 weeks ago

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00:00हिरा निपोर नामक गाउं में हमेशा हर्याली थी। हरी भरी खेत, फूलों की बाग, खने पेडु से भर कर दिखने में बहुत आकर्षित और सुन्दर था।
00:11उसी गाउं में अभिराम और उसकी पत्नी स्वपना, उसके माता यशोदा और उसका पिता राजया के साथ मिलकर एक घर में रहते थे।
00:21वो उसके गाउं से शहर तक गाड़ी चलाते हुए उसके परिवार का देख बाल करता था।
00:27एक दिन जब वो शहर में गाड़ी चला रहा था तो मास्क पहन के दो लोग उसके गाड़ी में बैखते हैं।
00:35यहां कोरोना वाइरस नामक एक भायानाक वाइरस है और वो एक आदमी से दूसरे को बहुत जल्दी फैल रहा है।
00:43इसी डर से सरकार ने बच्चों के पाटशाले से लेकर बड़ों के कार्याले तक सब को छुट्टी दे दिया है।
00:51हाँ हाँ मैंने भी सुना है जब तक ये वाइरस पूरी तरह से चले नहीं जाता है हमें भी हमारे गाउं में रहना होगा। यहां नहीं आना चाहिए।
01:01अभिराम जब तक उन आद्मियों को उनके घर चोड़ देता है बहुत देर हो जाती है और तब वो वहां से उसके घर चले जाता है।
01:11अगली सुबह वो अगबार में भी पड़ता है कि कोरोना वाइरस नामक एक भायानक वाइरस बहुत तेसी से फैल रहा है और घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं है और सभी को चितावनी देते हुए मास्क पहन के घर पे रहने के लिए सरकार कहती है।
01:29कोरोना वाइरस के बारे में ही शायद वो लोग कर गाड़ी में बात कर रहे थे। अगर घर से बाहर नहीं निकलेंगे तो मास्क पहने के कोई ज़रूरत नहीं होगी।
01:40ये फैसला करके वो गाड़ी चलाने भी शहर नहीं जाता है और घर पे ही रहने का फैसला करता है।
01:59दीने से एक को वाइरस होने के कारण उससे एक के बाद एक को ये वाइरस वैलता है इस डर्ग के कारण उस गाव में कोई भी उसके घर से बाहर नहीं निकलता है ठीक उसी समय में अभिराम के पिता का सेहत डिगड़ जाता है और उन्हें अभिराम डॉक्टर के पास ले जाता
02:29और उनको दवाईयां देते हैं और कहते हैं कि घर के सबी सदस्यों को मास्क पहनना बहुत जरूरी है।
02:37मास्क का पहना जरूरी होने के कारण दवाईयां खरीदने के बाद बचे हुए पैसों के साथ अभिराम मास्क खरीदने जाता है।
02:45उस सारी गाव में सिर्फ एक दुकान में मास्क मिलते हुए देख वो हैरान हो जाता है
02:51सारी गाव में सिर्फ एक दुकान मास्क पेच रहा है
02:55और क्योंकि मास्क पहनना बहुत जरूरी है मुझे पक्का खरीदना होगा
03:00इसलिए मास्ट खरीदने वो दुकानदा के पास जाकर पोचता है
03:05एक मास्ट का क्या दाम है?
03:08सिर्फ सो रुपे साब, कितने दू?
03:11क्या? एक मास्ट का दाम सो रुपे है?
03:15जी, इस पूरे गाउ में सिर्फ मेरे दुकान में मास्ट मिलेगा
03:19इसलिए मैं जितने में भेजता हूँ उतने में ही तुम्हें लेना होगा
03:23मैंने सोचा कि दवाया लेने के बाद बचे पैसों से मैं मास्क खरीद पाऊंगा
03:30लेकिन अब इन पैसों से सिर्फ एक मास्क खरीद पाऊंगा
03:33पर मास्क तो सबी को पहनना होगा
03:36अब मैं क्या करूँ ऐसे सोचते हुए वो मास खरीदे बिना उसके घर चले जाता है
03:43मुझे कोई काम करके पैसे कमाके घर वालों के लिए मास खरीदना होगा
03:50इसी सोच में पड़े हुए वो किसी से बात नहीं करता है
03:54और उसे ऐसे देख उसकी बीवी पूछती है
03:57मास खरीदने में दुकान गया आज
04:05और ऐसे वो अपनी बीवी को जो कुछ भी हुआ बताता है
04:10उसकी पती की बाते सुनकर वो सोच में पड़ जाती है
04:14आपको मास के बारे में सोचने की कोई जरूरत नहीं है
04:18अगर आप मेरे विचार के अनुसार करेंगे
04:21तो सब भी को मास का जाएगा
04:23क्या कह रही हो स्वपना
04:25मेरे पास मौजूद पैसों से सब भी को मास के से आएगा
04:29आप पहले मेरी बात मानकर कपड़ों की दुकान जाएगे
04:33और आपके पास बचे पैसों से
04:35एक सादा कपड़ा खरीद के ले आएए
04:37उसकी बीवी के कहे के अनुसार ही
04:41अभिरा में एक सादा कपड़ा खरीद के उसकी बीवी को देता है
04:44तब स्वपना उसके पास मौजूद पुराने कैंची से
04:49उस कपड़े को काटके
04:50घर में पड़े हुए एक पुराने मशीन को ठीक करके उस पे उसकती हुए कपड़े को सिला के सब के लिए मास बनाती है
04:58और बचे हुए कपड़े से कुछ और मास्क बना कर उसके पती को देती है
05:04उतने सारे मास्क को देख अभिराम आश्चर चकित रह जाता है
05:08अगर सौ रुपय में इतने मास्क बना सकते हैं तो दुकान में एक मास्का दाम सौ क्यों है
05:16और जो लोग एक मास्का सौ रुपय नहीं दे सकते हैं उनका क्या हाल होगा
05:22अब से मेरी तरह कोई मास्क ना खरीद पाने के कारण दुखी नहीं रहेगा
05:28ऐसे सोचने लगता है
05:30मैं वैसे भी कोई काम नहीं कर रहा हूँ
05:34मास्क के बिना कई लोग तुखी है
05:36और मास्क भी यहां महेंगी है
05:39इसलिए अपने ली बीवी से मास्क सिर्वा के
05:42यही इसी गाव में बेचना शुरू करूँगा
05:45और इतना ही नहीं कम दाम पे अगर मास्क बेचूंगा
05:48तो इस गाव के सारी लोग मुझसे ही खरीद पाएंगे
05:52और अपने अपने सिहत का ख्याल रब पाएंगे
05:55यह सोचकर उस बचे हुए मास्कों को गाव में बेचने लगता है
05:59मास्क मास्क सिर्फ 20 रुपए का एक मास्क है आईए आईए
06:04उसके ऐसे कम दाम में बेचने पर बहुत सारे लोग उसके पास मास्क खरीदने आते हैं
06:11आए हुए पैसो से वो और साधा कपड़ा खरीद कर उसके बीवी को सिलने के लिए देता है
06:17और उन मास्कों को बेचने लगता है
06:19ऐसे वो बहुत कम समय में खुद का एक दुकान लगाता है
06:23जल्द ही उसके नीचे काम करने के लिए लोगों को नौकरी पर लगाता है
06:28एक दिन जब अभिरा मास्क बेच रहा था तो उस गाउं के दुकान दार उसे देखता है
06:34एक समय में मेरे पास मास्क खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे इस आदमी के पास
06:40और अब इसने खुद से एक दुकान लगाया है
06:43कम दाम पे मास्क बेचने के कारण सब इसी के पास मास्क खरीदने आ रहे हैं
06:49और मेरे पास कोई नहीं
06:51कुछ भी करके इसे रोकना होगा वरना मेरा नुकसान हो जाएगा ये फैसला करके सोचने लगता है हाँ रात के समय में जब इसके दुकान में कोई नहीं रहेगा बहां के मास को तपड़े को और पैसों को चुरा लूँगा और तब देखूंगा कि ये मास कैसे बनाएगा हा�
07:21काम वाले जब दुकान खोलने आते हैं तो दुकान को खाली देख हैरान हो जाते हैं अरे बाप रे किसी ने यहां से हमारी चीजे चोरी कर लिया है अभिराम वो सब देख बहुत दुखी होता है तब एक आत्मी अभिराम तुम निराश मत हो मुझे तुम पर विश्वास है
07:51वो वापस उन्हें से लाता है और मास्क बनवाता है और उसे हमेशा की तरब बेशने लगता है ऐसे बहुत दिन बीच जाते हैं
08:00कुछ दिन बाद मास्क को बेच कर आए हुए पैसों को जमा करके अभिराम उस आदमी को लोटा देता है और हमेशा की तरब उसका व्यापार करते हुए खुश रहता है
08:11अभिराम को हमेशा की तरह व्यापार करते हुए देख वो दुकानदार चौंक जाता है
08:16वो इनसान मेहनत से काम करते हुए इमानदारी से उसका व्यापार चला रहा है
08:22इसलिए मेरी चोरी करने के बावजूद वो उसके दुकान को चला पा रहा है
08:27अगर मैंने उसके दुकान से चुराए हुए मासकों को अपने दुकान में बेचा
08:33तो लोगों को पता चल जाएगा कि मैंने ही चोरी किया है
08:36और उन मासकों का कोई उपयोग नहीं होगा
08:39इससे बेटर तो यही होगा कि मैं उस आदमे के पास जाकर उसे सच बता कर उसके सामान उसे लोटा दूँ
08:47तब ये मास्क बेकार में नहीं जाएंगे और अभिराम को भी समझाएगा कि मैं सुधर गया हूँ
08:53उसके फैसले के मुताबिक दुकांदार अभिराम के पास जाकर उसे सब सच बता देता है और उससे माफी मांगता है और तो और उसके मास्क भी लोटा देता है
09:05अबिराम उसके चुराई हुए मास्क को वापस पाकर बहुत खुश होता है
09:09और वो हमेशा की तरह मास्क बनाते हुए उन्हें कम दाम पे पेचते हुए अपने परिवार के साथ खुशी से जीता है
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