00:11रेशमा घर में तरह तरह के पकवान भी बना रही होती है
00:15इससे बीच रेश्मा की पड़ोसन उनके घर आती है और उसे कहती है
00:19क्यों रेश्मा? आज घर में बड़े पकवान बन रहे हैं
00:24कुछ खास है क्या आज?
00:26आज एकी दिन मेरी शादी हुई थी
00:28और आज मेरी शादी को पूरे दस साल हो चुके है
00:31अच्छा, शादी से याद आया
00:35रेश्मा क्या तुझे पता है?
00:38हमारे पास वाले ही एक गाव में
00:40सत्तर साल की एक बुड़िया औरत अपनी दूसरी शादी रचा रही है
00:44क्या? सत्तर साल की बुड़िया औरत की दूसरी शादी?
00:48अरे जिस उम्र में लोग पूजा पाट करते हैं
00:51वो बुड़ी औरत रंगरलिया मना रही है
00:54इतना ही नहीं, सुनने में तो ये भी आ रहा है
00:57कि उस बुड़ी औरत की दो बेटे, बहु और चार-चार पोते-पोतियां भी है
01:03तबा तबा, सच में जमाना बहुत खराब आ चुका है
01:07कोई शर्म लिहाज नाम की चीज तो बची ही नहीं इस दुनिया में
01:10हमारे परिवार के तो ऐसे संसकाम नहीं है
01:13रिश मा, जमाना बहुत आगे निकल गया है
01:17आज कल क्या बच्चे और क्या बुड़े
01:19सभी पर एक जैसी जवानी छा रही है
01:22हमारे लिए तो ऐसा सोचना भी पाथ है
01:25बसे कब है उस बुड़ी औरत की शादी?
01:30आपको कोई जान करी है क्या?
01:31मुझे क्या, फूरे गाओं वालों को पता है इस शादी के बारे में
01:35कल ही तो है
01:36आरे वाह, कल तो योगेश के पापा भी छुट्टी पर है
01:40एक काम करते हैं, हम भी चलते हैं इस बुड़ी औरत की शादी में
01:45आखिर देखे तो सही, कि कौन है वो बेशर्म बुड़ी औरत
01:49जो पोता पोती खिलाने की उमर में प्यार के फूल खिला रही है
01:53पड़ोसिन महां से चली जाती है
01:56जिसकी बाद रेश्मा सोच में पड़ जाती है
01:59शाम को जब रेश्मा का पती अमिद घर आता है
02:02तो वो रेश्मा को हैरान परिशान देख कर पूछता है
02:05क्या हुआ रेश्मा? अज बहुत परिशान सी लग रही हूँ
02:08कुछ खास नहीं
02:10एक बुड़िया औरत की बारे में सूच रही थी
02:12कौन सी बुड़िया औरत?
02:14रेश्मा अमिद के और देखती है
02:16और उससे बताती हुए कहती है
02:17हमारे पास वाले गाउं में ही एक बुड़ी औरत है
02:20जो अपनी उम्रे के आखरी पड़ाव में
02:23अब लव अफेर कर रही है
02:25और कल उसकी शादी भी है
02:27ताज़्चुब के बाद तो ये है
02:29कि उसके दो बहु बेटे
02:30और चार-चार पोते-पोतिया भी है
02:32फिर भी किसी ने उसे नहीं रोका
02:34अरे इतना भरा पूरा परिवार होने के बाद
02:37वो अपना दूसरा घर क्यों बसाना चाह रही है
02:40पदा नहीं जी
02:41मैं सोच रही थी कल आपकी भी चुट्टी है
02:44तो क्यों न हम भी शादी देखने चले
02:46सुनने में आ रहा है कि कल पूरा गाउं जा रहा है
02:49उसकी शादी देखने के लिए
02:50रेश्मा की बाते सुनकर
02:53अमीद भी दूसरे दिन उसके साथ
02:55चलने के लिए हामी भर देता है
02:56अगले दिन सुबह रेश्मा और अमीद बच्चों के साथ शादी देखने निकल जाते हैं
03:01गाउं से कुछ किलो मिटर की दूरी तैकर रेश्मा अपने परिवार के साथ विवास थल पर पहुंच जाती है
03:07यहां की साथ सजवट कितनी अच्छी लग रही है न
03:10ऐसा लग रहा है मानो किसी नई नवेली दुलहन की शादी हो
03:14अमित के इतना बोलने की देर होती है और एक अधेर उम्र की बुड़िया औरत
03:26दुलहन के लिवास में सज सवर कर मंडप पर पहुंच जाती है
03:30जिसे देख रेशमा और अमित के पैरों तले मानों जमीन ही खिसक जाती है
03:34मम्मी जी यहां दुलहन के लिवास में ये सब क्या हो रहा है अमित
03:42मम्मी दादी की शादी वाओ मज़ाएगा
03:47मम्मी शादी कर रही है और हमें बताना भी ज़रूरी नहीं समझा
03:52क्या अब हम उनके लिए इतने गैर हो गए है
03:55कुछ भी हो मैं मम्मी जी की ये शादी तो बिल्कुल नहीं होने दूँगी
03:59रेशमा अपनी सास सुशिला की तरफ जाती है
04:02सुशिला अपनी बहु को देख कर सकते में पड़ जाती है
04:05रेशमा तो यहां क्या कर रही है
04:22सुशिला अपने बेटे के पास जाती है और उसे समझाने की कोशिश करती है
04:50बेटा अप तु ही कुछ समझाना बहु को
04:52इस शादी को लेकर मेरे भी वही अर्मान है जो हर लड़की के उसकी शादी पर होते है बेटा
04:58मैं क्या समझाओ मा उसे
05:01आप इस उम्रह में शादी करने जा रही थी और आपने हमें बताना भी ज़रूरी नहीं समझा
05:06क्योंकि मैं जानती थी कि तुम लोग कभी मेरी शादी से खुश नहीं होंगे
05:11इसलिए मैंने तुम लोगों को कुछ नहीं बताया
05:13मम्मी जी ये सब सोचने से पहले कभी आपको हमारी इज़त का खयाल नहीं आया
05:18आज आपकी इस हरकत की कारण ही हम समाज में कहीं मुह दिखाने के लायक नहीं रहे
05:23बहु कब तक तुम योही समाज समाज के बारे में सोचती रहोगी
05:28ये लोग आज सो तरकी बाते बनाएंगे और कल को सब भूल जाएंगे
05:33क्या इनके ड़े से मैं जी ना छोड़ दूँ
05:35कल तो सभी को मर जाना है
05:38उसमें भी अगर हम ऐसे ही डर डर कर जीते रहें
05:41तो कभी खुश नहीं रह पाएंगे
05:43ममी जी बाते बनाना कोई आप से सिखे
05:48जिस उम्र में आपको पूजा पाट करने चाहिए
05:50अपने पोते को गोध में खिलाना चाहिए
05:52उस उम्र में आप फिर से अपना घर बसाने के सपने देख रही हो
05:57यकीन नहीं होता ममी आप इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती हो
06:02स्वार्थी, बहु, मैंने अपना पूरा जीवन बाकी सब की खुशियों के लिए बिता दिया
06:10अमित के पिताजी की मौत के बाद, जब मेरे पास दूसरा घर बसाने का मौका था
06:17तब भी मैंने अपने बारे में नहीं सोचा, अपने बच्चों के बारे में सोचा
06:23और आज तुम मुझे स्वार्थी बोल रही हो, क्या एक बुड़ी औरत के पास दिल नहीं होता, हमें प्यार करने का अधिकार नहीं होता
06:33सुशिला की बातों ने सभी को सोच विचार करने पर मजबूर कर दिया, किन्तो रेश्मा, हर किसी को अपना जीवन जीने का अधिकार होता है ममी जी, लिकिन आपके साथ तीन और जंदगिया भी जुड़ी हुई है, हम आपके कारण बदनामी का घूट नहीं पी सकते ममी ज
07:03में क्यों नहीं आया, जब दो दो बेटों और बहुँओं के होते हुए भी मुझे अकेले, उस एक कमरे में रख कर घूट घूट कर जीवन यापन करना पड़ रहा था, ताब तुम लोगों को याद नहीं आया, मुझसे कितनी जिन्दगिया जुड़ी हुई है,
07:19सुशिला की बाते सुनकर रेश्मा और अमित अपना सिर जुका लेते हैं, उन्हें अपने से हुई गल्ती का ऐसास हो जाता है, लेकिन अब भी कही न कहीं उनकी दिमाग में लोग क्या कहेंगी ही चल रहा था, जिसके डर से वे खामोश होकर खड़े रहते हैं, तब ही सु�
07:49और साथ ही ये घर छोड़ कर भी चली जाओंगी, फिर ना तुम लोगों के कोई बतनामी होगी, और ना ही कोई तुम्हें आकर ताने मारेगा।
07:57सुशिला की बाते सुनकर रेश्मा और हमें दोनों सोच में पढ़ जाते हैं, कुछ देर सोचनी की बाद रेश्मा कहती है, नहीं मम्मी जी, आप घर छोड़ कर मत जाएए, आप सच कह रही है, अगर हम ऐसे ही समाज की परवा करते रहे, तो हम कभी खुशी-खुशी नहीं
08:27आज मेरी मा की शादी है, फिर क्या, अपने बहु बेटों की रजामंदी के साथ सुशिला खुशी-खुशी साथ फेरे लेकर नई नवेली दुलहन बन जाती है, और सब शादी की खुशियों में मगन हो जाते हैं,
Be the first to comment