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00:00गोदलिया बेटा
00:01मही मा, अब भी समय है, ज्यादा देर नहीं हुई है
00:05बंश को चलाने के लिए लड़का ही जरूरी होता है
00:09लड़कियों का क्या है? वो तो पराया धन होती है
00:12एक ना एक दिन तेरी बेटी द्रिश्टी भी अपने ससुराल चली जाएगी
00:16फिर बुढ़ा पे में कौन तुम्हारा साहारा बनेगा, कभी सोचा है तुमने?
00:22मम्मी जी मैं आपकी बाद समझ रही हूँ
00:24लेकिन किसी दूसरे के बेटे को हम कैसे अपना ले भला?
00:28जिस किसी भी बच्चे को हम गोद लेंगे
00:30उसकी रगों में तो किसी दूसरे का ही खून होगा न
00:33और मैं दूसरे की बच्चे को पाल नहीं सकती
00:37हाँ मा, महिमा ठीक कह रही है
00:40वैसे भी दृष्टी अब आठ साल की हो चुकी है
00:43सब समझने लगी है वो भी
00:45अगर हम बच्चा गोद ले भी लेते हैं
00:47तो हो सकता है कि कल को
00:49वो भी उस बच्चे को एकसेप्ट ना कर पाए
00:51अरे वो सब तुम समय पर छोड़ दो
00:54समय के साथ
00:55साथ उसे भी सब समझ में आ जाए था
00:57वसुन्धरा अपनी बेटे बहु को
01:00रोजाना यही बात बोलती
01:01जिससे गिरिश और महिमा
01:03नजर अंदास करते रहते फिर एक दिन
01:05तुम लोगों को पता है
01:07वो जो हमारे पडोस में
01:09विमला रहती थी ना जिसकी सिर्फ
01:11दो बेटियां थी आज
01:13उसकी बंद कमरे में लाश मिली है
01:15जानती हो उसकी सास दे
01:18भी उसे समझानी की बहुत कूशिश की थी
01:20कि किसी लड़के को गोद ले आए
01:22लेकिन उसने अपनी सास की एक ना सुनी
01:25और देखो
01:25आज कंधा देने वाला भी कोई नहीं
01:28वसुंधरा की इन बातों का
01:30गिरिश और महिमा पर
01:31इतना ज्यादा असर पड़ता है
01:33कि वो तुरंथी बच्चे को गोद लेने का
01:36फैसला कर लेते हैं
01:38तकरीबन तीन घंटी की प्रक्रिया के बाद
01:40गिरिश छे साल के हर्ष को
01:42संग लेकर घर पहुंचता है
01:44आप यही चाहती दे न मा
01:46कि हम एक लड़के को गोद ले आए
01:48तो देखिये
01:49ये रहा हमारा हर्ष
01:51ये तो तुमने बहुत अच्छा किया बेटा
01:55अब एक काम करते हैं
01:57कल कुछ पंडितों को बुला कर
01:59इसका शुद्धी करण करा देते हैं
02:01शुद्धी करण?
02:03ये क्या होता है?
02:05अरे बेटा
02:06अभी तेरी रगों में किसी और का खोन है
02:09जिसके बारे में हमें
02:10कोई खोज ख़बर भी नहीं है
02:12इसलिए तु अशुद्ध है
02:14कल जब तेरा शुद्धी करण हो जाएगा
02:16तब तो इस घर का वारिस बन जाएगा
02:19तो क्या कल आप इंजेक्शन लगाकर
02:23मेरे शरीर से खून निकाल लेंगे?
02:26अरे नाना बिटा
02:27ऐसा कुछ नहीं होगा
02:28मुझे पता ऐसा ही होगा
02:32मैंने पढ़ा था
02:34खून की शुद्धी करण को
02:36डालिसिस कहते हैं
02:38इसके जरीर जो हमारे शरीर में
02:40गंदा खून होता है
02:41वो निकाल देते हैं
02:43आप लोग भी कर मेरे साथ यही करोगे ना
02:46हर्ष की मूँ से
02:57उम्र में इतनी बड़ी-बड़ी बाते कर रहा है
02:59कहा था ना कोई मासूम सा बच्चा लाना
03:02माहिमा यह अभी सिर्फ 6 साल का है
03:05अगर मैं इससे भी छोटा बच्चा लाता
03:08तो तुम्हें पता ही है
03:09छोटे बच्चों के साथ कितनी दिक्कते होती है
03:11हाँ लेकिन आपको एक यही बच्चा मिला
03:14जो इस उम्र में इतना कुछ समझता है
03:17उससे तो आगे भगवान ही बचा है
03:19मैं द्रश्टिक की पास जा रही हूँ
03:21आप संभालिये इस शेहतान को
03:23अगले दिन पंडित को बुला कर
03:25शुद्धी करण की पूजा भी करा दी जाती है
03:28लेकिन उसके बाद भी घर का कोई भी सदस्य
03:31उसे अपना नहीं पाता
03:32वो घर में सजावट के लिए पड़ी किसी चीज की तरह था
03:36इसी तरह एक साल बीच जाता है
03:38समय के साथ साथ हर्ष को भी
03:40अपनी और सौतेली में फर्ख समझा जाता है
03:42अब द्रिष्टी नौकी और हर्ष साथ साल का हो चुका होता है
03:47द्रिष्टी बेटा
03:48मैंने तुम्हारे लिए एक साइकल खरीदी है
03:51अब तुम्हें स्कूल बस से जाने की कोई जरूत नहीं है
03:54ठैंकी पापा
03:55पापा मेरे लिए भी आप एक साइकल खरीद लीजिए
03:59स्कूल बहुत दूर है
04:01मैं आने जाने में ठक जाता हूँ
04:03अगर स्कूल इतना ये दूर है
04:05तो कई से जाने की कोई जरूत नहीं है
04:07गर पर बैठ जा
04:08मेरे पास इतने पैसा नहीं
04:10क्या अब तुझे भी साइकल खरीद कर दे सका
04:12हर श्मू लटका कर वहाँ से चला जाता है
04:15तुम लोग क्यूं उसे अपना नहीं पा रहे हो
04:18आखर कब तक ऐसे ही उसके साथ सौतेलापन का प्यावार करते रहोगे
04:23द्रिष्टी की तरह अब वो भी तुम लोगों का बेटा है
04:26बुढ़ा पे में वही तुमारा साहारा बनेगा
04:29माप प्लीज आपके कारण ही हम इस लावार इसको उठा कर घर लाए है
04:34इससे आगे हम और कुछ नहीं कर सकते
04:36ऐसा तो तुम उसकी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो बेटा
04:40अगर आपको ऐसा ही लगता है
04:42तो छोड़ा ये इसे वही जहां से ये आया था
04:45तुमारे अंदर की इंसानित कहा मर गई
04:49जब से आया है तब से लेकर आज तक
04:51तुमने उसे कभी एक बाप का प्यार नहीं दिया
04:54ज़रा साभी तरस नहीं आता तुमें उस पर
04:57मा प्लीज
04:59ये सब बाते आप मुझसे ना ही करो तो बहतर होगा
05:02दो दिन बाद
05:04आज हर्ष बहुत खुश होता है
05:06और उचलते हुए अपनी मा के पास आता है
05:10मा वेरा रिजल्ट आगिया
05:12देखे मैंने अपनी पूरी क्लास में टॉप किया है
05:15तुम मुझे क्यों मा बुला रहा है
05:17मैं तेरी मा नहीं हो समझा
05:19अरा क्यों डाट रही है बच्चे को
05:22मा ही तो है तो उसकी
05:23सगी मा नहीं हो मैं इसकी
05:25जो ये इस तरह बार-बार मुझे मा मा बुलाता रहता है
05:28ये सगी मा कौन होती है?
05:32क्या मा भी कभी सगी और पराई होती है?
05:36लो, फिर शुरू गया
05:37मा जी आपने ना इसे बहुत सर पर चड़ा रखा है
05:40अब आप ही संभालिए इसे
05:42द्रश्टी स्कूल से आती होगी
05:44मुझे इसके लिए खाना भी बनाना है
05:46इतना कहकर महिमा वहाँ से चली जाती है
05:48दादी, कोई मुझे प्यार क्यों नहीं करता?
05:53सब दीदी से ही क्यों प्यार करते हैं?
05:57अरे ना ना बिटा, ऐसे कोई बात नहीं है
05:59द्रश्टी बड़ी है ना, इसलिए बस सबको उसकी फिक्र लगी रहती है
06:04फिक्र और प्यार दोनों में अंतर होता है दादी
06:08मम्मी पापा ना तो मेरी फिक्र करते हैं
06:12हना है मुझे से प्यार
06:14साथ साल के बच्चे की ये बाते सुनकर
06:17वसंदरा खामोश खड़ी रह जाती है
06:19उससे समझ में नहीं आता कि वो बोले भी तो क्या
06:22इतने में ही वहाँ द्रश्टी भी आ जाती है
06:25मम्मी पापा मुझे से प्यार इसलिए करते हैं
06:28क्योंकि मैं उनकी सगी बेटी हूँ
06:30और तुम्हें तो वो अनाधला इसे उठा कर लाए है
06:33द्रश्टी कितनी पार समझाया है
06:36इस तरह बात नहीं करते
06:37छोटा भाई है वो तुम्हारा
06:39ये मेरा कोई भाई भाई नहीं है
06:41दीदी मैं आपका सगा भाई नहीं हूँ
06:45तो मेरा भी तो आप लोगों से कोई खुन का रिष्टा नहीं है
06:49उसके बाद भी जब मैं आप लोगों का स्विकार कर सकता हूँ
06:53तो आप लोग क्यों नहीं अपना रहे मुझे
06:56शोर सुनकर गिरिश और महिमा भी बाहर आते हैं
07:00इत्मा शोर क्यों और आया है
07:01क्या चल रहा है ये सब
07:03दीखिए ना पापा इस लड़की को
07:05क्यों रहे हर्ष आप कौन सा ग्यान ज़ाड रहा है तो
07:08मैंने तो बस चोटा सा सवाली पूछा था दीदी से
07:12अगर उनके लिए मैं कोई गैर हूँ
07:15तो आप कौन से मेरे सगे हैं
07:18उसके बाद पी जब मैं आपको अपने जन्मदाता की जगर दे सकता हूँ
07:22तो आप लोग ऐसा क्यों नहीं कर सकते
07:25हर्ष के इन सवालों से पूरे घर में सन्ना टाचा जाता है
07:29वसुंदरा अपने आंसु पोचते हुए
07:32गिरिश और महिमा से सवाल करती है
07:34अब क्यों चोपो तुम लोग
07:36जवाब दोना इस बच्चे के सवाल का
07:39हर्ष की सवालों का किसी के पास कोई जवाब नहीं होता
07:43गिरिश और महिमा बिना कुछ बुले अपने रूम की तरफ चले जाते है
07:47ये लड़का तो जरूरत से ज़्यादा ही तेज है
07:51कहीं हमने इसे गोद लेकर कोई गलती तो नहीं कर दी
07:54अगर ऐसा ही रहा तब तो ये हमारी बेटी का हक छीन लेगा
07:58और पूरी प्रॉपर्टी हडप लेगा
08:00तुम सही बोल रही हो महिमा
08:02हाँ मै जल्दी से इस लड़के का कुछ करना होगा
08:06ये हमारी बेटी के लिए खतरा हो सकता है
08:09अगले दिन
08:10हर्ष बेटा, कहा हो?
08:13चलो, आज हम तुमें कहीं बहार घुमाने लिए चलते हैं
08:16सच मेमा, हम घुमने जा रहे
08:20हाँ बेटा, अब जल्दी से तयार होकर आ जाओ
08:23हर्ष भागते हुए अपने रुम में तयार होने जाता है
08:27थोड़ी दिर बाद वो तयार होकर बाहर आता है
08:29जहां गिरिश और महिमा उसका इंतजार कर रहे होते हैं
08:33मुम्मी पापा हम कहा जा रहे हैं
08:36आज हम तुम्हें मिला दिखाने के लिए लेकर जा रहे हैं
08:40हर्ष ये सब सुनकर बेहत खुश हो जाता है
08:49उसे लगने लगता है कि अब उसकी बुरे दिन जा चुके हैं
08:53लेकिन उसे कहा पता था कि उसकी किस्मत में आखिर आगे क्या लिखा है
08:57वे सब मेले में पहुँच जाती हैं
09:01हर्ष बेटा जूला जूलोगे?
09:03हाँ मुम्मा, मुझे जूला जूलना बहुत पसंद है
09:07ठीक है, तुम जाकर जूला जूलो, हम लोग तुम्हारा यहीं इंतिजार करते हैं
09:14हर्ष चला जाता है
09:16यही अच्छा समय है, अब हम घर चलते हैं
09:19इसका काम तो हो गया
09:21सही कहा तुमने, मेला घर से इतना दूर है
09:24कि यह वापस लौट कर कभी नहीं आ पाएगा
09:27गिरिश और महिमा वहां से चले जाते हैं
09:30हर्ष जब वापस लौटता है, तो उसे वहां कोई नज़र नहीं आता
09:33वो पागलों के तरपने परिवार वालों को ढूनता है
09:36कुछ घंटे डूढने के बाद, जब उसे कुई नहीं मिलता
09:40तो उसे सब समझा जाता है
09:42अब वो करता भी तो क्या?
09:44न घर का पता मालूम था, ना ही कोई फोन नमबर
09:47ठाक हार कर वो वहीं बैठ जाता है
09:49तुम दोनों तो हर्ष को मेले पर लेकर गये थी ना
09:53इतनी चल्दी वापस आ गए
09:55और हर्ष कहां है, कहीं नजर नहीं आ रहा
09:58मा वो अपने पुराने दोस्तों से मिलने की बहुत जिद कर रहा था
10:02तो हम उसे अनाधाश्रम छोड़ कर आ गये है
10:05कुछ दिन के बाद आ जाएगा, आप परिशान नहों
10:08वसंधरा को दाल में कुछ गड़बर लगती है
10:11लेकिन वो कुछ नहीं कहती
10:12और सीधे अपने रूम में चली जाती है
10:14महिमा, मा को इसके बार में कुछ पता नहीं चलना चाहिए
10:18महिमा सिर्ह लाकर हां कहती है
10:21एक हफता बीट जाने के बाद भी
10:24जब हर्ष वापस नहीं आता
10:25तब वसंधरा अपना फोन उठा कर
10:28हर्ष के दोस्तों को फोन करती है
10:30जिससे उसे पता चलता है कि हर्ष तो कभी
10:32अनात अश्रम गया ही नहीं था
10:34गुस्से से आग बबला होकर
10:36वसंधरा गिरिश और महिमा के कमरे में जाती है
10:39हर्ष तो अनात अश्रम गया ही नहीं
10:43फिर तुम लोगोंने मुझसे जूट क्यूं बोला
10:45कहां है मेरा पोता बताओं उझे
10:47मा जी वो आपका पोता नहीं है
10:50मुझे सिखाने की जरुरत नहीं है
10:52जितना पूछा है सिर्फ उतना ही जवाब दो
10:55मा वो हम लोग हर्ष को उस दिन
10:59मेले में ही छोड़कर आ गये थे
11:00हम चुधा कि अब आपको तो
11:03क्या उस छोटे से बच्चे को तुम
11:06मेले में ही छोड़कर आ गए
11:08यह जानते हुए भी कि वो अभी
11:10सिर्फ साट साल का है
11:12नजारें किस हाल में होगा
11:14वो मासू तो और क्या करते मम्मी जी उसका ठीका थोड़ी ना ले रखा है हमने हम क्यों भला किसी और के बेटे के लिए अपनी बेटी का हक मारे इस घर परिवार और हमारे प्यार पर सिर्फ दृष्टी का हक है अगर ऐसी ही बात है तो मैं तुम्हें याद दिला देती हूँ
11:44तो मैं नहीं जानती थी कि तुम दोनों के सोच एतनी चोटी भी हो सकती है वसंदरा की बातों से दोनों का सिर्फ शर्म से नीचे जुक जाता है उन्हें अपनी गल्दी का एसास तो हो चुका होता है लेकिन अब शायद बहुत देर हो चुकी होती है दोनों हर्ष को ढूं�
12:14पुछ दिन पहले हमारे साथ एक बच्चा आया था जिसने जूला भी जूला था आपने उसके बाद से कहीं देखा उसे?
12:26नहीं, उसकी बाद मैंने उसे देखा तो नहीं लेकिन उस दिन बहुत रो रहा था विचारा
12:32रात तक यहीं बैठ कर रोता रहा, फिर अचानक न जाने कहां गायब हो गया
12:37गिरिश और महिमा आगे बढ़ते हुए, फिर किसी से पूछते हैं
12:42अब जिस बच्चे को ढूण रहे हो न, वो तो दो दिन पहले ही मर चुका है
12:46बिचरा पिछले कई दिनों से यहां रोज आकर अपने मम्मी पापा को ढूणता था
12:51कई दिनों से कुछ खाया भी नहीं था उस दे, फिर एक दिन एकसिडेंट में उसकी मौत हो गई
12:57साथ साल की मासुम की मौत की बारे में सुनकर, गिरिश और महिमा की पैरो तले जमिन खिसक जाती है
13:04उनकी घट्या सोच आज एक मासुम की मौत की वज़ब बन चुकी थी
13:09क्या गिरिश और महिमा का एक साथ साल के बच्चे को लेकर ऐसा बरताव उचित था?
13:15गोद लिये हुए बच्चे को अपनाने के बाद भी आखिर क्यों उन पर सौते ले और अनाथ होने का टेग लगा दिया जाता है?
13:24क्या सिर्फ खोन के रिश्टे ही रिश्टे होते हैं?
13:27दिलों के रिश्टों का कोई वज़ुद नहीं होता?
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