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  • 2 days ago

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00:00अउलाद का मोह
00:30भाईया अज मैं बहुत खुश हूँ
00:34चाचा बन गया हूँ मैं
00:36हाँ भाई साहब इस बच्ची के घर में आने से तो रौनक आ गई है
00:40मैं सब को बताऊंगी कि मैं तो चाची बन गई हूँ चाची
00:43तुम दुनों कितने अच्छे हो
00:46हमारे बच्चे के आने से ऐसे खुश हो रहे हो जैसे ये बच्चा तुम्हारा ही हो
00:51बस भाईया अब आपका बेटा इस दुनिया में आ गया ना
00:55हम भी कोशिश करेंगे कि हमारा भी बच्चा जल्दी से इस दुनिया में आ जाए
00:59और फिर आपका और हमारा बच्चा दोनों मिलकर दिन भर घर के आंगन में खेला करेंगे
01:07कितना मज़ा आएगा न
01:08सच कहती हो माया, मैं भी उसी दिन का इंतजार कर रही हूँ
01:13जब तुम्हारी भी गोद भर जाएगी और मेरे बेटे को एक छोटा भाई या बेहन मिल जाएगी
01:18एक साल बीच जाता है, दिलिप और काविरी का बेटा अब एक साल का हो चुका था
01:24लेकिन सुधानशो और माया की कोई आलाद नहीं होती
01:28माया लगता है कि हमारे जिन्दगी में बच्चे का सुख ही नहीं है
01:33ऐसा क्यों कहते हैं, दिलिप भाई साहब का बेटा भी तो हमारा ही बेटा है ना
01:38तुम्हारी बात बिल्कुल ठीक है माया, लेकिन फिर भी हमारा खुद का एक बच्चा होता
01:45तो कितना अच्छा होता
01:46हाँ, कावेरी भाबी भी हमेशा कहती है
01:50उन्हें अपने बेटे के लिए एक छूटा भाई या बेहन चाहिए
01:54लेकिन देखिए ना, हमारी तो किस्मत ही कितनी खराब है
01:59हमारे तो सारे ट्रीटमेंट भी फेल हो चुके है
02:02डॉक्टर ने भी साफ साफ कह दिया है कि
02:05तुम कभी मा नहीं बन सकती
02:07पही तो सुधानशू, बहुत बुरी किस्मत है हमारी
02:11लेकिन माया, हम अपनी किस्मत को इतना क्यों कोस रहे है
02:15हम दिलिप भाइस आपके बेटे को अपने बेटे की तरह ही प्यार कर सकते हैं न
02:20हाँ जी बिलकुल सच कहा, मैं भी वैसा कर सकती हूँ
02:24चाची हूँ, उसे छोटी मा का प्यार नहीं तुम की क्या
02:28कुछ दिनों के बाद दिलिप का एक दोस्त दिलिप से मिलने के लिया आता है
02:33अरा क्या बात है दिले, बुदाई हो बुदाई, पर घर तो काफी बड़ा है तुम्हारा, वैसे तुमने अपने बेटे के बारे में क्या सोचा है?
02:45भाईया, और क्या सोचेंगे, वैस उसे पढ़ा लिखा कर अफसर बनाएंगे, उसकी पढ़ाई पर खर्च करेंगे
02:51अरे भावी, आपकी तो इतनी सारी प्रापर्टी है, आपको किस बात की चिंता, ले देकर एक बेटा ही तो है
02:59अरे नहीं दोस्त, तुम गलत समझ रहे हो, इस गर में मैं और मेरा चोटा भाई दोनों रहते हैं, इस गर का आधा इस्सा मेरे चोटे भाई का है
03:08अच्छो, कितने बच्चे हैं तुम्हारे चोटे भाई के?
03:13भाईया, उनके साथ मैं कुछ प्राब्लम है, मेरी देवरानी कभी मा नहीं बन सकती
03:18और फिर किस बात की चिंता, अरे मैं तो कहता हूँ अपने बेटे के भविशे के बारे में सोच ये ही मत
03:25बास ये घर उसके नाम करवा दीजिये, तो कि आपके भाई का भी कोई बच्चा नहीं है, तो सब कुछ आपके बेटे को ही मिनना चाहिए
03:32लेकिन ऐसा करना क्या सही होगा, अगर उनका बच्चा नहीं है तो क्या हुआ, ये घर आधा उनका है, उनकी जो मर्जी है वो करें
03:41रख कैसे बात करते हो, उनकी कोई आलाद नहीं है, वो क्या करेंगे प्राउपटी अपने नाम रख कर
03:48हाँ, वैसे भाई साब, आपकी बात तो बिलकुल सही है, अब जो कुछ भी है वो हमारे बेटे का ही तो है, आखिर वही तो इस घर के वंश को आगे बढ़ाएगा, बै कल ही देवर्जी से बात करती हूँ, अगले दिन
04:01सुधान शुरू और माया, इधर आओ, तुम दोनों से बहुत जरूरी बात करनी है मुझे, बताईए न भाई क्या बात है, आपको कहीं जाना है, तो आप अपने बेटे को मेरे पास छोड़ कर जाईए, मैं ही पुरा दिन रख लूँगी उसे, अरे नहीं माया, वो तो मु
04:31बाई बेटे की तरह नहीं, वो हमारा ही बेटा है, मेरे लिए तो वो मेरा ही बच्चा है, वही तो, तो फिर क्यों न ये सारी प्रापर्टी हम मेरे बेटे के नाम करवा दे, क्यूंकि तुम्हारा हू या मेरा, हम सब का एक ही तो है बेटा, लेकिन बाई अभी तो वो बे�
05:01वक्त का क्या भरोसा भाबी भरोसा क्यों नहीं हम तो हमेशे आपके बेटी को माबाप की तरह ही प्यार करेंगे हां लेकिन फिर भी मैं चाहती हूं कि ये सारी प्रॉपर्टी मेरे बेटी के नाम हो जाए अब मुझे नहीं लगता तुम दोरों को इसमें कोई भी परिशानी ह
05:31कर देंगे इस तरह से अगले दिन प्रॉपर्टी के पेपर बनवा कर सारी प्रॉपर्टी दिलिप और कावेरे के बेटे के नाम पर करवा दी जाती है कुछ दिनों के बाद
05:41सुधाशो सुबह सुबह ये कौन लोग आ गया है तुमारे गर पर
05:47वह या वो उपर वाला कमरा खाली पड़ा था ना सोच रहा था किरायदा रख देता हूँ
05:53लेकिन किरायदा रखने से पहले आपने हमसे पूछा भी नहीं
05:56भावी इसमें आपसे पूछने वाली क्या बात थी हमें एक ही कमरे की जरुरत थी इसलिए सुचा दूसरा कमरा किरायपर दे देते हैं कुछ इंकम हो जाएगी
06:07अरे माया ये सारी प्रापर्टी अब मेरे बेटे के नाम पर है और यहाँ पर जो कुछ भी होगा उसके लिए तुम्हें मेरी या दलिप के परमिशन दो लेनी पड़ेगी ना
06:17हाँ सुदार्शू तुम्हारी भावी ठीक है तो कह रही है अब देखो तुमने खुद अपने हाथों से ये प्रापर्टी हमारे बेटे के नाम की है वह अभी बहुत छोटा है तो इस घर से रिलेटेड सारे फैसले तुम्हें हमसे पूछ कर लेने चाहिए
06:32भावी हमें तो लगा था कि आप हम लोगों से बहुत प्यार करती है लेकिन आप तो हमारे साथ भेदबाओ करने लगी अरे इसमें भेदबाओ करने वाली क्या बात है और मैंने कौन सा तुमसे कुछ गलत मांग लिया अरे लेद देकर मेरा बेटा इकलाओता इस पूरे वं
07:02इसकी खुद की तो कोई आलाद पैदा नहीं हुई, बस इसलिए जब देखो तब मेरे बेटे पर बुरी नज़र डालती रहती है, देखो माया काविरी तुमसे बड़ी है, वो जैसा कहती है वैसा करो, और वैसे भी इस घर पर अब तुम लोगों का कोई अधिकार नहीं है, �
07:32इसी तरह वक्त बीटता जाता है, और देखते देखते दिलिप और काविरी का बेटा प्रणव, 25 साल का हो जाता है और उसकी नौकरी लग जाती है, पापा, आज मेरा अपॉइंटमेंट लेटर आ गया है, मैंने सिंगापुर में जॉब जॉइन कर ली है, लिकिन प्रणव
08:02प्रणव, हमने तुम्हारे लिए इतनी सारी प्रपर्टी यहां पर रखी हुई है, उन सब का क्या होगा, यहां रहो बिजनस करो, सौरी पापा, मैं यहां रहकर कोई बिजनस नहीं करने वाला, और यह जितनी भी प्रपर्टी आपने मेरे लिए संभाल कर रखी है न, हैसे
08:32घर तेरे नाम करवा दिया था, हाँ तो ऐसा करने से पहले आपको सोचना चाहिए था न, और मम्मा, मैं तो वैसे भी उस वक्त एक साल का था, मेरा इस मैटर से कोई लिना दिना नहीं है, कैसी बात कर रहा है यह लड़का, अरे तेरी वज़े से अपने छोटे भाई से दु
09:02किया, देखिये पापा, आपने जो कुछ भी किया, अपने लिए किया, मैंने आपसे कब कहा था कि मुझे ये प्रॉपर्टी और घर चाहिए, और वैसे भी अपने भाई के साथ इस तरह का बिहेव करके आपने कोई अच्छा काम तो किया नहीं, तू सही कह रहा है बेटा, ह
09:32तो अब आप अपनी गलती सुधारो, लेकिन मुझे तो फॉरें जाना है, मैं वहीं जाओंगा, अब आगे क्या कनाई ये आपका डिसिशन है, और प्रणाव, सिंगापूर जॉब करने के लिए चला जाता है, कुछ दिनों के बाद जब दिलिप और काविरी को अपनी गलत
10:02अब हम गरीब लोगों की घर क्या कनने आई है, भाबी, हमने तो खुशी-खुशी अपने बतीजे को सब कुछ दे दिया, अब हमारे पास कुछ भी नहीं बचाया, भाई मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, जो तेरे जैसे भाई को मैंने प्रापर्टी के चक्कर में घ
10:32जब वही आपसे दूर चला गया, तो आपको इस बात का ऐसास हुआ, लेकिन माफ कीजिए, अब हम आपके साथ रहने के लिए उस घर में नहीं आ सकते
10:42नहीं, नहीं माया, ऐसा मत कहूँ, मुझसे बहुत बड़ी गलती होगे, प्लीज वापस चलो, मैं वो घर फिर से तुम्हारे नाम कर देती हूँ
10:51भाबी मैं उस घर का क्या करूंगी, किसकी लिए, मेरा कोई बच्चा नहीं, मैं तो बस जिन्दगी बर आप लोगों के साथ प्यार से रहना चाती थी, प्रणव को अपने बेटे की तरफ प्यार करना चाती थी, लेकिन आपने मुझसे वो अधिकार छीन लिया
11:07भाबी और भाईया, एक सवाल पूछना चाता हूँ आप लोगों से, जो बच्चा कुछी दिन पहले दुनिया में आया हो, जिस बच्ची की भविश्य का आपको पता ही ना हो, उसके लिए अपने पुराने रिष्टों को तोड़ देना, अपने सगे रिष्टेदारों से �
11:37भाई को घर से निकाल दिया, वो भी अपने एक साल के बेटे के लिए, क्या ये वाकई में सही था, जवाब दीजिए मेरी बात का,
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