00:00एक समय में जैनपूर नामक एक गाव में जानकी और विरेंद्रा नामक पती पतनी रहते थे। उनका हर्षवर्दन नामक एक सुन्दर और समझदार बेटा था।
00:12विरेंद्रा नामकरी करते हुए आई हुए पैसों से उसके परिवार का देखबाल करते हुए सबी को खुश रखता था और वो भी खुशी से जीता था। एक दिन जब विरेंद्रा नामकरी को निकल रहा था तो अचानक हाटिटा काने के कारण वो वही पे गिर के मर जाता है
00:42तो मेरे पती के खायश के अनुसार उसे पढ़ा नहीं पाऊंगी मुझे कुछ काम करना होगा और मेरे बेटे को पढ़ाना होगा ये फैसला करके अगले दिन से जानकी काम करते हुए आई हुए पैसों से उसके घर को चलाते हुए बेटे को पढ़ाते हुए बढ़ा करती ह
01:12अरी मेरा बेटा तो बहुत बड़ा हो गया अभी इसका शादी करवाने का वक्त है तब ही वो उसके बीवी और बच्चों के साथ खुश रह पाएगा ये फैसला करके हर्शवर्दन की मा जानकी एक अच्छी सुन्दर लड़की को देखकर उसका शादी हर्शवर्दन से करव
01:42कि दिन वर्शनी सुबा उटकर अपने पती को और सास को कौफी देकर घर के सारे काम खतम करके उसके सास के पास जाकर ये कहती है सासुमा खाना लग गया है खाली जेगा ऐसे कहकर जानकी के प्लेट में खाना परूस्ती है ये सब देख हर्शवर्दन बहुत खुश होता है
02:12होगे की नहीं पर अब तुम दोनों को देख कर मुझे बहुत खुशी हो रही है अब जो मा का ख्याल तुम रख रही हो मुझे अब मा की चिंता नहीं है ये कहके वो खुशी खुशी उसके कार्याले चले जाता है बहु थोड़ा पानी लाना बेटा हां मैं इनकी नौकर ह�
02:42बहु वर्षिनी वर्षिनी ऐसे जानकी जोर जोर से अपनी बहु को पकारती है पाह मेरे पती के ऑफिस जाने के बाद भी मुझे इनसे चैन नहीं मिल रहा लगता है जब तक मैं उनके पास जाओंगी ये बुलाते ही रहेगी पहले ये तो जानलो कि मुझे इतने जोर से क्
03:12तुम्हें सुनाई नहीं दी रहा है इसलिए जोर से बुला रही थी बेटा मेरे पाउना बहुत दर दे रहे हैं मैंने सोचा तुम थोड़ा पानी लाओगी आपको पानी देने के लिए आप इतना बुला रही थी मुझे क्या सोच रहे थे आप मैं आपकी नौकरानी हूँ
03:42नहीं करती थी। लेकिन अब आपके लिए और आपके बेटे के लिए और इस घर के लिए सारे काम मै ही करूं, बहुं हूँ की नौकरानी। इसलिए कल से मैं नौकरानी लगवाती हूँ गर पे और आइनदा मुझे कोई काम नहीं बोलिएगा। ऐसे वो क्रोध में बोलके �
04:12भाना ढूंड कर उसके सास को कुछ ना कुछ कह देती थी एक दन शाम को उसके पती हश्वर्दन को घर आते हुए वर्शनी खिड़की से देखती है और तुरंत वो कुछ फल लेकर उसके सास के कमरे में चले जाकर उन्हें तुकड़े करके जानकी को खिलाती रहती है यह दे�
04:42चले जाता है मेरी बहू मेरे बेटे के सामने ये सब नातक कर रही है और जैसे ही वो ओफिस चले जाता है मुझे बहुत दुख देती है अगर ये बात मैं अपने बेटे से कह दूँगी तो वो बहुत दुख होगा इसलिए मैं इस बात को छुपा लूँगी यह सोचकर वो
05:12मेरे पती ओफिस जाकर तो अच्छे कमा रहे हैं, क्यों ना मैं अपने माबाप को और भाईया भाबी को घर लाकर उन्हें यही रख दू, वैसे तो मैं अपने परिवार के साथ बहुत खुश रह सकती हूँ, मुझे तो सिर्फ अपने परिवार की चिंता है, मेरी सांस भाड म
05:42बाबी इसी घर में रहेंगे, अगर आपको कोई आतराज है, तो आप इस घर से चले चाहिए, लेकिन वो तो यही रहेंगे, और तो और आप अकेले उस बड़े कमरे में क्या करेंगे, मेरे माबाप उस कमरे में रहेंगे, और इस बगल वाले कमरे में मेरे भाईया और भा�
06:12चाहिए कितना भी दुख मुझे दे मैं मेरे बेटे को और इस घर को छोड़ कर नहीं जाओंगी ये फैसला करके वो उसके घर में एक कोने में पड़े रहती है जब हर्शवर्दन नौकरी से घर आता है तो अपने मा को उसके कमरे में ना देख और उसके साथ ससुर को वहां द
06:42कमरे में मेरे माबाप रहेंगे लेकिन आप मेरे बारे में बुरा सोच रहे हैं आपकी माने जान बुच कर ऐसे किया है ताकि आपको लगे कि मैं उनकी देख बात नहीं कर रही हूं ठीक है तुम कह रही होना कि माने ये खुद किया तो ये सब कहने की कोई जरूरत नहीं है �
07:12कॉफी पीते ही, जलन होने के कारण बहुत सारा पानी पीती है, और उसे ऐसे देख, हाहाहा,
07:20अपसे हर रोज आपका ऐसे ही होगा, आप खुद तो इस घर से नहीं निकल रहे हो,
07:25तो मैं कुछ भी करके आपको निकलवा दूँगी, समझे, अब आपके दिन यहाँ, गिन लो, ये कहते हुए, वो जोर-जोर से हस्ती है,
07:36हाई भगवान, मेरे बहु के कारण न जाने मुझे और कितना सहना पड़ेगा आगे, लेकिन वो चाहे कुछ पी करे, मैं ये घर छोड़कर नहीं जाओंगी, उसके सारी गलतिया मैं सहती जाओंगी,
07:48ये सोचकर, वो धीरे से उठकर, जाने ही लगती है, कि वर्षिनी उसके पाउं को, जानकी के पाउं के आगे लगाती है, जानकी फिसल कर नीचे गिर जाती है,
08:01हाई भगवान, ये क्या हो गया, मेरा पीट तो तूट गया, मैं उठ भी नहीं पा रही हूँ,
08:06उसके सासू मा के ऐसे जोर-जोर से चिलाने के बावजूद, वर्षिनी उसे कोई भाब नहीं देती है, और वहां से चले जाती है, और इसी डर में, बिचारी जानकी, उसी घर में, अपने खुद के काम करने के लिए डरते हुए, एक कोने में बैठ कर, जी रही थी,
08:24हाँ, मैं जितना भी करूँ, ये बोड़ी तो यहां से निकल ही नहीं रही है, इसलिए मैं ऐसा कुछ करूँगी, कि मेरे पती खुद उसके मा को घर से भगाए, ये फैसला करके, वो अकली दिन, घर में रखे सारे समान को इधर उदर करके, उसके परिवायवालों के सारे क�
08:54चौंग जाता है, और उसे पूछता है, वर्षिनी, ये क्या हो गया, हमारा घर ऐसे क्यों है, ये समान इधर उदर क्यों है, और तुम रो क्यों रही हो, सुनिए, आपकी मा ने हमारे परिवार के सारे कपड़ों को बाहर फेक कर ये बोला, कि उनको हमारा यहां रहना पसं�
09:24बेटा, मुझे तो पता भी नहीं की हुआ क्या, मा, मुझे आपके बारे में पता है, आपने अब तक किसी पे भी आवास नहीं उठाया, आप ऐसे क्यों करेंगी, मुझे पता है कि आप क्या है, मतलब, आपके कहने का मतलब क्या है, कि मैंने ये सब किया है, आपके मा को भ�
09:54बहुत दुख देने के बाद, ये कहके वो उस घर से जाने की कोशिश करती है, बहु वर्शिनी, तुमें कही जाने की कोई ज़रूरत नहीं है, और अगर तुम पोलिस की कंप्लेन दोगी, तो घर की मामले पराई लोग तक चले जाएंगे, और उनके बातों का सहन मैं नहीं कर
10:24के वो उसके घर से चली जाती है, उसकी मात चले भी जाती है, लेकिन वो कुछ नहीं कह पाता है, और अपने आप में बहुत दुखी होता है, मैं अपने बेटे को देखे बिना तो एक बेद नहीं रह सकती हूँ, इसलिए मुझे आसपास के किसी घरों में रहना होगा, ताक
10:54उसके ऐसे पूछने के बाद जानकी जो भी हुआ मंजूला को समझाती है, वो सब सुनकर मंजूला ऐसे क्याती है, जानकी फिकर मत करना, तुम्हारी बहु, उसका गलती मानकर एक न एक दिन जरूर तुम्हे उसके घर वापस ले जाएगी, मगर तब तक अगर तुम्हें �
11:24में रहने के लिए कोई अद्राज नहीं है कम से कम ऐसे तो मैं अपने बेटे को दूर से देख पाऊंगी उसके ऐसे कहने पर मंजला जानकी को उसके साथ उसके घर ले जाती है जहां जाने की हर रोज दूर से अपने बेटे को देखते रहती है उसके सासुमा के चले जाने के �
11:54दोना बेटा, भाईया, जो भी आपको चाहिए घर पे ही तो है, अभी आपको पैसों की क्या जरूरत है, और वो भी इतना, वैसे आपको देने के लिए मेरे पास पैसे है भी नहीं, और आएंदा मुझे ऐसे पैसे मत पूछना, ये कहकर वो गुसे में वहाँ से चले जाती है
12:24क्या पता, तब तक मुझे इंतजार नहीं करना, अभी मुझे इसके बारे में कुछ न कुछ करना होगा, इसे ऐसे आसानी से छोड़ना नहीं, ऐसे वो सोच में पर जाता है, हाँ, ये ठीक रहेगा, अगर मैं ऐसे ही करूँगा, तो जीवन बर मुझे कोई चिंता नहीं हो
12:54इसने अपनी सासुमा को घर से भगाया है, वैसे भी हम लोगों को एक ना एक दिन जरूर भगाएगी, इसलिए हम उसको और उसके पती को मार डालेंगे, तब तो उसका सारा जायदा हमारा ही होगा, और हमें रोकने के लिए उसकी सास भी तो घर पे नहीं है, ये ही अच्छ
13:24तुम ये सब सोचोगी न, तो ऐसे ही लगेगा आपको, मैं कह रही हूँ, इन दोनों को जान से मा डालेंगे, तो हम इनसे छुटकारा पाएंगे, और ये सब हमारा होगा, हम इसी घर में सुक शांती से रह पाएंगे, ऐसे वो लोग चर्चा कर रहे होते हैं, कि उस घर की �
13:54हमारी बहुत उमारी बातों पर विश्वास नहीं करेगी, इसलिए हमें आज रात तक इंतजार करना होगा, ताकि हम इनका असली स्वरुप उसके सामने खुद दिखा पाएंगे, ठीक है मनजुला, ये फैसला करके मनजुला और जानकी दोनों वर्षिनी के घर जाकर आधी
14:24अच्छी नींद में देख, ये उन दोनों को जान से मारने की कोशिश कर ही लेते हैं कि इतने में, तुम्हें क्या लगता है, कि यहां कोई नहीं है, उसकी आवाज सुनकर वर्षिनी और हश्वर्दन एकदम से जाग उठते हैं, बहु वर्षिनी, तुम्हारा परिवार त�
14:54बहुत बहुत दुख होती है, मा, पापा, भाईया, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था, कि आप ऐसा कुछ कर भी पाओगे, मेरे जायदात के लिए आपने ये सब किया, ये तो मैं सोच भी नहीं सकती हूँ, मैंने तो सोचा, कि मेरे ही तरह आपको भी खुश रहने का हक है
15:24आप सबको तो शर्माना चाहिए अपने आपको देखकर
15:27अब आप इस घर में नहीं रह सकते हैं
15:30यहां से चले जाए और लौट के मताईए
15:33यह कहकर सुबा होते ही वो उसके परिवार को उसके घर से निकाल देती है
15:38सासुमा अगर आपने मुझे कल रात बचाए नहीं होता
15:41तो शायद आज में जिन्दा नहीं होती
15:43और आपकी तरफ मैंने बहुत घटिया पेशाया
15:46उसके लिए मुझे माफ कीजिए
15:48मैं आएंदा ऐसे कभी नहीं करूंगी
15:50बेटा तुम्हे अपनी गल्ती का एसास हो गया है न
15:54मुझे इतना ही बहुत है
15:55ऐसे वर्षनी को उसकी गल्ती का एसास होता है
15:58और तब से वो उसकी सासुमा कब बहुत अच्छा ख्याल रखती है
Be the first to comment