00:05ओम प्रकाश, उनकी पतनी सुमित्रा, बहु भावना, बेटा राहुल और एक थे उनकी बेटी प्रियंका
00:12वैसे तो ओम प्रकाश और सुमित्रा के घर में सब कुछ ठीक ठाक था
00:16लेकिन सुमित्रा की एक आदत थी
00:19घर में कुछ भी गलत या सही हो तो वो किसी से कुछ नहीं कहती
00:23और भावनास्वभाव की इतनी सीधी साधी थी
00:26कि अगर कोई उसके साथ गलत भी करता तो भी वो उससे कुछ नहीं कह पाती
00:31इसे के चलते प्रियंका और राहुल घर में मन मानी चलाते रहते
00:35क्योंकि घर को संभालने वाली ओरतें इस तरह से रहती थी जैसे वो गुंगी और अंधी हो
00:40मा, मैं अपनी सहलियों के साथ पिकनिक पर जा रही हूँ
00:45ठीक है बेटा, चली जाओ
00:46और मुझे आने में रात हो जाएगी, देर से ही आऊंगी मैं
00:50अच्छा, कोई बात नहीं बेटा
00:52रभाउना, तुमको एक बार मैं समझ में नहीं आता क्या
00:56नाश्टे मैं फिर से पराठे बना के रख दिये
00:58कितनी बार तुमसे कहा है कि मेरे लिए ढंका नाश्टा बनाया करो
01:02ठीक है जी, आगे से ध्यान रखूंगी
01:06अरे ये बहु से किस तरह से बात कर रहे हो तुम राहुल
01:09अरे तो और क्या करो पापा, इसको कही बात एक बार मैं समझ में नहीं आती
01:14सुमित्रा, तुम अपने बेटे को समझाती क्यों नहीं
01:18बाहु से बात करने का ये क्या तरीका है
01:20अरे जिसकी जैसी मर्जी आये करो, मुझे क्या
01:24भावना बिटा, तुम भी तो कभी कुछ कहा करो
01:28इस तरह क्यों सब की बाते सुनती रहती हो
01:30कोई बात नहीं पापा जी, सब ठीक है
01:34रात को काफी देर तक प्रियंका घर नहीं आती
01:38और जब वापस लौट कर आती है तो एक लड़की के साथ बाइक पर बैच कर
01:42सुमित्रा और भावना दोनों ही प्रियंका को लड़की के साथ देख लेती है
01:46आज तो जोड से डांट पढ़ने वाली है
01:51लेकिन मैं डर क्यों रही हूँ
01:53माँ तो सब कुछ देख कर भी अंधी बनी रहती है
01:55और रही बात भावी की, वो किसी को कुछ नहीं बताने वाली
01:59कहने को भगवान ने आवाज दी है, लेकिन गुंगी है गुंगी
02:03सुमित्रा ने अपनी बेटी को एक लड़की के साथ
02:24इतनी रात को आते देख कर भी उससे कुछ नहीं कहा
02:27और भावना ने भी इस बारे में किसी से कोई बात नहीं की
02:31कुछ दिनों के बाद
02:32मा मामा जी का फोन आया था, उन्होंने प्रियंका के लिए कोई रिष्टा ढूंडा है
02:37लड़के वाले उसे देखने आ रहे है
02:39अरे मुझे नहीं करनी शादी वादी, किसी लड़की को बुलाने की कोई जरुवत नहीं है
02:44यह तुम क्या कह रही हो प्रियंका बिटो, तुम्हारी शादी की उम्र हो चली है और तुम्हारे मामा जी ने बहुत अच्छा रिष्टा बताया है
02:51पापा, अब जिद क्यों कर रहे हैं? और आप क्यों मेरी मर्जी की खिलाव शादी कराना चाहते हैं?
02:57अरे मा इसको समझाए न, आपकी बेटी, आप तो बस चुप चाप सब कुछ होते हुए भी देखती रहती हैं
03:05अरे तो क्या कहूं? और मेरे कहने से क्या हो जाएगा? वैसे भी गलत क्या हो रहा है, सब कुछ सही तो है
03:12भावना बहुत देखो तो, प्रियंगा हमारी बात नहीं समझेगी लेकिन वो तुम्हारी हम उम्र है, क्या पता तुम्हारे कहने से उसे कुछ समझ में आ जाए?
03:35कोई भी प्रियंगा को कुछ नहीं समझाता, इस बात से राहुल और ओम्रकाश जी दोनों ही परिशान हो जाते हैं, और फिर जब लड़का प्रियंगा को देखने के लिए आता है
03:44मुझे आपकी बेटी बहुत पसंद है, मैं उसके साथ शादी करने के लिए तैयार हूँ
03:50देखो, मुझे तुमसे शादी नहीं करनी, और ये बात जितने जल्दी समझ में आ जाए अच्छा रहेगा
03:56अरे तो फिर आप लोगोंने मुझे यहां बुलाया ही क्यों?
04:00माफ कर दो बेटा, वो हमारी बेटी जरा गुस्से में है, हम उसे समझाने की कोशिश करते है
04:06हाँ हाँ, देखिए आप नाराज मत हुई है, हो तो उसने बस ऐसे ही कह दिया होगा
04:11अरे कोई ऐसे ही कुछ गहता है क्या? और यह आपकी पत्नी और मा, यह दोनों इस तरह चुप-चाप क्यों बैटे हैं?
04:19जैसे इस घर के मेंबरी ना हो, आपके घर में सब कुछ ठीक तो है ना?
04:24अरे सब कुछ ठीक है बिटा, सुमित्रा समझाओ ना अपनी बेटी को
04:29अरे क्या समझाओं? क्या होगा समझाने से? सब ठीक ही तो हो रहा है, गलत क्या हो रहा है?
04:37भाव ना, प्रियांका को अंदर लेकर जाओ, और उससे समझाओ कि कितना अच्छा रिष्टा है, इतना अच्छा लड़का है, इस तरह से बिहेव ना करे
04:45नहीं नहीं जी, मैं किसी से कुछ नहीं कह सकती जी
04:49अरे अजीब परिवार है, मुझे तो यहां से निकलना पड़ेगा, इस तरह से तो आपकी बेटी की शादी किसी से नहीं हो सकती
04:56जिसके घर की ओरतें गूंगी और अंधी बनकर बैठ जाए, उस घर का कुछ नहीं हो सकता
05:01ओम प्रकाश और राहुल, सुमीत्रा और भावना की हरकतों की वज़े से बहुत परिशान हो जाते हैं
05:08एक दिन वो दुनों आपस में बात करते हैं
05:11पापा समझ में नहीं आता कि भावना और मा को कैसे समझाया जाए
05:14सही कहते हो बिटा, तुम और मैं काम के सिलसिले में सारा दिन घर के बाहर रहते हैं
05:21और घर की दोनों आरते हैं, जिनने सारा घर संभालना चाहिए, गूंगी और अंधी बनकर राती है
05:26पापा, आप ही बताइए इसका क्या उपाय है
05:29मेरे तो कुछ समझ में नहीं आता बिटा, लेकिन हमें कुछ तो करना पड़ेगा
05:34क्योंकि इन सब की वज़ा से प्रियंका बहुत ज्यादा बिगड़ती जा रही है
05:38तुमने देखा, उसे किस तरह से बिहेव किया था
05:41अरे लेकिन पापा हम करेंगे क्या
05:44हमें एक नाटक करना होगा
05:46कुछ दिनों के लिए हम भी गुंगे और बहरे बन जाते हैं
05:50उसके बाद इन दोनों औरतों को अखल आएगी
05:53हाँ पापा, शायद आपकी बात ठीक है
05:56हम दोनों हर बार बात को संभाल लेते हैं
06:00और इसी वज़े से मा और भाउना कुछ भी करने की कोशिश ही नहीं करते हैं
06:04और फिर अगले दिन
06:05भाउना, नाश्ते में क्या बनाया है?
06:10जी, पराठे बनाये हैं
06:12मेरे लिए पोहा बना दो
06:13अच्छा जी, ठीक है, अभी बना देती हूं जी
06:17बहू, नाश्ते में क्या बनाया है?
06:21पापा जी, पराठे हैं और पोहे बन रहे हैं
06:25और बहू, मुझे तो उपमा खाने का मन था
06:28मेरे लिए उपमा बना दो
06:29ठीक है पापा जी, अभी बना देती हूं
06:33सुमित्रा चुपचा बैठी-बैठी सब कुछ देख रही थी
06:43उसने किसी से कुछ भी नहीं कहा
06:45और ये देखकर भावना को मन ही मन गुसा आ रहा था
06:49लेकिन वो किसी से कुछ नहीं कह रही थी
06:51उसे लग रहा था कि ओम प्रकाश जी
06:53जो हमेशा उसकी साइड लेती थे वो भी आज चुपचाब बैठे हुए थे
06:57शाम के वक प्रियंक अपने बहुत सारे दोस्तों को लेकर घर आती है
07:01और उधर दूसरी तरफ से राहुल भी अपने ओफिस के दोस्तों को लेकर घर आ जाता है
07:06प्रियंक अपने कमरे में तेज म्योजिक चला कर डांस करती है
07:09और राहुल अपने दोस्तों के साथ बैठ कर जोर जोर से हस रहा था
07:14प्रियंक और राहुल मिलकर पूरे घर को अस्तिव्यस्त कर देते हैं
07:18लेकिन भावना उनसे कोई शिकायत नहीं करती और सुमित्रा जी भी चुप चाब बैठी रहती है
07:23लेकिन भावना और सुमित्रा के अंदर का गुस्सा धीरे धीरे बढ़ रहा था
07:27फिर रात को ओम प्रकाश और राहुल एक दुसरे से बाते करते हैं
07:32पापा हमने इतना कुछ किया फिर भी भावना कुछ बोलती ही नहीं और मा भी कुछ गलत करने से किसी को रोकती ही नहीं
07:39तुम चिंता मत करो बिटा इन दोनों के अंदर का गुस्सा भर रहा है और बहुत जल्दी बहार आने वाला है
07:47अगले दिन
07:48अरे बहु यह कपड़े धुले हैं या गंदे हैं
07:52पापा जी कपड़े तो मैंने धोकर ही आपकी अलमारी में रखी थी
07:55मुझे तो साफ नहीं लग रहे एक बार और धो देना
07:59प्रियंगा मैं सोच रहा था कि तुम्हें उस लड़के से शादी नहीं करनी है ना
08:04मत करो एक काम करो वैसे भी क्या रखा है शादी वादी में तुम्हें जो लड़का पसंद है उसके साथ जाकर कोट मेरेज कर लो
08:12इस बार ओम प्रकाश और रहुल की बात सुनकर भावना और सुमित्रा के अंदर का गुस्सा जाग उठता है
08:19मैं किसी से कुछ कहती नहीं जी इसका मतलब यह है कि आप लोग मुझे परिशान करती ही रहेंगे कल चार चार बार मुझसे नाश्ता बनवाया आज पापा जी मुझसे दूले हुए कपड़ों को बार बार धुलबा रहे हैं अरे मैं इंसान हूँ जी कोई मशीन नहीं हू�
08:49हसना की क्या बात है हम लोग यहां इतने परिशान हो रहे हैं जी तुम लोगों को ऐसी हरकत करने के बाद भी हसी आ रही है यह क्या कर रहे हैं जी आप तोनों यही तो हम चाहते थे कि सुमित्रा तुम अंधी होकर ना बैठी रहो घर में कुछ भी गलत हो तो उसे रोकने की
09:19गुंगी बहू और अंधी सास की यह जोड़ी इस घर में आप नहीं चलेगी
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