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  • 2 days ago

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00:00आम आदमी को भले ही कम चोट लगती हो आप धार्मे का आदमी को लोग है उसे खट से चोट लगती है तो उनकी धार्मिक भावनाय आहत कैसे हो जाती है
00:23अब ये अगर धार्म है तो ये तो बड़ी नाजुक टूटने को तयार हैंडल विथ केर हो गया
00:29सत्य अटूट है अखंड है और जो हमने धार्म बना रखा है उसमें सब कुछ ऐसा है कि उसको जल्दी से चोट लग जाती है
00:36तुम अपनी सुइधा अपने स्वार्थ के हिसाब से कहानिया बनाते हो फिर चाहते हो कि पूरी दुनिया उनको सच मने
00:41और जो सच न मने तुम उसको मारने को तयार हो
00:44सत्यका कोई रंग होता है, कोई होता है, कोई चेहरा होता है, कोई कहानी होती है, कोई जन्म होता है, कोई मृत्य होती है, कोई शब्ध होते हैं, सत्यका तो कुछ भी नहीं होता है
00:54जिसको तुम आज तक आस्तिकता मान कर बैठे थे
00:56वो घोर नास्तिकता थी
00:58क्योंकि आसु गिरा करके बहुत आसान हो जाता है
01:01ब्योकूफ बनाना दूसरे को
01:03कि अरे बहुत प्रश्ण मत करो
01:05जानने वानने की कोई बात नहीं बच्चा
01:07भगवान तो भाव का भूखा है
01:10नहीं भगवान को जानते न हरदय को जानते
01:12न भाव को जानते कुछ नहीं जानते
01:14ये बस ये चाहते हैं
01:16लिख हुई के आते हैं तैयार होगा पूरा
01:34सेटिंग भी कर रखी दर सुक्र सकते
01:39कैमरा देख रहे हैं फ्रेम बढ़िया आना चाहिए
01:42फिल्टर भी लगा दो
01:43क्या है
01:47नमस्तिय चाहर जी
01:51मेरा परचा का है
01:52नहीं तो बात बराबरी के होनी चाहिए
01:56न तुम परचा लायो मैं कुछ ऐसा ही
01:58चलो
01:58हेलो सर मेरा प्रशन ब्लास्ट है मिया इस निंदा के उपर है
02:04तो इसके प्रशन के लिए मैं कुछ ओधार देना चाहूंगा
02:08जो की हर धर्म से है
02:09जैसे बहुत धर्म में स्री लंका में
02:12एक महिला ने बुद्धा की मूर्थी के साथ
02:15फोटो सुट किया था कुछ तो उसके बाद उसको जेल हो गई थी
02:18इसी प्रिकार से
02:20क्रिस्ट्यानिटी में भी एक
02:23इतली के दार्शनिक और गड़ी तक गे थे
02:26जार्दियों ब्रूनो उनको भी
02:29चर्च के लिए बोलने पर जिन्दा जला दिया गया था
02:31इसी प्रिकार से
02:33मुस्लिम में भी काफी ये होता है
02:35एक आसिया बी-बी करके
02:37पाकिस्तानी ईसाई महिला थी
02:39उनको देल हो गई थी
02:41फांसी की सदा देजी गई थी उसके बाद
02:43और सलमान रस्दी
02:45ने पुस्तक लिगी थी उनकी उपर भी फत्वे
02:47जार हुए उनकी उपर हमले हुए
02:48चाल्डी हब दो एक
02:51ने कार्टून बनाए था उनके लिए भी
02:54और फिर भारत में भी हम जैसा देखते हैं
02:59कुछ जैसे ओपन हाइमर में भी कुछ ऐसी सीन थे
03:02जिसकी वज़े से लोग प्रड़ा गुस्सा हो गए थे
03:05तो ऐसी घटनाए होती जाती है कि धर्म के नाम पर थोड़ा सभी होने पर उनकी धर्मिक भावना आहत हो जाती है
03:14तो इसमें सामाच्य के हम दे सकते हैं दंग के बढ़क जाते हैं मौब लिंचिंग हो सकती है
03:19तो अचारजी मेरा प्रशनीय था कि धर्म है वो धर्म अपने आपको महान बताते हैं सास्वत बताते हैं
03:40लेकिन छोटी से कार्टून से चिटकुले से मीम से या सोचल मेडिया पॉस्ट से उनकी धार्मिक भावनाए आहत कैसे हो जाती है
03:49मेरा पहला प्रिशन है था दूसरा प्रिशन है था कि इसमिंदा का सही अर्थ क्या होना चाहिए
03:54आप कोई छोटी सी चीज पगड़कर बैठ गाई हो आपने उसको बहुत बड़ा नाम दे दिया है
04:05जो बड़ी चीज है यह आपकी साजिश है उसके खिलाफ
04:11है ना है ना तुम अंगूर ले लो और उसको नाम दो तर्बूज
04:21तो यह तुम तर्बूज का अपमान कर रहे हो ना यह नहीं कर रहे हो
04:26और फिर कोई आकर के बोले कि इस अंगूर में से तो चार ग्राम रस निकला बस
04:33तो तुम कहो कि ये तो तुमने
04:35धर्म द्रोह कर दिया ये इशनिंदा कर दी
04:37उसने थोड़ी कर दी, तुमने कर दी है
04:40तुम एक ऐसी चीज को लेकर क्यों बैढ़े हो
04:42जिसको आहत करा जा सकता है
04:51सट्य
04:52तो अखन्ड होता है
04:54अग्य होता है
04:57अनिर्वचनिय
04:59अनिंद्य
05:01जिसको जाना ही नहीं जा सकता
05:06जिसकी कलपना भी नहीं हो सकती
05:07जो बोला ही नहीं जा सकता
05:11खत्ते है
05:12कोई उसकी निंदा करेगा कैसे बोलो
05:16सच पूछो तो ईश निंदा
05:21असंभव है
05:22अगर ईश का मतलब
05:24सत्त्य है
05:26क्योंकि निंदा करने के लिए
05:28जानना तो पड़ेगा न
05:30चलो निर्गुण निराकार की
05:32निंदा करके दिखाओ
05:33किसकी निंदा करोगे कोई है यह नहीं
05:37जो शब्दों में आ सके
05:38जो वाणी की पकड़ में आ सके
05:40ऐसा कोई है यह नहीं तो निंदा कैसे कर लोगे
05:56तुमने उसको बना दिया अंगूर
05:59अब कोई आकर अगर धोखे से भी अंगूर पर पाउं रख गया
06:03तो तुम कहते हो हमें चोट लग गई
06:07चोट लगने का काम चोट खाने का काम तो तुमने खुदी किया था
06:12उसी दिन कर दिया था जिस दिन तुमने
06:14वो जो अनंत है उसको तुमने अंगूर बना दिया था
06:18अगर तुमने सत्य को सत्य रहने दिया होता
06:23तो सत्य की कोई निंदा कैसे कर लेता
06:25अगर कोई सत्य को सत्य रहने दे तो सत्य की निंदा हो सकती है
06:31मैं यह नहीं कहा रहा कि सत्य की प्रशंसा हो सकती है
06:35न निंदा हो सकती है न प्रशंसा हो सकती है आप बस अवाक रह सकते हो
06:40आप मौन हो जाते हो वहाँ पर यही समरपण है यही सम्मान है यही शद्धा है
06:47है ना पर आपने पूरी दुनिया में जितने हैं सबने धर्म को बना क्या दिया
06:56कहानिया माननेता बिलीफ सिस्टम ऐसा है वैसा है नियम आचरण अनुशासन
07:11कि बड़े बड़े पुलिंदे कि यह है धर्म अब यह अगर धर्म है तो यह तो बड़ी फ्रिजाईल चीज हो गया
07:23बड़ी अशक्त चीज बड़ी कमजोर चीज नाजख टूटने को तयार हैंडल विथ केर हो गया हो जाते हूं आप भी कोई धर्मेक आदमी दिखता है आप भी ऐसे ही कहते हो हैंडल विथ केर भाई
07:38यह कभी भी तूट सकता है
07:41कभी भी भढ़क सकता है
07:42ऐसा है कि नहीं
07:44स्त्रियां जल्दी से पल्लू अल्लू डाल देंगी
07:48और इधर दर देखेंगी
07:50सब ठीक है कहाँ
07:51कि गड़बर हो सकती है
07:53इसका भरोचा नहीं
07:54इंफ्लेमेबल
07:56एक्स्प्लोजिव
07:58फ्रिजाइल, डेलिकेट
08:00सब लगा दो उस पे, सब है वो
08:01बिटल
08:02सत्य अटूट है
08:08अखंड है
08:10और जो हमने
08:13धर्म बना रखा है उसमें सब कुछ ऐसा है
08:14कि उसको जल्दी से चोट लग जाती है
08:16आम आदमी को
08:18भले ही कम चोट लगती हो
08:21आप धार्मे का आदमी को लोग है
08:23उसे खट से चोट लगती है
08:24अभी यहां कोई बैठाओ बहुत धार्मे का आदमी
08:27वो बिलकुल भीतर से चलनी हुआ जा रहोगा
08:29यह क्या आप भोल रहे है
08:31महापाप
08:33तुमने
08:36अनन्त को इतनी छोटी
08:39चीज क्यों बना दिया कि कोई उसको घाव दे सके
08:42बताओ न
08:43आकाश पर चोट लग सकती है
08:47मारो गोली आकाश को
08:51लगेगी चोट ठूको आकाश पर
08:54आकाश गंदा हो जाएगा
08:57सत्य तो आकाश है जिसकी
09:00जिसमें घुला जा सकता है
09:04उसमें लीन हुआ जा सकता है
09:06हाथ जोड करके उसकी प्रशंसा भी कर रहे हो तो मुर्खता है
09:12और ऐसे उठा करके हाथ से उस पर पत्थर फेक रहे हो
09:18तो वो भी मुर्खता है
09:20लेकिन जब भी आप धर्म को कोई छोटी चीज बना दोगे
09:26उसके साथ
09:28रसमें रवायतें किसे कहानिया आचरण अनुशासन ये सब जोड दोगे
09:34तो फिर धर्म का मतलब ही हो जाएगा
09:37असुरक्षा
09:39और फिर हिंसा
09:43क्योंकि वो चीज तो छोटी है पर आपने उसको नाम किसका दिया है
09:47बहुत बड़ा नाम दे दिया है
09:49बहुत बड़ा नाम दे दिया है
09:51अब जितना बड़ा नाम दे दिया है उसके अनुसार अब वो छोटी चीज व्यवहार कर नहीं सकती
09:57तो छोटी चीज़ फिर बहुत असुरक्षित हो जाती है
10:02उसके जो लोग होते हों बड़े डरे सहमे सहमे रहते हैं
10:06हर समय चौकनने रहते है
10:08हर समय चौकनने रहते
10:11पर उसमें आ रही इना बात
10:16मैं बोल दूँ मेरे जो ये हाथ में है
10:20ये
10:22ये कोई बड़ी जबरदस्त राइफल है
10:26तो पता मुझे भी है कि मैंने जूट बोला है
10:29और पता आपको भी है कि मैंने जूट बोला है
10:33लेकिन मैंने आपको ऐसा डरा के दबा के रखा है
10:36कि आपकी हिम्मत नहीं होनी चाहिए कहने की
10:39कि अगर ये राइफल है तो एक दो फायर करके दिखाओ
10:41और अगर किसी ने
10:45कह दिया कि अगर तुम इसको
10:47ये साधारण सा माईक है
10:49तुम इसको काई को बोल रहे हो कि ये मशीन गन है
10:51और अगर ये मशीन गन है
10:53तो एक दो राउंड
10:55तो मैं क्या बोलूँगा
10:56ये अभी अभी इसने राइफल निंदा करी है
10:59बुलिट निंदा करी है
11:02क्या निंदा करी है
11:07उसने तुम्हारी पूल खोली है
11:09सत्य की पूल नहीं खोली है
11:13ये सब जो सत्य के बंदे बन कर बैठे हैं
11:17ये जो सब धर्म के दलाल बन कर बैठे हैं
11:19इनकी पोल खोली है
11:20कोई भी धार्मिक धारा हो
11:25यदि उसका उद्देश्य सत्य है
11:29तो सत्य की कौन पोल खोल सकता है
11:32लेकिन उस धार्मिक धारा में
11:34बहुत सारे बिचौलिये बैठ जाते हैं
11:36क्यों बैठ जाते हैं
11:38क्योंकि उनको उससे पावर मिलता है
11:40बहुत जबरदस्त
11:42बिना मेहनत की दौलत मिल जाती है
11:47प्रसिद्धी मिलती है
11:49कई तरह की ताकत मिलती है
11:52तो वो सब नीचे बन कर बैठ जाते हैं
11:55कि हम तो सत्य के प्रतिनिधी हैं
11:58हम है हम हम है हम हम है
12:00हम आए हम चंदाइक ठागर में आए है
12:02तू कौन है चंदा एक अठा करने वाला
12:05तू है कौन
12:07तुझे क्यों दूँ
12:10तू पहले अपना बता
12:11तुझे में कितनी धार मिखता है
12:13सुझ में आ रही बात
12:17तू बुरा सत्य को नहीं लगता
12:20बुरा इनको लगता है
12:22जिन्होंने सत्य को बहुत छोटी चीज बना दिया
12:24जिन्होंने किस्सा गाहनी बना दिया
12:25आपको नीला रंग तो पसंद हो गई
12:31तभी आपने नीला रंग की पहनी है शर्ट
12:33इनको नीला रंग पसंद देखो धारन करे हुए है
12:37आपको सफेद रंग पसंद होगा
12:40आपने सफेद रंग धारण किया है
12:41अपने अनुसार अब इन्होंने
12:45अपने धर्म का रंग बना दिया
12:47और नीला इनके धर्म का ही रंग नहीं है
12:50इनके हिसाब से
12:52इनका जो इश्वर है भगवान है गौड है
12:53खुदा है अल्ला है जो भी है
12:55वो भी नीला है
12:58क्योंकि नीला इनको पसंद है इनको पसंद है तो उन्होंने उसको भी कोई रंग कोई गोण कोई कहानी दे दी
13:04भले ये नहीं बोला कि उसका अपना चेहरा है पर कुछ करके ये बता दिया
13:09कि देखो ऐसा कहीं पे लिखा हुआ है कि जो नीला पहनते हैं
13:14उनको कुछ खास नियामत मिलती है
13:17तो इन्होंने नीले को बहुत उपर चड़ा दिया
13:20इन्होंने सफेद को बहुत उपर चढ़ा दिया
13:22अब नीला नीला है सफेद सफेद है
13:25इन दोनों में अब लडाई तो होगी न
13:28इनके हिसाब से सरुषेष्ट कौन है नीला
13:30इनके हिसाब से सेक्रिड कलर क्या है
13:32उनके हिसाब से सेक्रिड क्या है
13:34सफेद
13:35आभी कैसे नहीं भीडेंगे
13:37और उनकी और से कोई आया
13:39और उनको बोल गया है क्या नीला विला सफेद
13:41पहनो सफेद, असली चीज़ है सफेद
13:43तो उसको बोलेंगे तु धर्म ध्रोही है
13:45तिरे गला काटेंगे, तु ने नीले का अपमान किया है
13:48इनकी और सुधर कोई पहुँच जाएगा, वो बोले के सफेद सफेद, तो उसको कहेंगे, तूने सफेद का अपमान किया, शुब, शुएत, धवल रंग हमारा, पवित्रतम, तूने अपमान किया, मारो इसको गोली मारो रहे, ब्लास्फेमी करीशने, ये है, सत्य का कोई रं
14:18कोई किताब होती है, सत्य का तो कुछ भी नहीं होता, तो कोई सत्य के निंदा कर ही नहीं सकता, वैसा कुछ हो सकता ही नहीं है, हां, मतांतर हो सकता है,
14:38कि तुम किसी बात को मानते थे
14:41किसी और ने कोई और बात मान ली
14:44तुम उसको धर्म दरो बोलके उसको फासी दे दो
14:46तो तुम्हारी तानशा ही है वो यह चल रहा है
14:51और यह चलता रहेगा
14:54जब तक हम धर्म का अर्थ किस्से कहानियों से लेते रहेंगे
14:59और एक समुदाय की किस्से कहानी दूसरे का चुटकुला बनेंगे ही बनेंगे
15:06आप नहीं रोक सकते इस बात को
15:08क्योंकि आप जिसको पवित्र मानते हो उधर वाले नहीं मानते
15:12और वो जिसको पवित्र मानते उसको आप नहीं मानते
15:14तो आपकी जो पहुत पवित्र कहानी है
15:17कोई भी कहानी ऐसी है जिसका मजाग न बनाया जा सकी
15:20अगर आप उतर आओ मजाग बनाने पर
15:22कोई भी कहानी है बताओ
15:24आप ठानी लोगी किसी कहानी का मजाग बनाना है
15:28तो आप बना लोगे ना
15:28caricature भी बना लोगे उसके पात्रों का caricature समझते हो
15:31आप लोगे और उस जैसे हैं उसको विक्रत करके
15:34कार्टून जैसा बना दोगे हास से हस्पत कुछ
15:36है न caricature उसी तरह उन लोगों की जो कहानी है उसका
15:40आप बना दोगे आपका वो बना देंगे
15:43हो जाएगा न यह सब हो जाएगा न और फिर आपको
15:48बुरा लग जाएगा उनको बुरा लग जाएगा आपस में
15:50गला काट होगे एक दूसरे का यह जो तुमने कहानिया
15:55बनाई है यह तुमने सत्य से पूछ के बनाई है यह सत्य की
15:59कहानिया है या तुम्हारी है
16:01ऐसा कैसे है कि तुम्हारी कहानियों में
16:07जितने भी धार्मिक किरदार है
16:09वो सब वही काम कर रहे होते हैं जो अभी
16:13तुम्हारी संस्कृति के सब काम है
16:14यह ऐसा कैसे हो जाता है बताओ सोच के बताओ
16:17मामला साफ है
16:18बोलो न
16:20अगर ऐसी जगह है
16:23उदारण के लिए
16:25जहां मास खाना आम बात है
16:27और जहां वाइन पीना भी आम बात है
16:29तो वहाँ आपका जो धार्मिक महापुरुष होता है
16:32वो भी मास खारता है और वो भी वाइन पीता है
16:34ऐसा है न?
16:34है न अगर ऐसी जगह से हो जहां कि संस्कृति में कुछ और चलता है अभी
16:40तो आप दिखा देते हो कि मेरे महापुरुष भी वही करता था जो मैं आज कर रहा हूँ
16:44है न और इसलिए जो कहानिया है सब वो लगातार बदलती भी रहती है
16:50क्योंकि आप बदल रहे हो तो आप अपनी कहानिया ही बदल देते हो
16:52अपनी सोईधा अपनी कन्विनियंस से यही है न पुरा खेल और फिर जो आपकी कहानियों को न माने आप उसको गोली मारने को तयार हो
17:01यूट्यूब पर वो वीडियो है आत्मा न शरीर में प्रवेश करती है न शरीर छोड़ती है
17:10हमारा वीडियो अश्टावकर गीता के शलोक पर बात होई थी मुनी अश्टावकर ने वो बात कही है
17:15उस पर हमने दो गंटे बात करी थी उस पर अभी कल ही था पूरी बोचार थी एक लिख रहा है इसको जेल में डाल दो दूसरा लिख रहा है जेल में डालने से काम नहीं होगा इसको फांसी दो
17:23मजाग की बात नहीं है वो गंभीर है आप खिकी करते रहोगे
17:45आत्मा क्या है ये इनको पता नहीं तुमने आत्मा के बारे में जितनी ये कहानिया उड़ाई है तुमने आत्मा से पूछा
17:53तुम अपनी सुविधा अपने स्वारत के हिसाब से कहानिया बनाते हो फिर चाहते हो कि पूरी दुनिया उनको सच मने
18:02और जो सचना माने तुम उसको मारने को तैयार हो
18:07अंकार का खेल है बस इसमें धार्मिक्ता थोड़ी कहीं है
18:16इसमें सत्य थोड़ी कहीं है अंकार का नंगा नाच है पूरा ही है
18:28धर्म भावनाओं की बात नहीं होती
18:30धर्म सत्य की बात होती है या थार्त की बात होती है
18:34यह जो आपने चला दिया है न कि धर्म माने फीलिंग
18:37कि एक भावना है भावना धर्म तो एक भाव होता है
18:43तो फिर वहीं से यह आता है कि कि किसी की भावना को ठेसी में पहुंचाओ
18:47और अगर आप किसी के ध्र्मिक sentiment को hurt कर रहे हैं
18:50तो फिर आपको jail भी हो जाएगी
18:52क्योंकि आपने धर्म का मतलब ही बना दिया है भावना
18:54जबकि धर्म का भावना से कोई लेना देना नहीं
18:57समझ के क्या करना है
19:00बोध औग्यारा की कोई बात ही नहीं
19:02हुरिदय में भाव होना चाहिए, इससे ज्यादा अधार्मिक वक्तव नहीं हो सकता, इससे ज्यादा अधार्मिक वक्तव नहीं हो सकता, ये जो बाबा जी लोग सब आपको शताप्दियों से मिठाई चटाते आएं,
19:17कि अरे बहुत प्रश्ण मत करो, जानने वानने की कोई बात नहीं बच्चा, भगवान तो भाव का भूखा है, हृदय में बस भाव होना चाहिए, नहीं भगवान को जानते ना हृदय को जानते ना भाव को जानते, कुछ नहीं जानते, ये बस ये चाहते हैं कि आप सवाल न
19:47आपको भी सुईधा पड़ती है,
19:49क्योंकि जानना श्रम का काम है,
19:50भाव तो हाँ, मुझ में भाव है,
19:54और भाव तो ऐसी चीज है,
19:55जो महौल से भी पैदा हो जाता है,
19:58कहिए आप में क्या भाव,
20:00क्या संचार करना है,
20:03अभी यहां ऐसा महौल बनाया सकता है,
20:04पिर इसी भावनातमक्ता को आप जो तवज्जो देते हो इसी सेंटिमेंटालिटी को आप जो वेटिज देते हो उसके कारण फिर बाकाइदा नियम बन जाते हैं
20:26लौ बन जाता है कि अगर किसी के रिलीजियस सेंटिमेंट को हर्ट करा
20:31तो ये हो जाएगा वो हो जाएगा जेल हो जाएगी
20:33आपकी किताब हटा दी जाएगी आपकी फिल्म दबा दी जाएगी सब कुछ हो जाएगा
20:45रिलीजियन का सेंटिमेंट से क्या लेना देना
20:47धर्म तो सत्य की खोज है ना
20:52आपकी भावुकता आपके आँसू
20:59आप बिलकुल ऐसे हो गए हैं मधूर मगन इसका धर्म से क्या ले न देना
21:03भाव तो आप सब जानते हो कहां से आते हैं भाव
21:06पश्वू में भी होते हैं भाव
21:09पर कोई आपको दिखे बिलकुल भावोख हो गया है ऐसे आप कोगे ये है असली धार्मिक आदमी वो असली धार्मिक आदमी नहीं है वो पूरा आधार्मिक है जिसको अपनी हालत का पता भी नहीं कि वो क्या कर रहा है कि होर्मोनल एक्टिविटी उसके शरीर पर छा रही है क
21:39और आप बकाइदा नियम बनवाद होगे
21:44कि नहीं नहीं देखो किसी कि
21:45दिल मत दुखाना
21:48रिलिजियस सेंटिमेंट हर्ट मत करना
21:52यह यह
22:00यह यह यह ओक्जिमरोन है
22:04दिर इस नथिंग कॉल रिलिजियस सेंटिमेंट
22:08अगर सेंटिमेंट है
22:17तो मैं उसको भी जानूंगा पर्खूंगा
22:18यह क्या चीज है कैसे काम करती है
22:20प्रकृति में यह कौन सा फिनॉमेना चल रहा है
22:23सेंटिमेंट नाम का
22:24यह है धर्म
22:25धर्म स्वयम थोड़े ही कोई भाव होता है
22:38यह सन्नाटा समझदारी का नहीं होता जादा थर यह सन्नाटा खौस का होता है
23:02यह आदमी हमें कहां लेके जा रहा है
23:07मैं तुम्हें तुम्हारे रिशियों के और लेके जा रहा हूं
23:14मैं तुम्हें तुम्हारे वास्तविक धर्म के और लेके जा रहा हूं
23:18मैं तुम्हें सच्चा सनातनी बना रहा हूं
23:20जिसको तुम आज तक आस्तिक्ता मान कर बैठे थे, वो घोर नास्तिक्ता थी
23:34कलपनाओं किससे कहानियों, रूड़ियों का धर्म, इससे बड़ी नास्तिक्ता क्या होगी
23:50कि अड़ियों कहा हूँ है
24:10पर यप का आस्तिक्ता ओव्परी मान कर देंगी
24:20तुम्हें ब्लर कर देंगे, चिंता मत करो, कोई नहीं आएगा तुम्हारे घर पर, अचार जी कभी-कभी जो लोग लड़ रहे होते हैं धर्मे के नाम पर थोड़ा बच्चों जैसे ही लगते हैं, कि तुमने मुझे कैसे चड़ाया, तुमने मुझे कैसे चड़ा दिया, त�
24:50बलकि कुटिलता का काम कर रहा हो, और उसको तुम बोलो ये बच्चों जैसा है, ये बच्चों का भी अपमान है न, हैं बच्चे यहाँ पर, मारना इनको बहुत, वो बच्चों जैसे नहीं हैं, बच्चे तो बैचारे ना समझ होते हैं, ये जो ये सब काम कर रहे हैं, सब
25:20कि ये क्या कर रहे हैं सब जानते हैं जानते बूझते ये जूट बोलते हैं और मसूमों को फसाते हैं
25:27धन्यवादा चारी जी
25:32इस पर एक फॉलो अप था टूट विड़ाट अपालोजी के एक चैप्टर में इमोशन और
25:43क्लाइमेट क्राइसिस के बारे में जहां पर आपने बात करी है उसमें एक लाइन लिखी हुई है कि राइट सेंटर से
25:49इमोशन भी प्यूरिफाई होते हैं तो वही मैं देख रहा थे कि जो हमारा देश क्लेम करता है इतना
25:55भावना से पूर्ण है काफी देश और काफी इमोशन पर रन करता है वह इमोशन भी बहुत खोकले हैं क्योंकि वह मतलब अगर बहुत सतही चीज की बात करें अभी एक मैच वा था भारत पाकिस्तान का उसके पहले इमोशन इतने में डूबा वा था देश की सेना फौजी �
26:25पर भी नहीं टीकते हैं जिस चीज को जिस चीज पर अपना इमोशन से एक्सप्रेस करते हैं वो भी ऐसे मदलब शैलो ही है वो भी कुछ टिकाव नहीं है अजकर यह फूड ब्लॉगर्स बहुत हो गए तो इनका वह आएगा कि यह कैसे कैसे बना रहे हैं चीजे रील साती ह
26:55हाँ जी क्या डाला यह मक्षन डाला ऐसे ही होता है मक्षन डाला और और और नहीं नहीं अभी तो अवरात्री चल रही है तो इसमें हम प्याज लहसन नहीं डालते हैं
27:06मुझे तो लग रहा था कि थोड़ देर में मटन बनाना भी न दिखा दें बिना प्याज लह सुनका ये अभी
27:15आप सिर्फ अफसोस कर सकते हो और क्या बोलोगे इसमें आदमी तैही कर ले कि भीतर से पाखंड करना है तो उसको कैसे रोकोगो
27:30कोई चीज के लिए जब सुपफीशिल चीज का भी मोशन टिकता नहीं है वो भी आसे स्विच करता रहता है कि अभी भारत-पाथिसान का मैच भी इंजॉई कर रहा है इतनी भावनाई है
27:42सब दिखावा है वोई भावना है नहीं वास्तव में भावना के नाम पे भी स्वार्थ होता है अच्छे से समझ लो कोई भाववना आपनी दिखा रहा हो ना तो जान ले ना वहां भी उसका स्वार्थ है दंगे हो जाते हैं भावनाओं के नाम पर जब दंगे होते हैं तो
28:12तो वहाँ भी भावनाओं का नहीं खेल है या इसी का खेल है
28:16ये नहीं है कि वो तो उसकी धार्मिक भावनाई इतनी जवर्दस थीं कि उसने दंगा किया
28:24वहाँ भी उसका स्वार्थी काम कर रहा है
28:26जो दंगे भड़का आ रहा उसका भी स्वार्त है और जो दंगा करने उत्रा है सड़क पर उसका भी स्वार्त है
28:31वहाँ भी कोई भावना का खेल नहीं है पर जब आदमी अपनी प्रक्रियाओं को नहीं जानता भीतरी
28:38तो बाहर भी कोई भावना के नाम पर उसको कैसे लूट रहा है
28:42यह यह नहीं समझ पाता
28:44कोई आपके सामने आए और भावना दिखाए
28:46जान ली जगा कुछ चाह रहा है
28:48कुछ चाह रहा है
28:51क्योंकि वही डिफॉल्ट है
28:54आपके सारे emotions
28:56सारे emotions
28:58इगो सेंट्रिक होते है
28:59पर यह बात हम नहीं समझते
29:02हमको लगता है कि किसी ने आशू गिरा दिये
29:05तो बात पवित्र हो गई
29:06क्या दे मैंने अपने सारे पापों का आशूं से धो धोके
29:10प्राइश्चित कर दिया
29:12अब मैं पवित्र हो गया हूँ
29:13कोई भी भावना दिखा रहा है
29:18तो उसके पीछे स्वार थे
29:19बिलकुल पूरा पूरा स्वार थे
29:22आशू भी ऐसे नहीं गिरते हैं हमारे
29:23आशू भी अहंकार से आग्या लेके गिरते हैं
29:27आशू भी अहंकार का ही काम करने के लिए गिरते हैं
29:30और आंसु भी इसलिए गिरते हैं
29:33मैं आपसे साधारन कोई बात बोलू
29:36तो आपको ले गए पता नहीं क्या है
29:38बरगल आ रहा है क्या कर रहा है
29:40अभी मैं खड़ा हो जाओं और
29:41रोने लग जाओं
29:43तो बाकाइदा उसका वीडियो बन जाए
29:46एकदम वाइनल हो जाएगा कि देखो देखो
29:47क्या पवित्रता है भाव की भाव देखो
29:49इसलिए आंसु गिरते हैं
29:52क्योंकि आंसु गिरा करके
29:54बहुत आसान हो जाता है
29:55बेवकूफ बनाना दूसरे को
29:57मुझे आपसे पैसे चाहिए
30:00मैं आपसे आके कहूँ यार पैसे देना जरूरत है दुसरे देना
30:03वो सकता आप मना कर दो
30:05मैं आपके आगे आके रो दूँ
30:06आप दे दोगे तुरंत क्योंकि आपने
30:09आपने आसुओं को पवित्रता का या सच्चाई का या इमानदारी का
30:13सूचक मान रखा है जबकि वो होते नहीं है
30:15वो बिलकुल नहीं होते
30:17दुनिया में सबसे गंदे तरीके से
30:21वो लोग ठगे जाते हैं
30:23जो आशुओं की सच्चाई नहीं जानते
30:25उनको आशुओं में ही घोल दिया जाता है पुरा
30:30कोई तुम्हारा काम ना कर रहा हो जाकर के
30:33भाव दिखा दो भाव
30:36वो भाव करोध का भी हो सकता है
30:39कोई तुमसे साधारन रूप से कुछ बोले
30:41नहीं मान रहा हो
30:42वो मानेगा
30:44क्योंकि आप भाव को बड़ी बात समझते हो
30:47और भाव को आपको बड़ी बात समझना पड़ेगा अगर ज्ञान नहीं है तो
30:52ज्ञान नहीं है जो आपको बताता है कि सारी भावना अहंकार जनित होती है
30:57भावना में कोई सच्चा ही नहीं होती
31:02भले ही आपको लगराओ कि
31:04मेरी बड़ी शुद्ध भावना जैसा
31:06कुछ नहीं होता भाई
31:07कुछ नहीं होता जिसका केंद्र ही
31:10अशुद्ध है वहाँ शुद्ध भावना क्या होती है
31:12शुद्ध भावना तो बस तब हो सकती है
31:14जब स्वयम भावना भी
31:16आतमस्त हो गई हो
31:17पर उसके लिए
31:19तो ग्यान चाहिए
31:21उसके लिए तो ग्यान चाहिए
31:25कितने लोग ठगे गए हैं
31:27ये sentiments के खेल में जिंदगी में
31:29चाहे दूसरे का चाहे अपने का
31:31अरे उठा दो
31:32मैं तो रोजी ठगा जाता हूँ
31:38बाकाईदा सूची आती हैं
31:41आचाहर जी ये 600 जने हैं
31:42इनको निकालने कम्यूनिटी से
31:43ये ये इन्होंने हरकतें कर रखी हैं
31:45या नहीं कर रखा है
31:46मैं यूँ जो रोकता हूँ कि नहीं इतने नहीं
31:49कुछ को निकाल दो
31:51बाकियों को और मौका दो
31:53और
31:59वही
32:01आंतरिक व्यवस्था ऐसी है
32:04आप ठगे जाओगे
32:12आप ठगे जाओगे
32:15संस्था के पहले
32:212015 से लेके
32:232021-2022 तक 7 साल में
32:25शायद 6-7
32:26शायद कोई निकाला ही नहीं गया
32:29कोई अपने आप छोड़की गए होंगे तो गए होंगे
32:30कोई निकाला ही नहीं गया
32:32क्यों कि तब छोटे थे तो
32:34सब लगबग मुझे ही रिपोर्टिंग करते थे
32:36और उसका नतीज़ा यह हुआ कि
32:40जिनको होना ही नहीं चाहिए था
32:42वो भी पड़े रह गए
32:43जिनको शुरू में ही निकाल देना चाहिए था
32:46और अभी बहुत अच्छी बात यह हुई है कि
32:49सब विभागों के अपने अपने हेड्स है
32:51और उनको निर्देश है कि
32:54मुझे बताना मत चुपचाब निकाल देना बस
32:56मेरे सामने बात आनी भी नहीं चाहिए
32:58क्योंकि मेरे सामने आ गई तो शाद मैं रोक दूँगा
33:00मैं कहूंगा अभी और मौका दे दो
33:03अभी उम्मीद है थोड़ा और दो
33:04थोड़ा और मौका दो
33:05सब ठगे जाते है
33:14भाव आ गया
33:16और भाव से बड़ा ठग दूसरा नहीं होता
33:28आरी ये बात समझ में
33:30सारे भाव अच्छे समझिएगा
33:33स्वार्थों की पूर्ति के लिए ही होते हैं
33:37खोजिएगा आपको मिल जाएगा
33:40आपको किसी पर प्यार आ रहा है
33:43कुछ और नहीं है
33:45आप अपने प्राकृतिक उदेश बूरा गरना चाहते हैं
33:48कुछ और नहीं है
33:48जितने भी आप भाव बोलते हैं
33:52ममत्तों मा का बच्चे के लिए भाव
33:54वो किसलिए होता है
33:56कुछ भी नहीं हो
33:56प्रकृतिक ये कारेकरम को
33:58संचालित करने के लिए होता है
34:00भाव ये भाव वो भाव
34:04और आप लोगों में भी जब देखता हूँ
34:09कि बोध्र से ज्यादा भाव हो रहा है
34:11कई बार संस्था के लिए ही
34:12कई बार मेरे लिए ही
34:13अचार जी I love you
34:14तो मुझे वहाँ भी खत्रा देखता है
34:17प्रेम भावना नहीं होता
34:20और भावना प्रेम नहीं होती
34:23आप जो प्रदर्शित कर रहे हो
34:26उसमें प्रेम कहां है और भावना कहां है
34:28ये अभी जाचना बाकी है
34:32भावना तो बड़ी सस्ती चीज होती है
34:41बोलत रहों पश्वों में भी होती है
34:43भावना अन्धी चीज होती है
34:45आप अपनी कोई भावना बताओ जो पशो में नहीं होती बताओ एक भावना बताओ जो पशो में नहीं होती
34:53इसका मतलब समझो चेतना का कोई संबंधी नहीं है भावना से
34:57आप बिलकुल मूरक आदमी हो सकते हो फिर भी सब भावना होंगी जो पशो में होती है
35:01आप बिलकुल कुटेल आदमी हो सकते हो फिर भी आप में उसारी भावना होंगी जो पशुव में होती है
35:07लेकिन हमें इस वाज़ा बड़ा नाज होता है
35:16You know, we Indians, we are extremely emotional people
35:19That's not something to be proud of
35:27हमें आपे suppression of emotion की बात नहीं कर रहे हैं
35:30हमें हां understanding of emotion की बात कर रहे है
35:34भावना ये प्राकरतिक है, ठीक है
35:41न उनको फुलाना है, न उनको गिराना है
35:45न उनको बुलाना है, न उनको भगाना है
35:47भावनाओं का एक प्रवा है, वो चल रहा है
35:49पर आपको पता तो हो कि ये क्या चल रहा है
35:51आपको पता भी नहीं क्या चल रहा है आप नहीं जानते क्या चल रहा है अब नशा कर लेते हो भावनाई बदल जाती है कि नहीं बदल जाती है
36:03बोलो
36:07म्यूजिक चल रहा आप कहीं जाते हो
36:11और विशेश तरह की लाइट से साइकेडेलिक और भावना ही बदल जाती है कि नहीं
36:14कोई आपके बगल से निकला परफ्यूम लगा करके
36:18और वो सेडेक्टिव परफ्यूम है आपकी नाक में पड़ी भावना ही बदल जाती है कि नहीं
36:22और यहीं निकला और एकदम मुर्दे जैसा गंधार आये तो भावना बदल जाती है कि नहीं
36:26तो देखनी रहे हो भावना क्या चीज होती है
36:31और महिलाएं तो जानती होंगी पिरियेट्स में तो भावना ये मूट स्विंग ऐसे ऐसे होता है
36:38आप नहीं जानते हो क्या है हॉर्मोनल है और क्या है
36:40और आपको उसमें क्या इतनी उसको इज़त दे रहे हो
36:44इतना उसको महत्तो दे रहे हो कि भावना बड़ी बात है
36:47कुछ भी नहीं है
36:49एक मिलिग्राम और सीक्रीशन हो गया भीतर से
36:53तो भावना इधर भगेगी नहीं तो फिर उधर भगेगी
36:55एक छोटे से छोटा वो इंस्टाग्रामर होता है न वो भी जानता
37:06इमोशन्स मैनिपुलेट कैसे किये जाते हैं
37:08कुछ भी नहीं है थोड़ा बैग्राउंड म्यूजिक लगा दो
37:09कुछ भी सड़ा सा वीडियो होगा उसमें लगा तो बैगराउंड म्यूजिक को देखा वो धड़ड़ा के भगेगा
37:15हर व्यापारी जानता है भावनाएं कैसे उत्तेशित की जाती है
37:19आप जब छोटे रहोंगे वो चाट वाला आता था वो अपना तवाव जाता था
37:26अइतने पर भी नहीं हुए तो क्या करता था कि वो थोड़ा सा जो भी घी तेल था उसको डाल देता था
37:35जिन घरों के सामने पता होता था यहां बच्चे रहते हैं यही आएंगे बाहर टिक की खने
37:39और जहां उसकी गंध नाक में पड़ी तहां पूरा भाव उबल पड़ता था कि खा नहीं है
37:44होता था कि नहीं होता था यह होती है भावना उन्हें दम क्या है
37:51परफ्यूम, हेर कट, मेकप इससे बदल जाती है भावना
38:00थोड़ा सा कोई शरीर दिखाने वाले कपड़े पहन ले देखो पुरिशों की भावनाई कैसे बदलती है
38:10अभी आईए ऐसी सल्वार सूट पहन के हाँ हाँ आओ बहने हाँ बैठो
38:14उसके बाद आजाईए आप थोड़ा सा कुछ और पहन करके
38:19आईए बावनाउं का अथार्त यह है भावनाउं का अथार्त
38:26यह इसान करेंगे अपने आप पे
38:41एमोशन को इंपोर्टेंस देना कम करेंगे
38:45आंसूं में पहना बंद करेंगे
38:49बल्कि कोई आंसूं बहा रहा हो
38:52तो और अलर्ट हो जाईए
38:54लोग मगर मच्छे है
38:56कोई साधारण आपसे कोई बात कर रहा हो सकता है
39:01फिर भी वहां कुछ सच हो
39:02पर अगर कोई आंसूं बहा बहा करके
39:04और भाव प्रदरशित करके कुछ कर रहा है
39:06वहाँ ज्यादा संभावना है फ्रॉड की
39:08खास कर इस बात पर नजर रखिए कि
39:13कोई विक्ते जान बूझ कर तो आपको
39:15emotionally एक्साइट नहीं कर रहा
39:18पूछी अपने आप से
39:19इसने जो कर रखा है अभी मेरे सामने आया
39:22जिस तरीके से इसने मेरे कंधे पर हाथ रखा
39:24जिस तरीके से इसने अपना चेहरा बनाया
39:27ये सब तो
39:29बिल्कुल सुनियो जित लग रहा है
39:34मुझे भावुक करने के लिए लग रहा है ना
39:36चाहे वो फिल्म की स्क्रीन पर हो
39:38चाहे दोस्तियार हो, चाहे परिवार हो
39:40चाहे बाबा जी हो
39:41चाहे आपके निता जी हो
39:44पुछिए अपने आपसे, यह जो काम कर रहे है
39:46यह तो कर ही रहे हैं मुझे
39:47emotionally manipulate करने के लिए
39:49यह तो काम करा ही, बिलकुल
39:51इस planning के साथ जा रहा है कि यह सब होगा
39:54तो मैं emotional हो जाओँगा, हो जाओँगी
39:56महिलाएं जादा जल्दी हो जाती है
39:58तुरंत
40:00और यह तो camera का यूग है, camera का यूग में
40:06पूछा करिये, कि यह जो इतना
40:08emotionally कुछ इन्होंने
40:09exciting या intimate दिखा दिया
40:12यहां camera कही से पूछा
40:13और वो भी एक नहीं, अलग-अलग तरीके से
40:15दिखा रहे होगी, बाबा जी ऐसे रोए, फिर ऐसे
40:17रोए, फिर ऐसे रोए, आठ camera लगा के
40:19रोए
40:19यह हुआ कैसे
40:22और वो कौन बैठा है, जिसने बाबा जी के रोने पे
40:29पीछे से वो बिलकुल मुहम्मद रफी का
40:43किसी भी जगह पर जाओ, चाहे हो कोई साधारन
40:55जगह हो कि ऐसी हो कि पवित्र जगह हो, आप पूछो कि यहां मुझे
40:58emotionally excite करने के लिए क्या-क्या व्यवस्था की गई है, पूछो
41:03अपने आप से
41:03अब बहुत लोग होते हैं, जिनने पता भी नहीं होता कि उन्हें emotionally
41:15manipulate किया गया है, वो कहीं पर जाते हैं, जहांपर
41:17बाहौल बनाया ही इस तरह से गया है
41:19कि वो उनके भीतर
41:21किसी भाव का संचार हो
41:23वो कहेंगे, यहां वाइब्स
41:25बहुत प्योर हैं
41:27वाइब नहीं प्योर हैं
41:29बहुत हिसाब लगाके, बहुत जोगार लगाके
41:31बड़े प्रिसिशन के साथ
41:33वहां इसा महौल बनाया गया है
41:35कि तुम वहां जाओगे और तुमको
41:37खास किसम के अनुभूते होने लगेगी
41:39यह किसी शातिर दिमाग की उजना है
41:41तुम्हें दिख नहीं रहा
41:46यह वाइब जोगारा की नहीं बात है
41:47energies की नहीं बात है
41:48you know you have gone to that place
41:50I mean you have to experience those energies
41:52I mean wow
41:53that place is a different level of energy
41:56I tell you
41:57aray murak
41:58वो सब पुरी planning से होता है
42:01तुम भी कर सकते हो
42:03और करते भी हो
42:05birthday surprise किसी को देते हो
42:08तुम्हें पता होता है न
42:11कैसे कैसे सेटिंग करनी है लाइट बंद करके रखनी है फिर उसको कैसे बुलाना है फिर क्या करना है तो मैं पता है कि कैसे क्या करोगे तो वो एमोशनली हैपी हो जाएगा उसी तरीके से हर व्यापारी हर विग्यापन दाता और हर धर्म गुरु जानता है कि तुम्हारे एम
42:41इतनी जल्दी बहने बहकने को
42:45तैयार मत रहा करो
42:47किसी पूरी दुनिया में क्या होता है
43:04पॉलिटिक से लेके
43:06रिलिजन तक ये समझना है ना
43:07तो किसी अच्छे स्टोर में चले जाओ
43:10और वहां का जो शॉप फ्लोर मैनेजमेंट है
43:12उँदेखो कैसे होता है
43:13देखो कि कस्टमर
43:16को बांधे रखने के लिए
43:19कैसी कैसी कोशिशे की जाती है
43:20तब समझ में आएगा कि
43:21पॉलिटिक्स और रिलिजन दोनों कैसे चलते हैं
43:23कैसे एक वोटर को बांध के रखता है
43:26और कैसे एक डिवोटी को बांध कर रखता है
43:28समय चालिस होगी है क्लोस आज क्लोस कर अभी तो लगाता है
43:43तीन-चार दिन सत्रे हैं ही आईए आप लोग
43:46नमस्ते सभी को मेरा नाम रोहत है
43:56और मैं करीब 2 सालों से सत्रों से जुड़ा हुए हूँ
44:00सत्र से वैसे बहुत फायदे हुए हैं
44:03जिन्दगी में बहुत बदलाव आए हैं
44:05लेकिन जो एक दो बदलाव हैं वो में साजागरना चाहूंगा
44:08सबसे पहला ये कि सत्रों से जुड़ने के बाद
44:12बाविशे को लेकर जो एक डर होता है हमारे जीवन में वो काफी कम हो गया है और उसका परिनाम यह हुआ है कि मैं करीब आट सालों से
44:21कॉर्परेट की नौपरी कर रहा था और उसको पीछे छोड़कर आज मैं आनिमल वेलफेर और क्लाइमिट चेंजिज जो रिलेटेट पॉलिसीज हैं उन पर काम कर रहा हूं
44:30तो यहां तक पहुचने के लिए मैंने कई बंधन और कई दरों को पीछे छोड़ा है और यह इसलिए हो पाया है क्योंकि मैं गीटा सत्रों में निरंतर बना रहा था
44:42जो दूसरा एक बहुत बड़ा फाइदा हुआ है कि जो यह सत्र होते हैं उसमें सिर्फ अध्यात्म की बात ही नहीं होती है उसमें दुनिया के हर विशय पे चर्चा होती है चाहे वो साइंस की बात हो टेक्नोलोजी हो जियो पॉलिटिक्स हो और भी अन्निमुदों पर बा
45:12मैं कहीं भी होता था तो मेरे ऐसे कुछ strong opinions नहीं होते थे मेरा presence उसमें कुछ strong नहीं होता था जबकि आज मैं कहीं पर भी होता हूं तो उस discussion को मैं अपने हिसाब से एक दिशा मेले के जा पाता हूं और जो ज़रूरी मुद्दे हैं उनको उठाने के शमता रखता हूं तो इ
45:42कर दो
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