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00:00:00belief is sacred, नहीं, truth is sacred, truth is sacred, belief is not sacred, सर जुकाना बंद करो
00:00:07तो बात होगी सन सोरा सो दस के आसपास की
00:00:12मुगल बाच्छा जहांगीर के धरवार में अंग्रेज दूत पहुँचते हैं नए नए
00:00:16वो छोटी सी घड़ी थी जिसने हिंदुस्तान फतह कर लिया
00:00:30और वो तकनीक अगले 300 साल तक भारत की गुलामी बनी, एस्ट्रोनमी थी तकनीक
00:00:411857 में ही बृटिश यहां से भगा दिये गए होते, अगर उनके पास एस्ट्रोनमी नहीं होती
00:00:47विज्यान के दम पे उन्होंने राज करा है, ठीक जब हम होरोस्कोप से खेल रहे थे
00:00:53बिटेन टेलिस्कोप से खेल रहा था, विज्यान आपको दुनिया भर का राजा बना देता है, तो सन नेवर सेट इन दे बिटेश एंपायर
00:01:01कि भारत में फिर से ये जो लहर उठती देख रहा हूँ, जो आपका सवाल था, एस्ट्रोलोजी और इस तरह के पचास तरीके के अंधर विश्वास और पिछडी वई मान सिकता हैं, जो फिर से चढ़ रहे हैं, इसका अंजाम क्या होने वाला है भारत के लिए
00:01:15अचारी जी, मेरा प्रशना एस्ट्रोलोजी उपर है, आजकल हमारी निर्भरता एस्ट्रोलोजी पे बढ़ती जा रही है, बहुत सारे निव एप्स भी आ गए एस्ट्रोलोजी पे, टेकनोलोजी के जरीए, लोगों तक इसका प्रशार किया जा रहा है, और हम लोग अपन
00:01:45तो सही या गलत तो इससे ते होता है न कि वो चीज क्या है, इंसान का सभाव है जानना, तो जहां कहीं भी जिग्यासा हो, जानने की इच्छा हो, तारकिकता हो, बैज्ञानिकता हो,
00:02:15सच्चाई और तत्थेओं के लिए सम्मान हो, वो तो अच्छा ही होता है, उसमें तो कभी कुछ बुरा नहीं हो सकता, और इसके विपरीत जहां, उतको ही जहासा देने की कोशिश हो, और अनपर्खी माननेताएं हो, वहां कुछ अच्छा नहीं हो सकता है,
00:02:42तो इसी से सब तय हो जाता है,
00:02:47देखिए, यह जितने आकाशिये खगोलिये पिंड हैं,
00:02:57इनका मनुष्य के जीवन पर कोई प्रभाव पढ़ता हो, ना इसकी कोई पुष्टी है, ना इसका कोई प्रमाण है, लेकिन ऐसी बाते करके, मनोवज्ञानिक रूप से हमें एक सांतोना मिल जाती है, यह जाती है।
00:02:59इनका मनुष्य के जीवन पर कोई प्रभाव पढ़ता हो, ना इसकी कोई पुष्टी है, ना इसका कोई प्रमाण है, लेकिन ऐसी बाते करके, मनोवज्ञानिक रूप से हमें एक सांतोना मिल जाती है।
00:03:27पहला ये कि मेरी सिंदगी में जो हो रहा है, उसका जिम्मेदार मैं नहीं हूँ, भाग्य है।
00:03:35मैं क्या करूँ, सूरच चांद नक्षत्र की स्थिती ही मेरी ऐसी चल रही है कि मेरे साथ जो होगा उल्टा पुल्टाई होगा, तो अपने दुख या अपने बंधन का जिम्मेदार मैं नहीं हूँ।
00:03:47तो जिम्मेदारी से बचने मदद मिल जाती है, आदमी इर्रिस्पॉंसिबल रह पाता है, और दूसरा जो भीतर सदा डर बैठा होता है कि आगे क्या होगा, तो एक तरह कि सांतोना मिल जाती है खुद को कि आगे क्या होने वाला है, मैं ये जान सकता हूँ और नियंतरित कर
00:04:17सकता हूँ और कुछ-कुछ विधियां ओपाए, रिचूल्स करके मैं उनको नियंतरित भी कर सकता हूँ, तो कुल मिला करके इस पूरी चीज का मनोवै, ज्यानिक कारण बस इतना है, इर्रिस्पॉंसिबिलिटी और इन सेक्यूरिटी, इर्रिस्पॉंसिबिलिटी मने, अप
00:04:47थोड़े ही असफल हूँ, मुझे तो असफल किया जा रहा है क्योंकि इस वक्त पर मेरी जो है, ग्रहन अक्षत्र दशा ऐसे चल रहे हैं कि मैं क्या करूँ, और दूसरा डर जब बहुत है, भविश्य को लेकर, तो अपने आपको ये संतुना दे लेना कि चलो भविश्य को
00:05:17चुका हूँ, जोतिश पर, एस्ट्रोलोजी पर मैं आपसे बहुत बार बाते कर चुका हूँ, आप कई बार पूछो के तो भी मैं बस ये बता सकता हूँ कि कौन सी भीतर चीज होती है, जो इस प्रकार की संतुनाओं की मांग करती है, भीतर कौन वो बैठा है, डरा हुआ,
00:05:47यही बता सकता हूँ, आप अगर समझना चाहते हैं कि उससे नुकसान क्या होता है, आपने पूछा ना सही क्या है, गलत क्या है, सही गलत क्या आगे हानिलाभ भी आपको देखना है अगर, तो उसका एक तरीका है, जो मुझे सूझ रहा है, इसकी तुलना ना, एस्ट्रोलो
00:06:17तो पता चलेगा कि हानिलाभ कितना है, जोतिश शास्त्र और खगोल विज्ञान, एस्ट्रोनमी, अब बैठ जाएए, अब बात लंबी जाएगी, एस्ट्रोलोजी भर होता तो मैं यही पर रुख जाता, अब लंबी जाएगी लेकिन,
00:06:47तो बात होगी सन सोरा सो दस के आसपास की, ठीक है, मुगल बादशा जहांगीर के धरवार में अंग्रेज दूथ पहुँचते हैं, नए नए, अंग्रेजों ने भारत में आना, अभी शुरू ही करा है, तो यह नए दूथ पहुँचते हैं और कह रहे हैं कि हम इंग्लें�
00:07:17इंग्लेंड की बादशा की ओर से हम आपके लिए कुछ तोहफे भी लेकर आए हैं, तो उन्होंने जो तोहफे थे वो पेश किये जहांगीर के सामने, तो उन तोहफों में एक जो उभरती हुई ब्रिटिश मशिनरी थी, तो उससे तयार किया गया एक उनी शॉल जैसा था,
00:07:47कुछ और चीजें थी, और साथ में एक घड़ी थी, मेकैनिकल क्लॉक, क्या थी, घड़ी, मेकैनिकल क्लॉक, तो जहांगीर ने वो सब स्विकार कर लिया, और ऐसा रिटर्न गिफ्ट, कि ठीक है आपने हमाई, यह भी जो है, आप जाके आप अपने राजा को, इंगलेंड क
00:08:17और हीरे जोहरात और यह सब चीजें, उनको दी कि ठीक है, अब आप यह उनको हमारी ओर से दीजिएगा, इसके बाद यह सब जब दूद चले गए दरवार से, तो जहांगीर ने पूछा, यह इंगलेंड का जो बादशा है, यह है भी कोई बड़ा बादशा है, जो इंगल
00:08:47साइन्टिफिक सॉफिस्टिकेशन रखती थी कुछ हद तक, सोना चांदी नहीं भिजवाया था, वहां से सोना चांदी नहीं भिजवाया गया था, जो सबसे साइन्टिफिकली सिग्निफिकेंट चीज भिजवाई गई थी, वो थी क्रोनोमीटर, घड़ी, हम आ रहे हैं, �
00:09:17जहांगीर को भी और दर्बारियों को यह बढ़िया चीज है, भारत में भी घड़ियां होती थी, पर वो उस तरह की होती है, तो जो संडायल होते हैं या जो पानी वाली घड़ी होती है, मेकैनिकल इंस्ट्रूमेंट नहीं था कोई भारत में, तो बड़ा अच्छा लगा क
00:09:47कि इंग्लेंड लगता है कोई दमोम नहीं है बहुत ज़्यादा, देखो क्या भीजवाई है, छोटी सी घड़ी भीजवाई है, इसमें क्या होता है, वो छोटी सी घड़ी थी जिसने हिंदुस्तान फतह कर लिया,
00:09:58समझते हैं, बात क्या है, इंग्लेंड जो है न वो आइलेंड है, ब्रिटिश आइल्स हैं हो सारे, आइलेंड है, वो पानी से घिरे हुए हैं चारो और से, उन्हें जो कुछ भी करना है, उन्हें समुदर पर ही करना है,
00:10:21रॉयल नेवी का आपने सुनाओगा बहुत बड़ी होती है, रॉयल आर्मी जो है, वो बहुत छोटी होती है, ब्रिटिश एक्सपीडिशनरी जो फोर्स है, वो सेकेंड वर्ल वार में भी इतनी सी थी, उनकी लेगे नेवी बड़ी होती है, संसाधन ब्रिटेन के पास अप
00:10:51उसी से उन्हें अपनी रक्षा करनी थी, उसी से उन्हें व्यापार करके समृध्धि पानी थी, तो पंद्रहवी सोलवी शताबदी में समुद्र में बड़ी होल लगी होई थी, जिसमें ब्रिटेन की प्रतियोगिता थी सबसे ज़्यादा स्पेन और पुर्तगाल के साथ,
00:11:21लेकिन समुद्र में चलने के लिए, जहाज को अपनी जगह का पता होना जरूरी होता है, नहीं तो जहाज चल तो देगा ब्रिटेन से, पहुश पता नहीं कहां जाएगा,
00:11:37पहुश पता नहीं कहां जाएगा, पता कैसे करें, जो लेटिच्यूड होता है, अक्षांश, उसको पता करना असान होता है, तूरत की स्थिति देखलो पता चल जाता है, वो असान होता है, लेकिन लॉंगिच्यूड पता करना मुश्किल होता है, जिसको हम देशांतर बोल
00:12:07आपका जहाज कहीं भी इधर उदर भटक जाएगा, टकरा जाएगा, टूटेगा, एक बड़ी भारी दुरगटना हुई भी थी, इंग्लेंड के जहाज की वो तेरह सो लोग थे, लोंगिचीवट ठीक से नहीं समझ पाए, तो वो जा करके भिढ़ गए, तेरह सो के तेरह सो,
00:12:37बिटेन को अपने आपको सुरक्षित रखना है, सबसे पहले सुरक्षित और उसके बाद संपन, तो जरूरी है कि जहाज यात्रा करें, चाहे वो ट्रेडिंग शिप हो, चाहे नेवी शिप हो, जहाज यात्रा करें, और जहाज यात्रा करें, उसके लिए जरूरी है कि लॉ
00:13:07सुना है न, Greenwich Mean Time
00:13:09तो अभी हम बात कर रहे थे
00:13:131610 के आसपास की, 1675
00:13:15में
00:13:16वहाँ पर राजा ने
00:13:19जो
00:13:21Royal Observatory है
00:13:22Greenwich में
00:13:25उसका उदगाटन किया
00:13:26और उसका एक ही
00:13:29लक्ष था कि Longitude
00:13:31कैसे Determine किया जाए
00:13:33और England दुनिया में
00:13:37सबसे आगे निकल गया
00:13:39इस एक चीज में Longitude
00:13:41पता करने में कि अगर कोई
00:13:43जहाज किसी जगह
00:13:45पर है तो उस जगह का अपना
00:13:47वो Longitude कैसे पता कर ले
00:13:48Britain ने पता कर लिया
00:13:55Britain ने तकनीक निकाल ली
00:13:59और वो तकनीक
00:14:01अगले 300 साल तक भारत की गुलामी बनी
00:14:05Astronomy
00:14:07Astronomy थी तकनीक
00:14:09ठीक जब हम
00:14:16Horoscope से खेल रहे थे
00:14:18Britain टेलिसकोप से खेल रहा था
00:14:24और वही जो अंतर था
00:14:28Horoscope वर्सेस टेलिसकोप
00:14:30वो भारत की कोलोनियल गुलामी बन गया
00:14:37Horoscope वर्सेस टेलिसकोप
00:14:42वो भारत की गुलामी बन गया
00:14:44जहाज हमारे पास भी थे
00:14:49पर हमारे पास astrology थी
00:14:52Astronomy नहीं थी
00:14:53और हमारे जहाज
00:14:56कुछ मायनों में
00:15:00British जहाजों से बहतर थे
00:15:02इसका प्रमाण हमें ये मिलता है
00:15:04कि अंग्रेज जब भारत आये थे
00:15:06तो उन्होंने भारतिये बंदरगाहों पर ही
00:15:09बने कई जहाज खरीदे
00:15:11उन्होंने का यहाँ भी जहाज अच्छे बनते हैं
00:15:16उन्होंने भारतिये बंदरगाहों पर ही
00:15:17बने कई जहाज खरीदे
00:15:19हमारे जहाज हमारे पास
00:15:21Astronomy नहीं थी
00:15:22Astronomy बने क्या होता है
00:15:24जान पाना कि
00:15:27ये सारे जो
00:15:29चान तारे हैं
00:15:31ये किस आधार पर गतियां करते हैं
00:15:34ये किस आधार पर गतियां करते हैं
00:15:37और अगर वो जान पा रहे हो तो फिर आप समुदर में यात्रा कर सकते हो
00:15:40उनको देख देखकर समुदर में यात्रा कर लोगे
00:15:42क्योंकि और तो कुछ था नहीं, satellite navigation तो था नहीं, इन्हीं को देख के आत्रा करनी है, उनको देख के आत्रा करने के लिए astronomy चाहिए
00:15:50जहाज हमारे पास भी थे, पर हमारे सारे जहाज monsoon circuit पर depend करते थे
00:15:55और वो अधिक से अधिक जाते थे, इधर अरब तक चले आते थे, या इस्ट अफरिका चले आते थे, या साउथ इस्ट एशिया चले आते थे
00:16:02एक दो महीने तक का काम कर लेते थे और जो monsoon winds का pattern था उसको follow करते थे energy के लिए
00:16:09wind power पर चलते थे, तब तब engine तो होता नहीं थे न, तो चाहे वो अंग्रेधी जहाज होगे भारतिय जहाज हो चलता तो वो
00:16:17wind energy पर इथा होई sails, masts लगे होते थे, उन्हीं को wind के corresponding adjust करके आप जहाज को गति दिया करते थे
00:16:26हमारे पास भी जहाज थे, पर हमारे पास astrology थी, astronomy नहीं थी, नहीं तो हो तो ये भी सकता था कि जैसे समुद्र पर चल कर वो यहाँ आ गए, उन्हीं समुद्रों को लांग कर हम भी वहाँ चले जाते
00:16:43जैसे वो यहाँ आ गए वैसे हम भी वहाँ चले जाते पर हम वहाँ पहुंच यह नहीं पाते क्योंकि वहाँ पहुंचने के लिए क्या चाहिए
00:16:51एस्ट्रोनमी चाहिए
00:16:53हम वहाँ पहुंच ही नहीं पाते
00:16:56और astronomy ये नहीं कहती है कि पुरानी जो किताब पड़ी है उसमें जो लिखाया है वही सत्य है
00:17:03astronomy कहती है प्रेक्षन अवलोकन तत्य अनुभव जन्ने होगा
00:17:11देखो अब्जर्व करो उसका नाम ही था The Royal Observatory at Greenwich
00:17:16भारत को गुलाम इंग्लेंड ने नहीं बनाया है वो तो GMT वाला G है उसने बनाया है
00:17:23जो GMT वाला G है ना भारत वहां से बनाया
00:17:29वहां पे नए नए instruments बनते थे, calibrate होते थे, नए नए charts बनते थे
00:17:37navigation tables बनते थे और सब captains को दिये जाते थे कि इनका इस्तिमाल करके
00:17:43अब तुम इंडिया पहुँच सकते हो या बाकी colonies तक पहुँच सकते हो
00:17:47और यह जितने captains होते थे जहाजों के, यह सब अपनी यातरा के दौरान
00:17:55लगातार observations कर रहे होते थे, यही सब celestial bodies का
00:17:59यानि astronomy के experiments कर रहे होते थे, और जब यह वापस पहुँचते थे
00:18:03इंग्लेंड, तो Greenwich में इन्होंने जितना data एकठा गया होता थे, यह उनको
00:18:06सौब देते थे, कि here is more data for you, अब आप इस पर और conclusions निकालिए, और निकालिए,
00:18:13समझ में रहे हैं यह बाती है, astrology की जगए अगर भारत ने astronomy पकड़ी होती है, हम कभी गुलाम नहीं बनते, कभी नहीं
00:18:29इन से पहले, British से पहले पुर्टगाली यहां आ गये थे, और पुर्टगालीओं का भारत आना, वासकोटिगामा का उधर, केरल की तरफ पहुँचना,
00:18:41ये भारत के लिए जटके की तरह था कि इतनी दूर से हाँ कोई आग ऐसे सकता है
00:18:47क्योंकि हमने साइंस में कभी इंवेस्टमेंट ये नहीं किया था
00:18:59मुगलों का जमाना था, सारा इंवेस्टमेंट किसमें हो रहा था इमारतों में
00:19:03और कलाओं में, बड़ी-बड़ी मारते बनाई जा रही थी
00:19:07उसका एक पतिशत इंवेस्टमेंट भी साइंस में नहीं हो रहा था
00:19:12तो जब वह यहां पहुँचता है तो बादशाहों को सदमा लग जाता है
00:19:18कि ये हो कैसे सकता है, हो कैसे सकता है
00:19:21ये अंतर होता है विज्ञान में और विश्वास में
00:19:32विज्ञान आपको दुनिया भर का राजा बना देता है
00:19:37विज्ञान आपको दुनिया भर का राजा बना देता है
00:19:43और विश्वास आपको आपके गर में मुठी भर गोरों का गुलाम बना देता है
00:19:49यह अंतर होता है astrology और astronomy में
00:19:57और अभी तो कहानी शुरू हुई है
00:19:59ठीक जिन तरीकों से अंग्रेज भारत पहुँचे
00:20:05वैज्ञानिक तरीकों से
00:20:07जो astronomical knowledge, calculations और instruments थे उनके पास
00:20:14उन्हीं का इस्तिमाल करके उन्होंने भारत पर राज भी करा
00:20:18क्योंकि राज करने के लिए आपको जगह का पता तो होना चाहिए
00:20:23The Great Trigonometrical Survey of India
00:20:281801 में शुरू हुआ, 1872 तक चला
00:20:31और उसी सर्वे का इस्तिमाल करके 1857 का जो गदर था
00:20:36विद्रो था, वो कुछ ला गया
00:20:38क्योंकि बिटिश अकेले थे जिनको सब पता था
00:20:42ठीक ठीक कौन सी नदी कहां से शुरू होती है और कैसे करके कहां पहुँचती है
00:20:47कौन सा जंगल कहां शुरू हो रहा है, कहां खत्म हो रहा है
00:20:50ये उन्होंने एस्ट्रोनमी से पता करा
00:20:53उन्हें पता था कि कौन सी पहाड़ी की कितनी उची है
00:20:591857 में ही बिटिश यहां से भगा दिये गए होते
00:21:04अगर उनके पास एस्ट्रोनमी नहीं होती
00:21:08विज्ञान के दम पे उन्होंने राज करा है
00:21:11बात समझ में आ रही है
00:21:16तो खगोल विज्ञान और वहां से क्या आता है फिर
00:21:20मान चित्रण, मैपिंग
00:21:23परफेक्ट मैप्स बना लिए उन्होंने और जिसके पास मैप है
00:21:29जो बिलकुल जानता है, अब वो ये भी जानता है
00:21:31रिसोर्स क्लस्टर्स कहां पर है, कहां से खुदाई करनी है, कहां से क्या करना है
00:21:35रिल्वेज अगर डालनी है, तो कौन सा सही रास्ता रहेगा
00:21:37और भारत किसमें उल्जा हुआ था?
00:21:44इस दौरान भी कुंडली और मुहूर्त में
00:21:46कुंडली और मुहूर्त
00:21:51बिटिश बोलते थे, you pray to the heavens, we measure them
00:21:59तुम जिनकी पूजा करते हो, हमने उनको नाप लिया है
00:22:05और ये रही हमारी मशीने
00:22:07और ये रही हमारी गणित
00:22:15जब भारत में बस मक्बरे औगेरा बन रहे थे, यही वो समय था
00:22:19वहाँ पर, कॉपर्निकस, न्यूटन, केपलर, गैलीलियो
00:22:24जब वहाँ कैलकुलस आ रहा था
00:22:27वैसे शायरी का वो भारत में सोड़नकाल था
00:22:41जबरदस शायरियां चल रही थी, महबूबा की
00:22:45जुल्फों की याद में
00:22:47ठीक तब जब भारत में शायरी चल रही थी
00:22:52तब वहाँ विज्ञान चल रहा था
00:22:55मैं शायरी के खिलाफ नहीं हूँ
00:22:57पर ये कौन सी शायरी है
00:22:59जो आपको तथ्यों से काट कर
00:23:01कल्पना के रस्म डूबो देती है
00:23:03और इतने ही नहीं था
00:23:11इसी चीज ने
00:23:13कि इनको देखो ये तो हर समय बस एस्ट्रॉलजी में ही डूबे रहते हैं
00:23:18ब्रिटिश एम्पायर को एक मोरल वैलिडिटी भी दे दी
00:23:21उन्होंने का हम तो यहां पर आए हैं इनका सुपरस्टिशन हटाने इनको साइंटिफिक बनाने
00:23:28हम नहीं हो तो ये तो अपनी मुर्खताओं में ही डूबे रह जाएंगे
00:23:31तो उन्होंने कहा कि we have a moral right to come to these brown people and educate them
00:23:37इन्हें के आता है
00:23:40और बात बिल्कुल सही है
00:23:43वो जब यहां आए हैं तो उनका विज्ञान हमसे मीलों आगे पहुँच चुका था
00:23:49क्योंकि उन्होंने विज्ञान की कद्र की
00:23:51और यह सोचना भी गलत है कि वो जब यहां आए तो वो गरीब थे और भारत सोने की चड़िया था तो उन्होंने हमको लूट लिया
00:24:03तथ ही यह है कि जब यहां पर अंग्रेज आना शुरू कर रहे थे उस वक्त भी भारत का per capita GDP
00:24:11इंग्लेंड के per capita GDP से काफी कम हो चुका था गिर चुका था
00:24:22दस्वी शताबदी तक ऐसा था कि भारत का और यूरोप का GDP लगभग बरावर था वलकि भारत का थोड़ा ज्यादा था दस्वी शताबदी तक
00:24:31इसा के हजार साल बाद तक भी भारत का जिसको हम कहते हैं हमारे यहां संपन्नता भहुत थी हम सोने की चड़िया थे
00:24:41वो चीज चली है बस दस्वी शताबदी तक दस्वी शताबदी के बाद ही भारत गिरना शुरू हो गया है
00:24:49और जब यहां पुर्टगाली और फ्रेंच और बिटेश आने शुरू हुए उस समय तक वो अमीर हो चुके थे पहले ही
00:25:01वो ऐसा ही नहीं आप पहुँच गये थे
00:25:03पाथ सो छे सो डॉलर भारत का पर कैपिटा था और उनका आठ सो हजार डॉलर था
00:25:11तो हम पहले ही लगबग 30 प्रतिशत उनसे नीचे हो चुके थे
00:25:17क्यों हो चुके थे क्या हो गया दस्वी शताब्दी के बाद भारत को
00:25:22दस्वी शताब्दी के बाद भारत विश्वास में डूब गया
00:25:27दस्वी शताब्दी से ठीक थोड़ा पहले आते हैं शंकराचार जिन्हों ने हमें दिया अद्वैत
00:25:36दस्वी शताब्दी के बाद के भारत ने अद्वैत को ठुकरा दिया
00:25:39भारत ने का नहीं हमें belief based system चाहिए
00:25:42हमने वेदान्त को भी belief based बना दिया
00:25:45और ठीक दस्वी शताब्दी के बाद से ही भारत की गुलामी शुरू हो जाती है
00:26:10आपको जब कहा जाता है कि आपका फलानी जगह पे है यह ऐसी राशी में है यह ऐसा है वैसा है
00:26:15कोई प्रमान है माननेता है न बस विज्ञान प्रमान पर चलता है
00:26:21भारत ने प्रमान को ठुकरा दिया भारत ने माननेता पर विश्वास पर चलना शुरू कर दिया
00:26:27और यह नतीजा है कि हम कहां रह गए
00:26:30आ रहे है कुछ बात समुझ में है
00:26:40सुचो समय जैसी चीज
00:26:49और भारत में हर गाउं हर शहर अपना अलग समय रखता था सुर्योदे सुर्यास्त के हिसाब से
00:26:55उस घड़ी की कीमत इतनी थी देखो लॉंगिचूड आप निकाल लोगे
00:27:03अगर आप को पता हो मान लीजे मैं यहाँ पर हूँ
00:27:07और मुझे दिख रहा है कि अभी सूरज ओवरहेड है
00:27:10और अगर मुझे ठीक अभी पता हो कि लंदन में टाइम कितना है
00:27:15मैं मैं लंदन से चला एक जहाज हूँ
00:27:17मुझे मेरा समय पता चल गया कि अभी दोपर के बारा बजे है
00:27:20बारा बजे आसान होता है कैसे निकाल लोगे
00:27:22मान लो यही देख लिया
00:27:24और मुझे उसी वक्त किसी घड़ी से पता चल जाए
00:27:27कि अभी लंदन में क्या समय है तो मुझे मेरा समय पता चल गया ना
00:27:31हम भली माते जानते है कि
00:27:33बादे कि एक डिगरी लोंगीच्यूड कितने मिनट का अंतर रखता है
00:27:36ठीक है
00:27:38तो अगर मैंने देख लिया कि लंदन में अभी बजे है तीन
00:27:42और यहा बजे है बारा
00:27:44तो मुझे पता चल गया कि यहां के समय और लंदन के समय में कितना अंतर है
00:27:48तो मैं ये भी जानी है मेरे longitude क्या है
00:27:50समस्या ये आती थी कि जो pendulum वाली घड़ी होती थी जहाज पर काम नहीं कर सकती थी
00:27:55तो जबर्दस तरीके से अंग्रेजों ने investment किया घड़ियों में
00:28:06वो एक strategic decision था और उसने उन्हें दुनिया का बादशा बना दिया
00:28:13क्योंकि वो longitude निकालना सीख गए
00:28:21और जहांगीर को समझ भूनिया जहांगीर ने का ये जरा सी चीज घड़ी ले क्या है वारे
00:28:28यही घड़ी जो है न ये मुगल सल्तनत का काल बनेगी
00:28:31उस घड़ी में समय नहीं था ताल था
00:28:35जहांगीर को बाद समझ में नहीं आई
00:28:38घड़ी में काल था
00:28:51हम अभी भी अपने तौर तरीके ढर्रे छोड़ नहीं रहे हैं, अभी भी नहीं छोड़ रहे हैं, जो Greenwich वाली Meridian है, वो यूहीं दुनिया का समय नहीं बन गई, वो वास्तों में पूरी दुनिया ने इंग्लेंड के सामने सर जुका अगे माना था कि यू रूल टाइम,
00:29:17और इसलिए दुनिया भर का समय GMT से चलेगा, GMT प्लस इतना, GMT माइनस इतना, यह होती है Astronomy, टाइम जानना है तो Astronomy चाहिए होगी, जिसके पास Astronomy है, वो काल पर राज करता है, जिसके पास Astrology है, वो काल का ग्रास बनता है,
00:29:47बात आ रही है समझ में है,
00:29:52मैं आपसे कितना भी बोल दूँ, आप में से भी बहुत लोग हैं, शायद जादा तर लोग हैं, जो उन चीजों को मानते ही मानते जा रहे हैं, आपको बात नहीं समझ में आ रही है,
00:30:06आप गीता भी चला लेते हैं, और कुंडली भी चला लेते हैं,
00:30:25इकठे दोने को चला कैसे लेते हैं, आपकी महिमा परमपार रहे हैं,
00:30:42और जो पूरा इतिहास है, आप उसको पढ़िये तो देखिए कि कितने ठोकरे खाई हैं,
00:30:52कितने उनके लोग मरें, कैसे कैसे उन्होंने प्रेयोक करें,
00:31:01आप उनकी कैलकुलेशन्स की फाइननेस देखिए, उनकी टेबल्स का विस्तार देखिए,
00:31:11हुज इलाबोरेट मेरिटाइम टेबल्स और उनके इंस्टूमेंट्स का सोफिस्टिकेशन देखिए,
00:31:17अब उसके बाद बताईए कि हम गुलाम न बनते तो क्या बनते
00:31:24वो बहुत आगे निकल चुके थे क्योंकि उन्होंने ये नहीं कहा कि
00:31:29सारी सच्चाई तो इस किताब में लिखी हुई है
00:31:34उन्होंने कहा हम जानेंगे हमें प्रयोक करने दो
00:31:39ये material world है यहाँ माना नहीं जाता है यहाँ प्रयोक किया जाता है
00:31:43और जब भीतरी जगत की बात आती है inner world
00:31:47वहाँ भी तरीका तो वही लगाना होता है जो बाहर लगाना होता है क्या आत्म अवलोकन
00:31:52astronomy माने आकाश अवलोकन आकाश को देख रहे हैं
00:31:58और spirituality माने आत्म अवलोकन भीतरी आकाश को देख रहे हैं
00:32:06लेकिन मानने ता तो न उधर चलनी है न इधर चलनी है भारत ने मानने ता को पकड़ा आप भी पकड़कर बैठे हो
00:32:12नहीं हमारी तरफ ऐसा माना जाता है तो क्या मतलब होगा ना
00:32:16सब हमारे पुर्खे मानते आए हैं तो बेवकूफ थे क्या बेवकूफ तो पता नहीं पर गुलाम जरूर थे
00:32:20और यह historical fact है आप भी इंकार नहीं कर सकते बेवकूफ बोलूँगा तो आपको बुरा लग जाएगा लेगिन कैसे मानने से इंकार करोगी गुलाम थे
00:32:30और कुछ तो कमी रही होगी न कि गुलाम होना पड़ा और यही मत बोल दो कि अरे अंग्रेश तो धूरत थे इसलिए गुलाम बना लिया
00:32:39धूरततागी तो देखो हम में भी कोई कमी है नहीं
00:32:43तो अंग्रेज थे बिलकुल मकार बिलशक बिलकुल मकार थे
00:32:48लेकिन मकारी भर से वो नहीं छा गए हम पर
00:32:51बात एस्ट्रॉनमी की थी
00:32:55एस्ट्रॉनमी
00:32:56डेडिकेटेड इन्वेस्टमेंट
00:33:02और रिस्पेक्ट तोवर्ड्स एस्ट्रॉनमी साइन्स इन जेनरल
00:33:07रेनसां अभी अभी समाप्त हुआ था
00:33:13जिस जहांगीर के समय की हम बात कर रहे हैं
00:33:16यूरोप में ठीक उससे पहले रेनसां अभी समाप्त हुआ है
00:33:20और अब शुरू क्या हो रहा है
00:33:21यूरोप में जैसे जैसे तर्क यूग आगे बढ़ा है
00:33:43भारत में वैसे वैसे गुलामी आगे बढ़ी है
00:33:46क्योंकि वो चल रहे तर्क पे और हम चल रहे हैं
00:33:51माननेता विश्वास हम तो ऐसा मानते हैं जी
00:33:53ऐसा तो होगा ना जी मानने से ही तो होता है जी
00:33:56मानोगे तभी मिलेगा
00:33:57बच्चा सवाल मत करो मान लो
00:34:00और बहुत भारी कीमत चुकाई भारत ने
00:34:04ये मानने, माननेता, विश्वास, आस्था के खेल की, बहुत भारी की मत चुकाई
00:34:09इतने सही नहीं मान गए थे वो, कि हमारे पास Royal Observatory वहाँ ग्रिनिच में है
00:34:19यहाँ पर आकर के, बंबई में, मदरास में, कलकत्ता में, यहाँ पर भी Observatory इस्थापित करी उन्होंने
00:34:34तो जो आप फिल्मों में देख लेते हैं उन्हें कि बिटिश राज तो ऐसे चल रहा था कि वो कोड़े लेके खड़ा हो जाता था और मारना शुरू कर देता था
00:34:41नहीं साब, वो कोड़े से नहीं साइंस से चल रहा था
00:34:45कोड़े चलाने वाले तो एशिया में भी बहुत थे, हम चंगेज खान, तैमूर, लंग ऐसों को भूल जाएंगे क्या
00:34:55कोड़े बाजी तो इधर आसपास के लोगों ने भी खूब कर ली, उससे नहीं हो जाता
00:35:00यूरोपियन्स के पास मकारी थी, बेशक, लेकिन मकारी से आगे भी बहुत कुछ था
00:35:15कैसे चल लेती ट्रेंस, अगर टाइम ही स्टेंडराइजड नहीं है, टाइम बहुत बढ़ी बात होती है, और टाइम और एस्ट्रोनमी एक साथ चलते है
00:35:30जब यहां पर पहुँचे, सब ये अंग्रेजी जहाज, तो एक जो हम हिंदुस्तानियों के लिए बड़े अचरज की बात थी, वो ये थी
00:35:48कि एक चला है वहाँ पोर्ट माउथ या प्लाई माउथ से और एक चला है केप ऑफ गुड होप से, मने दक्षिणी अफ्रीका से
00:35:57और आपने सिंक्रोनाईज कैसे किया कि ये दोनों एक साथ पहुँच रही है सूरत
00:36:02इतनी टाइम कीपिंग आपको आ कहां से गई, तब छोटी बात लगी, ठीक वैसे जैसे जहांगीर ने कहा था, ये घड़ी, घड़ी से क्या होता है
00:36:12बहुत बड़ी बात थी, एस्ट्रॉनमी
00:36:17एक जहाज चल रहा है हथियार लेकर, और एक जहाज चल रहा है माल लेकर, और दोनों अगर बिलकुल एक साथ नहीं पहुँच रहे हैं, तो माल वाला लुट जाएगा
00:36:36माल वाला लुट जाएगा
00:36:38और दोनों एक जहाज से नहीं चल रहे हैं, क्योंकि जो माल वाला है, उसको माल कहीं और से लेना है, जो माल है, वो माल इंग्लेंड से नहीं आ रहा है, माल अफ्रीका से आ रहा है, हथियार आ रहे हैं, इंग्लेंड से
00:36:51पर उनकी टाइमिंग ऐसे करनी है कि दोनों इकठे पहुँचें
00:36:54ये चीज है जो किसी को विश्व जेता बनाती है
00:36:58और किसी को वो बनाती है जो हम बन गए
00:37:14छोटे मोटे नुकसान नहीं होते हैं
00:37:16अंध विश्वास दीमक है इंसान की
00:37:21खा जाता है बुरे तरह से
00:37:23बहुत बड़े बड़े नुकसान होते हैं
00:37:37व्यक्तिगत तल पर, पारिवारिक तल पर, सामाजिक तल पर, राश्ट्रिय तल पर
00:37:41बन्दा कहीं का नहीं बचता
00:37:44तीन से छे महीने की आत्रा होती थी
00:37:58इंग्लेंड से भारत की तीन से छे महीने की
00:38:03और उसमें कोई मोटर नहीं लगी होई है किसके भरोसे चल रहे हैं
00:38:06हवाओं के भरोसे
00:38:08तो वहाँ भी टाइम कीपिंग बहुत ज़रूरी है क्योंकि जब उपर से आओगे नीचे
00:38:13नौर्धरन अट्लांटिक से एक्वेटर की तरफ आओगे तो आपको चाहिए नौर्थी स्ट्रेट विंड से अपने आपको सिंक्रोनाईज करना है
00:38:21इक्वेटर से नीचे जाओगे तो साउथी स्ट्रेट विंड से सिंक्रोनाईज करना है
00:38:25और ये सब करके आपको साउथ अफरिका ठीक तब पहुँचना है जब भारत में मौनसून सक्रिय होने वाला हो
00:38:31ताकि जो मौनसूनी हवाएं है वो अरेबियन सी से हिंदुस्तान की ओर आ रही हो तो उनके साथ-साथ आपका जहाज भी आ जाए
00:38:39आपको परफेक्ट टाइमिंग करनी है ट्रेड विंड्स और मौनसूनल विंड्स के बीच में
00:38:44और आपने टाइमिंग नहीं करी तो आपका जहाज भूख और बीमारी से मर जाएगा
00:38:51कोई सेटेलाइट कम्यूनिकेशन तो है नहीं न जहाज में इतना ही खाना है
00:38:54सही टाइमिंग नहीं हुई तो जहाज वहाँ पड़ा हुआ उसमें कोई मोटर नहीं इंजन नहीं
00:38:58फ्यूल नहीं है, स्टीम नहीं है, गैसोलीन नहीं है, उसमें कुछ नहीं है
00:39:02परफेक्ट साइन्स और परफेक्ट कैलकुलेशन ओफ स्टार्स चाहिए
00:39:09परफेक्ट कैलकुलेशन ओफ स्टार्स
00:39:12सिर्फ इनी स्टार्स के भरो से एक के बाद एक उनके जहाज भारत आते रहे भारत को जीतते रहे और हम भी इन तारों को देखकर बस ये बोलते रहे कृपा बरसा दो
00:39:28कृपा तो नहीं बरसी अंग्रेज बरस गए
00:39:29हम वहां क्या देख रहे थे लक्षण खराब हैं लगता है कि अब कुछ कुछ सईयोग होने वाला है
00:39:51इस लड़की का पती जादा नहीं चलेगा
00:39:53भारत भी आसमान की और देख रहा था अंग्रेज भी आसमान की और देख रहे थे
00:40:01पर हमारे ये सब शास्त्री लोग बैठ करके क्या बताते थे
00:40:06कि अभी आसमानी संदेश मिला है पोथे में लिखा है
00:40:10कि यदि यह विवाह हो गया तो इस कन्या का पती जादा नहीं चलेगा
00:40:14और वो आस्मान की और देख रहे थे तो वहां rigorous calculation कर रहे हैं बैठ करके
00:40:21rigorous scientific calculation जो कि एक के बाद एक जो royal observatory थी ग्रिनिच की
00:40:30उसके जो प्रमुख आते रहे वो observations को भी और ज़्यादा शुद्ध शुद्ध और शुद्ध करते रहे
00:40:46और ये सारी technologies multi-purpose बनती गई जिन technologies से आप आस्मान को देख रहे हो उनहीं को derive करके
00:40:56आप समुद्र में भी देख पा रहे हो जो technologies समुद्री यात्रा गरने के काम आ रहे हैं
00:41:03वही technologies cartography यानि map making मानचित्रण के काम आ रहे हैं
00:41:14और सारी technologies के पीछे क्या है scientific attitude ये नहीं कि शनी और राहू और केतु
00:41:24सोचो कैसा होता बस astrology की जगे astronomy होती भारत में
00:41:40तो आज हम कैसे होते कहा होते
00:41:43सोचो
00:41:44लो एक मिनट और सोचो इस बात को
00:41:48हमने astrology पर जितना खर्च किया
00:41:52भारत के एक एक बाशिंदे ने इन सब चीजों पर खूब खर्चा हुआ है कि नहीं
00:41:58और कितनी शताबदियों से खर्च रहे हैं हम
00:42:02जबसे हमको बता दिया गया है कि हमारी किस्मत लिखने वाला कोई और हमारा पहले ही सब लिख दिया गया है
00:42:09तब से हम इस पर खर्चा कर रहे हैं जितना खर्चा हमने ये सब जानने पर करा कि क्या लिखाया है मेरे भागे में
00:42:16उसका एक प्रतश्यत खर्चा भी हमने भागे बनाने पर कर दिया होता तो बताओ आज भारत कहा होता
00:42:23पर हम खर्चा गरते रहे भाग्य जानने पर वो बताएंगे पंडित जी, पंडित जी मेरा भाग बता दो
00:42:31भाग कोई बताता है नहीं है, भाग्य बनाया जाता है
00:42:35बनाया जाता है, हमने बनाया नहीं, हम किसी और से पूछते रहे
00:42:40और क्यों पूछते रहे? क्योंकि हमने कह दिया कोई और है मेरा भाग्य विधाता जो रचता है सबकी किस्मतों को
00:42:48जबकि अद्वैत वेदान्त आपको साफ बोलता है कि परम सत्ता यहां बैठी हुई है
00:42:53कोई और नहीं रचता तुमारी किस्मत को
00:42:55तुम हो तुम हो और तुम ही हो
00:42:59वेदान्त था हमारे पास पर हमने वेदान्त के अर्थ को भी विक्रत कर डाला
00:43:05हमने का नहीं नहीं नहीं हमारा भाग्य विधाता वहां बैठा है आसमानों पर बैठा है
00:43:09सोचो न जहाज भी थे
00:43:18जहाज भी थे हमारे पास
00:43:21जहाज में भी ऐसी कोई कमी नहीं
00:43:23क्योंकि ट्रेड व्यापार तो हम करते थे
00:43:25छोटे एरिया में करते थे पर हम भी करते थे
00:43:28पर एस्ट्रोनमी नहीं थी
00:43:31तो हमारा जहाज बहुत दूर नहीं जा सकता था
00:43:35वो उसको समझ में ही नहीं आता कहां पहुँच गया है
00:43:36किन किन क्षेत्रों में आप देख रहे हो कि आप अपने कौशल, अपने ग्यान, अपने पुरुशार्थ से ज्यादा महत्तो भाग्यवाद को देते हो
00:44:01शादी करनी है, तो आप पूशते हो जाकर के कुंडली में क्या लिखा हुआ है
00:44:07ना आपको सामने वाले व्यक्ति को समझना है, न ग्यान से मतलब है, न प्रेम से मतलब है
00:44:14न तो उस व्यक्ति को मैंने जाना
00:44:17न इस बात का महत्तो है कि प्रेम कितना है
00:44:20किस बात का महत्तो है
00:44:21कि गुण कितने मिल रहे हैं देखो जरा पंडिक जी
00:44:24व्यापार शुरू करना है तो वहाँ पर
00:44:29कहीं पैसा लगाना है तो वहाँ पर
00:44:33मने जिन्दगी के हर क्षेत्र में तो आपने इस अंधर विश्वास को गुसेड रखा है
00:44:38तो कहां से भारत आगे बढ़ जाए
00:44:40रोहित का नाम है आरे यू ट्रिपल एच आई पीटी
00:44:48यह न्यूमेरल लॉजी है जाने कौन सी लॉजी है
00:44:52रोहित सोच रहा है ऐसा करके उसने नया नया मीट का बिजनेस शुरू करा है तो मीट का बिजनेस चमक जाएगा
00:45:03उसको बताया गया है कि तुम्हारी सारी समस्या यह है कि तुम्हारा नाम बस रो एच आई टी है
00:45:12इसको करो आरे यू ट्रिपल एच आई पीटी
00:45:14कोई क्षेत्र बतादो जीवन का जहां आप अंधविश्वास से मुक्त हो बताओ
00:45:22बीवी छोड़कर भाग गई अरे जरूर इसमें सितारों की कोई चाल है
00:45:32सितारों की नहीं चाल है
00:45:36और मुँपे चांद तारे बने हैं कौन देखे तुमारा मुदिन भर
00:45:52आप चाहिएगा पढ़िएगा कितनी ऐसी लड़ाईयां है
00:46:06जो हमने इसलिए हारी हैं क्योंकि अभी फायर करने का सही महूर्थ नहीं आया है
00:46:20देखिएगा जाके
00:46:21दूर्ग बन गए है
00:46:29और अगर राजा जी सही समय पर दूर्ग में चले गए होते तो शायद बच जाते
00:46:36पर अभी तो मूर्थ ही नहीं निकला है दूर्ग प्रवेश का
00:46:43और हमें कहा जाता है ये भी तो साइंटिफिक है देखो इसमें तो गणनाएं होती है भाई गणनाएं आप कर सकते हो चांदतारों की वो आपने कौन सी गणना करिये बताओ जहां पर ये हो कि उसका इस पर क्या असर पड़ रहा है इसकी कोई गणना है ये तो सुपर स्टि
00:47:13अलकुल कर सकते हो ठीक है उससे आप पंचांग बना लोगे अपना अच्छी बात है पर उसके आगे जाकर कि अगर आप ये बोलोगे कि अब उस चंद्र ग्रहन का इस यूती के जीवन पर ये असर पड़ेगा तो ये अंदोश्वास के लावा और क्या है ये और क्या है
00:47:28ये बहुत हो चुका हदार साल से जाधा हो चुका अब समय आ गया इसको जड़ से उखाड़ कर फेक देने का ये जो भीतर बात बैठ गई है न कि
00:47:42बिलीफ is sacred, नहीं,
00:47:45टुथ is sacred,
00:47:47टुथ is sacred,
00:47:49बिलीफ is not sacred, सर जुकाना बंद करो,
00:47:53और कोई आके आपके सामने
00:47:55खड़ा होता हो, बार बार की नहीं नहीं, हमारी ऐसी
00:47:57बिलीफ से हैं, आप इसकी रिस्पेक्ट करिए,
00:47:59मना कर दो, यह तो
00:48:01बिल्कुल रिस्पेक्ट करेंगे, सत्य की करेंगे,
00:48:03मानने ता की नहीं रिस्पेक्ट होती,
00:48:09सत्य पवित्र होता है,
00:48:10सिक्रेड होता है, करेंगे,
00:48:12सम्मान बिल्कुल करेंगे, सर पूरा जुकाएंगे,
00:48:15पर तुम कुछ भी अंडू-पंडू,
00:48:16ख्यालात कल्पनाई ले करके आ जाओगे
00:48:18और काओगे हमारी तरफ ऐसा माना जाता है
00:48:20तो हम उसको थोड़ी पवित्रमान करके
00:48:23उसको पूझने लगेंगे
00:48:24अध्यात्म का अर्थ होता है
00:48:41सत्य के अलावा ये सर कहीं नहीं जुकेगा
00:48:45नेति नेति का अर्थी ये होता
00:48:50न तेरे आगे भी नहीं जुकेगा
00:48:52क्योंकि तू भी मिथ्या है और तू भी मिथ्या है
00:48:56और साफ साफ देखो कि जैसे जैसे
00:49:07भारत से अध्यात पीछे हटा
00:49:11वैसे वैसे कैसे भारत पतन में जाता गया
00:49:14क्योंकि जहां आपने ये कह दिया
00:49:23कि भगवान यहां नहीं है भगवान वहाँ है
00:49:27वैसे ही आप क्या हो गए
00:49:28कटपुतली बन गए न फिर तो
00:49:32और जो कटपुतली है उसके पास कोई जिम्मेदारी तो होती नहीं
00:49:36और जिसके पास जिम्मेदारी नहीं वो इनसान नहीं
00:49:44हम तो बैठे हुए हैं, हमें क्या करना है, अब आ गए अंग्रेज, हम बन गए गुलाम, हम क्या करें, भागे में लिखा था, भागे में लिखा था, हम क्या कर सकते हैं, अंग्रेज आ गए हमें, ले गए, तो हमारी भारत की कुंडली में ऐसा लिखा था,
00:49:59, , , ,
00:50:13कितने लोगों के यह चल रहा है कुंडली वाला कारूबार ?
00:50:16रही हैसा, कर दो, शाभाश ,
00:50:19इपने ही सजय लोग हैं क्या है यहांपर ?
00:50:23जिन्होंने किया भी उन्होंने ऐसे करके फिर ऐसे
00:50:27आधे तो मुबाइल फोन में लेके खूमरेंगे सॉफ्ट कॉपी
00:50:37आज आरे जी बहुत दुखी है क्या है
00:50:46बिटिया मांगलिक है
00:50:49जब भी कोई देश पूझने लग जाता है अपनी माननेताओं को
00:51:08और अपने भीतर से उठती विज्ञान की तरक की सच की आवाजों को सुनने से मना कर देता है
00:51:15बलकि सच की आवाजों को दबाता है और सजा देता है
00:51:18तो फिर नतीजा ये निकलता है कि कोई बाहरी ताकत आ करके उसको पाठ पढ़ाती है और गुलाम बनाती है
00:51:26यही तो बोलते हैं अंग्रेज कि ये हिंदोस्तानी अंधविश्वास में इतने गहरे डूबे हुए थे
00:51:35कि हम तो हिंदोस्तान के लिए वरदान बन कर आए वो आधा जूट बोल रहे हैं हो सकता आधित ज्याधा जूट बोल रहे हो
00:51:44पर वो जहां से कह रहे हैं समझो उनकी बात को भी क्योंकि वो अपने आपको को लोनियल हिस्ट्री ऐसे ही पढ़ाते हैं
00:51:59वो कहते हैं शिक्षा इनके पास नहीं थी साइन्स इनके पास नहीं था
00:52:02modern laws and freedoms इनके पास नहीं थे, democracy इनके पास नहीं था
00:52:09हमने ही तो जा करके सब दिया है
00:52:11हजार तरीके का exploitation और discrimination इनके यहां था
00:52:16अब वहां जाएंगे तो उनकी text books में वो ऐसे ही पढ़ाते हैं अपने बच्चों को
00:52:20जो कि हम बिल्कुल मान रहे हैं कि यह बात आधी से ज्यादा जूट है और बैमानी की है
00:52:26क्योंकि आप यहां हमारा भला करने नहीं आये थे, आप यहां हमारा शोशल करने आये थे
00:52:30आपने railways दी बिल्कुल पर इसलिए नहीं दी कि हम उसमें सुईधा से यात्रा करें
00:52:35railways इसलिए दी ताकि आपका माल, रसद और आपके सैनिक जल्दी से एक जय से दूशे पहुच पाए
00:52:40हम जानते हैं यह सब आपने चाहे वो टेलिग्राम हो, कम्यूनिकेशन्स हो, जितनी भी चीज़े हैं
00:52:47law and order है, social, legal, reform है, हमें वालुम है, आपने इस सब करा, लेकिन उसमें आपका अपना स्वार्थ था
00:52:53लेकिन ये भी तो सोचो, कि ये सब करने की किसी विदेशी को जरूरत क्यों पड़ी
00:53:01क्योंकि हम खुद असमर्थ हो गए थे ये सब करने में
00:53:07हमारे उपर क्या च्छा गए थे, लोकधर्म के ठेकेदार, जिन्होंने का आवाज उठाओगे तो मारेंगे बहुत जोर से
00:53:16बस जो कह रहे हैं चुप चाप मानो, और जहां सर जुकाने को बोल दिया, वहां सर जुका दो
00:53:21मुझे बहुत आशंका होती है, और चिंता होती है, कि भारत में फिर से ये जो लहर उठती देख रहा हूँ, जो आपका सवाल था, एस्ट्रॉलजी और इस तरह के पचास तरीके के अंधविश्वास, और पिछड़ी हुई मान सिकता हैं, ये जो फिर से चढ़ रहे हैं,
00:53:49इसका अंजाम क्या होने वाला है भारत के लिए, एक बार हम अंजाम देख चुके हैं, एक बार नहीं हम कई बार अंजाम देख चुके हैं, पिछले हदार सालों में हमने कई बार इसका अंजाम देखा है,
00:54:01हम जिसको बिटिश फॉज कहते हैं न वो फॉज नहीं थी
00:54:16इन्होंने जहांगीर से पर्मिट वालों में कहे कलिया था
00:54:21फैक्टरी डालने का
00:54:23और वहां फैक्टरी का मत्तब प्रोड़क्शन सेंटर नहीं होता था
00:54:26स्टोरेज सेंटर होता था
00:54:27प्रोड्यूस का करोगे इन चीजों कारोबार करते थे, इंडिगो, नील, श्पाइसेज, यह सब होता था, कॉटन, यह सब चीजे थी, जो यह यहां से ले आते थे, तो अभी फ्रोड्यूस थोड़ी करेंगे उसके अंदर, यह सब तो अग्रेरियन प्रोड़क्ट्स थे, य
00:54:57प्लासी इस्त इंडिया कंपनी के पास, मद्धरा, सूरत, कलकता देश में पांचे जगों पर, इनके पास क्या थी? ये स्टोरेज फेसिलिटी थी, अब जहां स्टोरेज फेसिलिटी होगी वहाँ पर उसकी रक्षा के लिए, गार्ड्स होंगे, तो कुल इतने ही थे बाबा,
00:55:27अग्रेजों की फॉज, और उसमें भी सारे अग्रेज नहीं थे, फिरा जुद्दला के पचाहँ हजार थे, और बंगाल जिसने जीत लिया, उसके बाब, बंगाल उसके बहुत बड़ा था, जिसने बंगाल जीत लिया, और फिर वो महसूर भी जीतेगा, वो दिल्ली भी ज
00:55:57चाहिएं, योकि कमपनी है, कमपनी के पास सैनिक तो नहीं होते हैं, अरे कमपनीया होती हैं, कमपनीयों के पास क्या होते हैं, soldiers होते हैं या गार्ड्स होते हैं, तो storage unit के बाहर जो गार्ड्स खड़े होते थे, कि यहां कोई loot part करने आए तो उसे रक्षा हुआ ही थे, बस East India
00:56:27हम उनसे हा रहे हैं
00:56:33उन्होंने जब आये थे ने उनना सोचा थोड़ी था यहां गुलाम बनाएंगे
00:56:45वो तो सच मुच
00:56:481611 की मैंने आपको बताई थी 1605 से 1611 के बीच में उन्होंने कोशिशे करी थी
00:56:53उनसे पहले यहां पुर्दगाली बैठे थे पुर्दगाली अंग्रेजों घुसने भी नहीं दे रहे थे
00:56:57वो तो लगभग समझीए कि 100 साल तक तो बहुत शान्ति पूर्वक बस क्या करते रहे
00:57:04व्यापार ही करते रहे उसके बाद ये मुगलिया सल्तनत भिलकुल धराशाई हो गई टुकडे टुकडे हो गई
00:57:12घर तरफ से छोटे छोटे छोटे छोटे छोटे छोटे राज्य ताकते निकलने लगी
00:57:18तो फिर उसमें अंग्रेजों ने भी अपना नंबर लगा दिया
00:57:23बोले जब अभी free for all है
00:57:25जो किंद्रिय ताकत थी उद्वस्त हो चुकी है
00:57:30और सब छोटी छोटी ताकतें अपनी किस्मत आजमा रही है
00:57:33तो हम भी कर लेते हैं
00:57:35और उन्होंने कहीं बहतर डक्षता के साथ
00:57:38स्किल के साथ करा क्योंकि उनके पास क्या थी
00:57:41साइन्स थी
00:57:42ऐस्ट्रोनुमी थी ऐस्ट्रोनुमी
00:57:45जो एक चीज इतिहास में हमें कम पढ़ाई जाती है
00:57:49वो है British Logistics
00:57:51British Speed
00:57:55जिस तेजी के साथ
00:57:57British forces move करती थी
00:57:59भारतियों ने वो तेजी अपने इतिहास में
00:58:02कभी देखी ही नहीं थी
00:58:03क्योंकि उनके पास
00:58:06kartography थी, map making थी
00:58:08उनको सब पता था
00:58:09यहां से यहां, यहां से यहां
00:58:11यह भी पता था कि दुश्मन की फौज आ रही है
00:58:13तो ठीक किस जगह पर उसको
00:58:15रोका जा सकता है, घेरा किया सकता है
00:58:17ambush किया जा सकता है
00:58:18क्योंकि उनके पास astronomy थी
00:58:21वो tide से भी अपने movement को
00:58:28synchronize कर लेते थे
00:58:30meanwhile
00:58:38desi लोग
00:58:41कोई अपनी
00:58:49माथे की रेखाएं थोड़ी बदल सकता है
00:58:53अरे पिछले जनम के कर्म है
00:58:56भुगतने तो पढ़ेंगे ना
00:58:59हुई है वही जो राम रचिराखा
00:59:03अरे वहां राम का अर्थ क्या है तुमने समझा गया
00:59:06तुमने हर उंची बात को भाग्यवाद
00:59:11सिर्फ इसलिए ताकि व्यक्तिगत रूप से
00:59:21जीवन में अपनी जिम्मेदारी न उठानी पड़े
00:59:23राम माने सत्य होता है
00:59:26यह बिलकुल वही बात है जहां
00:59:31श्री कृष्ण भगवत गीता में कहते है नियतम कुरु कर्म
00:59:33कि तुम्हारा कर्म सत्य मात्र के केंदर से आना चाहिए
00:59:41वही बात वहां कही जा रही है
00:59:43कि वही होगा अंतत्य जिसमें सत्य है
00:59:49बाकी मित्थे आया है उसे काल ध्वस्त करके रहेगा
00:59:52पर उसको हमने भागवाद की भीट चड़ा दिया
00:59:55और इतनी बैमानी घुज गई है हमारे भीतर
01:00:16हर चीज में हर चीज में कुछ बोला जाए तो कहिंग नहीं
01:00:22हम भी साइंटिफिक है हमारी साइंस में कोई कमी थोड़ी है
01:00:25हम भी साइंटिफिक है ये क्यों बोल रहा हम साइंटिफिक नहीं है
01:00:28तो इनीबू मिर्ची क्या लटका रखा है तो हम साइंटिफिक होतो
01:00:31गाड़ी के आगे
01:00:32इसमें बहुत गहरी साइंस है
01:00:36पश्चिम को तो नई नई साइंस मिली है
01:00:42हमारी तो
01:00:43करोणों साल पुराने पुरान है
01:00:47उनमें सब
01:00:48निक ऐसे देखो
01:00:51नीबू में होता है न साइट्रिक एसिड
01:00:53तो
01:00:56गाड़ी किसकी बनी होती है
01:01:00लोहे की
01:01:02लोहे में क्या लगता है
01:01:03जंग
01:01:05तो इस साइट्रिक एसिड से जंग छूट जाएगा
01:01:08तुम समझोगे नहीं हमारे पुर्खे बड़े ग्यानी थे
01:01:13तो मिर्ची मिर्ची मिर्ची में क्या है
01:01:16मिर्ची में क्या है
01:01:17आप एक मिर्शी लीजिएगा, उसका डंठल तोड़िएगा, उसको दूद में डालिएगा, देखिए का दही न बन जाए तो, आए हैं बहस करने, नहीं सर लेकिन इसका वहाँ गाड़ी के आगे मिर्ची लटकाने से क्या संबन, देखिए आप हमारी आस्था पर सवाल न उ�
01:01:47चली निकलिये यहां से, धर्म द्रोही, पूछिये, बताईए
01:02:09Namaste sir, इसी से I think जुड़ा हुए एक सवाल है, about mysticism, belief in something else, some आत्मा, जीव आत्मा and all these things, पहले मैं सोचते थी कि
01:02:28education से शायद कुछ फायदा होगा और अन्ध विश्वास कम होगा लेकिन अब experience ने वो तो ब्रांती हटा दिया
01:02:37because अपनी female friends में मैंने काफी देखा है कि they fall for, क्या बोल सकते हैं कि are different kinds of, मतलब if they're not religious,
01:02:50तो वो इस तरगी के चीज़ें energy healing, crystals, इन सब चीज़ों में विश्वास कर रही हैं और इन सब से horoscope related sun signs में बहुत ज़्यादा
01:03:01believe करती हैं लड़किया, लड़के भी करते हैं but more often than not मैंने अब भी मतलब ये देखा है, observe कि it can be wrong
01:03:09but कि women fall for this tarot card reading और कोई है जो आपके उपर, angels, 11-11, इन सब चीज़ों का बहुत ज़्यादा challenge हो गया है, young लोगों में भी बहुत ज़्यादा ये सब हो गये है
01:03:23तो मतलब आप कैसे देखते हैं इस चीज़ को और how?
01:03:53वो उतना ज्यादा भागय के भरोसे जीएंगी ना, क्यों अपने भरोसे तो अब जिया नहीं जा सकता, मैं कौन हूँ? मैं तो कमजोर हूँ, तो भागय के भरोसे जीना है, तो फिर अब उसमें ये चाहे वो ये crystal gazing हो, चाहे angel therapy जो भी होता हो, ये सब करना ही पड़ेगा �
01:04:23कर ली है, इंबाइब कर ली है, कि मेरी जिंदगी मेरे चलाए तो चलनी है नहीं, मैं तो कटपुतली हूँ, तो मेरे चलाए नहीं चलनी फिर भी कुछ अच्छी चीजे हो जाए जिंदगी में तो अच्छा रहे, तो अच्छी चीजे फिर कैसे होंगी, मनते मांगो, ये स�
01:04:53वह यही है, I am weak
01:04:55I am weak
01:04:57और कुछ निये
01:05:02और ये नए नए तरीके से सामने आएगा
01:05:04पहले जो अंदोशास पहलाते थे
01:05:08वो हमारे मन में चबी यह थी कि
01:05:10गाउं में कोई ओजाव अगेरा है
01:05:12वो जादू टोना कर रहा है और जाडू अडू से मार रहा है
01:05:15अब यही काम में होता है
01:05:21और इंग्लिश स्पीकिंग पॉपुलेशन में होता है
01:05:23वहाँ बहुत सफिस्टिकेट तरीके से होता है
01:05:26बहुत ग्लैम्रस तरीके से होता है
01:05:29लेकिन
01:05:31सेंटर वही है
01:05:34सेंटर वही है
01:05:35I don't have the guts to
01:05:38question and no
01:05:40I find it more convenient
01:05:43to bow down, accept and
01:05:45take certain scraps
01:05:48अपने दम पर जिंदगी जीना
01:05:56अपने निरणय लेना
01:05:59और जो भी फिर उन निरणयों का
01:06:01अंजाम हो
01:06:03उसको छाती पर जहलना
01:06:06अगर यह दम नहीं रहेगा
01:06:09तो फिर भाग्यवाद रहेगा
01:06:10इसमें मतलब यह भी देखा है
01:06:17मैंने की अजसे एक दो बार
01:06:19मतलब फिरेंड से बात भी हुई है
01:06:21इस बारे में I have questioned them
01:06:23की अने ग्जामेंट बिलीफ का
01:06:25क्या मतलब वो होता है
01:06:27पर कुछ जादा reason का कुछ जादा
01:06:32बहुत असर होता नहीं है उनके उपर
01:06:34अगर मैं कुछ बताती हूँ कि
01:06:35इसका मतलब यह नहीं होता है
01:06:37और इस तरह के से नहीं करना चाहिए
01:06:39तो उसका कुछ बहुत जादा
01:06:41एक हजार साल तक
01:06:43एक हजार साल तक
01:06:45मैंने दस्वी शताब दिते शुरू किया
01:06:47एक हजार साल तक
01:06:49भारत में
01:06:51यही सब उल्टी-पुल्टी
01:06:53बिलीफ का नंगा नाच चलता रहा न
01:06:55बीच में बहुत लोग आये होंगे
01:06:58समझाने वाले भी
01:06:59हम जानते हैं
01:07:00रिलीजियस रिफॉर्मर्स, सोशल रिफॉर्मर्स को जानते हैं न
01:07:02नहीं सुना, नहीं सुना तो क्या रहा
01:07:05फिर तो वक्त
01:07:08अपना थपन मारे गाई
01:07:10आ गई गुलामी हो गई दुर्दशा
01:07:12हमने कहा कि जब यहां पर आये अंग्रेज
01:07:17तो औसत जो
01:07:18प्रतिवयक्ति आये थी
01:07:20भारतिय की
01:07:21वो एक अंग्रेज की प्रतिवयक्ति आये से
01:07:24मुश्किल से 20-30 प्रतिशत कम थी
01:07:26सौ साल बीटते बीटते
01:07:2985 प्रतिशत कम हो गई थी
01:07:31भीतर से तो हम कमजोर थे
01:07:36बाहर से भी गरीब कर दिये गए
01:07:38गुलाम ही नहीं गरीब भी
01:07:40ये होता है फिर नतीज़ा
01:07:43नहीं सुनना चाहती है
01:07:45वो reason की
01:07:46तो वक्त फपड मारेगा न
01:07:48गुलाम भी बनोगे गरीब भी बनोगे
01:07:51और बेज़िती भी जहलनी पड़ेगी दुनिया भर की
01:07:55dogs and Indians not allowed
01:07:56गुलामी भी मिलेगी गरीबी भी मिलेगी
01:08:00बेज़िती भी मिलेगी और मैं बोल रहा हूँ
01:08:02बार-बार मुझे बड़ी चिंता होती है
01:08:04कि हम जा के सदिशा रहे हैं
01:08:06और इस सब चीज़ों में जैसे
01:08:14योग और इन सब का भी
01:08:16involvement कर लेता हैं लोग
01:08:17I saw some ridiculous
01:08:19practice of
01:08:21people doing
01:08:23योग along with Buddha, bowls
01:08:26chanting और
01:08:28vibrations और वो सब चीज़
01:08:30वी उसके अंदर सब mix हो जाती है
01:08:32इन सब चीज़ों में जो
01:08:33central tendency है वो एक ही है
01:08:36कुछ हो रहा है जिसको मुझे जानने की
01:08:40जरूरत बिलकुल नहीं
01:08:41और इसको नाम दिया दे जाता है mysticism का
01:08:44mysticism का मतलब यह
01:08:45नहीं है
01:08:46कि आपने एक खास
01:08:50किसम का सुगंधित
01:08:51रूमानी खयाल पकड़ लिया है
01:08:53mysticism तब है
01:08:55जब
01:08:57इतनी गहराई से जान लो
01:09:02कि विचार की
01:09:05जरूरत ही न रह जाए
01:09:07वो mysticism है
01:09:10मुझे बहुत अच्छे से बता है
01:09:14मैं क्या कर रहा हूँ
01:09:15जानता हूँ
01:09:17और इसलिए पूरे प्रेम में कर रहा हूँ
01:09:19इसलिए भविश्य में क्या होगा
01:09:21इसका मुझे विचार ही नहीं आता
01:09:22यह mysticism है
01:09:23तो mysticism भी ज्यान से उपज़ता है
01:09:27समझ रहे बात को
01:09:30मैं भली भाते जानता हूँ
01:09:32मैं क्या कर रहा हूँ
01:09:33इसलिए अब भविश्य में क्या होगा
01:09:35ऐसा कोई खयाल मुझे
01:09:37आता ही नहीं
01:09:38यह mysticism है
01:09:39mysticism यह नहीं है
01:09:40कि मैं फलाने-फलाने काम करूंगा
01:09:43तो भविश्य में कुछ अच्छा हो जाएगा
01:09:44बविश्यम कुछ अच्छा हो जाएगा ये तो क्या है? ये एक थौट है
01:09:47mysticism एक खास किस्म का pleasurable thought नहीं होता
01:09:52mysticism is freedom from thought itself
01:09:55and that freedom comes not because you have become unthinking
01:09:59but because you are totally immersed in your inquiry
01:10:05बहुत बहुत सही तरीके से आप जानते हो
01:10:12सौ बार सवाल पूछ रहो लगातार
01:10:15और चुकि आपको पता है कि सवाल पूछना जरूरी है
01:10:18जानना जरूरी है
01:10:19तो इसलिए सवाल पूछने का अंजाम क्या होगा?
01:10:23इसकी आपको फिक्र ही नहीं है
01:10:25उसका thought ही नहीं आता आपको
01:10:27ये है mysticism
01:10:28mysticism ये नहीं है
01:10:30ये मुर्खों को बयोकूफ बनाने की निंजा टेक्नीक है
01:10:42इसका कोई जवाब दे के दिखाओ
01:10:47इसको न तो प्रूफ कर सकते है न डिस्प्रूफ कर सकते है
01:10:49you know there are things that exist
01:10:51but you cannot know them
01:10:54इसको कैसे माने और कैसे ना माने
01:10:59ये क्या बोला है
01:11:01तो मैं पता भी है तुम क्या बोल रहे हो
01:11:04you know there are things that exist
01:11:06but you cannot know them
01:11:08और ये epistemically भी गलत है
01:11:11क्योंकि existence का मतलब ही है
01:11:13वो जो जाना जा सकता है
01:11:15तो आपने एक philosophical distortion भी करा है
01:11:21आप कह रहे है
01:11:24you know there are beings that exist
01:11:25but you cannot know them
01:11:26if we cannot know then they don't
01:11:30existence का मतलब ही है
01:11:32जिसको किसी ने किसी विधि से
01:11:34तायोगिक तरीके से
01:11:36जाना जा सकता हो
01:11:37वरना उसको हम existent
01:11:40अस्तित्वमान बोल ही नहीं सकते
01:11:43पर इस तरह की मूर्खत बातों को
01:11:47कह दिया था ये mysticism है
01:11:48ये mysticism नहीं है
01:11:49ये मूर्खता है
01:11:50certain things can be known only through belief
01:11:59फिर से आपने epistemic fraud किया
01:12:06आपने कहा
01:12:08knowing through belief
01:12:09belief तो कोई रास्ता होता ही नहीं नहीं का
01:12:15पर चुकि लोगों ने फिलोसफी नहीं पढ़ रखी है
01:12:18तो आपने कुछ accent होगेरा मार करके
01:12:20उनको
01:12:22impress कर लिया
01:12:25you know there are certain things that can be known only through belief
01:12:28this is epistemic fraud
01:12:31belief अगर है तो फिर knowing की जरूरत क्या है
01:12:36belief का तो मतलब है कि मैने मान लिया
01:12:39अब जान के क्या करोगे मान तो लिया ही है
01:12:40मान लिया आप क्या है
01:12:44तो known through belief
01:12:46ये तो बात ही बहुत
01:12:48senseless है
01:12:50ये mystical नहीं होता ये सब
01:12:54mysticism माने बे परवाही
01:13:01mysticism माने
01:13:03मौज है और कोई पूछे क्यों है तो कारण भी नहीं है
01:13:18आपको डर नहीं लग रहा नहीं क्यों नहीं लग रहा डर लगने कोई कारण होगा डर ना लगने का तो कोई कारण नहीं होता ये
01:13:32ये mysticism है
01:13:34क्योंकि डर एक थौट होता है ख्याल होता है वो ख्याल मुझे नहीं आ रहा
01:13:38और कोई वजह नहीं है कि मुझे डर नहीं लग रहा बेवजह डर नहीं लग रहा
01:13:44भगवद कीता पर दिल आ गया है क्यों क्या मिलेगा बस प्रेम है तो है ये mysticism है
01:14:00निश्कामना श्रद्धा बेपरवाही वो नहीं mysticism है
01:14:09I can sense some negative energies here
01:14:13yes yes yes I can sense some negative energies here
01:14:35I can sense some negative energies here
01:14:38ऐसे ही थोड़ी अंदविश्वास भरी फिल्में बनती हैं और वो मेगा हिट हो जाती है
01:14:45I can smell a ghost
01:15:08हस लो लिखे न भी इतने केंद्रित हुए नहीं हो
01:15:14दो-चार ऐसे ही मिलके घेर के तुम ऐसा करने लग जाएंगे न वहीं पर मान लोगे
01:15:19या कम से कम ये कहोगे कि क्या पता
01:15:28नहीं मैंने उसे पार्टिसिपेट नहीं किया पर पता नहीं मैं तो बस मैं तो हट गया
01:15:32वहाँ से पता नहीं क्या चल रहा था
01:15:33ये थोड़ी हिम्मत होगी खुल के बोलो कि मुर्खों
01:15:36उठो यहाँ दे निकलो
01:15:38अंध विश्वास अज्ञान भर नहीं होता
01:15:46गहरी कुटिलता होता है
01:15:49गहरी कुटिलता
01:15:52गहरी गहरी कुटिलता
01:15:55अभी कहीं पर किसी ने रेल भेजी
01:15:57वसमें वो एक आता है
01:16:00उसका मुह तो फिर वो एक सजजन आते हैं
01:16:02बोलते हाललुए, हाललुए, हाललुए
01:16:04और उसका मुह ठीक हो आता है
01:16:06अटके दोड़ना शुरू कर देता है
01:16:08तो में क्या लग रहा है
01:16:09ये फिर अज्ञान है? नहीं
01:16:11ये बहुत गंदे किसम की चालाकी है
01:16:13ये साजिश है
01:16:16ये साजिश है
01:16:19आप उसको ये नहीं बोल सकते
01:16:23कि वो बेवकूफ है, वो बेवकूफ नहीं
01:16:25वो बदमाश है, वो शातिर बदमाश है
01:16:27और कितनी रिहरसल करी होंगी भई
01:16:32यह करने के लिए सोचो ऐसे को आप सिर्फ ब्योकूफ बोलोगे क्या
01:16:35यह तो well practiced and rehearsed conspiracy है
01:16:40कि हम ऐसे करेंगे फिर ऐसे करेंगे और इस तरह से वहाँ पर जो जनता बैठी उसको ब्योकूफ बना देंगे
01:16:45कि इसका हल लुईया मार के इसका भूत उतार दिया
01:16:47ऐसे ही मत हो यह करी जब इस सब कोई बाते कर रहा हूँ न एक तो पता नहीं क्यों भूत और भगवान आप लोगों ने एक ही तल पे रख दिया है
01:17:01भाई भगवान माने सत्य ब्रहम
01:17:06आपको बड़ा धर्मसंकट हो जाता है कहते हैं कि अगर भूत नहीं माना तो माने फिर भगवान भी नहीं माना तो माने नास्तिक हो गए
01:17:16तो इसलिए नास्तिक ना होने के लिए भूत मानना जरूरी है
01:17:19यह कौन सी आस्तिकता है जिसमें भूत माने जाते है
01:17:23और भगवान माने तो फिर बोल रहा हूँ, भगवान माने तो सत्य होता है जो यहां रहता है
01:17:28यह जोड़ा कहां से बना दिया कि भगवान है तो भूत भी होगा, भूत है तभी भगवान होगा
01:17:33तो मानना तो जरूरी है
01:17:36यह कौन सा तर्ख है
01:17:40विज्ञान की ताकत के आगे कुछ नहीं टिक पाएगा
01:17:51यह आस्था, यह विश्वास, यह मन्नतें, यह रस्में, यह रिवाज
01:17:58और विज्ञान कोई चीज नहीं होती, विज्ञान एक एटिचूड होता है
01:18:10विज्ञान यो नहीं होता कि आपने मुबाइल खरीद लिया है तो बोलिए विज्ञान मेरी जेब में
01:18:16विज्ञान एक एटिचूड होता है, scientific temperament
01:18:22जिस देश के पास, जिस कौम के पास, जिन लोगों के पास, जिस राश्ट्र के पास
01:18:34scientific attitude नहीं होगा, उसको कैसे बचाएंगे?
01:18:52सच्छिकल अचारे जी, अचारे जी मेरा question आज हमने बात की, GMT की और
01:19:08chronometer की, westerners ने सिर्फ GMT और chronometer से, जिस तरीके से अभी
01:19:16हिंदुस्तान में हम चल रहे हैं, वही सिस्टम नहीं जात किये, उन्होंने
01:19:21daylight saving और time zones भी create किये, सर आज हम 21 सदी में हैं, और हमारी
01:19:29economy size में भी छोटी नहीं है, और शेतरफल के इसाब से भी हम
01:19:32साथवे पायदान पर आते हैं, तो क्यों आज हम नहीं देखते कि, यह कोई major topic
01:19:38बनके, या कोई बड़ा चोटा discussion बनके, time zone का और daylight saving का
01:19:45कोई discussion नहीं हो रहा है, क्योंकि हम जैसे हमारे का, रोजगार में
01:19:51Australia, US से मेरा काम रहता है, तो वो लोग time zone से काफी अपना
01:19:57comfortably अपना काम कर लेते हैं, और time, हमें daylight saving के त्रों को
01:20:03contact करना होता है, तो हम तो adjust कर रहे हैं उनके according, लेकिन
01:20:07वो लोग इन चीजों को अच्छी तरीके से efficiently use करके, अपनी
01:20:11economy को effectively आगे भी बढ़ा पा रहे हैं, उसकी वज़ए बहुत सीधी है, आप जो
01:20:17बता रहे हैं न, वो efficiency improvement के measures हैं, इससे जो workforce की
01:20:25productivity है, जो economic efficiency है, वो बढ़ती है, उसको बढ़ाने की ओर
01:20:32ध्यान होगा, तब ना हम बढ़ाएंगे, हमारा उसको बढ़ाने की ओर कोई ध्यान
01:20:39ही नहीं है, हमारी राष्ट्री और उर्जा बहुत दूसरे मुद्दों की ओर जा रही है, आप जो मुद्दा उठा रहे हो, 99% लोगों को इससे आप कोई
01:20:48सरोकार नहीं है, यहां सरोकार इन बातों से है कि वो मेरे क्षेतर में फलानी जाते का
01:20:56कंडिडेट खड़ा हो गया हो गई जीतना जाए, आप बात समझ रहे हैं, लेकिन फिर हमने नीति आयोग जैसे डिपार्ट्मेंट्स हमारे उनका जो मेजर
01:21:06मिशन है वो बेसिकली एकॉनमी को की तरफ प्रायर्टी इंस्टिूशन तो हमारे पास बहुत अच्छे हैं, हमारे पास नीति आयोग भी है, हमारे पास यूडिशरी भी है, हमारे पास पार्लियामेंट भी है, उनके वीतल लेकिन बैठेगा कौन
01:21:19हमें तो बैठना है ना, इंस्टिूशन तो बहुत अच्छे हैं और वो इंस्टिूशन कुछ हद तक अच्छे इसलिए हैं क्योंकि पारंपरिक नहीं है
01:21:29ये सारे जो इंस्टिटूशन्स है न वो हमारे चाहे इलेक्षन कमीशन हो, फाइनान्स कमीशन, नीतिया, वो पारंपरिक नहीं है, उनमें से जाधा अतर वो है, जो हमने यूरोप से ही, हाँ, कौपी तो नहीं बोलूँगा, बट इंस्पायर्ट, और इंस्पिरेशन में को�
01:21:59कई खिलाफ खड़े हुए है, वो कह रहे हैं, इसमें भारतिये परंपराएं तो दिखाई नहीं दे रही न, भारतिये परंपरा क्या नहीं है, इसे इक्वैलिटी क्यों लिख दिया, आदमी औरत इक्वैल हो सकते हैं कभी, क्यों लिख दिया है, ये सारी इतनी जातियां इ
01:22:29है हमारा ध्यान था अभी बात कर रहें तो बड़े-बड़े मखबरे बनाएंगे तो बड़े-बड़े बना दिये मखबरे और आप हुमायों का मखबरा है आप ग्रिनिच जाएंगे जिसकी इतनी इर से हम बात करें हुमायों का मखबरे से छोटा है पर उस छोटी सी जगा न
01:22:59सब्सकार की और जहां यह माना जाएगा कि हम तो पुराने हिसाब पे चलते हैं, हम पुराने ग्यानी हैं, हमें पता है, हमें मत बताओ
01:23:29विसे आपको एक मज़़ार बात बताओं, यही वहाँ भी चल रहा था, जो यूरोप में भी नई रोशनी की शुरुआत होती है, आपको मालू में कैसे होती है,
01:23:56वहाँ भी फिलोसफी मर गई थी, थियोलोजी आ गई थी, फिलोसफी तो ग्रीस में थी, ठीक है, और क्रिशियनिटी के आने के,
01:24:10कुछ सौ सालों बाद, ग्रीक में जो फिलोसफी का पूरा महौल था, वह बिलकुल धुस्त हो गया, सब समाप्त हो गया,
01:24:19और उसकी जगह चलने लग गई, थियोलोजी, थियोलोजी, थियोलोजी और फिलोसफी में क्या अंतर होता है,
01:24:26philosophy कुछ मानती नहीं है
01:24:27वो सवाल करती है
01:24:29और theology में कुछ मान लिया जाता है पहले ही
01:24:33जहां कुछ पहले ही मान लिया फिलोसफी नहीं क्यालाती वो
01:24:35इसलिए जब आप लोग बोलते हैं कि
01:24:38non-dualist philosophy होती है
01:24:40और dualist philosophy होती है
01:24:42अद्वायत दर्शन होता और द्वायत दर्शन होता है
01:24:45तो आप गलत बोल रहे हैं
01:24:46दर्शन तो सिर्फ अद्वायत है
01:24:48जहां द्वायत आ गया
01:24:50वहां विश्वास आ गया
01:24:52क्या विश्वास आ गया
01:24:53Creator बैठा हुआ है
01:24:56ये inquiry थोड़ी है
01:24:58ये तो belief है
01:24:59तो थियोलोजी आ गई थी यूरोप में
01:25:03जानते हैं जो
01:25:04रेनिस्सा यूरोप
01:25:08के लिए नई सुबह
01:25:10और भारत के लिए गहरी काली रात
01:25:12लेकर आया है वो शुरूई कैसे हुआ था
01:25:15जो पुराने
01:25:21ग्रीक फिलोसफर्स थे
01:25:23जिन में से कई हों कि हम आपसे बात कर चुके हैं
01:25:25जो पुराने ग्रीक फिलोसफर्स थे
01:25:28यूरोप ने उनकी किताबें दुबारा उठाई
01:25:31कुछ लोगों के प्रयास से
01:25:34बोलेगे हटाओ सब थियोलोजी
01:25:37कि ये सब जो चर्च के पादरी होया
01:25:39रखड़े हो जाते हैं कहते हैं ऐसे है वैसे है
01:25:41गॉड ने दुनिया ऐसे रची
01:25:43आदमी आया औरत आई फिर ये हुआ
01:25:45फिर वो हुआ पचास तरे की कहानिया जो बताते हो
01:25:48हमें कहानी नहीं चाहिए
01:25:49हमें जो असली फिलोसफी है पुरानी हमें
01:25:51वापस जाना है, हमें सॉक्रेटीस के पास
01:25:53वापस जाना है
01:25:54तो जो
01:25:57ग्रीक स्पिरिट ओफ इंक्वाइरी थी
01:25:59वही समझ लोगी
01:26:01डेल हजार साल बाद वापस आई
01:26:03और उसी ने यूरोप का पुनुरुथान
01:26:06किया
01:26:06आज भारत को भी
01:26:09उन्ही उपनिशदों को वापस लाना पड़ेगा
01:26:12अगर पुनुरुथान करना है तो
01:26:13इंडियन रेनसाँ चाहिए हमें
01:26:16रेनसाँ का मतलबी
01:26:18मालूम है क्या होता है
01:26:18रेनसाँ शब्द माने क्या होता है
01:26:21फिर से जानना, फिर से जागना
01:26:26री
01:26:28दुबारा
01:26:30आज हमें वेदान्त उपनिशत दुबारा चाहिए
01:26:33हमें रिकलेम करना है उनको
01:26:35नहीं तो जो एक बार हुआ है हमारे साथ
01:26:38इतना लंबा गुलामी का काल
01:26:40वो दुबारा भी हो सकता है
01:26:42सावधान रहना होगा
01:26:43सावधान भी वैसे नहीं कि
01:26:44सीमा पर सजक प्रहरी खड़ा हो गया
01:26:46वैसी वाली सावधानी से काम नहीं चलेगा
01:26:49हमें हमारा रहने साथ चाहिए
01:26:55ठीक है आईए बाहर बहुत समय रहेगा
01:27:08बाहर बात करते हैं
01:27:14हमें हमें हमें बाहर बबोम कर Спass
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