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00:00पैसा माया है, स्री माया है, मुह ममता माया है
00:04तो कुटिल चाल चली गई है
00:06बिना जाने समझे, कुछ दो-चार चीजों को माया घोशित कर दो
00:10ताकि हमें प्रमानेत हो जाए कि बाकी चीजे माया नहीं है
00:15फिर हम उनमें पूरे तरीके से लोट लगा सकते हैं
00:19सपने में तुम देख रहे हो सपना
00:21तुम्हें तो तब यही लग रहा है ना कि है
00:23तुम माया है
00:25आँख खोल करके भी तुम्हें जो लग रहा है ना
00:27कि जैसा है वैसा है नहीं
00:29ये सब भी माया ही है
00:30तुम माया हो, अहंकार जो तुम्हारे भीतर बैठा है, वही माया है, यह कहना छोड़ दो कि रुपया माया है, या अरे यह कम कपडों में लड़किया आजकल घूम रही है, यह माया है, उनको छोड़ो, तुम अपना इलाज करो, अज्ञानी के पास शुभ से शुभ चीज भ
01:00ज्ञान, जूठी धारणा, जूठी माननेता, अज्ञानी के लिए सब माया है, और ज्ञानी के लिए सब खेल है, माया दुनिया में नहीं होती, माया
01:10बड़ी अमारी भृत्ति रहती है,
01:21कि
01:28सिर्फ कुछ विशय जो प्रमपरागत रूप से निन्दित हैं,
01:50वर्जित भी हैं, कई बार,
01:53उनको माया कहकर,
02:02अलग कर दिया जाएं,
02:10तो एक सूची बन जाती है फिर कुछ से तो विशयों की,
02:14कि ये सब माया है और अगर इतना ही सब माया है,
02:33तो फिर बाकी सब माया नहीं होगा,
02:35तो आप कई लोगों को देखेंगे,
02:49कई घरों में चलता है,
02:52कि अगर रुपए की बात कर रहे होंगे,
02:59तो कहेंगे माया है,
03:04बलकि कई बार तो कोई किसी को अगर कैश सौँ पर आए,
03:11तो उसके लिए जैसे एक कोड ही होता है माया,
03:18कि लो भई माया संभालो,
03:20लो भई माया संभालो,
03:25तो ये तो में देख जाता है रुपया, पैसा, कैश,
03:28इसको हम जड़ा कम कठिनाई से कह लेते हैं माया,
03:41माया है, रुपया, पैसा, माया है,
03:46फिर धार्मिक खलकों में ये सब भी चलता है,
03:49कि होई सब जो परंपरागत रहता है,
03:53कि अगर पुरुश है,
04:01तो वो भी एक आदत के तौर पर,
04:09ग्यान विवेक या बुद्ध के नाते नहीं,
04:12आदत के नाते, पुरूढ ही के नाते,
04:15खूब कहाना शुरू कर देते हैं, इस्त्रियों को माया,
04:22तो माया से बच कर चलो,
04:33गुरु जी ने अगर चेला जी को बुला,
04:40संदेश दिया, इशारा दिया,
04:46कि बेटा माया भहुत चारी है, माया से बच कर चलना,
04:52तो चेला समझ जाता है, कि ये भी जो इशारा है,
04:55कोड है, ये स्त्री की तरफ है,
04:59मन बाबाजी को कहीं से भनक लग गई है, या शक हो गया है,
05:04कि चेला आजकल,
05:05किसी लड़की से बाच्चीत कर रहा है,
05:09तो तुरंत उन्होंने का माया से बच कर चलना,
05:13तो जन मानस में ये भी स्विक्रत रहता है,
05:16कि इस्तरी माया है,
05:21महिलाओं में उतना नहीं देखा जाता है,
05:23कि वो पुरुष को माया बोल रही हूं,
05:25इसलिए नहीं कि महिलाओं जादा समझदार होती है,
05:29इसलिए कि परंपरागत रूप से धर्म रहा ही पुरुष के इंद्रित है,
05:37जब धर्म रहा ही पुरुष के इंद्रित है,
05:40तो उसमें माया भी इस्तरीयों को ही कहा गया,
05:46तो पैसा रुपया माया हो गया,
05:51हाँ ये जन साधारण में चलती है बात के रुपया पैसा माया है और इस्तरी माया है ये भी जन साधारण में बात चलती है आप किसी को ये बात कहेंगे तो वो मराजी हो जाएगा उसे आपको बहुत मनाना नहीं पड़ेगा खुदी कहेगा हाँ ये सब तो माया होता ही है
06:13और इसी तरीके से ये तिकड़ी एक साथ अक्सर कही जाती है
06:20मुह ममता माया
06:21कई बार उसमें से ममता हटा देते हैं तो मुह और माया वचता है बस
06:28ना ना तो जोड़ा बन जाता है
06:31अरे ये सब मुह ममता माया है
06:33या कि ये सब मुह माया है
06:35यह सब भी खूब चलता है
06:37तो अब यह बात भी जो लोग कह रहे हैं ऐसा नहीं है
06:43कि समझते हैं कि मोह क्या है या मंत्रा क्या है या माया क्या है
06:49पर यह बात भी बस आदतन कह देते हैं बिना समझें
06:52जैसा हमने कहा कि उसमें विवेक ग्यान या बोध नहीं होता
06:56बस ऐसे एक सुनी सुनाई चली आ रही बात होती है
07:01तो कह दिया असानी से कि माया है
07:04तो अगर वो किसी का किसी से जुड़ाव होता देखेंगे
07:11किसी भी तरह का तो कहेंगे मोह ममता है यह माया है
07:15तो जुड़ाव को भी जन मानस माया किसी तरह से मानी लेता है
07:25भले ही थोड़ी वहां कठनाई होती है
07:28भले ही कई बार
07:29इस वाक्य को सिर्फ
07:32व्यंग के रूप में इस्तेमाल किया जाता है
07:34कि बच्चा सब मुहमाया है
07:36और हस पढ़ते हैं फिर लोग
07:38ऐसा थोड़ी यह यह समझ गए हैं
07:40कि मुहमाया क्या है
07:41पर जैसे वो
07:44ग्यान पर ही व्यंग करना चाहते हो
07:47तो ग्यान को बिना जाने
07:51ग्यान के बिना हुए
07:53वो ग्यान की बात बोल देंगे
07:55और जब ग्यान है नहीं पर आपने ग्यान की बात बोल दी
07:58तो यह आपने ग्यान के उपर ही कटाक्ष कर दिया
08:01कर दिया ना
08:03तो माया को ले करके ये सब बातें ये भ्रांतियां चलती है
08:09पैसा माया है
08:11स्री माया है
08:15मुह मम्ता माया है
08:18आज साहब हमसे कह रहे हैं कि
08:25जो इस तरह
08:29बिना जाने बोले
08:32वो ही है माया
08:34क्या कह रहे है
08:38माया जल थल
08:40माया अकासी
08:42माया व्यापी रही चहुपासी
08:45अगर तुम
08:52समझते नहीं हो
08:54अगर तुम जान नहीं रहे हो
08:56तो जल थल आकाश
09:00और जिधर देखो उधर
09:03जो कुछ है सब माया ही माया है
09:07सब विशय
09:09आकाश में स्थित होते हैं
09:12विशय है तो कहीं होगा
09:13आकाश मायने स्पेस
09:17स्पेस
09:19आकाश मेंने सरक्य पर अलाकाश नहीं
09:22जिसको तुम कह सकते हो जगह
09:24जिसमें सब समाय हुए हैं
09:28जिसमें सब स्थित हैं
09:29सब स्थित है तो माने सारे विशय स्थित हैं
09:33तो जल का हो थल का हो आकाश का हो
09:36कोई विशय हो सब माया है
09:38इसी तरह से माया व्याप रही चहुपासी, चहुपासी माने चारो तरफ जितनी भी जगहें हैं, हर तरफ माया ही माया है, किसके लिए जो समझता नहीं, पर हमें समझने न पड़े इसके लिए हम अदभूत उपाय निकालने में माहिर हैं,
10:00तो हमने क्या उपाय निकाला है कि बिना जाने समझे कुछ दो-चार चीजों को माया घोशित कर दो
10:07ताकि हमें प्रमानेत हो जाए कि बाकी चीजें माया नहीं है और जब बाकी चीजें बाकी विशें माया नहीं है
10:17तो फिर हम उनमें पूरे तरीके से लोट लगा सकते हैं, खूब भोग सकते हैं, एकदम लत्फत हो सकते हैं, लोट पोट हो सकते हैं, क्योंकि वो सब तो माया है यह नहीं,
10:35तो अब सीधे जाकरके, अगर दवा कर दो कि वो चीज है न फलानी चीज वो माया नहीं है, तो पकड़े जाओगे, तो कुटल चाल चली गई है, कि वो चार चीज़े माया है, यह नहीं कहा कि क्या-क्या माया नहीं है,
10:52एक जो है सूची बना दी कि बस वो चार चीज़े माया की है
10:58और इससे तो अच्छे आदमी भी कहला गए कि देखो वो चार चीज़ों को ना इसने पकड़ लिया
11:03कि माया है अच्छे आदमी भी और ग्यानी आदमी भी कि सब समझता है बता गया है वो चार चीज़े माया है तो आप अच्छे आदमी भी कहला गए और आपने अपने आपको अनुग्या दे दी अनुमति दे दी छूट दे दी कि अब जाओ और बाकी चीज़ें तो माया नहीं
11:33तो पकड़ लेते हैं और जो पकड़ ले आपकी चालवाजी को उसी को ग्यानी मानना तो वही संत है फिर कह सकते हो संत कबीर नहीं तो नहीं जो और तुम को बस यह बता देगी दो चार चीज़े माया है तो वो पिर वो कहीं का न ग्यानी न संत
11:54सब माया है
11:56सब माया है
11:58एक एक विशे माया है
12:01किसके लिए
12:01अग्यानी के लिए
12:04अग्यानी के लिए सब माया है
12:05और ग्यानी के लिए
12:08कुछ भी नहीं
12:10अग्यानी के लिए
12:13एक एक विशे माया है
12:15तुमने तो सूचियां ऐसे बना दी
12:19कि चार चीजों की सूची रख दी, कि ये माया है, बाकी सब चीज़ें छोड़ दी।
12:25तुमने तो सब लोगों को एखी धरातल पर खड़ा कर दी आ, कि ये चार
12:29चीज़ें सबके लिए माया है और बाकी चीज़ें, सबके लिए शुद्ध है, निर्मल है
12:33नहीं ऐसा नहीं है भेद सूची बना कर नहीं होता भेद ग्यान देखकर होता है विशयों की सूची बनाने से भेद नहीं हो जाएगा विशयेता में क्या ग्यान है कि ग्यान नहीं है इस आधार पर विशयेता अलग-अलग होते हैं विशय अलग-अलग नहीं होते लोकधर्म
13:03कृशि से समझ लीजिए जो साधारण प्रचलित धर्म होता है हलका धर्म सतही नकली विकृत वो क्या करता है कि उसमें कभी
13:16भी स्वेंम को देखने के लिए कोई जोर नहीं होता तो उसमें लगातार की देखा दो दुदिया की ओ रह से और मैं कुछ चीजें अच्छे
13:25काम अच्छे हैं कुछ लोग अच्छे हैं और दुनिया में कुछ चीज़ें बुरी हैं कुछ काम बुरे हैं कुछ लोग बुरे हैं
13:30तो जो लोकधर्म होता है वो दो सूचियां बनाता है हमेशा किसकी विशेयों की बनाता है
13:38लोकधर्म दो सूचियां बनाता है विशेयों की
13:55और वास्तविक धर्म कहता है विश्येता होते हैं दो तरह के
14:00एक ज्यानी और एक अग्यानी
14:02दोनों की दृष्टे और दिशा में ही मूल भेद है
14:08लोकधर्म उधर को देखता है विशयों की तरफ
14:10और कहता है कुछ विशय अच्छे कुछ विशय बुरे
14:13और वास्तविक धर्म अपनी और देखता है
14:18विशेता की ओर द्रिश्टा की ओर
14:21और कहता है अगर ज्यानी
14:26तो तुम अच्छे और अज्यानी तो तुम बुरे और अगर तुम ज्यानी हो
14:32तो सब विशे तुम्हारे लिए बस खेलने की वस्तुएं है
14:37वास्तविक धर्म अपनी और देखता है व्यक्ति की और देखता है और कहता है दो ही तरह के होते हैं बहुत लंबी चोड़ी सूची मत बनाओ
14:49भेद है पर ग्याता में है विशियता में है दृष्टा में है और कहता है दो ही तरह के होते हैं ग्याता विशियता दृष्टा या तो ग्यानी या ग्यानी और ग्यानी है तो उसके लिए सब विशय खेलने के वस्तू है और अग्यानी है तो उसके लिए सब विशय सधारन से स
15:19अज्यानी के लिए सब माया है और अज्यानी के लिए सब खेल पर अज्यानी ये माने गई नहीं कि उसके लिए सब माया है तो वो एक गंदी चाल चलता है वो चार चीजों को माया घोशित कर देता है अज्यानी ये कभी नहीं मानेगा कि सब माया है तो चार चीजों को माया घ
15:49ज्यानी के लिए सब विशय एक बराबर हो जाते हूं सबसे खेल सकता है उसके लिए कुछ वर्जित नहीं है और उसके लिए कुछ इच्छित भी नहीं है
16:01न तो उसको कुछ अनुमोदित है कि इस विशय के साथ तुम रहो ही रहो
16:09और न उसके लिए कुछ निशिद्ध है कि ये विशय तुम्हारे लिए वर्जित है
16:14पूरी दुनिया उसके खेल का मैदान है
16:18वो जहां चाहे वहां हो सकता है कोई व्यक्ति कोई विशय कोई वस्तु कोई विचार
16:24उसे हानी नहीं पहुचा सकता क्योंकि उसे किसी से कुछ चाहिए ही नहीं
16:29तुम्हें जिससे कुछ नहीं चाहिए हो तुम्हें हानी नहीं कर पाएगा
16:31क्योंकि तुम्हें, हान ही तो तुम्हारा अपना लोभी देता है ना,
16:35जिसे लोभ नहीं दुनिया से, दुनिया की कुई वस्त तो तो उसका कुछ भगाड नहीं पाएगी।
16:40तो इसलिए ग्यानी निशकन्टक होकर के हर दिशा में खेल सकता है,
16:45उसके लिए माया कहीं नहीं है
16:47और इसलिए फिर
16:48सब ग्यानियों नहीं गाया है
16:50कि ये जो माया है जो दुनिया
16:52को बरबाद किये वैठी है
16:55जो दुनिया को सब जीवों को
16:56सब साधरन लोगों को खा जाती है
16:58ये माया मेरी तो दासी है
17:01ये माया मेरी दासी है
17:06दुनिया को पकड़ पकड़के ये और धमकाते हैं माया को
17:14कियते हैं ये सब जो मूर्ख है माया तुम इनको ये अपनी वश में पकड़ना
17:18हमारी और आओगी तो तुम्हेरे दाँ तो खाड़ लेंगे
17:22कहने का तरीका है
17:25हमादी हो रहा होगी तो दावा तो खाड़ी को
17:27कि हम पर माया का जोर नहीं चलता
17:30माया का जोर चलता है अग्यानियों पर
17:32और अग्यानी अग्यानी इसी लिए है
17:35क्योंकि बड़ा चालाक है बड़ा कुटेल है
17:39पता तो उसको भी चल जाता है
17:43कि उसे कुछ नहीं पता है
17:45पर वो वास्तविक ज्यान का न मूल ले चुकाता न खतरा उठाता
17:51वो क्या करता है आज हमने शुरुआती किस बात से करी
17:55वो एक नकली सूची बना देता है कि ये 4-5 चीजें ये माया है बाकी माया नहीं है
18:00अगर तुम अग्यानी हो तो तुम्हें लिए सब माया है
18:03माया माने क्या होता है
18:04जो चीज जैसी है उसको वैसा न देख पाना माया है
18:09जहां कुछ नहीं है जो कुछ है ही नहीं उसको बहुत कुछ समझ लेना माया है
18:15कोहरे में भूत देखने लग जाना कि वो कोहरे में छवी बन रही है ये माया है है कुछ नहीं पर तुम्हें लग रहा है कुछ है ये माया है
18:27नशा इतना है कि कोई ऐसे हाथ दिखाए ऐसे और तुम कहोगी इसके आठ उंगलिया क्यों है ये माया है
18:36है नहीं आठ तुम्हें दिख रही है ये माया है
18:39ऐसे उपर को सर करना और कहना
18:48आस्मान में मुझे अपने प्रियक की और अपने इश्ट की आकरती दिख रही है
18:54और भूम रहे हुआ बादल ये माया है
18:56और कहना देखो जिनके हृदय में प्रेम होता है न उनको ही दिखाई देते हैं
19:00ये माया है, है कुछ नहीं, पर तुम प्रक्षेपित कर रहे हो, ये माया है
19:05जहां कुछ नहों वहां देखने लग जाना कुछ, ये माया है
19:08ये किस से होता है, ये जूठे ग्यान, माने अग्यान से होता है
19:13अग्यान कुछ नहीं होता है, जूठे ग्यान कोई मानेता और धारणा बोलते हैं
19:18अग्यानी कोई नहीं होता, सब जूठे ग्यानी होते हैं, वो कुछ अपना मानेता धारणा रख करके बैठे होते हैं
19:24तो यह माया है, जब माया होती है तो जो नहीं हो दिखाई देता है और जो है वो आपको दिखाई देना बंद हो जाता है, मुझे आरी यह बात, आपके सामने एक पशुरोर आओगा, आपको उसकी वेदना दिखाई नहीं देगी,
19:42आपके सामने कोई वेक्त दिखड़ा होगा लाचार, आपको उसकी लाचारगी नहीं दिखाई देगी, आपको और चीज़ों उसकी दिखाई देगी, उसकी जात, पाद, धर्म, लिंग, आप यह देखना शुरू कर दोगे, आपको असलियत दिखाई ही नहीं देगी,
19:58हम बहुत बार चर्चा गर चुके हैं, शास्त्रियत तोर पर एक को कहते हैं माया की आवरण शक्ति और एक को कहते हैं प्रक्षेपन शक्ति, आवरण शक्ति माने जो है माया उस पर परदा डाल देती है, चीज सामने पर तुम्हें दिखी नहीं रही, तो मंधे हो गए हो, �
20:28नाटक कर रहे हो, और दूसरी होती है माया की प्रक्षेपन शक्ति, प्रक्षेपन शक्ति माने है ही नहीं, पर तुम कहरो है और मैंने देखा, मैं रात में गाउं वाली नहर पर गया था, और वहां मैंने भूतनी और चुडैल को आपस में आइटम सौंग पर
20:51competition करते देखा, और ये बात तुमने बता दी और सारे गाउं वाले हां में हामिल आ रहे हैं और सब फिर अब पूरा जलसा लेके बाबाजी के आँ गए हैं कि बाबाजी कुछ बताओ, ये भूतनी और चुडैल तो आपस में प्रतियोगिता कर रही है, कातिलाना नाच नाच
21:21हैं ये वो भी देखा, आप फ्राइड के पास जाएंगे, आप फ्राइड शाय दिये कहेंगे कि ये जो लड़का है ना जिसे रात में नहर पर भूतनिया और चुडैले आइटम सौंग पर नाच्टी दिखाई देती हैं, ये सिर्फ मनुरोगी नहीं है, ये यान रोगी है
21:51जाकरशक बन करके लुभावना रित्य कर रही है, सेडेक्टिव आइटम सौंग
21:57पर ये बात तो कोई ग्यान नहीं बताएगा, जहां ग्यान नहीं होता, वहां सारी कलपनाएं सचमान ली जाती है
22:12और क्याती जाता है आज़ी आपको क्या पता हमारी तरफ आई हम आपको मिलवाएंगे फलाने से उसने देखा है
22:17वो पेशेवर चुडैल द्रिष्टा है, जहां कहीं कोई चुडैल देखनी होती है उसको बोला जाता है, आपको क्या पता, आप तो बस ऐसा कागज ले करके बैठ जाते हैं, आपको क्या जानो, हमारी तरफ आओ, हमारी तरफ एक से एक बैठे हुए है
22:35कोई भूत सूंह लेता है, कोई चुडैल देख लेता है, यह सब है, यह माया है
22:47कंज में आ रही है बात
22:50वो जो चार-पांच चीजें तुमने वर्जित कर रखी हैं, वो नहीं होती माया
22:53जिनों ने जिन रिशियों ने ग्यानियों ने तुम्हें माया शब्द ही दिया
23:00माया का सिध्धान्त दिया सीधे उन से जाकर के पूछो न
23:04ये इधर उधर जाकर के गली नुकड़ पर भाईया जी और बाबा जी से क्यों पूछ रहे हो कि माया क्या होती है
23:10सीधे रिशियों से आकर क्यों नहीं पूछते
23:13वो तुमको बताएंगे माया माने क्या
23:15या मा सा माया
23:23नहीं है पर
23:25है उसको माया कहते है
23:28है वास्तों में नहीं पर तुमको यही लगए जा रहा है कि
23:31है वो माया है
23:33आरी बात समझ में
23:40पूरा वेदान्त पूरा अद्वायत माया पर ही खड़ा हुआ है कैसे सत्य तो पारमार्थिक ही होता है तो फिर ये बाकी दोनों तल क्या होते हैं व्यावहारिक और प्रतिभासिक
23:57ये माया है है नहीं पर तुम्हें लग रहे हैं चलो कोई बात नहीं सपने में तुम देख रहे हो सपना तुम्हें तो तब यही लग रहा है न कि है तुम आया है वो प्रतिभासिक तल हो गया
24:16वो प्रतिभासिक क्योंकि वहां भी तुम्हें तो यही लग रहा है कि है और वैसे ही फिर ग्यानियों ने कहा कि ये तुम्हारा जो जगत है ये विवहारिक तल ये भी माया है पर ये और
24:29जटिल माया है
24:34आँख खोल करके भी तुम्हें जो लग रहा है
24:37कि जैसा है वैसा है नहीं
24:39ये सब भी माया ही है
24:40सत्य माने माया को पार कर गए
24:47वो पारमार्थिक तल होता है
24:49उसके अलावब सब माया है
24:52तुम्हें लग रहा होता है कि कोई चीज ऐसी है
24:56वैसी होती नहीं
24:57अरे तुम्हें सबसे पहले तो अपने बारे में लग रहा होता है
25:01कि मैं ऐसा हूँ
25:02वैसे तुम हो नहीं
25:04पहली माया तो व्यक्ति खुद है
25:05पहली माया अहंकार के लिए कोई विशा नहीं है
25:08पहली माया अहंकार के लिए सुएम अहंकार है
25:11क्योंकि अहंकार वो है ही नहीं जो अपने आपको समझता है मानता है तो वो माया है ये चार-पांच चीजों की सूची बना लेना की बच्चा पराई औरत माया होती है ये मुर्खता की बात है
25:25पराई औरत हो की अपनी औरत हो पराया पुरुष हो की अपना पुरुष हो माया हो भी सकते हैं नहीं भी हो सकते हैं ये अपने पन या पराय पन पर नहीं निर्भर करता ये इस्तरी और पुरुष पर भी नहीं निर्भर करता ये देखने वाले के तल पर निर्भर करता है दे
25:55है तो स्तरीक या दुनिया के सब पुरुष भी माया है उसके लिए समाया ठीक वैसे जैसे मुझे बताओ अंधे को क्या क्या नहीं दिखाई देता कुछ भी नहीं दिखाई देता है उसे कुछ नहीं समझ में
26:10यह थोड़ी कि ओपांच चीजे बस देख पाएगा और बाकी चीजे नहीं
26:25कि चीज से आइसे चीज की संगत करो कुछ को तो क्म आधो Aid
26:36जो घ्यानी के लिए भी हानिकारव को बताओ कोई चीज बताओ जिसको तुम माया मानते हो कोई चीज़ बता दो
26:45कि एके करके गिनाओ ना कि आम तोर पर बाबजी लोगों के हाँ लोक धर्म में परंपरा में हमारे घर मुहले में किन बातों को माया कह दिया जाता है
26:56यह पैसा पैसा अज्ञानी के हाथ में बहुत बड़ी माया और पैसा अज्ञानी के हाथ में है तो संसाधन
27:09है जिससे वह जगत का कल्यान करेगा सब को मुक्ति दिलाएगा तो पैसा माया कैसे हो गया निर्वर
27:16थीक है जिसको तंबाकु लें लो तंबाकु अग्यानी के हाथ में पड़ेगा
27:35कि अवं तो उसको मुग का कैंसर अप्र फिफ़ड़ा कराब करें सब सारे उसके सब्सकती हो जाएगी उसकी
27:43लेकिन ग्यानी होगा तो वो उसी तमबाखु से दवाई निकाल कर दे देगा तमबाखु से नजाने कितनी दवाईयां बनती है यह ग्यानी का काम होता है तुम उसे तमबाखु दोगे वो उसमें से दवाई बना कर तयार कर देगा
27:59तुम उसे तंबाखू दोगे वो प्रयोग करके पता लगाएगा कि यह addictive क्यों होता इतने लोग इसमें से addiction के शिकार क्यों हो जाते हैं
28:09समझ भ्यारी बात कोई आके कहता है मैं बिना इसके जी नहीं सकता जी नहीं सकता तो देखें तरह क्यों नहीं जी सकते समझें तो वो तंबाखू को भी समझने की विधी बना लेगा क्या बात है इसमें ऐसी कि दुनिया कहती है कि लोग जी नहीं पाते उसमें से भी वो जगत
28:39पर हां ज्यानी के लिए खाना इंधन है अग्यानी के लिए खाना मनोरंजन है उसकी जिंदगी में और तो कोई वास्तविक सुख है नहीं उतेजना है नहीं तो चटपटा खाना खाता है कि इससे मुझे कुछ
28:56एकसाइटमेंट उस उतेजना मिलना है कुछ रोमान चाजाएगा अब सच की राह पर चलो जूट से लगातार संघर्ष करो तो संघर्ष ही बड़ा रोमान चक रहता है ग्रेट एडवेंचर ग्रेट थ्रिल ऐसे जूझना पड़ता है रोमान तो आई जाता है लेकिन जो जू
29:26में बहुत सारी चीजें हैं जो तीखी हैं उनसे तुम कभी नहीं भिड़ पाए नहीं तो तीखेपन का तुमको वहां पर भरपूर स्वाद मिल जाता चूंकि वहां तुम्हारी जिंदगी में तीखापन नहीं है चूंकि वहां तुम्हारी जिंदगी में कोई लज्जत न
29:56ज्यानी के लिए खाना इंधन है, नहीं है माया उसके लिए, और बोलो, स्त्री, अब अग्यानी है तो उसके लिए स्त्री एक ही चीज हो सकती है, देह, क्योंकि अग्यानी माने उसने खुद को भी देह माना हुआ है, खुद को देह मानता है तो उसके सामने औरत आ जाएगी,
30:26इसको भोग लो इससे और तो इसकी कोई हैसियत है भी नहीं इसको भोग लो कुल इतने ही मिल सकता ग्यानी के सामने इस्तरी आएगी वो कहेगा कि मान लो मैं आनंद धर्मा भी हूं
30:37तो भी इसके साथ बस जो एक साधारण सुख होता है दैहिक सुख यौन सुख वही क्यों लूँ यह तो चेतना है और चेतना के सुख देह के सुख से कहीं ज्यादा प्रगाण होते हैं
30:55कि अभी तो खहते हैं ना मनुष्य योनी जो है उसको विरल माना गया है और ज्यानियों ने भी कहा है कि अवसर भी तो जाए और
31:06कि दुरलभ मानूस जन्म है मिलेन बारंबार क्यों कहा गया है क्योंकि जानवर एक ही सुख जान सकता है देह का
31:18अनुदा खहलें तो जाएगा वह तो अपने नर्मादह के पीछे चला जाएगा या कि खाने पीने का सुख वह भी देह का है या कि तुम उसको
31:29बैठा के ऐसे ऐसे हाथ फेरो तो भी वह देह का सुख है ब असे और उन सभ उतहीं बढ़ता होते हैं
31:36तुम जानवर को ज्ञान बताओगे या गाना सुनाओगे तो बड़ा मुश्किल है कि उसको सुख मिलेगा
31:41मिलेगा भी तो बहुत ख्षीन सी उसको ऐसे कुछ आहट सी आएगी पर उसमझ नहीं पाएगा कि
31:48वैसे देखेगा तुम्हारे मूँ की ओ तुम्हें संगीत सुना रहे हो थोड़ा बहुत हुझे कुछ लगेगा कि कुछ अच्छा था तो है उसका कुछ औरस नहीं ले पाएगा
31:58तो इसलिए जो पशु योनिया होती है उनको अच्छा नहीं माना जाता
32:04वजह समझो यह नहीं है कि तुम इंसान हो तो जानवर काट के खा जाओगे तुम इंसान हो तो तुमको श्रेष्ठ क्यों कहा जाता उसकी वजह समझो तुम उंचे आनंद को उपलब्ध हो सकते हो इसलिए मनुष्य योनिया श्रेष्ठ है
32:24एक नर पशू एक मादा पशू आपस में एक दूसरे को अगर सुख देना चाहें तो एक ही काम कर सकते हैं क्या यौनाचार इसके अलाब वह कुछ नहीं कर सकते हैं और उनके पास कोई तरीका नहीं एक दूसरे को सुख देने का या अगर बहुत उनमें आपस में रिष्ठ
32:54पर एक मनुष्य नर और मनुष्य मादा माने नर नारी ठीक है माने पुरुष और इस्त्री ये अगर मिलें तो जरूरी नहीं है कि एक दूसरे को सुख देने के लिए यह यौन संपर्क ही बनाएं
33:19यह यौन संपर्क भी सुख देता है वो एक तलका होता है उससे उपर के और सौतल होते हैं बात समझ में आ रही है
33:29वो उससे कितनी बाते कर सकता है कला की बाते हैं विज्ञान की बाते हैं दोनों मिलकर साथ में कोई काम शुरू कर सकते हैं कितनी बाते हो सकती है
33:41तो इस्त्री उसके लिए माया है जो अज्ञानी है जो खुद को दे मानता इस्त्री को भी दे मानेगा वह फिर वहां जाकर बस फसेगा लिप्त हो जाएगा
33:54आप कॉलेज में पढ़ रहे हो आपकी प्रोफेसर हैं उनसे आपको ज्ञान मिल रहा है वो एक महिला हो सकती है तो माया थोड़ी है वो तो ज्ञान दे रही है जो ज्ञान दे वो माया है क्या
34:09पर पशुओं में यह नहीं होगा कि एक नर पशु एक मादा पशु से ज्ञान ले रहा है तो वहां पर तुम आया है मामलपूरा आप भी अगर अपने आपको देह ही मानो तो आप पशु हो आप बोलो मैं यह हूँ मैं मनुष्य हूँ मैं ऐसा हूँ और मुझे किसी ने ब
34:39तो जो अपने आपको पशु माने तो उसके लिए तो इस्तरी ही माया फिर एसी इस्तरी के लिए पुरुष भी माया है लेकिन जो अपने आपको चेतना रूप में देखे उसके लिए इस्तरी भी चैतन्य है उसे सामने इस्तरी आएगी तो उसका शरीर मात्र ही थोड़ी द
35:09आपके सामने एक दुनिया की अच्छी खिलाडी आ करके बैठी हुई है आप उसका खेल देखोगे या उसका जिस्म देखोगे और अगर वह एक महिला खिलाडी है और आप लगे उसका जिस्म देखने में तो आप पशुई हो
35:23आपके लिए ठीक है कि वह माया है फिर आपके लिए तो सब कुछ माया है जिस पुरुष के लिए इस्त्री माया है उस पुरा ब्रहमांड माया है क्योंकि ये पुरुष ही अग्यानी है यही बात इस्त्री पर भी लाग होती है इस इस्त्री के लिए कर पर पुरुष माया होत
35:53और किन बातों को माया बोलते हैं तुम जहां कहीं भी देखोगे कि कुछ विशयों को बोला गया इन विशयों से बच कर रहना वहां जान लो कि विशयों को दोशी ठहरा करके
36:04खुद को निर्दोश साबित करने का प्रयास है एहंकार का
36:11लोगधर्म यही है विशयों को बुरा बोल दो वो बुरा है वो बुरा है वो बुरा है यह गंदा इससे बचके रहना इचिची इससे बचके रहना
36:19अपने आपको बोल दो मैं तो ठीकी हूँ
36:22मैं इनसे बचकर चलता हूँ
36:23मैं ठीक आदमी हूँ
36:24तुम ठीक नहीं हो
36:25तुम ठीक होते
36:26तो तुमें किसी से बचकर चलने की ज़रूरत नहीं थी
36:29जो ठीक होता है
36:32उसको कहीं से बचकर चलने की ज़रूरत नहीं होती
36:34और जो ठीक नहीं होता वो कितना भी बचकर चले वो गड़े में की गिरेगा तुम उसको अगर ऐसी बिलकुल समतल जमीन भी दे दोगे चलने के लिए तो भी गिरेगा
36:46माया बाहर नहीं है माया भीतर है माया तुम्हारे भीतर है अहंकार ही माया है विशयों को संसार को जगत को ब्रहमांड को माया बाद में बोलना तुम माया हो अहंकार जो तुम्हारे भीतर बैठा है वही माया है
37:05तो ये बहुत जबर्दस्ट सिध्धान्त है वेदान्त का
37:23और ये जो सिध्धान्त है
37:26ये बैने जैसा कहा कि
37:31आप अद्वायत वाद को माया वाद भी बोल सकते हो
37:35ये इतनी जबर्दस्ट बात है कि माया को समझना
37:39माया को समझना
37:43मैं बार बार उलेख किया करता हूं
37:50अभीर साब के उस दोहे का
37:53जिसने मुझे एक दिन था बहुत बहुत साल पहले एकदम चमत्कृत कर दिया था
38:00कि जो सर से न उतरे माया कहिए सोई
38:06माया माया सब कहें माया लखे न कोई
38:08कि जिस भी विशय को तुमने यहां खोपड़े में बैठा लिया
38:14लिया वो विशय ही तुम्हारे लिए माया हो गया और खोपड़े में वही विशय बिठाया जाता है
38:24जो विशय इस लायक नहीं होता कि तुम्हारे खोपड़े को चकना चूर कर दे
38:30कि विशय में खोपड़े अंदर रखताईगा तुम्हारा कोपड़ा भी फढआदेगा
38:56को मन में स्थान देना बाकी कोई भी विशय जो विशयेता को मिटा न दे वो गड़वड़ी है ये बात उनके लिए जो कह रहे हैं कि अब हम हैं तो जुनुलाल हम अज्ञानी हैं और हमारे लिए तो फिर सारे ही विशय माया हो गए
39:19तो हम क्या करें हम किन विशयों से जुड़ें उनके लिए सूत रहिए तुम उस विशय से जुड़ो जो तुम्हारा खोपड़ा ब्लास्ट कर देता हो
39:30जो विशय ऐसा हो कि आए और यहां बड़े सलीके से सुरक्षा से बैठ जाए वो विशय तुम्हारे ठीक नहीं है
39:43जो विशय यहां भीतर आए और भीतर का महौल और गुलावी कर दे रूमानी कर दे सुगंधित कर दे वो विशय तुम्हारे अच्छा नहीं है
39:50तुमको वो विशह चाहिए जो जब भीतर आये तो जो भीतर बैठा है पहले जब से पहले कौन बैठा होता है खोपड़े के अंदर
39:57अहंकार विशह को तुम लाए अहंकार यहां बैठा हुआ था खोपड़े में राजावन के विशह भीतर आया अहंकार को उड़ा दिया
40:04तुम्हें वो विशह चाहिए
40:05ये सूत्र उनके लिए है जो अज्ञानी है
40:09पर अपने अज्ञान को धुस्त करना चाहते है
40:12जब भी कोई विशह अकरशित करता हो
40:17या तुम्हें चुनाव करना हो
40:18ये विवेक का तरीका बता रहा हूँ
40:21तुम्हें चुनाव करना है कि कौन सा विशय ले करके आएं
40:26तो वो विशय ले करके आओ
40:29सिर्फ वो विशय ले करके आओ जो तुम्हें तोड़ देता हो
40:33जो विशय तुम्हें और हल्दी चन्नन उप्टन करता हो वो मतले आना
40:37वो मतले आना
40:43आरी बात समझे जो विश है तुम्हारे जीवन में आए और तुमका वो बहार आ गई
40:55वो मतले आना वो तो वहाँ पर आया है अब घोसला बनाने के लिए
41:02जो मन से ना उतरे माया कहिए सोए वो नहीं उतरेगा एक तेना प्यारा लग रहा है
41:07बहार है गुले गुलजार है वो काई को उतरेगा वो तो यहाँ भीतर आया है बिलकुल ऐसे
41:16इंदर धनुष छा गया
41:18समझे आ रही ये बात
41:23जो विश है तुम्हे आत्मों मन्थन को मजबूर करता हो
41:30जो विश है तुम्हारी नजर को तुम्हारी और मोड़ देता हो
41:35माने जो विश है दरपण जैसा हो दरपण यही करता है न तुम्हारी आँख यू जा रही होती है और दरपण उसको ऐसे मोड़ देता है
41:42जो विशय तुम्हें तुमसे मिला दे वही विशय संबंध बनाने लाया के और तुम्हें तुमसे जब मिलाया जाएगा तो तूट जाओगे
41:52ठीक वैसे जैसे दरपन एक मुगालते में पड़े आदमी को भ्रहमित आदमी को तोड़ देता है न
42:05ये भ्रहम में थे कि इनकी नाक बहुत सुंदर है और चेहरे पर दाढ़ी नहीं है और दरपन सामने आएगा तो फिरे तूटना पड़ेगा
42:17क्योंकि जीवन भर इनका देह भाव इसी बात को पाले था कि मेरी नाक बहुत सुंदर है और दाढ़ी तो ही नहीं एगदम चिकना हूँ दरपन ने दिखा दिया तुम कौन हो तूट गए ऐसा विशय चाहिए जिसके पास जब जाओ तो तुम्हारे भ्रहम कटे तुम्हार
42:47तुम द्वस्त हो जाते हो कोई बचाई नहीं किसको भ्रष्ट करेगा ब्रहमांड यहां है कौन अब खराब होने के लिए कोई होता तो खराब भी होता
43:04कोई होता तो खराब भी होता अब जब कोई है नहीं खराब होने को तो पूरी दुनिया क्या है
43:17खेल का मैदान है तुम ग्यानी को कुछ ले आकर करके देदो वो भ्रष्ट नहीं होने वाला
43:26हाँ अग्यानी देखेगा तो काप जाएगा अरे ग्यानी के हाथ में खंजर
43:36ग्यानी के हाथ में खंजर भी दोगे तो उससे कुछ शुभ परणामी निकलेगा
43:41अज्यानी देखेगा तो काप जाएगा
43:45अज्यानी के हाथ में माया
43:47ज्यानी के हाथ में शराब
43:50ज्यानी के हाथ में कुछ भी होगा
43:52किसी शुभता के लिए ही होगा
43:55चिंता मत करो
43:56और अज्यानी के हाथ में
43:59मंदिर का प्रसाद भी होगा
44:01तो उससे कुछ अनर्थी होगा
44:03अज्यानी के पास
44:07शुब से शुब चीज भी होगी
44:09तो भी समझना एकदम भारी खतरा आ रहा है
44:12क्योंकि बात चीज की ही नी जो तुम्हारे हाथ में है
44:16बात तुम्हारी है
44:18जब तुम्हीं यहां से गायब हो
44:21जूठी माननेता और जूठे ग्यान से लदे पड़े हो
44:28तो तुम्हें कुछ भी दे दिया जाए
44:30तुम्हें ग्रंथों के शलोखी क्यों न दे दिये जाए
44:35तुम्हारे हाथ में बड़ी से बड़ी गिताईं क्यों न दे दिये जाए
44:38तुम उनका दुरुपयोग ही करोगे
44:40तुम चाहोगे भी कि सदुपयोग कर लो
44:42तो भी तुमसे दुरुपयोग हो जाएगा
44:44तुम्हारे लिए तो ग्रंत भी माया है
44:50तुम्हारे लिए तो गुरु भी माया है
44:52तुम्हारे लिए सब माया है
44:53अगर तुम्हारा हट है
44:57अपने अज्ञान को ही वरियता देने का
45:01तो तुम गुरू के वचनों को भी
45:03विक्रत कर डालोगे
45:05क्योंकि वरियता तो तुमने अपने अज्ञान को दे रखी है
45:08तुम अपने अज्ञान के अनुसार
45:09गुरू की बात को तोड़ मरोड लोगे
45:11गरंत की बात को भी तोड़ मरोड लोगे
45:13सब माया हो जाएगा तुम्हारे लिए
45:15तो माया दुनिया में नहीं होती
45:19माया यहां होती है
45:26माया दुनिया में नहीं है
45:31जगत में नहीं है माया जीव में माया है
45:34ऐसे करके मत बोला करो
45:36कि ये सब माया है
45:37ये सब माया है
45:39और तुम ही सत्य हो
45:41है ना
45:42बड़ा अच्छा लगता है ऐसे बोलते हुए
45:45ये सब माया है
45:46मोह है मंता है माया है बच्चा
45:47कुछ नहीं है माया तुम माया हो
45:50अहंकार माया है
45:52अहंकार
45:57वो बला है
46:01कि पारस पत्थर को भी लोहा बना दे
46:06अहंकार वो बला है कि पारस पत्थर को भी लोहा बना दे
46:14जो सब को प्राण दे सकता हो उसके प्राण ले ले वो बला है मया
46:23अहंकार
46:31और अहंकार का कवच और अहंकार की हस्ती अहंकार का विशय सब होता है जूठा ग्यान, जूठी धारणा, जूठी माननेता, मैं एथा हूँ, ऐसा तो करना ही होता है ना?
46:50ऐसा तो करना ही होता है ना? ऐसा तो करना ही होता है ना? आप लोगों से उस दिन अभी बात करी, तीन-चार दिन पहले, यह एतिहासिक रूप से महिलाओं का और धर्म का क्या सम्मंदरा आ है?
47:12तो उस बात के बाद बड़ी टिपड़ियां आ रही है और उसमें इस तरह की भी हैं, पर अचारे जी, यह लड़कियां जाकर के माबाप से बहस करें, यह भी तो कोई अच्छी बात नहीं है ना? तुम्हें कैसे पता अच्छी बात है कि नहीं है?
47:30पर तुम्हें इतना भरोसा है अपनी बात पर कि तुम्हें अपनी बात को लेकर मुझसे तरक करने भी आ गए? तुम्हें एक बार को नहीं लगा कि मेरे पास आ रहे हो, उससे पहले अपने आप से पूछ लो?
47:44तुम्हें कैसे पता कि ये बुरी बात है कि एक जवान लड़की जाके माबाप से बहस कर रही है, इसमें बुरा ही? कैसे तुम्हें अनिवारे रूप से दिख रही है? ये बात बुरी हो भी सकती है? और बुरी नहीं भी हो सकती है? मा ग्यानी है, और ऐसे ही बेटी हो, अ�
48:14मा सौतरे की मानेता ही हो रही है
48:18अपनी सिंदगी पहले ही बरबाद कर चुकी है
48:21और एक पढ़ी लिखी
48:23जागरती का प्रयास करती हुई लड़की जाकर मा से भहस करे
48:27तो इसमें क्या बुराई है
48:28पर और ये कई जवान लोग ये कर रहे हैं
48:33सत्रा साल उन्नी साल वाले आकर के भी ये कह रहे है
48:35पर आचारेच ये तो कोई अच्छी बात नहीं है न
48:38ऐसे थोड़ी होना चाहिए
48:40जो नहीं है वो तुम्हें दिखाई दे रहा इसे माया बोलते है
48:46अपनी धारणा में इतनी बुरी तरह से धस जाना
48:57कि सच्चाई अब तुम्हारे लिए एकदम अनुपलब्ध हो जाए ये माया है
49:12सुझ में आ रही है बात
49:13ऐसा तो होता ही है न
49:17ऐसा तो करना ही है न
49:19ये तो कोई अच्छी बात नहीं है न
49:27तुम ज्यानी हो
49:37तो तुम्हें पताने की ज़रूरत नहीं है कि क्या बात अच्छी बात है
49:43तुम्हारा ज्यान ही तै कर देगा
49:46सब कुछ और फिर तुम जिस भी दिशा जाओगे हो दिशा अच्छी ही होगी
49:50और मूरक हो तुम सो तरह की बैमानिया पा ले हुए हो तो अच्छी से अच्छी बात भी तुम्हारे लिए माया है
49:58तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता तुम पहले अंदरूनी इलाज करो
50:01बाहर की चीजों को अच्छा बुरा बोलना छोड़ो
50:04ये कहना छोड़ दो कि रुपया माया है या अरे ये कम कपड़ों में लड़की आज कल घूम रही है ये माया है
50:11उनको छोड़ो तुम अपना इलाज करो
50:14वो जो लड़की वहां घूम रही है उसको भी मैं भी कहुँगा कि तुम अपना इलाज करो
50:19पर अगर तुम भीतर से ठीक होते तो सिर्फ इसलिए कि कम कपड़ों में कोई तुम्हारे सामने आ गया
50:26तुम भीतर से बिलकुल भूचाल ग्रस्त न हो जाते
50:31कभी फुटेज देखिए यह देखिए यह बाढ़ प्रुभावेत खेत्र है
50:41अस्पताल से दिखाते हैं गीला ही गीला है पूरा का पूरा
50:44और कभी भूचाल ग्रस्त छेतर दिखाते हैं वहां सब तूटा फूटा पड़ा हुआ है
50:49एक लड़की सामने आ गई तुम भीतर से बाढ़ ग्रस्त भी हो गई और भूचाल ग्रस्त भी हो गई
50:53सब तूट फूट भी हो गई और पूरे गीले भी हो गई उपर से नीचे
50:58लड़की से कर लेंगे बात
51:00हो सकता है कि वो अग्यानी हो
51:02हो सकता है अगर है तो बिलकुल करेंगे बात
51:04उससे भी वो भी मनुश्य है
51:05पर पहले तो तुमसे बात करेंगे न क्योंकि तूट-फूट तो सारी तुम्हारे अंदर हो गई
51:09कि नहीं
51:25सब कुछ माया है और कुछ भी माया नहीं है
51:29निर्भर तुम पर करता है
51:31और अगर तुम्हें दिखाई दे रहा है कि तुम बहुत तरह की मुर्खताओं से लदे हुए हो
51:38जूटा ग्यान जिसका नाम अग्यान है
51:42उसके बोज तले दबे हुए हो
51:44और अपनी दशा से मुक्त होना चाहते हो
51:47तो उसका तरीका भी बता दिया
51:49क्या
51:50सब विशे हैं तुम्हारे सामने
51:55और तुम जान तो नहीं पारे कौन सा ठीक है
51:57जो विशे है तुम्हारे लिए आई ना बन जाए
52:00सिर्फ उस विशे को जीवन में लाना
52:03जो विशे है भीतर आ करके तुम्हें
52:07सुख वगेरा का नियोता देता हो
52:10उस विशे से बचना जो विशे तुम्हें तुमसे रूबरू कर दे परिचित करा दे जिस विशे के आने पर तुम भीतरी तौर पर ढहने लगो द्वस्त होने लगो वो विशे तुम्हारे लिए अच्छा है
52:30कि आरी बात समुझें है
52:32माया तजू तजी नहीं जाई फिर फिर माया मोही लपटाई
52:46माया तजू तजी नहीं जाई
52:52फिर फिर माया मोही लपटाई
52:58माया तजू तजी नहीं जाई
53:04फिर फिर माया मोही लपटाई
53:10माया तजू तजी नहीं जाई
53:16फिर फिर माया मोही लपटाई
53:22माया जप तप माया जोग
53:28माया बांधे सब ही लोग
53:34माया जप तप माया जोग
53:40माया बांधे सब ही लोग
53:46माया जल खल माया कासी माया व्यापी रही चहु पासी
53:59माया जल खल माया कासी माया व्यापी रही चहु पासी माया तजू तजी नहीं जाई
54:18फिर फिर माया मोही लफटाई माया तजू तजी नहीं जाई
54:42फिर फिर माया मोही लफटाई माया तजू तजी नहीं जाई
54:54फिर फिर माया मोही लफटाई माया तजू तजी नहीं जाई
55:06फिर फिर माया मोही लफटाई माया पिता माया माता
55:18अति माया अस्त्री सुताई माया पिता माया माता
55:30अति माया स्त्री सुताई माया मारी करे व्योहार
55:42कबीर मेरे राम आधार माया मारी करे व्योहार
55:54कबीर मेरे राम आधार माया तजू तजी नहीं जाई
56:06फिर फिर माया मोही लफटाई माया तजू तजी नहीं जाई
56:18फिर फिर माया मोही लफटाई माया अधर माया मान
56:29माया नही थव्चा ब्रह्म जन्
56:40माया मान्
56:43माया नही थर्हब्रम जन्
56:47माया अरश माया करजन्
56:54माया कारनी तजे पराण
57:00माया तजू तजी नहीं जाई
57:07फिर फिर माया मोही लपटाई
57:13माया तजू तजी नहीं जाई
57:19फिर फिर माया मोही लपटाई
57:24माया तजू तजी नहीं जाई
57:30फिर फिर माया मोही लपटाई
57:43झाल झाल
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