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00:00100, 200, 300, 400, 500, 1000
00:03ये केवल संख्या नहीं है
00:06ये मानक है
00:08कि आपकी हवा में कितना जहर खुल चुका है
00:30भारत का जो प्रदूशन है
00:54वह अध्योगिक या आर्थिक कारणों से नहीं है
00:57सुनने में जैसा भी लगे पर उसका मूल कारण
01:00सौ, दो सो, तीन सो, चार सो, पान सो हजार
01:08ये केवल संख्या नहीं है
01:10ये मानक है कि आपकी हवा में कितना जहर खुल चुका है
01:15एक विशाल काय हाती
01:18आपके लिविंग रूम में आकर बैठ किया है
01:21और आप चुटकले सुनने में मगन है
01:24प्रदूशन की समस्यावर जब बात होती है
01:29तो उसे बड़ा सेकेंडरी इश्व मान लिया जाता है
01:33जब तक कोई आबदा नहीं आती
01:36जब तक चीज़े घर तक चल कर नहीं आ जाती
01:39और बहुत सारे केसे में तो घर तक चल कर आने के बाद भी
01:44उसे नरजर अंदास कर दिया जाता है
01:46और ये एक आटिट्यूट की तरह हो गया है
01:48बहुत से सवाल ये आटिट्यूट उठाता है
01:51और इन ही सवालों का जवाब देने के लिए
01:53आज हमारे साथ मौजूद है आचारे प्रशांत
01:56आचारे प्रशांत बहुत-बहुत स्वागत है आपका
01:58NDTV के इस खास प्रोग्राम में
02:00आप एक दाशनिक हैं, बेस सेलिंग ओथर हैं
02:03गीता और वेदानत की टीचिंग्स को
02:06जन मानस तक फैला रही हैं
02:08आचारे आज जब हम दोनों ही मास्क लगा कर नहीं बैठे हुए हैं
02:13AQI भले ही कुछ भी हो
02:15लेकिन अगर Brian Johnson बहार से आते हैं
02:19और वो एक इंटरव्यू करते हैं
02:20तो वो मास्क लगा कर बैठते हैं
02:21और वो यह चिंता व्यक्त करते हैं
02:23कि इतनी जादा समस्या इसकी हो गई है
02:25एर पल्यूशन की भारत में
02:27कि इस पर ध्यान देने की सक्त आवशकता है
02:30और तब खबरें और जादा बनती हैं
02:33क्योंकि कोई व्यक्ति बाहर से आया है
02:35और उसने एक बात कह दी है
02:36लेकिन अपनी ही जमीन पर अपनी ही धरती पर
02:39तमाम ऐसे लोग हैं
02:41जो इस दिशा में काम कर रहे हैं लगातार
02:42तब भी उन चीजों को इतना महत्व नहीं मिल रहा है
02:48इतनी जगह नहीं मिल रही है
02:49एन्वायमेंट को शुरुवात से लेकर
02:51हम पांच भी कक्षा में जब हमने एन्वायमेंटल स्टडीज पढ़ी
02:54तो वो एक एक्स्ट्रा सब्जेक के तौर पर
02:56हमको पढ़ा दिया किया
02:57और अच्छे नंबर आ जाते हैं
02:59इसमें पूरे नंबर मिल जाएंगे
03:00मैंने किमिस्ट्री की पढ़ाई की
03:02मुझे एक सिमिस्ट्र में एक्स्ट्रा सब्जेक के तौर पर
03:05इन्वायमेंटल साइंस मिल गया
03:06आसान सी चीज है
03:08और मुझे लगता है वो आटिटूट पता नहीं
03:10मेरे उपिनियन में कैरी फॉवर्ट हुआ है
03:12आपको क्या लगता है क्या हम नम हो गए हैं
03:15हमें पता है इतनी
03:16यही जब हम जहर की बात करते हैं
03:19यह व्याप्त है
03:20हवा जहरी ली है
03:21कई आंकड़े ऐसे आते हैं
03:23कई रिपोर्ट्स आती हैं लगाता है
03:24चेताती हैं चिताब नहीं देती हैं लेकिन हम टस से मस होने के लिए तयार नहीं है
03:30बाहरी लक्षण है समस्या भीतरी है
03:32समस्या भीतरी है इतनी भीतरी है कि बाहरी आदमी को आ करके शोर मचाना पड़ता है
03:38वो यूही मास्क लाकर नहीं बैठे थे
03:40Bran Johnson यूहीं वो
03:44बातचीत कर रहे थे कहीं पर बीज में उठकर के ऐसे ही नहीं चले गए थे
03:48वो एक संदेश देना था
03:49वो इस तो मेक अ वेरी पारफुल विजूल स्टेटमेंट
03:52वही थोड़ा सा हमें इस पर लज्जा आनी चाहिए कि
03:57हमें हमारा हाल बताने के लिए
04:00किसी विदेशी को इस हद तक जाना पड़ता है
04:04हम क्यों अपने हाल से इतने अन्भिग्य हैं
04:09देखिए उस पर वापस चलते हैं
04:12मैं जो हूँ मैं
04:15मुझपर मेरी भीतरी दशा का असर पड़ता है
04:18मेरी शारिरिक दशा का असर पड़ता है
04:20और मेरी बाहरी महौल का असर पढ़ता है
04:24किनों का असर पढ़ता तो मुझे पर ही है न
04:28तो कहीं से भी असर पढ़ रहा हो
04:31मुझे उस असर के प्रति सम्वेदन शिलता
04:35जागरुकता, साउधानी, सतरकता
04:39तभी होगी न जब सबसे पहले
04:41मैं अपना ख्याल रखना चाहूँ
04:44ऐसे समझिये, मैं हूँ
04:46मुझे पर यहां कोई बैठा है
04:49वो असर डालता है, आप बैठी हैं
04:51आप असर डालती हैं, वहां वो बैठे हैं
04:52वो असर डालते हैं, असर कोई भी डालता हो
04:55तीनों असर डालते हैं, मुझे पर यह हैं
05:11मैं कोई आत्मसम्मान रखता ही नहीं और बड़े कीमती शबद पर आगए हम आत्मसम्मान
05:18अपनी फिक्र वो करेगा ना, जो अपना मूले जानता हो
05:24इसलिए मैं कह रहा हूं कि ये समस्या आंतरिक है, हम अपना मूले नहीं जानते
05:28तो हम फिर अपना अपनी फिक्र भी नहीं करते है हम अभी यहां बैठे हुए हैं यह जानी बात है कि दिल्ली का हर व्यक्ते अपनी उम्र के बारह साल गवा रहा है वायू प्रदूशन की वजह से बारह साल
05:44अंतराष्ट्री अमानक जो है PM 2.5 का वो है 5 माइक्रोग्राम पर मीटर क्यूब और दिल्ली का है लगभग 100 माइक्रोग्राम पर मीटर क्यूब
05:5618 से 20 गुना ज्यादा है अंतराष्ट्री अमानकों से बही बात हमें पता है साधारन सा ये एक आंकड़ा है हर जगह उपलब हम सब जानते हैं बीजी चुआ खार में भी छप जाता है आंकड़ा छपने से क्या होगा
06:08मुझे साफ दिख भी रहा हो ये आत्मी थपड मार गया जब मुझे अपनी कदर ही नहीं है भीतर ही कोई गरिमा ही नहीं है कोई आत्मसम्मान ही नहीं है तो मुझे साफ दिखाई भी दे रहा हो दुनिया चला चला गई बता रही हो तू पिट रहा है तू लात खा रहा है �
06:38सशक्त
06:40उचित कारण है
06:43तो क्या आप
06:45जान गवाना बरदाश्ट करेंगी
06:46और अगर आपको
06:49पता हो कि आपकी जिंदगी बस ऐसी ही है
06:51थाली का बैंगन
06:53रुणकता पत्थर
06:54कभी उधर चले गए कभी उधर चले गए
06:56पेड़ से तूटा हुआ पत्ता हवा बहा ले गई
06:58ऐसे ही है वस जैसे
07:00इतने लोग आए गुजर गए वैसे ही
07:02एक टिड़ी दल आता है न इतनी टिड़ीयां होती है
07:04कौन गिंती करता है कितनी मरी कितनी बची
07:07बरसाती कीड़े आते हैं
07:09उनकी जान की क्या कीमत है
07:26के लिए कोई ताकतवर ठोस वजह नहीं है
07:32तो मैं अपनी इसने की कीमत क्यों करूं
07:34अगर मैं 12 साल पहले मर रहा हूं
07:36एर पॉलिशन से तो मर जाने दो
07:39पर मृत्यू से डर तो सबको लगता है
07:41आज आरी हो तो डर लगे ना
07:43आप 30 के हो 40 के हो आपको बताया जाता है
07:45कि 80 जिनने वाले ते 70 ही जी होगे
07:47आपको ठीक ही है
07:49हाँ आपको यह बोला जाए कल मर जाओगे
07:52तो फिर आप थोड़े परिशान हो सकते हो
07:55या कोई डॉक्टर बोल दे तीन महीने बच्चे हैं
07:56तो भी थोड़े परिशान हो सकते हो
07:58लेकिन 70 और 80 में कहा फर्क पता चलता है
08:01इतना तो हम घपला ऐसे भी कर लेते हैं
08:03किसी को 100 रुपए लोटाने होते हैं
08:05आप मजे में 80 रुपए लोटा के आजाते हैं
08:06और कहते हैं अप्रोक्सिमेटली ठीकी तो है
08:08तो जिन्दगी में हम हर 30 में तो थोड़ा बहुत घपला करी लेते हैं
08:12तो 80 साल जीने थे
08:1370 साली जी होगे थोड़ा घपला हो गया
08:15चलो तो रोज होता है क्या हो गया तना तो
08:1710-20 परसंट तो चलता रहता है
08:19कहीं घूस दे दी
08:20कई में इलावट हो गई
08:2110-20 परसंट तो चलता रहता है
08:23आत्मसमान की बहुत कमी है
08:26जो आदमी जानता होगा वो कौन है
08:28जो आदमी जानता हो किस लिए जी रहा है
08:30वो अपनी जिंदगी का यह अपमान
08:32बरदाश्त नहीं करेगा कि मर रहा है
08:33और किसलिए मर रहा है कि सांस लेता जा रहा है ये कितनी बेज़ती की बात है
08:39आप सांस ले लेके मर रहे हो
08:44सांस लेके जिया जाता है
08:47आपको मजबूर किया गया है कि आप सांस लेके मर जाओ
08:51और आपके भीतर क्रोध नहीं उठ रहा
08:55आप खड़े हो करके घरजना नहीं कर रहे कि यह कैसे हो रहा है कौन जिम्मेदार है
09:00आप कह रहे हैं जैसी जिन्दगी चल रही है ढूल मुल लुचर पुचर चलती रहे
09:05क्या होता है कुछ नहीं होता है अभी हमने सिर्फ बात करी है यह हवायू प्रदूशन की
09:10अभी उसमें जब आप जोड़ोगे कितने और तरीके के प्रदूशन होते है तो आपको पता चले कि आपकी तो एक भारती होने के नाते
09:19जिन्दगी ही प्रदूशन ने खा रखी है पूरी लेकिन क्या फरक पड़ता है जिन्दगी में वैसे भी कुछ रखा नहीं था
09:24इतने सारे तो हम लोग हैं मर भी गए तो क्या होता है बीस लाख लोग भारत में प्रतिवर्श सिर्फ वाईव प्रदूशन से मरते हैं क्या फरक पड़ता है इतने सारे तो हैं क्या फरक पड़ता है
09:38गरिमा नहीं है आत्मसम्मान नहीं है जो हमारा देश है ना हमें इस चीज़ की बहुत जरूरत है हमारे पास हंकार हो सकता है बहुत सारा हो तुने मुझे ऐसा बोल दिया तुझे मार दूँगा आत्मसम्मान नहीं है आत्मसम्मान और हंकार बहुत अलग-अलग बातें होती ह
10:08तो उसमें हमें दिखता है लेकिन हम सचाहिए एकसेप्ट करने के लिए तैया धन्यवाद देना चाहिए तूने आईना दिखाया उसने कोई कृत्रिम रूप से कुछ गड़हा तो नहीं है उसने जूठ मूठ का कोई चित्र कोई चीज तयार तो नहीं करी है
10:34वो तो आईना ही तो दिखा रहा है
10:37आईना दिखाने से हमें मेशा परिशानी होती है
10:40उसने कुछ जूट दिखा दिया होता
10:42कुछ नकली दिखाया होता
10:43तो आप चिढ़ लेते
10:44कोई आपको सचा ही दिखा रहा है
10:47तो उसका तो शुक्री आता करो
10:48उसने कुछ दिखा दिया इससे नीचे थोड़ी हो गए
10:56उसने तो आपको यह दिखाया है कि आप पहले ही नीचे हो
10:58वहाँ नाली के बगल में ठेला लगा हुआ है
11:01और वहाँ पे जाके आप कहा रहे हो भाईया थोड़ी और पानी पूरी देना
11:04थोड़ा उसमें सोट वाला और डाल दो
11:06अवो ठीक वो बजबजाती नाली है उसके बगल में है आप यह कर रहे हो
11:10कोई विदेशिया के यही दिखा देता है कि यह नाली देख लो
11:13और नाली के बगल में ठेला देख लो और यहाँ पे यह भीड लगी हुई है भाईया थोड़ा सा और यह मीठी चटनी वाला और दे देना
11:20एक तरफ हम डेवलप्मेंट की बात करते हैं जब कोर क्वेस्चन होता ही है
11:27और दूसरी तरफ हम नहीं inventions की बात करते हैं बढ़ती GDP की बात करते हैं
11:33डेवलप्मेंट की बात करते हैं और फिर इस तरह का हाल हम लगातार देखते रहते हैं
11:39हमारे ambitions हमारी महत्वकांगशा हैं हमें किस गर्थ में लेकर जा रही हैं
11:45और इंडिविज्वल लेवल पर, सोसाइटी के लेवल पर और फिर पॉलिसी के लेवल पर आपका क्या opinion है
11:55क्या कुछ सुधार किया जा सकता है बिल्कुल मैं सिलसलेवार ढंग से थोड़ा जानना चाहते हूं
12:01मैं नहीं कहता कि ये सब हमारी ambitions का या development का या GDP का परिणाम है कि आज भारत इतना प्रदूशित है
12:12ना तो हमने ऐसा कोई development कर लिया है ना आम भारती है कोई बहुत ambitious होता है
12:19और ना हमारा per capita GDP किसी गिंती में आता है
12:23भारत का जो प्रदूशन है वो अध्योगे क्या आर्थिक कारणों से नहीं है
12:32सुनने में जैसा भी लगे पर उसका मूल कारण आध्यात्मिक है
12:37देखी समझिये कितना हमने GDP कर लिया कि दुनिया के 100 सबसे प्रदूशित शहरों में 94 भारत के हैं
12:46इतना आपने GDP कर लिया है इतना हमारा इंडस्ट्रियल आउटपुट है कि दुनिया के 100 शीर सिस्थानों में से 94 हमने जटक लिये
12:56हम इतने जबरदस तरीके से पैसा बना रहे हैं हम इतने अंबिशियस हैं
13:01भारत आर्थिक रूप से इतना अग्रणी हो गया है कि 100 में से 94 भारत के शहर है
13:05और दुनिया की जो सबसे प्रदूशित राजदानी है वो दिल्ली है
13:08हम क्या खुद को बता रहे हैं कि वो भारत विकास कर रहा है इसलिए प्रदूशन हो रहा है
13:14यह प्रदूशन विकास से नहीं हो रहा है यह आंतरिक दूशन है जो बाहरी प्रदूशन के रूप में दिखाई दे रहा है
13:20मान ये बात
13:21कहां विकास हुआ है? कौन सा विकास हुआ है?
13:25कितना पर कैपिटा हमारा GDP है?
13:28यहां तो
13:28शुन दश्मला एक फीसिदी
13:32अमीर लोग हैं जो बस अमीर हो रहे हैं
13:33उनका विकास हो रहा है
13:34बाकी तो पूरा देश और और गरीबी होता जा रहा है
13:36विकास हुआ कहा है? जब विकास ही नहीं है
13:38तो विकास से कहां से प्रदूशन हो गया?
13:40यह प्रदूशन विकास से नहीं आ रहा है
13:43यह प्रदूशन भीतरी
13:45गंदगी से आ रहा है
13:45एक आदमी चलते वो थूक रहा है
13:48इसमें विकास का क्या रोल है?
13:52एक आदमी है
14:06में एक आदमी आता आपको ऐसे कंधे से मार के चला जाता है हूआ अपके साथ और महिला होने के नाते तो आपने और इसा जेला होगा यहादमी कौन है यहादमी वो है जिसे अपनी हस्ती की गरिमा का घरावी खयाल नहीं
14:19तो ये दूसरों के परसनल स्पेस में भी घुसा चला जाता है
14:22आप जहां रहते होंगे वहां होता होगा आज पास ये आंटी अंकल लोग होते हो
14:27कुछ भी पूछने चले जाते हैं बेटा शादी कप कर रहे हो
14:29ये भी पूछ लेंगे कि बेटा सेक्स किया की नहीं बेटा बच्चा कब कर रहे हो
14:32ये कैसे कर लेते हैं क्योंकि इन्हें चूकि अपनी गर्मा का ख्याल नहीं है
14:37तो इन्हें आपकी भी गर्मा का ख्याल नहीं है विदान्त में गर्मा के लिए एक ही शब्द है
14:43सत्य, आत्मा
14:45जिसके पास वो होती है मां तो उसके पास गरिमा होती
14:49क्योंकि वो बिलकुल निजी चीज होती है
14:50वो ऐसी चीज होती है जिसे जमाना छू नहीं सकता
14:52हमारे पास ऐसा कुछ भी नहीं है
14:54जिसे दुनिया इस परश नहीं कर सकती
14:56हमारा सब कुछ हैसा है जिसे दुनिया ने अपने गंदे हाथों से मैला कर रखा है
15:00हम भीतर से बिलकुल मैले हो चुके हैं
15:02इसलिए बाहर कुछ भी मैला करने में हमें कोई संकोच नहीं होता
15:05मैला देख के हमें कोई दुख नहीं होता
15:07यह हमारी हालत है देखिए
15:08बहुत सारे भारत जैसे ही देश है, आर्थिक तौर पर, अगर यह आप रति व्यक्ति आय और अगरा की बात करें तो, पर बहुत साफ है
15:23तो हम क्या ऐसा, अगर अगर स्प्रिश्वल अवेर्निस की बात हो या स्प्रिश्वालिटी की बात हो, हम गड़ माने जाते हैं
15:33तो आप खतरनाक खेत्र में जाने को तयार हो रही हैं, चले, चले, मैं बताता हूं, तुम्हारी मुक्ते का, तुम्हारी उचाई का, तुम्हारी सचाई का, संबंध किसी और लोक से, यहां से नहीं है, तुम बस अपना एक कमरा साफ रख लो, जिसमें तुम अपनी अंध भक
16:03अपना भजन पूजन कर लिया है तो मृत्यों के बाद देवयान आएगा और तुमको स्वर्गलोग ले जाएगा ये जो हमारी अंदभक्ति से उठती लोक धार्मिक व्यर्थ मान्यताएं हैं इन्होंने हमें बर्बाद किया है
16:19भारतियों के घर गंदे नहीं होते आप गौर करिएगा रसोईयां गंदे नहीं होते ही गौर करिएगा हमारे जब सारजन एक स्थान है न वो गंदे होते हैं क्यों क्योंकि उच्छे से उच्छा दर्शन भारत के पास है लेकिन गिरी से गिरी माननेता भी भारतियों में पा�
16:49परेटन स्थल पर जाते हैं
16:51कोई बहुत पुरानी इमारत हो सकती है
16:54गुफा हो सकती है
16:55और वहाँ पर हम जाकर के
16:57खुरेद कर आ जाते हैं
16:59पिंकी लव्ज मौनू
17:00यह आदमी गंदा है
17:03इसका रिष्टा गरीबी से नहीं है
17:06इसका रिष्टा संसकार से है
17:08हमारे जो लोकधार में एक संसकार है
17:10ना उनमें गरिमा आत्मसमान की बहुत कमी है
17:12पिंकी को कोई फरक नहीं पड़ता
17:15कोई आके उसकी पीठ पे हाथ मल गया
17:17क्योंकि यह रोज हो रहा है
17:18आत्मा
17:20आत्यंतिक निजता का नाम है
17:23एक तरह से
17:25वो एक्स्ट्रीम
17:26individuality की बात है
17:28हमारी रहने ही नहीं दी जाती
17:30आप शादी कब करोगे
17:32कोई और तैय कर रहा है
17:33कौन सा आत्मसमान बचा आपके पास
17:35बताईए
17:36आपकी सास आप पे दबाव डाल रही है
17:39तुम बच्चा कब पैदा करोगे
17:40तुम carrier क्या लेके चलोगे
17:42वो तुम्हारे बाप ने तैय करा है
17:43कौन सा आत्मसमान बचा
17:45और जब हमें हर तरफ से
17:49गंदगी गंदी मिल रही है
17:51हर कोई हक रख के बैठा है
17:53कि आएगा और हमारी जिन्दगी पर थूक के चला जाएगा
17:55तो फिर हम भी सणकों पर थूकते हैं
17:57हम अपनी नदियों गंदा करते हैं
17:58हम हवाओं को गंदा करते हैं
18:00नौइस पॉलिशन की तो भी हम बात ही नहीं कर रहे है
18:02एक घर में शादी होगी
18:05पूरे गाउं को सूने नहीं देगा हुआ आदमी
18:06क्यों?
18:08क्योंकि निजिता जैसी तो कोई बात होते ही नहीं न
18:11सबकुछ सारोजनिक है
18:13सबकुछ पब्लिक है
18:14क्यों?
18:15क्योंकि मेरा सबकुछ आया ही पब्लिक से
18:17मेरा अपना कुछ है ही नहीं
18:18यह आत्मसंबान की कमी
18:19मेरे विचार कहां से आ रहे हैं
18:22और संसकानों से आ रही है मेरी माननेता आरे हैं परंपरा से अरी है मेरा अपना क्या है जब लिए अमें
18:50ऐसा थोड़ा बहुत ही सही, आंशिक ही सही पाईए तो जो पूरी तरह अपना है, फिर उसकी रक्षा में आप जीजान लगा दोगे, जो सचमुछ अपना होता है न, इंसान उस पर किसी को थूकने नहीं देता, हमारे पस कुछ अपना नहीं है, बस सरकार किये हैं, बैठे ह�
19:20हुए मुमफली के छिलके फैला दिये, ऐसी थोड़ी हर चीज गंदी हो गई है, रेलवे सेशन पर महिलाए होंगी, ठीक पटरी के बीचे बठा करके बच्चों को शौच करा रही होंगी, क्यों करा रही होंगी, क्योंकि जो शौचाला है, उसमें जो पिछला आदमी गया �
19:50सम्मान की कमी, और सुविधाओं की, फिर बोल रहा हूँ भारत जितने गरीब देश और भी है दुनिया में इतने गंदे नहीं है, 100 में से 94, फिर भूली है गनी, 100 में से 94 दुनिया के सबसे गंदे शहर भारत में है, और बाकी 6 भी हैं न, वो हमारे भाई बंदु है, अडो
20:20बांगलादेश और कोई नहीं है गंदा यह सब हमारे ही लोकधर्म हमारे ही संस्कृतिका फैला हुए जो गंदगी
20:30और यह बहुत ज़्यादा दुखा दे से लिए है क्योंकि उचे से उचा दर्शन भी हमारा है और उसके होते हुए हमने अपनी ये दुर्गति बना ली
20:41किस तरह से इन्वार्मिन्ट की दिशा में आपकी संस्था आप काम कर रहे हैं उसके बार में तोड़ा ज़्यादा दिया मैंने उनसे कहा कि देखो अगर बाहरी सक्रियता एक्टिविजम के लिए तुम मेरा नाम सोच रहे हो तो यह अगर अगर तुमको यह दिखाई देता ह
21:11कि एयर क्वालिटी नापने से पहले तुम्हें इनसान की क्वालिटी नापनी पड़ेगी तो तुम्हें मेरे बात समझ में आ रही है तुम्हें अगर यह दिखाई देता है कि सी लेवल कितना बढ़ गया क्लाइमेट चेंज से या कि भूजल स्तर कितना गिर गया एक्सिसि
21:41शाया दोनिय विरबात समझ में आई होगी मैं निका तुम सारी बाहरी चीजे नाप रहे हो बाग कितने बचे तुम यह क्यों नहीं ना पर है कि उस इंसान में हिंसा कितनी बची जिसने सबसे पहले बाग मार दिये थे इंसा अगर अब अवी उतनी बची हूई है तो बाग
22:11इंड़स्ट्री है बहुत फंडिंग आती है कि मोइं ने में पारी काम गरने के लिए
22:18और उन्नकामों से होना दोना कुछ नहीं है कुछ हो रहा है आपको लग रहा है
22:22अगर आप उनसे पूछे हैं कि इतना आया उस पे ROI क्या है बिलकुल Macro तरीके से बताओ कि दुनिया में तुमने क्या बचा लिया
22:30क्योंकि एक छोटी सी बात है जो उस सुनना नहीं चाहते वो छोटी सी बात ही है कि it all starts within
22:39और जो चीज भीतर से शुरू होनी है आप बाहर बाहर बाहर बाहर उसमें लगे हुए हो उससे क्या हो जाएगा
22:46बहुत बहुत धन्यवाद आपने एक नया perspective दिया इस पूरी environmental debate को
22:52और मुझे लगता है कि हमारे दर्शक जो देख रहे हैं ऐसे उने भी एक नया perspective मिला होगा और शायद हम और deeply जैसे आपने का
23:01it all starts with you it all starts within सब अंदर से शुरू होता है आंत्रिक गंद की का manifestation है बहर वाली दंद की बहुत बहुत बहुत शुक्रिया पने दर्शकों को भी कि जो आंत तक हमारे साथ बने रहे हम इसी तरह के मुद्दे लाते रहेंगे यह ज़रूरी विश्यों पर बात करते रहेंगे आ�
23:31कर दो
23:45कर दो
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