00:00अचारे जी मैंने सुना है कि 20 साल पहले आपने अपने I.M.M.दवाद M.B.A. के जस्ट बाद एक Excel शीट बनाई थी
00:06और शीट में शायद कुछ आपकी प्लानिंग थी कि आप कितनी जल्दी अपने लोन सेटल करके फ्री होना चाहते हैं
00:13कशीट का नाम था Free Man in March, Journey to a Free Man मुझे यहाँ पर हारंतों और भगोडों की फौज नहीं बनानी है
00:21ना मैं कभी मजबूरी का रोनार होता ना मुझे मजबूर लोग अच्छे लगते हैं
00:25आप लोग मेरे पास आते हो, बोल देते हो कि हमारे पास पैसा नहीं है, ये नहीं है, हम तो 500 रुपया भी नहीं दे सकते हैं
00:31अरे 1000 रुपय, ये इस तरह की बाते करते हो, क्यों हम ऐसी जिंदगी जी रहे हैं कि हमारे पास 500 रुपय भी नहीं है
00:37और ये सवाल कोई आध्यात में गुरु आपसे नहीं पूछता था
00:40अब मुझसे अगर फ्रेम है या कोई नाता है इज़त है तो मेरी अभी इस्थित क्या है वो समझो
00:47एक तो यही बहुत अच्छा है सामने युद्ध नहीं जिनके जीवन में वे भी बहुत अभागे होंगे
00:54या तो प्रण को तोड़ा होगा या फिर रण से भागे होंगे
00:58जीवन के पत्के राही को खणभर भी विश्राम नहीं है कौन भला स्विकार करेगा जीवन एक संग्राम नहीं है
01:05नमस्ते अचारी जी अचारी जी मैंने सुना है कि 20 साल पहले आपने अपने आयम अमदवाद
01:16MBA के जेस्ट बाद एक Excel शीट बनाई थी शायद The Journey to a Free Man के नाम से
01:21उस शीट में शायद कुछ आपकी प्लानिंग थी कि आप कितनी जल्दी अपने लोन सेटल करके फ्री होना चाहते थे
01:28तो मतलब आप तो स्पिरिच्वल इंसान है तो स्पिरिच्वल जर्नी में
01:33फिनाशल प्लानिंग और दुनियादार के कैलकुलेशन का क्या होनाता है
01:38उसका शीट का नाम था फ्री मैन इन मार्च जर्नी टू अ फ्री मैन नहीं था
01:45बहुत पुरानी एक्सल थी हो सेव करके अभी भी रखी हुई है
01:49मेरी वो शीट बनी हुई थी कि मुझे कितनी जल्दी किस तरीके से अपना करजा पटाना है
01:59आप लोग क्या सुचते हो हर चीज का जवाब बस ये है
02:07अपने माही टटूल
02:10वो शीट बनी हुई थी फ्री मैन इन मार्च क्योंकि मैं जल्दी से जल्दी अपनी कॉर्पोरेट जॉब छोड़ना चाहता था
02:18तो उसमें मैं अपने एक छोटे ते छोटे खर्चे का हिसाब रखता था
02:24कि एजुकेशन लोन था और कुछ मैंने करजे ले रखे थे वो मुझे सब खत्म करने से जल्दी से जल्दी
02:33और वो मैंने जल्दी नहीं खत्म किये होते है तो यह संस्थान ही बनी होती है आपकी
02:38आपको मालू में लोगों के एजुकेशन लोन 20-20 साल चलते हैं हाउस लोन की तरह आजकल हमने सब धाई-3 साल में निप्टा दिया
02:49छवी बनाई है आप लोगों ने सुनिये आप लोगों ने छवी बना ली है अध्यात्म की कि अध्यात्म का तो मतलब होता है
03:01कि एक बन्द कमरा एक सुनसान जगह है और एक ऐसा आदमी जिसे दुनिया दारी की कोई तमीज नहीं है
03:10जिसको कह दो कि जाओ दुनिया में कुछ करके दिखाओ
03:15तो उसकी टांगें का आपने लगती हैं या वो बोल देता है कि
03:19नहीं नहीं नहीं हमें तो कोई जरूरत नहीं है
03:24हमारी कोई रूचिं नहीं है
03:26आप मेरी शीट के बारे में पूछ रहे हैं तो मैं आपको ये भी बता दूँ
03:35कि मैं दुनिया में भी बहुत सारे तरीकों से अग्रणी रहा हूं विजेता रहा हूं
03:42और मैं यहां बस किनी प्रवेश परिक्षाओं की बात नहीं कर रहा हूं
03:46बैंक से लोन लिया तो जितनी अवद ही का लोन था उससे बहुत पहले मैंने उसे चुका दिया
04:06आपने कभी बाइक में 10 रुपे का पेट्रोल डलाया है
04:08कुछ महीनों का एक अंतराल था जब मैं 10 रुपे और यह तब है
04:18जब मेरे पास एक अच्छी कॉर्परेट जौब थी आयम के बाद
04:23मैं एक एक रुपया रोक रहा था कि मैं
04:28मेरे कुछ दोस्तों ने एक स्टार्ट अप शुरू करी थी मैं दिन में
04:38vita, GE में काम करता था जनल लेक्ट्रिक और
04:466-7 बझे वहाँ से free हो करके मैं चला जाता था और वह ज़ो
04:48स्टार्ट अप थी। है मैं उसमें काम करता था और वह काम चलता था
04:52रात में एक बजे तक दो बजे तक आए उसके लिए मैं दिल ली जाता था जौब मेरी
05:00गुड़गाओं में थी बाइक से जाता था और वहां से काम खत्म करके रात में दो बजे में वापस गुड़गाओं आता था और बिना जूते उतारे मैं लेट जाता था जूते छूटी थी मेरी एक चारपाई बोल लीजिये वो थी उसमें जूते बाहर लटक रहे होते थे �
05:30पांत लोक में मेरा फ्लैट था वहां से मुश्कल से 10 मिनट की दूरी पे था वहां चला जाता था एक घंटे का लंजब्रेक होता था उसमें वापस आ जाता था आधे घंटे फिर नीन पूरी कर लेता था फिर वापस चला जाता था
05:44पांच गंटे की नीम्ड रात में आधे घंटे की बीच में दो पहर में
05:58वीकंड पर काम नगर ने । इसलिए
06:06वीग्डे पर ही मैं और ज़्याधा काम करके निप्टा देता था उसमें की ओर मेरा स्व़स ह tätä ता अगर आध नोबे तक काम करके निप्टा
06:14तो आठ बजे वहाँ नीचे कैंटीन में खाना मिलना शुरू हो जाता था वहाँ खाना भी खा लेता था
06:26वह खाना मुफ्त होता था
06:30वहाँ से भाईक उठागर के दिल ली वहाँ काम किया वहाँ से फिर वापस
06:35और वीकेंड्स पर क्या करता था सेटरेडे संडे ये तो वीकडेज की बात हो गई वह जिसको आप लोगों ने एचाइडीप के रूप में जाना मैं जाकरके उसके ट्रायल्स और टेस्टिंग करता था कॉलेजिज में
06:48पढ़ाता था और पूरे हफ़ते का कोर्स चुक़ी मैं दो ही दिन में पढ़ाता था तो एक दिन में च्छे गंटे आट गंटे पढ़ाया करता था
06:57ये था free man in March
07:01free man in a particular year भी नहीं
07:04मैंने ये नहीं कहा था कि free man in 2006 और 2007
07:07महीना पकड़ा था कि इस महीने में मुझे
07:11अपने आपको आजाद कर देना है
07:16और कैसे आजाद कर देना है बंधन
07:19दुनिया से ही जुड़ने से बने है ना
07:24दुनिया में गया था एजुकेशन लेने के लिए तो चड़ गया भारी एजुकेशन लोन
07:28तो दुनिया से फिर
07:30कैसे निपटना है इसकी तमीज होनी चाहिए
07:35अब नहीं लगता है
07:41पर मेरे समय में
07:43जो लोग थोड़े पुराने होंगे वो जानते होंगे
07:47गयास का सिलेंडर भी लग जाता था कारों में
07:49सस्ता पड़ता था
07:53मैंने वो भी करा है
07:56अरे माने सिलेंडर लगाने की जैंसी नहीं खोली थी
07:59कल को कुछ भी छाप दो कहीं क्या पता
08:02क्योंकि ये दुनिया कैसी है
08:09उससे निपटना है मुझे
08:11कौन सी आंतरिक मुक्ती होगी
08:13अगर बाहर मैं खुदी बंधन
08:15पाल करके बैठा हुआ हूँ
08:16अब मुझे बंधन
08:19सिर्फ काटने नहीं थे जल्दी काटने थे
08:21बहुत अच्छी सैलरी मिल रही थी
08:26और उस सैलरी इसलिए नहीं थी कि मैं उसको भोग लूँ
08:29वो सैलरी इसलिए होती थी कि वो आती थी
08:31तो उसमें से थोड़े से पैसे बस छोड़के
08:33बाकी सब में बैंक को दे आता था
08:35कि लोन जल्दी खत्म करो मुझे कुछ और करना है
08:37मुझे नहीं यहां कॉर्पोरिट में रहना
08:39और मुझे दुनिया को जानना था तो
08:42अ जितने अलग तरीके के अनभौ हो सकते थी लिये
08:46शलिए भी कि एक कंपणी थे दूसरी कंपणी
08:52जान्ने में एक हाइक मिलती है वो भी तौ था ही
08:56और दूसरा यह कि मुझे consultant में जाना था
08:58consulting में जाकर एक साल में
09:00चार अलग-अलग industries को जान लिया मैंने
09:02मैंने, जानो और मुक्तो जाओ, पता चल गया यहां मामला क्या है, खेल कैसे चलता है, जिस खेल का पता नहीं हो, उस खेल में हारोगे की नहीं हारोगे, जानना ज़रूरी होता है,
09:24तुनिया में विजय होना सीखो,
09:32मुझे यहां पर हारन्तों और भगोड़ों की फौज नहीं बनानी है,
09:41ना मैं भागा हूँ, ना मैं हारा हूँ, ना मुझे भागते हुए और हारते हुए लोग अच्छे लगते हैं,
09:47न मैं कभी मजबूरी का रोना रोता न मुझे मजबूर लोग अच्छे लगते हैं
09:55आप लोग मेरे पास आते हो बोल देते हो कि हमारे पास पैसा नहीं है ये नहीं है हम तो 500 रुपया भी नहीं दे सकते
10:03अरे हजार रुपए ये इस तरह की बाते करते हो
10:06मेरे सामने ऐसी बात करोगे
10:08मैं एक मिनिट में कहा दूँगा
10:09इनको निशुलक ले लो
10:11पर जितनी बार मैं ये बात सुनता हूँ
10:13आपके लिए
10:14मेरे मुग का स्वाद कसैला हो जाता है
10:17क्यों हम ऐसी जिन्दगी जी रहे हैं
10:23कि हमारे पास पांत सो हजार रुपए भी नहीं है
10:25वो भी दुनिया के सबसे उंचे काम के लिए
10:28क्यों है ऐसी जिन्दगी जिए रहा हूँ
10:32कि जूट बोल रहा है कि वो आर्थिक दृष्टे से मजबूर है
10:35बिल्कुल ऐसा हो सकता है कि वो सचमुच मजबूर हो
10:38उसके पास सचमुच पैसे ना हो
10:40मेरा सवाल यह है तुम्हारे पास पैसे क्यों नहीं है
10:42और यह सवाल कोई आध्यात्मिक गुरु आपसे नहीं पूछता
10:46पर मैं पूछ रहा हूँ क्योंकि जिन्दगी के बहुत जरूरी सवाल है
10:50तो मैं ऐसे क्यों हो कि तुम्हारे पास उची से उची चीज के लिए भी धना भाव है
10:55क्यों नहीं कमाना जानते
10:59और ठीक है करोणपती बनना एक अलग बात होती है
11:09पर आज जैसी दुनिया है और जैसी अर्थवस्था है उसमें एक सम्मानजनक कमाई करना भी अगर तुम्हें मुश्किल हो रहा है
11:17तो तुम्हें अपने गिरेबान में ज्छाकना चाहिए ना
11:21मैं अपने हाथों से प्रते दिन हमारे यहां पर एक इन बॉक्स है उसमें मेल आती है
11:31रोज कभी दो कभी पांच कभी और ज्यादा यहां यह रागव बैठा हुआ है मैं इसको खुदी भेज़ देता हूँ कि रागव प्रूफ रागव कर दो
11:39लोग इतना इतना बड़ा निबंध लिख करके भेजते हैं अपनी मजबूरियों का कि हमारा ऐसा है मैं पूरा पढ़ता भी नहीं मैं कहता हूँ कि अगर यह वाकई लिख रहे हैं इतना तो तुम इनको सब निशल्क देदो दो निशल्क लेकिन मैं जितना पढ़ता हूँ
12:09जीवन का उच्छतम ग्यान पाने के लिए तो फिर आपको पूछना पढ़ेगा कि आप जगत को लेकर के इतने असमर्थ क्यों हों दुनिया से लड़ने का जजबा क्यों नहीं है आप में कमाना भी एक युद्ध होता है
12:30और कमाने का मतलब ज़रूरी नहीं है कि लालच या भोग हो अभी बताया मैंने कि मैं कमाता था
12:42और उस समय पर आज से 22-24 साल पहले अगर 60,000 मेरे हाथ में आता था तो 55,000 जाके बैंक को दे आता था
12:51कमाने का मतलब जरूरी नहीं होता कि भोग है पर कमाने में एक पुरुशार्थ होता है करमठता होती है और जो बात कमाने पर लागू होती है कि संघर्ष वही बात दुनिया के हर युद्ध में लागू होती है
13:09तो दिनकर जी का बड़ा अच्छा है कि आओ कुछ ऐसा है कि तप और रण ये दोनों सूर्माओं के ही काम होते हैं और जो तामसिक व्यक्ति होता है क्लीव वो न तप कर सकता है और न रण कर सकता है
13:35कुछ ऐसे ही शुरू होता है कि तप और रण होते ये दोनों सूर्माओं के ही काम और आगे की कुछ पंक्ति है भी याद नहीं आ रही
13:45खेल सारा बिटा पैसे का है
13:51एक मज़दार बात बता हूं पैसा कहां तक जाता है बड़े जो अख़बार भी हैं जिन्होंने मालो मुझे ले करके कोई अपमांजनक बात छाप दिये
14:05हैं वो खुद अपनी और से फोन करके कह रहे हैं कि थोड़ा इतना पैसा दे दीजिए तो यह डिलीट कर देंगे और यह लिंक खटा देंगे
14:13सब पैसे के लिए किया जाता है
14:15जो लोग मेरे खिलाफ भी यह सब करते हैं तो में क्या लगता है कि अएप पर प्रहार हो
14:34रहा है ने उनके पे प्रहार हो रहा है उनके लालच प्र हो रहा है यह वही लोग हैं जो अंदेश्वास की दुकाण
14:42दुकान चलाते हैं, उनी दुकानों से अपनी पत्नियों के लिए गहने लेके आते हैं, ये मुझे प्रहार न करे तो इनके बच्चों की फीस नहीं जाएगी और बीवी को साड़ी नहीं आएगी, इनकी ये हालत है, दुनिया को समझना सीखो, आस्था युद्ध नहीं है, अ
15:12ज्यादा बड़ी अर्थ व्यवस्था होगी, 99 प्रत्या संभावना है वही देश जीतेगा, दो देशों में लड़ाई हो रही हो, जानना चाते हो कौन सा देश जीतेगा, बस यह देख लो कि GDP किसका ज्यादा है, ज्यादा बड़ी जो एकनॉमी होगी वही देश जीतेगा
15:42गलत मत समझ लेना, मैं दुनिया की रंग में रंग जाने को नहीं कह रहा हूँ, मैं दुनिया की दौड में फस जाने को नहीं कह रहा हूँ, मैं दुनिया की चक्की में पिसने को नहीं कह रहा हूँ
15:56लेकिन मैं कह रहा हूँ कि अगर तुम्हारा बंधन ही आर्थिक है
16:02तो उसकी काट भी तो आर्थिक ही रखनी पड़ेगी न और आर्थिक काट दो तरह से रखी जाती है
16:08एक तो जो फाल्तू के खर्चे हों वो बंद कर दो और दूसरा ये कि आमदनी बढ़ा लो
16:13एक तो यही बहुत अच्छा है सामने युद्ध नहीं जिनके जीवन में वे भी बहुत अभागे होंगे
16:22या तो प्रण को तोड़ा होगा या फिर रण से भागे होंगे
16:26जीवन के पत्के राही को ख्षण भर भी विश्राम नहीं है कौन भला स्विकार करेगा जीवन एक संग्राम नहीं है
16:40यह पुरा ही बहुत सुंदर है
16:44दीपक का कुछ अर्थ नहीं है जब तक तम से नहीं लड़ेगा दिनकर नहीं प्रभा बाटेगा जब तक स्वयम नहीं धदकेगा
17:01दुनियादारी सीखो दुनिया में जीतना सीखो
17:03आपको ही जिताने के लिए मैंने ये
17:08सारा खेल रचा है
17:11मेरी आँखों के सामने ही हार हो गए और रोज हार हो गए तो मुझे कैसा लगेगा
17:17मैंने कहा था फ्री मैन इन मार्च फ्री होके मुझे क्या करना था मैं तो फ्री हो गया
17:27मैं फ्री इसलिए होना चाहता था ताकि आपको फ्री कर सकूँ
17:30अब आप अनफ्री रहे रहे
17:34अचारे जी आप मेरी जान हो
17:37कुछ नहीं है अब बोल दिया है तो
18:00किसनी बद्वाएं आ रही होंगी
18:02क्या करूँ मेरा तो इतिहास ही रहा है दिलों को तोड़ने का
18:09हर दिशा से आरोप ही यही रहा है कि
18:15यह वंदा किसी के प्यार की कीमत नहीं करता
18:18मुझे मत बताओ कि मैं अच्छा हूँ इसलिए तुम मुझसे प्यार करते हो
18:32तुम अच्छे हो जाओ
18:34मुझे मत बताओ कि मैं प्यार के काबिलू
18:40आप अपनी पूरी काबिलियत पालो
18:43आपकी जीत में ही मेरा गौरव है
18:55जाइए संघर्ष करिए जहां भी हैं आप जिन भी बंधनों में उलजे हुए हैं
19:05उनको तोड़िए जूजिए गलत शहर में फसे हैं तो शहर छोड़िए
19:11गलत नौकरी में हैं तो नौकरी छोड़िए
19:14गलत माननेताओं में हैं तो माननेता छोड़िए
19:17दुकान चलाते हैं आमदनी नहीं हो रहे हैं तो और जूज कर मेहनत करिए
19:24गलत खर्चे पाल रखे हैं तो गलत खर्चे छोड़िए
19:36यह थोड़े यह कि आचारे जी हमने बैठ करके आपका सतर सुन लिया
19:39सतर सतर के लिए नहीं है सतर जिंदगी के लिए है
19:43जिंदगी बदलनी चाहिए
19:46मैं जिन्दगी में आपको जूजते हुए और जीतते हुए देखना चाहता हूँ
19:52और जो लोग मेरे पास गीता के लिए आए हैं बस और जिन्दगी के लिए नहीं आए
19:59उनको जिन्दगी तो नहीं ही मिलेगी उनको गीता भी नहीं मिलेगी
20:03एक बहुत बहुत बड़ा वर्ग है इस गीता कम्यूनिटी पर जो कहता है नहीं हम तो बस यहाँ पर एक अकैडमिक एकसरसाइज करने आए हैं
20:11एकैडमिक एकसरसाइज क्या है कि गीता एक टेक्स्ट बुक है एक टेक्स्ट है और हमें उसका इंटरिप्रेटेशन इनसे समझना है क्योंकि यह थोड़ा सा अलग तरीके का रोचक और शायद गहरा अर्थ दे देते हैं तो वो सुनने आए हैं जिन्दगी वहरा से हमें कोई
20:41जो जिन्दगी इसे जूझने को तयार हूं गीता की रोशनी में मैं कोई संस्कृत साहित्य का शिक्षक हूं क्या या हिंदी लिट्रेचर का कि तुमको यहां बैठ करके संदर्भ प्रसंग भावार्थ बता रहा हूं एक-एक पंक्ति का
21:02जान लगा करके प्रयास करो उसके बाद परिणाम जो भी आता है उसको जीत मानो
21:17पर बंदा जुझारू चाहिए
21:22छोटा था तभी से न टीवी पर कोई भी मैच आ रहा होता था
21:29मैं बहुत जानू भी न वहां पर मेरी कोई रुची भी न हो लेकिन उसमें जो भी अंडर डॉग होता था मैं उसके साथ हो जाता था
21:39प्रूश में आ रही यह बात
21:44मान लोग ग्रैंड स्लैम कोई है विंबल्डन है
21:49यह सब आया करते थे दूर दर्शन पर भी आते थे अब सेमी फाइनल आ रहा है ठीक है और उसमें मैक चल रहा है माइकल चांग और बुरिस बेकर का माइकल चांग का नाम न सुना होगा आपने बहुत लोगों ने वो लड़का असा था तो मैं बस यह देख लूँ की
22:11रांक किसकी नीचे है और जो नीचे वाला मैं उसके साथ हूँ मेरे साथ होने से कोई फरक नहीं पड़ता पर मजा तो तब आता है ना जब अंडर डॉग जीते
22:24जो पहले से ही उपर बैठा हुआ है वो जीत रहा है तो उसकी तरफदारी करके मुझे क्या मिलेगा
22:33और मैं गॉर्फ के साथ कह सकता हूँ कि अपनी जन्दगी में भी जो मैंने लडाईयां लड़ी हैं सब की सब अंडर डॉब होके लड़ीैं और बहुत सारी जीती भी यह हैं अगर हार भी गए तो शर्म कैसी
22:48और टॉप डॉग होके यह है कि अगर जीत भी गए तो फक्र कैसा
22:56आप सब अंडर डॉग्स हो
23:06कभी बिल्ली कुत्ते की रडाई देखी यह बिल्ली छोटी होती है
23:14पर बिल्ली कुत्ते की रडाई देखना इतने चाटे मारती है कुत्ते को पट पट पट वैसे हैं चोटे हैं पर कूद कूद के मारेंगे
23:25हुँ यह पंचिंग एबब वन्स वेट
23:28मज़ा भी तभी आता है और उसके लिए लाज की बात भी ज़्यादा तब होती है वो छोटे से पिट जाता है
23:37मैं किसी विक्ति को पीटने की बात नहीं कर रहा हूं मैं जिंदगी की ही बात कर रहा हूं
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