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  • 2 days ago

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00:00जो इंडियन यूथ है, विदेशों में इसको आप जानते हैं किस दिरिष्टी से देखा जाता है, चीप लिबर, इनको पैसा देखाओ, थोड़ा और जादा देखाओ, फिर थोड़ा और जादा देखाओ, कुछ भी करने को तयार हो जाएंगे, और मेरे लिए अफसोस की बा
00:30प्रटे हुए अंग हो, वो उसको भी ढोदेगा, उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, वो क्या बोलेगा, कुछ भी ढोदो, मुझे मेरा पैसा तो मिली जाता है और गधे के लिए पैसा मने, अर्जन को लड़ने को इसलिए कहा गया था, अर्जन बाहर अगर नहीं लड़ो�
01:00ये, तो ठुकराना सीखो, ठुकराना सीखो, और कोई बहुत सरपर ही चड़ करके बोले कि नहीं, ये फलानी चीज तो सुईकार करो, तो सिर्फ ठुकराना ही नहीं, लात मारना भी सीखो.
01:09जवानी क्या नहीं कर सकती, दुनिया की बड़ी से बड़ी इकरांतियां जवानों ने करी हैं, पर जवानी को पता ही नहीं चलता है कि उसका समय कब रील्स देखते हुए और स्क्रॉलिंग करते हुए बीट गया, अनंत स्क्रॉलिंग,
01:39जब तक अंग उठा तूटके ना गिर जाए, पता ही नहीं चलता कहां चला गया, कहीं नहीं चला गया, किसी के मुनाफे में चला गया, किसी की जेब में चला गया,
01:56और जिनके पास चला गया, ऐसा नहीं कि उन्हें भी कुछ मिल रहा है, बरबाद उनकी जिन्दगी भी है, पर उनकी होगी तो होगी, उनकी मुर्खता की खातिर आप अपनी जिन्दगी क्यों बरबाद करें,
02:12क्यों आप इस हडबड़ी में रहते हैं कि जल्दी से जो आसपास विकल्प दिखाई ही दे रहे हैं, एक ये रखा, एक ये रखा, एक ये रखा, ये रखा, ये तो सामने के ही हैं, इन में से ही कोई उठा लो,
02:27और जब वहाँ पर चोट पड़े, धोखा मिले, तो चलो ये नहीं तो ये वाला ले लो, ये नहीं तो ये वाला ले लो, और इंडस्ट्रियल रिवलूशन हो चुका है, भाई, और द्योगिक क्रांति के बाद, अब तो इलेक्ट्रोनिक क्रांति भी हो चुकी है, आपको ऐ
02:57सा जाएगा कि देखो अब ये आठ नए तरह के बर्गर हैं, अठारा नए तरीके के फीचर्स हैं फोन में, खलाने माल में इतने तरह की वराइटी आ गई है, अरे कहां तुम इधर उधर बस भारत में ही घूम रहे हो, ये देखो ये अठारा प्रकार की नई एक्जॉटिक
03:27यहां घूमने नहीं गए, क्या कर रहे हो, और वहां अगर घूमने जाना है तो उसके लिए हमीं लोग तुम्हें लोन दे देंगे, आप घूम के आईए, ये देखिए, ये बहुत बढ़िया जगह है, इसके आपको तस्वीर दिखाई जा रही है, दवान आदमी अभी नह
03:57हुआ होगा, पोस्टर पे, और कुछ सुन्दरियां आप सराएं भी, आप बिल्कुल तुरंत राजी हो जाएंगे हां मुझे जाना है, पैसे नहीं है, कोई दिक्कत नहीं, सिर्फ 15 प्रतिशत की दर पर हम दे रहे हैं न, हम आपको ये destination भी दे रहे हैं जाहिए, और हम उस
04:27कि आप बिल्कुल आतर हो जाते हो, लालाहित हो जाते हो, ये बाजार का काम और इसके साथ फिर समाज है और शरीर है, समाज में तो शुरुआत अपने ही परिवार से होती है, कि जल्दी से कोई चुनाव करो न, जल्दी से कोई रास्ता, कोई धर्रा पकड़ो न, बाजार �
04:57आप घर के अंदर हो, वो ट्रक आपके दराजे पर खड़ाया और जो घर के अंदर लोग हैं, वो भी आपको धक्का दे रहे हैं, कि अरे देखो इधर का बंटू और उधर की पिंकी, उन्होंने तो माल चुन लिया और वो जाकर के सेटल हो गए, तुम क्या कर रहे हो, तु
05:27चिल आ रहा है कि हां मुझे सुख चाहिए, सुख चाहिए, जवान है तो देह का सुख चाहिए, वो भी चिल आ रहा है, तो आप जल्दी से जाकर के यही जो सस्ते लेकिन विविध विकल्प अपने चारो और देखते हो, इसमें से कुछ उठा लेते हो, चोट लगती है तो
05:57कुल मिलाकर जवानी की कहानी, और जितना तुम यह सब करते जाते हो, उतना ही भीतर जो बैठा हुआ है, जो छट पटा रहा है, कुछ और पाने के लिए, वो बिचैन होता जाता है, वो रो पड़ता है,
06:19वो भीतर से बस यही चिल ला रहा है, ये नहीं, ये नहीं, ये भी नहीं, ये भी नहीं, ये भी नहीं, ये भी नहीं, तुम उसे लाला के नए नए तरीके के रंगीन माल दिखा रहे हो, अब ये ले लो, अब ये ले लो, अब ये ले लो, सतही तोर पर तुम खुश भी हो
06:49वो इमान नहीं छोड़ता, वो कहता है नहीं ये नहीं चाहिए था, तो ये ले लो, ये ले लो, उसे लल्चाते हो, लुभाते हो, वो नहीं मानता, वो कहता है कि तुम्हें उपर-उपर से भोग करना है, सुख मनाना है, तुम कर लो, हम तो नहीं मानेंगे.
07:04मेरे ख्याल
07:09दुमिल जी का वक्त वे है
07:13ठीक ठीक पूरा शायद ना उध्रत कर पाऊं
07:16पर कुछ इस तरह है कि
07:18जब जब महफिलों में होता हूं
07:23बाजारों में होता हूं
07:24रह रह कर चहकता हूं
07:26ये जवानों को अपनी सी बात लग रही है
07:30कितने जवान है यहाँ पर
07:34मैं तो दोनों ही हाथ खड़े करते हूं
07:40जब जब
07:48महफिलों में होता हूं
07:50बाजारों में होता हूं
07:51रह रह कर चहकता हूं
07:52जैसे आप चहकते हो
07:53आपने देखा है कभी आप
07:56मॉल औगरा जाते हो
07:58आपको कुछ नभी खरीदना हो
07:59तो भी मूड अच्छा हो जाता है
08:00इतनी सारी चिज्जूदिखाई दे रही होती ही न
08:03बस शीशे की दिवार है
08:06उससे आप देखो ये चिज्जू दिख गई
08:07देखने में ही बड़ा अच्छा लग जाता हूं
08:09येशी भी है
08:10बस देखने में मन अच्छा हो गया
08:13दर्शन हो गए दर्शन हो गए
08:15लेकिन वापस आकर अपने कमरे के एकांत में
08:21जूते से निकाले पाउसा महकता हूँ
08:27जब जब महफिलों में होता हूँ
08:31बाजारों में होता हूँ
08:33पूप चहकता हूँ लेकिन वापस आकर
08:37अपने कमरे के एकांत में
08:39जूते से निकालेगा यह पाउसा महकता हूँ
08:41यह है कहानी
08:44चहको चहको चहको पर भीतर कोई है जो चहकने से इंकार कर देगा
08:48वो नहीं मानेगा
08:49वो कहेगा मुझे यह सब चीज़ें चाहिए नहीं थी
08:51आप जला जाओगे आप पूछोगे यह नहीं चाहिए था तो क्या चाहिए था
08:57तो कहेगा मेरे पास इसका जवाब नहीं है
08:58तो आप कहोगे जब तुमारे पास जवाब नहीं है तो मुझे यह सब जो मिल रहा है
09:03मुझे यही भोगने दो ना
09:04वो गएगा नहीं, इससे बात नहीं बन रही है, कुछ और, कुछ और, ये जो कुछ और है न, यही जीवन का जवानी का उदेश है, उसी को पाना है, और वो असंभव नहीं है, और वो ऐसा भी नहीं है कि बहुत-बहुत मुश्किल है,
09:31बहुतों ने पाया भी है, और आपका भी जन्म बस उसी को पाने के लिए हुआ है, और उसको नहीं पाओगे, तो अंजाम यहीं होगा, अवसाद, तनाव, और अपनी आँखों के सामने बर्बाद जाता एक जीवन,
09:51बर्बादी की कोई यही परिभाशा थोड़ी होती है, वो पुरानी बासी परिभाशा थी,
10:00कि बर्बादी का मतलब है कि खाने को पैसे नहीं है, और पाओं में भटी चप्पल है, दुनिया अर्थिक रूप से अब जितनी उन्नत है, भारत भी शामिल है उसमें, उतना कभी नहीं थी, अभी बर्बादी की परिभाशा दूसरी है, बर्बादी की परिभाशा यह है कि
10:30एक के बाद एक चीजें आजमाते रहे, रिष्टे आजमाते रहे, अनुभव आजमाते रहे, और जब उनमें चोट पड़ी, तो ये किया कि और चीजें और रिष्टे आजमाएंगे, ये है जीवन के, और आपका जन्म इसले नहीं हुआ है,
10:57बीतर है कुछ जो कुछ और मांगता है, अब एक कुछ और अगर साफसाफ परिभाशत होता है, तो हम सब क्या देते हैं, मुझे भी कुछ और चाहिए, और एक बहुत बड़ी दुगान खुल जाती है, कुछ और मिलता है, इस कुछ और के साथ एक राज जुड़ा हुआ है, �
11:27इसको पाना नहीं बहुत मुश्किल है, बशर्ते जो कुछ आपको लुभाने के लिए बाजार, समाज और शरीर ने तयार कर रखा है, आप उसके प्रति थोड़ा विवेक और थोड़ा सैयम रख पाएं तो, सैयम की भी ज़रूरत नहीं, विवेक परयापत है, विवेक से सैय
11:57करने से, अगर आप इनकार कर दें, इतना काफी होता है, पर जल्दी बहुत होती है, और आप डर जाते हैं, क्योंकि ट्रेन छूटी जा रही है, और उस ट्रेन पर सभी सवार है, मैं अकेले ही तो नहीं रह जाओंगा कहीं पर, और विशेशकर भारत में, हमारी परवरिश म
12:27जहां कहीं भी आग्याकारिता पर बहुत जोर है, वहां महौल डर का ही है, जहां कहीं भी अच्छा बच्चा उसको माना जाता है, जो आग्याकारी है, वहां समझ लो कि डर गहरा है, और जब डर बहुत होता है न, तो आप सवाल नहीं कर पाते, आप नकार नहीं कर पाते,
12:57रहा होगा यह किसी दिशा जा रहा होगा इनको जाने दो मैं अभी तैयार नहीं हूं मुझे कुछ और देखना है क्या देखना है पता नहीं पर यह नहीं चाहिए यह निश्चित है
13:07ये क्या है पाने के लिए एक भीतरी आजादी चाहिए जो हमें भारत में आम तोर पर हमाई घरों में है परवरिश में मिलती नहीं है हमारी संस्क्रेटी भी जैसी है और लोगधर्म जैसा है उसमें डर पर बहुत जोर है
13:19सर जुका कर चलो बहस मत करो पुराने लोगों की बाते मानो तो आप बात मान भी लेते हो और जो कुछ पुराने लोगों ने करा था वही आप भी कर जाते हो तो जैसे पुराने लोगों की जिंदगी वरबात थी वैसे आपकी भी हो जाती है
13:39जो सब आपको बता रहे हैं कि जल्दी से बेटा अब जो नौकरी मिल रही है यह ले लो और उसके बाद फिर ये करना फिर एक अयम्ट और देना फिर उसमे ऐसे कर लेना वैसे कर लेना जो ये सब बता रहे हैं
13:54उन्होंने खुद जिन्दगी में क्या हासिल कर लिया, ठीक है, छोटी मोटी चीने सब हासिल कर लेते हैं, रिटायर होने के बाद एक घर सबका होता है, अब गाड़ी भी लोगों के घरों में होने लगी है, बहुत अच्छी बात है, लेकिन वो जो कुछ और है, क्या उन्हों
14:24बंदर भी कोशिश करता है, कि जिधर सबसे ज़्यादा फलदार रसदार पेड़ हों, उधर पहुंच जाओं और कबजा कर लूँ, और जिन्दगी पूरी मौज में बीते, ये काम तो जानवर भी कर लेते हैं, इनसान का जन्म किसी और उत देशे के लिए होता है, फिर हम �
14:54ना उस तक पहुचने की जरूरत है, ना उसे सामने कहीं खोजने की जरूरत है, बस जिन चीजों में तुम खो जाते हों, उनमें खोना मत, वो चीज मिली ही हुई है, जिसके लिए तुम पैदा हुए हो, तो फिर हमें करना क्या है, तुम्हें करना ये है कि तुम्हें खोने
15:24कहना है क्या इसके लिए पैदा हुआ हूँ तुम्हें करना यह है कि अगर सुननी ही है तो बाजार समाज शरीर की सुनने की अपेक्षा उनकी सुनो जिनके दम पे आज हम अपने आपको इनसान कह पाते हैं
15:44हो चंद लोग मुठी भर लोग है अपने आसपास मिलेंगे नहीं क्योंकि वो बिर्ले होते हैं लाखो करोडों में एक होते हैं तो आपको अपने आसपास मोहले में ही या ज़रूरी नहीं है कि शहरगाउँ कशवे में टहलते हुए कहीं पर मिल जाएंगे आपनी यूनिवरस
16:14अपनी सीख छोड़ गए हैं, अपनी जीवनी छोड़ गए हैं, उसको पढ़ो, उसको पढ़ने से होसला आता है कि जोका आ रहा है उसके साथ बह जाना जरूरी नहीं है,
16:25कि खड़ा रहा जा सकता है, अपने पैरों से अपनी जमीन पर डट करके, कि कोई आगे मेरे बहुत अपना धन, वैभव, प्रतिष्ठा, बल दिखा रहा हो, तो भी रीड सीधी रखी जा सकती है,
16:50याचक बनना, गिड़गडाना, किसी कतार में जाकर खड़े हो जाना, बिलकुल भी ज़रूरी नहीं है,
17:05और जैसे जैसे, जो कुछ आपकी आँखों के सामने है, आप उसका सामना करना शुरू करते हो,
17:15समझो बात को, वो हमारी आँखों के सामने तो होता है, पर हम कभी उसका सामना नहीं करते हैं,
17:23हम उसके आगे घुटने टेक देते हैं, जो कुछ आँखों के सामने है न उसका सामना करना सीखो,
17:28तो वैसे वैसे जो आँखों के पीछे है वो अपने आप प्रकट होने लगता है
17:36वही वो कुछ और है जिसके लिए जवानी मिली है आपको
17:50फिर उसके बाद नए आविशकार होते हैं नए असाहिते रचा जाता है
17:55कलाएं अपने सुन्दर्तम रूप में निखरती हैं सामने आती हैं
18:02अन्याय के शोशन के खिलाफ बड़ी बड़ी क्रांतियां हो जाती हैं तब होता है
18:09जिनके मुँ में बर्गर भरा हुआ है वो क्रांतिय के नारे क्या लगाएंगे
18:27कैसे लगाएंगे उनको कहा जाए मुठी भीचो और ऐसे बोलो आजादी सत्य मुट्य तो कहेंगे अरे इसमें वो नया आईफोन है वो कहां रखें पहले
18:51हमें बर्गर से और आईफोन से कोई समस्या नहीं है हमें समस्या है उस जीवन से जो सोचता है कि यही सब पाना मेरा उद्देश्य है
19:09जीवन को सार्थक्ता देने में फोन काम आ रहा हो तो बहुत अच्छी बात है फोन होना चाहिए पर फोन पा लेना और सोचना कि
19:21वाह क्या बढ़िया चीज मिल गई है यह पागलपन है
19:25दुनिया को आज जितने सुधार की जरूरत है सुधार नहीं छोटा शब्द है आमूल्चूल परिवर्तन की जरूरत है
19:38बहुत कुछ ऐसा है जिसको जड़ से उखाल फेकने की जरूरत है उतनी तो जरूरत इतिहास में कभी भी नहीं रही
19:47और विक्सित होते हुए राष्ट्रों की जवानी आज जितनी सोई हुई है उतनी कभी नहीं सोई हुई थी
19:59कभी भी नहीं
20:01और ये गजब बात है
20:03क्योंकि आज आपके पास
20:05शिक्षा भी ज्यादा है
20:06तकनीकी भी ज्यादा है
20:08सूचना ज्यादा है और पैसा भी ज्यादा है
20:10थोड़ा पिछली शताब्दी पे गौर करिएगा
20:14ठीक है?
20:16पूर्वार्थ और उत्तरार्थ
20:18पिछली शताब्दी का 1950 से पहले का
20:20पांच दशक और
20:221950 के बाद के पांच दशक
20:23आप जब महापुरुशों
20:26की बात करते हो तो
20:27ज्यादातर नाम
20:29आपको कहां से मिलते हैं
20:321950 मानि लगभग आजादी
20:33से पहले या बाद में
20:36ये कैसे हो गया?
20:37अजादी से पहले
20:39तो भुखमरी की हालत थी
20:40भुखमरी की हालत थी
20:45और जितने भी बड़े नाम है
20:49जिनको आज आप इतिहास पुरुश कहते हो
20:52वो तो सब आपको
20:531950 से पहले के दिखाई दे रहे हैं
20:5590 प्रदिशत
20:55उसके बाद क्या हुआ?
20:57अमारे जीनस पदल गए क्या?
21:02उसके बाद जवानी बिक गई
21:05क्योंकि बाजार में चिज्जू आ गई
21:12क्या करना क्या है?
21:20क्यों टैगोर की तरह लिखें?
21:23क्यों भगत सिंग की तरह भिड़ें?
21:27करना क्या है?
21:29इतनी सारी चीजें आ गई हैं दुनिया में
21:31आप मौज करते हैं न? करना क्या है?
21:38विज्ञान के क्षेतर में भी आप देखिएगा
21:40तो जो बड़ी खोजे भारतियों ने करी है
21:46वो आपको 1950 के बाद की नहीं मिलेंगी
21:51और 1900 से 1950 के बीच में आपको विज्ञान के क्षेतर में भी कई बड़े भारतियों नाम मिल जाएंगे
22:00जहां नया नया पैसा आने लग जाता है वहाँ बड़ी समस्या हो जाती है
22:12अतीत गरीबी का है न? गरीबी नहीं बुखमरी का अतीत है
22:16अकाल का अतीत है दुर्भिक्ष चारो तरफ
22:21तो नया नया जब पैसा आता है तो भोग वृत्ते विस्फोट ले लेती है
22:30कि हमारी कई पीडियों ने जो चीजें नहीं भोगी हैं और वंचित रह गए वो सब हम भोग डालेंगे
22:36जैसे बचारा कोई गाउं का हो उसने कुछ न देखा हो गाउं भी कोई सुदूर पिछड़ा हुआ गाउं
22:50उसको अचानक आप ले जाओ किसी बहुत बड़े शहर में युरोपके अमेरिका के और उसके हाथ में पैसा भी दे दो
23:05वो क्या करेगा अब उसको बचाना पढ़ेगा मरना जाये वो इतना कंजम्शन करेगा गांकि मरने को आ जाएगा ये हमारी हालत है
23:20हर तरफ से हमें खीचा जा रहा है देखो तुम ये कर लो तो तुम्हें ये मिल जाएगा ये कर लो ये मिल जाएगा ये कर लो ये मिल जाएगा और जिन चीजों को हमें दिखाया जा रहा है वो चीजें हमारे बाप दादाओं को तो कभी नसीब थी नहीं तो हमें लगता है कि
23:50रखा है, विदेशों में जो इंडियन यूथ है, इसको आप जानते हैं किस दिरिश्टी से देखा जाता है, कुछ तो जो बिल्कुल क्रीमी हो गए वो अलग है, पर बाकी जो ये इंडियन मैन पावर
24:16इतना बड़ा है करोडों में, इसको कैसे देखा जाता है, चीप लेबर
24:25इनको पैसा देखाओ, थोड़ा और जादा देखाओ, फिर थोड़ा और जादा देखाओ, कुछ भी करने को तयार हो जाएंगे
24:35और मेरे लिए अफसोस की बात है कि वो जो सोच रहे हैं, जो कह रहे हैं, वो शायद बहुत गलत नहीं है, थिती ऐसी ही है
24:50जब तुम कुछ भी करने को तयार हो जाओगे, तो भीतर बेचैनी उठेगी कि नहीं उठेगी
24:56इनसान हो भाई, पत्थर नहीं हो, जानवर भी नहीं हो
25:00गधा होता है
25:09उसके उपर आप दुनिया की सबसे उची किताबें रख दो और बोलो कि ढो
25:14बीस किलो, वो ढो देगा, कोई फरक नहीं पड़ेगा, कहेगा
25:22भीया मुझे तो क्या मिलना है, यह सब हो जाए, उसके बाद शाम को
25:25थोड़ा सा खाना मिल जाना है, वो तो मुझे मिली जाएगा, बीस किलो था मैंने ढो दिया
25:29उसको का जाए, चल हीरे मोती हैं, महंगे, वो ढो देगा, रेता बालू बीस किलो वो भी ढो देगा
25:37और लाशे हों, लोगों की कटे हुए अंग हों, खून बैराओ, बीस किलो का ऐसा बोज हो, वो उसको भी ढो देगा, उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, वो क्या बोलेगा, कुछ भी ढो दो, मुझे मेरा पैसा तो मिली जाता है, और गधे के लिए पैसा मने, वो तो मिली �
26:07थकता मांगते हैं, हम उपर-उपर से भले न मानते हों, पर भीतर कोई बैठा है, जो पूछता है कि यह जो दिन भर कर रहे हो, यह है क्या, और यह वो सवाल है, जिसके सामने आपको खड़े होना पड़ेगा, आपको बहुत सारे उपलब्ध रास्ते अपने लिए बंद कर
26:37कलपना बहुत हो गया कि कुछ मिल जाए, कुछ मिल जाए, कुछ मिल जाए, कुछ मिल जाए, वो सब कुछ जो बिलकुल तश्तरी पर सजाकर आपको मिल रहा होगा, आपको उसको भी ठुकराना सीखना होगा,
26:50और जब आप ये सब कर रहे होगे उस वक्त हो सकता है आपका साथ देने वाला कोई ना हो हो सकता है बिल्कुल
27:03नितान अकेला पन सूना पन हो क्योंकि एक रेलगाड़ी आई थी और पूरी भीड उसमें सवार होकर चली गई आप अकेले हो जिसने कहा नहीं मैं नहीं चड़ूँगा बिल्कुल हो सकता है
27:14पर इसका सामना आपको करना पड़ेगा यह सामना करने में दम लगता है इसलिए आपको जवानी मिलिए क्योंकि जवानी में दम होता है
27:27तो दो आपके सामने विकल्प हैं
27:31एक है उपर-उपर का चैन और भीतर की बेचैनी
27:34उपर-उपर का चैन, उपर-उपर का चैन मिल जाता है
27:38किसी विदेशी ब्रैंड की नई टी-शर्ट खरीद लो
27:44उससे भी मिल जाता है उपर-उपर का चैन
27:45अच्छा तो लगता है, सभी को अच्छा लगता है
27:49कोई आपको ऐसी नई डिश खाने को मिल गई जो भारत में चलती नहीं है
27:59पर आप गए महंगी थी आपने खरीद के खाली
28:01अच्छा तो लगता है लगता है कि नहीं लगता है
28:04अरे मुझे तो लगता है, ठीक है बाकी सबको नहीं लगता है, मुझे लगता है पर उस थोड़ी देर के लिए हम लेकिन तयार हो जाते हैं, काफी कुछ दे देने को, है न?
28:16तो एक तो यह है कि बाहर बाहर का उपर उपर का चैन और भीतर की बेचैनी, और दूसरा रास्ता यह है कि बाहर की बेचैनी आमंतरित करनी पड़ेगी, सुईकार करनी पड़ेगी भीतर के चैन के लिए, भीतर और बाहर दोनों तरफ का एक साथ चैन मिल जाए, ये मनुष्य
28:46किसी तल पर तो बेचैनी सुईकार करनी पड़ेगी ये आपको चुनना है
28:51कि आपको भीतरी बेचैनी चाहिए या बाहरी
28:57और जिनको भीतरी बेचैनी चाहिए
29:01सुईकार है जिनने वो बाहर के चैन के आगे बहुत जल्दी बिग जाते हैं
29:08क्याते भीतर बेचायने कोई बात नहीं, बाहर तो ठीक चल रहा है, चलने दो, लेकिन अगर यहां सुकून चाहिए, तो बाहर फिर संघर्ष झेलने पड़ेंगे, बाहर संघर्ष झेलने पड़ेंगे, यह अनिवार एक कीमत है, जो चुकानी पड़ेगी,
29:29किधर को चाहिए चैन, बाहर या भीतर, भीतर अगर चाहिए तो बाहर की बेचैनी के लिए तयार हो जाईए, तोनों एक साथ नहीं मिलेंगे, और बाहर जिनके जीवन में, अर्थ यह निकलता है, कि बाहर जिनके जीवन में आपको चैन बहुत दिखाई दे, कोई संघर्ष ह
29:59चिल, all cool, सब बढ़ियां चल रहा है, इतने वह जाते हैं, नौकरी करते हैं, मस वापस आ जाते हैं, कोई समस्या नहीं है, घूस भी मिल जाती है, कोई दिक्कत नहीं है, वापस आते हैं, बढ़ियां अपना, सब कुछ वेवस्थित तरीके से चल रहा है, वेवस्थित तरी
30:29नहीं बेचैनी नहीं वो भीतर से बहुत बेचैन जिएंगे ये अभिशाप है
30:37और जिनको भीतर से शान्त होना है उनको बाहर संघर्षों को न्योता देना पड़ेगा
30:49हाँ आप उनको देखेंगे बाहर-बाहर से तो आपको लेगा इसकी जिंदगी में तो बहुत ज्यादा
30:58खलबली मची हुई उथल पुथल मची हुई है उठा पटेक मार पीट
31:03कुछ भी इसको आसानी से नहीं मिल रहा है ये तो हर मोर्चे पर जूज रहा है
31:08बाहर-बाहर आपको ऐसा दिखाई देगा पर वुव्यक्ति जानेगा कि संघर्ष बाहर है भीतर संतुष्टी है
31:21अभी आप चुन लो बेचैन तो हो नहीं है या तो बाहर बेचैन हो लो या फिर भीतर की बेचैनी को जहलो
31:30दोनों चीज़ें एक साथ नहीं मिलेंगी कि बाहर भी जूजना न पड़े
31:40और भीतर भी आत्मस्त रहें बिलकुल शान्त मौज बहुत अच्छा चल रहा है नहीं नहीं
31:46अर्जुन को लड़ने को इसी लिए कहा गया था
31:53अर्जुन बाहर अगर नहीं लड़ोगे न तो भीतर तुम्हारे टुकड़े टुकड़े हो जाएंगे
31:59अर्जुन बाहर अगर नहीं लड़ोगे तो भीतर तुम्हारे जिंदगी भर लड़ाई चलती रहेगी और यही सजा होगी तुम्हारी
32:11लगातार एक बटा हुआ खंडित जीवन जीओगे अंतर दुन्द रहेगा
32:19आ रही बात समझे हैं
32:28मैं आपको नहीं पता पाऊंगा क्या करें
32:31क्योंकि मुझे खुद नहीं पता था कि क्या करना है
32:35पर मुझे ये दिखाई दे रहा था क्या नहीं करना है
32:38और ये दिखाई देना बहुत मुश्किल काम नहीं होता
32:42आप पढ़े रिखे लोग हैं
32:44आपके पास सूचना जानकारी बाहरी ज्ञान भी है अपना विवेक भी है
32:48क्या नहीं करना है जंदगी में ये इस पश्ट हो
32:51फिर ट्रेन छूटती हो तो छूटें इंतजार करना पड़े
32:57इस अंघर्ष करना पड़े उसके लिए तयार रहिए
33:00रास्ते अपने आप खुलते हैं नए रास्ते खुलते हैं देखिए
33:04अगर बिरलों के रास्तों पर चलना है तो वो रास्ते आपको पहले से तैशुदा तयार तो नहीं मिलेंगे
33:09वो रास्ते भी बिरले होंगे न वो रास्ते भी धीरे धीरे अपने आप खुलेंगे
33:15दूसरे लोग आपको नहीं बता पाएंगे कि ये तुम्हारा रास्ता है
33:17एक चीज अपने लिए लेकिन निश्चित रखिये कि जिन रास्तों पर सभी चल रहे है
33:24उन रास्तों में तो 99 प्रतिशत संभावना यही है कि मामला गड़ बड़े
33:29मत करिये ये पहले से निश्चित तो भी सतर्क रहिए
33:35बहुत साउधानी से परखिये कि ये सब मुझे बताया जा रहा है
33:38ऐसा ऐसा कर लो
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