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  • 3 days ago

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00:00जब भी किसी के घर में मृत्ति होती है तो हम काम का छोड़ कर शोप में डूप जाते हैं
00:04दुनिया के कई प्रमुख देश हैं जिन में ये बिल्कुल नहीं होता कि शद्धान जली देने के लिए काम रोकेंगे
00:10कहीं कहीं पर तो आपको ये उधारन मिलेगा शद्धान जली दी जाती है और ज्यादा काम करके
00:15काम उनका नहीं छूटता जिनके लिए काम प्रेम होता है आशिकी होती है
00:20कोई नहीं मिलेगा आदमी जो कहे कि काम काम के लिए करता हूँ
00:25बारेश हो रही है काम बंद
00:26कोई त्योहर आया है उसके 10 दिन पहले से काम बंद
00:29और जिन्दगी जितनी मिडियोक्रिटी की होती है न
00:31आदमी काम उतनी जल्दी बंद करता है
00:33इस पूरे एको सिस्टम में प्यार जैसी कोई चीज नहीं है
00:38ना कमपनिया प्यार के कारण बनती है
00:40ना जॉब्स ऐसी बनाई जाती है कि कोई उनसे चाहे भी तो प्यार कर सके
00:44पूरा खेली ऐसा है
00:45लवलेस
00:46इससे बड़ी सजा दूसरी नहीं होती
00:47लविंग, लवलेस लाइफ
00:49बिकना नहीं है, जिन्दगी खरी असली रहे
00:52प्रणाम अचारे जी
00:58जब भी किसी के घर में मृत्ति होती है
01:00तो हम काम का छोड़ कर शोक में डूब जाते हैं
01:03भारत में ये कारेकरम तेरा दिन तक पूरा चलता है
01:06एक और ये स्थिती है
01:09और जब दूसरी और मैं आपका जीवन देखती हूं
01:12तो वहां कुछ opposite दिखता है
01:14कि जब भी आपके जीवन में ऐसा कुछ हुआ
01:16तो संस्था का काम नहीं रुका
01:19मिशन और तेजी से आगे बढ़ता गया
01:21तो ये किस हद तक ठीक है
01:26कि किसी की मृत्ति हो जाए
01:28तो हम अपना सारा काम का छोड़के
01:30शोख में डूब जाए
01:31आपसे ये भी समझाए कि मृत्यू जीवन का तत्य है
01:35ये आना तो है ही
01:36तो किस तरीके से ये
01:40ये हर जगे नहीं होता है
01:41आपके लिए ये आज की अक्टिविटी रहेगी
01:43खोजियेगा
01:44दुनिया के कई प्रमुख देश है
01:46जिन में ये बिल्कुल नहीं होता
01:48कि शद्धानजली देने के लिए काम रोकेंगे
01:50कहीं कहीं पर तो आपको
01:52ये उधारन मिलेगा
01:53कि शद्धानजली दी जाती है और ज्यादा काम करके
01:56काम हमें रोकना इसलिए पड़ता है
02:00क्योंकि हमारे लिए काम
02:03सिर्फ शरीर चलाने का साधन है
02:07उसका हमारे जीवन के लक्षे से
02:12हमारे पवित्रतम केंद्र से
02:18कोई संबंध होता थोड़े ही है
02:20गरीबी का हमारा चुकि अब कई सो सालों का इतिहासरा है
02:27हमारे लिए यही बड़ी बात होती है
02:31कि पेट भरने के लिए किसी काम से रोटी मिल गई
02:35हम अपने आपको हाँ लाही नहीं पाए है
02:40हालांकि आजाद हुए भी 75 साल हो रहे हैं
02:42राजनैतिक आजादी
02:43जहां हम कह पाएं कि काम
02:46हमारी सच्चाई की अभिव्यक्ति होता है
02:49हमारे लिए असली जिन्दगी दूसरी है और काम अलग है
02:56काम तो बस इसलिए है कि दाना पानी आजाए
03:02गाड़ी चलती रहे
03:04जहां कहीं हमारी इस तथाकथित
03:11असली जिन्दगी में कुछ उठा पटक होती है
03:15हम सबसे पहले काम रोक देते हैं
03:17क्योंकि काम असली जिन्दगी तो है ही नहीं
03:19काम तो असली जिन्दगी से अलग कुछ है
03:22काम तो बस ऐसा है जैसे
03:25कहीं से फ्यूल डल जाएगा
03:27कुछ पैसे आ जाएंगे
03:28बहुत जल्दी छूटता है काम
03:32काम उनका नहीं छूटता है
03:34जिनके लिए काम प्रेम होता है
03:36आशिकी होती है
03:37और ये एक शब्द है जिससे
03:41भारत बहुत दूर आ गया है प्रेम
03:43हमारे जीवन में
03:48किसी भी क्षेत्र में
03:50किसी भी तार में
03:52प्रेम नहीं होता है
03:54हम काम से कैसे प्रेम कर लेंगे
03:57कोई नहीं मिलेगा आदमी
04:03होगा हजारों करोडों में कोई एक होगा
04:05जो कहे कि काम काम के लिए करता हूँ
04:10उसमें से जीविका चल जाती है
04:14यह अलग बात है
04:14पर पैसे नहीं भी मिल रहा होते हैं तो काम तुम्हें यही कर रहा होता
04:19तो जहां मौका मिला नहीं हुआ काम
04:25बंद
04:27बारेश हो रही है काम बंद
04:32कुछ हो रहा है काम बंद
04:40वो इत्योहर आया है उसके दस दिन पहले से काम
04:42बंद, उसके 10 दिन बाद काम शुरू होगा
04:45और जिन्दगी जितनी
04:48मिडियोक्रिटी की होती है न
04:50आदमी काम उतनी जल्दी बंद करता है
04:52मैं आईटी के आथा मुझे बात अजीब लगी थी
05:02यहाँ पर दिवाली की भी एक दिन की छुट्टी दे रहे है
05:04पर शायद ऐसा हुआ था कि दिवाली थी या क्या था
05:12तविवार को पड़ गई
05:13मैं सच मुझ किसी के साथ बैठा
05:21और बाते की उसमें अचरज आशर था, साथ में क्रोध था
05:27कि यह क्या मतलब है
05:27मैंने तरलुक यह लगाया कि इसमें
05:35मिटिरलिस्म है
05:37यह लोग इनसान की कोमल भावनाओं को नहीं समझ रहे हैं
05:44धीरे धीरे बात खुलनी शुरू हुई
05:46बात और तब खुल गई जब
05:51अद्वायत लाइफ एजूकेशन
05:53का काम बहुत सारे कॉलेजेस तक पहुँचा और वहां मैंने देखना शुरू करा
05:59कि जो कॉलेज जितना गया गुजरा होता था
06:04वहां तो हार उतने ज़्यादा मनाई जाते थे
06:08तो थोड़ा ठीक ठाक कॉलेज है तो दिवाली पर एक हफ़ता
06:19बंद रहेगा सिर्फ एक हफ़ता
06:23थोड़ा उससे नीचे का है तो दशेरे से दिवाली तक
06:29और स्टूडेंट सीनी फेकल्टी बहुत खुश है अभी तो बच्चे घर गए हैं
06:36और नहीं भी गए है तो ऐसे जैसे फेकल्टी खुझ चाती है कि घर चले जाएं
06:41कोई आ भी गया है क्लास में तो ऐसा कि तुम क्यों आ गए
06:45घराओन निकाल दिया गया
06:48और उससे और नीचे के कॉलिज में जाओ तो नौदर्गा से शुरू है वाव पर
06:55तो जारी बात
07:02अच्छा जी आपने कहा था दिवाली के एक हफ़ते बात तो वापस आ जाएंगा अभी तक क्यों नहीं आए अब सब एक साथ वापस आते हैं
07:10तो ट्रेन भरी रहती है न तो टिकेट नहीं मिलाओगा तो लोटते लोटते वो लोटते थे क्योंकि पढ़ाई से प्रेम नहीं है पढ़ाई में किसी भी तरह का निवेश नहीं करा है दिली जान नहीं लगाई है कोई लेना देना नहीं है एक बहुत अनमना सा रिष्टा ह
07:40बस कोई बोल दे कि आज काम नहीं करना है, खुशी खुशी चा जाएगी
07:45मैं संस्था में भी तो होता है
07:51अब जैसे आज था, जैसे ही घोशित हुआ कि आज शाम को ये है
07:57तो मैं शुभंकर वैटे, हमें पहले ही पता था कि कौन-कौन लोग होंगे जो नहीं पूरा करेंगे काम
08:05और कौन है जो अपना यथावत पूरा कर ले जाएंगे
08:08कौन है जिनको मौका मिला नहीं कि यो कहेंगे बस होगे आज तो, ए बल्ले-बल्ले
08:12आज आप देख रहे होंगे कहांगे संजे, माइक संजे के हाथ में, क्यों?
08:24क्योंकि ये वो वेक्ति है, फर्क नहीं पढ़ता, ये छुट्टी है कि नहीं है, धूप हो रही है, बरसात हो रही है, क्या हो रहा है
08:31उसको अपना काम जो हो छे बज़े निपटा लेना, उसका निपटता ही निपटता है
08:34और जो सज्जन आज करने वाले थे, वो मौका ढूंडते है
08:38मौका मिल जाए, किसी तरीके से बस
08:42आज कुछ हो रहा है, कहीं कुछ, सूंगते-सूंगते
08:46तो काम तब पूरा होगा, जब पूरी तरह नाउमीद हो जाएं
08:50कि आज कहीं कुछ नहीं हो रहा, तब चलो, कुछ और जब है ही नहीं, तो काम ही कर लेते हैं
08:54इससे क्या पता चलता है, डिल नहीं है, प्यार नहीं है
09:04अब उसमें बात आगे जाएगी तो और चोट लगेगी, बात यह है कि हमें से ज्यादा तरलोग पैदाईश ही प्यार की नहीं है
09:16तो हमारा पूरा समाध और पूरी अर्थवस्था ही ऐसी है, जिसमें ऐसी नौकरियां है भी नहीं कि जिन से प्यार किया जा सके
09:23इस पूरे वातावरण में, इस पूरे एको सिस्टम में प्यार जैसी कोई चीज नहीं है
09:28न और आदें प्यार से आती है, न कंपनियां प्यार के कारण बनती है, न जौब्स ऐसी बनाई जाती है कि कोई उनसे चाहे भी तो प्यार कर सके
09:38किसी का काम एक कनवेयर बेल्ट पर खड़े रहना
09:42और जो वहां से मैनुफैक्चरड माल आ रहा है, उसको ऐसे ऐसे करना
09:48उसको एक टंडे से ठेलना
09:51वो कैसे इस काम से प्यार कर लेगा
09:54कैसे कर लेगा
10:00प्यार ऐसी चीज तो है नहीं कि सबसे कर लोगे
10:02सामने वाला होना भी तो ऐसा चाहिए कि उस पर देला जाए
10:07यहां ऐसा है भी नहीं मामला की सब पर देला सके
10:11यह पूरी पूरा खेली ऐसा है, लवलेस
10:14वुच मैं आरी यह बात
10:21जब मामला लवलेस होता है तो हर आदमी भागना चाहता है, कौन नहीं भागना चाहता है
10:27हम काम से ही भागना चाहते हैं, हम रिष्टों से भागना चाहते हैं
10:31हम खुद से भी तो दूर भागना चाहते हैं, हम खुद से भी प्यार गाएं
10:34हमारा बस चले तो हम गाया भी हो जाए प्रेम ही वो चीज होती है जो जिन्दगी को अर्थ देती है आजादी देती है कुछ सचाई देती है
10:53दो जगे होती है इंसान जहाँ अपना समय बिताता है ओफिस और घर वहाँ काम से प्रेम नहीं है और घर में तो
11:07दुनिया का खौफ ना हो तो प्रोसी घर में घुच जाए अपने घर से बहतर तो कुछ भी है कुछ भी चलेगा चिडिया घर में घुच जाए
11:20हस क्या रहा है वो पता नहीं है क्या रहा है इतने ही लोग होते हैं वो जब दफ्तर से घर को चलते हैं तो उचते हैं कहीं और नहीं जा सकता
11:34कहीं और नहीं प्स वो कहीं और इसलिए नहीं जाते क्योंकि कहीं और जा नहीं सकते
11:45और जिनको फिर इसलिए कहीं और जाने का गुछ मौका मिल जाता है, चले भी जाते हैं
11:50पिर अब गयाते हैं, हाए हाए, गलत हो गया, बेवफाई हो गयी, एक्स्ट्रा-मेरिटल हो गया
11:56बच्चे खुश आते हैं, बारिश हो गया, आज स्कूल नहीं आना होगा
12:02मैंने तो पेशेंट्स देखे हैं जो खुश हो जाते हैं आज डॉक्टर साब नहीं आए
12:08मैं भी उन में से एक हूँ
12:14मैंने पकड़ा अपने आपको मुझे दो-चार लोग बांधे ले गए
12:22बोले चलो-चलो-चलो चला गया वहां पता चला डॉक्टर आई ही नहीं है और मैंने पकड़ा कि मैं मुझे अच्छा लग रहा था
12:34और उसमें कोई अध्यात्मिक बात नहीं है बात बस वही है कि
12:40रहीर भी कोई चीज होती है उससे भी प्यार थोड़ी इज़त यह उतना सीखा नहीं है
12:50और इसका कोई जवाब नहीं है इसमें कोई गुड़ बात नहीं है
12:58बिकना नहीं है
13:03है
13:04बोड़ा दो चार चीज़ें कम रह लेंगी कोई बात नहीं हो जाती
13:13जंदगी खरी असली रहे
13:24चहरा दूसरा हो जाता है
13:34आज आपकी अक्टिव्टी थी पहले की फोटो लगाओ भी की लगाओ
13:38अभी तो एकी साल का आपने लगाया पिछ्रा इतना यही था ना आज का एक साल की हथा
13:4410 साल का लो जब यहाँ गीता के साथ आप कम से कम तीन या पांच साल बीश जाएंगे
13:53फिर आप लगाईएगा गीता से पहले गीता के बाद
13:56और ना आपको अपना चहरा बदला हुआ दिखाई दे तो बात करिएगा
14:00चहरा बदल जाता है और बिके हुए आदमी का चहरा दूसरा होता है
14:03अब पांस साल रुख गए गीता में तो विक्ये हुऊं को आप भी दूर से देख के पहचानने लगेंगे, यह विक्या हुआ है
14:10शान बड़ी चीज होती है, यह न?
14:25अचारे जी, अगर काम उंचा हो और खुद प्रेम ना कर पा रहे हूं उस काम से, तो…
14:36उच्छे नहीं हो, इतनी कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं होती है
14:39प्यार की बात, नहीं तो लात, इसमें क्या है? मैं आपको क्या गुड रह से बताऊं?
14:49प्रक्रती बहुत ममत तो नहीं रखती है, प्रक्रती में तो बहुत सीधा है
14:55इनसान क्या प्रजाती ही ठीक नहीं है, तो विलुप्त हो जाएगी
15:01प्रक्रती का तो तरीका एक ही है, बढ़ियां हो तो फलो फूलो, नहीं तो
15:07उसमें कुछ नहीं है
15:13उसमें फिर यही बहतर होता है कि जल्दी से जल्दी सजा मिल जाए
15:17जितनी जल्दी सजा मिलेगी उतनी जल्दी सुधार की संभावना रहेगी
15:23खस्ते वो हैं जिन्होंने अपने आपको किसी सुरक्षा वाले घोसले में रखा होता है
15:28कि उनको फिर सदा भी नहीं मिल सकती
15:29अगर उस अच्छा काम है
15:43तो उसका डर भी तो होना चाहिए
15:44साहब ने कहा है
15:45कि भय तो होना चाहिए
15:48किसका प्राम का
15:50निर्भय होए न कोई
15:53भय पारस है जीव को
15:58निर्भय होए न कोई
16:00एक डर तो होना चाहिए राम का
16:02और राम का डर यह होता है
16:03राम का डर यह तो होता नहीं कि राम लठ मारेंगे
16:05राम का डर यह होता है कहीं राम को खो न दूँ
16:08अब डर जहां नहीं है
16:14वहाँ पर फिर बात बनती नहीं है
16:16मुझे सबसे ज़्यादा पसंद है
16:21मेरी सुक्सविधाएं
16:22सुक्सविधाएं मुझे कहीं और से भी मिलती रहेंगी
16:24मेरे पास कोई वैकल पिक
16:25अल्टरनेट ठिकाना है
16:26तो फिर बात नहीं बनती है
16:29प्यार में
16:35दो-चार अड़े नहीं होते
16:38एक के प्रतिसमरपण होता है
16:39जैसे ही आपने अपने लिए
16:44कोई दूसरा अड़ा
16:45कोई दूसरा सहारा बनाया
16:46आपने
16:49प्रेम हींता का लवलेसनेस का
16:52खुद ही इंतजाम कर लिया
16:53प्रेम बनाई तभी रहता है
16:59जब प्रेम तूटने लगे
17:01और तकलीफ हो
17:02जिसने उस तकलीफ से
17:04बचने का साधन जुटा लिया है
17:06उसका प्रेम तो अब तूटेगा
17:08प्रेम उसी का बचा रह सकता है
17:12जो सजा
17:15खाने के लिए उपलब धो
17:19जिसने अपने आपको
17:20प्रोटेक्ट या इंसुलेट ना कर लिया हो
17:22अपने इंसुलेशन्स और प्रोटेक्शन्स आप बहुत अच्छे से जानती है उनको हटा दीजिए
17:28हुMS
17:36नमस्ते सर
17:38सर आपने कहा था कि हमें काम से प्रेभ नहीं होता है इसलिए हम काम से दूर भागते हैं
17:43सर बच्छों के नजर यह से देखा जाए तो उनका जो है जैसे बड़ों का काम होता है ऊफ़िस का काम करना और
17:50सब तो बच्चों के लिए उनकी सिक्षा जो होती है स्कूल आना जाना यह चीज उनके जीवन में बहुत जादा होती है तो एक बहुत
18:00common देखा गया है समाज में कि बच्चों को पढ़ाई से बहुत जादा लगाओ होता नहीं है मतलब जादा तर जगह
18:06कर तक तक कि बच्चे जो है पढ़ायी की तरफ आगे बढ़े हैं बड़ा कामसे दूर भागता है
18:17क्योंकि उसने काम चुना ही स्वार्थ के लिए बड़े ने चुना है खुद बस स्वार्थ से चुना है प्रेम से नहीं चुना है और बच्चे ने तो चुना ही नहीं है उसको तो पता ही नहीं है कि उसे पढ़ना क्यों है आप जब दफ्तर जाते हो तो आपको पता है क्यों �
18:47तो ठीक है, आपका प्रेम नहीं है, तो गम सगम सवार्थ है, उसका तो सवार्थ भी नहीं है, उसका तो बस क्या है, हाँ, याज फिर फेख दिया बस में, हुँ, हम खुदी नहीं जानते हैं शिक्षा क्या है, तुम उसको कैसे बताएंगे शिक्षा मानिक क्या, कैसे बताए
19:17तो बच्चा खुद आगे बढ़ बढ़ के कूद कूद के पढ़ेगा
19:21यह मैं कई बार सोचता था
19:25सोचता था कि कोई भी चैप्टर शुरूने से पहले यह आना चाहिए
19:28कि यह चैप्टर क्यों पढ़ाया जा रहा है
19:31तो ज्यादा मन लगेगा
19:34बस ऐसे यह आपने बता दिया लो यह पढ़ लो
19:38LCM निकाल लो
19:39क्यों निकालू
19:42और वो दोनों साथ चलते हैं हमेशा
19:46LCM और HCF
19:48क्यों क्यों
19:50बहुत काम की चीज़ हो सकते हैं
19:53पर कभी बताया नहीं कि
19:55किसलिए निकाल रहे हैं तो पता नहीं होता कि
19:58उपयोगिता क्या है
19:59और फिर उसका नतीज़ा यह होता है यह आप बड़े भी हो जाते हैं
20:02मैंने 30-30 साल और लोगों वीडियो बनाते देखा है
20:04और वो वीडियो ऐसे बनाते हैं
20:08जैसे नोंने पता नहीं कितनी बड़ी बात बोल दी
20:09उसके तीन-चार मिलियन लाइक्स वाइक्स आ जाएंगे उन्हीं जैसों के
20:12वो बोल रहे हैं ऐसे आएगा शुरू करेगा यह देखो
20:16साइन स्क्वेर थीटा प्लस कॉस्क्वेर थीटा इस उगल टू वन
20:20इस ही कि हमारे मेरा बोड इक्जाम फेल हो गया था
20:24पर आज कोई यह बता दे कि इस चीज की practical life में कहीं कोई value है
20:30कोई फरक पड़ता है इस मूरग को पता ही नहीं है कि पूरी दुनिया उसी पे चल रही है
20:35इस मूरग को पता नहीं है कि तेरे कपड़े भी ना बने अगर साइन स्क्वेर थीटा कॉस्क्वेर थीटा बनना हो
20:40प्लायोवर भी ना बने
20:43प्लेन तो बहुत दूर की बात है एक सुई भी ना बने
20:47पर यह इसको बच्पन में बता दिया जाना चाहिए था न
20:50बेसिक ट्रिग्नोमेट्री आप किसी जो क्यों पढ़ा रहे हो यह बात बच्पन ने बता देते हैं
20:55नहीं बताओगे तो तीस साल का हो के गंदी-गंदी रिल्स बनाएगा वो
20:57और रुकाएगा यह देखो
21:01नहीं समझ वह आता
21:05मैट्स का मदाग उडाते हैं कभी कहेंगे वो एक्स्ट्रा टू ए बी
21:10बच्पन में उस बेसिक आइडेंटिटी से पहले यह बता दिया गया होता है
21:20कि भाई ए प्लस बी होल स्कूर या होल क्यूब इसका मतलब क्या है
21:24वरना वो एब्स्ट्रैक्ट हो जाता है न ए क्या है बी क्या है और स्कूर क्या है
21:28मतलब ए प्लस बी को ए प्लस बी से ही क्यों आप मिल्टिप्लाई कर रहे हो बात क्या है यह किसके प्रतीक है
21:34वो प्रतीक कभी समझाए नहीं जाते
21:36आपको बस यह लगता है तो अलजब्रा है
21:40तो अलजब्रा मने क्या
21:42अलजब्रा क्या मतलब
21:43जिसको पता होगा उद्देश
21:51वो जान जाएगा महत्त
21:54फिर वो खुद करेगा आगे बढ़के डूपके करेगा
21:58नए-नए तरीकों से करेगा
22:00को सकता है कि वो कुछ उसमें से नया खोज की निकाल दे
22:03हिस्ट्री पढ़ाई गई आपको बताया गया क्यों
22:12क्यों आपको पता हो
22:141170 में क्या हुआ था
22:171526 में क्या हुआ था 1757 में क्या हुआ था
22:20क्यों पता होना चाहिए बताए
22:21क्यों पर ये
22:26आपकी इतिहास की किताब में शुरू में लिखा नहीं होता है
22:29ना प्रश्न पत्र में ये पूछा जाता है कि आप हिस्ट्री पढ़ क्यों रहे हो
22:33बच्चों को ये बता दो तो फिर वो जादा मजे में पढ़ेंगे अच्छा ऐसी बात है
22:38चाहे इसलिए पढ़ना होता फिर तो पढ़ेंगे फिर तो देखते हैं
22:43भूगोल पढ़ रहा है अब स्टेलेगमाइट्स स्टेलेक्टाइट्स क्यों पढ़ूं
22:49किसलिए पढ़ना है बताओ ना कि क्यों पढ़ना है
23:08शेक्सपियर पढ़ा रहे हो आप आठवी में हमें लगता था आठवी में आठवी नौवी दसवी ग्यारवी बारी शेक्सपियर क्यों पढ़ा रहे हो बताओ
23:20और होगा कोई वाजिब कारण, निश्चित रूप से है, बात में दिखाई पड़ता है कि हाँ, एक माकूल, सही, उचित, वजह थी, पर उस वक्त अगर उसको बात नहीं पता चल रही है, तो उसके लिए चीज उबाव हो जाती है, उसके लिए बोज जैसी हो जाती है, कि मु
23:50प्यार, स्पष्टता, ये सब एक साथ चलते हैं, आजादी, जिग्यासा, ये सब एक साथ चलते हैं, और बहुत खेट की बात है कि
24:18हमें, हमारी संस्कृति में, हमारे राष्ट्र में, इन सब चीजों का बड़ा अभाव आ गया है, उसको दूर करना पड़ेगा,
24:27मैं क्या सकता हूँ कि बहुत सारे नुकसान होते हैं, अगर आप दूर नहीं करते हैं, क्या सकता हूँ, आर्थिक प्रगती नहीं होती, क्या सकता हूँ, सामरिक प्रगती नहीं होती, बहुत तरह कि मैं नुकसान किना सकता हूँ, पर सबसे बड़ा नुकसान ये है कि आपक
24:57प्राणाम अचरी जी आज से एक साल पहले यहीं हमारा सत्रू हुआ था
25:22सेम न्यू येर पे उसके बाद आपके पास से जाने के बाद बहुत सारी चीजें अपनी लाइफ में बदलाव किया है बहुत सारी चीजें से आगे बढ़ी हूँ
25:39अभी काफी स्वतंत्रू काफी हुचा मिली है आपसे लिखने में और ऐसे मनी मन में आपसे बहुत बात करते हूं पर जब सामने से
25:57बात करने की बारी आती है तो टर लगने लगता है या जब कमेनिटी पर पूस्त लिखती हूं तो लगता अगर कभी आप पढ़ोगे तो लगेगा कि कितना गलत लिखती है
26:12पर हिंदी लिखने में बोलने में और बहुत सारी चीजें करने में सुधार किया है और बस उसी के लिए अपको थैंक्यू बोलना चाहती हूं
26:32थैंक्यू सो मच अचार जी और गिविंग मी न्यू लाइफ थैंक्यू सो मच
26:41जो चीज असली होती है उसको पस मौन रहने दो और जिंदगी को बहतर बना कर दिखाओ ठीक है
26:59कुछ चीजों को न बोला जाए तो कुछ घट नहीं जाता जी वो उसका प्रदर्शन अपनी जिंदगी में अपनी उचाई में हो जाता है
27:10हम बहतर हो रहे हैं उसी से बात पता चल गए वही थैंक्यू हो गया उसको ऐसे शब्दों बोलने की बहुत जरूरत नहीं होती चलो ठीक है चलिए
27:18चलिए
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