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  • 1 day ago

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00:00क्या आचारे प्रशांत छुपे हुए leftist है?
00:03तुम्हें क्या पता leftist माने क्या होता है?
00:06वामपंथी वामपंथी क्यों कहते हैं मुझे?
00:09क्योंकि जो लोकधर्म है उनका वो दो-तीन चीजों के बिना नहीं चल सकता
00:13अचारे प्रशांत क्या शास्तरों की selective coating नहीं करते?
00:17शास्तरों के जो हिस्से उनके एजंडा से मेल नहीं खाते उन्हें चुपा देते हैं
00:20एजंडा है मेरा सक्चाई
00:22और जो किताब ऐसी हो कि उसमें कुछ बाते चुपानी पड़ जाएं
00:25उसको मैं शास्तर मानता ही नहीं
00:26आचारे प्रशांत से पहले इतने विद्वान हुए हैं
00:30हम आचारे प्रशांत की क्यों सुने?
00:32अरे जुन्नू
00:33दो-चार विद्वान होगे तुम नामी बता दो
00:35और तुम सचमुच किसी विद्वान को जानते होते
00:37तो आचारे प्रशानती के साथ खड़े हो जाते तुम
00:39क्या इससे हमारी युवापीडी धर्म से दूर नहीं होगी
00:43युवापीडी को तो तुमने अच्छे से धर्म से दूर कर रखा था
00:46थोड़ा भी पढ़ा लिखा आदमी है
00:48जो थोड़ी भी बुद्धि रखता है
00:50वो तो सनातन धर्म से ही इसलिए दूर हो जाएगा
00:53कि जिस धर्म में इस तरह के बाबाजी बैठते हैं
00:55मैं उसे धर्म का हुई नहीं
00:56उनको अब वापस उपनिशदों के पास
00:59अब गीता के पास
01:00कौन ला रहा है मैं ला रहा हूँ
01:01शदियों से जो उनकी मौज चल रही थी
01:05अन्याय करकर के
01:06वो मौज अब खतरे में है
01:09क्या आचारे प्रशान्त छुपे हुए लेफ्टिस्ट है
01:16उनके हर वीडियो में सनातन के खिलाब हमला होता है
01:20क्या इससे हमारी युवा पीड़ी धर्म से दूर नहीं होगी
01:23देखो यहां तीन केंद्रिये शब्दें
01:26लेफ्टिस्ट सनातन धर्म
01:28और जन्होंने सवाल पूछा है
01:30उनको यहां पकड़के बठाया जाया
01:33तो इन तीनों शब्दों में से किसी का भी अर्थ नहीं जानते होंगे
01:36तुम्हें क्या पता है लेफ्टिस्ट माने क्या होता है
01:41बताओ क्या होता है
01:43मैं भी पूछे हूं तुम से कि
01:46लिबरल, लेफ्टिस्ट, कम्यूनिस्ट और मार्कसिस्ट
01:52इनका अंतर बता दो, तुम बता पाओगे
01:54तुम्हें लेफ्टिस्ट माने क्या पता है
01:57लेफ्टिस्ट कौन होता है, बताओ
02:00मार्सी कैपिटल पढ़ी है
02:05अच्छा छुई भी है
02:06अच्छा वो छोड़ो तुम, इतना सा कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो है
02:11वो भी पढ़ा है, तुम्हें क्या पता लेफ्टिस्ट माने क्या होता है
02:14मैं पताता हूँ, लेफ्टिस्ट की
02:19बोल करके, तुम अपने किस भाय को
02:24शब्द दे रहे हो, समझना ध्यान से
02:27ये जो मुझे लेफ्टिस्ट बोलते हैं, उनकी समस्या क्या है
02:30उनकी समस्या ये है कि
02:33दो तरह का शोशन
02:36चलता आया है धर्म के नाम पर
02:39एक महिलाओं का
02:42और एक तथाकथित निचली जातियों और वर्णों का
02:47और लोक धर्म
02:50की लगभग बुनियाद है ये शोशन
02:56बहुत सारे जो समात सुधारक हुए
02:58उन्होंने तो ये कह दिया कि
03:03हिंदु धर्म कुछ है ही नहीं है अगर उसमें से जाति निकाल दोगे
03:06अमबेडकर ने हिंदु धर्म को
03:11सुधारने के सारे प्रयास कर लिए
03:14अंत में वो यही कह करके
03:17बाहर निकले
03:18कि हिंदु धर्म और जातियों अस्था
03:24ये अविभाज्य है ये अनन्य है
03:27और बिलकुल ये सही बात है कि लोकधर्म ऐसा ही है
03:32समझे रहे हैं? अब लोकधर्म
03:36अगर जात्पाच छुआ छूत
03:40और स्त्री शोशन इनके बिना चल ही नहीं सकता
03:43तो जहां कहीं भी
03:50इस्त्रीयों को उठाने की बात आएगी
03:52और जाति को उठाने की बात आएगी
03:54लोकधर्म उससे बहुत खौफ खाएगा
03:56खौफ खाएगा और उस बात को
04:01क्या देगा ये लेफ्टिस्ट बात है
04:03क्योंकि उन्हें और कुछ नहीं पता है
04:08वामपंथ के बारे में इतना पता है
04:10कि वहाँ समानता की बात होती है
04:11इतना जानते हैं बस
04:12कि वहाँ समान माना जाता है
04:14वहाँ किसी को विश्यशा धिकार नहीं दिया जाता
04:18इतना ही जानते हैं बस
04:19अलांकि उस बात में भी बहुत सारे पेंच हैं बहुत तल हैं उस बात के लेकिन नहीं जानते
04:27पर उनका मन समझो
04:32उनका मनोविज्ञान समझो
04:35वामपंथी वामपंथी क्यों कहते हैं मुझे
04:39क्योंकि जो लोकधर्म है उनका वो दो-तीन चीज़ों के बिना नहीं चल सकता
04:46एक जातिभेद, दूसरा अस्त्री शोशड और तीसरा दैवी ये कहानिया और अंधविश्वास
04:58ये तीन चीज़ें समझलो जैसे लोकधर्म के तीन स्तंब हैं
05:03ये लोकधर्म के तीन स्तंब है जाते विवस्था, श्त्री शोशड और दैवी ये कहानिया और अंधविश्वास
05:24इनके बिना लोकधर्म नहीं चल सकता इन तीनों में से किसी एक के भी आप खिलाफ बात करोगे तो आपको नास्तिक बोलना शुरू कर देंगे
05:31तो इसलिए तीन चीज़ों से लोकधर्मी बहुत घबराते हैं
05:45आप जाती भेज़ के खिलाफ अगर एक चौती चीज़ उसमें और जोड़ लो
06:01किया नाम दों कि आप समझ पाओ उसको
06:05वो वर्ण के अंदर ही आ जाएगा कि जो सारा पैसा है वो एक वर्ण के पास इकठा होना चाहिए
06:27होना चाहिए वो भी उसी में आ जाएगा तो ब्रण दस्था कि फिर दो चीज़ें हो गई जिनको आप स्तंभ मान सकते हो पहला तो यह कि जो नीचे का है
06:38उससे नीचे आले काम करा हो और दूसरा कि एक ऐसा वर्ण होगा जिसको हक होगा सारा पैसा अपने पास इकठा कर लेने का
06:51एक ऐसा वर्ग है जिसके पास अपने पास सारा पैसा इकठा करने का
06:58तो आप जहां कहीं भी आप ये इन लोगों को देखेंगे तो ये दो चार लक्षन आपको जरूर दिखाई देंगे
07:05क्या लक्षन उन्हें इस तरी शोषन से कोई तकलीफ नहीं होगी
07:13उन्हें सेठ जी से कोई तकलीफ नहीं होगी बलकि वो सेठ जी के विलकुल साथ चल रहे होंगे
07:19उन्हें जाति भेद में बड़ी रुच्छे होगी और चौथा दैवी ये कहानियों और अंध विश्वास में उनका
07:33बड़ा रुजहान होगा
07:37तो इसलिए जैसे ही आप विज्ञान की बात करोगे वो आपको गाली देंगे
07:45क्योंकि विज्ञान की बात करते ही कौन सा खंभा हिलता है अंध विश्वास वाला
07:50जैसे ही आप इस्त्रियों के पक्ष में बात करोगे फिर आपको गाली देंगे
07:54क्योंकि कौन सा खंबा हिला इस्त्री शोशन का तुरंट आपको बोलेंगे कि ये
07:58feminist है ये नारीवादी है
08:01पास हो जा रही है
08:04आप जैसे ही फिर जो शोशित वर्ग रहे हैं
08:12दमित दलित आप उनके पक्ष में बात करोगे तो तुरंट कहेंगे ये वामपन्ति है
08:17या कि ये ज़्यादा उदारवादी बन रहा है ज़्यादा लिबरल बन रहा है
08:26लिबरांडू
08:30और फिर आप अगर हिस्त्रियों के और इनके भी आप इनके हाँ
08:39सेड़ जी की बात करोगे कि सेड़ जी सारा पैसा क्यों लेकर बैठे है
08:42सारा का सारा पैसा कुछ ही लोगों के हाथों में जाता जा रहा है
08:45तो भी उनको बहुत समस्या आएगी
08:48कहीं कहा रहे सेड़ जी का तो हक है ना कि उनके पास ज्यादा पैसा ही कठा हो
08:54ठेट जी माई बाप हैं जब उनके पास ज्यादा पैसा जी कठा होगा तो तुम्हें थोड़ी नौकरी दे देंगे
08:59कुछ पैसा उतुम्हें भी लुटा देंगे
09:03बात समझ में आ रही है
09:05जो मुझे वामपन्थी बोल रहे हैं उन्हें कुछ वामपन्थ का पता थोड़ी है
09:11और ना मैं वामपन्थी हूँ
09:15जो सचमुच वामपन्थी हैं वो थोड़ी मुझे वामपन्थी मानेंगे
09:20जो सचमुछ वामपन्थी हैं उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैं वामपन्थी हूँ
09:26क्योंकि उनको पता है नहीं हूँ भई
09:28वामपन्थी मुझे वो बोल रहे हैं जिनको इन
09:33तीन चार
09:35खंभों
09:37के हिलने का जटका महसूस हो रहा है
09:40और यहीं उनकी मुझसे तकलीफ है कि क्यों मैं महिलाओं के पक्ष में बोल रहा हूँ
09:49क्यों मैं कह रहा हूँ कि
09:53तुम्हारे जन्म से तुम्हारी जाते वाती यह सब नई निर्धारत होती बेकारेकार की बात है
09:59क्यों बोल रहा हूँ मैं यह
10:00क्योंकि उनके लोक धर्म के ये पिलर्स है
10:04उनकी विवस्था कि ये बुनियादे हैं
10:10ये सब हट गई तो उनकी पूरी विवस्था गिर जाएगी
10:12मैं क्यों बार-बार बोल रहा हूँ
10:15कि climate change जो दुनिया के सबसे एक प्रतिशत अमीर लोग है
10:20उनकी करतूत का नतीजा में क्यों बोल रहा हूँ ये सब
10:24क्योंकि उनकी विवस्था ऐसी चलती है एक प्रतिशत ऊपर माईबाब बैठे हैं
10:30बाकी सब मीचे बिखारी बैठे हैं और उपर से माईबाब कुछ पूर से टपका देंगे
10:34तो आप उसके लिए कहेंगे वाँ वाँ वाँ क्या मिल गया बहुत बड़ी है
10:37और मैं क्यों कह रहा हूँ कि धर्म का संबंध
10:43कहानियों से और चमतकारों से और अंधविश्वास से नहीं है
10:48तो कि उनके जो लोग धर्म है उसमें धर्म माने यही होता है
10:52यह उनकी असली समस्या है
10:56उनकी असली समस्या समझो
11:00वाँ पंथी हो गया रहा क्या मतलब फिजूल की बात
11:04उनकी असली समस्या यह है कि उन्हों जो नकली धर्म चला रखा है
11:10उसके तो चारों जो नकली खंबें है
11:12मैं उस पर प्रहार कर रहा हूँ
11:16ये उनकी असली समस्या है
11:19वो कभी नहीं बताएंगे
11:23कि उनकी असली समस्या क्या है
11:24क्योंकि असली समस्या बताएंगे तो उनकी पोल खुलेगी
11:27तो वो कोई जूट मूट का कारण लेकर आजाएंगे
11:31तो देखो इसमें ये कमी है
11:32अरे तुम्हें मुझसे जो समस्या है सच मुच वो सामने रखो ना तुम्हारी असली समस्या ये है
11:37कि मैं क्यों महिलाओं के पक्षमे बात कर रहा हूं तुम्हारी असली समस्या ये है
11:42कि मैं क्यों कह रहा हूं कि ये शूदर और गएरा नहीं चलेगा तुम्हारी असली समस्या ये है आओ खुलकर बोलो कि ये तुम्हारी समस्या पर तुम में हिम्मत नहीं कि तुम बोलो कि ये तुम्हारी असली समस्या तुम इधर अधर की बेकार की बाते करते हो न तुम्हें
12:12वो, जिसके खिलाफ हमला हो ये नहीं सकता, जिसका बाल भी माका नहीं करा जा सकता, उसको सनातन कहते हैं, तो सनातन के खिलाफ कौन हमला कर सकता है, जूट बोल रहा हो तुम कि मैं सनातन पर हमला कर रहा हूँ, हमला मैं तुम्हारे जूट पर कर रहा हूँ, और तुम में सना
12:42को नाम दिया है सनातन का कितनी गंदी गंदी बात ही है अब में तुम्हारे जूट पर हमला कर रहा हूं तूर सनातन पर हमला कर iis
13:02दूर नहीं होगी, युवा पीड़ी को तो धर्म के बाद मैं ला रहा हूँ, युवा पीड़ी को तो तुमने अच्छे से धर्म से दूर कर रखा था,
13:12आचारे प्रिशांत के बारे में कहीं भी पढ़ोगे, या जिक्र आएगा, तो एक बात तो मिलेगी हमेशा,
13:17कि युवा आकरशित होते हैं इनकी और, तो युवाओं को गीता तक तो मैं ला कर रहा हूँ, तुमने तो जो तूते कर रखी थी, उनसे तो युवा पूरे तरीके दिखास कर जो पढ़ा लिखा युवा है, वो पूरे तरीके से धर्म से दूर हो गया था,
13:34धर्म के नाम पर तुम ये जो बत्तमीजियां करते हो, इन्हें कौन सा पढ़ा लिखा युवा बरदाश्त करेगा, लोगों ने धर्म को छोड़ दिया था, ये कह करके, कि धर्म तो पिछड़े लोगों की चीज़ है, कि धर्म का तो मतलब ही है, गंदगी, भीड, अंधव
14:04या मैं युवाओं तक सनातन को लेकर जा रहा हूँ, मैं वो काम कर रहा हूँ, जो तुमारे धर्म गुरुवों करना चाहिए था, जो तुमारे बाबाजी लोगों करना चाहिए था, पर तुमारे बाबाजी ही वो हैं, जिनकी शकल युवा देखना नहीं चाहता, हाँ गा
14:34रखते हैं मैं उसे धर्म का हुई नहीं मुझे हो नहीं नहीं उस धर्म में
14:43कुम्हारे बाबा जी और यह सब लोग ना सनातन के लिए बहुत बड़ा अभिशाप है और बहुत बुरा विज्ञापन है
14:53आज का जो जवान युवा है वो धर्म से तो पूरी तरह छिटक चुका है और क्यों छिटक चुका है क्योंकि वो यही सब देख कि धर्म के नाम पर तुम कितना शोशन करते हो
15:04कि सारी मूर्खताओं को तुमने धर्म का नाम दे रखा इसलिए तो धर्म से दूर हो गया ना उनको अब वापस उपनिश्दों के पास और गीता के पास कौन ला रहा है मैं ला रहा हूँ तो मैं युवाओं को धर्म से दूर कर रहा हूँ
15:16मुझे तो पुरसकार अगयरा दो भई कुछ सनातन खृदय समराट अगयरा कुछ बोलो कुछ ऐसा होना चाहिए सच मुछ
15:31धर्म से छिटके हुए जितने लोगों को मैं धर्म के पास लेकर आया हूँ और अभी लाओंगा अगर जीता रहा तो
15:37मैं तो सनातन का सेवक हूँ और तुम कह रहे हो कि मैं युवाओं को धर्म से दूर कर रहा हूँ
15:49ना ना ना अब जो कह रहे हैं कभी उनसे भी तो पूछा करो तुम कौन हो
15:56उनके मनसूबे क्या हैं ये नहीं जानतना चाहोगे तो मेरे पास बस उनके अक्षेप लेकर आ जाते हो कि देखिए आपके उपर ना ऐसी बात बोल दी फलान इन्ने
16:06उन्होंने मेरे उपर बोल दिया तो तुमने तुरंत मेरी और बंदूक तान दी जिसने बोला कभी उससे भी तो नाम पता पूछ लिया गरो
16:15कोई कह रहा है आचारे जी ऐसे हैं वैसे हैं पैसे हैं तैसे हैं लैसे हैं जैसे हैं खैसे हैं फागा है आचारे जी जैसे भी हैं तू जो इतना कुछ बोल रहा है तू कौन है तू भी तो बता तेरे मनसूबे के आए तू कह रहा है कि आचारे जी सनातन का ये कर रहा है तू �
16:45रहे हैं वो इल्जाम इसलिए लगा रहे हैं क्योंकि उंकी दुकाने बंद हो रही है वहind biri सरा
16:55ऑप्सलिब शुर्टाथियों से चल रहा है। डुकाने बंद begun कर आने वाला भी में Brillka नहीं हूँ
17:00कि जो
17:05कि पुरा
17:15वो लोगधर्म की दुकाने बंद कराने वाला ही कारिक्रम था
17:20देखा करो अच्छे से जब भी कोई आकर मुझ पर इल्जाम लगाए
17:31देखा करो कि ये कौन है इसका बैग्राउंड क्या जो इल्जाम लगा रहा
17:35और तुम्हें न कुछ बातें बड़ी कॉमन मिलेंगी
17:39ये सब वो हैं जिन्होंने जाते ववस्था का लाव उठाया है
17:47अब यहाँ आईए बैठिये हाँ जी
17:52ये सब वो हैं जिन्होंने जाते ववस्था का लाव उठाया है
18:01जादा तर उनको ही पाऊगे
18:03देखा करो कभी जो मुझ पर आकरमन करने आ रहा है
18:08समझो तो कहां से आ रहा है वो
18:10और अगर कोई
18:13वो है जो वन अस्था में नीचे था
18:15वो आक्रमन करने आ रहा है तो वो मालूम है क्यों आ रहा है
18:17उसको लग रहा है
18:18कि मैं
18:21जाते से ब्राह्मन हूँ
18:23तो इसलिए उसे मुझे पर
18:24आक्रमन करना ही चाहिए
18:26वो इसलिए आ रहा है, उसने भी मुझे समझा नहीं है
18:29वो बस मेरा सरनेम देख कर गया गाली देने
18:32दो ही सबसे बड़े शिकार थे, एक औरत
18:38और एक दलित
18:42और तीसरा आम आदमी का पैसा
18:49जूट, फरे, पाखंड, कर्मकांड बता बता के
18:54पैसा कमाना
18:55तो जो मेरे उपर ये इलजाम लगाते हैं
19:06ठीक है, उनकी बात सुनो, फिर उनसे उनका परिचय भी पूछो
19:08कोई Twitter handle है, वो मुझे गाली दे रहा है
19:13ये भी तो देखो, वो क्या है, वहाँ तुम्हें आम तोर पर कुछ बहुत
19:16set patterns दिखाई दे जाएंगे
19:18वहाँ पूरी तुमको एक मिनट नहीं लगेगा देखने में कि लोकधर्म
19:25की मुहर लगी हुई है
19:27वही हैं सब
19:29तो वो जो भी मुझे बोल रहे हैं
19:32वो उनकी असली समस्या है यह नहीं
19:35जो उनकी असली समस्या है वो सामने लाते नहीं
19:38असली समस्या यह है कि उन बचारों का
19:42शिकार छिन गया
19:45यह नहीं कि उनसे दुखी नहीं है उनसे दुखी है
19:48पर जिस कारण से दुखी हैं कारण तुमको बताते नहीं
19:52असली कारण यह है
19:53इंसानों को घर में जानवर बना कर बांध रखा था
20:00उन जानवरों को मैंने जबान दे दी
20:04ये हैसली समस्या उनकी
20:08खोड़ा अपनी रिसर्च भी किया करो
20:16कौन कहां से आ रहा है क्या है
20:23यही नहीं देखना होता न कि प्रशन क्या है
20:26ये भी देखना होता किस केंदर से आ रहा है
20:28तो अक्षेब तो ठीक है ये भी देखोगी वो अक्षेब लगाने वाला कौन है
20:32जो लगाने वाले हैं वो सब तुमको एकदम दिखाई देगा बिलकुल तुम
20:37आश्यर है बोलोगे
20:39ये सब तो बिलकुल वहीं से आ रहे हैं सब के सब वहीं से आ रहे हैं
20:45बीना आपवाद के सब एकी जगा से आ रहे हैं
20:50पॉक्ष मुझे
20:54दिक्कत बस यह है कि जिनका छोआ है उनको दिख रहा है
21:01जिसम दिख ह्या है
21:03कि उनको चू की कभी पाने की आदत नहीं रही
21:11हुँ मानी नहीं रहे जिएक है उनको मिल रहा है
21:12जिनको जिनका छिन रहा है उनके पास तो सदा से थी चीज हाथ में थी मुफ्त में उन्होंने उसके मजे लिये थे
21:19उनको बुरा लग रहा है उनका छिन रहा है पर जिनको मिल रहा है वो तो वो लोग है जिनको कभी मिला ही नहीं था
21:26तो मानी नहीं रहे उनको मिल रहा है तो जिनका छिन रहा है वो तो जोर से चिला रहे हैं जिनको मिल रहा है वो बोली नहीं रहे
21:34और उसकी ही परिणती है कि जिनको मिल रहा है उनसे भी मुझे बसी सवाल मिल रहे है
21:42पर जिनको मिल रहा है उनकी आखें बंद है जूमे जा रहे हैं
21:56क्योंकि मेरी छाओं तले उनको मुफ्त में मिल रहा है बिना श्रम करें मिल रहा है
22:00तो उनको पता ही नहीं है कि जो तुम्हें
22:02सदियों से नहीं मिला जो तुम्हारा हक था पर जिससे तुम्हें बंचित रखा गया वो तुमको दे रहा हूँ
22:08पर आसानी से मिला जा रहा है बैठे हुए मैं दे रहा हूँ तो अपनो
22:11अन्ना मुं में जवान है कि जा करके बोलें घोषणा करें दुनिया में कि हाँ कुछ मिला है
22:17हाँ जिनका छिना है वो खूब चिला रहे हैं
22:21वो दुनिया भर में बदनामी फैला रहे हैं जिनको मिला है वो जा कर नहीं बोलते
22:24आप एक छोटा सा प्रयोग करके देखिएगा
22:31आप किसी भी
22:33जो AI LLM है
22:36इसको आप AI
22:37इंजन बोलोगे आप उससे जा करके पूछिएगा
22:41कि महिलाओं के लिए वर्तमान में
22:44किस अध्यात्मिक गुरु ने या धर्म गुरु ने
22:48या spiritual teacher ने सबस्यादा काम करा है
22:50अचार प्रशांद का नाम आएगा नहीं
22:53वो दो-चार नाम देगा तो आप कहिएगा
22:54पांच नाम और बता उसमें भी नहीं आएगा
22:57फिर आप कहिएगा दस नाम और बता उसमें भी नहीं आएगा
22:59क्यों यह महिलाएं जिनकी मैंने मदद करी है
23:03ये इतनी बेजुभान खेहit
23:05कहीं जा करके ना कह पाती �bert ना भो पाती lek मैद्ट न कहिए और जिनके नाम आ रहे हैं कि यह
23:13मंहिलाओं के वक््षन बहुत काम कर रहे हैं आप भूचक् के राजाएंगे वह वह
23:16लोग हैं जो
23:17इस्त्री उत्पीडन में आगे हैं सच मुझ
23:19जो इस्त्रीओं को लेकर
23:26कि जो पुरानी पारंपरिक लोगधार्मिक
23:28माननेता हैं उनको आगे बढ़ा रहे हैं उनके नाम
23:30आ रहे हैं कि ये लोग हैं
23:32जो विमेन इंपावरिम्ट में काम कर रहे हैं
23:34और ये कोई छोटी बात नहीं है
23:37ये कोई छोटी बात नहीं है
23:40अंत में
23:45आम जन्ता के लिए रह तो वही जाता है जो लिखा हुआ है
23:49महाभारत क्या है
23:55जो पांडवों के वन्षजों ने आपको दे दिये
23:58जो हार गए जिनको अपनी बात कहने का मौका नहीं मिला
24:04उनकी बात इतिहास में खो जानी है
24:06और जिन्होंने अपनी बात कह लिए उन्हीं की बात सच की तरह स्थापित हो जानी है
24:12मैं कुछ भी कर रहा हूँ जब उसको आप जा करके ना बोलते ना लिखते
24:16तो मेरी बात पूरी तरह हो जानी है
24:19हाँ जिनको मुझसे चोट लग रही है
24:23वो अपनी बात खुलकर बोलते हैं
24:25तो उनकी बात फिर सत्य की तरह स्थापित हो जाएगी
24:27सोचो दुर्योधन जीता होता तो महाभारत में
24:33क्या वही सब लिखा होता जो आज लिखा हुआ है
24:35सोचना कभी ऐसे सोचा नहीं होगा
24:37पंडवों के वंशिज ने लिखी है
24:41तो सुयोधन दुर्योधन हो गया
24:42सोचो जिसका नाम ही बदल दिया
24:44उसकी जिन्दगी
24:47की घटनाएं कितनी बदल दियोंगी
24:49सोचो कोई अपने बेटे का नाम
24:54दुशासन रखता है
24:55सोचो कि चिड़ ऐसी कि
25:01नाम तक बदल दिया
25:04इतनी जैसे मेरा नाम बदल देते हैं चिड़ के हमारे
25:06अंतर बस यह है कि
25:11वहाँ वो कृष्ण के खिलाफ खड़ा था
25:13और मैं कृष्ण के साथ खड़ा हूँ तब भी क्योंकि आप गुंगे हो आपके जबान नहीं है
25:30उससे कह मुझे कोई समस्या होगी
25:32मेरी जितनी पर अभी जिंदगी है
25:34दस बीस पचीज साल की मैं तो मरे जाऊंगा
25:36पर मैंने जो कुछ कहा
25:40अगर वो इतिहास में पहुँच गया
25:44एक निगिटिव तरीके से
25:48तो आगे कोई भी ये बात कहते हुए
25:52इचकेगा
25:54आप ये कर रहे हो
25:59जो मैं बोल रहा हूँ
26:05ये असानी से कोई वैसे भी नहीं बोलता
26:07कई दशकों में कई बार कई शताग्दियों में कोई बोलने आता है
26:11और जब मैं बोल रहा हूँ तो
26:12सुचो दुर्योधन के वन्षजों ने अगर महाभारत लिखी होती
26:18तो क्या उसमें गीता होती
26:19होती भी तो किस तरह होती
26:21तो मैं जो कुछ आपको दे रहा हूँ
26:25ये सब
26:26मिट जाना है
26:29और आने वाली पीडियों को इससे कोई लाभ नहीं मिल पाएगा
26:32आपके गुंगेपन के कारण
26:59मैं मस्त हूँ
27:00मेरा कुछ नहीं जा रहा
27:02मेरे तो कोई उलादे हैं नहीं
27:05पीडि की सीड़ी तो आपने लगाई है
27:08तो आपकी ही पीडियां वंचित रह जाएंगी
27:15जो मैंने दिया है उससे
27:16और मेरी कही हुई बात हो
27:19फिर कभी कोई कहने का सहास नहीं कर पाएगा
27:23क्यूंकि आप गुंगे हो
27:32आपके पास शब्द हैं पर आपके मुह में शब्द भी उन्होंने ही भरे हैं
27:44जिनसे मैं आपको बचा कर ला रहा हूं
27:47आप अभी भी उन्हीं की जबान बोल रहे हो
27:52आप में हिम्मत ही नहीं पड़ रही है
27:55पूरे तरीके से आजाद हो जाने की
28:02आप समझो तो सही कि जो आप ये आपत्यां लेकर के आते हो
28:16किसी को सचमुची आपत्यां मुझसे हैं ही नहीं
28:20उनकी मूल आपत्य दूसरी है
28:22कि सदियों से जो उनकी मौज चल रही थी
28:32अन्याए करकर के
28:34वो मौज अब खत्रे में है बस ये हैं उनकी
28:40ये है समझ से असली
28:54जो कोई आए बोले ये करते हैं वो करते हैं अचार में ये बुराई वो बुराई
28:58पहले तो ये समझना सीखो कि जो वो मेरी शिकायत कर रहा है वो असली शिकायत है यह नहीं उसकी
29:03उसके मन में जो असली शिकायत है वो दूसरी है और जो असली शिकायत है वो इतनी गंदी है कि उसको जबान पर नहीं ला पाएगा
29:10किस तरीके की असली शिकायक बता देता हूँ पहले मैं सफलता पूरुवक अपनी बीवी का कर पाता था
29:2620 साल से कर रहा था 18 की थी तब आई थी अभी 38 की ये 20 साल से
29:32जब चाहता था मिल जाती थी अब बीवी के चेतना आ गई है
29:39हाँ बिल्कुल लेकिन अब ये समस्या वो आके बताएगा थोड़ी कि आचारे जी ने
29:46मुझे तो बिल्कुल मूलाधार में लात मारी है ये वो थोड़ी बता पाएगा शर्मा ही की बताने में तो क्या बोलेगा नहीं ये न वो
29:58गीता का अर्थ विक्रत कर रहे हैं उसको ये समस्य नहीं गीता का अर्थ विक्रत कर रहे हैं क्योंकि गीता से इतना प्यार उसे कभी था ही नहीं कि गीता का अर्थ विक्रत हो तो परेशान हो जाए उसके लिए असली समस्या जो है वो दूसरी है
30:12और वो बताएगा नहीं असली समस्या
30:15कोई अपने बेटे को लगा हुआ था कि दुकान पर बैठा देंगे
30:23और फिर बढ़ियां है पैदा किया है फसल बढ़ी करिये तो अब फसल काटेंगे भी
30:30और बेटे ने कह दिया यह जो तुम बिजनेस करते हो यह बिजनेस ही मुझे पसंद नहीं है ठीक नहीं है तुम्हारा बिजनेस
30:36दुनिया को खराब करने वाला धुआ छोड़ने वाला और बहुत तरीके की गलबर्ड करने वाला बिजनेस है मैं नहीं बैठता तुम्हारे धंदे में
30:44मैं देखता हूँ कुछ और ये उसकी असली समस्या पर हो ये बताएगा नहीं
30:48वो कहें का नहीं मेरी समस्या ये है कि ये सनातन को खराब कर रहे हैं अरे तुम कहां के सनातन प्रेमी हो कि तुम्हें ये समस्या आ गई कि सनातन को खराब कर रहे हैं तुम्हारी असली समस्या ये है
30:59कि बेटे से अब वसूलने का टाइम आया था अब वसूली हो नहीं पा रही है ये है तुम्हारी समस्य से असली बात बता बता या करो
31:09इतनी आसानी से मान मत लिया अगर हो कि कोई मेरे सामने कोई तुम्हारे सामने आ रहा है और बोल रहा है आचारे में ये बुराई है
31:23तो उसको वही बुराई दिख रही है ने उसको बुराई दिख तो रही है पर वो नहीं जो बता रहा है जो असली उसकी समस्या है वो दूसरी है जहां उसको सचमुच चोट पड़ी हो दूसरी जगह है वो बताएगा नहीं
31:36और मुझे इन्होंने इतना सुनाई नहीं होता है
31:44कि वो मेरे दर्शन में खोट निकाल पाएं
31:46दर्शन में खोट निकाल लिया सकती है
31:48पर उसके लिए पहले आपको अध्यान करना पड़ेगा
31:50इन्होंने क्या मेरा इतना अध्यान कर रहा है कि खोट निकाल लेंगे
31:53तो ये straw manning करते हैं
31:56किसी को बिना जाने
31:58बिना समझे बिना पढ़े खोट निकालनी है
32:00तो क्या करोगे
32:01क्या दो कि उसने ऐसा बोला और ये गलत है
32:06अब मैंने वो बोला ही नहीं
32:08नहीं समझे
32:10हम
32:13तुम ने
32:16मैं बोल दूँ कि
32:17मैं तुझे मार दूँगा आज
32:23बावला बोला था
32:24और मैं बहुत जोर दोर से इसको मार रहा हूं
32:27बोलेगा बावला दुबारा बोलेगा बावला दुबारा
32:29अब ये बात ठीक लगती है
32:31कि देखो इसने बावला बोला ही मार रहा है
32:33पर इस पूरी बात के आधार में
32:35यह है कि बावला बोला था पर बावला तो बोली नहीं था यह है कि मुझे इसको मारना था
32:40तो मैंने कह दिया कि इसने बावला बोला था यह इस ट्रॉमैनिंग कहलाती है
32:44कोई ऐसी बात कह दो जो
32:47मैंने कभी बोली ही नहीं
32:50और फिर कह दो देखा ये गलत बात बोल रहा है
32:52पर वो बात तो मैंने बोली ही नहीं तो गलत कैसे होगी
32:53ये सही कैसे होगी कुछ भी नहीं है वो मेरी बात ही नहीं
32:56जो मेरी बात है वो तुम समझे ही नहीं
32:58क्योंकि मेरी बात को तुमने कभी अधियनी नहीं कराएं
33:05कि अचारी प्रशांद क्या शास्त्रों की सेलेक्टिव कोटिंग नहीं करते शास्त्रों के जो शिस्से उनकी एजिंडा से मेल नहीं
33:12इस आते उन्हें छुपा देते हैं भाई मैं मान रहा हूं कि शायत किसी हिंदू ने सवाल पूछा है सबसे बड़ा तुम्हारा शास्थ्र है तो भगवद गी थे है सबसे बड़ा उसको नहीं भी मानते तो सबसे बड़ों कि श्रिणी में तो है यह कम से कम
33:31मैं तो एक एक श्लोक पर दो दो घंटे बोल रहा हूं उसमें छुपा गया रहा हूं
33:37या ऐसा कर रहा हूं कि पहले श्लोक क्या पाँच वाँ फिर आठ वाँ फिर पंदर हुआ फिर सत्रह हुआ ऐसे चल रहा हूं
33:43तो selective coating क्या कर रहा हूं
33:44बलकि एतने विस्थार से मैं बोल रहा हूं एक एक श्लोक पर इतने विस्तार से तो आज तक किसी ने बोले ही नहीं
33:51तो selective coating कहा कर रहा हूं
33:52और कोई शब्द किसी श्लोक कई मैं छुपा जाता हूं कि खा जाता हूं
33:57हाँ ये जरूर है कि उन शब्दों के जो अर्थ तुमने मान रखे थे
34:01मैं उन अर्थों को दर्शन की स्पिष्टता दे देता हूँ
34:06तो सिलेक्टिव कोटिंग क्या है
34:08कहा है वो सिलेक्शन दिखाओ तो
34:10मैंने किसी उपनिशद पर अगर बोला
34:15तो पूरा उपनिशदी ले लेके बोल देता हूँ
34:16या भजन ले लेता हूँ तो ऐसा करता हूँ
34:21कि भजन में दो पंक्तियां उठा ली बागी छोड़ दी ऐसा करता हूँ
34:25या हम ऐसा करते हैं कि एक भजन ही तीन महीने तक हमारा चलता है
34:28आज देगे किसने कराएगी एक भजन कि एक पंक्ति पर पूरा एक सत्र हो जाए तो इस सेलेक्टिव कोटिंग क्या ही कह रहे हैं कि आप कुछ इससे उठाते हो बस उतने नहीं बता देते हो
34:42मैंने कौन से हिस्से उठा के बता दिया बताओ तो इस्टा उकर गीता चल रही है कठुप निशाद चल रहा है एक के बाद एक श्लोक आ रहे हैं ना तो मैं कभी करम तोड़ता और ना कभी किसी श्लोक को लांग कर आगे बढ़ता हूं तो मैंने सेलेक्टिव कोटिंग कहा कर
35:12उसको बैठा आलो फिर क्या रहा हूं पूछ बता अच्छा कौन से गरंथ की सेलेक्टिव कोटिंग करी है बताओ तो कौन से गरंथ की करी है बताओ तो जो हिस्से उनकी एजंडा से मेल नहीं खाते हूंने छुपा देते हैं
35:42जो शास्त्र में है वही मेरा एजंडा है और अगर शास्त्र में कुछ ऐसा है कि मुझे छुपाना पड़े तो फिर मैं उसको शास्त्री नहीं मानूँगा
35:54एजंडा है मेरा सक्चाई
35:58और जो किताब ऐसी हो कि उसमें कुछ बाते चुपानी पड़ जाएं
36:03उसको मैं शास्त्र मानता ही नहीं
36:04मैं ये नी करूँगा कि किताब के ऑग इओ इससे चुपा दूँगा
36:15मैं वो पूरी किताब ही हटा दूँगा
36:17अगर उसमें कुछ बातें ऐसी हैं जो गड़बड़े हैं तो मैं किताब उठाऊंगा यह नहीं हटा दो
36:21क्यों उठाएं
36:24हाँ रचनाकार के प्रति सम्मान और समवेदना जरूर रखता हूँ
36:34क्योंकि मैं कृतित्त की प्रक्रिया से परिचित हूँ
36:37मैं जानता हूँ कि बात कालाथीत होती है पर बहती एक काल सापेक्ष मनुष्यके माध्यम से है
36:48तो फिर जो उसकी अभिव्यक्त होती है उसमें कुछ काल सापेक्ष तत्व आ जाते हैं
37:00उतनी मैं सम्मेदना रखता हूँ रचनाकार के प्रते
37:02उधारण के लिए हो सकता है मैं आपसे कोई बहुत उजी बात कर रहा हूँ
37:09पर आप यहां बैठे हुए हो दो लोग सोना शुरू कर दें तो हम बीच मुन को डाट दूँगा
37:13अब आप कहें कि यह जो सत्र हुआ है चलो
37:18इसी को लिपिबध करके इसकी हम
37:21किताब निकाल देते हैं तो किताब में ये भी आ जाएगा
37:25कि उचो यहां आके बैठो इसे उपे पानी डाल दो उसको थपड मार दो
37:28इसके उपर तॉलिया फेक दो ये सब कर दो
37:30तो फिर मैं रचनागार के प्रति इतनी समवेदना रखूँगा
37:36कि भाई ये जो बात है ये काल सा पेक्ष है
37:40काला तीत तत्तो था पर महौल तो काला तीत नहीं था न
37:45उस काला तीत तत्तो को एक विशेश महौल में अभिव्यक्ति मिली
37:51और उस अभिव्यक्ति में उसमें कुछ हिस्से
37:54विशुद्ध पानी हो पर उसको जिस पात्र में रखोगे उस पात्र का कुछ हिस्सा उस पानी में मिल जाएगा ना
38:03पानी एकदम निर्मल शुद्ध हो सकता है पर पात्र के गुण थोड़े से पानी में आ जाते है
38:10इतनी मैं सहानुभूती रखता हूँ रचनाकार के साथ
38:13बस इतनी ही लेकिन
38:29आचारे प्रशान्द से पहले इतने विद्वान हुए हैं
38:31हम आचारे प्रशान्द की क्यों सुने
38:33अरे जुन्नू
38:35दो-चार विद्वान होगे तुम नाम ही बता दो
38:38बठा लो उसको बो अच्छा बताओ कौन से विद्वान
38:43बताओ बताओ कौन से विद्वान है जिनको तुम जानते हो
38:47और तुम सचमुच किसी विद्वान को जानते होते
38:50तो अचारे प्रशान्द के साथ खड़े हो जाते तुम
38:53तुम किसी विद्वान को नहीं जानते ये बात हैरत की ये लेकिन सच है आम आदमी किसको जानता है हींग तॉलिया कच्छा
39:05हाँ हाँ आदमी ये जानता है मैं तुम प्लेटों को जानते हो तो क्या बोलेगा
39:17क्या प्लेटों को रसोई में है प्लेटे �
39:24प्लेटों को तो मैं जानत यह हूं
39:24प्लेटों की किताब तो किताब पर प्लेट रखके आ जाएगा तो कौन से विद्वान को जानता है बतातो सही तुने किस विद्वान को पढ़ा है आश तक
39:43और जिन्होंने सचमुझ विद्वानों को पढ़ा होता है जाना होता है वो वैसी बाते नहीं करता है वैसी तू कर रहा है तुने बस थोड़ी भाव शिक्षा ले लिए कि तेरा घर और पेट चलता रहे वरना तू अनपढ़ है तुझे क्या पता है
39:59अचार प्रशान से पहले कई विद्वान हुए है जो विद्वान हुए है आचार प्रशान से पहले आचार जी थो उनके पाओ पूझते हैं उन्हीं सब को तो तुम्हारे पास ले करके आ रहे हैं कि उनके विरोध में खड़े हैं इतिहास में जहां कहीं भी पूरे विश्
40:29वो विद्वान तो मेरे साथ है और मैं उनके साथ हूँ
40:33तुम बताओ तुम किन विद्वानों की बात कर रहे हो
40:36तुम्हारे विद्वान कौन मैं बताता हूँ नुकड़ वाले टंडन जी
40:40दूसरी बंजल वाला सन्नी भाईया ये तुम्हारे विद्वान है
40:46किसी को hit and run मत करने दिया करो
40:55कि आया उसने कुछ बोला और भग गया
40:57जैसे ही बोले बैठा बैठा बैठा बैठा बैठा
40:58तो आज विद्वानों पर चर्चा करेंगे
41:01और टाइमर लगा दो कि दो घंटे से पहले नहीं उठेंगे
41:04कौन कौन से विद्वान है और उनकी कौन सी बात
41:08को आचारे जी नगा रहते हैं बताइए
41:11किन विद्वानों की आप बात करना चाहते हैं बताइए
41:14और जब वो यह सब बता रहा हो तो उतनी देर में
41:23उसका बैगराउंड चेक कर लेना वही मिलेगा जो मैंने बताया
41:25उसकी समस्या यह है यह नहीं कि विद्वानों की बात क्या है उसकी समस्या क्या है
41:40पुरानी धारणाएं पुराने धर्रे पुराने स्वार्थ शूट पड़ रही है और कोई समस्या नहीं है
41:47विद्वान औगेरा अरे ये उच्छे लोगों की बाते हैं
41:54तुम्हारी जिंदगी में कहां ये विद्वानों औगेरा के लिए जगा है
41:58तुम क्यों इस तल पर आकर आक्षेब भी लगा रहे हो
42:00तुम्हारी जिंदगी ये ये मेरी मुर्गी चुरा ली
42:07भैंस दूध नहीं देती ये सब तुम्हारे तल के कारिकरम है
42:19इनमें विद्वान कहां आ गए तुम्हें विद्वानों से इतनी मुहबत
42:25घचब
42:37हुआ
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