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00:00आपको ये भी कैसे पता कि आपकी जो वास्तविक समस्या है वो आपको पता भी है सर मुझे ऐसा लगता है कि वास्तिक वास्तविक समस्या मेरी शयद भय और डर है जो फंदा तुम्हारे गले में पड़ा हुआ है वो तुम्हारी ही बाहों का है नि आपको भय लग रहा है कि �
00:30किसे ट्रेन पकड़ते हैं, आपको कैसे पता वो ट्रेन आपकी है भी, जिस स्थिति में इस वक्त और उस स्थिति से बाहराने के लिए, जो एक, अगर ये सचमुच मुझे इस्थिति तना दुख दे रही है, सचमुच, सचमुच, सचमुच, सचमुच, तो मैं इसे छोड़�
01:00कोई ममत्तो का मारा हुआ है, एक चीज को सकता हूँ, सचमुच, आप सचमुच, कहीं रुके हो अभी तक, सचमुच, किस बात की, तुम्हें कैसे पता आया, कि कौन सी बात सचमुच बोलने की है, चलो बोलो आगे, नमश्कर सर,
01:30सर, आपने अभी मिन्यन वाले खिलोने से समझाया, कि कैसे मान्यता के पिछे मान्यता के पिछे मान्यता, ये एक अंतहीन शरंकला जैसी प्रतीत होती है, और जिसको ये सारी मान्यताएं देखनी है, क्योंकि जानना ही समाधाना आप बताते हैं, और आपने बताया भी खु�
02:00कि one versus many और सीमित संसाधन, सीमित समय, सीमित समझ, इस चुनोती को किस प्रकार से देखा जाए, किस दिरिश्टी से देखा जाए, यह केंदर शाय डर के केंदर से यह सवाल आ रहा, पर परन्तु सर्य है.
02:22क्या काम है जिसमें चुनोती सामने आ रही है?
02:24अब यह माननेता के केस में हैं, आप आप देख लीजिए.
02:31एक ओफिस वाली जिंदगी है, एक घर वाली जिंदगी है, इसमें प्रॉब्लम्स हैं.
02:38एंडलेस माननेताएं हैं जिनको देख के समझ के उसको सॉल्व करना है.
02:42सीमित समय और सीमित शमताओं से ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक प्रॉब्लम सॉल्व हो रही है, यह एक प्रॉब्लम नहीं सॉल्व हो रही है, और कहीं प्रॉब्लम्स शूट रही है.
02:53वन वर्सिस सो मेनी प्रॉब्लम्स और सो मेनी माननेत आएं इससे यह जो ओवर्वेल्मिंग स्थिती पैदा होती है करना दो बड़े गई परन्तु इसको किस दृष्टी से कैसे देखा जाए
03:09आपको सच मुझ पता है कि कौन सी प्रॉब्लम्स आपकी है
03:17आपको कैसे पता कि जिसको आप अपनी प्रॉब्लम्स बोल रहे हो पहली बात वो आपकी है और दूसरी बात बड़ी है
03:29आपको ये भी कैसे पता कि आपकी जो वास्तविक समस्या है वो आपको पता भी है
03:38सर मुझे ऐसा लगता है कि वास्तविक समस्या मेरी शयद भाय और डर है
03:47उन समस्याओं के व्रति
03:51आपको भाय लग रहा है कि आपकी ट्रेन छूट रही है
03:56आपको कैसे पता वो ट्रेन आपकी है
04:00और गूंध ऊसंत्य कि copied शायद इस व वही ट्रेन समझ आ रही है कि यही
04:06ट्रेन पर चड़ना चाहिए तुबास 것이 शायद हटाई यह न क item के शायद शायद शायद शायद शाय अचयद शायद शायद शायद आइसे ट्रेन
04:14पहुंच गए वहाँ पर नई दिल्ली अठारा टो प्लेटफॉर्म है ऐसे विलकुल भावरा कभी इस फूल पर कभी उस फूल पर हमारा भावरा कभी इस बोगी में कभी उस ट्रेन पर ऐसे शायद-शायद करके
04:44कि आपको कैसे पता कौन सी ट्रेन आपकी है और आप बिलकुल मैं देख रहा हूं रख्तचाप बढ़ा हुआ है पसीने छूट रहे हैं कि मेरी ट्रेन छूट रही है आपको कैसे पता हूँ ट्रेन आपकी है भी
04:55कि सर कई बार जैसे जो मैंने समझा वीडियो में आप कहते हो कि
05:07एबसलूट ली क्या करना है वो नहीं है छोड़ो ना आप रिलेटिवली बताओ ना आप से लुट लीगा तो आपने कवश धारण कर लिया या चानेजें पार्मार्थिक की बातें मत करो मैं विवहारिक बातें कर रहा हूं पताओ कैसे पता आपको क्या पता है बताओ
05:21जिस स्थिति में इस वक्त अगर हो अगर और उस स्थिति से बाहर आने के लिए जो एक जो कुछ करने के लिए लगे कि यह रास्ता है और वो रास्ता अगर ना हूपा रहा हो तो
05:39कि निजाब जिस स्थिति में हैं उससे बाहर आना कठें कौन सी चीज़ बना रही है
05:54हुँआ है सर्व कि स्किल्ज में भी स्किल्ज एक्स्पीडियंस या
06:03कि अगलियां फस गई भाई आपसे बात करते करते
06:07कि स्थिति देखो मेरी मदद करो मैं फसा हुआ हूं बहुत भारी चुनौती है मैं बाहर नहीं आ पारा मैं क्या करूं
06:28कि अब को छोड़ना पड़ेगा
06:37है कि फिर से बोलो कब को छोड़ना पड़ेगा फिर कप को छोड़ना पड़ेगा फिर कि अब कप को सोड़ना पड़ेगा
06:48सर इस चीज़ को मैं फाइनेंशल प्रॉब्लम के कॉंटेक्स्ट में किस तरह से समझ सकता हूं कि कमाई कम हैं खर्चे ज़्यादा है
07:04कि कमाई कम है खर्चे विल्कुल ज़्यादा नहीं है ठीक है तो कमाई तो कम हमेशा
07:14थाभाँ खर्चो की संदर्भ में होती जब खर्चे जЖाधे नहीं हैं तो
07:18कमाई कैसे कम हो गई है कर दो मनें खर्चे ज्यादा है लुग अहां कर चैस Adasar
07:30को बताव क्या करूं एक चोड़ना पड़ेगा अब अगला सावाल बतो
07:51मावी चांग में आपको कैसे पता आपको कैसे पता कि आप जो खर्चे कर रहे हो
07:59वो आपको करने ही चाहिए, आपको ये भी कैसे पता कि आप जो खर्चे नहीं कर रहे हूँ, आपको नहीं करने चाहिए
08:05करेंट स्थिति के साब से लिए
08:17करेंट स्थिति तो ये रही लो, फिर फस गया मैं
08:21अगर ये सचमुच मुझे स्थिति इतना दुख दे रही है, सचमुच, सचमुच, सचमुच
08:31तो मैं इसे छोड़ूँगा ना, और अगर नहीं छोड़ना तो फिर मैं क्यों बोलू कि दुख दे रही है
08:37फिर तो मुझे इस से कुछ मिल रहा होगा
08:41तो पकड़ रखा है तो फिर दुख है ही नहीं
08:43तो मैं नाटक क्यों करूं कि दुख है
08:44अब इसमें बढ़ियां कुछ मीठा मीठा है
08:49अच्छा सेब डला अच्छा केला डला
08:52तो एक तरफ तो मैं मजे ले रहा हूं
08:57और दूसरी तरफ बोलूँ कि मैं फस गया हूं
08:59एक तरफ तो मिठास की चुस्कियां चल रही है जिंदगी में आहा
09:04यह मिठा आपको पीने को मिला
09:09नहीं मिला तो मेरा विक्तिकत स्वार थे देखो मैं पी गया
09:13लेकिन मैं फस गया हूं
09:16मेरा शौर सुनने को मिला
09:20इतनी जेर से शोर मचा रहाँ सुना नहीं तुमने मैं तना
09:27अब सुनने को मिला कि है यह मिठास कुछने को मिली
09:37यह म Mesk चुपचाप कोनी में मैं चकें जा रहा हूं
09:48और फिर उसके कारण जो कीमत अदा करनी पड़ रही है उसको लेकर शोर मचा रहा हूं और कोई भी कीमत तुम देते तो अपने स्वार्थों की ही हो
09:57इसमें मीठा मीठा ना होता तो मैं फसा भी न होता
10:04मीठा मीठा तो मैं अपना पीए जा रहा हूँ
10:08पीए जा रहा हूँ किसी को नहीं बताऊंगा कि क्या मौज लेता हूँ
10:11हाँ फस गया हूँ ये मैं दुनिया भर में नगाडा पीट रहा हूँ
10:27कि एक चीज़ पूछ सकता हूं सर इसमें आप सारी पूछ कहीं रुके हो अभी तक सारी किस बात की तुम्हें कैसे पता कि कौन सी बात सारी बोलने की है
10:40है एक चोंड़ वह कि लगट है कि त्सीज्विशन के प्रति कर मेरा रिसपॉंस और रिस्पॉंस अपने आप आज आता है अगर सीचुयशन साफ साफ समझी जाए तो
11:05क्या हम समझते भी हैं कि सच मुझ हमारे इस्थिति क्या है या बहुत सारी बस माननेता हैं कि ऐसा तो करना ही है अब करो अरे भाई हर जगा विकल्प है नहीं तुम
11:24बंधक हो कि कुछ काम करने ही करने है
11:27हर काम को ना करने का भी विकल्प है और हर काम को सौग उना और ज्यादा करने का भी विकल्प है
11:35पर माननेता एक पटरी बिछा देती है कि इसी पटरी के बीच में चलना ना इधर ना उधर अफिर फस जाते हो
11:44एक समय था है, जब मैं लोगों से
11:52आमने सामने बाचीत किया गरता था
11:55ये चला होगा
11:572016 से लेके
11:5918-18 तक था, 19 तक चला होगा
12:0118 तक
12:02तो ये तीन साल करीब ऐसा था जब मैं
12:07और दो दो घंटे बात होती थी
12:09कि इवर चार-चार घंटे बात होती थी
12:11एक ही इंसान को बैठा तरके उसके साथ लंबी बात्चीत
12:18कि शैकड़ों लोगों से बात करी होगी कई बार एक ही दिन में दो दो तीन तीन लोगों से
12:24और एक भी बार ऐसा नहीं हुआ
12:28कि अब मेरे जो सामने आएगा सोचो वह बहुत ही परेशान आदमी होगा तभी
12:35अपने ऊपर इतना भारी कश्ट वह डालेगा कि मेरे सामने आए एक से दुखी को आत्मत्या को तयार कोई कुछ कोई कुछ कोई कोई कह रहा है जेल जाना पड़े जेल चला जाओंगा
12:56कि मासानी से तो कोई आता नहीं मेरे पास
12:57लेकिन हर मामले में बात एक ही निकलती थी
13:02कुछ पकड़ कर बैठे हो जिसको अपने लिए जरूरी समझ रहे हो
13:09जो तुम पकड़ करके बैठे हो वो तुम्हारे लिए जरूरी नहीं है
13:15तुम्हें कुछ त्यागने को नहीं कहा जा रहा है
13:17तुम्हें देखने को कहा जा रहा है
13:21त्यागा तो उस चीज़ को जाता है जो जरूरी हो
13:24जो किसी काम की हो
13:26चुकि तुम स्वयम को नहीं जानते
13:29इसलिए ये भी नहीं जानते कि जो तुमने पकड़ रखा हो
13:31तुम्हारे किसी काम का नहीं है
13:33हाँ जो तुमने पकड़ रखा है उसको ढोने के लिए अब तुमको हजार लानते जहिलनी पड़ती है
13:42यही तुमारी परिशानी है बाकी चाहो तुम दो घंटे आ करके बैठ करके जो तुमारे स्पेसिफिक्स हैं वो बता लो पर वो भी बता लोगे तो दो घंटे बाद निश्कर्श यही निकलेगा
13:57लोग आते थे एकदम बारीक से बारीक बात ने मुझे घुसना पड़ता था रेशा रेशा खोलना पड़ता था
14:03पूरी उनकी जनम पत्री पिछले 20 साल आगे 10 साल की आशाएं पत्नी ऐसी बच्चा ऐसा सास ऐसी मा ऐसी बॉस ऐसा व्यापार ऐसा एक एक बात आती थी उघाड़ी जाती थी लोग जूट बोल रहे होते थे घुस घुस के उनसे सच्चा ही निकलवानी पड़ती थी पर अ
14:33प्रश्मन नहीं है किसी तुम स्थिते में फसे नहीं हुए हो तुम कुछ पकड़े हुए हो
14:39जो फंदा तुम्हारे गले में पड़ा हुआ है वो तुम्हारी ही बाहों का है
14:48जैसे कोई ऐसे या ऐसे अपना गला घूट रहा हो और फिर चलाता फिर रहा हो मुझे बचाओ
15:10कुछ भी नॉन निगोशियेबल नहीं है हर जगह तुम्हारे पास विकल्प है चुनाओ है
15:17कुछ भी आवश्य के आनेवारे नहीं है सब बदला जा सकता है हसो मत अपने आपको मश्बूर मत बनाओ
15:26होली काउज बांध कर बैठे हो सब की जिन्दगी में वही होती है
15:41अर्थ समझते हो ना होली काउज
15:47ऐसी माननेता हैं जिनको पवित्र बना रखा है इसको अंग्रेजी में कह देते हैं एक कहने का तरीका है
15:55होली काउज कर तब वे इस्जत ममता इस्ट्रिकोन में दुनिया की सारी समस्याएं समाई हुई हैं
16:23कोई कर्तव्य का मारा हुआ है कोई इज़त का मारा हुआ है कोई ममत्तों का मारा हुआ है पर इस्ट्रिकोन से बाहर कोई समस्या नहीं होती
16:35यह जो तीन चीज़ें आपने अभी बोली इससे पहले में नहीं समझा पारा था कि पर यह तीन चीज़ें से जैसे कुछ पिंपॉइंट थोड़ा कुछ हुआ
16:53पर यह पिंपॉंट मैं यह शमतर मैं कैसे विकसित कर सकता हूं यह इंकी कि जो खुछ भी मानते
17:07हो उसको कम से कम पांच मिनट के लिए कि परे रखना सेखो और बस 5 मिनट के लिए और जो मानते हो उसको लिख लो अपने सामने
17:23निश्पक्षता पैदा होती है
17:26Suspension of belief
17:36सच्चाई
17:40भीतर आये
17:42इतनी आसानी से belief मानती नहीं है
17:47belief मरना नहीं चाहती
17:53तो उसको कम से कम सस्पेंड करना सीखो
17:56पाँच मिनट के लिए
17:58को मान लो अच्छा की अगर
18:01वो मानने भर से
18:04कि मैंने माना की कुछ मानने की दरोत नहीं
18:07वो मानने भर से
18:08दर्वाजे में जिर्री खुलेगी प्रकाश दिखाई देगा
18:11तुम आकरशित हो जाओगे कहोगे
18:13ये कुछ है
18:15कुछ है
18:17अगर मैं अपनी इस मजबूरी को
18:19किनारे कर दूँ तो कुछ है
18:20जरा सा खुला दर्वाजा
18:22कुछ रोशनी से आई
18:23क्या मैं पूरा खोल सकता हूँ
18:26माननेता अपना किवाड बंद करके रखती है
18:40सक्चाई के लिए
18:41वो बहुत डरी होती है
18:43तो किवाड बंद करके
18:45किवाड के पीछे बंदूग लेके खड़ी होती है
18:49ये किवाड तो बंद है ही
18:51अगर कोई उद्धंडी
18:54हम
18:55अपनी उद्धंडता में
19:00किवाड गिरा के भी भीतर आ गया
19:02तो क्या करूँगा
19:03गोली मार दूँगी
19:05वो दर्वाजा जरा सा
19:09खुलना जरूरी है
19:11वो थोड़ा सा भी खुलेगा न
19:13तो बहार की साफ अवा थोड़ी अंदर आएगी
19:16थोड़ी रोशनी आएगी
19:18खुद ही कहो गया ऐसे चौक के ये क्या है
19:25ये क्या है
19:27ये कुछ नया हुआ अभी अभी माननेता को बस पांच मिनट के लिए परे किया और कुछ नया हो गया मुझे मुझे थोड़ा और चाहिए फिर खुद ही कहो गये कैना है वो लिटल मॉर ओफिट
19:40थोड़ा से और मिलेगा
19:44कि हुआ है वन स्लाइस मैंगो
19:47कि अहां
19:57फिर पूरा दर्वाजा ही खुल जाता है
20:06जानते हो ध्यान की जितनी विधियां हैं जितने
20:11तथा कथित अध्यात्मिक अनुभव होते हैं उन सब का उद्देश यही था
20:17कि तुम नजाने कितनी शताब्दियों से एक अंधेरे सीलन भरे बद्बूदार कमरे में बंदो और तुम इसी को जिन्दगी कहते हो
20:28तुम जो विधियां थी उनका उद्देश था कि थोड़ा सा दर्वाजा या खिड़की या रोशन दान खुल सकता है कि तुम्हें थोड़ी सी भी आहट या खबर लग सकती है बाहर की
20:43रंग है फूल है खुश्बू है ताजगी है रोशनी है यह हो सकता है और फिर विधि बनाने वालों ने माना ये था कि तुम्हें थोड़ी सी अगर बाहर की फिजा रुच गई तुम्हें खुदी रोशनदान से कूद के बाहर भग जाओगे दर्वाजा तोड़के भग ज
21:13थोड़ा सा तो तुमको पता चले कि अच्छा ऐसा भी हो सकता है अच्छा ऐसा भी हो सकता है अच्छा ऐसा भी हो सकता है गरंथ के साथ बैठने का भी यह उद्देश्य होता है कि थोड़ी देर के लिए थोड़ी देर के लिए कोई और दुनिया खुल जाए
21:30और फिर
21:32जो ग्रंतकार होता है
21:36उसने बड़ी प्यारी
21:37बड़ी दिली उम्मीद ये रखी होती है
21:40कि थोड़ी देर के लिए
21:41मैंने तुम्हार लिए एक नई दुलिया खोली न
21:43अब तुम खुदी
21:45अपनी प्रेरणा से
21:48अपने पाउं पे चलके उस दुनिया में प्रवेश करोगे
21:50गुरू के सामने बैठने
21:53का भी और चित्ते ये होता है
21:57थोड़ी देर के लिए तुम्हें कुछ
21:59ऐसा दिख जाए
22:01जो किसी और देश का है
22:03किसी और लोक में ही पहुँच जाओ
22:07थोड़ी देर के लिए
22:10थोड़ी देर के लिए तुम्हें प्रमान मिल जाए
22:12कि जैसे तुम हो वैसा होना ज़रूरी नहीं है
22:15है कोई और जो तुमसे बहुत बहुत बहुत अलग भी हो सकता है
22:19और वैसा होना संभव है
22:21तुम्हें प्रमाण मिल गया, हाँ मैंने देखा, मैंने सामने देखा, भी देखा, कोई है जो मुझसे बिलकुल अलग आयाम का है, और वो बात तुम्हें इतनी जच जाए कि तुम कहो मुझे भी फिर मेरे जैसा नहीं रहना, लोग आते हैं, टिपडियां करके आते हैं, आच
22:51सत्र में जो हो रहा है वो बहुत हद तक मैं सम्हाल सकता हूं, पर सारा खेली इस बात का है कि तुम्हें सत्र से और इस माहौल से और मुझसे प्यार कितना गहरा हो गया,
23:04जब तक मैं सामने हूँ तब तक तो ठीक है
23:08बात ये जब सामने नहीं हूँ
23:11तब भी क्या गूँज कायम है मेरी
23:15और सारी विधियां वहाँ पर आकर के ठैर जाती है
23:21मजबूर होकर रुक जाती है
23:22क्योंकि कोई भी सत्र अनंतकाल तक नहीं चल सकता
23:25और हर ग्रंथ का एक आखरी पन्ना होता है
23:31उसके बाद तो तुम्हें खुद ही देखना है न
23:34वो तुम्हारी इमांदारी की बात तुम्हें कितना देखना है
23:46और इमांदारी का मतलब भी अई होता है सच्चाई से प्यार
23:51तो प्यार के अलावा तो कोई विधी नहीं होती पागल है प्यार है तो सब है नहीं है तो नहीं है
24:13वहारे परीक्षाओं में
24:15कम अंक जानते हैं क्यों आते हो क्योंकि तुम जानते ही नहीं होगी परीक्षा कब शुरू हुई थी
24:23तुम्हारी स्थूल परीक्षा होती है जो महिने में छे बार के आठ बार हो जाती है
24:30वो स्थूल परीक्षा है वो तो घंटे भर की होती है बस
24:34तुम्हारी परीक्षा वास्तविक उस क्षण से शुरू हो जाती है जिस क्षण सत्र समाप्त होता है
24:41तुम कहोंगे जब सत्र चल रहा है तब परीक्षा क्यों नहीं है क्योंकि तब मैं हूँ
24:49तब बहुत हब तक मेरी जिम्मेदारी है समहाल लेना
24:53अगर तुम आ गए हो तो सत्र में
24:55मुझे तुमने जिस कुर्सी पर बैठा दिया है
25:03उस कुर्सी के मरियादा ये है कि जब तक सत्र चल रहा है
25:07तब तक तुम्हें समहालना मेरी जिम्मेदारी है
25:10पर जिस खण 17 समाप्त होता है तुम्हारी परीक्षा शुरू हो जाती है
25:19अब जिम्मोड़ी तुम्हारी है पूनतया
25:21और तुम उस परीक्षा में असफल रहते हो
25:25इसलिए फिर वो जो महीने में 7-8 बर वाली स्थूल परीक्षा होती है
25:31उसमें भी असफल रहते हो
25:40सत्र समाप्त होने के बाद शुरू होता है
25:43तुम सोचते हो
25:4612 बज़ गया सत्र समाप्त हो गया
25:50नहीं नहीं नहीं बेटा अब तो
25:52खेल शुरू हुआ है
25:54तो खेल शुरू हुआ है
25:58बहुत हैं
26:01सब अपनी अपनी नजर में बहुत होशी आ रहे हैं
26:04मुझे असी अभी 12 बजेगा सत्र समाप्त होने का समय लंबी टांग यह लंबी निकलेगी टांग
26:16वो सोचेंगे कि सत्र समाप्त हो गया नहीं समाप्त नहीं हुआ
26:21कुछ समाप्त हुआ भी है तो शायद मेरे लिए हुआ है तुम्हारे लिए तो अब शुरू हुआ है खेल क्योंकि अब तुम
26:29अपनी जिम्मेधारी पर हो मैं तो गया
26:34स्क्रीन पर परदा गिर गया मैं तो गया
26:41अब तेरा गया हो गर कलिया
26:43सोचते हैं ध्यान की जरूरत ताब है आचारजी सामने है पागल जब आचारजी सामने है तो ध्यान तो डटा मारके निकलवा लेते हैं
26:58कि वहां तुम्हारी सहभागिता की फिर भी थोड़ी कम जरूरत है अब यह सब यहां बैठें हैं यह मजाल है कि ध्यान न दे ध्यान की ज़रूरत तुम्हें तब है जब मैं सामने नहीं हूं
27:17पर जैसे स्कूली बच्चे होते हैं घंटी बचती है और निकर फाड़ के भागते हैं बाहर यह तुम्हारी हालत है
27:322016 की बात है वो सत्र भी होगा अंग्रेथी चैनल पर कहीं न कहीं
27:51रिष्केश में मिठ डिमोलिशन टूर था उसमें एक जगह थी उसका नाम था कैफे रिष्केश गंगा के नारे गंगा के मिलकर ऊपर तो वहां की जो रिकॉर्डिंग जो उसमें सब गंगा के बहने के आवाज भी आती है
28:07पतर चल रहा था लाइट चली गई
28:15हमारे पास अवे वही सब बड़ी बड़ी लाइट हैं उससे रिकॉर्डिंग हो ती तो लाइट चली गई अब रिकॉर्डिंग क्या गरेगा वह
28:38मैं चुप हो गया सामने बैठे थे जितने सामने बैठे थे सब विदेशी थे
28:46एक भी भारती नहीं था उसमें सब विदेशी थे गरीब रहे होंगे पचास तर्या जितने भी ऐसे लोग
28:5215-20 मिनट तक एकदम अंधेरा है बस गंगा की आवाज आ रही है
29:00यह आधी रात के आसपास का समय रहा होगा
29:04चुप बैठे रहे 15-20 मिनट फिर लाइट आ गई
29:12लाइट आ भी गई मैं तो भी कुछ नहीं बोला
29:16मैं आधे गंटे तो बस चुप चाप बैठा रहा
29:20अब भी ऐसे बस चुप चाप बैठे रहे
29:30सत्र चल रहा था
29:32शायद अंतर ये था कि
29:46उनमें जिग्यासा इतनी थी कि वो अपना देश छोड़ कर
29:54भारत के एक छोटे से शहर में कुछ खोजने आये थे
29:57और हमें ज़्यादा असानी से मिल जाता है
30:13उनके लिए मेरे मौन में भी सत्र चल रहा था
30:16और तब चल रहा था जब
30:17मुझे बहुत कम लोग जानते थे दोजार सोला की बात
30:21उनके लिए मेरे मौन में भी सत्र था
30:27आप मेरे शब्दों को भी फास्ट फावरड कर देना चाहते हो
30:51मैं वहाँ उनके साथ चुप बैठ पाया
30:56चुंकि उनका उद्देश है था
31:00भारत आए हैं
31:01भारत से कुछ जानना है, सीखना है
31:05मैं आपके साथ यह थोड़ी कर पाऊंगा
31:09कि रात में तीन बजे, चार बजे तक मैं वस चुप होके बैठ जाओं
31:12और आप मेरे साथ चुप बैठे रहो
31:15स्क्रीन के सामने
31:17पहले हुआ करता था
31:19चन्नई की बात होगी
31:222018-19 की
31:2617 रहा था मुश्किल से 20-30 लोग रहे होंगे
31:30रात में शुरू हुआ, 9 बजे
31:32सुबह पांच बे तक बात चलती रही
31:35फिर खिड़की से
31:39उजी आरा दिखाई देने लगा
31:43तो मैं चुप चाप उठा
31:47बाकि इतने लोग थे सुब चुप चाप उठे
31:48हम बस बाहर निकल गए
31:51चलते रहे, चलते रहे, एक घंटे में
31:53लौट कर आए
31:54या आपके साथ थोड़ी कर सकता हूँ
31:58मुझे आपके साथ आपके बंधनों का सम्मान करना पड़ता है
32:10और जब मुझे आपके बंधनों का सम्मान करना पड़ता है
32:14तो मैं आपको बंधनों के पार की जहलक कैसे दिखला हूँ
32:17और जब मैं आपको जहलक ही नहीं दिखला पा रहा
32:21तो आप में प्यार कैसे जगा हूँ
32:23तो आप कहते हो, हमें सुबह
32:27साथ बजे नुनु को स्कूल बस में बिठाना है और उनके लिए टिफिन तयार करना है आठ बजे तक तो अचारे जी आप नस बारा साड़े बारा से आगे मज जाया करिए तुम देखो तुम क्या कर रहे हो तुम मुझे अपने बंधनों में बांध रहे हो तो मैं तुम्हें
32:57आउंगा भी बोच्थल तो जितनी हमारी देवियां है अब लिख के भेजा करती है बहुत दिन से आप क्यों इधर से फरा रहे हैं तो सत्र रखे जाएंगे बहुत सारे और वो दिन में रखे जाएंगे क्योंकि रात में सत्र रख दूं तो देवी जी के देवा नाराज हो
33:27मैं अभी चुप हो जाओं उस रात की तरह आदे घंटे के लिए तो नजाने कितने लोग तो
33:36पहले एप डिलीट करेंगे फिर दुबारा डाउनलोड करें यह नहीं लगे अभी अटक गया है कुछ
33:42यह एकदम स्थिर हो करके बैठ गये हैं कुछ बोल नहीं रहे
33:48जरूर कोई टेक्ट क्लिच है मैं आपको कैसे जलत दिखला हूँ
34:02जिनको मैं आजसे दस बारा साल पंदरा साल पहले गंगा किनारे उपर हमाला तक ले आता था
34:16उनको तो मैं पानी से और रात के कोह्रे से बात करके दिखा देता
34:21था कि यह भी करी जा सकती है
34:46मुझे आप की शर्तों के मुताबक बात करनी पड़ती है
35:01और आपको लगता है आप जीत गए, आप जीत नहीं गए, आप ने मुझे हार दिया
35:16नहीं तो बहुत सारी बाते हैं जो मुझे बहुत बोलकर बतानी पड़ रही है वो मौन में संप्रिशित हो जाती है
35:24सामने बैठो बस चुप चाप बैठ करके आखो में देखो काम हो जाता है और हुआ है
35:34आपको कैसे जता हूँ फिर उल्टे पुल्टे मुझे प्रयोग करने पड़ते हैं कभी इसमें बोलता हूँ ये देखो वो देखो
36:04सारी बात देखो यकीन आने की है आप अपनी दुनिया में जी रहे हो तो उसको लेकर के तो आपको यकीन होगा ही न कि वो है
36:30क्योंकि उसके होने का प्रमान आपको रोज मिलता है वो है उसी में आप जी रहे हो खा रहे हो सांस ले रहे हो सो रहे हो उट रहे हो वही है आपकी दुनिया है उसका तो आपको प्रमान मिला ही हुआ है
36:41कोई दूसरी भी दुनिया हो सकती है
36:44इसका प्रमान आपको कैसे मिले
36:46तभी मिल सकता है जब मैं थोड़ा सा आपको
36:48वहाँ कुछ देर के लिए ले जाओ
36:50तो फिर आपको यकीन आए
36:52अब मेरी हालत प्रतरस खाओ
37:00मेरी दुनिया वहाँ है
37:03और मैं वहाँ से आपकी दुनिया में आता हूँ
37:07ताकि आपका हाथ पकड़ करके आपको भी उस दुनिया की थोड़ी जलक दिखला सकूँ
37:11पर आप मेरे साथ वहाँ को तो चलते हैं नहीं थोड़ी देर को भी
37:18हाँ आपने मुझे यहाँ बांध लिया है अपनी शर्तों में
37:22आप कहते हो नहीं हम यहाँ है आप भी यहीं रहो
37:25तो मेरा यह कि मेरी दुनिया भी छूटी
37:32और मैं आपको भी कोई लाभ नहीं दे पा रहा
37:36मैं आपकी दुनिया का नहीं हूँ यह सब आपके रस्मों
37:43रिवाज आपके तौर तरीके इनसे मुझे क्या लेना देना आपका उठना
37:48बैठना जीना मरना मैं यह सब
38:06परे रखाया था इसलिए आपके सामने हाँ बैठ पा रहा हूँ
38:17मैंने आपको जो बोला था उसमें यही बात आपको अटकी होगी
38:28कि यह कह रहे हैं कि अगर यहां फसे हो तो छोड़ दो
38:32अरे ऐसे थोड़े ही छोड़ा जाता है मैं तुम्हें कैसे यकीन दिलाओं कि ऐसे ही छोड़ा जाता है
38:42कैसे यकीन दिलाओं बताओ
38:44जो साइकल ना चलाए हो बिलकुल
38:51तो कैसे यकीन दिलाओगे कि
38:54किसी ने न इधर से पकड़ रखा
38:56न उधर से पकड़ रखा फिर भी गिरोगे नहीं
38:58दिला सकते हैं यकीन
39:01तो एक ही तरीका होता है कि
39:04कहो कि अच्छा हमने पीछे से पकड़ रखा
39:05साइकल चलाओ वो चला रहा है चला रहा है
39:07पीछे से चुप चाप, दीर से छोड़ दो, धोखा देना पड़ता है थोड़ा, मैं भी देता हूँ, उसके बिना तुम मानोगे नहीं।
39:37एक बार को अपने आगरह परे रखो, ठीक है? यहीं तो शुरुआत कर लो, suspension of belief
40:02यह मत कहो कि मैंने अपनी मानेता त्याग दी, कहो कि मान लो कि मैं पांच मिनट के लिए यह ना मानूं तो, यहीं तो शुरुआत कर लो, हो जाएगा।
40:14ठीक है? चलो.
40:16अजी मेरा नाम कबीर है, मैं आचार जी लगबग चार साल से जुड़ा हुआ हूँ, यूटीब के माद्यम से और इसके अलावा दो साल से लगातार से जुड़ा हूँ, आचार जी से जुड़ने के बाद मेरे जीवन में काफी सकरात्मक परिवर्तन आये हैं, जैसे चुना
40:46अपनी बेईमानी और अपनी गंदगी जो है, इसके बारे भी पता चला है, हम चाहा के भी कभी कबार हम चाहते हैं, चाहते तो है कि हमारे फुल पोटेंशल तक पहुँचे, अपने अनन्द संभावना को छुएं, लेकिन क्या होता है कि हमारे अंदर जो पशु है, वो हमे
41:16झाहते हैं, अपने अंदर जो है
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