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00:00लोग कहते हैं कि सर जो पेड हैं उनमें भी तो जान है तो हम जब कहते हैं शाकाहार करते हैं तो उनको भी तो दर्द होता होगा
00:06कोई अगर पेड़ को काट रहा है तो वो भी हिंसा होती है और हमें यह बात माननी पड़ेगी मैं सहमत हूं इस बात से हम इंकार नहीं कर रहे है लेकिन चेतना के इस्तर अलग-अलग होते है ना
00:16शेर किसी हिरन को मार के खा सकता है शेर कुछ गलत नहीं कर दिया लेकिन इंसान अगर हिरन को मार के खा रहा है तो इंसान ने बहुत गलत कर दिया क्योंकि इंसान सब जानवरों से अलग है इसलिए इंसान पर नियम बी अलग लगते है और अगर आप शेर का उधारन लेना चा
00:46पतनी नहीं है, इंसान सब जीवों में सबसे बढ़ा है, आगार में नहीं बढ़ा है, बोध में बढ़ा है, इसलिए सबसे आदा उसके उपर जिम्मेदारी है, ये सब पशुपक्षी, ये हमारे बच्चे हैं, हम इनके गारजियन है, अगर प्रत्थवी पूरा एक घर है, मस
01:16आपका एक वीडियो था, वो पिहाली में आया था, और उसको कई सारे साथियों ने देखा, और मैं उस वीडियो के कॉमेंट्स को पढ़ रहा था, तो मैंने वहाँ पे देखा कि कई सारे जिग्यासा ही थी, लोगों के सवाल थे, जो मुझे महां मिले, और उन्होंने मुझ
01:46आप थोड़ा बात करें, और लोगों को हमें, बहुत बढ़ी है, तो आप आज डेटा और लेके आया है, काफी, जी, ठीक, अच्छा, मैं देख रहा था, सबसे पहला जो एक तर्क, मुझे सबसे अधिक बात दिखता है, वो यह दिखता है, लोगो कहते हैं कि सर, जो पेड
02:16रियाक्ट करने की क्षमता तो होती है, और यही बात पिछली शताबदी में, वैज्यानिकों द्वारा सिद्ध भी करी गई थी, लेकिन पेइन फील करने के लिए, एक आपको सनायुतंत्र चाहिए, सेंट्रल नर्वस सिटम चाहिए, वो पेड़ पौधों के पास नही होता
02:46कर रहे हैं कि सब जीव, जिनमें पेड़ पौधे भी हैं, सब कौंशियस होते हैं, हाँ, एक पौधा भी निश्चित रूप से कौंशियस होता है, यह यह पौधा रखा हुआ है, और मैं इसको नुकसान नहीं पौचाना चाहूंगा, इसमें भी चेतना है, पर यह हम समझे
03:16तो भी एक तलकी हिंसा निश्चित रूप से हैं, कोई अगर पेड़ को काट रहा है, तो भी हिंसा होती है, और हमें यह बात माननी पड़ेगी, मैं सहमा तो इस बात से, हम इंकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन चेतना के इस्तर अलग-अलग होते हैं, ना, कौंशियसनेस के ले
03:46के बीच में पूरी एक लीनियर स्केल होती है, कौंटिनुएस, तो सब जितने भी प्राणी हैं, वो अलग-अलग लेविल की कौंशियसनेस के होते हैं, अलग-अलग स्तर की उनकी चेतना होती है, जिसकी चेतना जितने उचे स्तर की है,
04:10वो उतने ही ज्यादा मूल का समान का प्राणी हो जाता है, और उतनी ही उसकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है, जो जितनी उची चेतना का है, जो जितना देख सकता है, जान सकता है, समझ सकता है, उसी कीमत उतनी ही ज्यादा होती है, लेकिन साथी साथ उसकी जिम्मेदार
04:40उसको हम बोल देते हैं पेड और पेड कह रहा हूं रेत हो गई पत्थर हो गया है ना जितना भी ये
04:49material world है वो हो गया वो हो गया आपका fully unconscious fully conscious हम कह देते हैं कोई बहुत उंची चेतना का व्यक्ति होता है
05:00उसको हम कह देते हैं कि he is almost fully conscious उसको फिर हम liberated बोल देते हैं या enlightened बोल देते हैं जो भी हम
05:08मन में घाते हैं और उनके भीच में यह सब अलग अलग
05:11solutions की consciousness की होते हैं तो सबसे कम consciousness in pin laundry दॉल में होती है उसे ज्यादा जनश्रות उन से ज्यादा इन्सानूं होती है तो इसमें
05:14वें भूदों नम पादाई होती है। उनसे जादा जानवरु उनसे जादा इनसानुग्रूंग्रूं नहीं होती है।
05:23तो इसमें आप प्रिंसिप्ल है वहा है प्रिजर्वेशन ओफ कॉई सब्सकेशनर का
05:28कोई नहीं कह लोटेगा कि पथर था एक और पथर की आपने दौ हिस्से कर दिये, तो हिंशा गर दी
05:33क्योंकि पत्थर मे इसको� vaisन इसकोड एक हीस, नहीं नहीं हो गई
05:37तो पथर को तोड़ेने में कोई हिंसा भी नहीं हो गई
05:41लेकिन आप एक इनसान के दो टुकड़े कर दें, जैसे आपने पत्थर के दो टुकड़े कर रहे थे, तो हिंसा कहलाती है, क्योंकि आपने consciousness को काट दिया, आपने conscious being को नश्ट कर दिया, तो हिंसा कहलाती है, तो हिंसा की violence की परिभाशा ही यही है,
05:59consciousness को नीचे गिराना ही हिंसा है, कुछ ऐसा करना जिसमें आपकी चेतना नीचे गिरती हो, जैसे लालच में आपकी चेतना नीचे गिरती है, क्रोध में आपकी चेतना नीचे गिरती है, वासना में आपकी चेतना नीचे गिरती है, इरश्या में गिरती है, तो यह सब चीजे हि
06:29वो दूसरे को लालच दें, तो यह हिंसा है, क्योंकि इससे उसकी consciousness गिरी है नीचे, और अगर आप किसी दूसरे को मार दें, तो यह और बड़ी हिंसा है, क्योंकि अब उसकी consciousness शुन्य हो गई, वो खत्मी हो गया, लेकिन आप पथर को काट दें, तो वो हिंसा नहीं कहलाती है
06:59आपने एक जानवर को मार दिया, तो वो हिंसा है, पर बड़ी हिंसा है, तो लात्मकरूप से, रिलेटिवली, और आपने एक इंसान को मार दिया, तो बहुत बड़ी हिंसा है, और इंसानों में भी है, अगर आपने किसी बहुत अच्छे इंसान को मार दिया, जो जन्दगी
07:29जानवर को मारने की दूसरी सजा देता है और पेड़ पौधों को मारने की कम सजा देता है तो यह में सोचना पड़ेगा कि कानून भी ऐसा क्यों बनाए क्योंकि कानून भी प्रिंसिपल ऑफ कॉंशिसनेस पर चल रहा है कि हिंसा है कॉंशिसनेस को मारना और सजा मिलती है हिं
07:59गुठाख ए दोनों ही अपराद तो करते ही एक आदमी ने गुठा काके कहीं थूख दिया और लाल-लाल निशान पड़ गया दिवाल पर और एक आदमी ने उसी दिवार से सटाकर किसी का कतल कर दिया
08:24और खून का ले लेदे पड़े दीवार गया उन्न धोनों नोने एक इप अपराद ना रेकित नहीं किरत दिख़ा रा है
08:31किसी ने कोड़ का कर लोगी फूंग और भी है इक अपरादी कोई कतल कर रहे है वह भी अप्रादकिते लकिन इन दोन तुलना नहीं कर Ugosta
08:40एक छोटी चीज ए और एक अपेक्षताया बहुत बड़ी चीज तो इसी तरीके से जो यह जानवरों को आप मारते हैं,
08:48वो बड़ी हिंसा हैं, और आप इनसान को मार दे तो और बड़ी हिंसा हैं,
08:51इनकी तुलना में पॉधिए को अगर आपने मारा तो वो छोटी हनसा है अब उसमे भी आगया हो पॉधियो मारना
09:01की मजबूरी ए इनसा सिर्फ औहीं मानी जाती है जहां पर आपके पास विकल्प तप औॉप्शन था हिंसा ना करने का फिर भी आपने हिंसा करी ज़ा
09:11जह और आपके विकलफocalyptic नहों उसे इंसा नहीं कहते।
09:15अब जब से आपके अपोधे कुमार एंज्यू ना पात कर रहा है।
09:18तो मर्द तो छोटे जिव जन च кого देर बी जाते हैं जब आप शांस लेते हैं
09:22आप जब सांस लेते हैं, तो हवा में तमाम चोटे जीवाणों किटाणू हैं, वो आपके भीतर गए और वो यह जो आपका ट्रैक होता है, एर ट्रैक, ब्रीधिंग ट्रैक, उसमें वो फंस जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है, लेकिन इसे अप इंसा नहीं बोलेंगे, क्यो
09:52आप पीछे जिस गद्दे पर टिके हुए हो, उसमें भी छोटे छोटे जीवाणों रहे होंगे, आप उन पर टिके उनमें से कुछ की मौत हो गई, उसको हिंसा नहीं माना जाता है, या उसको आपको हिंसा मानना भी है, तो बहुत छोटे स्तर की हिंसा है, छोटे स्तर की हि
10:22यह नहीं कोई कोई तर्क और खुव यह नहींक तो बेकार की बात हो गे, कि गलती से
10:31मच्छर भी मरि जाते हैं ना तो फिर अगर हम को हम गल्टी से आप अब से हो गया
10:36वो कोई पाप नहीं होता है आप अपसो रहते है आपके अप्य उपर
10:39पर एक मच्छर आगर बैठ गया आपने करवट ले ली और मच्छर दब कर मर गया जी यह कहीं से हिंसा नहीं है इसमें आपने कुछ नहीं कर आया ऐसा जिसकी वजए से आपको दोशी ढराया जाए जी और यहां पर हम पेड़ पौधों को अनाप शनाप मारने की वकालत नहीं
11:09जब और ज्यादा चैतन नहीं हो जाएगी तो खेतों की जगे बाग हुआ करेंगे और चर्ट्स जी और हम अपना ज्यादा से ज्यादा आहार फलों से और सब्जियों से लेनी कोशिश करेंगे वी सब्जियां ऐसे जिसमें आपको पेड को या पौधे को मारना नहीं पड�
11:39को बोजन तो आपका मिली जाता है और तो आम तरह के फल होते हैं पर बहुत आगे की बात है बहुत दूर की बात है भी तो ऐसा सोचना भी बहुत यूटोपियन लगता है कि ऐसा कभी होगा क्या तो जैसे जैसे आपकी चेतना कस्थर बढ़ेगा वैसे वैसे पेड़ पौ�
12:09पर बड़ी हिंसा है हम पूरे तरीके से अहिंसक नहो सकते हो तो कम से कम अपनी हिंसा का स्टर तो कम करें इसना तो करना पड़ेगा ना इसके लाव यह समझी है कि जो जो वेजेटेरियन या वीगन डाइट होती है उसमें भी कोई जरूरी नहीं होता है कि पेड़ पौधे
12:39और पेड अपनी जगे खड़ा हुआ शान से, जो मर नहीं गया, आपने उससे आहार भी ले लिया और पेड भी बचा हुआ है, तो कोई हिंसा नहीं हुई उसमें, बल्कि जो पेड है वो चाहता है कि आप उसके फल का सेवन करें, क्योंकि जब आप उसका फल लेते हो, तो आ�
13:09पेड की सहायता कर दी है, इसी तरीके ते बहुत सारी फसले ऐसी होती है, जिनकी आयू या अवध ही ही पौधे की, एक वरश की ही होती है, एक सीजन की ही होती है, तो आप उसमें से अगर अन ग्रेन नहीं भी लेंगे, तो वो ऐसा नहीं है कि वो जो पौधा है, वो आगे �
13:39जान तरक करें यहालत नहीं कर रहा हूं, जो कि भी खे और मैं पौझे आख और मैं खतिम नहीं हंगे, यॉसन में छट नहीं हमदिकर में तो यह जान तरक की पीड़पोधों में जान तरक एग्दम बिना किसी कीमत का तरक है, तिलकुल अग्यान का तरक है, जिस व्यक्ति म
14:09कोई कहे कि भैस क्यों काट दी तो व्यक्ति बोले क्योंकि तुमने अम्रूद खाया था
14:14तुम अम्रूद खा रहे हो और मैं भैस खा रहा हूं यही तो बात है यह कहां का तरक है भई
14:20और अगर भैस और अम्रूद बराबर है तो आदमी और भैस एक पराबर है
14:24मैं बुद्धी की बात नहीं बात नहीं बुद्धी ने अच्छान आदम बृबर बुद्धी
14:40कि वहिए वह सब में जान है तो फिर आप यह काऊगे कि आगर कोई अम्रूद खाता है तो हम भैंस कार देंगे तो एक अगला विक्तिया कि भी कह सकता है कि तो मैं इंसान काड़ दूंगा
14:49जैसे आपने बी कृषी की बात करी तो मैं देखता हूं कि एक तर्क यहां पर भी आता है कि एक तो बात हुई कि किसने किसी पेड़ को काटा एक चीज यह भी हुई कि जब फसलें उगाई जाती है तो उन फसलों की पैदावार को बढ़ाने के लिए उसमें बहुत तर्के की�
15:19है तो लोग कहते हैं कि देखो अगर मैं मासाहार करता हूं तो मैं तो सिर्फ एक जानवर को मार रहा हूं पर तुम जब फसलें उगाते हो तुम ना जाने कितने सारे जानवरों को मारते हो अपनी फसलों को बनाने के लिए मैं इस तर्क से बिलकुल सहमत हूं और यह बिलक�
15:49अपने आप में वाइलेंस है क्योंकि आप आवाद ही बढ़ा होगे तो खेती तो करने ही पड़ेगी ना जी और खेती करने में ही आप पहली बाद जंगल काटते हो तो जंगल में जो जीव थे उनको आपने भरबाद कर दिया और फिर आप साल दर साल कीट नाशो का भी प्रय
16:19जो जाकाहारी है वो मिट्टी से अ अन उगाता है और खाता है तैक मैं होचाहारी हूं मैंने ब이식 से
16:29एक किलो अन उगाया और खा लिया और उस एक किलो अन को उगाने में मान लो मैंने
16:35दस जीव मार दिये मिटी के बिलकुल ऐसा होगा के चुहे मार दिये चुहे मार दिये साप मार दिये
16:42कुछ ऐसे बेचारे पक्षी भी मार दिये
16:45जो आए और बैठे और पेस्रिसाइड घा के मर गए
16:47वो भी होता है
16:48मैंने इस सब कर दिया
16:51मैं शाकहारी आदमी हूँ
16:52मैंने अपने लिए एक किलो अन उगाया
16:54और उस एक किलो अन को उगाने में
16:55मैंने दस जीव मार दिये
16:57जी
16:57आप मासाहारी आदमी हो
16:59आपको अब चाहिए अपने लिए एक किलो मास
17:03भूलना नहीं मैंने कितने जीव मार रहे थे
17:06दस
17:07और आप मासाहारी हो आपको चाहिए एक किलो मास
17:10वो एक किलो मास
17:13कितने किलो अन से बनेगा
17:15शाहिद कुछ 15 बीस किलो अनन से बना क्योंकि आप जो बगरे का एक किलो मास खाओगे उसके लिए पहले आप बगरे को बीस किलो अनन खिलाओगे यह यह यह यह नियम है यह कोई तुक्का नहीं लगा रहा हूं जी यह अनिमल अगरिकल्चर का नियम होता है सीधे सिर्जी अ
17:45अनन मैंने खाया था मैशा कहारी हूं तो एक किलो अनन में एक दस जीव मरे थे और आपने एक किलो मास खाया एक किलो मास के लिए बीस किलो अनन चाहिए तो आपने कितने जीव मार दिया दोसो आपने दोसो जीव मार दिया और एक वो जिसको मारा है और वो जो बगरा मारा
18:15अन खाया खेट से और अन उगाने में भी आपने हिंसा करी भाई अन उगाने में निशित रूप से हिंसा है और मैं तो क्या ही रहा हूं कि इतने सारे लोग जब बढ़ जाओगे अबादी बढ़ा लोगे तो उस आबादी का पेट पालने के लिए बड़ी हिंसा करनी पड़त
18:45चड़ा पहले तो अबादी बढ़ा ली और वो जो लोग हैं अबादी के वो कह रहे हैं मास्क खिलाओ मैं मास्क को बनाने में 20 गुना ज्यादा अन चाहिए होता है क्योंकि इस पूरी जो अभी हमने बात करी उसके केंद्र में सिधान ती है कि एक किलो मास्क के लिए न जा
19:15एनर्जी चाहिए होती है लैंड चाहिए होता है जी केमिकल्स चाहिए होते है जो मास है उसको पैदा करना आपने आप में बड़ा महंगा साओदा होता है सिर्फ ऐसा ही नहीं लगता उसमें नेचर के सारे रिसूर्स लग जाते हैं लेकिन जो मासाहारी लोग होते हैं वो क
19:45का पेतु के टरक करते हैं कि हाइब झावल क्othing और चावल उगाने में भी केचुउः मरे थे ना।
19:53चावल उगाने में तो केंचुवा मरा था लेकिन आप जो भखरा खा रहे हो उसको पैदा करने में तो एक किलो की जगह बीस किलो अन लगा और उसके पीछे ना जाने कितने जीव मरे ये लोग इन सीधी बातों को इस सीधे गणित को समझते ही नहीं
20:09कि इस के आगे मैं देखता हूं कि एक बड़ा सदहराण सी बात लगती है कि सर हम ऐसे खाते हमारे शरीड तो पचा लेता है तो फिर दिक्कछी है दिक्कत यह कि आप जानवर नहीं हो आप हर वो चीज थोड़ी खालोंगे जो आपकर शरीड पचा लेता है आपका शरीर तो च
20:39रहे हो तो मेरे शरीर ने मटन नब पचा लीए तो मटन खाना कैसे को
20:55क्या वो गलत नहीं है, एक जानवर के लिए ठीक है कि वो कुछ भी ऐसा खाले जो वो पचा लेता है, जानवर को कोई सजानी मिलती, कुछ भी खाने की, जानवर के लिए शर्त या नियम बस एक है, कि भाई अगर तू पचा सकता है, तो तू स्वतंत्र खाले, एक नियम है, प
21:25जानवर सिर्फ एक शरीर है, हम शरीर से आगे बढ़के चेतना है, तो जानवर जो काम कर सकता है, और उसे कोई पुरा नहीं बोलेगा वो काम करने में, वो काम इंसान नहीं कर सकता, इंसान के उपर ज्यादा बड़ी शर्ते हैं, जानवर तो सड़क पर लेटा है, आप गा
21:55आप अपनी गाड़ी बगल से निकाले तो तो गधा है सड़क पर बैठ गया लेकिन कोई इनसान अगर सड़क पर बैठ जाए और यही तर्क करें कि गधे भी तो सड़क में बैठे रहते हैं तो मैं क्यों नी बैठ सकता तो फिर गधे से भी ज्यादा बड़ा गधा है तो यह
22:25में तो मास फड़ा जाता हम भी और हमारी आते हैं वो मास बचा लेते हैं तो का ही निहीं खाएंगे यह गधों के र KP60 किस तरीके से हम नहीं कर नहीं कर
22:34गधा माने चेतनाहीन पशू मैं उसके प्रतीक के तौर पर गधा कह रहा हूं आप ये समझ ही नहीं रहे कि कुछ काम आप नहीं कर सकते क्योंकि आप चेतन्य मनुष्य हो और आपके पास बोध की क्षमता है और जिम्मेदारी है
22:49जी सुझ मैं आरी ये बात जानुवर वो सब कुछ खा सकता है जो पचा लेगा आप वो सब कुछ नहीं खा सकते जो आप पचा होगे आपको ये देख के खाना होगा कि आप जो खा रहे हो उसमें दूसरे पर असर क्या पढ़ रहा है जी आप एक बहुत बीमार आदमी हो आप
23:19बीमार थे और आप खाना लेके बैठे थे आप गरीब भी थे आप बीमार हो आप गरीब हो आप खाना लेके बैठे बंदर आप खाना लेके चला गया आप यह नहीं बोलोगे बंदर तूने अपराद किया है तुझे पाप लगेगा आप ऐसा नहीं बोलोगे लेकिन कोई �
23:49और अगर कोई इनसान जानवरों के नियम इनसानों पर भी लगाएगा, तो उस इनसान को सजा ये मिलेगी कि वो जानवर बन जाएगा, समझ में आ रही है बात, बंदर ने चोरी करके खा लिया, बंदर को कोई सजा नहीं है, शेर ने हिरन मार करके खा लिया, शेर को भी कोई स
24:19और शेर का ही उधारन लेना चाहते हो भाई, तो फिर मैं कहता हूँ कि तुम गधे बंदर और शेर जैसा ही जीवन भी क्यों नहीं वितीत करते, वो तो पूरी तरह प्राकरतिक जीवन जीते हैं, आपने यहीट पत्थर का घर क्यों बनाया है, आप मुबाइल क्यों इस्तेमा
24:49ता कि आप ये सब करते हो चेर के पाश भाषा है उस्जर के पास विचार भी नहीं है और बंदर के पास
24:57धर्म नहीं है और कधे के ऊपर गडे कोई कर्टव नहीं तो अगर आप इन जानवरों की दलीलें
25:04� devenir चाहते हो और लोग आते हैं कहते हैं अरे देखो बबर शेळें को देखो वह तो मुमार के खाता है स क्वार घे तो तो बबत गाष SS?
25:24ने उनके बड़ा मसा है मैं और चड़ी वह नहीं पहनता है तुम कहें ये पूरा चड़ी और जो भी पहनते हो पूरा उपर से
25:32नीचे तक काई पेः नौब दाथेया। लिए
25:36और भबर शेर की तरन देका ऐऋ ना। प्रक्रतेक फ़र पर तो उसी बेदो Juok
25:45जैसे जो मन में रहता है मैं भी चरूँटा है।
25:50यह बेकार के तर्फ है। इंशन गाफिurar के लिए
25:58बोध में बड़ा है इसलिए सबसे आदा उसके उपर जिम्मेदारी है ये सब पशुपक्षी ये हमारे बच्चे हैं हम इनके गारजियन हैं हम इनके गारजियन हैं इस पूरी प्रत्थवी के ट्रस्ती हैं हम ट्रस्ती समझते जिसको जिम्मेदारी दी गई है जिस पर विश्
26:28तो मनुष्य उस घर का बड़ा है, जो घर में सबसे वरिष्ठ होता है, तो पूरी प्रत्वी अगर एक कुटुम्ब है, तो मनुष्य उस कुटुम्ब का सबसे बड़ा है, घर का बड़ा होता है, वो घर के छोटों को मार के खाएगा क्या, या घर के छोटों की रक्षा करने
26:58निए सब चोटे जीव हैं चाहिए बड़ जीव, हांथ ही हो, पोई बड़ जी ओ,Les जीव हो इसब हमसे छोटे हैं किसमे छोटे हैं ट्नमे are they um
27:03अर्मारी जिम्मेदारी अलगे किमेदारी है ना अपने ऩान को चाहिए जो ना अ educated
27:08हमारे बच्चे हैं यह छोटे बच्चे हैं हमारे हमारी इनकी देखभाल करनी हैं हम मेने मारकनी खाना है और हमारी
27:15ईनकी खाना की जिम्मेदारीय बढ़ है थि जी अपने सुनाया लेकिन जो बड़ा है
27:35वो उपध्रव नहीं कर सकता बड़े का काम है छौटे पध्रव को छमा कर देना стрश नो तो मनुष्य के उपर नीयम लगता है मार जानवर जो करें सो करें हमारा काम है कि अमे अपनी घर्मा में जी है अपने बहुति
27:49हम किसी छोटे का अगर शोषण करें तो यह कितनी गंदी और कितनी जलील बात है ना आप एक जानवर को इसलिए तो मार के खा लेते हैं तो कि छोटा है आप से वह ताकत में चेतना में आप से छोटा है आप बुद्धी लगा कि उसको पकड़ लेते हो आप अपने बल का प्र
28:19अपनी ताकत का इस्तेमाल मार 네 के लिए क Хाइए करें हैं वह रघ़लै और अशुवड पह Pablo कि हृत नहीं होता है कि अभर बंदर चुराइअ कर खौ लेता है तो इसे
28:41लिए ख़क्रम कर रहा है आगा है किसी रिलिजिन किसी समुधाय कि सेक्ट पंथ
29:07सभब की बात नहीं कर रहा हूं मैं धर्म मातर की बात कर रहा हूं रिलिजियोसिटी इटसेल्फ जी वेरी एसेंस ऑफ रिलिजियसनेस
29:16मैं विशुध अध्यात्म की बात कर रहा हूं जब मैं सही गलत कह रहा हूं तो मैं किसी समाजिक नियम काइदे कानून से नहीं कह रहाँ हूं
29:25मैं कह रहा हूं कि यह आपका दिल है, आप इंसान पैदा हो और आपके पास चेतना है, उसके नाते आपका एक कर्तवे बनता है, हिंदु होने के नाते भी नहीं, मुस्लिम होने के नाते भी नहीं, इंसान होने के नाते, इंसान होने के नाते, इंसान होने के नाते, इंसान होन
29:55ग्रंत हैं कि जैसे बगवान ने बकरे के लिए घास बनाई वैसे ही इनसान के लिए बकरे को बनाया इस अर्थ में
30:23कि इनसान उस बकरे की रक्षा करें, ऐसे नहीं कि इनसान उस बकरे का भक्षन करें, रक्षन करना है उसका, भक्षन नहीं करना है, तो ये भी कहना कि इनसान ने वह बकरा मेरे लिए बनाया है, तुमारे मेरे खाने के लिए बनाया है, तुम सिर्फ एक बहुत बड़ा पेट ह
30:53पर ये बोलो भी इन्सान ने, लिखन ने ऊपर ऐने लिए बनाया है इन्सान के लिए ग़ाइज लिए अब्हारे सामने कुछ भी रख जाएगा मैं तुम्हारे दे inיים बनाया है।
31:06पूरी प्रक्रति निष्यत रूप से मनुष्य के लिए है
31:35किस अर्थ में, चबाने के अर्थ में नहीं, किस अर्थ में पूरी प्रक्रति बकरा हो, पेड़ हो, नदी हो, पहाड हो, पूरी प्रक्रति मनुष्य के लिए है, पर किस अर्थ में है, भोग के अर्थ में नहीं, कंजम्शन के अर्थ में नहीं है, इस अर्थ में है कि मनुष्
32:05समझूं, इसका अवलोकन करूं, इसको अब्जर्व करूं, और इसके observation और
32:12understanding के माध्यम से मुझे liberation मिले, इस अर्थ में पूरी
32:17प्रक्रति इस पुरुष के लिए है, पुरुष माने consciousness, चेतना, जो पूरी
32:22प्रक्रति है, इस पुरुष के लिए है, ताकि इस प्रक्रति के माध्यम से पुरुष को मुक्तिनल सके, प्रक्रति माध्यम बनती है इस पुरुष की मुक्तिका, पुरुष माने मेल नहीं, पुरुष बने consciousness, तो प्रक्रति माध्यम बनती है चेतना की मुक्तिका, इस अर्थ
32:52इस तरीके की सोच है कि अगर कुछ मेरे लिए तो मैं उसे खा जाओंगा पागलपनी की बात है.
32:58तो इसे तो मैं आपको लाग किरूं बेटा यह लो this
33:03कि यह मैं आपके लिए नया दोस्त लाया हूं तेक्बश्ष्क मेरे लीए छबा जाऊंगा
33:11क्फ़र है सब कुछ आपके लिए बढ़ी च्वाने के लिए नहीं है आपके जाइने का काम जानवरों का
33:18इंसान भी चबाता है लेकिन इंसान के लिए चबाना बहुत छोटी चीज है इंसान के लिए ज्यादा बड़ी चीज क्या है सोच बोध करुणा कंपेशन वह इंसान के लिए बड़ी चीज है पेट बाद में आता है कोई इंसान हाइयर कोई कोई भी जानवर कोई भी जानवर
33:48क्योंकि जानवर के लिए उसका पेट ही सब कुछ होता है, उसको जहां पेट भर रहा होगा उधर चला जाता है, इंसान ऐसा होता है जो इतने दिन भूखा रहेगा, लेकिन उचे आधर्श के लिए ड्रण रहेगा, डटा रहेगा, और ऐसे उधारण हमें हर धर्म में मिलते ह
34:18हम बकरीद के संदर्व में बात कर रहे हैं, तो मुझे इसलाम से कर्बला की आद आती है, कि भूखे रहकर लड़ा जा रहा है, क्यों? क्योंकि पेट छोटी चीज है, पेट से बहुत ऊपर कुछ और होता है, और उसकी खातेर हम पेट को धर्किनार कर सकते हैं, यही वो सि�
34:48से बड़ी है, मैं देखता हूं, लोग इसमें दूसरा तर्क लगाते हैं, लोग बात करते हैं, फूट चेन की, कि देखो जंगल का नियम तो यही है, कि छोटे जानवर को बड़ा जानवर खाता है, जंगल का नियम इनसान पर नहीं लागू होता, भाई, आप जंगल से कब
35:18जंगल में रिलीजन नहीं चलता, तो तुम रिलीजन का नाम क्यों ले रहे हो फिर, अगर तुम्हें जंगल की ही दुहाई और दलील देनी है, तो रिलीजन को फिर एक तरफ रखो ना, जंगल में किसके पास रिलीजन होता है, शेर के पास, बंदर के पास किसके पास होता ह
35:48तो जंगल के नियमों की दुहाई मत दिया करो, फूड चेन और ये सब, ये बात कीडे मकोडों पर लागू होती है, इंसान पर नहीं लागू होती, इंसान को देखना होगा, कि वो किस तरीके से ज्यादा से ज्यादा जीवोगी रक्षा कर सके, वी आर दा गार्जियन्स, हम �
36:18कि मैं सबसे ज्यादा बुद्धिवाला और होशियार हूँ तो इसलिए मैं सब को पकड़ के खा जाओंगा, सब का एक्स्पोइटेशन करूंगा, इसलिए कितना गंदा तरीका है प्रथवी को देखने का, आप बाप हो सबके, आपके सब बच्चे हैं चोटे चोटे चोट
36:48लोग अपने सपनों को पूरे करने की बहुत बात करते हैं पर इस तरह से कभी पुरुशारत को नहीं दिखा जाता कि आप गार्जेंशिप में हो, पुरुशारत का मतलब ही यह होता है, कि आप एक वाइडर रिस्पॉन्सिबिलिटी सुईकार करो, अपने लिए तो हर कीट
37:18जो अपने से आगे का भी कोई दायत तो स्विकार कर पाए, उसको इंसान बोलते हैं, तो सिर्फ अपने लिए जी रहा है, उसको खाय का इंसान
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