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00:00अचारे जी मेरा रेगलर वर की नहीं खताब हो पाता है मैं ना स्पोर्ट्स जा पाती हूं ना जेम यहां तक की शॉपिंग के लिए भी मेरे पस टाइम नहीं होता है
00:09पूड़ी तली है कभी समझ गए जो चीज एक मिनट में बाहर आजानी चाहिए थी अगर वो पंद्रा मिनट में बाहर आई है तो क्या होगा अरे पूड़ी जल कोईला भाई
00:18कोईला जल भाया राक उड़ी तलना बंद कर उठ यहां से भाद दफ्तरों में उसको बहुत सम्मान मिल जाता है जिसको पाओ आपके अरे सब चले गए अभी भी ये केविन में बत्ती कैसे जल रही है और आप जाके देखते हो तुहां कोई एक बैठा हुआ है ये महनत कश
00:48जानता है इस आदमी के पास जीवन में एक सार्थक व्यस्पता है गया वो ये बोलता है कि अभी काम बहुत है
00:57अचारी जी मेरा रेगुलर वर्क ही नहीं खतम हो पाता है मैं अपना काम समय से पूरा नहीं कर पाती हूँ आप कहते हैं गीता सत्र सुनो तो फिर वो भी नहीं सुन पाती हूँ
01:14रेगुलर काम ही मतलब चलता रहता है मैं नए स्पोर्ट जा पाती हूँ ना जिम यहां तक की शॉपिंग के लिए भी मिर पास टाइम नहीं होता है
01:28महाभारत को प्रमान मानना कोई अनुचित नहीं होगा क्योंकि गीता तो महाभारत का ही हिस्सा है अगर हम गीता की बात कर रहें तो थोड़ा महाभारत की भी करी जा सकती है
01:42आप कल्पना कर सकते हो
01:47जब अर्जुन की बात करते हैं
01:49तो अर्जुन को बोलते हैं कि महा बाहो
01:52कृष्ण अर्जुन को संबोधित कैसे करते हैं
01:55महा बाहो माने क्या
01:57अरे बावा
01:59क्या आप बाइसेप्स रहे होंगे
02:00महा बाहो
02:07यही अर्जुन क्या बने हुए थे अभी दो ही चार साल पहले
02:13क्या ब्रिहनला यह क्या करते थे क्या बनकर
02:26ष्त्री बनकर किन्र बनकर और आहम तौर पर आप नर्तक के बाहो कैसे सोचते हो होंगे
02:41वो भी एगर ष्त्री हो क्योंकि वो तो ष्त्री रूप रखे थे क्यसे होंगी
02:45और ये महाबाहो एक नर्तक है और पुरुष नर्तक नहीं
02:52स्त्री नर्तक है ये होती है पूर्णता की अभिव्यक्ति
02:57कि जो सरुषalinष्ध धनुर्धर है वो वहाँ पर एक उतकृष्ट नर्तक भी बना हुआ था
03:06और नाच भी रहा है, सिखा भी रहा है, और ये नहीं कि बस ऐसे उपर-उपर स्वांग कर दिया, ऐसा नाच सिखाना है कि कोई पकड़ भी न पाए, कोई नहीं पकड़ पाया था, ग्यातवास था भाई, किसी को पता ही नी चला ही कौन है, ये जो भीम है, जो छाती फाड़ क
03:36राजमहल को खिला रहे हैं, और ये होती आंतरिक पूर्णता, अभीम बोलें कि अभी काम बहुत है, गदा भाजनी है, कुक थोड़े ही हैं हम, सब कुछ है,
03:51सरफशेष्ट धनुर्धर जरूर अपनी युद्ध्याभ्यास में इतनी गहराई से डूपते रहेंगे, कि अभ्यास अल्पकाल में ही पूरा भी हो जाता रहोगा,
04:17नहीं तो नाचना कैसे सीखा होता है,
04:21और सरफशेष्ट आप तभी हो सकते हो, जब आपके अभ्यास में गहराई हो, अभ्यास में गहराई होगी, तो फिर आपको 24 घंटे नहीं अभ्यास करना पड़ेगा,
04:30तो फिर उस वो भी आप जो भी कर रहे हो एक समय में पूरा हो जाएगा ना आप काम पूरा हो गए आप दूसरा काम देखते हैं
04:40मेरे जीवन का वरिक्ष हर दिशा में फूल देगा भाई क्योंकि जड़े मजबूत हैं उन मजबूत जड़ों को आत्मा बोलते हैं
04:51जड़े मजबूत हैं मेरी जिन्दगी में हर दिशा में फूल लगेंगे पूली मैथ
05:10तो अब यह अंतर देखो जो आंतरिक रिक्तता से काम करता है वो बाहर का कोई जूठा काम पकड़ता है और उस जूठे काम को किसी तरह रोध होकर भी पूरा नहीं कर पाता
05:21यह अंतरिक रिक्तता का प्रमाण है कि यह व्यक्ति एक आयामी जीवन जीरा होगा और वो जो एक आयामी जीवन जीरा होगा उसमें भी इसने जो काम पकड़ा होगा वो कभी पूरा ही नहीं होता होगा
05:31होगा कि हमेशा खुद भी परेशान रहता होगा और दूसरों से भी गाली खाता होगा कि तेरा काम क्यों नहीं पूरा होता कभी और जब आंतरिक पूर्णता से उसको आनंद बोल लो आत्मा बोल लो इमांदारी बोल लो जैसे भी कहना है जब वहां से काम निकलता है तो एक �
06:01आप फिर एक जिन्दगी में कई जिन्दगियां जीते हो बहु आयामी आपका विक्तित्व होता है एक आपका जीवन हो सकता है धनुधर का एक आपका जीवन होगा गायक का एक आपकी जिन्दगी प्रीमी की चल रही है एक आपकी जिन्दगी कोई और चल रही है और इतनी सा
06:31पूलों में आपस में कोई असंगति नहीं है ये बेमेल नहीं है आपस में लड़ रहे एक ही व्रिक्ष पे अलग-अलग तरह के फूल खिल रहे हैं
06:46आप जब मजबूत होते हो भीतरते हैं कोई मजबूत आदमी देखा है कभी
06:50कि बहुत मजबूत है, बहुत मजबूत है, बस एक कंधा मजबूत है, और जिस तरफ का कंधा मजबूत है, उधारी तरफ का बाजू देखो तो बाजू ऐसा है कि जैसे लकवा मारे हो, ऐसा होता कभी, जब मजबूती आती है तो पूरे बदन में आती है, कुछ थोड़ा बह
07:20ऐसा तो नहीं होगा कि बाह बहुत मजबूत हैं और टांग ऐसी है कि चला नहीं जाता कहीं कोई होता होगा ऐसा आपको वरना ऐसा नहीं मिलेगा मजबूत आदमी आपको पूरा ही मजबूत मिलेगा
07:36वो मजबूती सिर्फ भीतरी जगह से आ सकती है और जब वो होती है तो भीतर की दशा को आनंद कहते हैं फिर आनंद
07:49भीतर जब सब कुछ ठीक होता है तो बाहर बहुत बहुत काम होता है वास्तविक काम होता है हर दिशा में काम होता है और बहु आयामी काम होता है
08:06और भीतर जब खोट होती है और बहिमानी होती है तो बाहर का काम सिर्फ भीतरी खोट को छुपाने के लिए होता है
08:20वो फिर भीतर की एक खुली अभिव्यक्ती नहीं होता है वो फिर भीतरी गड़बण को छुपाने के लिए होता है भीतर की बात पर परदा डालने के लिए बाहर लगातार पिर काम चलता है
08:36एक काम है जो इसलिए होता है कि भीतर जो है उसको हम प्रदर्शित करना चाहते हैं मैं जड़े पुष्पों के माध्यम से अपनी घोष्णा करना चाहती है पूरे संसार को
08:56क्योंकि जड़ तो कभी दिखाई दे नहीं सकती आत्मा की तरह होती है तो वो अपनी उधोष्णा करती है मैं हूँ कैसे इन खुबसूरत फूलों को देखो मैं नहोती तो इन पुष्पों में ये सौंदर कहां से आता इन पत्तियों में ये कोमलता कहां से आती ये जड़ बो
09:26करते हो तुमें कोमलता का सरोत ये जड़े घोशित कर रही है अब वो स्वयम बाहर नहीं आ सकती तो इन सब के माद Gef시, अनि के माद
09:39पत्ति के माद्धियम से और पुश्प के माद्धियम से वो अपने आपको प्रुदर्शित व्यक्थ कर रही है ये ये असली जीवन है इसमें निरंतर कर्म है की नहीं कोई एक शण होता है
09:58जब जड़े काम करना छोड़ दे
09:59निरंतर कर्म है
10:02पर वो कर्म इसलिए नहीं है कि जड़े
10:04लज्जित हो करके
10:06अपना मूँ छुपाना चाहती है
10:07वो कर्म इसलिए है कि जड़े
10:09अपने आपको अभिव्यक्त कर रही है
10:12पूरे गौरव के साथ
10:15जड़े व्रिक्ष बनके खड़ी हो रही है देखो इतना भाड़ी व्रिक्ष वो क्या है वो जड़े है जो कह रही है ये देखो ये है हम ये हम है ये एक होता है तरीका जीने का यहाँ घोर कर्म है निरंतर कर्म है और वो कर्म आपके आनंद की आपकी सच्चाई की अभिवेक
10:45उस जिन्दगी में होता है कि काम बाहर चलता है, वो काम अजहेल होता है, वो काम जैसे खचर का बोजो ऐसा होता है, और वो काम कभी पूरा भी नहीं होता है, वो काम हमेशा अधूरा रहता है, एक दिशा का होता है, और उस काम से कुछ हासिल भी नहीं होता है, वो काम सिर्फ
11:15हमने एक बहुत बहुत गलत मूले पकड़ लिया है और वो गलत मूले यह है कि जिसको बहुत काम करता देखो उसको इज़त दे दो
11:25यह अच्छा मूले नहीं है दफ्तरों में उसको बहुत सम्मान मिल जाता है जिसको पाओ आपके अरे सब चले गए अभी यह केबिन में बत्ती कैसे जल रही है और आप जाके देखते हो तुम्हां कोई एक बैठा हुआ है
11:41यह मेहनत कशनी यह चोर है अब रात में कोई नहीं है यह अकेला बैठा है तो इसको चोर का है न माने
11:56जो असली आदमी होगा उसका काम तो समय से पहले पूरा हो जाएगा उसी ने असली काम कर भी रखा होगा यह जिनका काम कभी नहीं पूरा होता यह चोर है
12:04ये काम से भी चोरी कर रहे हैं क्योंकि ये काम को जानबूच के कभी पूरा होने देंगे ही नहीं
12:11और ये खुद से भी चोरी कर रहे हैं क्योंकि दिन भर काम में लगे रहने के कारण
12:16न इनका कोई आत्म ग्यान होगा न कोई आत्म विकास होगा
12:20जब तुम दिन भर बैठ करके सिर्फ कुरसी गरम कर रहे हो, तो तुम्हारा अपना अन्य दिशाओं में विकास कैसे होगा बताओ, तो कर्म का मतलब क्या होता है, कि कर्म का मतलब होता है, बस कुरसी पर जो काम कियाता है, वही कर्म होता है, आप सडक पर दोड़ने निकल ग�
12:50इस पिछली शताबदी दोनों का जो सबसे अच्छा कलात्मक माध्यम रहा है वो है मूवीज ठीक उसमें बहुत कुछ हा जाता है बहुत आयमी होती है और दुनिया में कुछ नहीं तो सब भाशाओं की मिला दो तो कम से कम दो-चार सो मूवीज तो ऐसी होंगी जो हर शिक्ष
13:20आप में कुछ कमी छूट जाएगी अगर आप वो मूवी देख रहे हो तो वो कर्म नहीं है क्या या कर्म सिर्फ तब है जब आप बैठकर कीबोर्ड पर काम कर रहे हो कर्म सिर्फ तब है जब गिना जा रहा है कि ऑफिस में कितने घंटे लगाए बोलो आप वो मूवीज क्
13:50जब कोई काम 4 गंटे का हो और 14 गंटे में किया जाए तो उससे यह काम और बहतर नहीं हो जाता बहुत खराब हो जाता है यह बात गौर से सुनेंगे तो ही समझ में आईगी जो काम 4 गंटे का होता है जब 14 गंटे में किया जाता है तो इससे यह नहीं होता कि वो और बहतर हो �
14:20एक मिनिट में बाहर आजानी चाहिए थी,
14:25अगर वो पंद्रा मिनिट में बाहर आई है,
14:26तो क्या होगा?
14:29जो कॉल एक मिनिट की होनी चाहिए थी,
14:30वो पंद्रा मिनिट गई है,
14:32तो क्या होगा?
14:36कि महनती बहुत हूँ है.
14:38जो editing आधे घंटे में होनी चाहिए थी
14:44पूरे दिन में पांच मिनिट की हुई है
14:47तो क्या होगा वही जो आज सुबह हुआ है
14:49यह हमने बहुत गलत मूले बना रखा है
14:57कि जो आदमी ज्यादा घंटे कुरसी गरम करता है
14:59वो बहतर आदमी है
15:01इस्जत उनको दो
15:04जो चार घंटे का अगर काम था
15:10तो पौने चार घंटे में कर दें और बोलें
15:12सब ने पड़ गया बताईए
15:13यह आदमी काम जानता है
15:16इस आदमी के पास जीवन में एक सार्थक व्यस्तता है
15:21सार्थक व्यस्तता
15:24यह आदमी कह रहा है
15:25चार बजे के बाद
15:27मेरा अपने आप से
15:32वादा है कि मैं रोज कम से कम
15:3425 पनने पढ़ता हूँ मुझे मेरी किताब
15:35पूरी करनी है
15:36मुझे खेलने जाना है
15:38मुझे घूमने जाना है
15:41हर तरफ फूल लगाने हैं न
15:46कितना अजीब सा पौधा होगा
15:49सोचो
15:49ये इतना लंब पौधा हो
15:52उसमें एक तरफ एक डाला उस पर फूली फूल लदे हुए है
15:55और बाकी मामला जाड़
16:00कैसा अजीब लगेगा
16:03क्या हुआ क्या कर अभी पूरी तल रहे है
16:15अरे पूरी जल कोईला भाई
16:18कोईला जल भया राक
16:23उड़ी तलना बंद कर
16:29उठ यहां से भाग
16:31अब बाहर लगे हुए हैं लगे हुए हैं
16:38इससे कुछ हासिल नहीं होना है
16:43हमारी सब समस्या हैं मूलतह आंतरिक होती हैं
16:48जब तक आप आंतरिक समस्या को अभिस्विकरती नहीं देंगे
16:53उसे अकनॉलेज नहीं करेंगे
16:55तब तक बाहर आप कितना हाथ पाउं चला लो उससे बहुत फरक पड़ेगा नहीं
17:00और हम ढीठ इतने होते हैं कि भीतरी जूठ को बचाने के लिए कितना भी बाहरी श्रम कर सकते हैं
17:08हम महनत करते करते दम तोड़ सकते हैं
17:10इतना तो महनती होता है आदमी
17:12वो मेहनत नहीं है
17:16वो धिठाई है
17:18गधे जैसी धिठाई
17:19गधा बहुत धीट होता है
17:22मैंने ट्राफिक जैम लगा देखा है
17:26सड़क के बीच में खड़ा हो गया था
17:27हटने को तयार नहीं है
17:29और हिल भी नहीं रहा है
17:31मूर्ती जैसे गधे की खड़ी कर दियो
17:33सड़के बीचों बीच
17:33हॉर्न मार लो कुछ कर लो
17:36अंत में पिटा तो हटा
17:39यह जो आम आदमी को इतनी मेहनत करते देखते हो
17:53जंदगी अबर तुम्हें क्या लगता है
17:55सच मुच इस मेहनत की जरूरत है
17:56यह कोई अरजुन वाला शरम है
18:01कि कुरुक्षेतर में लड़ाई हो रही है धर्मिद्ध लड़ा
18:03इसलिए पसीना बहा रहे है और खून बहा रहे है
18:05यह आम आदमी वहनत करता है
18:08यह क्या है
18:09यह बस यह है
18:13कि असली लड़ाई नहीं लड़ूँगा
18:15नकली लड़ाई में बताओ कितनी मेहनत करनी है
18:17सारी मेहनत कर दूँगा
18:18वो सारी मेहनत एक तरह से
18:20अस्तित्त को घूस देने जैसा है
18:22देखो मेरी भीतरी चोरी का परदाफाश मत करना
18:28मैं रोज तुमको घूस दूँगा
18:30मेहनत करकर के
18:31बस जो भीतरी स्थित है वो अनावरत नहीं होनी चाहिए
18:39लगे हुए बाहर मेहनत करने में करने में करने में करने में
18:45क्या बोल रहे हैं कि करतवे निभा रहे हैं जिम्मेदारिया निभा रहे हैं
18:51अब अंदरूनी बात यह है कि तुम्हारे सब करतवे फटे हुए
18:55पर तुम्हारा अहंकार आश्रित है उन कर्तव्यों पर तुम अपने आपको कर्तव्य निष्ट कहलाना चाहते हो
19:13अहंकार अपने आपको कहना चाहता है मैं कर्तव्य निष्ट अहंकार हूँ
19:16उसे जीने के लिए किसी ने किसी से जुड़ना पड़ता है न तो किस से जुड़ गया है भीतर
19:23करतव्यों से जुड़ गया है मैं करतव विशील हूँ
19:26अब भीतर अगर अपने आपको करतव्य निश्ट खोशित करोगे
19:32तो बाहर तो फिर दिन भर अपने फालतू के करतव्यों के लिए मेहनत करोगे हाड़ तोड़ आप कर रहे हैं मेहनत कर रहे हैं मेहनत
19:40इन दिनों आप सड़क पर निकल कर दिखा दीजिए
19:46खास कर शाम को 6 से 10 बज़े तक
19:51यहां यह शहर तो फिर भी थोड़ा सा ठीक है आप नोड़ा की तरफ जाकर दिखा दीजिए क्या मेहनत चल रही है
20:00यहां से वहां पहुँचने में 4 किलो मेटर की दूरी आपको एक घंटे से अगर कम लग जाए तो बात करिएगा
20:10हम मेहनत कश लोग है नहीं अच्छी बात है मेहनत करना बहुत अच्छी बात है पर किसके लिए कर रहे हो
20:22किसके लिए कर रहे हो
20:27यह सारी मेहनत वही चो कहा कि अस्तित्त को घूस देने जैसी बात तो नहीं है
20:36देखो मेरी चोरी किसी को मत बताना मैं जिन्दगी भर कमा कमा के तो मैं खिलाऊंगा
20:41बस किसी को बताना मत कि भीतर से फटा हुआ हूँ
20:43बात समझ रहे हो
20:54सत्य निष्ठा इमानदारी उसकी बहुत कमी रहती है
21:06उसके बिना हम खुद को पूरा पूरा जहासा दिये जाते हैं
21:17सब को ऐसे दिखाए जाते हैं जैसे हम किसी सार्थक काम में लगे हुए हैं
21:22जबकि जो काम हम कर रहे हैं वो वास्तव में भीतर की निरर्थकता की अभिव्यक्ते मात्र होता है
21:30जितनी महनत हम अपने जूटों पर परदा डालने के लिए कर लेते हैं
21:45उसकी आधी तिहाई चौथाई महनत भी अगर हम अपने जूट को मिटाने के लिए कर लें
22:01तो हमारा भी जीवन सार्थक हो जाएगा और दुनिया में जितनी बहरी समस्याई हैं वो भी हल हो जाएंगी
22:08नुकसान का सौधा है जहाँ गंदगी है उसको पड़े रहने देना और बस उस गंदगी के प्रभावों की सफाई करते रहना नुकसान का सौधा है
22:24अस्तित्युगत तल पर भी और आर्थिक तल पर भी
22:32बात समझ रहे हो
22:38ये कोई बहुत गौरव की बात नहीं है कि आप बहुत महनती आदमी हो
22:45महनत बाद में आती है
22:48इमांदारी पहले आती है
22:53इमांदारी आपको वो जगह बताएगी और दिशा बताएगी
22:59जिस जगह और जिस दिशा महनत करनी चाहिए
23:02उसके बाद आप महनत कर रहे हो
23:05तब तो महनत में सार्थकता है
23:08तब उस महनत का मूल है
23:11तब उस महनत में गौरव है
23:12पर सारी महनत अगर अपने भीतरी जूट को बचाने के लिए की जा रही है
23:20तो लानत है ऐसी मेहनत पर
23:22और दुनिया के ज्यादा तर
23:25लोग बहुत बहुत मेहनत कर रहे हैं
23:26इतनी मेहनत तो करते हैं
23:29मनुष्य अकेला प्राणी है
23:30जो गधे से ज़ादा मेहनत करता है
23:33बापरे कितनी मेहनत करते हैं
23:37बहुत सारे लोग अभी भी घर नहीं पहुचे होंगे
23:45अपनी दुकानों से अपने दफ्तरों से
23:4711 से उपर हो रहा है अभी भी घर नहीं पहुचे होंगे
23:49यह नहीं कि अवश्यक रूप से वो अपने अभी
23:53ओफिस में ही हैं
23:55ओफिस से आठनो बज़े निकल भी गए हूँ
23:57जब किसमत अच्छी होती है तो
23:59ओफिस से आठनो बज़े निकलने को मिल जाता है
24:03पर घर हूँ अभी भी नहीं पहुचे होंगे
24:05कितनी महनत
24:15किस लिए इतनी महनत
24:19तुझे क्या मिल रहा है उसमें
24:20बस एक चीज मिल रही है क्या
24:22परदा भीतर फटा हुआ है
24:26और फटे का परदा फाश नहीं होता
24:29बस यही होता है
24:36जो लोग यह भी बोलते हैं
24:43कि हम आठ आठ दस दस घंटे मेहनत करते हैं
24:45आप वहाँ भी देखिए गार
24:46तो आप आओगे कि अगर वह दस घंटे काम कर रहे हैं
24:52और 10 घंटे घुट घुट कर काम कर रहे हैं
24:55तो वो 10 घंटे का नर्क उन्होंने अपने लिए खुद तयार करा है
24:58वो जो 10 घंटे का काम है वो वास्ताव में है 4-5 घंटे का
25:05पर उसको 10 घंटे खीच के वो अपने काम को अपना नर्क बना लेते हैं
25:10और क्यों उसको 10 घंटे खीचते हैं क्योंकि अगर 4-5 घंटे में काम निप्टा लिया तो जिन्दगी इतना बड़ा एक यक्षप्रश्ण लेकर खड़ी हो जाएगी क्या कि वो जो शेश समय है उसमें करना क्या है
25:29और शेश समय में क्या करना है हमारे पास कोई जवाब होता नहीं तो हम खुद को जूट बोलते हैं कि हमारे पास करने के लिए बहुत सारा काम है मेरे पास दिन में 12 घंटे का काम है
25:3912 घंटे का काम है ही नहीं वो
25:41सच पूछो तो वो 4 घंटे का है
25:44वो 5 घंटे का है
25:45तुम उसको जानबूज कर खीचते हो
25:47अपने भीतरी जूट को बचाने के लिए
25:49अगर समय पर काम पूरा हो गया
25:55तो जिन्दगी तुमसे पूछेगी
25:57अच्छा बताओ फिर जिम क्यों नहीं जाते
25:59अभी तो तुम्हें एक बहाना मिला हुआ
26:01जिम इसलिए नहीं जाता क्योंकि
26:03काम बहुत है
26:04काम उतना है नहीं
26:07जिस दिन काम समय पर निपड़ गया है
26:08उस दिन बड़ी तकलीफ हो जाएगी आपको
26:10जिन्दकी पूछेगी
26:12इतनी सारी किताबे बची हुई है
26:14पढ़ने को पढ़ते क्यों नहीं
26:15अभी क्या जूट बोल देते हो ततकाल
26:17काम बहुत है
26:18और काम अगर सही समय पर निपड़ा लिया
26:21तो फिर क्या जवाब दोगे अपने आपको
26:23किताब क्यों नहीं पढ़ी
26:24इतनी जगहें हैं जहां जाना चाहिए
26:28समझना सीखना चाहिए
26:29वहां कभी गए क्यों नहीं
26:31कुछ खेला क्यों नहीं
26:34शरीर क्यों नहीं ठीक किया
26:35बनाया क्यों नहीं सहत को
26:37क्या जवाब दोगे
26:40तो इससे अच्छा अपने आपको जहासा दो
26:44काम इतना ज्यादा है बारा बारा घंटे काम करना पड़ता है
26:47पर कहां कैसे तथे और आंकड़े
26:52तो कुछ और प्रमानित कर देंगे तो हमें उनको भी नहीं देखना है
26:55मैं बोल रहा हूँ न काम बहुत है तो है
27:10अब फिर इसलिए गैर जरूरी काम चालू होते है
27:15ब्रिटेन में सर्वे हुआ था हाल में
27:18वहाँ पर लगभग 40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो खुद जानते हैं
27:25कि वो जो काम कर रहे हैं वो गैर जरूरी है
27:27वो काम बंद भी कर दिया जाए
27:29तो कोई बहुत फर्क पढ़ना नहीं है
27:34पर वो काम हो रहा है
27:36मान लो आपको
27:42100 एकाई 100 यूनिट्स काम करना था
27:46पिचानवे हो गया
27:47अब पिचानवे तक तो आ गए एक गति के साथ
27:51और पिचानवे पे आते ही ब्रेक लगाना ज़रूरी हो जाएगा
27:53क्यों अरे खत्म हो जाएगा भाई फिर क्या करूँगा
27:58तो पिचानवे पे आके रुख जाओ
28:01आप उससे आगे पूछोगे
28:04कितने कितनी देर का काम बचा है
28:06आप 6 बज़ आप पूछोगे और काम तो सारा निपट गया
28:08पांच मिनट का ही बचा है
28:09आप 6 बज़ तुने का था पांच मिनट का बचा है
28:15तु अभी भी क्यों बैठा है
28:16उसके पास कोई जवाब नहीं होगा
28:17जवाब इसलिए नहीं क्योंकि आत्मग्यान नहीं है
28:19बात यह नहीं काम ज्यादा था
28:21बात यह है काम अगर निपट गया
28:23तो जीओगे कैसे
28:25काम अगर निपट गया
28:29तो जिन्दगी में कुछ सार्थक करना पड़ेगा
28:32और जिन्दगी में कुछ अगर सार्थक करना है
28:36तो अपनी आदत को और हैंकार को चुनौती देनी पड़ेगी
28:39वो नहीं देनी
28:39इससे कहीं अच्छा है कि बाहर के काम में महनत करते रहो, करते रहो, करते रहो
28:45पाँच मिनिट का काम है लेकिन छह से साड़े आठ बजा दिया
28:49नहीं बैठे हुए है
28:52इतनी घिसी कुरसी की कुरसी में आग लग गई
29:03उठे जाओ, हो गया, क्या कर रहे हो
29:06बाहरी काम भीतरी खालीपन की भरपाई नहीं कर पाएगा
29:26और जब आप भीतर से आनंदेत होते हो
29:29तो भीतर का आनंद बाहर का काम बन जाता है
29:36वो काम फिर बोज़ की तरह नहीं होता
29:40वो काम फिर कभी एक आंगी या एक आयामी भी नहीं होता
29:46जड़े स्वस्थ होती हैं तो कभी आपने व्रक्ष को सिर्फ एक दिशा में बढ़ते हुए देखा है क्या
30:06ऐसा कौन सा आपने पेड़ देखा है कि जिसकी जड़े तो स्वस्थ हैं एकदम पर वो पत्ती डाली फूल बस एक तरफ को देता है
30:20अब बाकी तरफ वो बिलकुल एकदम मुर्जाया सूखा है ऐसा होता है
30:28जब जड़े स्वस्थ होती हैं तो व्रक्ष में कितनी दिशाओं में फूल लगते हैं कितनी दिशाओं में
30:37इसी तरीके से जब भीतर पूर्णता होती है आनन्द होता है वो होता है जिसको हम थोड़े देर पहले करें थे इमानदारी
30:47तो जीवन के व्रक्ष में हर तरफ आप पाते हो कि पुश्प हैं और पल्लव हैं
30:58नई नई चीजें हो रही है जैसे एक स्वस्थ पेड में नई नई पल्लव और कोपल फूटते हैं
31:12क्या मुलायम हरे हरे नई नई अब पुराने फूल टंगे रहते हैं उसमें कितने तरीके की चीजें होती है
31:23सर्वांगीन विकास होता है न उस व्रिक्ष का और सर्वांगीन का क्या मतलब होता है कि काम तो चलेगा क्योंकि भीतर अगर आनंद है तो वह 24 घंटे आनंद अपने आपको सार्थक कर्म के रूप में अभिव्यक्त तो करेगा
31:41भीतर की पूर्णता बाहर का कर्म न बने ये तो संभव है नहीं बिल्कुल पर बाहर का वो कर्म भी तो बहु आयामी होगा न अब बाहर का कर्म क्या ये होगा कि 24 घंटे फाइल घिसते हो बस ये कौन सा पेड़ होता है कि उसमें बस फाइल की दिशा में फूल लगते हैं
32:11तो अवतारों को बहु कला प्रवीड दिखाते हैं
32:22कि श्री क्रिशन को हम पूर्णा वतार बोल देते हैं क्या बोलके कितनी कलाओं में थे
32:26सारी कलाएं उनमें मौझूद थी
32:30या यह होता है कि भई
32:31एक कला में
32:33वो अत्यधिक निशनात थे
32:35ऐसा होता है क्या
32:36पूर्णा वतार होने का मतलब होता है
32:40एक कला में वो पूरी तरह दक्ष थे
32:42पूर्णा दक्ष था एक कला में
32:44क्या ये पूर्णा वतार कहलाएंगे
32:45सब कलाएंगे
32:49तो जो भीतर
32:50सच्चाई होती है
32:53वो जीवन में
32:57बहुविध
32:58नृत्यसा बनकर
33:03अभिव्यक्त होती है
33:05समझ रहे हो बात को
33:14ये वो व्यक्ते होता है
33:20फिर जो गीता भी
33:23सुना सकता है
33:26और बासुरी भी बजा सकता है
33:28जो चक्र भी चला सकता है
33:35और नृत्य भी कर सकता है
33:39जो जब उपदेश भी देता है
33:50तो उपदेश ही गीत बन जाता है
33:52वो सिर्फ बोलता नहीं है
33:57वो गाता है
33:59सिरु गाता नहीं है वो बासुरी भी बजाता है वो सिरु बासुरी नहीं बजाता है वो फिर नाच भी जाता है
34:05जा वो यह बोलता है कि अभी काम बहुत है बाकी चीजें नहीं हो सकती
34:29झाल
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