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  • 2 days ago

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00:00तुमने बिना समझे किसी को दिल दे कैसे दिया, किसी को सुईकार कर कैसे लिया, किसी के सामने जुक कैसे गए, ज्ञान कुछ नहीं, जज़बात पूरे, समझ जरा भी नहीं, और भावनाओं का पूरा उबाल, मुझे बताओ ना, समझने के बाद जो प्यार आता है, वो अल�
00:30इस जालिम जमाने से प्यार बरदाश्ट नहीं होता आखों को भी प्यार हो गया था इस मृति को भी इस पर प्यार आ रहा था नाक को भी इस पर प्यार आ रहा था खाल को भी इस पर प्यार आ रहा था और अब पता नहीं मुझे क्या आ रहा है
00:44अरा अरा अरा लेकिन गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गु�
01:14मैं इसको मस्त क्यों कह रहा हूँ
01:16क्या रंग है
01:21ये हरा रंग है
01:23ये नीला रंग है
01:25क्या इसकी चिकनी चिकनी
01:27सता है
01:28तो ये हरा रंग देखकर
01:33मुझे पता है क्या याद आता है
01:35मेरी बीती हुई जिंदगी की हर्याली
01:40क्या दिन थे
01:43क्या हर्याली थी
01:46क्या फल थे क्या फूल थे
01:48और ये है इसमें इतनी
01:52खुश्बू है
01:53और इसका रंग भी बढ़िया है
01:56पीला पीला सा है
01:57मस्त इसको मैं पीता हूँ
02:00क्या गरना है जिग्यासा का
02:02कि प्रेम बड़ा है
02:04कि बोध बड़ा है कि ग्यानमार्ग
02:06भक्तिमार क्या ये सब बाते हैं
02:08कुछ होने लग गया पेट में
02:20थोड़ा मौका दीजेगा
02:22पेट हलका करके आता हूँ फिर जवाब दूँगा
02:25भागिएगा मत
02:29क्यों
02:36मुझे प्यार आ रहा था इस पर बहुत ज़्यादा
02:41सब कुछ अच्छा था जैसे चिकना चिकना और गोल गोल
02:47मन इंद्रियां सब आसक्त हो गए बिलकुल
02:54आखें और बजाओ तो ऐसे जैसे जलतरंग बजराओ
02:59क्या बजरा है
03:00बजाते चलो
03:04कान भी खुश है नाक भी खुश है जबान भी खुश है आखें भी खुश है
03:14सब खुश हैं
03:15कि ये क्या हो गया
03:30जालिम जमाने से प्यार बरदास्त नहीं होता अ Еще questa a
03:38आखों को भी प्यार हो गया था इस्मृति को भी इस पर प्यार आ रहा था
03:46नाक को भी इस पर प्यार आ रहा था खाल को भी इस पर प्यार आ रहा था
03:54और अब पता नहीं मुझे क्या आ रहा है अरा अरा अरा अरा
04:08ये कहलाता है बिना बोध का प्यार और इसके नतीजे में मिलते हैं पतले दस्त भागिएगा नहीं अभी आया
04:28अरे हम प्रेमी हैं हमसे बुद्धी की बात मत करो जहां बुद्धी भी लिखा होगा हम उसको भावना कर देंगे जज़बात कर देंगे
04:44बुद्धी को भक्ती बना देंगे अरे अभी आया बिना जाने प्यार करोगे तो फिर बस पतली टटी
04:56यहीं मिलेगा
04:59जब तुम को जानते हैं इसमें क्या है तो तुमने कहां इसे ग्रहन करा
05:11बस इसलिए कि बहुत सब सुन्दर सुन्दर है कल्पना कल्पना तो खूप थी कि हरा रंग है तो हरे रंग का तो ये अर्थ होता है
05:21और नीला रंग फलानी चीज का प्रतीक होता है और सूचक होता है और पीले रंग से ये उपमा उठती है
05:28जानते कुछ हो नहीं अब प्रेमी बन गए
05:34तो फिर गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ गुड़
06:04जराबी नहीं और भावनाओं का पूरा उबाल मुझे बताओ ना तुमने बिना समझे किसी को दिल दे कैसे दिया किसी को सुईकार कर कैसे लिया किसी के सामने जुक कैसे गए कुछ होटों से छू कैसे लिया
06:28बिना समझे तुमने जीवन जी कैसे लिया
06:34रंग देख करके रूप देख करके सुगंध सुन करके भावनाओं पर उद्वेगों पर
06:45उठी भीतर से हॉर्मोन की लहर बायो केमिकल इंपल्सेज और तुम उन पर जीए जा रहे हो
07:00या किसी ने कहानी बता दी कि जहां कहीं भी नीला हरा और पीला एक साथ देखना
07:06जान लेना कि तुम्हें तुम्हारी जिन्दगी की मुहबत मिल गई है आज अपीला माने तो आम होता ही है
07:15दसहरी
07:27बदामी, अलफॉनसो
07:36तो यह पता है, दुनिया में जो सबसे जहरीले साप होते हैं और कीड़े होते हैं
07:46कुछ मेढ़क भी जहरीले होते हैं
07:48कुछ यह जो स्पाइडर्स होते हैं न
07:52यह भी जहरीले होते हैं, मकड़े
07:57उनमें से ज़्यादातर ऐसे होते हैं जो जबरदस तरीके से रंगीन होते हैं
08:06कई बार तो कहा भी आता है कि जो सांप या इंसेक्ट कीड़ा जितना रंगीन और आकरशक दिखाई दे
08:17संभावना उतनी ज़्यादा है कि वो जहरीला होगा पर तुम्हें तो प्यारा जाएगा क्योंकि आखों को इंद्रधनुश बड़ा भाता है
08:27भाता है निए यह होता है बिना जाने छूने का नतीजा दुबारा छूने के लिए बचोगे भी नहीं
08:41रंग देखकर फिर पूछ रहा हूं इंद्रियां तो इतना ही जानती है या स्मृत या परंपरा या सुनी सुनाई बात
08:54या एक अन्हेरी लहर जिसका तुम न उद्गम जानते न अंत
08:59और फिर गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ बहुत मासूम सवाल कर रहा हूं बहुत समझदार हूं नहीं पूछ रहा हूं आपसे जिसको तुम समझते नहीं उसके प्रति
09:14तुम में प्रेम आखा हांसे गया बताओ और जहां कहीं त�म प्रेम का दावा करते हो हम पूछ रहे हैं कितना हो
09:23क्या जानते हो और नहीं जानते तो किस्से प्रेम कर रहे हो मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता
09:30आप सबसे पहले मुझसे क्या पूछेंगे
09:34किया पी रहे हैं और जानता ही नहीं जानता � smoke पी रहा हूँ आउए
09:40मेला जो आवचनी यह है शब्धा टीत है
09:45अ कि पर मेरे रुद्थ e को जंकरित करता है मैं जानता मुझे कुछ नहीं
09:49पर उससे मेरे दिल में जहंकार उठती है ये कोई बात है इस बात पर तो बस गुड़ गुड़ होगा
10:02समझ में आ रही यह बात यह है अब बता दो प्रेम पहले आएगा कि बोध पहले आएगा
10:13अब मैं बिलकुल विप्रीच छोर पर ले चलता हूं ये भी नहीं पसंद है ये भी नहीं पसंद है लेकिन मुझे पता चला कि जो दिल की बीमारी है ना मुझे ये इलाज है उसका
10:38बताओ पीऊंगा कि नहीं और जैसे जैसे ठीक होने लगूँगा इससे प्यार करने लगूँगा कि नहीं
10:49और ये प्यार अब सार्थक होगा के नहीं
10:56समझने के बाद जो प्यार आता है
11:02वो अलपायू भी नहीं होता और उपयोगी भी होता है
11:07और समझे बिना जो प्यार किया जाता है वो बुलबुले की तरह होता है
11:12वो फटेगा इफटेगा
11:19जैसे कच्ची उम्र की आश्यकी जैसे मुर्खता में की गई अंधभक्ती बहुत दिन चलती नहीं है तूटके गिरती है
11:38कोज़ारी बात और यह दूसरी चीज है इसकी शुरुवात कमजोर होगी क्योंकि मेरी इंद्रियां मेरी भावनाएं
11:49मेरा अतीत सब चिला रहे होंगे कि इसको मत्तियो अधादा अधादा विकार है
11:56लेकिन मैं समझ गया हूँ कि इससे दिल ठीक होगा मेरा तो मैं इसको पीओंगा और दिल ठीक होने लगेगा मैं सिर्फ प्रेम ही नहीं उठेगा सम्मान उठेगा अब मैं नमित हो जाओंगा
12:11यह दूसरा प्रेम है जो बोध जनित होता है अब बताओ पहले के आएगा बोध की प्रेम पहले बूध ही आएगा
12:23लेकिन अब और उससे आपको आगे की बाद बताता हूं यहां तक समझें आ गया तो बिलकुल एकदम साफ है चलो अब उससे और आगे की बाद बताता हूं
12:37बोध के बाद प्रेम आता है यह ठीक है अब और बताता हूं बोध से पहले भी प्रेम आता है
12:44बोध से पहले भी एक प्रेम आता है वो प्रेम होता है स्वयम के प्रति वो प्रेम होता है स्वयम के प्रति
12:55अगर मुझे में स्वयम के प्रति प्रेम ही ना हो तो मैं इसे जानने की कोशिश क्यों करूं
13:04मैं कहूंगा नुकसान होता रहे तो होता रहे मौज आ रही है ना रंग अच्छा है न
13:11चार पल के लिए हढि है मौज कर ले तो सबसे पहले तो एक भीज्टरी प्रेम होना चाहिए स्वयम के प्रति
13:23उसको तुम कह सकते हो अहंकार का आत्मा के लिए प्रेम
13:27वो सबसे पहले आता है
13:28जब मैं तुम लोगों से कहा करता हूँ न तुम लोगों ने वो पोस्टेरी बना दिया था
13:32कि प्यार के बिना कुछ नहीं हो सकता पगले
13:35याद है
13:36प्यार के बिना
13:38सबसे पहले तो प्रेम ही आता है पगले
13:41कहा था न?
13:42वहाँ पर मेरा प्रेम से आशा है
13:44वो परम प्रेम
13:46वो भीतरी प्रेम
13:47जो अहम का आत्मा के प्रते होता है
13:50वही वास्तविक मायने में
13:52सेल्फ लव है
13:53मैं जो उच्चतम और अधिकतम
14:00और सुन्दर्तम हो सकता हूँ
14:02वो मुझे होना है
14:03यह है आत्मप्रेम
14:06जब वो होता है तो व्यक्ति कहता है
14:10बिना बोध के आगे नहीं बढ़ूँगा
14:12क्योंकि मुझे उचे से उचा
14:16सुन्दर से सुन्दर और बहतर से बहतर
14:18और शुद्ध से शुद्धतर होना है
14:19तो बिना बोध के आगे
14:22नहीं बढ़ूँगा, तो परम प्रेम
14:24कहता है
14:26बोध होना चाहिए
14:27और जब बोध होता है
14:29तो फिर तुम जान जाते हो बाहर का
14:32कौन सा विशय प्रेम का अधिकारी है
14:34सबसे पहले
14:38परम प्रेम
14:48आप लोग कहते हो ना अचाहर जी बाते समझ में नहीं आती हैं तो बोध क्यों नहीं होता बताओ क्योंकि बोध की क्या शर्थ है पहले अंतरिक प्रेम परम प्रेम होना चाहिए वह आपके पास अगर नहीं है तो मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकता
15:06अंतरिक प्रेम परम प्रेम का अर्थ होता है भीतरी तौर पर उंचा बहतर सुन्दर और शुद्ध होने की अभीपसा अगर वह आप में है यह नहीं तो मैं आप कुछ भी बताता रहा हूं
15:19आप मुझे क्यों सुनोगे गुनोगे आप कह रहे होगे कुछ भी हमें बहतर होने ही नहीं है यह बैठके माइक के सामने रोज घंटों करते रहते हैं ऐसे करो ऐसे करो जिंदगी बहतर होगी अरे हमें जिंदगी बहतर करनी ही नहीं है तो माने यहां तो परमप्रेमियन उप
15:49तो फिर सड़ा हुआ सांसारिक प्रेम आपके जीवन पर छाएगा, बिना बोध के यही करोगे कि किसी भी साप को गले में डालोगे, कहो गया रहे कितना रंगीन है, तो प्रेम ऐसी चीज है जो बोध के पहले भी चाहिए और बोध के बाद भी आती है, बोध से पहले कौन सा
16:19आपके प्यार के लायक, नहीं तो जैसे सब आप उल्टे-पू्छे रिष्टे बनाते हो ने दुनिया में, चाहे वो प्रेयोरिक स्तर पर हो, चाहे समाजिक, चाहे राजनेतिक, चाहे धारमिक, हर जगए है, हमें पता ही नहीं होता प्यार किससे करना है, ना जाने कहा जाक
16:49हैं कि तुमने कुछ समझा भी था या पस यूहीं जाकर के दिल दे आये और सर जुका आये
16:59कि अच्छे से जान लो बिना समझे कि न प्यार किया जाता न सर जुकाया जाता
17:06कि यह अंधा प्रेम है फिर कि अंध्भक्ति यह जानते कुछ नहीं है पर
17:13कुछ जाने बिना तुम किसके सामने यह कर रहे हो क्या कर रहे हो तुम कौन हो जो यह सब कुछ कर रहे हो तुम्हें कुछ नहीं पता बस कर रहे हो
17:22कि तुम्हें और पशुमें अंतर क्या है वो भी बिना जाने बहुत कुछ करता रहता है
17:26कुछ आ रही है बात समझ में
17:32देखो
17:39खुद को प्यार करना बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है
17:48इसलिए हम
17:50अपने दुश्मन होते हैं
17:52हम खुद को बरबाद कर लेते हैं
17:53इसकी भी जिन्दगी परबाद हो तुम पाओगे उसने खुद नहीं करी है
17:58क्योंकि खुद को प्यार करोगे तो जानना पड़ेगा जानना महनत का गाम है ध्यान देना पड़ता है
18:04नेति नेति करनी पड़ती है नजाने कितनी वर्थ चीजों को छोड़ना पड़ता है और जिम्मेदारी अपनी अपने उपर लेनी पड़ती है
18:15मेरी जिन्दगी मेरा प्यार मेरा हृद है अता मुझे ही जानना पड़ेगा
18:24मेरे कर्मों की जिम्मेदारी मेरे उपर है मेरे उपर है जातर लोगी करना नहीं चाहते है
18:34वो क्या करते हैं कि यह है बड़ी प्यारी चीज है क्यों प्यारी चीज है
18:42क्योंकि मुझे एक कहानी पता है कि अब ये जो है
18:49मेरे सारे कर्म अपने उपर ले लेगी
18:54मेरी सारी मनो कामनाएं पूरी कर देगी
19:02ये धार्मिक्ता होती अधिकांश लोगों के लिए
19:05उनकी धार्मिक्ता उन्हें भीतरी तौर पर सशक्त नहीं बनाती
19:12वो उनकी दुर्बलता को और कवच पहना देती है
19:16वो और दुर्बल हो जाते हैं
19:19वो कहते हैं अब हमें क्या करना है
19:20हमारे लिए तो अब जो करेगा भगवान करेगा
19:26और में तो भगवान से प्यार है ना तो भगवान हमारी मनों कामनाएं पूरी करेंगे
19:31हमें प्यार है हमने बस तुमने बिना जाने ये क्या कर डाला
19:39भगवान तो एक ही जगह होते हैं और वो ये हरद है
19:47और सच्चे भगवान तक पहुँचने का मार्ग एक ही होता है आत्मवलोकन और अहंकार का मिध्यात तो देख लेना
19:59उसकी जगह तुमने बाहर जा करके कहीं अपनी पसंद के भगवान को प्रक्षेपित कर दिया और वास्तविक भगवान को भूल गए
20:17श्ंतों नहीं इतनी बार समझाया मो कहां ढ़ोड़े रहे बंदे मैं तो तेरे पास में तुम्हारे रही है बगवान नहीं तो कहीं नहीं
20:24है लेकिन तुम नजाने कहां कहां जा करके और यह आधिकाल से चला है आज की बात नहीं कि कुछ नई
20:33ताजी घटना है और यह पूरी दुनिया में चला है कोई ऐसे नहीं कि भारत की बात है और इसके नतीजे बड़े घातक हुए है
20:44इसके नतीजे यह हुए है कि हम कमजोर हो गए हैं, इसके नतीजे हुए हैं कि हम चापलूस हो गए है
20:55यह है
21:10हो कि मैं तुम्हारा दास हूं कि करूंगा क्ला में काम सार तुम करत दो क्लिया
21:21भी मैं лет氣 करूंगा तुम्हारा काम में मेरी कामना पूरी करनाया कि
21:32अच्छा एक बात बताओ निहां
21:37कोई पड़ा होता है अस्पताल में बिस्तर पर तो कब बोलते हो
21:43कि अब ये पूरी तरह अनकॉंशियस है
21:48जब उसमें बोध नहीं होता या जब उसमें भाव नहीं होता
21:54सर भाव नहीं होता जब भाव नहीं होता तब बोलते हो अनकॉंशियस है
22:02मने कि जब वो आसू नहीं बहा रहा या कि जजबात नहीं दिखा रहा तब बोलते हो अनकॉंशियस है
22:08नहीं नहीं जब बोध नहीं होता है
22:12कोई पड़ा है विस्तर पर बिल्कुल और तुम उसका नाम पुकारो वो जवाब न दे तो तुम बोलते हो अनकॉंशियस है ठीक है न अनकॉंशियस है
22:29तो चेतना का रिष्टा फिर किस से है बोध से है चेतना का सुभाव भावना नहीं है कि मिरी भावना आ रही है कि मुझे बस ये है क्यों है नहीं जानते माननेता है हमारे हैं सब मानते हैं तो हम भी मानते हैं चेतना का सुभाव माननेता नहीं है चेतना का सुभाव जानना है
22:59कोई दो मार्ग नहीं होते एक ही मार्ग है और उस मार्ग में सब समाया हुआ है
23:12ग्यान और प्रेम का बड़ा आत्मिय रिष्टा है बिना प्रेम के ग्यान नहीं हो सकता भाई तो प्रेम कोई ग्यान से अलग चीज कैसे हो गई
23:22अप्रेम को ग्यान से अलग करके देख लोगी तुमने क्या बंटा धार करा है फिर याद रखो गुड़ गुड़ गुड़ प्यार हो गया इससे ग्यान कुछ नहीं इसका तो फिर गुड़ गुड़ गुड़ गुड़ी होगी
23:46आरी ये बात समुझे
23:48बिना जाने
23:51एक कदम जिंदगी में आगे मत बढ़ाना
23:56मैं कभी तुमसे पूछता हूँ
23:59प्यार आ रहा है मुझ पर
24:00पूछता हूँ
24:02तुझसे पूछा दिल में चल रहा है मेरे लिए
24:07कभी पूछा
24:08तुझसे पूछा जजबात उफन रहे हैं मेरे लिए
24:13पूछा
24:14तुमसे कहा नमित और समर्पित होना चाहते हो मुझे पूछा
24:19तुमसे पूछा भक्त हो क्या तुम मेरे पूछा
24:24सिर्फ एक सवाल पूछता है आउं सदा से और वही एक सवाल कीमती है क्या
24:29आ रही है बात समझ हमें क्योंकि चेतना का सुभाव है समझना
24:35भावना की हिलोरे मारना नमित हो जाना गिर जाना जुख जाना समर्पित हो जाना ये सब बाद की बाते हैं बोध होता है तो सही नमन और सही समर्पन अपने आप हो जाता है नहीं तो सोचो कहीं भी जाकर समर्पित हो जाओगे जब तुम कुछ जानते ही नहीं तो तुम कहां
25:05ऐसे समर्पन का क्या अभोगा बूलो गुर्ट कुल गूल कुलerry
25:21कभी भी यह सवाल उठेना कि घ्ञान मार्ग की प्रेम मारग की प्रेम
25:27पहले की बोध पहले बस यह याद कर लेना कि बिना बोध के अगर इस से प्यार कर लिया
25:32तो ना जाने क्या पी लिया
25:35और अब ना जाने क्या बहाओगे
25:39और बताईए
25:58और बताईए
25:58इद लिवा जाने क्या जा जाने क्या जाने बताईए
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