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00:00अभी हाली में देश में कुछ आतंगवादी हिंज से घटनाय होटी हुई है
00:03काफी लोग मारे भी गये हैं
00:09अभी जो घटना होई है
00:11ऐसी घटनाय से हम घटनाय तो हमें हिला देती हैं अंदर से
00:14इंकुछ समय बाद ही फिर सब अज़िट डॉनमल हो जाता है
00:17जहां धर्म का मतलब ये बन जाए कि जा करके लोगों को मारना है
00:21उसे धर्म तो कहना ही नहीं चाहिए कोई और चीज बन चुका है
00:24आपको सचमुच बुरा लोगों की जान गई इस से लग रहा है
00:30सचमुच
00:31सचमुच
00:33अभी पिछले 3-4 दिनों में ही कई घटनाएं होई हैं
00:38जहां पर ट्रक जा करके बिल्कुल बेलगाम गाड़ियों में घुज गया और मर गई दस बारा
00:43आपने सवाल नहीं पूछा इस बारे मुझसे
00:45रोस भारत की सडकों पर ब्रश्चाचार के कारण इन गड़ों में जितने लोग मर रहे हैं
00:51यह जो डिली में एक युवाई है इससे आम डिली वासी अपनी उम्र के 10 साल, 15 साल खोरा है
00:58आपने सवाल पूछा नहीं मुझसे
00:59जो अपराद कर रहे हैं उनसे निपटने के लिए उन्हीं जैसा मत बन जाना
01:05उनको मुहतोड जवाब यही है कि तुम कुछ भी करते रहो
01:09हमें हमारी जगह से नीचे नहीं गिरा पाऊगे और तुमसे निपटने के लिए
01:12हमारे पास पोलेस है फौज है पूरी एक सब्भे सुसंस्कृत व्यवस्था है उज़े तुमसे निपट लेगी
01:18हराएंगे उनको पर उनके जैसा हो करके नहीं
01:21रावन को हराने के लिए राम और राम हो गए
01:24रावन को हराने के लिए राम रावन थोड़ी बन गए थे
01:27गिरे हुओं से निपटना है तो और उठिये और उठने का मतलब यह नहीं होता
01:32कि गुफ़ा में जाकर समाधी ले लिए उठने का मतलब होता है कि अब मैं अर्जुन हो गया पहले मैं
01:36साधारण अर्जुन था, अब मैं गीता ग्यानी अर्जुन हूँ, अब जीतूंगा, शस्त्र नहीं का मारा, शास्त्र चाहिए पहले, जब शास्त्र होगा, तो फिर शस्त्र का भी सही इस्तिमाल हो जाएगा.
02:06मेरा प्रशन यह है, कि ऐसी कुरता इंसान में जन्ग कैसे लेती है, और यह घटना हमें कुछ समय बाद ही अवस्तर में जन्ग कैसे हो जाते हैं, इन पर सबसे पहले तो समझना होगा कि अगर यह सब जो किया गया है, जैसी कि सम्भावना है, धर्म के मजभब के नाम पर करा �
02:36तो यह निश्चित रूप से धर्म का सबसे विकृत संसकरण है, जहां धर्म का मतलब यह बन जाए कि जा करके लोगों को मारना है, उसे धर्म तो कहना ही नहीं चाहिए, कोई और चीज बन चुका है, ठीक है, तो यह अच्छे से इसको सुईकार किया, कि हाँ देखो जब ध
03:06समझ की जगह माननता हो जाता है, तो उसके क्या नतीजे निकलते हैं, एक तो यह आप तेखिए, और यह देखना जरूरी है, क्योंकि वो खत्रा दुनिया के सभी धर्मों के उपर है, ठीक है ना, दुनिया में जो सबसे बड़ा नरसंगार हुआ है, धर्म के नाम पर, वो ह
03:36और चुन-चुन के मारे गए थे, कि एक खास धर्म के हैं, तो उनको ही मारा जाएगा, ठीक है ना, इसाइयों ने मारा था, किसको? यहूदियों को, उसका मूल कारण वालो में, वो नफरत शुरू कहां से होती है, वो नफरत यहां से शुरू होती है, कि क्राइस्ट को यह�
04:06प्रिटिकल बाद में है, धर्म पहले है, तो तुनिया की गिरी से गिरी चीज बन सकता है, धर्म, गिरी से गिरी चीज, आपको जानवर से नीचे गिरा दे, यह ताकत है, अगर धर्म विकृत हो गया तो, उससे कहीं अच्छा है कि आदमी कह दे, कि भाई मुझे धर्म से क�
04:36आदान यह है कि यह जो जादातर लोग हैं, जो धर्म की गहराई में जाना नहीं चाहता है, यह धर्म को त्याग ही दे, तो शायदे बहतर इंसान बन पाएंगे, कट्टरता नफरत इन सब चीजों से हिंसा से तो बच जाएंगे कम से कम, ठीक है, यह किसका पहलू यह है, य
05:06अभी पिछले तीन-चार दिनों में ही कई घटनाएं हुई हैं, जहां पर ट्रक जा करके बिलकुल बेलगाम गाड़ियों में घुज गया और मर गए दस बारा, आपने सवाल नहीं पूछा इस बारे मुझ से, सवाल नहीं पूछा आपने,
05:28रोज भारत की सडकों पर भरष्टाचार के कारण इन गड़ों में जितने लोग मर रहे हैं, आपने सवाल पूछा नहीं मुझ से, आपको आदमी की जान, कि इतनी खास कीमत है, तो आप सवाल क्यों नहीं पूछ रहे हो, बताओ ना, यह जो दिल्ली में AQI है, इससे आम द
05:58अपने सवाल पूछा नहीं मुझ से, नहीं बात जादा गहरी है, समझो, इक दरह की ही मौत पर इतना क्यों भड़क रहे हो,
06:09समझ में आ रहा है ना
06:15समझ में आ रहा है ना
06:17इंसान की जान तो इंसान की जान है
06:20इंसान की जान फिर जहां भी जा रही हो उसकी बात करो ना
06:24पहाडों पर हर महीने दो चार बार होता है
06:28कि यातरियों से भरी पूरी बस जाके खाई में गिर गई पचास मर गई
06:32हमने तो नहीं सुना कि तुम उठके सवाल पूछ रहे हो, पचास जान चली गई
06:35पूछ रहे हो, और अगर जानों का जाना ही इतना बुरा लगता है
06:40तो जो सबसे बड़ा नर संगहार है, वो तो नारी संगहार है
06:45उस पर तो हमने कोई सवाल ही नहीं सुना आज तक
06:48कि भारत की आबादी में ये 5 करोड महिला हैं चली गई, कहां चली गई, इन्हें किसने मार डाला
06:55कोई सवाल नहीं पूछता, आदमी की जान की इतनी कीमत हैं सब сे पहले तो ये पूछो
07:00कि भारत की 5 करोड, 5 करोड नहीं तो कम से कम 3 करोड
07:04अब census हो तो पूरा आकड़ा ठीक ठीक सामने आये census ही नहीं हो रहा
07:09पर आप पुराने census को भी उठा लो पुरानी जन गणना को वहां भी आकड़े साफ है
07:15और कोई सवाल आपनी पूछे रो कि करोड़ों हत्ते आएं किस ने करीं
07:19वहां सवाल क्यों नहीं पूछते
07:21बोलो न यह ऐसा है कि एक पक्ष मजभी उनमाद फैला रहा है
07:30तो पलट कर हमें भी फैलाना है
07:33बोलो यह करना है
07:36इस तरह के सवालों के पीछे कहीं छुपा हुआ
07:42मनसूबा यह तो नहीं है कि उधर वाला है
07:46मुसल्मान हैं इसलाम की तरफ से मजभी उनमाद है और मुर्खता है भयानक और हिंसा है
07:53तो हमें भी तो करना है न क्योंकि
07:57मुर्खता के तल पर गिरने के लिए मचल रहा है
08:03हम भी मुर्ख बनना चाहते हैं
08:16पुलिस किसलिए है, सेना किसलिए है, लॉइ और और की पूरी विवस्ता और पुलिटिकल सिस्टम किसलिए है
08:26इस तरह घटनाओं को रोकने के लिए
08:29यह समाजिक घटना ही नहीं है न, यह तो संगठित अपराधी और आतंकवाधी संगठन है
08:37जो कि पहले से ही पता है, घोशित तौर पर असमाजिक है
08:44तो इनसे कौन निप्टेगा?
08:47इनसे कानून वस्ता निपट लेगी
08:49लेकिन समाज के भीतर
08:51जो मानव जीवन के लिए हमारे मन में उपेक्षा है
08:56उससे तो हमें नहीं निपटना पड़ेगा, न?
08:58कि नहीं निपटना पड़ेगा?
09:01ट्रेन जाकर दूसरी ट्रेन पर चड़ गए
09:03और ये सब अभी बीते हुए कुछ दिनों की बातें हैं
09:05ट्रेन जाकर दूसरी ट्रेन पर चड़ गई
09:07उतने ही लोग मरे, आपने कोई सवाल नहीं पूछा?
09:12गंदा पानी पी-पी के
09:13यहां सैकडों मौते हो रही है लगतार
09:15आपने कोई सवाल नहीं पूछा?
09:16मैं वाटबाउटरी नहीं कर रहा
09:21मैं तो वस यह कह रहा हूँ कि
09:23जान और जान की कीमत बराबर होनी चाहिए
09:25आदमी तो आदमी है
09:26तो अगर एक मनुष्य की जान चली गई
09:29और आपको इतना दुख हो रहा है तो इसी तरह से
09:31मनुष्यों की जान जिन दूसरी जगों पर जा रही है
09:33वहाँ आपको बराबर का दुख क्यों नहीं होता?
09:36मैं चाहता हूँ आपको दुख हो
09:38क्योंकि मनुष्य की जान कीमती है
09:41पर हमें कोई दुख नहीं होता
09:46अपनिया भर में
09:51air pollution से जितनी मौते नहीं होते हैं
09:54उससे कई गोना ज्यादा सिर्फ एक शहर में हो रही है भारत के
09:57भूलना नहीं
09:59मुझे वहीं जाना इसलिए आदा रहा है बार बार
10:11दुनिया में किसी जगह पर
10:13सडकें
10:14उतने कतल नहीं करती है जितना भारत में होता है
10:17भूलना नहीं पर आप तो कभी सवाल ही नहीं उठाते
10:19तो फिर मुझे शक होता है
10:37कि आप वास्तव में
10:39किसी की जान जाने से दुखी है
10:41या आपका इरादा कुछ और है
10:47जो अपराद कर रहे हैं उनसे निपटने के लिए उनहीं जैसा मत बन जाना
10:59उनको मुहतोड जवाब यही है
11:01कि तुम कुछ भी करते रहो
11:02हमें हमारी जगह से नीचे नहीं गिरा पाओगे
11:05और तुमसे निपटने के लिए हमारे पास पुलेस है
11:07पूरी एक सभ्य सुसंस्कृत व्यवस्था है जो तुमसे निपट लेगी
11:12हिटलर को हराने के लिए
11:19एलाइड फोर्सेज को
11:21हुमेन राइट्स वाइलेशन नहीं करने पड़े थे
11:23जर्मन्स लेंडन में भी रहते थे आपको पता है
11:31और जब लेंडन पे लगातार बॉम्बिंग हो रही थी ब्लिट्स क्रीग
11:35तो लेंडन वासी भी उकता गए गुसा गए
11:38उन्होंने जाके जर्मनों की दुकानों को
11:41खटटाना शुरू कर दिया पत्थर मारने शुरू कर दिये
11:45लंदन की पुलिस ने उनको रोग दिया
11:47उन्होंने कहा कि वो वहाँ बैट करके यहुदियों को मार रहा है
11:51हम यहाँ बैट के जर्मनों को थोड़ी मारेंगे
11:53हमें थोड़ी हो जाना हिटलर जैसा
11:57और हिटलर जैसा हुए बिना हिटलर को हराया गया
12:01यही तरीका है जीतने का
12:06हराएंगे उनको पर उनके जैसा होकर के नहीं
12:09रावन को हराने के लिए राम और राम हो गए
12:14रावन को हराने के लिए राम रावन थोड़ी बन गए थे
12:17रावन अधर्मी था तो रावन को हराने के लिए क्या राम भी अधर्मी हो जाए नहीं हुए
12:31युद्ध नीते अलग बात होती है सामरिक सोच अलग बात होती है सामरिक सोच कृष्ण ने दिखाई है महावारत के युद्ध में बिलकुल
12:40हम जानते हैं ये सब
12:44भीश्म से क्या कहा जानते हैं
12:46कर्ण की क्या बात थी वो भी जानते है
12:47लेकिन केंद्र नहीं बदल दिया अर्जुन का
12:57अर्जुन को ये नहीं कहा कि
12:58अर्जुन तू भी दिल से दुर्योधन हो जा
13:00दुर्योधन को हराने के लिए
13:01क्या ऐसा कहा कभी श्री कृष्ण ने कि अर्जुन दुर्योधन को हराना है तो तू भी दिल से दुर्योधन हो जा उल्टा किया
13:08वो बोले अर्जुन अगर दुर्योधन को हराना है तो तेरे पास ग्यान ही ग्यान होना चाहिए
13:13मैं कहा करता हूँ बार बार दुर्योधन को अरजुन के बाण ने नहीं कृष्ण के ग्यान ने हराया था
13:20तो और ज्यादा समझदार होने की जगह है और ज्यादा ग्यानवान होने की जगह है
13:30आप प्रतिक्रिया में और ज्यादा दुर्योधन जैसा ही हो जाना चाहते हो
13:43क्रिश्ण बोले अर्जुन को कि दुर्योधन है वो छली है वो कप्टी है तो उसको हराने के लिए तू भी भीतर से दुर्योधन जैसा ही हो जा ऐसा किया क्या उल्टा किया बोले रुको युद्ध से पहले अगर काप रहे हो तुम तो तुमको उच्चतम ग्यान देता हूं �
14:13सौ तरीके से हम बीमार हैं सौ तरीके से हम मर रहे हैं जो जिन्दा भी हैं भारत में हमारी जो ओसत आयू होती है वो पश्चिम से 10-15 साल कम है और अभी तो मैं बस ओसत आयू की बात कर रहा हूं लिटरिसी हो गएरा वो अलग बाते हैं आम भारती है विकसित मुलकों की अ�
14:43साब जवान मौते हमारी सबसे ज़्यादा कहा होती है वो अच्छे से समझेए सडकों पर
14:55और बच्चे मर रहें कोपोशन से और मर नहीं भी रहे तो स्टंटेड हैं पूर्ण शारीर के विकास भी नहीं पा रहे इन बातों का भी कभी दुख मना लिया करो
15:25हम बैठते हैं न तनमायता के साथ गीता के एक एक शलोक पर तीन तीन घंटे तो क्यों बैठ रहे हैं समझ में नहीं आ रहा अरजुन को गीता मिली तो इतनी बड़ी फिर कौरों से न ठीकी थी क्या
15:50हाँ तो आपको भी जब गीता मिल रही है चिंता मत करिए कोई दुर्योधन आपको हरा नहीं पाएगा मत चिंता करिए
15:57आपको जो चीज हराएगी वो यही है कि आपको गीता से ज्यादा प्रतिक्रिया प्यारी है
16:11सुचो उपदेश दिया जा रहा है अरजुन को गीता का और वहां से दुर्योधन ने चिढ़ाना शुरू कर दिया
16:21दिया या दुर्युधन ने वहां से दिखा कि कोई कुकृत्ते कर रहा है बैठ करके और अरजुन ने कहा हटाओ गीता वीता मैं जा रहा हूँ दुर्युधन को निपटने कप्ती पापी इसने जो किया है वही इसको पलटके मारोंगो इसके मूँपे गीता हटाईए किया हम �
16:51महाभारत यही सिखाती है न, अरजुन का शस्त्र नहीं काम आ रहा था है, सरोशेष्ट धनुर्धर गांडी उधारी, लेकिन हाथ का अपने चली नहीं रहा है, पता ही नहीं चल रहा है करना क्या है, शस्त्र नहीं काम आ रहा है, शास्त्र चाहिए पहले, जब शास्त्र होग
17:21गिरिये मत, गिरे हुऊं से निपटना है तो और उठिये
17:26और उठने का मतलब यह नहीं होता कि कुफ़ा में जाकर समाधी ले ले
17:30उठने का मतलब होता है कि अब मैं अरजwn हो गया
17:32पहले मैं साधारण अरज़ून था अब मैं गीता ग्यानी अरजुन हूं
17:37अब जीतूंगा
17:38अब जीतूंगा
17:41ये सब
17:44जलील हरकतें
17:46कायरता पूर्ण हरकतें
17:49आतंकवाज से बड़ा कुछ
17:50काम हो सकता है
17:51कायरता का
17:53अरे लड़ना है तो सामने आओ
17:56सड़क पर जाकर कि यूँ
17:59कोई चला जा रहा है
18:01जिस लेना एक न देना दो
18:02बेगुना तुमने उसकी जान ले लिए 15 लोग मार दिये
18:05इससे बड़ी कुछ कायरता होगी क्या
18:10तो कायरों से निपटने के लिए
18:15हम कायर थोड़ी बन जाएंगे
18:16जो घुस गए है तहखानों में
18:31जो चेतना के पाताल लोक में पहुँच गए है
18:33उन पर एरियल बंबिंग करेंगे
18:35बंकर बस्टर्स बंब आते न
18:41वो चेतना के पाताल में घुस गए है
18:45वहाँ उन्होंने तहखानों में बंकर बना लिये है
18:48हम और उठेंगे
18:50हम और उठेंगे
18:51वील ओन दा स्काइज
18:52जेतना काकाश समझते होना
18:55सत्य आत्मा वहाँ से करिए बंबारी
18:58ये मत करिए कि कोई
18:59जमीन के नीचे घुस गया है बिलकुल गिर गया है भीतर से
19:02तो मैं भी उसी के जितना गिर जाओंगा
19:04नहीं
19:06युद्ध जरूर करिए पर चेतना की उचाई से करिए
19:09और बद्धनाए नहीं
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