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  • 2 days ago
वीडियो जानकारी: 19.07.25, संत सरिता, गोवा

Title : कमज़ोर नहीं हो, कमज़ोरी तुम्हारी चालाकी है! || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2025)

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विवरण:

माया तजूं तजि नहिं जाइ,
फिर फिर माया मोहि लपटाइ।
माया आदर माया मान,
माया नहिं तंह ब्रह्म ज्ञान।
माया रस, माया कर जान,
माया कारनि तजे परान।

माया जप तप माया जोग
माया बाँधे सबहि लोग।
माया जल थलि माया अकासि,
माया व्यापी रही चहुं पासी।
माया पिता माया माता,
अतिमाया अस्तरी सुता।
माया मारि करै ब्योहार,
कबीर मेरे राम अधार।

~ संत कबीर


इस वीडियो में आचार्य जी इस वीडियो में आचार्य जी संत कबीर के भजन "माया जप तप माया जोग, माया बाँधे सबहि लोग" पर चर्चा कर रहे हैं।
आचार्य जी समझाते हैं कि जप, तप, योग, साधना की विधियाँ भी माया बन जाती हैं, जब उनके पीछे यह झूठी मान्यता छुपी हो कि “मैं बेचारा, कमज़ोर, बँधा हुआ अहंकार हूँ जिसे सहारों से छुड़ाना है।”
आचार्य जी स्पष्ट करते हैं कि असली झूठ यह है कि हम अपने को कमज़ोर मानते हैं; वास्तव में हमारी कमज़ोरी सहारों की वजह से है – पहले सहारा आता है, फिर कमज़ोरी पैदा होती है।
आचार्य जी समझाते हैं कि भीतर की दुनिया में हर सहारा, हर बैसाखी, हर चतुराई माया है; सच में मुक्ति कोई भविष्य की मंज़िल नहीं, अभी की सच्चाई है, जो सहारे छोड़ते ही प्रकट हो सकती है। जो बिना सहारों के, बिना स्वांग के, सीधा जीवन के सामने खड़ा होता है, वही सच में मजबूत और सत्संग के योग्य है।


🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06&nd=1&dlsi=0db8e0909301402f

संगीत: मिलिंद दाते
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Transcript
00:00:00तुम पर्याप्त ही नहीं हो, तुम पर्याप्त के बात हो
00:00:03दुनिया में सबसे बड़ी गाली पता है क्या है? बेचारा
00:00:08वो भी कोई बहुत प्यार के साथ बोले, अले बेचाली
00:00:11तुम यह सहारा देने में उसका भी स्वारत है
00:00:14अब तुम तुम, हम तुझे उम्र भर कमजोर रखना जाते है
00:00:17बात ऐसे कही जाती है, मैं उम्र भर तेरा सहारा बनूँगा
00:00:21और फिर तुम कहते हो, समझ में नहीं आता कि मेरी कोई बात क्यों नहीं सुनता
00:00:25कमजोर तुम है? हम् acceso to me
00:00:38सहारे माया हैं जहां कहीं भी पाना की कमजोर हो कमजोरी मठ ढूंड़ना देखना कि सहारे कहां मौजूद है सहारे अहंकार को जन्म देते हैं हटा दो सहारे तुम पाओगे तुम कमजोर नहीं हो ऐसा बल तुम्हारा अनावरत होगा कि खुदी बहुंचके रहे जाओ बहुत
00:01:08कुछ अवस्थाएं
00:01:14जने
00:01:16आम आदमें बुरा मानता है
00:01:32पिसी को मारना, चोरी करना
00:01:38लालच करना
00:01:41रोध करना
00:01:47ये सब बतें तो आम जन मानस भी कह देता है कि
00:01:54ठीक नहीं है
00:02:08पिर
00:02:09अध्यात्मा आता है
00:02:17प्रिश्णा आते हैं, इस्टावकर आते हैं
00:02:24संत आते हैं
00:02:26और वो आप से कहते हैं कि
00:02:31ग्रहन करना
00:02:38यदे तुम बुरा मानते हो तो त्यागना भी बरावर का मुनाया
00:02:45और वो कहते हैं कि
00:02:57किसी को पराया मानना
00:03:01अगर तुम्हें
00:03:05बुरा है
00:03:07तो किसी को अपना मानना भी बरावर का बुरा है
00:03:15तो हमारी नैतिकता हिल जाती है
00:03:22हम
00:03:27तो द्वैट में जीते हैं
00:03:34एक काम एक इस्थिते हमें बुरी बता दी जाए
00:03:39और उसका विपरीट काम उसकी विपरीट इस्थिते हमें अच्छी बता दी जाए
00:03:47तो हमें कुछ परने को और कुछ छोड़ने को मिल जाता है
00:03:57ऐसे हो जाओ और ऐसे बिलकुल मत हो जाना है
00:04:03तो एक फिर समस्था होती है आम आदमी को समझाना है
00:04:18कि पराया मानना यदे हिंसा है तो अपना मानना भी बराबर की हिंसा हो सकती है
00:04:39और दिक्कत आती है किसी को ये समझाने में कि जो दिमारना हिंसा है तो बचाना भी हिंसा हो सकता है
00:04:59फिर दिक्कत आती है
00:05:09कि यदि ग्रहन करने में हंकार की चाल है तो त्यागने में भी हंकार की चाल हो सकती है
00:05:24और फिर जब बात और उंचे तल पर पहुँचती है
00:05:45कबीर साहब के तल पर
00:05:54तो वो हमारे लिए और दिक्कतें खड़ी कर देते हैं
00:06:01आज कह रहे हैं माया जब तब माया जोग माया बांदे सब ही लोग
00:06:08अब तो जो जपना करता हो हमारे लिए वो
00:06:26मूर्ख है यासा धारण है अधर्मी भी उसको क्या देंगे
00:06:36जपना करता हो तपना करता हो
00:06:40जिसको योग आदे से कोई मतलब न हो
00:06:50हमारे लिए कोई अच्छा आदमी तो नहीं हो सकता
00:06:55अध्यात्म का मतलब ही बहुत लोगों के लिए
00:07:06अध्यात्म की और ध्यान की विधियां होता है
00:07:12कहिंगे ये जब करते हैं आश्या होगा अध्यात्मिक हैं वो
00:07:22स्वी है आशे होगा अध्यात्मिक है बड़े योगी है उससे भी आशे ये योगा कि अध्यात्मिक है तो इन बातों को तो हम बहुत उंचा सम्मान देते ही देते हैं वैसे ही कोई ध्यान की कोई विध्य लगाता है कोई ध्यान की दूसरी विध्य लगाता है ध्यानी है अध
00:07:52लेकिन ये भी जो बात होती है
00:08:00सत्ते इसको भी काटता है
00:08:06ये बात भी आखरी नहीं है
00:08:10जब आप किसी विधी का इस्तेमाल करते हो
00:08:13तो आपके पास एक माननेता है
00:08:22कि कोई है एहंकार नाम का जो बंधा हुआ है
00:08:33कोई है एहंकार बंधन में है
00:08:42तो जैसे ही ये माननेता आ गई है
00:08:50वैसे ही फिर तरकाता है कि वो बिचारा बंधन में है
00:08:55तो उसको मुक्त कराओ
00:08:57तो फिर मुक्त के लिए ये सब विधियां हमें तरीके तरकीबे होते हैं
00:09:05कोई कहेगा कि चलो तुम आओ हम तुम को ग्यान देते हैं
00:09:20कोई कहेगा कि नहीं तुम वहां बैठ जाओ और बैठ करके माला फेरा करो
00:09:26कोई कुछ बताएगा कोई कुछ बताएगा
00:09:30सैकड़ों नहीं अगर पूरी दुनिया को लें
00:09:34तो हजारों उतर हैं की विधियां हैं मार्ग हैं
00:09:38ऐसे करो ऐसे करो
00:09:40हर मार्ग पे नजाने कितनी विधियां है
00:09:44और बहुत सारी विधियां अपने आप मार्ग बन गए
00:09:50अब फिर व्यक्ते
00:09:57बड़े विश्वास से
00:10:01बड़े प्रयत्म से
00:10:06इन सब का
00:10:09विधियों का तरीकों का मारगों का अनुपालन करता है
00:10:15क्या कर जप रहे हैं उन्हें इतनी बार भी जपना है
00:10:20तुम क्या कर रहे हैं इतने तीर्थ तो हमें करके आ नहीं है
00:10:25तुम क्या कर रहे हैं तुम ध्यान लगा कर बैठे हैं मौन में कम से कम दो घंटा बैठते हैं चुप बिल्कुल
00:10:33मुद्रा धारन करते हैं
00:10:38तुम क्या करें वो कोई और उनका तरीका है
00:10:42सब अपने अपने तरीकों में लगे हुए है
00:10:46पर सब तरीकों के पीछे
00:10:50साजी एक माननेता है
00:10:53कि कोई है जो बिचारा
00:10:56बंधन में है
00:10:59तो बंधन में है और खुद उछूट नहीं पा रहा है
00:11:06तो उसको तरीके लगा करके कुछ साहिता दो
00:11:09यही है
00:11:10यह माया है
00:11:14जिन्होंने जाना है उन्होंने कहा है
00:11:17यह भी माया है
00:11:19यह जो सब तरीके लगा रहा है
00:11:24यह भी माया है
00:11:25क्योंकि इनके पीछे भी तुम्हारी जो माननेता है
00:11:28अजमशन है वो जूट है
00:11:30एक जूट है जिसको बचाने चुपाने के लिए तुम बड़ी बड़ी तपस्याएं करने को तयार हुए जा रहे हो
00:11:44बड़ी आत्राइं करने को तयार हुए जा रहे हो
00:11:46लंबे लंबे आध्यात में को उपकरम कर डालते हो
00:11:52कुछ भी करने को तैयारों पर तुम्हें उस जूट को बचाना है किसी कदर
00:11:59और उस जूट यह है कि जो हंकार है वो पिचारा बंधन में है
00:12:06कमजोर है
00:12:11मजबूर है
00:12:14पिचारा है
00:12:23यह उसकी हालत है
00:12:24और यह बिलकुल तारकी से लगती बात कि कोई है वो कमजोर है उसको पकड़ लिया गया है
00:12:32चलो उसको छुड़ाते हैं छुड़ाते हैं
00:12:35बड़ी भलाई का काम लगता है लगता ना
00:12:44बिचारा
00:12:46माया कमारा
00:12:52चलो कुछ उपाये लगाते हैं उसको कैद से निकाल के लाते हैं
00:13:00फंस गया है जेल में
00:13:02ऐसे हैंना सारी विधीयों के पीछी यही तो माननेता है
00:13:07यही वो जूट है जिसको बचाने के लिए
00:13:13आदमी बड़े से बड़ा धर्म गड़ा लेता है
00:13:22अध्यात्म की कड़ी से कड़ी सीड़ियां चड़ा लेता है
00:13:28अब सब क्यों कर रहा है वो
00:13:31एक जूट है उसको बचा गया रखना है जूट पता है किया है
00:13:37जूट है कि मैं कमजोर हूं
00:13:52जूट ये है कि मैं कमजोर हूं
00:13:56अब कितनी देर से हम बात कर रहे हैं पंद्रह मिनट हो गया हूँ अभी जैसे ही मैंने कहा कि ये जूट है कि मैं कमजोर हूं
00:14:10ये वो मौका है जब इत्मीनान से पड़ा हूँ हंकार एक दम बिद्गा होगा ये और कुछ कहलो
00:14:20हमारी इस बात पर चोटनी पड़नी चाहिए
00:14:27कमजोर तो मैं मजबूर तो मैं
00:14:32बंधक तुम है और तो कहोगे नहीं ये जूट है तो जूट कैसे है हमारी हालत देखो
00:14:47सौ तरीके के हमको सहारे चाहिए होते हैं बीमार हम इतने हैं पचास दवाईया इन पर जीते हैं हम
00:14:59सहारे हैं दवाईया हैं इससे क्या सिद्ध होता है
00:15:05कि हम जोर ये माया है ये जूट है ये जूट है
00:15:15माया जपतप माया जोग और यही बात है सहज होने में सहज ता सब मारगों से आगे की बात है
00:15:33वहाँ कोई मारग नहीं चाहिए होता है वहाँ जहां तुम बैठे हो वही मुक्त हो
00:15:41वहाँ मुक्ति मन्जिल नहीं है सत्य है
00:15:48मुक्ति भविश्य नहीं है वर्तमान है
00:15:59ये सहजता होती है संद कबीर जैसों की सहजता
00:16:06उनको बहुत जोर जबरदस्ती उपाए तरीका तरकी नहीं निकालना पड़ता
00:16:18जहां बैठे हैं वहीं मुक्त हैं
00:16:26क्यों क्योंकि सारे बंधन बड़े से बड़ा जूट है
00:16:36कैसे हैं बंधन बड़े से बड़ा जूट
00:16:41मैं था बेचारा लोगों ने आकर किया मुझे बांध दिया नहीं
00:16:48तुम बेचारे नहीं हो तुम कमजोर नहीं हो अगर आप किसी को पाएं कि यो कमजोर है
00:16:56तो बस एक यह बात है उसने सहारे पकड़े हैं और अब जो मैं कहने जा रहा हूं उसको बहुत ध्यान से सुनना
00:17:07तुम कमजोर हो इसलिए नहीं तुमने सहारे पकड़े हैं तुमने सहारे पकड़े हैं इसलिए तुम कमजोर हो
00:17:18किसी भी वेक्त को आप अगर जीवन में कमजोर पाएं तो ढूंड लीजिएगा उसके आसपा सहारे जरूर हैं
00:17:43सहारे हैं इसलिए वो कमजोर हैं
00:17:48कमजोरी नहीं छोड़ी जाती फिर सहारे छोड़े जाते हैं
00:17:53आपका तर्क है
00:17:58कि जब कमजोरी चली जाएगी तो सहारे छोड़ दूँगा
00:18:04बड़ा मायावी तर्क है
00:18:07असलिए बाती है कि जब सहारे छोड़ दोगे तो पाओगे कमजोरी थी ही नहीं
00:18:13कौन सी आत्रा कौन सी अमंजल
00:18:24सत्तिके लाव़त तो कुछ है यह नहीं
00:18:26सत्ति ऐसी कौन सी चीज हो गई
00:18:29जो कहीं आगे जाकर मिलेगी
00:18:31भविश़े में मिलेगी
00:18:32किसी आत्रा के अंत में मिलेगी
00:18:34तो अभी है
00:18:35पर तुम उसको भविश
00:18:40कि और स्थागित कर देते हो ताकि वर्तमान में अहंकार की जान बची रह सके
00:18:51कि तुम कहते हो अभी तो मैं साधक हूं बस साधना जारी है एक दिन साध्य तक पहुंचूंगा यह तुम्हारा
00:19:00बड़ा चतुर प्रयास है कि किसी तरह से साध्य को स्थागित कर दिया जाए विलंबित कर दिया जाए आगे भेज़ दिया जाए
00:19:17वहां कैसे मिलेगा अभी तो है पर तुम के तो नहीं मुक्ते अभी कैसे होगी अभी तो मैं बंधन में हूँ
00:19:30बंधन में हो नहीं तुमने बंधन पकड़ रखे हैं तुमने बंधन पकड़ रखे हैं
00:19:43अंकार वो नहीं जो बंधन में है
00:19:50अंकार वो जिसने बंधन पकड़ रखे है
00:19:53तक घिनोना है
00:19:56खुद बंधन पकड़ता है और उसके बाद शोर मचाता है
00:20:00कि देखो देखो मुझे बांध लिया गया
00:20:02खुद सहारे पकड़ता है
00:20:07और फिर शोर मचाता है कि देखो देखो मैं कमजोर हूँ
00:20:12इस थूल जगत की उपमाएं देता है
00:20:20कहता है देखो वो बिचारा कमजोर था
00:20:24तभी तो बैसाखियों उपर चल रहा था
00:20:27इस थूल जगत मैं ऐसे ही होता है न
00:20:28तक्तियों का जगत है वहाँ ऐसे ही होता है
00:20:32परहंकार भीतरी जगत में भी बाहरी जगत के इसी उदाहरण का प्रियोग करना चाहता हूँ
00:20:46मैं भी बैसाखियों पर चल रहा हूँ इससे थाबित होता है कि मैं कमजूर हूं नहीं नहीं नहीं तुम कमजूर नहीं हो
00:21:12तुम्हारी सारी बैसाफिया होता है। वह पहले क्या आती है? कमजूरी। कमजूरी थी तो इसलिए बैसाखियां लेनी पड़ी है।
00:21:22तुमने कमजूर हो जीज हो जी चन बैसाखियां कुड़ाई हो छोड़ दोगे
00:21:33ये माया है
00:21:36तुम्हारी सारी बैसाखिया माया है
00:21:40तुम्हारी सारी चतुराईया माया है
00:21:42तुम्हारे सारे सहारे माया है
00:21:45तुम्हें किसी चीज़ की कोई जरूरत नहीं है
00:21:47तुम्हें किसी सहारे की कोई जरूरत नहीं है
00:21:53ये जो तुम छोटे से शुद्र लाचार पंगो असहाय बने बैठे हो
00:22:04ये बड़ी गरहित चाल है तुम्हारे ही खिलाफ
00:22:12फिर कह रहा हूँ जहां किसी को पाईएगा है कि वो कह रहा है अभी मैं क्या करूँ मैं तो कमजोर हूँ
00:22:27कमजोर यह नहीं होती
00:22:37सुइधापूर्ण सहारे होते हैं
00:22:42जिसको
00:22:48इन सहारों
00:22:52की लट लगने लगी
00:23:02वो कैसे जायस ठहराए सहारों को बोलो
00:23:09मैं तो कमजोर हूँ
00:23:15जुन्नू स्कूल जाता था
00:23:25पैदल पैदल चला जाता था
00:23:27पैदल पैदल चला जाता था
00:23:31अब यह मैं स्थूल जगत से फिर से उधारन ले रहा हूँ
00:23:36समझने काम आएगा
00:23:38घर में मा थी मंता मई
00:23:44अरे अरे बेचारा जुन्नू
00:23:51अपने पाउं स्कूल जाना पड़ता है
00:23:56कभी बारिश हो जाती है
00:23:57कभी धूप आ जाती है
00:23:58अरे मेरा
00:24:01कमल सा कूर
00:24:05दो पहर में लोटता है
00:24:09कुमला जाता है
00:24:11तो उसको ले जाकर गे बस में बैठा दी
00:24:17स्कूल की बस की सुविधा उपलब्द थी
00:24:19पर कोई जरूरत ही नहीं थी
00:24:21क्योंकि जुन्नू मज़े में
00:24:25पैदाली स्कूल चला जाता था और आ भी जाता था
00:24:28विखाज जन्जट की बात नहीं थी
00:24:30पर मम्ता
00:24:33उसको ले जाकर के बस में बैठा दी
00:24:35अब
00:24:40बस में महौल दूसरा है
00:24:44बढ़िया नर्म सीट मिली हुई है
00:24:51एसी चल रहा है
00:24:55और जुन्नू
00:24:57चौदह सूला साल के हो रहे हैं
00:25:00वहां पास साथ लड़किया भी है बस में
00:25:02में रूपंग से आकर शक
00:25:04महीना बर जुन्नू बस में बैठ करके
00:25:13स्कूल जाते रहे
00:25:16महीने के बाद जुन्नू के पिता जी ने कहा कि
00:25:25कहा के लिए हो गया महीने भर
00:25:26गर्मी तब बहुत थी तो इसको भेज दिया
00:25:29अब तो मौसम भी बहतर हो रहा है
00:25:31यह रहा है स्कूल पैदल चला जाता है
00:25:34बस चुड़वा दो बस चुड़वा दी
00:25:36महीने भर जुन्नू पैदल गए थे
00:25:41बस में गए थे
00:25:42एक तारीक को कहा गया पैदल चले जाओ
00:25:45जुन्नू के सचमुश घुटने में जबरदस दर्द हो रहा है
00:25:48तगड़ा दर्द हो रहा है जुन्नों के खुटने में
00:25:52और फिर भी पिता ने का निकल
00:25:57बड़ा घुटना बता रहा है
00:26:01तो निकले तो सोड़ी दूर गए
00:26:08और धूप में चक्कर खाकी गिर गए
00:26:11जबकि पहले और कड़कती धूप में चले याय करते थे अब तो
00:26:18मौसम बहतर हो गया है रूप में चक्कर खाकर गिर गए
00:26:22परियाब तो प्रमान सामने आ गए कि जुन्नों मजबूर है कमजोर है
00:26:27बस मिल गई
00:26:30बस मिल गई
00:26:36और ये तो बाहरी जगत की बात थी
00:26:42बाहरी जगत से मैं जब भी कोई उदाहरन दूँगा तो उसकी सीमाए होंगी
00:26:49हो सकता है इसकूल दस किलो मीटर दूर हो
00:26:52तब तो नहीं क्या सकते कि पैदल चले जाओ रोज
00:26:54एकाद दो किलो मीटर तीन चार किलो मीटर समझ में आता है
00:27:02पैदल चला जाता है उससे ज़्यादा तो होगा तो तकत हो जाएगी
00:27:05पर बाहरी जगत में भी समझना
00:27:13जुन्नू के खुटने में सचमुच दर्द हुआ
00:27:17जुन्नू धूप में जोकी धूप है भी नहीं सुब़ सुब़ जा रहे हैं साड़े साथ बज़े
00:27:23मौसम भी बदल चुका है
00:27:25साड़े साथ आठ भी कौन से धूप होती है
00:27:28उसमें ही वो चक्कर खाकर गिर भी पड़े सचमुच गिर पड़े
00:27:32डॉक्टर के पास लेकर करें डॉक्टर ने पूछा कोई बस तो नहीं है
00:27:41डॉक्टर ने ये नहीं पूछा कि मर्ज क्या है डॉक्टर ने पूछा बस कहां है
00:27:51जो पैदल चलने में कमजोरी बता रहा है उसकी जिन्दगी में कोई ना कोई बस मौजूद होगी
00:28:01नहीं तो कमजोरी नहीं होती
00:28:05ये माया है तुम्हारी एक एक कमजोरी बस इसलिए है क्योंकि तुम्हें कोई गंदा सहारा उपलब्ध है
00:28:21कोई नहीं छोड़ सकता कमजोरी भीतरी कमजोरी एकदम त्यागी नहीं जा सकती बस सहारे त्यागे जा सकते हैं वो भी इसलिए क्योंकि तुम्हें उनकी जरूरत है यह नहीं लेकिन तुमने अपने आपको बिल्कुल आश्वस्त कर दिया है कि यह सहारा मेरी जंदगी से चल
00:28:51की थी बात में तुम भूल गए कि तुम ने खुद यह चाला की अपने साथ खेली थी अब तुम्हें वागई लगने लगा है कि तुम आश्रित हो किसी सहारे के बिना जी नहीं पाऊगे
00:29:15बात समझवें आ रही है
00:29:21जहां कहीं भी पाना की कमजोर हो कमजोरी मत ढूंड़ना फिर कह रहा हूं सुत्र दे रहा हूं
00:29:29जहां कहीं भी पाना की कमजोर हो कमजोरी मत ढूंड़ना देखना कि सहारे कहां मौजूद हैं
00:29:35मत हटाओ कमजोरियां अपनी अपने सहारे हटा दो
00:29:39कमजोरियां तो ऐसे ही जूट है माया है
00:29:41कमजोरी कोई होती ही नहीं है
00:29:43कमजोरी किसको होगी
00:29:45एहंकार को
00:29:46एहंकार खुद जूट है मिथ्या है
00:29:48एहंकार ही नहीं है
00:29:49तो कमजोर कैसे हो जाएगा
00:29:50कमजोर तुम हो ये नहीं
00:29:53अहंकार कमजोर है
00:29:59लिखो जूटा वक्त है काटो
00:30:00अब नीचे लिखो
00:30:13सहारे अहंकार को जन्म देते हैं
00:30:17सहारा नहीं तो अहंकार ही नहीं
00:30:22अहंकार ही नहीं ये नहीं कि सहारा नहीं तो कमजोरी नहीं
00:30:26हम और आगे जाकर कह रहे हैं सहारा नहीं तो अहंता ही नहीं
00:30:30मुक्त जिसके पास कोई सहारा नहीं हो मुक्त
00:30:35जिसके पास कोई सहारा नहीं है उसे कोई कमजोरी नहीं हो सकती
00:30:39भीतरी दुनिया की बात कर रहे हैं
00:30:44बाहर ठीक है किसी की टांग कट गई है तो वो सहारा ले लेगा
00:30:49बेसाखी का सुच में आता है बाहर के सहारे फिर भी हो सकता है
00:30:53कि बैध हो भीतरी सहारा कभी भी बैध नहीं हो सकता
00:30:59जो भीतरी सहारा है वही अहंकार का जन्म दाता है
00:31:05तुम्हारी सारी तकलीफों सारी मजबूरियों का कारण है
00:31:12वो सब विशे जिनको तुम भीतरी तोर पर सहारा मान कर बैठे हो
00:31:23उन विशयों में जप तप योग और ये सब विधियां और मार्ग भी आते हैं।
00:31:33अरे मार्ग की उसकी जरूरत हो ना जो मंजिल से दूर छिटगाया हो तुम दूर छिटगी नहीं सकते।
00:31:41कहीं से कहीं जाना हो तो कोई मार्ग पूछे तुम मंजिल पर ही हो ठीक अभी तुम्हें कहीं नहीं जाना है।
00:31:51तुम बस सपना ले रहे हो की दूर आ गए हो सपना तूटने की जरूरत है कहीं पहुचने की नहीं।
00:32:02कोई सचमुच कमजोर हो तो उसको मजबूती के लिए एक योजना दी जाए।
00:32:12अब ऐसे करो अब ऐसे करो कुछ दिन तक ऐसे करो उसके बाद ऐसे करो ये खाओ पीओ ऐसे सो तो मजबूत हो जाओगे।
00:32:20जो सचमुच कमजोर हो उसको मजबूती के लिए कोई राह कोई योजना बताई जाए
00:32:26जो मजबूत है पर सहारों की गंदी लत लेकर बैठा है
00:32:38उसको मजबूती दिलाएं या सहारे छोटाएं
00:32:43बोलो
00:32:46योग कैसा वियोग है ही नहीं
00:32:53जब किसको रहो
00:32:58रमण महरशय के पास कोई गया वो लागि कही तरीके के मंतर है और सब अच्छे मंतर बताए
00:33:08उसमें शास्त्रों से इस मंतर का जाब कर ले इस मंतर का जाब कर लें
00:33:13कर लें किरा नहीं महर्शी ब्रुद वेक्टित वो सब जो मंत्र बता गया सब पर हां बोलते गए
00:33:23है अंत में जो मंत्र हो सकता है उसने का ये मंत्र कैसा है मैं प्रणव ओम होंकार
00:33:33इस बहुत अच्छा मंत्र है जब उसे सारे मंत्र बता लिए
00:33:38तो रमण महर्शियु से कहते हैं यह जितने तुमने मंत्र बताए यह इन सबसे आगे का मंत्र बताऊं मैं मैं मंत्र
00:33:51तुम्हें अपने से बाहर किसी मंत्र की जरूरत ही नहीं है
00:34:00सब मंत्र भी बाहरी सहारे होते हैं तुम्हें किसी बाहरी सहारे की कोई जरूरत नहीं है
00:34:10सहारों नहीं तुम्हें कमजोर बना रखा है
00:34:12तुम पर्याप्त ही नहीं हो तुम पर्याप्त के बाप हो
00:34:30साथ समझ में आ रही है
00:34:38माया बांधे सब ही लोग क्योंकि
00:34:49आंतरिक तौर पर सब सहारों में हैं
00:34:57अहंकार के सारे विशय उसका सहारा होते हैं
00:35:03इस हद तक उसका सहारा होते हैं कि उसके जन्म दाता होते हैं
00:35:06छोटा मुटा सहारा नहीं होते हैं
00:35:08विशय नहों तो हंकार मर जाए विशय नहों तो आत्मा हो जाए अहंकार
00:35:13तो ये जो विशय होते हैं यही आंकार को जन्म देते हैं ये चोटा नहीं इतना बड़ा सहारा है
00:35:22ये उसको जिन्दा ही नहीं रखते हैं ये उसको पहले जन्म देते हैं फिर जिन्दा रखते हैं ये इतना बड़ा सहारा होते हैं
00:35:32आपकी जिन्दगी में भी सहारे मौजूद है और सहारे सबको भाते हैं
00:35:44कौन बोलेगा सहारों को बुरा
00:35:53दुश्मनों को छोड़ा जाता है दोस्तों को थोड़ी
00:36:02जो बार करे उससे दूर जाते है जो सहार करे प्यार करे उसको तो पकड़ के रखते हैं बस वहीं पर कमजोर बने बैठे हो
00:36:19जुन्नों को बस में बैठना है और जब तक जुन्नों के मन में बस का विकल्प खुला रहेगा
00:36:35क्या पढ़िया गदेदार सीट है कुछ हिलना डुलना नहीं पड़ता पैदल जाते हैं पसीना आता है वहाँ एसी चलता है कोई पसीना नहीं
00:36:53और प्रबंध कर रखा है स्कूल ने की जितने बच्चे बस में बया जा रहे हैं स्कूल उनको बस में ही थोड़ा कुछ खाने को भी दे दिया जाए तो बस में बैठो तो खाने को भी मिलता है
00:37:07और विविद्ध प्रकार की बालिकाई भी रहती हैं जब तक वो बस का विकल्प मौजूद है जुन्नू लाचार बे सहारा ही बना रहेगा कि तो छोड़ों की खुटने में दर्द हुआ है
00:37:27ये ना हो जाए कि किसी दिन सोके उठे और बोले लकवा मार गया है ये भी हो सकता है और फिर पूरी दुनिया में गाएगा मैं क्या करूं मैं तो अप आहिज हूँ
00:37:39मुझे बस में इतना ही नहीं कि बस मुझे ले जाए ले आए बस से उतरें लोग मुझे बाकायदा मेरे कमरे से उठाएं
00:37:56और सीट पर लिटाएं चरण दबाएं मैं तो कमजोर हूं कमजोरी से बड़ा जूट दूसरा नहीं है
00:38:13ये बहां है मेरी इसकी कमजोरी हो सकती है ये वज़न उठाएगी और वज़न बढ़ाओगे उठाएगी फिर उठाएगी फिर और बढ़ादोगे तो नहीं उठाएगी बहां है इसकी कमजोरी हो सकती है
00:38:32जो भीतर हैं आप उसमें कोई कमजोरी नहीं हो सकती
00:38:36उसके पास कमजोरियां नहीं होती, उसके पास बस सहारे होते हैं
00:38:42मैं क्या करूँ, मैं लोगों के पास चाता हूँ, पर मेरी कोई सुनता नहीं है
00:39:08जिनके पास जा रहे हो, तुम भीतरी तौर पर उनसे स्वारत का रिष्टा रखते हो
00:39:20तुम भीतरी तौर पर उनसे कुछ लेने की चाहत लिए बैठे हो
00:39:25तुम लेंदार हो उनके, वो तुम्हारी क्यों सुनेंगे
00:39:29जिसके दौर के तुम भीतरी हो, वो तुम्हारी बात सुनेगा
00:39:43या तुम उसकी बात सुनोगे
00:39:46जिसके दौर के तुम भीतरी हो, बोलो
00:39:59कोई बोलने नहीं आएगा
00:40:07ये, वो उम्र भर कमजोर रहना
00:40:11वो तुम से आकर कहते हैं, ये, हम उम्र भर तेरा सहारा बनेंगे
00:40:17ये है किसी को कमजोर बनाए रखने का तरीका
00:40:22खुलम खुला कोई तुम से बोल दे, हम तुझे पूरी जिन्दगी कमजोर रखना जाते हैं
00:40:29तुम आजाद हो जाओगे
00:40:31पूल खुल जाएगी
00:40:35कभी ऐसे नहीं बोला जाता
00:40:38हम तुझे उम्र भर कमजोर रखना जाते हैं
00:40:43वो बात ऐसे कही जाती है
00:40:45मैं उम्र भर तेरा सहारा बनूँगा
00:40:48और फिर तुम कहते हो शमझ में नहीं आता कि मेरी कोई बात क्यों नहीं सुनता
00:40:53मैं कुछ भी करना चाहूँ उज में भीतर से बल क्यों नहीं उटता
00:40:57क्योंकि तुमने उम्र भर के लिए एक सहारा पकड़ रखा है
00:41:01एक नहीं, अनगाने कितनी, जिस दिशा देखो उस दिखा, सहारे ही तो बिचा रखे हैं, अहंकार कुछ नहीं होता, जिस कशन वो सहारे पकड़ता है, उसी कशन वो पैदा होता है, और वो पैदा ही कमजोर होता है, मजबूत अहंकार जैसे कोई चीज नहीं होती,
00:41:32जिस एक्षन मैं ने सहारे पकड़ लिये, उसी एक्षन वो पैदा होता है और पैदा ही वो कमजोरी में होता है, बस खत्म.
00:41:42कमजोरी उसको बुरी लगती है सहारे उसको अच्छे लगते है
00:41:48और मूरख कभी नहीं समझ पाता कि तेरी सारी कमजोरी नहीं सहारों की वजह से है
00:41:54वो कहता है नहीं सहारे मेरी कमजोरी की वजह से है
00:41:56यह हम कहा चुके हैं फिर दोरा रहे हैं
00:41:59पहले कमजोरी नहीं आती पहले सहारे आते हैं सहारे आते हैं तो कमजोरी आ जाती है कमजोरी कभी नहीं हटा पाओगे क्योंकि कमजोरी है यह नहीं सहारे हैं सहारे हटा दो फिर देखो
00:42:12पर सहारों का भी उतना ही स्वारत है तुम से जुड़ने में जितना तुम्हारा स्वारत है सहारों से जुड़ने में
00:42:26तो सहारे अपना भेद स्वायम कभी नहीं खोलेंगे
00:42:33सहारे तुम को और जता कर रखेंगे कि हाँ तुम तुम कमजोर हुई
00:42:37और हम तुम्हारे शुबचिंतक हैं
00:42:39देखो हमने तुमको सहारा दे रखा नहीं तुम इतने कमजोर हो
00:42:42तुम कब के ढह गए होते हमारे सहारे परी तुम चल रहे हो
00:42:45सहारों का भी स्वार्थ है
00:42:48स्वार्थ का ये व्यापार दो तरफा है
00:42:51सारे व्यापार दो तरफा होते है
00:42:53तुम स्वार्थ के नाते सहारे से जुड़े हो
00:42:57और सहारा भी स्वार्थ के ही नाते तुम से जुड़ा है
00:43:00वो तुमें कुछ दे नहीं रहा
00:43:01वो भी लेन देन कर रहा है
00:43:04वो तुमें कभी नहीं जानने देगा
00:43:07कि तुम कमजूर नहीं हो
00:43:09माया
00:43:37यह जो कमजूर बनके घुम रहे न यह बेबस नहीं है बहुत चलाक है बहुत चलाक है एक और तो इन्होंने भीतर ही भीतर मौज का प्रवंध कर रखा है सहारे बैठा रखे हैं
00:44:02सब सहारे इनके स्वारत की आपूरती करते रहते हैं एक और तो भीतर ही भीतर इन लोगों ने सहारे बैठा रखे हैं
00:44:13और उपर ही उपर इन्होंने अपने आपको कमजोर दर्शा के सहानुभूती का भी प्रबंध कर रखा है बहुत बहुत चलाक आदमी है जो बोले मैं क्या करूँ मैं तो दम नहीं है मेरी जिंदगी में मैं कुछ नहीं हूँ
00:44:31और ये दोनों करने के बाद जो ये चलाक आदमी अपने लिए तीसरा सुख निकालता है वो है सब तरह की जिम्मेदारी से बच जाना
00:44:48अस्तित्वगत जिम्मेदारियों से ही ये बच निकलता है क्योंकि मैं तो कमजोर हूँ
00:44:53इसकी तीन तरफा चलाकियां देख रहे हो सबसे पहले ये सुख ले रहा है सहारों का सब सहारे इसे स्वार्थ की आपूर्थी कर रहे हैं
00:45:12ये बहां से सुख ले रहा है उसके बाद ये बाहर निकल करके सबसे सहानू भूति लेता हु
00:45:32और फिर तीसरी बात, तो जिन से सहानु भूती ले रहा है, उन्हें कुछ देना भी नहीं है, किसी को कुछ देना नहीं है, कोई करतब भी नहीं, कोई थिम्मेदारी नहीं क्योंकि मैं तो कमजूर हूँ, मैं तो कुछ करी नहीं सकता, मैं तो ऐसा हूँ, मैं तो कमजूर हू�
00:46:02और आप भी सहानुभूती बहुत जल्दी दे देते हो उसको बताओ क्यों क्योंकि आप भी तो वही हो आपको भी तो दूसरों से सहानुभूतियां चाहिए
00:46:22फिर कह रहा हूँ यह आदमी बेवस नहीं है बहुत बहुत चालाक है
00:46:32समवेदना हो भी आपके पास तो उसके प्रति जो बिना किसी सहारे के बिना किसी सुरक्षा बिना किसी कवच के बेधरक दुनिया में निकला है और कह रहा है
00:46:48जिन्दा हूँ अस्तित्तों में मुक्त हूँ
00:46:51आपकी संवेदना हो भी तो उसके साथ उपर उसको आप नहीं दोगे
00:46:56उसको आप बोलोगे ये तो मजबूत है
00:46:58इसको हमारी संवेदना क्यों दे
00:47:03जबकि वो है
00:47:06जो वास्तव में हकदार है
00:47:11आपके सम्मान का आपके साथ का
00:47:15उसको लेकिन आपका भी नहीं दोगे
00:47:17जैसे ये आपको कोई मिल जायेगा
00:47:19बिलकुल जो अपने
00:47:21आपको भीतरी तार पर
00:47:23अरे अरे अरे ये बेचारा देखो इसके रोपढ़ता है
00:47:37कुछ बोल दो इसको रोपढ़ता है
00:47:42कौछ आम बता दो इसके एक ही जवाब होता है
00:47:43मैं तो दीन हींद और बल हूँ
00:47:48आप उसको सहानभूती दोगे
00:47:52उसको सहानभूती नहीं चाहिए
00:47:54इस आदमी के उपर कृपा करिए
00:47:59उसको चाटा दीजिए
00:48:03जिसको कमजोर पाएं उसको सहारा मत दीजिए
00:48:10सहारे तो पहली भहुत उसके पास है
00:48:12तभी वो कमजोर है
00:48:13कि वो कमजोर है ही सिले क्योंकि उसके पास पहले ही बहुत सारे हैं आप और सहारा बनके पहुंच जाते हों हम भी दे दे वह और कमजोर हो जाएगा कि कमजोर पाएं उसको
00:48:29उल्टा गड़े थे भीतरी जीवन का
00:48:47कमजोर से सहारे छीनिये और जो मजबूत है उसके साथ खड़े हो जाएए
00:48:58आप उसके साथ खड़े भी हो जाएंगे तो कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि वो कभी आपका सहारा नहीं लेगा
00:49:05आप उसे अपना साथ दे सकते हैं पर वो आपका सहारा नहीं ले सकता
00:49:13ये भीतरी जीवन का गणित है ये उल्टा चलता है
00:49:20बाहरी जीवन में आपको कोई कमजोर मिले तो आप सहारा दे सकते हैं ठीक है दे दिया
00:49:28कोई गिर गया है कुए में हाथ दे कर यह चलो यह बाहरी जीवन की बात है यह स्थूल जीवन की बात है
00:49:38भीतरी जीवन में उल्टा है भीतरी जीवन में जो कमजोर है उसको और कमजोर करिए उसके सहारे चीन कर
00:49:45कमजोर के सहारे छीन लोगे वो म즈बूत निकलेगा
00:49:49हो जाएगा भी नहीं वो म즈बूत निकलेगा, वो म즈बूत है
00:49:53और जो मजबूती से खड़ा हुआ है जीवन के सामने, अस्तित्तों के सामने
00:49:59उसके साथ खड़े हो जाओ
00:50:00वो आदमी संगत के लायक है
00:50:04इसलिए कह रहा हूँ उसके साथ खड़े हो जाओ
00:50:06उसके साथ खड़े हो जाओगे
00:50:10न वो तुम्हारा सहारा लेगा न तुम्हें सहारा देगा
00:50:14हाँ सतसंगते हो जाएगी
00:50:16वो असली सतसंग है
00:50:30इससे बड़ी क्या तुम अपनी और दुर्दशा करोगे बताओ
00:51:00कि मजबूत हो और कमजोरी का स्वांग करे ही जा रहे हो और क्या इससे बड़ी दुर्दशा हो सकती है
00:51:08और क्या क्या रहे हो वो मैं कमजोर इसलिए हूँ क्योंकि मुझे सहारे नहीं मिले
00:51:17कमजोर इसलियों कि साहरे नहीं मिले
00:51:23तु कमजोर इसलिये को कि पहले से ही
00:51:24दस साहरे पकड़ के बैठा हुआ है
00:51:26मेरी सहायता करो
00:51:33तेरी जो सहायता उपलग्द भी है
00:51:35तुझे उच्छीन लेंगे
00:51:35यह इलाज है तेरा
00:51:37कितनी कुरूर हो आप
00:51:47कैसी बाते कर रहे हो
00:51:48मैं कूमल कमजोर कमसिन सी कन्या हूँ
00:51:56क्या आप मुझे सहारा भी नहीं दोगे
00:52:01दिखो मेरी पतली सी कल आई है
00:52:08दुनिया में सबसे बड़ी गाली पता है किया है
00:52:23बेचारा
00:52:31किसी ने थूख दिया तुमारे मुपर
00:52:33मुपर कोई थूख दे कोई बड़ी बात नहीं है
00:52:44किसी ने तुमारी भीतरी हस्ती पर थूख दिया है
00:52:48मुपर तो कवावे बीट कर जाता है
00:52:55और तुमने ये बुन्यावी कोवों को खक दे दिया
00:53:03कि वो तुमारे दिल के अंदर बीट कर दे
00:53:07उसने बुला बेचारा और तुमने दिल के दोबार खोल दिये
00:53:12हाँ मैं तो बेचारा हूँ
00:53:14उसने गाली दी और तुमने गाली खाली
00:53:20सचमुच खाली, भीतर उतार ली
00:53:23अच्छा सा लगता न जब कोई बोलता है
00:53:28बेचारी
00:53:29बोलो
00:53:31वो भी कोई बहुत प्यार के साथ बोले
00:53:37अले बेचारी
00:53:38ठंडक पढ़ जाती है
00:53:41पढ़ जाती है
00:53:46पढ़ जाती है न
00:53:50आश्वस्ति पढ़ जाती है कि
00:53:54कोई समहाल लेगा, देखा
00:53:56किसी ने तो हमें बेचारा बोला, अब हमें
00:53:58समहाल लिया जाएगा
00:53:59यह तुम्हें गाली दी गई है
00:54:02और तुम्हारे खिलाफ साजिश करी गई है
00:54:04जो तुम्हें बेचारा बोल रहा है
00:54:06तुम्हे सहारा देने में उसका भी स्वार थे
00:54:34नहीं
00:54:35वो भी जिम्मेदारियों से मुक्त हो रहा है
00:54:40उसकी भी जिम्मेदारी क्या थी वास्तवेक
00:54:46कि तुम्हें बताए कि तुम ताकतवर हो
00:54:52कौन ये जिम्मेदारी निभाए इस से अच्छा
00:54:55सहारा दे दो
00:54:58और उसको सहारा दो उसको सहानभूते दो
00:55:02तो तो तुम्हें सम्मान मिलेगा जहां इसको बोला अले बेचाली सानुभूती दी तहाँ लिपट के एकदम पाउं पकड़ लेगी कहे गया ले ले मौसी जी मौसी जी मौसी जी
00:55:16आपने देखा है आप कैसे पुलकित हो आते हो जैसे कोई कहता है अरे अरे बेचार कितना काम करता है
00:55:25घर से फोन आया क्या हुआ क्यों बिजी जा रहा था फोन तो असली बात होता हैंगे नहीं मम्मी दिन भर काम चोरी बेमानी करी थी इसलिए अभी काम पूरा करना पड़ रहा है अभी भी वह काम चल ही रहा है
00:55:51आरे रे रे रे रे रे रे रे रे पुरान सोख लिए मोरी ची रही है कि एक करूरा चार रहे है
00:56:15उसी समय ऐसा लगेगा कि बुरिया बिस्तर बांद हो
00:56:21और चलो
00:56:23अब क्या सहारा मिलेगा क्या ना सहारा मिलेगा
00:56:27भीतर कोई है जो सहारे की तरफ जाने को आतर है बिलकुल
00:56:32पहुँचते ही बिलकुल सहारा मिलता है
00:56:34कुछ काम नहीं कुछ नहीं
00:56:35गर्मा गर्म दूद का गिलास आ जाएगा फिर भूल जाओगे सब भी गनी गन
00:56:42बढ़िया वो भी
00:56:44अरे अरे अरे अरे बिचारी कितनी यातरा करके आई है
00:56:47कमजोर भी बहुत लग रही हल्दी डालके पी ले
00:56:51गटक जाओगे एक दम
00:56:52कभी देखा है
00:56:57कहीं किसी के पास जाओ पहली बात
00:57:00तुम आठ किलो वजन बढ़ा के जाओ
00:57:02बढ़ी कमजोर हो गई है
00:57:05काटा हो गई है
00:57:10ये काटा गुबारे की तरह गोल कब से होने लगा
00:57:15एकदम काटा हो गई है बिचारी
00:57:19इतना बढ़िया लगता है भीतर कि देखा
00:57:27वही तो है अपना इस जगत में
00:57:31ये तुम्हारी रीड़ तोड़ी जा रही है
00:57:37फिर एक और उदाहर न देता हूँ थूल संसार से
00:57:43ये शरीर है न जैसे
00:57:45इसमें न जाने कितनी मास्पेशिया है न जाने कितनी
00:57:50और वो हर तरह की हर दिशा में हरकत करने के लिए बनी है
00:57:54जिससे काम कराना जितना कम कर दो उसका आकार उतना छोटा होता जाता है
00:58:05उतना छोटा होता जाता है
00:58:10शरीर यही नहीं चाहता कि काम करे
00:58:15वो चाहता है हर दिशा में हर तरह का काम करे
00:58:17आगे यह नहीं जुकना है पीछे को भी जुकना है
00:58:19दौड सिर्फ ऐसा ही नहीं लगानी है
00:58:22दौड ऐसे भी लगानी है
00:58:24ऐसे भी लगानी है पीछे को भी लगानी है
00:58:27दाएं को भी लगानी है मूँ इधर करे करे क्योंकि खरीर है यह ऐसा जब वो हर तरह की गति के लिए बनाए और उसको जिस भी तरह की गति नहीं मिलेगी उसकी वही मासपेशी समाप्त
00:58:38जिस भी दिशा में उसको सुविधा मिल गई
00:58:43उसी दिशा में वो समाप्त हो जाएगा
00:58:47जो जुकते नहीं वो जुकने के काविल नहीं बचेंगे
00:58:53आप तीन चार महीना न जुकिए उसके वाद आप जुकने का प्रयास करिए
00:58:59आप पाएंगे कि घुटनों तक भी हाथ ले जाना मुश्किल हो रहा है
00:59:02जो दोड़ते नहीं हो दोड़ने के लायक नहीं बचेंगे
00:59:08आप तीन-चार महीना मत दोड़िए फिर दोड़ने की कोशिश करिए
00:59:10सौ मीटर मुश्किल हो जाएगा
00:59:12और तो छोड़ दो जो जो गर्दन नहीं हिलाते हैं उनकी गर्दन नहीं जाएगी
00:59:23आपकी ये जो गर्दन है ये बनी हुई है यहाँ पूरा पीछे तक चला जाने के लिए
00:59:28आप एकदम सर के पीछे क्या है वो तो आप नहीं देख सकते
00:59:34लेकिन फिर भी बहुत हद तक ऐसे लगभग 270 डिगरी या उससे भी ज्यादा
00:59:41आप देख सकते हैं
00:59:45पर जो लोग गर्दन नहीं हिला तो उनकी यही अटक जाएगी इससे आगे दहादर पूरा जाएगी नहीं मेरी भी नहीं जाती
00:59:51किसकी आती है करके दिखाओ पूरी पीछे तक किसकी आती है 180 डिगरी नहीं हमाँ पाओगे गर्दन ऐसे मैं कहाँ दिखाई देता है ऐसे पीछे पीछे तक दिखाई देता है अगर गर्दन का इस्तिमाल करते रहे हो तो हाँ देख उसकी जा रही है
01:00:07इतनी तो यह गर्दन तक अटक जाती है आप इतनी इसका इस्तिमाल कर रहे हो तो फिर इतनी चलेगी स्यादा चलेगी भी नहीं
01:00:18यह कमजोरी का सूत्र है मुझे जरूरत ही नहीं पड़ती है पीछे देखने की
01:00:26क्योंकि मुझे सुविधा मिली हुई है मुझे पीछे देखनाई नहीं है यह सुविधा ही आपकी दुरबलता है
01:00:33पहले यह सुविधा थी फिर यह सहारा बनेगी और उसके बाद बैसाखी बनेगी
01:00:48सुविधा से सहारा और सहारे से बैसाखी
01:00:54तीसरी चौती बार दोरा रहा हूँ
01:00:58जिन्दगी में कमजोरी हो तो देखना
01:01:00कि सुविधाएं कहां से ले रहे हो
01:01:03सहारा किसका पकड़े बैठे हो
01:01:07हटा दो सहारे तुम पाओगे तुम कमजोर नहीं हो
01:01:10ऐसा बल तुम्हारा अनावरत होगा कि खुदी बहुचक के रह जाओ
01:01:15बहुत ताकत है
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