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  • 12 hours ago
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

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Transcript
00:00रूमी बहू सुभा के दस बच गए हैं तुम अभी तक सो कर नहीं उठी क्या बहू जल्दी करो आज तुम्हारी चौका चूलाई की रस्म है
00:09अपनी सास्मी नक्षी के आवाज सुनकर रूमी की नीद खुल जाती है वो बिना नहाई नाई ड्रेस चेंज करके गाउन पहन कर किचिन में जाती है उसने ना तो मांग में सिंदूर लगाया था और नहीं कले में मंगल सूत्र पहना था
00:20ये क्या बहो अच ससुराल में तुम्हारी पहली सुभा है और आच ही तुम इस हालत में किचिन में चली आई ना सिंदूर ना मंगल सूत्र ना ही साड़ी और बाल भी बिखरे हुए तुमने तो नहाया भी नहीं
00:32ममी जी आपने आवाज लगाई तुम्हें जल्दी जल्दी गाउन पहन कर बिना नहाई यहां भागी चली आई और सब तो ये जानते ही हैं कि मेरी शादी हो गई है तो साड़ी पहनने और सिंदूर मंगल सूत्र एक्स्ट्र इन सब चीजों की क्या जरूत है ममी जी
00:46इस तरह दोनों बहनों की सस्ट्राल में पहली सुबा होती है
01:16अपने संसकार के अनुसार सिया बहुत ही जल्दी अपने घर की जिम्मेदारी उठा लेती है
01:20सिया सुबा सूरज निकलने से पहली उठकर पूरे घर में जाड़ू और पोछा लगाकर आंगन को गाई के गोबर से लीपती है
01:26और पिर नहाद होकर किचिन में जाकर नाश्ता बनाती है
01:29और अपने साससुर और पती के खाना खा लेने के बाद ही खुद खाती है
01:33सुबा अंगन में धोती कुर्टा और साड़ी पहने बैठे ललिता और राजा
01:36हमारी बहु कितनी संसकारी है न
01:39हमारी उम्मीज से भढ़कर मिली है हमें हमारी बहु
01:42और यहां दूसरी तरफ रोमी अपने बैडरूम में 9 बजे तक सोती रहती है
01:46और अपने कमरे तक को भी व्यवस्थित नहीं रख पाती
01:49उसका पूरा कमरा अस्तवेस्थ पड़ा रहता है
01:51पूरे कमरे में शर्ट, पैंट, गाउन, जीन्स, टॉप, जूते, सैंडल और मोजे बिखरे हुए रहते हैं
01:56रूमी को खाना बनाना नहीं आता जिस वज़ा से उसके सस्राल वाले एक कुक रख लेते हैं
02:01रूमी जब तक सोकर उड़ती है तब तक कुक किचिन में नाश्टा बना लेता है
02:05आज सुबा कुक ने सैंड़िच बनाई थे
02:07किचिन में स्टाइलिश साली पहने खड़ी मीनाक्षी
02:10पता नहीं रूमी बहु को कितनी गहरी नीन दाती है
02:13पूरा महला सोकर उड़ जाता है लेकिन इसकी नहीं नहीं खुलती
02:16तब ही किचिन में मौडरन ड्रेस पहने बिना श्रंगार की रूमी आती है
02:20और सैंड़िच उठा कर खाने लगती है
02:22ये क्या रूमी बहु अभी तक ना मैंने खाना खाया ना तुमारे पती
02:26और नहीं तुम्हारे ससुर जीने और तुमो की
02:28मौमी जी वो क्या है ना
02:30मुझसे भूख बरदाश नहीं होती
02:31मुझे जब भूख लगती है तो मुझे सिर्फ खाना ही दिखता है
02:34और अगर आप लोग नाश्टा नहीं करोगे
02:36तो क्या मैं भूख ही रहूंगी
02:37या आपको सोचना चाहिए ना
02:39कि सुबह सुबह जल्दी नाश्टा कर ले
02:41रूमी जैसे माईके में थी
02:43वैसे ही सस्राल में थी
02:44उसे अपने अलावा किसी से मतलम नहीं था
02:46ठीक रूमी के जैसे ही सिया भी अपने सस्राल में वैसी ही थी
02:49जैसे अपने माई के में थी, मतलब सबका खयाद रखने वाली और सम्मान करने वाली
02:53एक दिन दुपैर में अपने साथ ससूर को खाना खिला देने के बाद
02:56सिया अपनी नंद वंदना के अस्त वियस्त रूम को विवस्थित करने लगती है
03:00उस समय वंदना कॉलेज में थी, वंदना के बैट पर इधर उधर फैली बुक्स उठा कर सिया बुक्स शेल्फ में रख रही थी
03:06तब ही वहाँ उसके साथ ससूर ललिता और राजा आते हैं
03:10बहू, मैं सुभा से देख रही हूँ, आज सुभा से तुने कुछ नहीं खाया
03:17नहीं ममी जी, आज सुभा से ही ये खेट गए हुए हैं, इनके आते ही इनके खाने के बाद मैं भी खाना खा लूँगी
03:23पापा जी ये भी तो भूके ही खेत में काम कर रहे होंगे तो भला इनके भूके रहते हुए मैं कैसे खाना खा सकती हूँ
03:36तुझ जैसी बहू पाकर हमारे तो भाग यही चमक गए
03:40उसी रात आंगन के चूले में सिया रोटी सेंक रही थी तबी उसके नन्द वंदना उसके पास आकर
03:45भाबी जी मैं आपकी कुछ हेल्प कर देती हूँ मुझे बताओ क्या करना है
03:50नहीं ननजी आप कुछ मत करो आप सर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो
03:53पढ़ाई तो मैं कर ही लूँगी भाबी लेकिन खाना बनाना भी तो आना चाहिए
03:58घर के काम भी थोड़े बहुत आने चाहिए
04:00अगर मुझे ये सब नहीं बनेगा तो ससुराल जाकर क्या करूँगी
04:04अपने ससुराल में सिया अपनी नंद को भी अपने संसकार दे रही थी
04:12उधर रूमी अपनी पढ़ाई के घमंड में चूर संसकार तो दूर की बात है अपने से बढ़ों का लिहास तक भूल गई थी
04:18एक शाम वो अपने सास ससुर के साथ घर के गार्डन में चाहे बैठी पी रही थी तब ही उसका पती विरेंद्र ओफिस से वहाँ आता है
04:25रूमी उसे लेकर रूम चली जाती है
04:27अगली सुबा शॉर्ट डेस पहने रूमी विरेंद्र के साथ पार्क जाने की तया है
04:48तब ही हॉल में बैठी उसकी सास मेनाक्षी उसे देख कर टोकती है
04:52बहु इतने छोटे कप्डे पहन कर कहा जा रही हो
04:56ममी जी मैं विरेंद्र के साथ पाक जा रही थी
04:59बहु तुमको किसी ने संसकार नहीं दिये क्या
05:02कि बहुओं को घर से बाहर कैसे कप्डे पहनने चाहिए कैसे नहीं
05:06अभी अपने रूप पहन जाओ और साड़ी पहन कर आओ
05:08ममी जी अगर आपको संसकारी बहु चाहिए थी
05:12तो मुझ जैसी ग्राजवेट लड़की से अपने बेडी की शादी क्यों करवाई
05:14किसी अनपड लड़की से अपने बेडी की शादी करवा देती न
05:17अनपड लड़की संसकारी होती है
05:19और बला मेरे कपड़े पहनने से मेरे संसकारों का कैसे पता चलता है
05:23मैं तुम्हारी सास हूँ
05:25मैंने तुमसे ज़ादा दुनिया देखी है
05:27इसलिए मैंने तुम्हें तोका
05:29कितने चोटे कपड़े पहन कर घर से बाहर मत चाओ
05:31लोगों की गंदी नजर पढ़ती है
05:33लोग मुझे कैसे देखते हैं
05:36लोगों की नजर से
05:37मुझे क्या करना है मम्मी जी
05:38ये तोका तोकी मुझे बिल्कुल भी नहीं पसंद है
05:41रूमी का रूडली मीनाक्षी से बात करना
05:44विरेंद्र को बिल्कुल पसंद नहीं आता
05:45रूमी ये तुम मम्मी से किस टोन में बात कर रही हो
05:49वो सही तो बोल नहीं है
05:50क्या गलत बोला
05:51तुम अभी उनसे माफी मांगो
05:53ये तुम क्या बोल रहे है विरेंद्र
05:55तुम्हारी मा नहीं मुझे टोका और तुमने तो सुना ना उन्होंने मुझे क्या कहा मैं उनसे माफी नहीं मांगूँगी
06:01रूमी उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा है तुम उनकी बहु हो और वो तुम्हारी बारे में गलत नहीं सोचेंगी
06:06विरेंद्र और मीनाक्षी की बातों का बुरा मान कर रूमी अपने कमरे में जाकर अपना बैक पैक करके अपने माएक के हौल में बैठी रजनी जी के पास पहुंच जाती है
06:22तबी थोड़ी देर बाद वहां सिया भी अपने पती राघव के साथ पहुंचती है
06:26आज मुझे तुम दोनों की बड़ी याद आ रही थी तुम दोनों यहां आ गए बड़ी लंबी उम्र है तुम दोनों की लेकिन रूमी तु अकेली आई है दामाद जी नहीं आए तेरे साथ
06:35रजनी कुछ समझ पाती तबी वो घवराया हुआ विरेंदर भी अपनी कार से पहुंच जाता है
06:40क्या बात है आज मेरे दोनों दामाद और बेटी आ मेरे हांगन में लेकिन एक बेटी और दामाद खुश हैं और एक परेशान
06:47क्या बात हुई है तुम दोनों के बीच बता रूमी
06:51सस्राल में जो कुछ भी हुआ रूमी वो सब रजनी से बताती है
06:54मा मेरी वहां कोई रिस्पेक्ट नहीं है वहां मेरी कोई रिस्पेक्ट नहीं है ममी अब मैं वहां नहीं जाओंगी बात बात पर मेरे साथ सब लोग टोका टोकी करते हैं जो मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं है
07:06ममी जी मेरी मा की बातों का बुरा मान कर रूमी यहां चलिया आई है
07:10ये तो गलत बात है
07:11गुस्से मैं ऐसा नहीं करना चाहिए था रूमी तुझे
07:14रूमी बेटी तू बहले अपने माएके में थी
07:17तो जैसे जी चाहा वैसे रही
07:19लेकिन अब तो अपने ससुराल में हैं
07:21तो अब तुझको वहां के नियम और कायदों से चलना होगा
07:24रूमी साथ ससुर माता पिता के समान होते हैं
07:28अगर तू उनका सम्मान करेगी तो प्यार भी मिलेगा
07:30और गलती करेगी तो डाट भी पड़ेगी
07:33तभी बोलते बोलते रूमी अचानक बेहोश हो जाती है
07:55और सभी लोग रूमी को अस्पता ले जाते हैं
07:57होश में आते ही रूमी खुद को हॉस्पिटल के बैड पर लेटा हुआ पाती है
08:00उसके बगल वाले बैड में सिया भी लेटी हुई थी
08:03सिया के बैड के पास उसके सस्राल वाले और रूमी के बैड के पास उसके सस्राल वाले खड़ी थी
08:08वहीं रजनी, रूमी और सिया के बैड के पास खड़ी थी
08:11तभी फाइल हाथ में लिए डॉक्टर आती है
08:13आप सबको घबराने की कोई जरुवत नहीं है
08:16मिस्सिस रूमी अब खत्रे से बाहर है
08:17वो प्रेगनेंसी में जादा स्ट्रस लेनी की वज़े से उनको चक्कर आगया था
08:20इन्होंने अपनी डाइट का ध्यान नहीं रखा
08:22जस वज़े से इनका शरीर बहुत कमजोर हो गया है
08:24वो तो अच्छा हुआ इनकी बड़ी बेहन का ब्लट ग्रूप
08:27इनसे मैच हो गया नहीं तो प्रॉब्लम हो सकती थी
08:29क्या? मेरी बड़ी बेहन ने मेरी जान बचाए
08:32मैंने आज तक दीदी से प्यार से बात नहीं की
08:35ना ही उनकी रिस्पेक की फिर भी दीदी मुझसे इतना प्यार करती है
08:38मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई
08:40दीदी मुझे माहफ कर दो
08:42बस गर पगली लुलाएगी क्या?
08:44वो तो तु अपनी पढ़ाई के घमन में देख नहीं पाई
08:46कि मैंने हमेशा तुझसे प्यार ही किया है
08:49तेरी भलाई ही चाहिए
08:50पापा के गुजर जाने के बाद जब ममी को हम दोनों को पढ़ाने में तकलीफ हुई
08:54तो मैंने तेरे लिए अपनी पढ़ाई छूड़ दी
08:56ताकि ममी सिर्फ तुझे अच्छे से पढ़ा सके
08:58तु पढ़ने में होश्यार थी ना?
09:00और मैं तेरे जितना होश्यार नहीं थी
09:01जिस दिन तुझे स्कॉलर्शिप मिली थी
09:04उस दिन मुझे ऐसा लगा था कि जैसे
09:05मैंने ही वो स्कॉलर्शिप जीती है
09:07लेकिन मैं तुझसे तब कुछ कह नहीं पाई
09:10और उसके बाद तु हर बीतिते दिनों के साथ
09:13मुझसे दूर होती चली गए
09:14फिर कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं हुई
09:16रूमी तेरी सिया सही कह रही है
09:20उसने तेरे लिए शिक्षा चुनी
09:21तो मैंने उसे संसकार दिये
09:23लेकिन तू ये बात कभी समझ नहीं पाई
09:26रूमी बैट से उठकर सिया के पास जाती है
09:29और बैट में लेटी सिया को अपने गले से लगा कर
09:31इस तरह दोनों सागी बहनों ने अपने संसकार अपने सस्राल में दिखाए
09:48लेकिन अंत में रूमी के समझ में आ गया
09:50कि जिस पढ़ाई के घमंड में वो अपनी संसकारी बहन को नीचा दिखाती रहती थी
09:54दरसल उसकी पढ़ाई उसी के संसकारों की वज़ा से है
09:57और पड़ाई के साथ साथ संसकार भी जरूरी होते हैं
10:00संसकार के सारे लोगों का मन जीता जा सकता है
10:02लेकिन सिर्फ शिक्षा के सारे ऐसा कर पाना बहुत मुश्किल है
10:06इसलिए शिक्षा के साथ साथ संसकार भी जरूरी होते हैं
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