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"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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00:00अमीर गरीब बेटी का टिफिन
00:02अंकिता शीतल को टिफिन दे रही थी
00:04अरे मा ये लीजे अपना टिफिन अभी आप इसे भूली जाती
00:09तो कितने अच्छी है ना बाहर काम पर भी जाती है और मेरे लिए इतने प्यार से टिफिन भी बनाती है
00:14मैं बहुत जादा खुश हूँ तेरे जैसी बेटी को पाकर
00:18नहीं मा ऐसा नहीं है बलकि मैं बहुत जादा खुश हूँ कि आप मेरी मा की रूप में मुझे मिली
00:24और फिर आप भी तो मेरे लिए कितना मेहनत करती है इतनी जादा उम्र में भी आप काम पर जाती है
00:29वैसे आप काम छोड़ क्यों नहीं देती
00:31हाँ हाँ छोड़ दोंगे लेकिन तेरी शादी के बाद
00:34अभी तो मैं काम करके तेरी शादी के लिए पैसे जुटा रही हूँ
00:37आखिरकार मेरी कलौती बेटी की शादी
00:40मुझे धूमधाम से करवानी ही पड़ेगी
00:42मा कितनी चिंता करती हो मेरी
00:44वैसे मा इसमें ना आपकी फेवरेट सब्जी है
00:47तो अच्छे से खाना खा लीजेगा ठीक है
00:49हाँ हाँ बिल्कुल
00:50मेरी बेटी जो प्यार से मेरे लिटिफिन बनाती है
00:53तो मैं पूरा टिफिन खाऊंगी न
00:54मैं पूरा चिकन खालूंगी और मैं अब जा रही हूँ वरना देर हो जाएगी और तू भी अपने ओफिस जाने के लिए निकल जा वरना तुझे भी लेठा हो जाएगा
01:04हाँ मा, बस अभी मैं घर का थोड़ा बहुत काम करके आफिस के लिए निकल रही हूँ, अब आराम से जाईएगा
01:10फिर शीतल वहाँ से चली जाती है और थोड़ी देर बाद अंकिता भी अपने आफिस के लिए निकल जाती है, वहीं दूसरी तरफ
01:15अरे टिफ़िन तो लेते जा, इसे चोड़कर कहां जा रही है? ये क्या मा, आप रोज रोज डिफिन बना देती है, मैं ओफिस की कैंटीन से लेकर खा घालूंगी
01:24नहीं बिल्कुल नहीं, रोज रोज बाहर से खाना खाना बिल्कुल अच्छी बात नहीं है
01:28इस से सिहत खराब होती है और बाहर का खाना खाना कितना अनहाईजीनिक होता है
01:33हाँ हाँ मेरी ही तबित खराब होगी, बाकि जो लोग खाते हैं उन्हें तो कुछ नहीं होता
01:38देख बेटा मैं तेरे लिए प्यार से टिफिन बनाती हूँ और फिर तू इसे बिना खाय जाती है टिफिन ले और पूरा खाना खा कराना
01:45अच्छा ठीक है मैं जा रही हूँ लेकिन प्लीज कल आप टिफिन मत बनाना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता ये घासफूस खाना
01:51जोब हम लोग इतने अमीर हैं तो फिर कैंटीन से खाना ले लेंगे क्या दिक्कत है
01:54अरे अरे बुस्सा कम कर आज तो ले जा कम से कम टिफिन हाँ हाँ ठीक है
02:00फिर प्रियंका चली जाती है और थोड़ी देर बाद शान्ती भी अपने ओफिस के लिए निकल जाती है फिर शाम को
02:05मा बताईए कैसा गया आज आपका पूरा दिन? मेरा क्या है मुझे तो मज़़ी करनी पड़ती है तो दिन कैसा जाएगा? बीत गया
02:13वही अच्छी बात है वैसे तू बता तेरे ओफिस में क्या क्या हुआ आज? आज तो मुझे ओफिस में बहुत मज़ा आया क्योंकि आज बॉस का बर्थ दे था तो उन्होंने सबको बद्धी पाटी दी थी और फिर क्या हुआ? अरे मा आपको तो पता है फिर
02:26इसी तरह दोनों एक साथ बैट कर धेर सारी बाते कर रही थे और उन्हें बाते करते देख शांती देख रही थी
02:33ये दोनों मा बेटी कितनी सौरी बाते कर रही है साथ में बैठ कर
02:37मेरी भी बेटी आएगी ओफिस से तो मैं भी इनी की तरह बैठ कर उससे धेर सारी बाते करूँगी
02:42शांति यही सोच रही थी कि तभी प्रियंका आजाती है
02:45ओरे प्रियंका तू आगई?
02:48इतना कहकर प्रियंका वहां से गुस्से में चली जाती है
03:18इस पडूस की मा बेटी जैसा बंधन मेरे और मेरी बेटी के बीच में भी होता
03:22अरे मा आप तक यहां खड़ियो कर क्या कर रही हो
03:28चलो जली चल कर सो जाते हैं कल आपको काम पर भी तो जाना है
03:31नहीं नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही चल चल कर सो जाते हैं
03:36पिर शान्ती जाकर सो जाती है और दूसी तरफ अंकिता और शीतल भी सो जाती है पिर अगली सुभा
03:40सब्सी ले लो सब्सी ताजी ताजी सब्सी ले लो
03:44अरी मा लगता है बाहर सब्सी वाला आगया है
03:47हाँ ये सब्जी वाले की ही आवास है चल मैं सब्जी लेकर आती हूँ
03:50नहीं नहीं मा मैं सब्जी लेकर आती हूँ मेरे होते हुए आप सब्जी लेने जाएंगे ऐसा हो सकता है क्या
03:55इतना बोलकर अंकिता बाहर सब्जी लेने आती है वहीं शांती
03:59ओ सब्जी वाला आगे आप जाकर जल्दी से सब्जी ले लेती हो वरना चला जाएगा क्योंकि इस घर में तो सारा काम मुझे ही करना पड़ता है
04:06कोई और तो कुछ करता ही नहीं है चलो अब सब्जी लेने चलती हूँ
04:10यह सोच कर शांती भी तुरन सब्जी लेने पहुँचती है
04:13कहिए एक कौन सी सब्जी दूँ
04:16एक काम करती हूँ प्रियंका की फेवरेट सब्जी ले लेती हूँ कलो से टिफिन बना कर दूँगी
04:20ऐसे तो वो टिफिन नहीं खाती लेकिन अपनी फेवरेट सब्जी देखकर जरू टिफिन खालेगी
04:25आप पालक का साग दे दीजे
04:27पालक का साग? तो देखिए मैं पहले ही बता देता हूँ
04:31वो बहुत अभी महंगा है क्योंकि ठंडी आई नहीं है
04:33कोई बात नहीं जितना भी महंगा हो आप दे दीजे
04:36अचा ठीक है तो मैंडम आपको भी पालक का सागी देदू
04:40अरी नहीं नहीं मुझे पालक का साग मत दीजे
04:43अभी पालक का साग कितना महंगा है उसे लेकर अपने पैसे क्यों बरबात करू
04:47कुछ दिन में ठंडी आ जाएगी तो वो अपने आप सस्ता हो जाएगा तब मैं ले लूँगी
04:51वाँ क्या समझदाल लड़की है एक एक पैसे का हिसाब रखती है एतनी अच्छी तरीके से अपना घर संभाल रखा एकदम बहु बनने के लक्षन है इसके अंदर
04:59अच्छ ठीक है तो मैं आपको बैंगन दे दूँ ठीक है बैंगन दे दीजे फिर अंकीता सबजी लेकर घर आ जाती है पिर अगली दिन सुभाँ
05:08एक काम करती हूँ आज प्रियंका की फेवरेट सबजी बनाती हूँ, वही टिफिन में अपनी फेवरेट सबजी देखकर बहुत जादा खुश हो जाएगी
05:14यह सोच कर शान्तिय प्रियंका के लिए टिफिन बनाती है
05:18चलो अच्छा टिफिन भी एकदम टाइम पर बन गया अब मुझे भी ओफिस के लिए लेट नहीं होगा
05:23मा मैं ओफिस जा रही हूँ, आरे रोक रोक रोक रोक रोक रोक ये तो लेजा आपना टिफिन
05:28मा आपको कितनी बार मना किया, मेरे लिए टिफिन मत बनाया करो, मैं बाहर से लेकर खालूंगी
05:32बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए, तुझे कितनी बार समझाओ
05:36यह पकर टिफिन और पूरा खतम करके याना, आज का खाना तुझे पसंद आएगा
05:40इतना कहकर प्रियंका टिफिन लेकर चली जाती है
05:49पर शानती भी अपनी ओफिस के लिए निकल जाती है फिर शाम को
06:04चलो अब सारा काम हो गया, मा भी आती ही होंगी, उनके साथ बैटकर रात में धेर सारी बाते भी तो करनी है
06:10अच्छा कुछ काम भी जल्दी जल्दी कर लेती हो
06:13तब यह अंकिता की नजर छट के नीचे पढ़ती है, जहां शीतल आ रही थी
06:17यह सोचकर रंकिता तुरन नीचे आती है और फिर शीतल और रंकिता बैटकर एक दूसरे से धेर सारी बाते करती है
06:28यह सब शांती देख रही थी
06:31यह दोनों मा बेटी रोज रात को इसी तरह बाते करती है, काश मेरी बेटी भी इसी तरह मुझसे रोज बाते करती है
06:37लेकिन कोई बात नहीं, आज तो वो मुझसे जरूर बात करेगी
06:40जब आज आएगी तब मैं भी उसके साथ बैटकर बहुत सारी बाते करूँगी
06:45शांती प्रियंका का इंतजार कर रही थी, फिर कुछ दिर बाद प्रियंका घर आती है
06:49आरे तू आ गई, कैसा लगा तुझे आज का टिफिन
06:52हाँ हाँ ठीक था
06:54बस ठीक था, आज तो तेरी फेवरेट सब्जी थी न, तुझे पसंद नहीं आया
06:58हाँ, मेरी तो फेवरेट सब्जी थी, मैं तो भूली गई थी
07:02वैसे अभी मैं बहुत जादा धग गई हूँ, मैं सोने जा रही हूँ, हम कल सुबह बात करते हैं
07:06औरे लेकिन
07:07शांती कुछ और कहती है, उससे पहले ही प्रियंका वहां से चली जाती है
07:10प्रियंका की जाने के बाद शांती खिड़की से अंकिता और उसकी माँ को देखने लगती है
07:14एक मेरी बेटी है जो मुझसे दो मिनट सीधे मुबाद तक नहीं करती है
07:18और एक अंकिता है जो अपनी माँ के लिए कितना सब कुछ करती है
07:21अपवस जाती है खाना बनाती है और साथ ही अपनी माँ के लिए टिफिन बनाती है
07:25पिर रात में उनके लिए समय निकाल कर उनसे बाद भी करती है
07:28और एक मेरी बेटी है जो मेरे लिए कुछ भी नहीं करती है
07:31शांती यही सोच रही थी कि तब ही
07:34लेकिन एक सेकिन, वो तो गरीब है, और हम लोग अमीर, और फिर अगर, वो अपनी बेटी से इतना काम करवाती है, तो उससे मुझे क्या, लेकिन मैं तो अपनी बेटी को अपनी पलको पर बिठा कर रखूंगी, मेरी बेटी ही अच्छी है, मैं क्यों उससे इतना सब कुछ कर
08:04और प्रियंक का रास्ते में एक दूसे से ठक्रा जाती हैं,
08:34जादी के लिए इतनी मेहनत करके पैसे जुटाती हैं, तुम्हें इतना तो करी सकती हो ना, यार फिर भी इतना सब कुछ करके तुम ठकती नहीं हो क्या, मैं तो इन में से एक भी काम नहीं कर पाओ, हाँ मुझे सारा काम आता है लेकिन बिना मतलब का पहले बाहर काम करो, फिर
09:04लेकिन बोलती है कि टिफिन बनाना सीख ले, अब इसमें सीखना के अगर खाना बनाना आता है, तो टिफिन बनाना भी तो आएगा ही, उसमें सीखने जैसी क्या बात है।
09:34हूं यह तो कभी करना ही नहींदाई क्या सच्ची आप बिना दहेज
09:39के यह अपने बेटे की शादी कर वा देंगी हाँ हाँ तिलकुल थीक है तो फिर मुझे भी यह रिष्टा भी मंजूर है ते aument
09:46तो फिर मैं जल्द से जल्द शादी की तारीक निगलवाने की कोशिश करूँगी, चलिए अब मैं चलती हूँ
09:51फिर शिल्पा वहां से चली जाती है और वहीं दूसरी तरफ प्रियांका के लिए भी रिश्टा आता है
09:56इतना कहकर मानवी भी चली जाती है और अब दोनों ही शादी की तारीक निकलवाते हैं
10:25फिर एक दिन मानवी शिल्पा के घर जाती है
10:27अरे तू यहां बड़े दिनों बाद आई है वैसे मैं भी तेरे ही घर आने वाली थी
10:33वो मुझे तुझे कुछ बताना था जिससे सुनकर तू खुशी से जूम उठेगी
10:37वैसे तु मेरे घर आई है कुछ काम है क्या तुझे क्योंकि ऐसे तो तु मेरे घर आती नहीं है
10:42नहीं यार ऐसी बाथ नहीं है बस बिजी रहती हूँ इसलिए नहीं आपाती
10:45वैसे मैं तो ये तुझे बताने आई थी कि मेरे बेटे की शादी तय हो गई है और उसी का involves
10:50देने आई हूँ
10:51मेरे बेटे की भी शादी तय हो गई, इसी पांच तारीक को है शादी, मैं तुझे यही बताने आने वाली थी
10:57क्या, तेरे बेटे की भी शादी पांच तारीक को है, ये कैसे हो सकता है
11:01तेरी भी का क्या मतलब है, तेरी बेटी की भी शादी पांच तारीक को है क्या
11:06ये क्या हो गया, मैं तो सोच रही थी कि मैं अपने best friend के बेटे की शादी में धूम मचा दूंगी लेकिन तेरे बेटे और मेरे बेटे की शादी तो एक ही दिन पड़ गई
11:15चलो दास मतो, अब तो मेरी बेटी की शादी में धूम मचाना, वैसे इसमें एक बात तो अच्छी है, हम दोनों की बहु एक ही दिन हमारे घर आएंगी, हाँ वो तो है लेकिन फिर भी
11:25पिर इसी तरह दोनों धेर सारी बाते करते हैं, फिर से तेरा दिन बिताते हैं और शादी का दिन आही जाता है, दोनों के बेटों की शादी एक ही दिन होती और फिर गिरह प्रवेश
11:34आओ आओ बहू, तुमारा इस घर में स्वागत है, जी माजी, वैसे भाबी आज अब बहुत सुन्दर लग रही है, वैसे भाईया का नाम कौन से हाथ में लिखवाया है, वैसे लिखवाया भी है या नही
11:46अरे लिखवाया ही होगा तभी तो भावी के मेंदी का रंग इतना गाड़ा चड़ा है क्यों है ना भावी
11:52अरे अरे बस भी करो और कितना छेड़ोगे उसे जा बहुत अपने कमरे में जाकर आराम कर ले
11:58कल तेरी पहली रसोई होगी तो तुझे जल्दी उठना होगा
12:01हाँ चलो आंकिता हम लोग चलते हैं अमन और आंकिता जाकर अपने कमरे में सो जाते हैं वहीं दोसरी तरफ
12:08सच में बहु तुम बहुत जादा सुन्दर लग रही हो
12:11भावी सुन्दर से जादा बहुत जादा स्मार्ट लग रही है
12:14सच में भावी आपका ड्रेसिंग सेंस बहुत अच्छा है
12:17हाँ भावी वो तो है
12:19अरे वैसे जाओ अब बहु को कोई कमरे में छोड़ दो विचारी ठक गई होगी
12:24हाँ चलिए भावी मैं आपको आपका कमरा दिखा देती हो आप थोड़ी दे अपने कमरे में आराम कर लीजेगा
12:30अब हो आज तो मीरी पहली रसोई है क्या बनाओ खाने में जो सबको पसंद आजाए तो क्या बनाने वाली है आप
12:57हैं बहु कुछ अच्छा सा बनाना खाने में जो सबको पसंद आए समझी न
13:00हाँ मा जी मैं जोड़दार आलू की सबजी बनाने वाली हूँ सबके लिए
13:04जैसे बहु आज तो तेरी पहली रसोई है तो फिर तू एक काम कर
13:07सबके लिए टिफिन भी बना दे क्योंकि पहले तू खाना बनाएगी
13:10फिर मैं खाना बनाऊंगी इसमें बहुत देर हो जाएगी इसलिए तू ही सबके लिए टिफिन बना दे
13:15ठीक है मा तैसे जब खाना टिफिन में देना है तो तू जोलदार सब्जी मत बनाना कुछ और बना ले
13:22इतना कहकर मानवी अंशिका के साथ वहाँ से चली जाती है
13:26यह सोचकर प्रियंग का खाना बनाने लगती है वहीं दूसी तरफ
13:42पनीर की जोलदार सब्जी और पूरी बना लेती हूँ यह सही रहेगा
13:46अरे अंकिता बहु मैं तुझे बताना ही भूल गई देख पहले तू खाना बनाएगी फिर मैं बनाऊंगी इसमें बहुत देर हो जाएगी यसलिह तू सबसके लिए टिफिन भी बना देना ठीक है
13:54ठीके माजी मैं टिफिन में ले जाने लाएक और नाश्टा करने लाएक खाना ही बनाऊंगे आप चिंता मत कीजे
14:00अचा भाबी अगर आपको किसी भी चीज की ज़रुत पड़े तो मुझे बुला लीजेगा अभी मैं अपना कॉलेज बैक पैक करने जा रही हूँ
14:07इतना कहकर सभी लोग वहाँ से चले जाते हैं और अंकिता खाना बनाने लगती है कुछ दर में खाना बन जाता है और वो सभी को परोस्ती है
14:14वा भाबी खाना दो सच में बहुत �τηस्टी है
14:16हाँ भावी मुझे तो पता ही नहीं था कि आप इतना अच्छा खाना बनाना जानती है
14:20आपके हादों में तो जादू है जादू
14:22हाँ भाव खाना बहुत ही अच्छा है
14:25वैसे अमन जी आपको कैसा लगा खाना?
14:27हाँ खाना बहुत अच्छा है लेकिन मैं आकर तुमसे बात करूँगा अभी मुझे ओफिस जाने में देर हो रही है तो मेरे टिफिन पैक कर दो
14:34मुझे पता था इसलिए मैंने पहले सी आपका टिफिन पैक कर रखा है
14:38अच्छा लगता है तुम तु समझदार हो चलो ठीक है मेरे टिफिन दे दो मैं जा रहा हूँ
14:42फिर अंकिता अमन को टिफिन दे लेती और धीरे धीरे इसी तरह अपने सस्राल की जिम्मेदारियां सम्हालने लगती है
14:48वहीं दूसरी तरह प्रियंका सभी को खाना परोस्ती है
15:18हाँ भाबी यह तो कॉमन सेंस है
15:20देख बहु आज तेरा पहला दिन है सिले मैं तुझे माफ करी हूँ लेकिन आगे से ऐसी गलती दोबारा मत करना
15:25चल जा तू बाकी का काम कर आज सभी लोग खाना बहार से खालेंगे
15:29हाँ मानवी तुम अगली बार से ध्यान रखना कि मुझे बाहर का खाना खाना बिलकुल भी पसंद नहीं है
15:34इतना कायकर प्यूश वहाँ से चला जाता है और फिर सभी लोग अपने अपने कामों में लग जाते हैं इसी तरह अगले दिन
15:40अरे इसमें तो नमक तेज हो गया अब इसे अमन टिफिन में कैसे लेकर जाएगा हो अब क्या होगा
15:46रहने दीजिये ना आप चिंता मत कीचिये मैं बाहर से खाना खालूँगा कभी कभी ऐसा हो जाता है
15:51अरे नहीं नी बाहर का खाना अनहल्दी होता है रुकिये दो मिनट मैं अभी सबजी को ठीक कर देती हूँ
15:58इतना कहकर अंकिता सबजी में दो आलू अबाल कर डाल देती है वहीं दूसरी तरफ
16:12बाहू बना लिया तो उन्हे नाश्टा और टिफिन पैक किया या नहीं टिफिन के लिए ही बनाया है ना
16:18हाँ हाँ बिल्कुल माजी आज मैंने टिफिन में पैक करने लाइक नाश्ता बनाया है
16:22और मैं टिफिन पैक भी कर चुकी हूँ
16:24अच्छा मेरी बहुत समझदार है मैं तो बेकार ही
16:27कल तुछ पर चिला बैठी थी
16:29वैसे क्या बनाया तुने
16:30मश्रूम की सबजी
16:32क्या मश्रूम की सबजी
16:34क्या हुआ माजी आप नहीं तो कहा था कि कोई जोलदार सबजी नहीं बनाना
16:39टिफिन में पैक करने लाइक सबजी बनाना
16:41इसलिए मैंने मश्रूम की सबजी बना दी
16:43पता नहीं कैसी बहु मिल गई है
16:45मुझे तेरी वज़े से रोज रोज सबको बाहर से टिफिन मंगवाना पड़ता है
16:48मश्रूम की सबजी अगर टिफिन में दो पहर तक बंद रहेगी तो वो खराब हो जाएगी
16:52तेरे पास इतनी अकल नहीं है क्या
16:54तब इकिचिन में प्यूश आता है
16:56मा मुझे बहुत देर हो रही है टिफिन दे दो
16:58तू अपनी पत्नी से ही तो फिर मांग ले
17:01क्यों क्या हुआ
17:02तेरी पत्नी ने टिफिन के लिए मश्रूम की सबजी बनाई है जो तो पहर तक खराब हो जाएगी
17:07अब तू आज भी बाहर से ही खाना खा लेना
17:09उफ ये क्या है प्रियंका तुम्हारे पास थोड़ा सा भी दिमाग नहीं है क्या
17:13तुमने कभी टिफिन पैक नहीं किया अब मुझे बाहर से खाना खाना पड़ेगा
17:16और तुम तो जानती हो कि मुझे बाहर का खाना बिल्कुल भी पसंद नहीं है
17:19इतना कहें का प्रियंका वहां से चली जाती है
17:35इसी तरह कुछ दिन बीच जाते हैं और प्रियंका की हरकतों से सबी घर वाले बहुत ज़्यादा परिशान हो जाते है
17:40ये क्या बहू तुझे ससुराल आये कम से कम एक महीना हो गया
17:44और अब तक तुने एक दिन भी प्यूश के लिए चिफिन नहीं बनाया
17:47हाँ प्रियंका तुमारी वज़ा से रोज मुझे भाहा से खाना खाना बढ़ता है
17:51तो मेरी चिफिन में ले जाने के लिए खाना क्यों नहीं बनाती है
17:53अब आपका टिफिन ले जाने के लिए भी मैं खाना बनाओ इतनी हिमत मेरे पास नहीं है
18:00अगर आपको टिफिन ले जाना है तो खुद खाना बना लीजे वरना मुझे मत कहिए
18:04इसी तरह आई दिन प्रियंका के गर में जगड़ा होता था फिर एक दिन बालकनी में
18:08अरे मान भी तू इतने दिनों बात देखाई दी कि पूछो इमत उपर से मेरे घर भी नहीं आई
18:14हाँ हाँ ऐसे बोलरी जैसे तू तो अमेशा मेरे घर आ जाती है तू भी कहां आई मेरे घर
18:19अरे मैं आ जाती लेकिन मेरी बहु मुझे एक पल के लेकेला छोड़ती ही नहीं
18:23क्या मतलब अरे मेरा मतलब ये कि जब देखो तब मेरी बहु कभी मेरे पैर दबाती है
18:28तो कभी घर में ही यूनिक यूनिक खाने के वेराइटी बनाती है
18:32तो मैं भी उसी के साथ रहती हूँ और देखती रहती हूँ उसे
18:35तेरी बहु का क्या हाल है?
18:38वा, इसकी बहु कितनी अच्छी है, कितना सब कुछ करती है
18:41और एक मेरी बहु है, जो एक टिफिन भी पैक करके नहीं देती सही से
18:45अरे, क्या सोच रही है?
18:46अरे, नहीं, नहीं, कुछ नहीं, मैं तो बस ये बोलने वाली थी कि मेरी बहु भी बिल्कुल ऐसी है
18:51इसी तरह दोनों थोड़ी बाते करते हैं, और फिर अपने अपने खर के अंदर चली जाते हैं फिर अगले दिन
19:09ये क्या है? ये तो रोज-रोज का हो गया है, अब ये बदाश्त बाहर निकल रहा है प्रियंका, अगर तुम्हें कुछ आता ही नहीं, तो तुमने शादी क्यों की? इस तरह में रोज-रोज बाहर का खाना नहीं खा सकता, अगर इतना ही है तो तुम खाना मत बनाया करो
19:21हाँ तो मुझे भी खाना बनाने का कोई शौक नहीं है और वैसे भी मुझे जो भी आता है वो तुमसे जादा आता है
19:26एक तो गलती करती हो दूसरा जुबान भी चलाती हो तुम्हें पता है पडोस में मा की बेस्ट फेन की बहु है वो पड़ी लिखी समझदा सुनदा और साथी घर का भी सारा काम करती है और एक तुम हो
19:35बड़ा तुम्हें पडोस की अंकिता अच्छी लग तो जाओ ना उसी के पास चले जाओ यहां से इतना कहकर प्रियंक का गुस्से में अपने कमरे में चली जाती है
19:44रगता है भाबी को अंकिता का नाम सुनका जलन हो गई क्योंकि भया उनके थारीफ कर रहे है
19:49अब ये सब कब तक चलेगा एक टिफिन को लेकर घर में रोज रोज इतना जगड़ा मुझे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा
19:56लेकिन मा मुझे सब समझ में आ गया
19:58क्या मतलब
20:00देखे प्रियंका सीखना नहीं चाहती है और काम चोरी करती है लेकिन इंसान जलन में हर वो चीज करता है जो उसे पसंद नहीं होती
20:06और अब प्रियंका के हालत कुछ ऐसे ही होगी अब उसकी ये जलन ही उसे सुधारेगी
20:10क्या मतलब बेटा
20:12मैं समझ गी भी या आपका मतलब
20:15पर इसी तरह सब भी लोग आपस में कुछ बाते करते हैं और फिर शाम को जब प्यूश घर आता है
20:20आज तो मुझे बाहर से खाना नहीं खाना पड़ा मेरा पेट भर गया
20:23अरे वो कैसे तू तो टिफिन लेकर नहीं गया था ना
20:27मा वो बगल की अंकिता है ना उसका जो हस्मेंद है वो मेरे ही ओफिस में पड़ता है
20:32और तो आज मैं अंकिता के हाथ का ही खाना खा लिया टिफिन में
20:36क्या मतलब आपने उस अंकिता के हाथों का खाना खाया
20:40हाँ बिल्कुल वैसे उसने जो टिफिन बनाया था खाकर मज़ा आ गया
20:44अरे भाबी आपको क्या हुआ
20:46नहीं कुछ नहीं
20:48इतना कहकर प्रियंक का किचिन में जाकर अपना काम करने लग दिया और फिर रात में
20:52मुझे बस एक टिफिन पैक करना नहीं आता टिफिन बनाना नहीं आता तुम मेरे पती होकर उस अंकिता की तारीफ किये जा रहे हो
20:58ये सोच कर प्रियंका सो जाती है और अगली स्बा होती है प्रियंका टिफिन में ले जाने लाइक खाना बनाने की कोशिश करने लगती है
21:28खाने का मैंने कहा ना मैं टिफिन बना रही हूं इतना कहकर प्रियंका प्यूश को टिफिन बना कर देती है और अब अक्सर इसी तरह से प्रियंका सुभा उठती और प्यूश के लिए अपने हाथों से टिफिन बना कर देती है इसके पीछे का रीजन क्या है हाँ भबी आपक
21:58और वो मोटिव ही और पूरा ना हुआ हो।
22:00अच्छा तो क्या है बहुतेरा मोटिव जिसके लिए तू ये सब कर रही है।
22:04रहने दीजे क्या फर्क पड़ता है।
22:06अरे भाबी अब उदास क्यों हो रही है मुझे पता है कि आपका उदास होने की पीछे का रीजन क्या है।
22:13अच्छा तो बताओ।
22:14आप इसलिए उदास है ना क्योंकि भाईया जब देखो बगल वाली अंकिता भाबी की तारीफ करते रहते आपकी तारीफ नहीं करते और इसी जलन की वज़ज़ से आपने टिफिन बनाना शुरू किया था है ना।
22:24लेकिन मेरे टिफिन बनाने का क्या फाइदा हुआ जब तुम्हारे भाईया को मुझसे ज़ादा भाई पसंद है।
22:30अरे अब वो इतना अच्छा टिफिन बनाती है तो क्या तारीफ करूँ।
22:34अरे अरे तुम चिट क्यों नहीं हो ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा तुम सोच रही हो बलकि उसका हस्वेन मेरे ओफिस में ही नहीं है वो तो हम लोग का प्लान था।
22:47अच्छा कैसा प्लान मुझे भी बताओ या फिर सब बहाना बना रहे हो।
22:52अरे नहीं नहीं बाबी भाईया बहाना नहीं बना रहे बलकि बस सच कह रहे है ये उनका प्लान था क्योंकि आप उनके लिए टिफिन बनाती नहीं थी और उन्हें भार का खाना-गाना पसंद नहीं था और इसी की वज़़ा से रोज-रोज घर में जगड़े होती तो भा�
23:22में मुझे भी पता था
23:23आप लोगों ने तो मुझे डराई दिया था
23:25मुझे तो लगने लगा था कि प्यूज जी मुझे डाइवोस दे देंगे
23:28इतनी जो तारीफ करते हैं उस अंकिता की
23:30लेकिन हाँ
23:31थांग गॉड ऐसा नहीं हुआ
23:33हरे ऐसा कभी हो सकता है क्या
23:52और अंकिता की तरह प्रियंक भी हमेशे टिफिन बना कर देने लगती है
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