"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
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00:03पंडी जी लड़का तो अच्छा है लेकिन इनकी कुछ मांग तो नहीं है
00:08ना जी ना गोमती बहन, निश्चिन्त हो जाएए, लड़के वाले की एक रुपई की भी मांग नहीं है
00:14मगर लड़का जादा पड़ा लिखा नहीं है, सबजी बेचता है और मा रेलवे स्टेशन पर आलू पूरी बेचती है
00:21कुल मिलाकर कमाता खाता परिवार है, तो बताईए, बात चलाऊं
00:26जी पंडी जी आप बात चलाईए
00:29ठीक है, तो मैं बात करके बताता हूँ, अच्छा नमस्कार
00:34पंडी जी सीता के घर आ जाते हैं, जहां पुराने समकान के आगे सुरेश सबजी की रेडी लगा रहा था
00:40मा, सबजी चाट दी हो तो जल्दी से दे दो, आज रेडी लगाने में काफी लेट हो गया है
00:45ले ये कवार फली और गोबी चाट दी है, इससे सजा, तब तक मटर गाजर चाट रही हो
00:51सुरेश, जब इतनी सबजी बिक्ती नहीं तो क्यों खरीद के ले आता है
00:56गर्मी का मौसम जल रहा है, इतनी इतनी सबजी खराब हो जाती है, जितनी कमाई नहीं उतने का नुकसान झेलो
01:01मा क्या करूँ, अब बाजार में इतनी सबजी वाले भर गई है, जादा सबजी बिक्ती ही नहीं है
01:06मैं सोच रहा हूँ कि हरी सबजी बेचना छोड़ कर केवल आलू प्याज का ठेला लगा लूँ
01:11और वैसे भी, तुमें भी तो आलू की खपत लगती है ना, आलू पूरी बनाने के लिए
01:15ये लगाई है न तुने, बनिया के बच्चे जैसी बुद्धी, आलू प्याज के थो कट्टे में कमाई अच्छी है
01:22नमस्कार सीता बेहन
01:25नमस्कार पंडिजी पधारिये पधारिये, मैंने आपको एक काम सौपा था, ढूंडा आपने मेरे सुरेश के खातिर लड़की
01:32जी जी, उसी सिलसिले में बात करने आया हूँ, बड़ी ही सरल समस्दार और सुन्द लड़की ढूनी है
01:39अच्छा मैं जाता हूँ, प्रणाम पंडिजी
01:43ये बोलकर सुरेश लजाते हुए सबजी बेचने चला जाता है, सीता पंडिजी की खातिर भाव करती है
01:49पंडिजी लीजे, आलू पूरी का नाश्ता कर लीजे
01:53वैसे भी आपके हाथों के साथ इस्टालू पूरी खाए बड़े दिन हो गई
01:59लेकिन अब बहु ढूनने के लिए अलग से कोई दक्षिना मत दीजिएगा
02:03सीता बड़े सीधे मनवाली थी, उस बिचारी ने अपने जीवन भर सुख देखा ही
02:08उसने रेलवे स्टेशन पर पूरी सबजी बेच कर ही सुरेश को पाल पोस कर बड़ा किया था
02:12मा मैं अभी शादी नहीं करना चाहती, एक बार बस एक बार मज़े स्टेशन मास्टर बन जाने दीजे
02:20उसके बाद आप जहां कहेंगी, जिस से मर्जी कहेंगी, मैं शादी करने के लिए तयार हूँ
02:25क्या आप नहीं चाहती कि मैं पिताजी की इच्छा को पूरा करू
02:28पूरिम की बात पर गोमती फूट फूट करोने लग जाती है
02:31बेटी तु नहीं जानती तेरी माने किस कश्ट और संगश से तुझे पढ़ाया लिखाया
02:36लेकिन अब दुनिया तरह तरह किताने मार रही है
02:39तेरे आगे जोली फैला कर मैं भीक मांगती हूँ
02:42छोड़ दे स्टेशन मास्टर बनने का ख्वाब और शादी करके अपना संसार बसा ले
02:47ताकि मैं चैन से मर सकूँ
02:49गरीब की बेटी के भागी में अब सर कलेक्टर बनना नहीं लिखा होता
02:53अपनी मा की विनिती करने पर पूनम सपनों की बली चढ़ा कर शादी करके ससुराला जाती है
02:59आओ दुलहन मेरा घर महल जितना बड़ा तो नहीं केवल ये चोटी सी कुटिया है
03:05लेकिन तुमें सदा इस घर की लक्षमी का सम्मान मिलेगा
03:08मेरी कोई बेटी नहीं है आज से तुम मेरी बेटी हो
03:10बड़े दुलार से सीता पूनम का स्वागत करवाती है
03:13पूनम सारी रात सिसक कर रोते हुए सो जाती है
03:17अगले दिन जब पूनम की नींद खुलती है तो सीता रेडी पर सब्जी पूरी के पतीले रख रही होती है
03:22मा जी आपने मुझे उठाया क्यों नहीं मैं इतनी देर तक सोती रह गई
03:27अरे तो क्या हो गया बहु तुझे इतनी ठाकान थी आज अपनी सास के हाथों की बनी सब्जी पूरी खाले भाग की आगे तो तुझे ही मेरी सेवा पाटी करनी है
03:36सीता चलचलाती धूप में रेलवे स्टेशन पर सबजी पूरी बेचने आती है तबी स्टेशन मास्टर बनवारी आता है
03:42काहो सीता बहन इतने दिलों से छुट्टी मार कर बैठ गई
03:46तुमारे हाथों की पूरी सबजी खाने के लिए तरस गई थे
03:49कैसी रही बिटवा का ब्याहा
03:51बस बनवारी भाई सब कुछ कुछ अलबंगल से हो गया
03:56अब तो घर समभालने पकाने के लिए बहु आ गई है
03:59इसी तरह समय गुजरता है मगर पूरम हर वक्त उदास रहती थी
04:02फिर एक दिन दुलहन ऐसा कर आज तु मेरे साथ रेल्वे स्टेशन चल पड़
04:07मैं आलू पूरी बेचूंगी तु थोड़ा बाहर घूम लेना
04:09घर में बैठे बैठे मनुकता आ गया होगा तेरा भी
04:12जी माजी कुछ देर में पूनम अपनी गरीब सास के साथ
04:16प्रेल्वे स्टेशन पर आती है जहां काफी चहल पहल थी
04:19राम राम सीता बहर एक प्लेट आलू पूरी तो लगा दो
04:23हाँ हाँ बस अभी देती हो भाईया बस थोड़ी देल लगेगी सबजी गरब करने में
04:28थोड़ा जल्दी कर दो सीता बहन वो ट्रेन के आने का समय हो गया है न
04:32काका ये काम तो मैं भी कर सकती हूँ
04:35ट्रेन के आने और प्लैटफर्म से निकलने का समय ही तो कंप्यूटर पर चढ़ाना होता है
04:38मैं कर दूंगी
04:40अच्छा बिटिया तो फिर जाओ थोड़ी देर के लिए मेरा काम समालो मैं आया
04:44पूनम ने अपनी मा के कहने पर स्टेशन मास्टर बनने के जिस खुआब को देखना छोड़ दिया था अब एक बार फिर उसके बन में ये खुआब फलने फूलने लगता है
04:52उसकी टाइपिंग स्पीड देखकर स्टेशन मास्टर बनवारी उसकी प्रशन सा करता है
04:55अरे सीता बेहन तुमारे घर में तो बड़ी ही पड़ी लिखी बहु आई है कितनी रफ्ता से टाइपिंग करती है
05:02बिडिया तुमने कम्प्यूटर टाइपिंग का कोर्स किया है क्या बस थोड़ा बहुत सीखा है काका मैं अभी स्टेशन मास्टर बनना चाहती थी मगर फिर शादी हो गई
05:10यही तो लोगों की मान सिकता है देखो सीता बहन मैं तजुरवे से कहता हूँ तुमारी बहु में कुछ कर गुजरने की बड़ी चाहा है इसके पड़ाई लिखाई को व्यर्थ मत करो बनाओ इसे स्टेशन मास्टर
05:23अरे स्टेशन मास्टर बनने के बारे में पूनम मा और मैं हम दोनों चाहते हैं कि तुम अपने सपने को पूरा करो हम तुमें पूरा सा योग देंगे
05:43सुरेश जी स्टेशन मास्टर बनना इतना असान नहीं है
05:47काफी खर्चा लगे का कम्प्यूटर की कोचिंग लेनी पड़ेगी
05:50एंट्रेंस की परिक्षा देने के लिए किताब भी बहुत भेंगी आएगी
05:53अरे बहु जो भी खर्च लगेगा हम दोनों लगाएंगे न
05:56अभी तेरी गरीब सास की बूरी हड़ी में बहुत जान बाकी है
06:00और मैं भी सुबह के टाइम फेरी मार लूँगा
06:02तो बड़े आराम से दो सो चार सो सुबह सुबह ही कमा लूँगा
06:05और फिर शाम को भी तो सबजी बेचूँगा
06:07तो हजार रुबई की कमाई तो कहीं नहीं जाएगी
06:10अपने सास पती के इतना साथ देने पर
06:13पूनम की आँखों में आसू बहने लगते हैं
06:15माजी आज के दोर में ना जाने कितने परिवारों में
06:18बहुए दहेच की आग के जूलस जाती है
06:21मगर मैं भाग इशाली जो मुझे आप जैसा घराना मिला
06:25सुरेश पूनम को किताबे खरीद कर ला देता है
06:28पूनम दिन रात लगा कर एंटरेंस का एक्जाम देने के लिए तैयारी में लग जाती है
06:32वही बुजर्ग साथ तड़ के सुबह आलू पूरी बना कर भीशड कड़ी गर्मी में बेचने निकल जाती थी
06:38आईए आईए गर्म गर्म स्वादेश्ट ताजी ताजी भंडारा आलू और पेट भर के पूरी खाईए
06:44बस अभी लगाती हो भाईया जी पसीने में तर बतर सास यातरियों को आलू पूरी खिला कर कर कोचिंग क्लास करती है
07:00अरे दो प्लेट आलू पूरी लगाना ज़रा
07:05बस दो मिनट है जाओ बेटा प्लेट धोकर ला रही हूँ
07:09बुजर्ग सीता को इतनी मेहनत और संगरश करते देखकर प्लेटफॉर्म पर खड़े पैसेंजर का भी दिल पिखल जाता है
07:14लो बेटा स्वादिश्ट भंडारा आलू बस अभी पूरी तल कर देती हो
07:18तभी शरीर में कमजोरी आने के चलते सीता को चक्कर आ जाता है जिससे कढ़ाई के तेल के छीटे बिचारी पर आ जाते है
07:25आँ माँ
07:27अरे अम्मा तुम ठीक तो हो
07:29हाँ बेटा ठीक हूँ ये लो खाओ
07:31आलू पूरी खाकर ग्राहक पैसे देकर चले जाते हैं तभी स्टेशन मास्टर आता है
07:35अरे सीता बेहन बिना खाई पीए सारा दिन हाई हाई करती हो
07:39अरे थोड़ा अपना खयार रख लो
07:41मास्टर जी अभी बड़ी चिंता है बहो की कोचिंग की फीज भरनी है इतने पैसे नहीं जोड़ पाए
07:47अरे तुम मुझसे ले लो भाई जब आ जाए तब लोटा देना
07:52नहीं भाईया सारा जीवन करीबी देख देख कर कदम यतने ओखड चुके हैं कि अब किसी से कर्ज लेने की हिम्मत नहीं होती
07:59मैं जोड लूँगी सीता पेट काट कर रेलवे स्टेशन बरतपती गर्मी में आलूपूरी बेचती है
08:04वहीं स्टेशन मास्टर उसे परिक्षा के बारे में गाईड करता है
08:08बिटिया जितना जादा हो सके करेंट अफेर्स, रीजनिंग और गड़ित का विशह ही पढ़ना
08:13परिक्षा में यही प्रशन आते हैं
08:16यह पास कर लिया तो बाकी की परिक्षा तो तुपास कर ही लेगी
08:19दिन रात एक करके पूनम परिक्षा देती है कुछ दिन बाद
08:23महाजी, परिक्षा का परेडा हम आ गया है, बैने फर्स क्लास पास किया है
08:27ये सुन कर सीता खुशी के मारे पूले नहीं जमादी और फूट फूट करोने लगती है
08:31भगवान तुझे तेरे लक्ष में कामियाब करे बहू
08:34हाँ आज मैं स्पेशल अपनी बहू के लिए आलू पूरी बनाऊंगी
08:37सीता बड़े प्यार से पूनम को अलू पूरी बना कर खिलाती है
08:40के करके पूनम परिक्षा के सारे चरण, अप्टिट्यूट टेस्ट, कंप्यूटर टाइपिंग, मेरिकल टेस्ट
08:45सब कुछ पास कर लेती और अंत में स्टेशन मास्टर बन कर दिखाती है
08:48अपनी बहु को चमचमाती स्टेशन मास्टर की वर्दी में देख कर गरीब सीता गर्व से भड़ जाती है
08:53आज तुने अपनी सास का सीना चोड़ा कर दिया
08:57तुने साबित कर दिया कि एक गरीब आलू पूरी बेचने वाली सास की बहु
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