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  • 1 day ago
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

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Transcript
00:00ये लीजे माजी, मैने और देवरानी जी ने आपके लिए शाम के चाय के नाश्ते में समोसा और कचोणिया बनाई है
00:07हाँ मेरी दोनों प्यारी बहु, तुमने तो ये बहुत अच्छा किया, हलकी हलकी ठंड भी शुरू हो गई
00:13और ठंड में शाम के चाय नाश्ते में कचोणिया समोसे तो मेरे फेवरेट है
00:18दीपिका का पूरा ससुराल शाम का चाय नाश्ता कर रहे होते
00:23कुछ देर बाद रेशमा रसोई में जाकर रात के खाने की तैयारी करने लग जाती है
00:27दूसरी तरफ दीपिका अपने कमरे में आकर अपनी भाबी को फोन करती है
00:31और भाबी, कैसी हो तुम?
00:33और तुमारी तब्याट कैसी है?
00:35मेरी माऊ और बہने कैसी है?
00:37अरे, अरे, बोलती ही जा रही हो, थोड़ा सांस तो ले ले
00:39और हाँ, यहाँ सब ठीक है, तुम बताओ तुम कैसी हो
00:42हाँ हाँ, मैं ठीक हूँ भाबी, अभी बस शाम का चाय नाश्टा करके आई
00:46तो सोचा, आप से थुड़ा बात कर लूँ
00:49अच्छा है नना जी, ठंड में शाम के चाय नाश्टे का मज़ा तो आप ही ले रही हो
01:09भाबी, जूती, मा, आप सब आगे, आते आते शाम हो गई, आप लोग बैठिये, मैं आपके लिए शाम का चाय नाश्टा बना कर लाती हूँ
01:25देपिका, तुम अपने माईके वालों के साथ बैटो, पहली बार आए हैं ये लोग, ठंड भी बहुत ज्यादा है आज
01:31आप लोग बैठिये, मैं सब के लिए शाम का चाय नाश्टा बना कर लाती हूँ
01:35हलकी हलकी ठंड पड़ रही थी और रेश्मा अब सब के लिए चाय नाश्टे का इंतजाम कर रही थी
01:40कुछ देर बाद रेश्मा टेबल पर आलू, चाट, प्यास के पकोड़े, पालक के पकोड़े, ब्रेट, सैंडविच बना कर टेबल पर रखती है
01:48औरे वाह, चाय के नाश्टे में इतने सारे स्नैक्स, दीपिका के तो मज़े हैं
01:55सभी लोग नाश्टा कर रहे होते हैं, तबी दीपिका के पहन जोती कहती है
01:58अदीदी, बचे हुए समोसे पकोड़े पन्नी में ना बांध कर मुझे देदेना मैं घर लेकर जाऊंगी
02:05और अपने घर पर गाऊंगी
02:08रेश्मा को जोती की ये बात थोड़ी अजीब लगती है, लेकिन फिर भी वो सबके जाने के समय पन्नी में बचा हुआ सारा नाश्टा बांध कर जोती के हाथ में दे देती और जोती उसे लेकर अपने घर चली जाती है
02:19माजी नंद जी के तो मज़े हैं, ठंड में रोज शाम के चाए नाश्टे में उसे इतने टेस्टी टेस्टी स्नैक्स खाने को मिलते हैं
02:29हाथ पैर चलाना सीख बहू, तो मुझे भी शाम के चाए नाश्टे में टेस्टी टेस्टी खाने को मिलेगा
02:35जब नंद के ससुराल में शाम का चाय नाश्ता मिल रहा है तो फिर मुझे आध पेर चलाने की क्या जरूरत है
02:42क्या सोच रही है बहू शाम का चाय नाश्ता तो मेरी बेटी के यहां से करही लिया
02:47तुने अब जाकर रात का खानाई बना ले
02:50उस दिन के बाद से अब दिपिका के माईके वाले रोज उसके ससुराल में शाम के चाय नाश्ते के समय पर पहुँच जाया करते
02:57कोई न कोई बहाना बना कर
02:59तभी एक दिन फिर रेश्मा शाम को चाय नाश्ता लेकर बैठती है कि तभी डोर बेल बचती है
03:03अरे आप लोग यहाँ आज फिर से आज क्या हुआ
03:08दिपिका आज फिर तुम्हारे माईके वाले आए है
03:12दिपिका के पूरे माईके वाले आकर सोफे पर बैठते हैं जहां टेबल पर शाम का चाय नाश्ता रखा हुआ होता है
03:18जोती जैसे ही प्लेट से नमकीन उठाती है कि सारी नमकीन की प्लेट जमीन पर गिर जाती है और प्लेट फूर जाती है
03:33जिसे देखकर रेशमा का गुसा कंट्रोल नहीं होता और वो छोटी जोती पर बरस उठती है
03:39पिछली बार भी जब ये शाम के चाई के नाश्ते पर आये थे तो जोती ने समोसा खाकर अपना तेल वाला हाथ सोफे के कवर पर पोश दिया था
03:49जिससे इतना महंगा सोफा कवर खराब हो गया
03:51रेश्मा बरसते हुए रसोई में चली जाती है जहां वो फिर से अपने ससुराल वालों के साथ साथ इस थंड में अपनी देवरानी के माई के वालों के लिए भी शाम का चाई नाश्ता बना रही होती है तब ही वहाँ पर धीपिका आती है
04:02अरे पता नहीं क्या ड्रामा लगा रखा है देवरानी के माई के वालों ने रोज शाम के चाई के नाश्ते के वक्त ही कोई न कोई बहाना बना कर यहीं आ जाते हैं
04:11किसकी बात कर रही हो जेठानी जी?
04:15यही कि इतनी ठंड में तुम्हारे माई के वाले शाम के चाय नाश्ते पर हर रोज आ जाते हैं
04:20और तुम भी हो कि उनके साथ बैट कर बाते बनाती हो
04:22और मुझा के लिए ही ससुराल वालों के साथ साथ
04:25तुम्हारे माय के वालों के लिए भी शाम का चाय नाश्ता बनाना पड़ता है
04:28हरी जिद्धानी जी, तो आप मुझसे मदद मांग लेती न, मैं आपकी मदद कर देती
04:35अब क्या मदद करोगी तुम, आप तो सब कुछ मैंने बना लिया शाम के चाय नाश्ते के लिए
04:39रिश्मा फिर से मीठी मीठी ठंड में सब के लिए शाम का चाय नाश्ता बना कर लेकर आती है
04:44सभी लोग शाम का चाय नाश्ता कर रहे होते हैं तभी कोमल कहती है
04:48तब तो मुझे अप्शाम के चाय नाश्टे में अपने ससुराल वालों से लेकर देवरानी के माई के वालों का भी चाय नाश्टा बनाना पड़ेगा
05:09नहीं मैं इतनी मेनत इन लोगों के लिए नहीं करने वाली
05:13रेश्मा को अप्ड़ंड में रोज रोज ससुराल वालों के साथ साथ देवरानी के माई के वालों का भी शाम का चाय नाश्टा बनाना पड़ता था
05:29रेश्मा रसोई में शाम का चाय नाश्टा बनाते हुए
05:32एसा शाम का चाय नाश्ता बना कर खिलाऊंगी कि एक महीने क्या
05:37एक हफ़ते के अंदर अंदर देवरानी के माई के वाले अपने घर चले जाएंगे
05:41रेश्मा अब अपना शडियंत्र रचना शुरू करती है
05:44वह भगोनों में से रात का बासी आलू लेकर समोसे बनाती है
05:48और शाम के चाय नाश्ते में देवरानी के माई के वालो को सौफ करती है
05:51किसी को कुछ पता नहीं चलता और देवरानी के माई के वाले बासी आलू का समोसा शाम के चाय नाश्ते में खा लेते हैं
05:58कुछ देर बाद गायतरी
05:59अरे माजी वही समोसा तो मैंने भी खाया है आपके उम्र हो गई है और वैसे भी आपको शाम के चाय नाश्ते की तो आदत है नहीं
06:15यहाँ फ्रीका मिल रहा है तो उससे आपके पेट में दर्द हो रहा है
06:18काम-चोरी की वजह से कोमल अपने सास की तकलीब को इग्नोर कर देती है
06:23रेशमा भी अब रोज शाम के चाय नाश्ते में कभी बासी पकोडो को तलके रख देती
06:28तो कभी सड़ी गली सब्जियों से सैंडविश बना कर
06:30शाम के चाय नाश्टे में सब को खिला दे थी
06:32तब ही एक दिन
06:33आँ, आँ, बहुत दर्ध हो रहा है पेट में
06:39क्या हुआ, आप ठीक तो हो ना
06:43क्या हुआ, कुछ बोलिये ना
06:45दीपिका ऐसा बोल ही रही होती है
06:48कि तब तक कोमल और जोती
06:49वहां हॉल में ही उल्टी कर देती है
06:51दीपिका परिशान होते हुए
06:53अपने पूरे परिवार को हॉस्पिटल ले कर जाती है
06:55इन सभी को फूट पॉइजनिक हुआ है
06:58डेली डेली बासी खाना खाने से
07:00कुछ दवाईयां दे हैं जल्द ही आराम आ जाएगा
07:02जे ठानी जी सच सच बताओ
07:05आपने शाम के चाय नाश्टे में ऐसा क्या बनाया था
07:08जिसे खागर मेरे परिवार वालों की तबियत इतनी ज़्यादा खराब हो गई
07:12तरे बोलती क्यों नहीं है
07:13ऐसा क्या बनाया तूने क्या मिलाया था
07:17शाम के चाय नाश्टे में जो इसके परिवार की तबियत इतनी ज़्यादा खराब हो गई
07:20मा जी मुझे मा आफ गर दीजए
07:26दरसल मैं अपनी देवरानी के मायके वालों से इरिटेट हो गई थी
07:29और रोज रोज ठंड में शाम का चाय नाश्टा बना कर मैं परिशान होने लगी थी
07:33इसलिए खुछ समय से मैं शाम के चाय नाश्टे में सबको बासी नाश्टा बना कर खिला रही थी
07:39जिससे उनकी तबित इतनी खराब हो गई
07:41जिठानी जी अगर आप इतनी परिशान हो गई थी तो एक बार आप मुझसे मदद मांग लेती है आपने ये सब क्यों किया
07:49कोई बात नहीं रेश्मा मेरी भी गलती है ऐसे रोज रोज अपनी नंद के माई के नहीं आना चाहिए
07:54इसद कम होती है
07:56दीपिका अपने पूरे परिवार को डिस्चारज करके घर पर लेकर जाती है
07:59कोमल को भी अपनी गलती का एसास हो जाता है
08:02दूसरी तरफ रेश्मा शाम के चाय नाश्ते में सब के लिए फ्रेश चाय और नाश्ता बना कर लाती है
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