"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
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00:00अनामिका तुम तो इतने दिनों से दिवाली की सफाई कर यू, तुम्हारी सफाई के आप तक खत्म नहीं हुई?
00:05आंगन की सफाई करते हुए अनामिका
00:07अरे हो गई बस थोड़ी बहुत रह गई है
00:10इदर आलिया खिरकी दर्वाजे साफ कर ही रही होती है
00:13तो वही अनामिका गार्डन साफ कर अब छट के बालकनी में जाकर सफाई करने लगती है
00:17आलिया जैसे ही नजरे गुमा कर अनामिका को देखती है तो वो छट से बालकनी में पहुंच चुकी थी ये देख कर
00:23आलिया इतना बोल ही रही होती है कि तब यानामिका अब बालकनी के सफाई को खतम करने के लिए चली जाती है
00:43जहां आलिया एक काम को करने में एक घंटा लगा रही थी तो वही अनामिका एक घंटे में चार काम करके खतम कर देती
00:49दिवाली के सारी साव सफाई होने के बाद आप बारी आधिया दिवाली की सजावट की
00:54हाई हाई भाबी ये अपका गाउनी शहर है भला गोबर से आंगन की लिपाई कौन करता है खुद तो करी रही हो और मुझसे भी करवारी हो कितनी गंदी वद्बू आरी है इसमें से
01:03कनिका ऐसे नहीं बोलते पता है काउ में हर कोई घर में सुख शान्ती के लिए घर के आंगन में गोबर की लिपाई करता है एक तरफ गाउं की बहु अनामिका अपने गाउं के ट्राडिशनल तरीके से दिवाली की सजावट के लिए सबसे पहले घर के आंगन और आंगन की बा
01:33जब कॉलोनी की ओड़ते अनामिका के आंगन में आगे न तो बद्बू के मारे ही मर जाएगी ये भी ना
01:37लाइट्स लगाने की बज़ाए क्या गवारो वाली चीज़ कर रही है
01:40एक तरफ शहरी बहु आलिया मौडन तरीके से छट पर से नीचे तक लंबी और अलग अलग तरह की लाइट्स लगाती है
01:47तो वहीं गाउं की बहु अनामिका
01:49अनामिका बहु आजकल गेंदे फूल की लड़ी कौन ही लगा था
01:53ये लाइट्स वाली लड़ी लाई तो हूँ वही लगा ले
01:56अरे माजी वो तो लगेगी ही लेकिन असली सजावट तो इन गेंदे के फूलों से होती है
02:01पता है दिवाली के दिन जब श्री राम घर आये थे तो उनके परिवार और गाउं वालों ने गेंदे के फूलों से सजावट की थी
02:07और स्वागत में सुन्दर सुन्दर दिये जलाये थे
02:10बहु तू तो बिलकुल गाउं की दिवाली की तरह इतायारी करे
02:14अच्छा है वैसे भी शादी के बाद जब मैं गाउं से शहर आई थी तब से शहरी तरीके से दिवाली मना रहे हम सब
02:21लेकिन अब तेरी बज़ा से मझे गाउं के तरीके से दिवाली मनाने को मिलेगी
02:26मैं तो सोच रही हूँ इस बार बाहर से मिठाई लाने की बजाए खुद गर पर ही मिठाई बनाए हूँ
02:32हाँ माजी ये सही रहेगा आप मेरे हाथ के बुंदी के लड़ू खा कर देखेगा उसके सामने तो काजु कतली भी फेल है
02:38अरामिका वह अपने पती और देवर के साथ मिलकर घर की लाइट की लड़ी लगाने के साथ साथ गेंदे के फूलों की सुन्द सुन्द लड़ी भी लगाती है
02:46वाओ भावी मानना पड़ेगा आपने तो घर को बिलकुल किसी दुलहन की तरह सजा दिया है
02:51अभी तो सिर्फ सजावत ही करिये शुब दीपा वली तोरन दौार ये लगाना बाकी रह गया है
02:56और असली रौनक तुताब आएगी जब घर में दिये जलेंगे
02:59अनामिका बिलकुल पुराने तरीके से ही घर के दिवाली की सजावत करती है
03:03तो वहीं आलिया मिट्टी के दिये लाने के बज़ाए लाइट वाली टिम टिम दिये लाती है जिसे देख कर
03:09इसी तरह छोटी दिवाली का दिन भी निकल जाता है और आज आखरकार वो दिन आ ही जाता है जिसका हर कोई इंतजार कर रहा होता है
03:31शाम होते होते दोनों ही परिवार के सभी लोग अच्छ से तयार हो जाते हैं
03:35और वहीं हॉल में अनामिका धेर सारे अलग-अलग तरह के पूलों को मंगवाती है
03:40अनामिका बहु रंगोली बनाने के लिए तुमने एक भी रंग नहीं मंगवाया
03:44उलटा धेर सारे फूल मंगवाली है घर की सजावत का काम तो हो गया है ना
03:48तो ये फूल भला किस काम के क्योंकि इस बार रंगोली में रंगों से नहीं मैं फूलों से बनाऊंगी
03:55पूलो की रंगोली
03:57हा माजी फूलो की रंगोली
03:59पता है आज भी कई गाउं में दिवाली पर सर्फ फूलो की रंगोली बनाई जाती है
04:04मैं तो हमेशा अपने माईके में फूलो की रंगोली बनाती थी
04:07गाउं में सबसे सुन्दर रंगोली मेरी ही होती थी
04:10अनामिका गेंदे, गुलाब, चमेली, अलग-अलग तरह के सुन्दर पूलों से एक बहुत बड़ी और प्यारी रंगोली बनाती है
04:17और रंगोली के बीच और साइट के किनारों पर मिटी के सुन्दर-सुन्दर दिये जला कर रख देती है
04:22तो वहीं आलिया घर के बाहर रंगोली के धेड़ सारे रंग लेकर रंगोली बनाने के लिए बैठी होती है
04:27लेकिन जब मोहित उसकी रंगोली देखता है तो
04:29अरे आलिया तुमने क्या बना दिया? ऐसा लग रहा है कोई हाथी कोबर कर रहा है
04:36चुप करो तुम, खुद को आती है रंगोली बनाने, आए बड़े, बहुत अच्छी है मेरी रंगोली, ज्यादा मत बोलो
04:43कै तो ठीक की रहा है, मैं तो फूल बना रही थी, लेकिन पता नहीं, ये इने हाथी कैसे लग रहा है
04:50अगर ये रंगोली किसे ने देख ली तो कितना मजाग बनेगा मेरा, एक काम करती हूँ, जल्दी से रंगोली के स्टेंसिल ले आती हूँ
04:57आलिया मार्केट से रंगोली के स्टेंसिल्स ले आती है
05:01और उन स्टेंसिल को दहलीज पर रख कर उन पर बस रंग डालने का काम करती है
05:07थोड़ी देर में दोनों बहु की सुन्दर रंगोली तैयार हो चुकी थी
05:10और अब दिवाली की पूझा के बाद कॉलनी की ओरते एक एक करके सबके घर की दिवाली के सजावत और रंगोली देखने के लिए आती है
05:17और मार्क्स देती है और अब बारी थी आलिया की
05:19सौंगीता ये रंगोली तमाई बहुन ने बनाई है
05:23हाँ संदर है न मझे तो बड़ी प्यारी लग रही है लेकिन इसमें रंगोली बनाने जैसा है क्या यह तो रंगोली बनाने की स्टेंसिल है ना बस इसे लाकर रख दो और रंग डाल दो बन गई रंगोली आरे यह तो कोई चार साल का बच्चा भी कर लेगा
05:37वो क्या है ना दिवाली की पूजा की तयारी करनी ती इसलिए रंगोली बनाने का टाइम ही नी मिला पर आप घर की डेकोरेशन तो देखिए मैंने बिलकुर नई डिजाइन की लाइट्स लगवाई है और यह दिये भी कितने प्यारे लग रहे ना पता है इन बैटरी वाले द
06:07घर की डेकोरेशन तो देखो यहीं से कित्ती प्यार ही लग रही चलो वहाँ चलते हैं इससे पहले संगीता अलिया कुछ कहती कि तभी वो सबी ओरते अब सुश्मा के घर आती हैं और जब वो अनामिका की बनाई गई पूलों की सुंदर रंगोली आंगन में की गई गोबर
06:37लेपाई करता है और पूलों की रंगोली तुम्हें पहली बार देखरें कितनी सुंदर है ना यह सब तो मेरी गाउं वाली बहू का कमाल है दिवाली की सजावट से लेकर रंगोली तक सब कुछ मेरी बहू ने खुद किया है सब कुछ काभी अच्छा है अभी तक हमने जित
07:07competition का winner घोशित करती हैं ये देखकर संगीता अब कुछ जीत गई ना सश्मा की बहू तुछ से तो कुछ भी ढंग से नहीं होता ना तुने ढंग से दिवाली की सफाई की ना घर की सजावत और रंगोली तो पूछोई मत तुम शहरी लड़कियों को तो बस मेकप करना आता है घ
07:37करवाई थी ना उस टाइम तो सभी को पसंदारी थी और अगर मुझे रंगोली बनाने नहीं आती तो इसमें मेरी क्या गलती है हां तुछ से तो बस बान लड़वालो उसमें तो अवल है अरे मुझे भी रंगोली बनानी नहीं आती थी लेकिन मैंने सीखियो और मेरी तो ज
08:07तो वहीं अपने आंगन में खड़ी खड़ी सुश्मा अनामी का जब ये सब देखती हैं तो अब वो उनके आंगन में आती हैं
08:37अब मेरी बहु गाउं से भी तो है और उसे इन सभी कामों की आदत है लेकिन तुम्हारी बहु शहर से अब मेरी बेटी को ही देख लो कुछ काम नहीं आता उसे और नहीं तो क्या गाउं और शहरी लोगों में फर्क होता है और आप तो पढ़ी लिखी है आपको ये चीज स
09:07अधास कर दिया सभी लोगों की बात सुनकर संगीता कोई ऐसास होता है कि उसने इस तरह अपनी बहु पर चिला कर गुसा करके बिल्कुल भी ठीक नहीं किया आप सब कहतो ठीक रहें अगर ऐसा मेरी बेटी के साथ होता तो मुझे भी कितना
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