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"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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00:00कवीता कड़कड आती ठन में घर के बाहर बैटकर काफी सारी कपड़े दो रही होती है तबी उसकी ताई बाहर आकर उससे कहती है
00:06अभी तक तेरे कपड़े नहीं धुले ठन बटी जारी ये शाम होने को है खाना कब बनाने के लिए जाएगी एक काम तुझसे सही से नहीं होता
00:14हाँ तो मैं जान नहीं है क्या, अच्छे से कपड़े दो, लास्ट टाइम जो तूने कपड़े दो थे, बहुत सही से साफ नहीं हुए थे
00:21शांती बहन, अपनी भतीजी को जितना डाटती रहती हो, थोड़ा अपनी बेटी के बारे में भी सोचो, बेचारी को तो तुमने स्कूल के बाद कॉलिज भी नहीं जाने दिया, और अपनी बेचारी को शेर भेच दिया, मानती हो कि बेचारी के माबाप नहीं है पर उसकी जि
00:51अगे इसमे मेरी क्या गलती है बताओ जरा और इसको मैं घर के काम इसले सिखारी हूँ ताकि कल को शादी हो तो
00:56सस्तृराल मं अच्छ से एड्रेस्ट कर सके और वहीं मेरी बेटी की बात जब वो आती है
01:01तो घर में इसे मैं पल को पर रखती हूँ, अपनी बेटी को तो मैं चिम्टे से मारती हूँ, पूछो इससे कभी हाथ भी लगाया हो तो
01:07रहने दो शानती, पर हमें भी सब दिखता है और रही काम की बात और ससुराल में जाकर सीख लेगी, अगर सारी जिन्दगी काम नहीं सीख पाई तो क्या तुम इसकी शादी नहीं करोगी
01:16ऐसा नहीं है आंटी, ताई जी तो सच में मुझे बहुत प्यार करती है
01:21वो तो सबको दिखी रहा है, बेटा की तुम्हारी ताई जी तुमसे कितना प्यार करती है, तभी तो शाम को भी इस ठंड में ठंडे पानी से तुमसे घर के बाहर कपड़े दुलवारी है, ये प्यार नहीं तो, और क्या है
01:32शोबा ताना देकर वहां से चली जाती है, और कविता भी सारी कपड़े दोकर छट पर ले जाकर सूखने के लिए रख देती है, और शाम का खाना बनाने लगती है, कुछ देर में उसके ताउजी आते हैं, और उनके आते ही शान्ती उन पर भढ़तते हुए कहती है
01:43अरे शान्ती तुम क्यों बार बार इसकी शादी के पीछे पर जाती हो, यह बोज नहीं तुमसे होता नहीं, अगर यह चली गई तो कैसे करोगी घर के काम, और शादी में खर्च नहीं लगता क्या?
02:11अब इस कलमुही के पीछे मैं पैसे लगाऊं, है? इसको दो वक्ति का खाना, कपले और जो बारवी क्लास तक पढ़ाया है, वो कम है क्या?
02:18आप से तो कुछ कहना ही बेकार है
02:20शांती के कहने पर भी विनूत कविता की शादी की बात आगे नहीं बढ़ाता और ये सब सुनकर खाना बनाती हुए कविता रोते हुए अपने मापापा को याद करती है
02:27अगर आज मेरे माता पिता जिन्दा होते ता मैं उनके लिए बोज ना होती है
02:32ताई जी भी मुझे बोज समझती है और ताउ जी मुझे मुझे मुझे मुफ्त का नौकर समझते है
02:36फिर तो कोई इज़त ही नहीं है इस घर में
02:38अब कविता खाना बना कर अपने घरवालों को देती है
02:49देखते ही देखते कुछ हफते बीथ जाते हैं
02:51और कविता के चचेरी बेहन शीला होस्टल से जब घर आने को होती है तो
02:54धीरे धीरे थंड तो बढ़ती जा रही है अरे भया दूसरा स्वेटर दिखाओ
03:00मेरी बेटी जब होस्टल से आएगी तो ऐसे हलके स्वेटर पहन कर जाएगी क्या
03:04थंड से तुम मर ही जाएगी थोड़ा भारी स्वेटर दिखाओ जिसे पहन कर सर्दी नाला के उसे
03:09शांती तुम के सर्फ एक ही स्वेटर लोगी वो भी अपनी बेटी के लिए है अरे तुम्हाई भाती जी भी तो है
03:15देखा मैंने उस बेचारी को पिछले पास साल से एक ही शाल ओड रही है बहन बेचारी तुम्हाई बहु भी पिछले दो साल से एक ही शाल ओड रही है
03:21तुम भी तो सिर्फ अपनी बेटी के लिए स्वाटर लेने के लिए आई हो अपनी बहु के लिए भी कुछ लेला दूसरों के घर में जाकने से बहले खुद का गिरेबान जाक लेना चाहिए
03:30और रही मेरी भती जी की बात तो उसे शौल से बहुत प्यार है वना घर में बहुत सारे शौल रखे हैं वो नहीं लेती तो इसमें मेरी गलती नहीं है और अगर तुम्हें इतनी हमदर्दी है तो एक काम करो तुम्ही उसे लेकर दे दो कुछ
03:42शान्ती की बात सुनकर सुमित्रा कुछ नहीं कहती और वो दोनों ही अपनी अपनी बेटियों के लिए ठंड के कपड़े लेकर घर आती हैं
03:48अगले दिन शान्ती की बेटी आती है जहां कविता बड़ी ही प्यार से अपनी बेहन को उसकी पसंद का खाना बना देती है
03:53और शान्ती अपनी बेटी को कपड़े दिखाती है
03:56बता कैसा लगा तुझे सारे कपड़े सर्दियों के लिए हैं इस बार जब तू हस्टल जाएगी तो ये सारे कपड़े लेकर चली जाना ठंड बहुत हो रही है
04:05शीला तुम पूरे छे महीने बाद आई हो न इसलिए देखो मैंने तुम्हारा फेवरेट पास्ता नूडल्स मंचूरियन और चिली पोटेटो बनाए हैं
04:14खा कर बताओ कैसे बने अगर ठंडे हो गई तो अच्छे नहीं लगेंगे
04:17जब तक तुम्हें कुछ बोले ना तुम्हें बाते समझ नहीं आती क्या कुछ देर मुझे मा के साथ अकेला क्यों नहीं चोड़ सकती
04:25अगर खाना ठंडा हो जाएगा तो क्या तुम गरम कर पाओगी
04:28माँ मैंने आपसे कितनी बार बोला जब मैं इस घर में आऊ तो इसका चैरा मुझे देखने को ना मिले
04:33शीला की बाद सुनकर कविता वहां से अपने कमरे में चली जाती है और अपने मादा पिता की फोटो लेकर बैठ जाती है
04:39माँ पापा यहां मज़े कोई प्यार नहीं करता ठंड बढ़ती जारी है पर फिर बिताई जी सर्फ शीला के लिए गरम कपड़े लाई
04:46मैंने इतने प्यार से शीला की बसुत का खाना बनाए पर उसने वो भी नहीं सराहा
04:51मेरे साथ इस घर में इतना बेदबाओं क्यों होता है
04:53अब कविता अपने मादा पिता की फोटो लेकर अपने कमरे के दर्वाजे पर खड़ी हो जाती है और अपनी बहन और ताई जी को देखती है
04:59उन दोनों को देख कर उसकी आँखों से आशो नहीं रोकते और इसी तरह एक हफ़ता बीद जाता है
05:04एक हफ़ते के बाद शीला का जनम दिन होता है और इसी लिए शीला और कविता की बुगा कुछ तोफे लेकर घर आती है
05:09अरे मेरी शीला तो 21 साल की हो गई
05:12शीला में तेल expensive gifts लेकर आयो पर कभी तो कहा है
05:15भावी तुमने फिर से कविता को काम पर लगा दिया
05:17भूलो मत ये घर कविता के ही माता पिता का है
05:20एक तो तुमने भावी के हिस्से की सारी property अपने नाम करवा ली
05:23उनके सारे पैसे भी जब्त कर ली और बदले में उस बेचारी के साथ इतना बुरा सुलूख करती हो
05:28लेकिन 25 साल की हो गई है वो
05:30उसकी शादी करवा दो अगर तुमसे वो और बरदाश्ट नहीं होती तो
05:34अर्चना अपने भावी को कुछ कहने से पहले सोच लिया कर
05:37जब भावी खतम हुए थे तब तू भी तो कविता की जिम्मेदारी ले सकती थी ना
05:42पर तू ने क्या किया बहाने बना कर अपनी ससुराल चले गई
05:44अगर तेरे को इतना ही दुख होता है उस मर्हूस के लिए तो तू कोई लड़का देख ले
05:48और नहीं बहित भाव की बात अगर तुझे अपनी भतीजी से नफरत होती ना
05:52तो जो मैं उसे तरा-तरा के कपड़े खाने और जो सिक्षादी है ना वो भी ना देता
05:57वा भाईया वो बिचारी कविता के माता पिता की प्रापर्टी पैसे हड़ पो तुम और उसकी परवरिश करूं मैं
06:04जब लिया तुमने है तो करोगे भी तो तुम ही और अई लड़के की बात तो मैं अपनी भतीजी के लिए बहुत बड़े घर का रिष्टा देखूंगी देख लेना तुम पर शादी तुम ही करवानी पड़ेगी
06:12आप दोनों प्लीज लड़ना बंद करोगे आज मेरा जन दिन है
06:16कविता की कहने पर अरचना चोप हो जाते और बर्थ डे सेलिबरेट करके कड़कराती ठंड में ही रात को घर से जाने लगती है
06:35बाहर बहुत ठंड हो रही है कल चली जाना
06:40मेरी बच्ची अरे जाने दे मुझे आज जाओंगी तभी तो तेले जल्द से जल्द रिष्टा ले कर हाऊंगी था कि तुझे इन लोगों से चुटकारा मिल सके
06:49मैं बहुत अच्छे से जानती हूँ यहां तेरे साथ कैसा भी आहवार होता है
06:52रात के 11 बजे ठंड में ही अरचना घर से निकल जाती है और एक हफ़ते बाद अपनी भावी को फोन करके एक रिष्टे के बारे में बताती है
06:59मैं तो ऐसे ही बदनाम हूँ असली चालबास तो तो आए अंदर है बेचारी इतने बड़े घर में वो भी जोईन फैमिली में कैसे रहेगी इतना काम कैसे करगी
07:06बड़े लोग दिल के काले होते हैं उनसे तो अच्छा हम गरीब ही होते हैं
07:09नहीं नहीं मैं अपनी भती जी की शादी इतने बड़े घर में वो भी जोईन फैमिली में तो बिलकुल नहीं करने वाली
07:14भाबी ये भी देखो लड़का इकलाता है और वो लोग अमीर हैं और रही काम की बाद तो अमारी कविता को कोई काम नहीं करना पड़ेगा
07:21अर्चना अपनी बात पूली करके फोन रख देती है और अगले हफते ठंड में लड़के वालों के साथ आती है
07:44कुछ देर में अर्चना लड़के वालों के साथ घर में आती है और जब लड़के वाली कविता को देखते हैं तो वो लोग कविता को पहली नजर में पसंद कर लेते हैं
08:08इसके बाद अर्चना अकेले में कविता को समझाती है
08:10बेटा मैं जानती हूँ कि इन लोगों का परिवार बहुत बढ़ा है
08:13दस बारा लोग कोई कम नहीं होते पर लड़का और उसका परिवार बहुत अच्छा है
08:17कविता के हां कहते ही अर्चना खोशी से बाहर जाती है और सभी को मिठाई खिलाती है
08:36देखते ही देखते बहुत जल्द कविता और अमित की शादी की देट तै हो जाती है
08:40और अगले ही महिने उन दोनों की शादी हो जाती है
08:43और जब शादी करके कवित अपने सस्राल जाती है तो
08:46भावी आ गई आपकी मंजिल यही है हमारा चूटा सा बंगला
08:50यह चूटा सा बंगला है इतनी बड़ी बंगली में तो पचास लोग रह ले
08:54भावी चलो मैं आपको सबसे इंट्रोड्यूस करवाती हूँ
09:23यह है इस घर की सबसे बड़ी बहु कलपना ताई जी यह आपकी सास आशात आई जी और यह है मेरी प्यारी मा सुशीला
09:30यह है सुरेश काका दिलीब काका और यह है मेरे पापा और यह है
09:35हमारा इंट्रोडक्शन हम खुद कर लेंगे भावी हम चारो है आपकी नंदे करिश्मा काजल दिया और आर्थी
09:41कितना बड़ा परिवार है मेरी ताई जी तो कितनी बुरी थी
09:55दुनिया के नजरों में तो उन्होंने मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखा पर अंदर वो कैसी थी सर्फ मैं ही जानती हूँ
10:00यहां पर भी जॉइन फैमली है मेरी सास का तो पता नहीं पर ये लोग मुझे बिल्कुल प्यार नहीं करेंगे और वैसे भी
10:05मैंने तो सुना है कि जो सास होती है वो मा नहीं बन सकती लगता है मेरी किस्मत में कभी खुश्यान लिखी ही नहीं थी
10:12कुछ देन में आमित और कविता अपने कमरे में जाते हैं वो कविता डड़ी सहमी बैट पर बैठी होती है उसे देखकर परेशान अमित उससे कहता है
10:20क्या हूँ कविता तुम इतनी सहमी हुई क्यों
10:42ताया था, तुम्हारी ताई जी तुम्हें बिल्कुल प्यार नहीं करती थी, इसलिए तुम्हारी अंदर का डर मैं समझ सकता हूँ, पर मेरे ताई और चाचा बिल्कुल भी वैसे नहीं है, हमारी घर में सभी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, पर फिर भी, अगर कभी �
11:12पहली रसोई है और आठ बच चुके हैं, क्या, आठ बच गे, कितनी ठन लग रही है, ठन में आखी नहीं कुली, माफ करना, मैं अभी अपनी पहली रसोई के लिए आती हूँ, पहले दिन ही ससुराल में इतनी बड़ी गलती करती हैं, कई मेरी चाची सास, ताई सास, मेरी सा
11:42बना रहा, मेरी नंदे सच में इतनी अच्छी हैं, या अच्छे बनने का नाटक करी हैं, अगर इसकी जगा मेरी बहन होती तो अब तक, इतना सोचकर कविता को अपनी चचेरी बहन की याद आती है, जो खाना लेट होने पर पूरा घर सिर पर उठा लेती थी,
11:54सौरी सौरी शीला, लंच बनानी में समय लग गया, ठंड बहुत है ना, हाथ बर्व की तरह ठंडे थे, अब मुझे नहीं खाना, अब तुम बाहर से मेरे ले खाना लेकर आओ रहा, खाना गरम होना चाहिए, अगर ठंडा हुआ तो मैं मां से कहकर तुम्हारा रात का खाना
12:24ठंड में कापते हुए गबराई हालत में खाना बनाती है, ठंड में कापते हुए कविता पहली रोटी बनाती है और उसके बाद कोई सबजियां काट कर कुकर में चावल और सबजियों को मिक्स करके पुलाव बनाती है, साथ में सिंपल राइस भी, अब कुछी देर में ज�
12:54परिशान क्यों हो रही हो तुमने जो भी बनाया मैं तो बड़ा पसंद आया चलो अब तुम भी बैठ कर खालो
13:00कलपना के कहने पर कविता अपने परिवार के साथ बैठ कर जैसे ही खाने का निवाला पहला अपने मूँ में लेती है तो खाना थूख देती है और घरवालों से कहती है
13:08ची, ये खाना मैं ने बनाया है, कितना बकवास बनाया है, आप लोग इसे खा कैसे सकते, इसमें तो जरा भी स्वात नहीं है, आप सब छोड़ दीजे, मैं दुबारा बना देती हूँ, किसी में नमक तेज है, किसी में कम है, रोटी भी कितनी सक्त हो गई है, चावल भी थोड
13:38और देखते ही देखते एक हफता बीच जाता है, और एक हफते बार जब कविता अपनी तीनों सास और नंदों के साथ बंगले के बाहर बैठी होती है, तो बाहर मुंख़ली बेचने वाला आता है, कविता छोटे बच्चों की तरह अपनी जगा से खड़ी होकर अपनी सास स
14:08अब कविता की चारो नंदे उसके साथ बाहर आती है
14:15और वो मुंझपली के साथ और भी कुछ समा लेकर वापस अंदर आते हैं
14:18और धूम में बैठ कर मुंझपली खाते है
14:21वाह, कितने अच्छी हैं यह लोग
14:22इन्होंने इतने बड़े बंगले में मेरी शादी करवाई, मेरा ससुराल भी कितना अच्छा है
14:26मैंने एक बार मुंगपली क्या मांगी, उन्होंने मुंगपली के साथ मुझे कितना सब कुछ मिल गया
14:30और मायके में तो ताई जी मेरी चीजे भी छीन कर अपनी बेटी को दे दिया करती थी
14:34इस तरह कविता कुछ देर अपने परिवार के साथ बाहर बैठती है, समय गुजरते समय के साथ कविता धीरे धीरे अपने घर में घुलने मिलने लगती है
14:43पर एक दिन विजय कुछ पैसे आर्ती को रखने के लिए देता है
14:46आर्ती पैसे संभाल के रखना, दो दिन बाद वापस मांगूंगा
14:52ठीक है बापा, आप अभी कहीं बाहर जा रहे हैं क्या?
14:55हाँ, बाहर बहुत काम है और कुछ नए मजदूर भी आए है
14:59अमिद बेटा कहा है?
15:01क्या? जल्ली चल?
15:03आर्ती अपने पिता से बात करते हुए कबरे में जाती है
15:06तो वहीं विजय और अमिद भी अपनी फैक्टरी जाती है
15:08जहां फैक्टरी के बाहर बड़ी बड़ी ट्रक खड़ी होती है
15:11और कुछ मजदूर ट्रक से सामान निकाल कर अंदर रख रहे होते है
15:14इसी बीच एक मजदूर को ठंड लग जाती है
15:16अरे बहिया क्या हुआ?
15:18तुम्हारे शरीर तो बुखार से तब रहा है
15:19और इतनी ठंड बे तुमने एक सिंगल जाकेट पहनी है
15:21अरे मालेक हम गरीब आदमी है
15:25हमारे पास इतने पैसे नहीं है
15:27कि आप लोगों की तरह अच्छी जाकेट ले सके
15:30इसलिए तो अब रात को भी मजदूरी कर रहा हूँ
15:33आप मेरी फिकर मत कीजिए
15:35मैं अपना काम कर लूँगा वहिया
15:37कोई जरूद नहीं है
15:40अब अगर तुम्हारी तबियत खराब हो गई तो
15:43वैसे भी बहुत ठंड और ठंडी हवा चल रही है
15:45अब बस थोड़ा सा काम कर रहता है
15:47तुम घर जाओ और ये लोग कुछ पैसे
15:49अपने लिए कुछ ढंके जाकेट ले लेना
15:51अमित और विजय सारा काम खतम करके घर आते हैं
15:54देखते ही देखते हैं चार से पांच दिन बीच जाते हैं
15:56और अचानक से विजय को पैसे की जरूद पढ़ती है
15:58वो आरती से पैसे मांगता है
16:00आरती बेदा, फैक्टरी के लिए लेट हो रहे हैं
16:03मैंने जो तुम्हें पैसे दिये थे, जल्दी से ला कर दो
16:05पापा, वो पैसे शायद भाबी को दे दिये थे
16:08भाबी, मैंने जो आपको पैसे दिये थे, वो पापा को ला कर दे दो
16:11क्या? पैसे?
16:13कौन से पैसे, आपने मुझे पैसे कब दिये हैं
16:17भबी ऐसा मत बोलो, पूरे दो लाक रुपए मैंने आपको दिये थे रखने के लिए
16:21आरती, ये सब क्या है, जब तुम्हारे पापा ने तुम्हें पैसे दिये थे
16:24तो वो तुमने बहु को क्यों दिये
16:26बहु याद करूँ तुमने पैसे कहां रखे है
16:28पर मैं सच कहरी हूँ
16:30मुझे कोई पैसे नहीं दिये थे
16:32बहु इतनी लापल वाही अच्छी बात नहीं
16:35बताओ जर आई तेनी ठंड हो गई
16:37अब सभी कविता को खरी खोटी सुनाने लगते है
16:44और कविता रोते हुए अपने कमरे में चली जाती है
16:46और अगले दिन बंगले के बाहर जब कपड़े डाल रही होती है
16:48तो उसके पड़ोसन अपनी बालकनी से
16:50उसका बंगला और उसे एक काम करता देख कर बोलती है
16:53कविता हाहा कैसा लग रहा है अपने बड़े से बंगले में रहकर
16:56मैंने सुना कि तुमारे माता पितास दुनिया में नहीं है
16:58और तुमानी ताईजी बड़ी बुरी थी
17:00पर ये क्या बड़े बंगले की बहु बनकर भी तो काम करी हो
17:03आशा आंटी और उनकी परिवार ऐसे तो नहीं थे
17:05काम को लेकर तो कोई दिक्कत नहीं है
17:08घर के नौकर कर देते हैं
17:09पर खाली बैटना मुझे अच्छा नहीं लगता
17:11और यह बड़ी लोगों की बात
17:13तो यह बंगला से बाहर से देखने में अच्छा है
17:15यहां के लोग नहीं
17:17जो जैसा दिखता है वो वैसा होता नहीं
17:19मेरा माईका और ससुराल एक जैसा ही है
17:21कोई यहां मुझे समझने वाला नहीं है
17:23और मेरी चारो नंदे
17:24उन्होंने तो मुझे मेरी चचेरी बहन की याद दिला दी
17:27अपनी गलती चुपाने के लिए
17:29मुझ पर जूटा इलजाम लगा दिया
17:30जब कविता अपने सस्राल वालों की बुराई सबना से कर रही हो दिया
17:34तो उसकी चारों नंदे अपनी भावी की बात सुन लेती है
17:36और उन्हें काफी बुरा लगता है
17:37भावी हम लोगों की बुराई कर रही है
17:40जबकि हमने भावी का कितना ख्याल रखा
17:42उन्हें कितना प्यार दिया
17:44लगता है हमसे ही कोई गलती हुई
17:46आरती
17:48तू सही से याद कर
17:49क्या तुने सच में पैसे भावी को दिये है
17:51अगर भावी के पास इतने पैसे होते
17:53तो वो जूट क्यूं बोलती
17:54कविता के बाद सुनकर चारो बहनों को काफी बुरा लगता है
18:23और वो अपने अपने कमरे की तलाशी लेने लगती है
18:25इस तरह चारो बहन एक एक करके अपने कमरे की तलाशी ले रही होती है
18:40तो वहीं कविता कमरे में आराम से बैठी होती है
18:43तब ही वहाँ आमित आता है और अपनी बीवी को उदास देखकर उससे कहता है
18:46कवित अपनी नाराजगी अपने पती को दिखाती है
19:12तो वहीं चारों बहन अपने कमरे को अच्छे से तलाश कर लेती है
19:16पर उन्हें कहीं पर भी पैसे नहीं मिलते
19:18अरे यार मुझे तो याद ही नहीं आरा मैंने पैसे कहां रखे
19:22तुम चारों बहन कर क्या रही हो एक दूसरे के कमरे में और पूरा घर फैला रखा है
19:27अभी नौकर से करिश्मा काजल का कमरा साफ करवाया और तुम चारों आज एक कमरे में
19:32तुम चारों बहनों को ढूनने के चक्कर में मेरी हालत खराब हो गई
19:35आरती मैंने तुझे दवाई लाने के लिए पच्ची दी थी ना
19:38तु दवाई लेकर आई तो तुने पच्ची कहां रखी है
19:41दादी जी बाहर इतनी ठंड है
19:44यतना बोलकर दिवाई और आरती कलपना की कमरे में जाती है
19:49और यह पैसे यहां कैसे आए
19:52चारची ऐ पैसे आपकी तिजोरी में रखिये है
20:11पैसों को देखकर आरती को कुछ याद आता है
20:14इतना बोलकर कलपना सुशिला की कमरे में चली जाती है
20:24और आर्थी वही पैसे लेकर कलपना की कमरे में जाती है
20:27और तेल को पूरी कमरे में ढूंटती है
20:28और हाथ में रखके पैसों को अलमारी में खोल कर तिजोरी में रख देती है
20:32और तेल लेकर अपनी मा के कमरे में जाती है जहां कविता आ दिया और उसके हाथ से तेल लेकर अपनी सास के सिर पर तेल लगाने लगती है
20:39अब ही आदाया कि पैसे तो मैं ने ही आते जोरी में रखे थे
20:43मैं कितनी बड़ी बुलक करूँ, उस समय मैंने भावी को तेल दिया था ना
20:47ना कि पैसे, सारी गलती मेरी है, मेरी वज़े से भावी की इंसल्ट हुई
20:51आप सबने भावी को गलत समझा, भावी को कितना बुरा लगाओगा।
20:54जब कुछ तेरी वज़े से हुआ है, हमने अपनी इतनी प्यारी बहु को डाता, वो क्या सोच रही होगी।
20:59उसकी ताईजी भी ऐसी थी और हमने भी उसके साथ ऐसे ही किया।
21:03जब पूरे परिवार को ये पता चलता है कि गलती आरती की थी तो सबी घरवाली गठा होते हैं और सब कविता से माफ ही मांगते हैं।
21:09बहु उस दिन के लिए हम सबको माफ कर देना, बड़ी मुश्किल से इस घर में एक बेटा हुआ, हमने सोचा था कि उसकी बेवी को अपनी बेटी की तरह रखेंगे, पलकों पर, पर साथ ससुर भी, कभी माबाप नहीं बन सके, सारी गलती आरती की थी पर हमने तुझे गलत
21:39किती जादा थंड ओरी है ना, बहाबी, और आज सारे नौकर भी छुट्टी पर है, आपको खाना बनाने की जरूत नहीं है, क्यो ना आज हम सब बाहर दिनर करने के लिए चले, वैसे भी उस दिन आप कह रही थी ना, आपको मंचूरे नूरल्स, पास्ता बहुत पसंद है
22:09सुशीला जो अपने लिए एक्स्ट्रा शौल लेकर आती है, वो कविता को ओडने के लिए दे देती है, कुछ बातों को याद करके कविता की आँखे बहराती है और वो अपने परिवार से कहती है, सारी गलती सिर्फ आप लोगों की नहीं, कुछ गलतिया मेरी भी है, जब म
22:39वो लोग बाहर से ही उसका आली शान बंगला देख कर कहती है, जब शानती अपने पती के साथ बंगले के बाहर खड़ी होकर बंगले को देख कर बाते कर रही होती है, तो किसी काम से कविता बाहर आती है, वो अपने ताउ और ताई जी को देख कर काफी खोश होती है, पर �
23:09खोल कर सुन ले तो इतने बड़े घर की बहु हमारी वज़े से बनी तो अब तेरा काम है कि तो अपनी बहन के लिए भी ऐसे ही किसी बड़े बंगले का रिष्टा देख और अपने सुसराल वालों को एक वारिस दे दे अगर तू लड़का नहीं कर पाई ना तो तेरे सारे अ
23:39शादी के जिब्रधारी आपकी है हमारी बहु की नहीं हम तो खुश थे कि आप लोग आए हैं पर आपकी बाते सुनकर तो अब हम आप से हाथ जोड़कर यही कहेंगे कि ठंड में हमारी घर में कदम रखने से अच्छा होगा कि आप उल्टे पैर अपने घर चले जाए
23:51विनोध अपनी इंसल्ट बरदाश नहीं कर पाता और अपनी बती जी के सारे रिष्टे राते तोड़कर चला जाता है जिसके बाद पूरा परिवार अपनी बहु के आंसु पोच्छता है और इस तरह एक गरीब घर के बहु को अपने बड़े से बंगले में जॉइंट फै
24:21बूल जाती है
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