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"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!
🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता
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00:00चार गोरी भावी की एक काली ननंद
00:02आज कांती जी के दर्वाजे पर उनकी चार गोरी चिट्टी बहुए खणी थी
00:06रंग रूप पहनावा उड़ावा सब चीज में उनकी बहुए के टककर का उनके खांदान तक में कोई नहीं था
00:12अरे भावी ये क्या चांद की पूजा करने से पहले ही उस पर ग्रहन लगा रही हो भावी
00:19ऐसा क्या कर दिया मैंने दिदी जो आप चांद पर ग्रहन की बात कर रही हो
00:25आपकी गोरी चिट्टी बहुए दर्वाजे पर खड़ी है और आपकी ये कलूटी बेटी भी यहीं खड़ी है तो ग्रहन तो लग नहीं है
00:34बुरा न मानना का की लेकिन काल और रंग शुब चीजों में आशुब माना जाता है तो आप तो समझ ही रही होंगी
00:40अरे ओ कलूटी इतने बेज़ती करवा कर भी मन नहीं बरा अभी यहीं खड़ी है चल जा भी तर और जाकर सभी महमानों के लिए चाय नाश्ते का इंतिजाम कर
00:49लिकिन मा मुझे भी भाबियों का ग्रहे प्रवेश देखना है
00:53अरे कालो एक बार बोलने पर तुझे समझ नहीं आता क्या अपनी काली नज़र डाल कर मेरी भाबों को नज़र लगाना चाहती है चल बाख है हांसे कलूटी कहेंगी
01:03बेटी के लिए सास का ये बरताओ देखकर बहुएं हैरान रह जाती है लेकिन अभी अभी ससुराल आई बहुएं कहां ही कुछ बोल पाती है
01:10कंगना भीतर चली जाती है वही कांती जी अपनी बहुओं का बढ़े ही प्यार से स्वागत करती है
01:15जिसके बाद बहुओं वैसा ही करती है सबी बढ़े प्यार से बहुओं का स्वागत करती है जिसके बाद धीरे धीरे सारे महमान वहां से चले जाते है
01:27कंगना बेटी जा अपनी भावियों को कमरे में छोड़ दे कबसे बेचारी यहां बैठी हुई है
01:32खबरतार अगर मेरी गवरी बहुओं पर तेरी परचाई भी पड़ी तो चल दूरट मेरी बहु से बहुओं चलो मैं तुम्हारा कमरा दिखा देती हूँ
01:42पिर कांती जी अपनी बहुओं को उनकी कमरे में ले जाती है
01:45सास का नंद के प्रती बुरा बार बार बुरा बरताओ चारो बहुओं को खटक रहा था
01:56वहीं सस्राल में अगले दिन चारो बहुओं सुबह जल्दी उठकर तयार होकर हॉल में आती है
02:01माजी आज हमारी पहली रसोई है ना खाने में क्या बनेगा
02:06अरे बहु तुम्हें खाना बनाने की जरत नहीं है
02:09वो कलूटी है ना कालोरा नी
02:10वो बना लेकिं सिर्फ तुम पाजो खाने में अपना हाथ चुआ देना
02:15मैं नहीं चाहती कि शादी के पहले ही दिन बहुओं का रसोई में काम करके रंग ढल जाए
02:20ठीक है
02:20मेरा रंग दबा है तो मुझसी रसोई में दिन रात काम करवा कर
02:24मुझे नौपरानी बनाना चाहती हो क्या मा
02:26आज तक तेरी हिम्मत नहीं हुई जबान चलाने के और आज तू अपनी मा को आँख दिखा रही है अब ही बताती हूँ
02:33जिसके बाद कान्ती जी कंगना के बाल पकड़ कर खींच लेती है और चोटी मरोड देती है
02:39मा छोड़ो मुझे मा छोड़ो ना क्या कर रही हो
02:43आखे दिखाएगी जा चाकर तेरी भावियों की पहली रसोई का खाना बना और मेरी कोरी बहुँआं के इर्दगिर्द भी मत खुमना
02:51ये कैसी मुसीबत है पहली रसोई में हमारी और बना हमारी ननन्द रही है दिदी चलो न हम करते हैं काम
02:58माजीद देख रहेंगी तो टांटेंगी हम छुपकी से काम करवा देंगे
03:03मुझे नहीं अच्छा लग रहा
03:05हमारी एकलोती ननन्द हमारे हिस्थे का काम अखिली कर रही है
03:08एक काम करते हैं अपनी पहली रसोई का आदा काम हम अपने अपने कमरे में ही कर लेते हैं
03:13तो साजुमा को पता भी नहीं चलेगा
03:15और ननन्द जी की हेल भी हो जाएगी
03:33हैं अभी तो बता दो ऐसा मत कहो तुम तो हमारी प्यारी ननन्द हो हम तो तुम्हारी मदद करने आए हैं माफ करतो हमारी वज़े से माजी ने आपको डाटा कोई गलती नहीं है आपकी मां का नीजर ही ऐसा है मेरे लिए जाओ अब मुझे काम करने दो
03:49सारी भावियां कंगना से काम चुड़ा कर खुद काम करने लगती हैं रूपा सबजियां लेकर कमरे में चली जाती है और सानवी आठा लेकर वही कीरती साइड में रख़ा इंडक्शन कमरे में ले जाकर सब के लिए खीर बनाती है और पूजा बाहर नज़र रखती है कि सास क
04:19को आगे कर देती हैं ऐसी चारों बहुएं मिलकर अपनी पहली रसोई में धेर सारे पक्वान तयार करती हैं हलवा पूरी खीर मिक्स वेच पुलाओ पनीर नान और बिर्यानी जिसके बाद कंगना सारा खाना टेबल पर लगा देती है और सारी बहुएं आकर सभी को खाना परो
04:49स्टी जी को लगता है कि सचि में खाना चंगना ने बनाया था आठो कितना घंदधा खाना बना एंसे खाना बनाते हैं अपनी भावी के पहली रसोई पर ही कबढ़ा करवा दिय आ
05:00मा खाना स्वादिष्ट तो है?
05:02हाँ मा देखो ना कितना स्वादे खाने में?
05:05जब पहली रसोई इन लोगों की है, तो खाना कंगना ने क्यों बनवाया?
05:10मेरी बहुएं क्या काम करने के लिए थोड़ी न आई है?
05:12मेरी बहुतो राज करने आई है राज.
05:14अभी इस कांगना को बताती हूँ, सारा नकरा निकाल दूँगे इसका.
05:18इसके पहले कि कांथी कंगना के उपर हाथ उठाती, चारो बहुएं घबरा जाती है.
05:23मा जी, खाना ननन जी ने नहीं हमने बनाया है, प्लीज आप उन्हें कुछ मत कहिए.
05:27हाँ मा जी, आप उन्हें कुछ मत कहिए.
05:30मुझे पता है, खाना बहुत ज़्यादा ही स्वादिष्ट बना था, इसलिए मैंने बुराए की ताकि तुम लोग साचुगल सगो.
05:36क्यों ने एकल मुही कहा था तुछ से की तेरी भावियों को एक काम नहीं करने देना, लेकिन तेरे अगल पर तो परदा ही पड़ा है, कुझे तो कुछ समझ ही नहीं आता, तुने मेरी बहु से काम कैसे करवाया, तेरी इतनी हिम्मत बढ़ गई है.
05:50कान्ती जी घुसे में गर्मा गरम डाल कंगना के हाथ पर डाल देती है, जैसे उसका हाथ जल जाता है और वो तड़ा पुठती है.
05:56अगली बार से तेरी हिम्मत नहीं होगी कि तुम मेरी बहु से काम खरवाए, जा यहां से गोबर की सूरत की.
06:06बहु खाना बहुत अच्छा बना है, आज ते तुमने अपनी मर्जी का कर लिया, नेक्स टाइम से ये बर्दाश नहीं करूंगी मैं, उसका लोटी से जितना दूरह हो अथना अच्छा है.
06:15अब ये राम का अथा बंद करोगी या मैं जाओं उठकर.
06:18बैठो और चुप चाप ठूस लो.
06:48मेरा तो कलेज़ा खौल जाता है, कितनी प्यारी नरंध है हमारी और माजी के कारण वो भी हमसे दूर ही रहती है.
06:55और माजी के विजए से हम उसके नजर में विलेन बनती जा रहे हैं.
06:58मुझे अब तक समझ नहीं आया, माजी नरंध में जी से इतनी नफरत क्यों करती हैं, वो उन्हें हमारी तरह या हमारे पतियों जितना प्यार क्यों नहीं करती?
07:06ये तो ननन जी या हमारे पती ही बता पाएंगे
07:10माजी है न मीठी मिश्री खोलो, मीठी बोली बोलो, जो मन चाहे उगलवालो
07:15फिर क्या चारों बहुँ में पहुंच जाती हैं सास के पास
07:18जहां सास फिर से किसी काम के लिए कंगना को डांटी लगा रही होती है
07:21और बहुंगों को आता देख कंगना को भगा देती है
07:24माजी ये कलमुही को अब इतना क्यों सनाती हो
07:27मैं तो जब से आई हूँ मुझे तब से लड़की नहीं बसन
07:31मैंने तो इससे जनम दिया है फिर भी इससे प्यार नहीं कर पाती मैं
07:36लेकिन ऐसा क्यों? ये करमजली है ही ऐसी बताती हैं क्यों
07:44माप चिंदा न करो सब सही होगा
07:46कुछ महीने ऐसे ही बीचते हैं और कांती जी एक बेटी को जनम देती है
07:50जो कि बहुत काली होती है जब तक नंदी का दिहान थो गया था
07:54कांती के माई के वाले बेटी की सूरत देखकर ही उससे डिसौन कर देते हैं
07:58देदी यह लड़के हमारे खांदान के लगते ही नहीं
08:02और बड़ी मा के मताबिक बेटी अगर हमारे खांदान में मिलेगी तब ही पूरी प्रॉपर्टी मिलेगी
08:07बड़ी मान ही रही लेकिन आब इस वसीयत के दो टुकडे होंगे और आपकी बेटी को उसकी वसीयत शादी के बाद ही मिलेगी तब तक आपको इसकी सेवा करनी है
08:15कान्ती बहुत लड़ती है लेकिन उसकी सुनवाई नहीं होती नानी मा की आधी प्रॉपर्टी ही कान्ती की बेटी के हिस्से में आती है वहीं जब कान्ती अपनी बेटी को लेकर वापस सस्राल आती है तो
08:31पहले माय का फिर पडोस सब कांती को इतना भड़का देते हैं कि कांती जनम से तो कंगना की मा थी लेकिन असल में मा होते हुए बे कंगना की दुश्मन बन बैठी है
08:49और अब उसे केवल इसलिए पाल रही थी कि कंगना की शादी कराकर उसकी प्रॉपटी अपने नाम कराकर बेटों को ट्रांसफर करवा देगी फिर कंगना कहीं भी जाए किसी से कोई मतलम नहीं
08:59यही कारण है कि मैं इस कलूटी से नफरत करती हूँ आज हम लगपती नहीं करोडपती होते अगर ये कलूटी काली नहोगर तुमारी तरह गोरी होती लेकिन बहुँ चिंता मत करो उसका सब कुछ भी तुमारा होगा
09:11अब तो सब कुछ हमारा ही होगा माजी, चिंता ना करो
09:15अब तो हम इसी कलूटी से और काम करवाएंगे
09:17क्यों दिदी, सही कहाना, बिल्कुल
09:20बस बहु मैं भी यही चाहती हूँ
09:23आज कल गोरे लोगों का ही समगना है
09:25तुम अपने स्केन के पर ध्यान दो
09:28अब बाकि जब तक यह है तो भी काम करने की जुरत नहीं है
09:31जी माजी
09:32चारों बहुएं सास के सामने दिखावा करती है
09:35कि उन्हें कंगना नहीं पसंद है
09:37लेकिन अब बहुएं के मन में कंगना की इज़त और भी बढ़ जाती है
09:40और उन्हें एसास होता है कि कंगना ने कितना कुछ फेस किया है
09:43अब बहु एसास के सामने कंगना पर हकूमत चलाती
09:46वहीं पीट पीछे उसकी परवा करती और प्यार जदाती
09:49पहले सबसी बना लेती हूँ, फिर दाल बनाती हूँ
09:53जिसके बाद सानवी और रूपा कंगना के हाथ से काम चुड़ा कर खुड़ा कर खुड़ा कर खुड़ करने लगती है
10:10बहु ए आदा खाना बना चुकी होती है कि तभी कांती रसोई में आती है
10:14कंगना को बढ़िया खाना बना कर अपने हाथ से खिलाती है
10:38ऐसे ही एक दिन जब कंगना पोछा मारने जारी होती है तो
10:42ननन जी आप क्यों काम करने जा रही हो लाँ में पहुचा मारतीती हो
10:46फिर कीर्ती नन्द से पोछा और वाल्टी ले लेती है और खुद ही घर में पोछा लगाने लगती है
10:51तब ही कान्ती जी वहाँ आ जाती है और कीर्ती जल्दी से नन्द को पहुचा पकड़ा देती है
10:56बहु को कंगना को डाट लगाते देखकर कान्ती बहुत खुश होती है और वहाँ से चली जाती है
11:10सास के जाते ही केटी फिर से पूरे घर में पहुचा लगाने लगती है ऐसे कुछ दिन बीचते है फिर एक दिन चारों बहुए कमरे में बैट कर अपनी नन्द की सेवा कर रही थी
11:24फिर सानवी कंगना का फेशियल करने लगती है फेशियल के बाद
11:37पूजा कंगना को हेड मसाज दे रही होती है कि तबी कान्ती जी की आवाज आती है
11:49अरे ओ कंगना कल मुही कहा मर गई कलोटी
11:52कमरे में
11:54देख रही हो कैसे बोलती है माजी बूरी हो गई है लेकिन तमीज नहीं है
11:58अपनी ही बेटी को इतना बुरा कौन कहता है बला
12:01कोई ना माजी से तो बात करके भी कोई फाइदा ही नहीं है
12:05हॉल में
12:06सास के जाते ही बहुए फिर से नंद की सेवा में लग जाती है
12:27चारो गोरी भावी अपनी काली नंद से कभी रंग का भीद नहीं करती है
12:31और हमेशा उसका खयार लगती है
12:32कभी रूपा कंगना के लिए खीर पूरी बनाती
12:34तो कभी चारो बहुए मिलकर अपनी नंद का चोरी छुपके बर्थडे सेलिब्रेट करती
12:39वही राशन का समान उठाने के बहाने भावी अपनी नंद को शॉपिंग भी करवाती है
12:43ऐसी दिन बीट रहे थे फिर एक दिन
12:45चारो भावी यां हसने लगती है
13:01अरे हमारी प्यारी नंद हम कुड़ा फेकवाने के बहाने तुम्हें लेकर जाएंगे
13:05तुम्हें गंदे हाजी पानी पूरी कैसे खाऊंगी
13:09बहुत भोली है ये लड़की
13:11अरे तुम्हें तो कुड़ा फेकना ही नहीं है
13:13वो तो बहाना होगा
13:14और कूडा फैकने जाएगे पूचा कल ही तुम पानी पूरी खाने गई थी ना पूचा
13:18हाँ हाँ वो बड़ा मन कर रहा था
13:21अब तुम कूडा फैकने जाओ और हम ननन जी को लेकर पानी पूरी खाने जाएगे
13:26और सुनो उदास मत होना हम तर मारे लिए सेफ पूरी लेकर आएंगे
13:29चारों बहुएं सास को चक्मा देकर नंद से कूड़ा फिकवाने के बहाने उसे पानी पूरी खिलाने ले जाती है
13:35दीरे दीरे नंद भावी का बॉर्ण इतना स्ट्रॉंग हो जाता है कि कोई भी काम हो तो कंगना सबसे पहले अपनी भावियों को बता थी
13:41और उसकी भावियां हमेशा सास से चुप कर उसे सपोर्ट करती और उसकी हेल्प करती
13:46अरे ओ कंगना मेरा सफेद वाला कुर्टा कहां है मिल नहीं रहा
13:50पापा उसे तो धुलना है
13:52अभी तक धुला क्यों नहीं है
13:54मशीन खराब है रिपेरिंग के लिए बुलवाया था बट मिकैनिक आया नहीं
13:58तो क्या तेरे हाथ कट गए है तू लोली हो गई है
14:02मा के कटू शब्द बेटी के दिल पर लगते है
14:08लेकिन कंगना चुप रह जाती है
14:09और चुप चाप सारे कपड़े लेकर धुलने के लिए वाश्रूम में चली जाती है
14:13तब ही उसकी भावी वहां आती है
14:15पिर केरती कंगना के साथ कपड़े दोने लगती है
14:31और कुछी दिर में सास वहां आती है
14:33और बहु को कंगना के साथ कपड़े दुलवाते देख लेती है
14:36ये क्या हो रहा है यहाँ
14:38मा जी वो और ये
14:40वो ये वो ये उतênio
14:42साफ साप बोलो क्या बात है
14:44मा जी ये हमारी काली लननत कपड़ी
14:46भी अपनी रण के हिसाब से धीरती है
14:48एक्तम काली कपड़ी से मेल छूटने के जगे
14:50आचे पकति चली जा रही थी
14:52इसलिए मैंने केर्टी को भीजा कि ये कपड़ी चेकर ले छूटे हैं या नहीं
14:56आँ आँ मैं जी सही कह रही है दीवरानी जी मैं कपड़ी चेकर ने आई थी
15:00तो हो गए है साफ या बाकी है
15:03अब मैंने समझा दिया है इसे तो अब ये ठीक से धूर रही है
15:07चलो दीदी हम पैरों में नेल पॉलिश लगाती है बहुत दिन हो गए है न
15:10फिर केर्टी बहाना बना कर रूपा के साथ खिसक जाती है और कंगना अकेले कपड़े दोने लगती है
15:15भावियां हर हालत में अपनी नंद की मदद करने की कोशिश करती है
15:19लेकिन अब कांती जी को बहुँआ पर थोड़ा थोड़ा शक होने लगा था एक दिन
15:23क्या बात है कांती बहान आज कल तुम्हारी वकलोटी बेटी बहुत जादा नहीं मंडराने लगी है
15:29क्या पकबास कर रही हो उसको तो मैं घर से भाहर भी नहीं निकलने देती हूँ
15:33हाथ भाहर की जवान है उसकी
15:35हर दो दिन पर पप्पु चाट वाले की यहां चारो गोरी बहुएं और वो काली ननन पहुँचती है
15:41लगे जोड़ तो जाओ बूचलो पप्पु से
15:44कांती तुरंद पप्पु ठेले वाले के पास जाती है और यह क्या चारो गोरी चिट्टी बहुएं मेरी अरे नाकिन है नाकिन
15:58उससे भी साधा तेज इस काली भुजंगी को बिगारने में इनी लोगों का हाथ है अब और नहीं
16:04अब मैं इसकी कलोटी की शादी करा दूँगी और फिर देखती हूँ कैसे बनेगी ननन भावी की चोड़ी माजी ऐसा कुछ नहीं है माजी मैं सब समझती हूँ बहुरानी मुझसे ज़ादा पट्टी पढ़ाने की जुरत नहीं है समझी
16:18फिर कांथी कंगना को ले जाकर उसकी कमरे में बंद कर देती है ये कंगना के लिए कोई नई बात नहीं थी लेकिन कंगना के साथ इतना बुरा होते देखकर उसकी भावियों का कलेज अफटने लगता है और वो कंगना को उस कमरे से निकालने की कोशिश करने लगती है
16:32जब मानी कमरे में मुझे बंद कर दिया, मुझे फरक नहीं पड़ा, तो भावियों का कलेज इतना क्यों जल रहा है, कहीं इनके कोई साजिश तो नहीं, क्या पता ही अपनी प्रापटी की कारण मेरे साथ इतना अच्छा बरताफ कर रही थी, वही कारण जिस वज़े से मा मु
17:02इसलिए उसे अब ऐसा लगने लगा था कि उसकी भावी भी उसके सिर्फ अपने मतलब के लिए प्यार जता रही थी, वहीं एक दिन कांती को उसकी भावी शीतल का फोन आता है,
17:32कांती भावी का फोन कारण देती और अब वह जल्दी ही बेटी की शादी की प्लैनिंग करने लगती है, क्योंकि अब उन्हें डर था कि कहीं अगर कंगना ने अपने पसंद के लड़के से शादी करने की जिद कर दी, तो उनके सारे अर्मानों पर पानी फिर जाएगा, ऐस
18:02कांती कांती कंगना को बड़े ही अच्छे से तयार करती और घरवालों को कहा देती है,
18:31पूरी व्यवस्था करके रखे, बेटी को देखने के लिए लड़के वाले आ रहे हैं, वहीं जब लड़का घर आता है, तो सभी उसे देखकर शौक्ड हो जाते हैं।
19:01लड़के के आते ही उसे डरा धमगा कर वहां से भगा देती हैं।
19:05ये तुमने ठीक नहीं किया, तुम देख ले न, मैं तो इस कलूटी के शादी इसी से करा कर रही हूँ।
19:10हम भी देखते हैं, अब कैसे कराओगे आप हमारी ननन्द की शादी हमारी परमीशन के बिना।
19:14ऐसे दिन बीचते हैं, अब कांती और बाकी चार बहुँआ में काली नन्द की शादी को लेकर खींस्तान चुरू हो जाती है, वहीं बहुँए कॉल पर।
19:21अजी, आप लोग तो दुबई कमाने गए हो, नननन जी के लिए वहीं एक अच्छा सा रिष्टा देखू ना।
19:26पागल हो गई हो, इंडिया में कोई नहीं पसंद करेगा, तो दुबई में कैसे, तुम भी मेरी काली बहन के लिए दुबई का रिष्टा ढून रही हो, आप रहने ही दो, वहीं दूसरी बहुँ अपने पती को फोन करती है, अजे जी मैं कह रही थी आप जेट जी और दे�
19:56को तंग करती है, और उसकी शादी एक बूढ़ी से कराना चाती है, जब भाईों के ये बात पता चलती है, तो उनका भी दिमाग खराब हो जाता है, कि मा ऐसे कैसे कर सकती है, जिसके बाद आजाए पुनीत, रवी और वोहन, चारो भाई मिलकर दुबई में ही अपनी बहन क
20:26साधी बात बताती है, तुम लोगोंने मुझे क्या समझ रखा है, कोई भी रहा चलते लड़के को मैं अपना दामाद बना लू, ऐसा नहीं होगा, कहना चल मेरे साथ, आज ही मैं तेरी और करण की शादी करवाओंगी, कांती जबरदस्ती अपनी बेटी का हाथ पकड़ कर �
20:56कांती जी मन ही मन में बहुत ही ज़्यादा गुसा हो रही थी, क्योंकि सब कुछ उनके सोच के बिल्कुल आपोजित था, अब भी कंगना को लग रहा था कि भावियां सब अपने प्रॉफिट के लिए कर रही है, वैसी तो भावियों का भी कोई न कोई प्रॉफिट होगा,
21:26बहुत ही रहा है अमारी, मैंने नहीं सोचा था कि जीवन में इतनी प्यारी बहु मिलेगी हमें, वाकी मा, बहुत ही प्यारी है कंगना, इसके संस्कार, इसका पहनावा और समस्दारी बहुत ही अच्छी है, ऐसा आज कल की लड़कियों में तो देखने को मिलता ही नहीं है,
21:56इतना कहकर, शांती जी फोन कट कर देती है, शांती अपने गमंड में इतनी चूर थी, कि उन्हें कुछ समझी नहीं आ रहा था,
22:26वहीं दुबई में चारो गोरी भावियां मिलकर अपनी नंद की शादी का लहंगा डिजाइन करवाती हैं, और हल्दी और मेंधी की ड्रेस भी सेलेक्ट करती हैं, जिसके बाद अच्छा सा वेन्यू बुक करके चारो भावी अपनी नंद की हल्दी और मेंधी की रसम ने भ
22:56बदनसीब उसकी शादी तक नहीं देख पाऊंगी
22:58कांधी जी रोते हुए बहुआं के मोबाइल पर कॉल लगाती हैं, लेकिन कोई पिक नहीं करता, जिसके बाद वो बेटों को कॉल करती हैं, लेकिन उनका नंबर भी बंद बताता है
23:07कांधी बहुत परिशान हो जाती हैं कि अब क्या करें, ठक हार कर बैट कर रोने लगती हैं, तब ही वो देखती हैं कि उनकी बहु, बेटे, पती और बेटी के साथ उनका होने वाला ससुराल सब भी उसके आँखों के सामने खड़ा है
23:18यह देखकर आज कांधी जी की आँखे नम हो जाती हैं, और वो अपनी बेटी और होने वाले दमाद को गले से लगा लेती हैं, जिसके बाद बहु हैं घर बर मंडब बनाती हैं और शादी के तयारियां करती हैं, और उसी महुरत पर पूरे रीती रिवास से कंगना और अमि
23:48ननन जी हमें आप से प्यार है, आपके प्रॉपर्टी से हमें कोई मतलब नहीं है, यह रिष्टा दिल का था, यह बेटा यह तेरा है मेरा नहीं
23:57फिर कांधी जी नम आखा से बेटी की विदाई करती हैं और हमेशा के लिए सुधर जाती है
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