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  • 1 day ago
"इस कहानी में एक अनोखी सीख छुपी है जो आपके जीवन को बदल सकती है! यह कहानी न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी एक प्रेरणा साबित होगी। अगर आपको नैतिक कहानियाँ (Moral Stories), प्रेरणादायक कहानियाँ (Inspirational Stories) और हिंदी लघु कथाएँ (Short Stories in Hindi) पसंद हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। पूरी कहानी देखें और अपने विचार हमें कमेंट में बताएं!


🔹 वीडियो की खास बातें:
✅ सुंदर एनीमेशन और इमोशनल कहानी
✅ हर उम्र के लिए अनुकूल
✅ सीखने और समझने योग्य नैतिकता

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Transcript
00:00पापा अफ फैसला आपके हाथ में है
00:02आपको लोगों की बाते सुननी है
00:05उनके सामने अपना मान सम्मान बढ़ाना है या बीटी को बचाना है
00:09आज आपको फैसला करना ही होगा कि
00:12आपको अपनी बेटी से ज़्यादा प्यार है या इस खोकले समाज से
00:15अजी मान जाओ
00:18मैं अपनी बेटी को अपने सामने मरते हुए नहीं देख सकती
00:21अगर हमारी बेटी को कुछ हो गया तो कल यही समाज हमें दाने देगा
00:25मैंने कभी नहीं सोचा था
00:28किस उची हावेली की लाड़ी लड़की किसी खरीब मजदूर लड़के से शादी करेगी
00:32हमारा पूरी शहर में नाब है
00:34और किसी को पता है हमारी उचे बंगले के बारे में
00:37पर इस उचे बंगले की बेटी ऐसी नीच हरकत करेगी मैंने कभी सोचा नहीं था
00:42सूरेश अपनी बेटी के सामने हार जाता है
01:00जब सूरेश को इस बारे में पता चलता है
01:02तो वो भी अपने घरवालों से अपनी और मुक्ती की शादी की बात करता है
01:05पापा जी प्यार अमेरी करी भी देखकर नहीं होता
01:23और वो लड़की भी तो दिवजी से प्यार करती है न
01:26सुरज बेटा तेरे पापा ठीक कह रहे है
01:30वो लड़की हमारे घर में अड़्जस्ट नहीं कर पाएगी
01:33पर अगर फिर भी वो दुट से शादी करना चाहती है तो ठीक है
01:37हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे
01:39पर कल को वो आमीर घर की लड़की अगर तुझे छोड़कर गई
01:43तो तो वही करेगा जो हम बोलेंगे
01:45मुझे आप सब की सारी शर्ते मन्सूर है
01:48शादी से पहले सूरज के घर वाले भी उसके सामने कुछ शर्ते रख देते हैं
01:52इसी तरह दस दिन बीट जाते हैं और इस दस दिनों के अंदर
01:55बहुत ही जल्दबाजी में मुक्ती और सूरज की शादी होती है
01:57और ठंड में कावते हुए मुक्ती अपनी ससराल आती है
02:00जो अपने छोटा सा घर देखकर परिशान हो जाती है
02:03ही भगवान ऐसा घर तो मैंने टीवी में देखा था
02:07इतनी ठंड में मैं इतने छोटे से घर में कैसे रह पाऊंगी
02:10और इनका कितना बड़ा परिवार है
02:13हमारे घर में तो सिर्फ चार लोग थे पर ये फैसला मेरा है
02:17मैं बापा को नहीं दिखा सकती कि मैं अपना ससराल देखकर कितनी परिशान हूँ
02:21बाबी हम समझ सकते हैं अपने छोटे से ससराल देखकर आप हैरान होंगी
02:26पर हम पूरी कोशिश करेंगे कि आपको हमेशा खुश रख सके
02:29भावी आरती और महावर वाली थाल लेकर आजाओ और एक रुमाल भी
02:33जैसा हम नहीं सोचा था हम बावी का ग्रह प्रवेश वैसे ही करवाएंगे
02:37भावियां बले ही गरीब घर में आ रही हो पर आपको हम गरीबी का हैसास नहीं होने देंगे
02:44बाहर बहर ठंडी हवा चल रही है मेरी बहु को ठंड लग रही होगी
02:49तुम लोगों ने जो भी काम फिलाया है वो जल्दी से खत्म करो
02:53इतना बोलकर शांती अपनी बहु बेटे की आरती उतारती है तभी सपना महावर की थाली लेकर आती है
02:59जिसमें पैर रखकर मुकती एक रूमाल पर अपने पैर की निशान छोड़ती है और अपने घर में प्रवेश करती है
03:03मुक्ती यही है हमारा छोटा सा कमरा
03:07मैं जानता हूँ तुमारी तो बहुत बड़ी हवेली है
03:10मैंने तो सुना भी है हवेली के अंदर जाने के लिए
03:13पहले पचास सीड़ियां चड़नी होती है
03:15तब जाकर कोई हवेली में पहुँच बाता है
03:17पर हमारा तो छोटा सा घर है
03:19कोई सेड़ी भी नहीं है
03:20तुम्हें अजस्ट तो कर लोगी न
03:23क्यूं नहीं कर पाऊंगी
03:26मेरी से सुरार वाली कितने अच्छे है
03:28सबसे कितना प्यार करते है
03:30और घर छोटा हो या बड़ा क्या फरक पड़ता है
03:32पर हाँ अभी मुझे बहुत ठन लग रही है
03:35सो जाते हैं
03:37अहाँ सच में
03:39बहुत ठन लग रही है
03:40मैं अभी रजाई निकाल देता हूँ
03:42सूरज ओडने के लिए रजाई निकालता है
03:45और अपनी पत्नी के साथ
03:46जमीन पर बिस्तर बिचा कर सो जाता है
03:48अगले दिन मुक्ती की पहली रसोई होती है
03:50पर आज से पहले उसने रसोई में कभी कदम भी नहीं रखा था
03:54इसलिए उसे कुछ भी बनाना नहीं आता था
03:56क्या हो अमक्ती
03:58तुम बस चुले के पास बैट का चुले को देखी जा रही हो
04:01तुम्हे खाना बनाना तो आता है न
04:03मैंने सोचा था कि
04:05शादी से पहले खाना बनाना सीख लोंगी
04:07पर सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि
04:09कुछ सीखने का मौका ही नहीं मिला
04:11इसका मतल्य बाब को खाना बनाना नहीं आता
04:15भाबी हमारा दिट छोटा सा कहर है
04:17हम तीनों एक साथ बैट कर खाना नहीं बना पाएंगे
04:20ऐसे बोलकर मेरी दीवरानी का दिल छूटा मत करो
04:24मुक्ती गयर के बाहर भी एक मिट्टी का चुलहा है
04:27हम बाहर चलते हैं जगे साधा रहेगी
04:29तो मैं तुम्हें अच्छे से चीज़े सिखा पाऊंगी
04:32मा अच दिन तो तुम साथ बच्छी खाना बना देती थी
04:38आज चाची की पहली रशो ये तो इती देर कर दी
04:41चाची को बात नहीं खाना बना न शिखा दीना
04:44पहले मुझे खाना बना कर दे तो बहुत भूग लगी है
04:48सुरा लाते ही मुक्ती को खुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है
05:08अब वो अपनी जिथानी और नंदी के साथ घर के बाहर खाना बनाने के लिए जाती है
05:12और सपना चूला जलाती है जिससे धुआ होने लगता है
05:15और मुक्ती की आँखे जलने लगती है
05:17साथी घर के बाहर खाना बनाने की वज़ा से
05:19उसके उपर ओस गेता ही होती है
05:21और ठंडी हवा भी लग रही होती है
05:23जब दोलो देवरानी जिठानी घर के वाहर ठंड में कापते हुए खाना बना रही होती है
05:46तो मुक्ती की नजर आसपास के लोगों पर पड़ती है
05:49और वो देखती है कि गाउं की कुछ और औरतें भी घर के बाहर बैट कर खाना बना रही है
05:54और उनसे बाते कर रही है
05:56अरे बाहु तुम तो उची हवेले के बाल कि लो ना
06:01तुम्हें हमारे सूरस में क्या ही पसंदा गया
06:04आज अरे मा ऐसे क्यों बोलती हो
06:08सुनाने ही क्या की प्यार एंधा होता है
06:10हमारे सूरस भाईया की तो किस्मत अच्छी है
06:13जो उन्हें उची हवेले की लड़की मिली
06:15अब तो भाईया की चान दे ही चान दे होगी
06:18खाना बनने के बाद पुरा परिवार अंदर जाता है
06:43और रात को जमीन पर चटाई बिछा कर सभी एक साथ खाना खाते है
06:47अरे वाफ बहु मज़ा आ जिया
06:50खाना तो तुमने बहुत अच्छा बनाया है
06:53जाची वैसे मुझे रोटी सब्जी खाना बस नहीं पर
06:59आज तो आपके हाट तकी रोटी सब्जी भी अच्छी लग रही है
07:02पर पापाजी मैंने ये सब अकेले नहीं किया
07:06सकतिश दीदी ने किया है मैंने तो बस उनकी थोड़ी से मदद की है
07:11सस्रान में आकर इतना प्यार पाकर मुक्ती अपनी घरीबी भोल जाती है
07:14देख दीख देख देख एक महीना बीच जाता है
07:16और इसे एक महीने में एक दिन भी मुक्ती अपने माता पिता को ना तो फोन करती है और ना ही वो कभी दुखी होती है
07:22और इस बाले में जब सुरेश को पता चलता है तो उसे बहुत गुसा आता है
07:25मुझे विश्वास नहीं हो रहा हमारी बेटी उस गरीब परिवार के साथ एड़्जस्ट कर गई
07:31वहां पर वो काम कर रही है मैं अपनी बेटी को इस हाल में नहीं देख पारा मुझे कुछ करना होगा
07:37अरे अब आप क्या करेंगे हमारी बेटी का पैसला था और वो खुश है तो रहने दीजे ना उसे खुश क्या फरक पड़ता है लड़का अमीर है या गरीब हमें बस इस बात पर धियान देना चाहिए कि हमारी बेटी खुश है या नहीं और वो वहां बहुत खुश है
07:50मुक्ती की शादी होने के बाद भी सुरेश के दिल को चैन नहीं मिलता और वो उसके गरीब सस्राल वालों को परिशान करने के लिए जान बूज कर उसके गाउं के आट दस जमीन और खरीद लेता है जिसमें से एक विनोद का भी होता है
08:17अरे सम्धी जी बच्चों की शादी के बाद आप पहली बार हमारे घर आए हैं और आते ही हमसे हमारी जमीन मांग रहे हैं हम गरीबों के पास जमीन के नाम पर बस हमारा यही घर है
08:29अरे तुम्हारे दो बेटे हैं एक बहुत आभी है मेरी भी बेटी को कल को बच्चा होगा कुछ जमीन और खरीद के रखनी चाहिए थी ना और मैं यहां की जमीन खरीद कर यहां पर कॉम्प्लेक्स बनाना चाहता हूँ ताकि मेरा बेटा मेरे बिजनिस को और बढ़ा सके
08:59नुक्ति को लेकर जाओ हम बात कर लेंगे अंकल जी हमें नहीं पता आप ऐसा क्यों कह रहे हैं पर अगर हमने आपको अपनी जमीन दे दी तो हम लोग कहां जाएंगे यह तो आप लोगों को सोचना पड़ेगा ना मैंने वकील से बात कर लिये हैं और घर के कोट के पेपर �
09:29सुरेश को देनी पड़ती है पर जब बात पैसे की आती है तो सुरेश सभी गाउवालों को उनके हक का पैसा दे देता है जिससे गाउवाले उन पैसों से दूसरी जगा जमीन ले लेते हैं पर जब विनूद के परिवार की बात आती है तो वो पैसे देने से मना कर देता है
09:59हुँ ज्यादा पड़ा लिखा नहीं हूँ, सूरज अकेला ये घर कब तक समहा लेगा।
10:03यह तो तुम्हारे भाई को मेरी बेटी से शादी करने से पहले सोचना चाहिए था।
10:08मैरी हवेली से निकल जाओ, मना धक्के मारकर निकलवा दूँगा।
10:11रहने दो भाईया, इन्होंने ये सब जानबूच कर किया है, इनसे बात करने का कोई फायदा नहीं है।
10:41ना जगे देंगे, ना हमारी घर में बैटने की जगे है और ना आप लोगों को पेट भर खिलाने के लिए कुछ है।
10:47यही अच्छा होगा कि आप लोग अपना कहीं और ठिकाना देख लो।
10:52भावी, कम से कम आज रात तो रुपने दो, हम इतनी धंड में कहा जाएंगे।
10:57दिधी, एक बार तुम खुद ही मेरा छोटा सा घर देखो, हमारे घर में सिर्फ दो कमरी हैं, तुम्हारा इतना बड़ा परिवार कहां रहेगा।
11:07इतनी धंड हो रही है, मेरे पास तुम्हीं सुलाने के लिए न बिस्तर है और ना ही रजाई।
11:13इस ठंड में प्लीज मुझ पर दया करो और अपने परिवार के साथ कहीं और जाओ।
11:43वो लोग भटकते हुए सड़क पर आते हैं, जहां कुछ लोग फुटपाथ पर तंबू लगाकर सो रहे होते हैं।
12:13अपने के लिए कोई जगा नहीं होती। ठंड से बचने के लिए मुक्ती, सपना और शान्ती अपनी साड़िया निकालती हैं।
12:43और ये बात मुक्ती को सबसे ज़ादा पसंद आती है। इसी तरह ठंड में कापते हुए पूरा परिवार एक दोस्रे को पकड़ कर सो जाता है।
12:51जैसे सुबा होती है वहाँ कुछ ठेले वाले अपना ठेला लेकर आते हैं और सोरे लोगों को वहाँ से भागाने लगते हैं।
12:57आरर सुबा हो गई। सुबा इस जगा को खाली करना होता है अटो यहाँ से भागो यहाँ से। यह जगा मैंने मालिक से खरीद रख की है। यहाँ सिर्फ मेरा ठेला लगेगा। एक दिन ठेला ने लगाओ तो यह लोग तो फुटमात को अपना ही समझ लेते हैं। तोरी सी
13:27कहां इस जमीन पर हमारा कोई हक नहीं है। कोई बात ने मा अभी यहाँ से चलते हैं। कहीं न कहीं तो जगा मिल ही जाएगी। एक बार फिर पूरा परिवार बेघर हो जाता है। वो लोग भटकते हूँ एक जंगल के पास आते हैं। उन्हें काफी ठंड लग रही होती है
13:57को कंस्ट्रक्शन का जो इतना अच्छा काम मिला था वो छूट जाएगा। हमारे घर आप के ही पैसों से चलता है। आप हमी हमारे हालात पर छोड़ दीजिए और कल काम पर चली जाए। सुरज भया आप दूसरों का अंडरग्राउंड घर बना सकते हैं। मेट्रों वाले
14:27अमीरों का हक है न तर जमीन के अंदर थोड़ी ना है। काजल की इस बात से मुक्ति को एक आईडिया आता है और वो अपने घर वालों से कहती है। काजल तुम्हारा कहना बिल्कुल ठीक है। जंगल में हमें कौन भगाएगा। यहां तो कोई आता भी नहीं है। अगर जं
14:57इस ठंड में हमें करमाहण भी मिल जाएगी।
15:27इस ठंड की मदद से नक्षा बनाता है और घर वालों को बताता है कि खुदाई कैसे करनी है। मैंने नक्षा बना दिया है। पापा आप आराम करो पहले मैं और भाईया खुदाई करेंगे और जब हम ठक जाएंगे उसके बाद कोई और खुदाई करना शुरू कर देना।
15:57जाता है और वो लोग काफी जादा जमीन खोद देते हैं। अब जमीन खोदने के बाद वो लोग जमीन के नीचे ही घर का नक्षा तयार करते हैं।
16:27इन मिट्टी की लिपाई कर देना। उसके बाद अंदर से घर गरम हो जाएगा। पापा आप सीड़ी बनाने की तयारी कर दो मैंने लक्डियां ला दी हैं और उसके बाद हम उपर दर्वाजा भी बना लेंगे। जो सिर्फ अंदर से खोलेगा। कर रात को मुझे जानवर
16:57तो वहीं घर के आदमी जंगल से कुछ लगनियां जमा करके उनकी खटाई करते हैं और उनका दर्वाजा बना दे हैं।
17:27वहीं अब काजर रसोई में जाती है तो देखती है उधर पानी आ रहा होता है।
17:57जमीन के नीचे से पानी आ जाता है पर आप लोग फिकर मत करो घर में कुछ मिटी रखे है इस जगा पर लगा दो मैं बाहर से कुछ इटे लगकर आता हूँ।
18:05अब हम अपने घर की जमीन पर कलजे की इट लगाएंगे ताकि अच्छे से फर्श बन सके।
18:11बेटा मैं भी तेरे साथ चलता हूँ तो अकेला क्या क्या करेगा और अमित तु घर और घरवालों का खया दखना।
18:19इतना बोलके विनोध अपने बेटे के साथ इट लेने जाते हैं और कुछी दिर में इट लेकर घर आते हैं जिसके बाद पूरा परिवार एक साथ मिलकर घर में इट बिछाने का काम शुरू करते हैं।
18:29वेसी इट बिछाने के बाद घर और जादा अच्छा लग रहा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि जमीन के नीचे मेरा ससुराल होगा।
18:37हाँ सही बोला अब पानी आने का भी दर नहीं है और अब तो घर में ठंड भी नहीं लगती।
18:41गर में इट लगाने के बाद जमीन के नीचे बनाया उनका घर और भी सुन्दर हो जाता है।
19:11आपने मुसे जूट क्यों होगा। आज अगर दीदी बेघर होई हैं तो वो आपकी बजा से होई है।
19:16मैं भी एक लड़की को पसद करता हूँ वो भी गरीब है। गरीब काई इनसान नहीं होते। आपने दीदी के साथ बिल्कु सही नहीं किया। अब आप जब तक दीदी को नहीं अपनाएंगे तो मैं भी इस घर में नहीं आऊंगा।
19:26और एक बात आप उन गरीब परिवार से ये उमीद करके बैठे हैं कि वो आपकी तरह करूल पती बन जाए। जबकि आपको खुद को यहां तक पहुँचने में पचास साल लग गए।
19:34देख रही हो आशा हमारे बच्चे हमसे कैसी बाते कर रहे हैं अरे मैं जो करता हूँ तुम दोलों के भले के लिए करता हूँ और तुझे इस लग्की को लेया मुझे कोई फरक नहीं पड़ता पर मेरी बेटी घरीब घर में गई है इस बात से मुझे फरक पड़ता है और म
20:04और आपको सावित कर दूँगा कि आप जैसे और भी बहुत लोग है जो स्टगल करके अमीर बन सकते हैं आपने अपनी एक सित की बज़े से मुझे मेरे दोनों बच्चों से ज़्दूर कर दिया अगर मेरा पीटा खर छोड़कर चला गया तो मैं आपको कभी माफ नहीं कर�
20:34और अपनी बेटी से माफी मांगदारों से उसका घर लोटा देता है मुझे माफ कर दे बेटा मैं दे तुम लोगों के साथ बहुत गलत किया मैं तुम्हें तुम्हारा घर जमीन सब कुछ देता हूँ माफी मत मांगो पापा आज आपकी वज़े से हमें एक और घर मिल गया
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