00:00किशन और मोहन दो जिगरी दोस्त थें
00:09दोनों ही साथ पले, बड़े और साथ ही पढ़ाई लिखाई पी की
00:13लेकिन स्कूल के बाद दोनों अलग हो जाते हैं
00:17मोहन हम दोनों आज अलग हो रहे हैं
00:20लेकिन आज से ठीक 20 साल बाद इसी चौराय पर मिलेंगे
00:24दोनों एक दूसरे से वादा करके अलग हो जाते हैं
00:28किशन दूसरे शहर में आगे की पढ़ाई करने चला जाता है
00:31तो मोहन अपने पिता के साथ उनकी दुकान में हाथ बटाने लगता है
00:36पता जी मैं अभी किशन की दरद दूसरे शहर में पढ़ने जाना जाता हूँ
00:41उसकी पिता एक शराबी इंसान थे
00:44अरे बेटा तू क्या करेगा शहर जाकर
00:50अरे पढ़ाय करने के बाद किसी की आफिस में नाकरी ही न
00:56अरे वो तुससे धेर सारा काम करवाएगा
01:00और बदले में चार अठनी पकड़ा देगा
01:04तो तो रजजा है रजजा अपनी दकार में बैठ बच्चा
01:10पर पिता जी ये गल्ला तोलना मुझे अच्छा नहीं लगता
01:14अरे इसी गल्ले को तोल तोल कर तो मैंने तुझे पढ़ाया लिखाया
01:20इस लायक बनाया और आज तुझे ये गल्ला तोलना अच्छा नहीं लगता
01:25ये बोलकर वो मोहन को एक जोर का थपड लगा देते हैं
01:31मोहन को थपड से गुसा जाता है और वो घर छोड़कर चला जाता है
01:35एक दो दिन भुखा रहने के बाद मोहन को पिता की बात याद आती है
01:40ऐसा कौन सा काम है जिसमें खुद के लिए मैनत करना और ज्यादा से ज्यादा पैसा हो
01:46वो सोच में पड़ जाता है कि तभी उसे घोडों की आवाज आती है
01:50वो एक पेड़ के पीछे चुप जाता है और जहां देखता है कि डाकू कैसे एक चादर फैलाते हैं
01:57और उसमें धीर सारे सोने के गहने डाल देते हैं
02:01डाकू का सरदार बूलता है
02:03चलो एक दिन मैनत की अब बाकी के महीने राजा बनकर बजारेंगे
02:10सारे जोर-जोर से हसकर वहाँ से निकल जाते हैं
02:17अरे वाज ये तो सच में बड़ा ही अच्छा बिस्दस है
02:20फिर क्या था मोहन ने चोटी मोटी चोरी का काम शुरू कर दिया
02:25कभी किसी की चैन खीच लेता तो कभी किसी की पॉकट मार लेता
02:31उसे इस काम में मज़ा आने लगा
02:33वह ये तो अच्छा काम है पिता जी ठीक कहते थे
02:37कुछ नहीं रखा पड़ाए लिखाए में
02:39सारा वक्त पड़ो फिर किसी और के लिए काम करो
02:43और मैने के अंत में वो पकड़ा देगा चार अठनी
02:46ना वबना
02:47दीरे दीरे समय बीटता जाता है
02:50और मोहन जाना माना चोर बन जाता है
02:53लोग उसके नाम से काम दे
02:55और कोई भी पुलिस वाला उसे पकड़ी नहीं पाता
02:58सभी उसका चहरा पैचानते
03:00लेकिन वो कहां रहता है ये किसी को पता न था
03:04फिर एक दिन वो भी आ जाता है
03:06जब मोहन को किशन से मिलने का दिन याद आता है
03:09ओ, बीट साल बाद आजी का दिन है
03:13जब मुझे अपने यार किशन से मिलना है
03:16और फिर वो उस शहर में जाता है
03:19और चोराहे में खड़ा हो जाता है
03:21काफी समय तक वो अपने दोस्त का इंतिजार करता रहता है
03:26लेकिन वो नहीं आता
03:29मैं भी पागल हूँ
03:31किसे 20 साल पहली की बात याद होगी
03:34कुछ देर इंतिजार करने की बात
03:36वो वहाँ से जाने लगता है
03:38कि तभी सामने दो पुलिस वाले आ जाते हैं
03:41और उसे गिरफतार कर लेती है
03:42मोहन को आश्चरे होता है
03:45कि उन लोगों को मोहन का पता कैसे चला
03:48अब सुनो तुम लोगों ने अब मुझे पकड़ ही लिया है
03:52तो क्या मैं जान सकता हूँ
03:54कि तुम लोगों को ये कैसे पता चला
03:56कि मैं यहाँ आने वाला हूँ
03:57उसमें से एक पुलिस वाला मोहन को एक लेटर दिता है
04:01मोहन लेटर खुलता है जिसमें लिखा होता है
04:04मेरे जिगरी दोस्त मोहन
04:07मैं जानता था आज दुनिया यहां के वहां क्यों ना हो जाए
04:12तुम यहां मुझसे मिलने जरूर आओगे
04:14आज मन था कि मैं तुम्हें गले लगा लूँ
04:17लेकिन फर्ज की दिवार सामने आ गई
04:20बीस साल बाद तुम्हें एक मुझरिम के रूप में मेरे सामने खड़े थे
04:24माफ करना दोस्त
04:26तेश के प्रती मेरा फर्ज
04:28मेरी दोस्ती के आगे छोटा पड़ गया
04:31मोहन की आखों में अब आशू थे
04:34वो चुपचाव वहां हातों में हदकड़ी बांदिच चला जाता है