00:00संध्या की शादी उसके पिता ने शरत से की
00:09शादी के 15 साल के अंदर ही संध्या का परिवार अमीर से गरीब हो जाता है
00:15एक दिन संध्या जब अपनी भावी से कहती है
00:18भाईया मा पिता जी के बाद अब आप लोगों से ही मेरा माईका है
00:24अरे संध्या दिदी माईका बोलना आसान है लेकिन जब माईके वालों को निभाना पड़ता है ना
00:31हालत पत्ली हो जाती है तब ही वहां संध्या का भती जा जाता है
00:36देखा मा मुझे कितनी कूल एप मिली है इसमें क्लास 6-12 के माट्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बालोजी और आई-ाई-टी, जी, नीट लेवल तक के सलुशन अवलेबल है
00:49बस आपको करना क्या है, क्वेश्चन की फोटो क्लिक करो, क्वेश्चन को क्रॉप करो, और तीन सेकंड में वीडियो सलुशन आ जाता है
00:56तो अब से कोई भी डाउट हो, तो डाउट नाट करो
01:00अरे बुआ, कब आई तुम, मुझे बताती थी, मैं स्टेशन लेने आ जाता
01:06अरे पहली बार थोड़ी आ रही है, जो रास्ता बटक जाती
01:10अब गाड़िया भले ही बहुत है, लेकिन सब काम पर लगी है
01:14अरे कोई बात नहीं भाईया, और बताओ, अपनी गुड़िया की शादी के बाद खुश तो है ना
01:21हाँ हाँ, मेरी गुड़िया तो राज कर रही है राज, बहुत पैसा है उन लोगों के पास
01:27अरे किसे भी चीज की कमी नहीं रखे मैंने अपनी बेटी की शादी में
01:31हाँ भाईया, वो तो इस घर का रिवाज है, बेटीों की शादी बहुत ही धूम धाम से करते हैं
01:38पिता जी ने भी मेरी शादी में कोई कसन नहीं छोड़ी थी, बस किसमत मेरी ही खराब निकली
01:44हारे दीदी, अच्छा ये बताओं कैसे आना हुआ और कब का प्रोग्राम है
01:50संध्या पूरे घर को देखती है, उसे अपना बच्पन याद आता है कि कैसे उसके पिता ने ये घर प्यार से बनाया था
01:58मुझे सेडियों वाला घर पसंद था, तो पिताजी ने मेरे लिए दो तल्ले का मकान बना दिया
02:04हरे बुआ, सेडियों को घुर रही हो, जरूर बच्पन में यहाँ से खुब गिरी होगी
02:10संध्या की आंख से आंसू गिर जाते हैं, वो अपने कमरे में चली जाती है और अलमारी खोलती है
02:17अरे दीदी, अलमारी क्यों छो रही हो, कुछ चाहिए क्या, मुझ से मांग लेती
02:22अरे नहीं भावी, बच्पन से यह अलमारी में मेरे खिलोने और गुडिया रहा करती थी
02:29हाँ, अरे दीदी, अब क्या बटवारा चाह रही है क्या
02:33संध्या भावी की इस बात पर घबरा कर वहां से निकल जाती है
02:38अगली सुबह घर में संध्या को न देखकर भतिजा बोलता है
02:42मा, अरे मा, ये बुआ दिखाए नहीं दे रही, कहा गई
02:47अरे चले गई होगी, क्या तो रही थी कि मन नहीं लग रहा है
02:52अरे पापा, ऐसे कैसे बिना बताये चली गई
02:55अरे कल अलमारी खोल कर खड़ी थी, कहीं कुछ उड़ा तो नहीं ले गई
03:01भतिजी को बुआ की बात सुनकर गुस्सा आ जाता है, वो वहां से चला जाता है
03:07अगले दिन
03:08आरे शेखर कहां मर गया, तेरे बहन आ रही है ससुराल से जल्दी जा स्टेशन
03:13और सुन, वो लंबी वाली कार लेकर जाना, उसके पसंदिदा है
03:17ओहो पिताजी, आ जाएगी, कौन सा पहली बार आ रही है
03:22मा को गुस्सा आ जाता है
03:25हाँ हाँ, अब मेरी बेटी को स्टेशन से खुदी आना पड़ेगा, वा जी वा
03:30शेखर, हुआ क्या है तुझे, क्यों नहीं जा रहा है अपनी बहन को लेने
03:35उसने तेरे लिए क्या-क्या नहीं किया, कितना प्यार करती है वो तुझसे
03:40पिताजी, प्यार तो बुआ भी आपसे कम नहीं करती थी
03:44फिर भी उन्हें ना कोई लेने और ना ही कोई छोड़ने जाता है, वो क्यों भला
03:50पिता को गुस्सा आ जाता है और वो उसे थपड मार देते हैं
03:55अरे बस करो, क्यों आप दोनों उस संध्या के लिए लड़ रहे हो
03:58ठीक है पिता जी, आज तो आप ड्राइवर को भेज कर अपनी बेटी को ले आईए
04:04लेकिन याद रखिये, अपनी शादे के बाद मैं अपनी बेहन को कभी नहीं पूछूँगा
04:09पिता को अपनी गल्ती का एहसास होता है
04:12आज बुआ का जन्मदिन है, याद तो होगा नहीं आपको
04:17पिता की आँख भराती है, लेकिन तभी वहाँ अपनी पसंद इदाकार से संध्या घर आती है
04:23भग्मान भाई दे तो तुम्हारे जैसा भाईया
04:28पापा को पता था कि कौन से रंकीकार मुझे पसंद है
04:32तुमने उसे रंकीकार से मुझे घर बुलाया
04:36वो भी मेरा जन्मदिन मनाने के लिए
04:39इश्वर सबको तुम्हारे जैसा भाई दे
04:42भाई संध्या को गले लगा लेता है
04:45तब ही वहाँ भती जी गुडिया भी ससराल से आ जाती है
04:49अरे संध्या भुआ आप
04:52हाँ आज तो घर की दोनों बेटियां अपने घर में है