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  • 4 hours ago
चुड़ैल बच्ची - Witch Daughter _ Horror Stories in Hindi _ Hindi Kahaniya _ Moral Stories in Hindi

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Transcript
00:00संदीप ने अपनी मा के कहने पर गाउं में शादी कर ली थी
00:09लड़की का नाम था सुलीता
00:11मा का कहना था एकड़म मौडन बहु नहीं होनी चाहिए
00:15लेकिन उन्हें नहीं पता था कि गाउं से आने वाली बहु सुन्दर शुशिर तो होगी
00:21और उसको गाउं से बाहर भी निकाल लाएंगे
00:24लेकिन उसके अंदर का गाउं कैसे बाहर निकलेगा
00:27शादी के कुछ दिन बाद
00:30मा टिफिन तो दिदा ज़रा
00:33बेटा अब तो स्कूल नहीं आउफिस जाता है
00:38मा से नहीं अपनी बीवी से टिफिन मांगा कर
00:42अब की मां सुनिता टिफिन ले आओ
00:47एजी लो टिफिन इसके अंदर पिष्टा डाल दिया है
00:53पिष्टा पिष्टा क्यों
00:55साथी ने बोला था ना कि आपको पिष्टा बहुत पसंद है
01:01ओहो मैंने पिष्टा नहीं पास्टा बोला था पास्टा
01:06पास्ता कई होता है पास्ता
01:11अरे वेची तू रहने दे मैं बना दूंगी
01:15अच्छा किया कि पाउ भाजी बनाने का नहीं बोला
01:18वना किसी के पाउ बना देती ये
01:20सुनिता को बुरा लगता है
01:23लेकिन उसकी नादान हरकत एक कम नहीं होती
01:26ऐसी ही एक दिन
01:28अरे तुमने ये क्या लगा रहा है
01:31आरे आप वो फुश फुश करके लगाते हैं न वही
01:37डियो
01:38का डियो?
01:41किसको डियो?
01:43आरे वही न जिससे खुश भू आती है
01:45हाँ हाँ सही पकड़े है
01:49अ अच्छा लेकर तो आ णा
01:52कौन सा डियो लगा रहा तुमने?
01:54अब ही लेकर आते हैं जी
01:58संदीब की बात मान कर सुनीता अंदर से खुश्बू वाला फुस फुस लेकर आती है
02:04ओम जी
02:05ओम जी मतलब ओमाई गानेश न
02:11अरे ओम जी छोड़ो ये खुश्बू वाला फुस फुस के बात कर रही थी तुम
02:17हाँ इसी की फिर सही पगणे है
02:23अरे देवी लेकिन आप सही नहीं पगणे है ये डियो नहीं है
02:28डियो नहीं है तो क्या लियो है
02:32अरे ये रूम प्रेश्टर है जिसको कमरे में छिड़कते हैं खुद पर नहीं
02:38कोई बात नहीं
02:40मा कहती थी
02:42आत्मा किराएदार है
02:45शरीर एक किराए का कर्ब
02:47हम शरीर पे ये डाल लिए
02:50तो क्या फर्क पढ़ जाएगा
02:53अरे बहू ओ बहू
02:56मेरे लिए फल दो लिया
02:58फिर मैं बाजार जाऊंगी
03:00सुनीता अपनी सास के लिए
03:02फल लेकर आती है
03:03अरे बेटा पपीता तर्बूज
03:07और सेब फल
03:08ऐसे कैसे खा लू
03:10काट कर तो लिया
03:12मा जी
03:14मेरे गाउं में तो खेट से
03:16उठा के सीधा खा लेते हैं
03:20आरे ये तेरा गाउं नहीं है
03:23ना
03:23अरे संधी तु ही कुछ समझा दे ना इसको बेटा
03:27मैं कैसे समझाओ मा
03:30ये तो माइक्रोवेव को भी भट्टी बोलती है
03:33कल मैंने बोला
03:34हाई कैसे हो तु बोलती है
03:36किसी को हाई नहीं लगाने चाहिए
03:40अरे सुनीता तेरा क्या होगा
03:44अभी तो कैसे बताओ मा जी अभी हम कुछ करेंगे फिर पता चलेगा क्या होगा लड़का या लड़की
03:55ए बगवान कहां से आ गई है
04:02रामपूर से जी आपी तो लेकर आए थे मुझे
04:08आरा मुझे माफ कर दो
04:10पहले कोई गल्टी तो करिये जी आपकी तो शारी गल्टी माफ कहतेंगे हम हाँ
04:18अरे बहू मेरे बात सुन फल यानि की फ्रूट जब भी लाए ना तो काट कर लाना ठीक है
04:28जी ठीक है माजी फल यानि फ्रूट यानि काट की लाऊंगी
04:35सुनीता रोज ही कोई ऐसी हरकत कर देती जिसकी वज़़से उसे घर में दो बाते सुनने पड़ती
04:43एक दिन
04:44मा मेरे बास घर पर आने वाले है शाम को उनका बज्जे है फैमिली साथ नहीं रहती उनके तो यहीं पार्टी कर लेंगे
04:52उनको अच्छा लगा तो शायद मेरा प्रमोशन भी हो जाएगा
04:56मैं ना फ्रूट केक लाकर फ्रीज में रख दूँगी और तेरे साथ आज खाना मैं बनाओंगी ताकि जब सहाब आए तो खाने में कोई गड़ बढ़ना हो
05:07शाम को जड़ सारी तयारिया हो जाती है संदीप के साथ बड़े सहाब भी घर आते हैं
05:15आप फ्रूट केक तो ले आना बहू फिर खाना खाएंगे
05:20औरे औरे इस सब की क्या जरूरत थी आपने बुलाया वही काफी है
05:28सर आपका परिवाज शहर में नहीं है तो हम ही आपके परिवाज जैसे हैं सर
05:34इतने मही सुनीता फ्रूट केक लेकर आती है और बड़े सहाब की टेबल पर रख देती है
05:41और जैसे ही केक के उपर का बॉक्स हटाती है
05:45ओ यह क्या है केक तो कटा हुआ है मैं तो ऐसा नहीं लाई थी
05:53आप मुझे साबाशी दे सकती है माजी मैंने ही केक काट दिया
06:00आपने कहा था ना फल यानि फ्रूट यानि हमेशा काट की लाना
06:06तो फ्रूट केक भी तो फ्रूट ही है ना तो मैंने पहली ही काट लिया होना में समझदार
06:14अरे बहू ये क्या किया केक हमेशा वही काटता है जिसका जनम दिन होता है
06:24तुझे एक बाद भी समझ नहीं आती एक नमबर की बेवकूफ है
06:29पूरा माहूल बिगड चुका था संदीब को लगने लगा था कि साहब उसे प्रमोशन तो दूर की बात है कहीं डिमोशन ना दे दे
06:39लेकिन साहब बीच में ही बोल पड़ते हैं
06:42अरे अरे कोई बात नहीं ये इनकी बेवकूफी नहीं है इनका भोलापन है बेटा आप कहां से हो
06:50रामपूर गाउं से
06:54अरे वह गाउं से फिर तो आपके गाउं में ताजे फल और सब्जिया मिलते होंगे
07:01हाँ सही पगड़े हैं हम तो काटे भी नहीं सीधा खा लेते हैं
07:09हाँ मैं ना एक बार तुम्हारे गाउं घूमने ज़रूर चलूँगा
07:16क्यों संधीप ले चलोगे ना मुझे गाउं घूमना बहुत पसंद है
07:20बस फिर क्या था संदीप और साज दोनों खुश हो गए
07:25क्योंकि साहब को सुनिता ने गाउं की बाद करके खुश कर जया था
07:30अब संदीप का प्रमुशन पत्का था
07:34शिक्षा कभी भी किसी भी गल्टी पर घबराना नहीं चाहिए
07:39हो सकता है कि उस गल्टी की बजल से आगी बड़ा फाइदा हो जाए

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