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  • 2 days ago
Devon Ke Dev...Mahadev देवों के देव... महादेव EP 12 Ek pita se paraajit huye Prajapati

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Transcript
00:00मेरा विश्वास कीजिए
00:10मैंने तो कमल के फूलों पर
00:14कमल विश्वो नाम देका
00:30कमल विश्वास कीजिए
00:53आपनानों
01:23आप खाल थापव ने।
01:53दोश तुम्हारा नहीं सती, दोश मेरा है
02:00मैंने जो तुम्हें मान से पीड़ा पंचाई है
02:07उसी का ये पढ़े नाम है
02:23मैं जानता हूँ, प्राया ऐसा होता है
02:37परन्तो दुख मुझे किसी और बात का हो रहा है
02:44अकेले इतनी आतना से ते रहे
02:51एक बार भी मुझे से नहीं का
02:54क्या तुम्हारा इतना भी अधिकार नहीं है, मुझे
02:59माना मैं क्रोधित था
03:06पर सती ने जो किया है उस पर
03:10अपनी सती पर गदा भी नहीं
03:21आपको लजजित करने की मेरी मनशा कभी भी नहीं थी पिता जी
03:37आपका सम्मान मेरे लिए सरवो परी है
03:43मेरा विश्वास केजिए
03:50मैं नहीं जानती ये सब कैसे हो गया
03:53मुझे अपने से अधिक तुम पर भरोसा है सती
03:57जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाओ
04:04इसमें दोश तुम्हारा नहीं थी
04:07भूल जाओ सती भूल जाओ
04:11कैसे भूल जाओ पिता जी
04:14मैंने पुने आपके सम्मान
04:19और आपके विश्वास को ठेस पहुंचाया है
04:22कैसे भूल जाओ
04:27सती
04:35सती
04:38तुम्हें जो कुछ भी किया
04:41जानमूझका तो नहीं किया ना
04:44जो कुछ भी हुआ
04:48अन्जाने में हुआ
04:50हम जानते है
04:52पिता जी
04:57मुझे पुने प्राइश्चित करने का अवसर दीजे
05:01मैं इससे भी कठोर प्राइश्चित करूंगी
05:05मैं इससे दिकर दूंगी
05:09कि मैं आपके आज्याकारी हूँ
05:11अब तुम्हें किसी भी प्राइश्चित की आवश्चित नहीं है पुत्री
05:15तुम्हारा समर्पद सत्त निष्ठा और द्रणता के सामने
05:21प्रजापती को एक पिता के सामने पराजित होना पड़ा
05:26अपने पिता को शमा करो
05:42और उनके हातों से विश्णु भूत का सेवन करो
05:48पुत्री
05:52दासियों से कहो की सती के कख्ष से सभी कमल के फूल हटा ले
06:00अवश्चित पिता जी
06:02पुत्री
06:05इस बात की चर्चा अब तुम किसी से नहीं करोगी
06:10मैं तुम्हें पहले जैसा देखना चाहता हूँ
06:15खिल दीर भी
06:17खिल खिला दीर
06:22पुत्री
06:49जो कुछ भी हुआ उसे बूल जा, बसोच उसके बारे में
06:57पिस्टाजी के सामने आते, सती का विवार बिल्कुल बच्चों जैसा हो जाता है
07:05मेरे लिए तो मेरी पुत्री, बच्ची ही रहेगे
07:10अरे सती, वसंत रितु आने को है
07:20तुम अपनी बहनों के साथ भवे वसंत उस्टाव का आयोजन नहीं करोगी
07:25अवश्य करूँगी पिताजी, अवश्य करूँगी
07:28मेरी इच्छा है कि इस वर्ष वसंत उस्टाव ऐसा मनाएं जिसे लोग भूलना पाएं
07:35बिल्कुल ऐसा ही होगा पिताजी, आप चिंतित ना हो
07:42सती, चलो, बाहर चलो, उद्यान में
07:48तुम्हारे बिना, तुम्हारे पेड, पौधे, बिल्कुल उदास, मुर्जाई से लगते हैं
07:57मैं जाओं पिताजी, बहुत दिनों से बाहर नहीं गई
08:02पौधो को जल भी नहीं दिया
08:05अवश पुत्रे, अवश
08:08ठाथी बीदी, आप भी हमारे साथ चलिए ना
08:13पिताजी, मैं जाओ
08:15अवश पुत्रे
08:32अवश पिताजी
08:52शिव नाम से सुसजित ये कमल फेंकना मुझे ठीक नहीं लग रहा है ये महादेव का अनादर होगा ना हम कर भी गया सकते हैं पर इन्हें फेंकने से ऐसा नहों कि इनका पाप हमारे सर पर आ जाए
09:15यदि हमने इन्हें नहीं फेंका तो प्रजापती की फटकार कौन सुनेगा जब वो अपनी प्रिये पुत्री को इतना कठोर दंड दे सकते हैं तो सोचो हमारा क्या होगा
09:28सुनिये
09:40कर दो
10:10प्रजापती, मेरे मन में एक शंका है
10:38कहिए महरशी प्रगु
10:41जब आपने कमल के फूल पर शिव का नाम लिखावा देखा
10:46तो हम सब भाईबीत हो गए
10:48नजाने आप कितना कुरदित होंगे
10:51परन्तो आपके प्रतिक्रिया विप्रित थी
10:53हम सब आच्चरे चकित हो गए
10:56मैंने सती को शमा किया
11:01परन्तो उसके पीछे बहुत बड़ा कारर था
11:05मैंने आपसे कहा था
11:09कि सती का भाकि मैं स्वैम लिखूंग
11:13शिव और उसके दधीची जैसे भक्त
11:18उन्होंने सती के मन में गहरा प्रभाव छोड़ा
11:21मैं सती को जितना विवश करूँगा उसे भूलने के लिए
11:27वो उतना ही अधिक उसकी और आकडशित हो
11:31यह मनुष की प्रब्रति है
11:35और इसे मैंने अपनी फूल से सीखा
11:38वो मुझसे जीत नहीं सकते
11:43और मैं उन्हें जीतने भी नहीं दूँगा
11:47इसलिए सती को मैंने वसंद उसब के आयोजन में व्यस्त कर दिया
11:57ताकि उसे एक छण भी ना मिले
12:01कुछ ऐसा सोचने के लिए जो उसे नहीं सोचना चाहिए
12:07आपका युद तो महादेव से है ना आप इसमें सती को क्यों जा रहे हैं
12:25मैं क्या कर रहा हूं मैं जानता हूं शिवर उसका भग्त उन्होंने सती को माध्यम बना रखा है मुझ तक पहुंचने का
12:35मैं तो केवल सती की रक्षा कर रहा हूं उसे बचा रहा हूं एक पिता का धर्म निभा रहा हूं अपना दाइत और अधिकार निभा रहा हूं
12:51मेरी पुत्री को मुझसे कोई नहीं चीन सकता कोई नहीं और ऐसा मैं कदाब भी नहीं होने तो कदाब भी नहीं
13:09कौन है आप क्या चाहिए आपको देवी मेरी बात सुनिए इन फूलों को मत फेके
13:16मेरे कहने कार्थ यह है कि इन फूलों को फेकने से अच्छा है आप इन्हें मुझे देदे
13:23आरे हम तो तुमको जानते भी नहीं तो ये तुम्हें क्यों देदे
13:28हमारे प्रजापती ने आदेश दिया है इन्हें फेकने का और हम उनके आदेश के अवेलना नहीं कर सकते
13:46देवी ये फुल मुझे देदीजे, मेरी बिंती आपसे
13:48अरे-अरे, मंजरी, क्या हो रहा है वहाँ?
14:02क्या हुआ मंजरी? कोई समस्या है?
14:09क्या है ये सब?
14:11राजकुमारी सती, देखे न, ये हमें कबसे परेशान कर रहे हैं?
14:16क्या है
14:38क्या हुए
14:41अरे, ये क्या करेंगा।
14:46आप मुझसे आयू में बड़े हैं, ऐसा ना कीजिए, चलिए, उठे
14:50माँ, आपके दर्शन पालकर बस मन किया कि आपको दंडवत प्रनाप करूँ
15:03राजकुमारी सती, इनको कमल के फूल चाहिए
15:10पर इतने सारे कमल के फूलों का आप करेंगे क्या?
15:26मा, मुझे ये कमल के फूल बहुत प्री है, उनको इस तरह फेका हुआ देखकर मुझे अच्छा नहीं लेगेगा
15:32मेरी बिंती आपसे, ये सारे कमल के फूल मुझे देखी
15:35अच्छा-च्छा, मंज्री, देदो इने
15:38हाँ, हाँ, देद, लाओ, लाओ, मैं बांता हूँ
15:41नंदी यहाँ
15:56मेरे भवन में रूप बदल कर भीजने का तुस्साहस
16:08लवन
16:20मेरे आंदी बेंक तुस्द में रूप
16:25झाल, झाल, झाल, झाल
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