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  • 10 hours ago
FULL EPISODE -7 Devon Ke Dev...Mahadev देवों के देव... महादेव Sati ka swapn

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00:00झाल झाल झाल
00:01झाल
00:02मुझे रिजा लुब यगा
00:04झाल
00:08झाल
00:10झाल
00:14झाल
00:17दीदी
00:21दीदी
00:24क्या हो असाथी
00:42तो प्यत्ती व्याकुल किुः वो
00:44वो, मैंने देखा, मैंने देखा कुछ था, संभबतस वो अपने था, पर ऐसा लग रहा था मानुस सच हो, इतना अद्भुत, इतना विचित्र, वो, वो, वहाँ, वो, कहाँ, वहाँ,
01:14सती, वहाँ तो कुछ भी नहीं है, तो क्या कह रही है, मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है, चल, चल मेरी साथ, बेटो, शान्त हो जाओ और बेटो,
01:44चल कर रहें कर,
02:10अब शान्त होकर विस्तार में बता,
02:14एक विचित्र आक्रिती, रिद्य करती हुई,
02:26आधानर, आधी नाणी,
02:30वहाँ से मेरी उड़ चले आ रहे थे,
02:41धुन्ध ही धुन्ध थी,
02:42इसी कारण मुखाक्रिती सपश नहीं हो सकी,
02:50पर नजानी क्यों ऐसा आभास हो रहा था,
02:54कि मैं उन्हें जानती हूँ,
02:57कि मेरा कोई सम्मन्ध हो उन से,
03:01विशेश रूप से हो सनारी से,
03:05मैंने एसी आक्रिती पहले कभी नहीं देखी,
03:09कभी उसकी कल्पना भी नहीं की,
03:15फिर मुझे ऐसा स्वपने क्यों आया दी दी,
03:18और वो परवत,
03:23उसे तो मैं आजीवन देखती आई हूँ,
03:26पर आज,
03:28आज एक विचित्र सा आकर्शन था उसमें,
03:32जैसे वो मुझे अपनी और बुला रहा हूँ,
03:34मैं इन सब का क्या आठ निकालो दीदी,
03:42क्या था वो,
03:43कौन था,
03:46क्या वो मेरे भविश्य से जोड़े किसी प्रसंकी और संकेत था,
03:50या फिर मेरे भूत काल की भूली हुए कोई कड़ी,
04:00सती,
04:02तु चिंता मत कर,
04:04प्राया ऐसा भी होता है,
04:07कि हमारे स्वप्न,
04:08बड़े ही विचित्र ढ़ंग से,
04:10हमारे मन के छुपे हुए भाओं को तर्शा जाते हैं,
04:16जिसका संबंध,
04:18ना तो हमारे भविश्य से होता है,
04:20ना ही हमारे भूत काल से,
04:23सती,
04:25तेरे लिए,
04:26बीते हुए दिन,
04:28बड़े ही तनाव पूर्णे रहे हैं,
04:31पिताची को तेरे कारण,
04:33लज्जित होना पड़ा,
04:35वे तुझसे क्रोधित भी हुए,
04:37तुझे दंडित भी किया,
04:39इन सब का तेरे उपर,
04:41बड़ा ही गहरा प्रभाव पड़ा होगा,
04:43और ये स्वपन भी,
04:48तेरी उसी व्याकुलता का प्रतीख है,
04:52तो चिंता मत कर,
04:54जैसे जैसे समय बितेगा,
04:56तेरा मन भी शांत हो जाएगा,
04:58और फिर,
05:00इस प्रकार के स्वपन भी आने बंद हो जाएगे,
05:03सती,
05:04तेरे इस्नान का समय हो रहा है,
05:13अधिधी ठीक कहती है,
05:24सपना ही रहा होगा,
05:27जिसका कोई अर्थ ही नहीं,
05:29मुझे अपने मन को और द्रिर बनाना होगा,
05:33ताकि पुने कोई ऐसा विचार,
05:35मुझे विचलित ना कर सके,
05:40चाहे कुछ भी हो जाए,
05:41तुम लोग सती को वर्ण में अखेला छोड़के नहीं लोटोगे,
05:46समझ में आया,
05:49भले ही सती तुम्हें लोटने का आदेश दे,
05:51किन्तु तुम सब उसकी इस आदेश का पालन नहीं करोगी,
05:56और हाँ, आवश्रिकता पड़े,
05:58तो एक पाल की तयार रखना,
05:59कहीं सती को वहाँ से वापस लाना पड़ा तो,
06:04दीदी,
06:07मेरी तो कोई सुनता है नहीं,
06:10सती,
06:13तुम्हारे खाव तो अभी भरे भी नहीं और तुम,
06:17दीदी,
06:29मैं अपना ध्यान रखूँगी,
06:33मैं वच्चन देती हूँ,
06:47अजयार अजयार ठाव तो,
07:17झाल
07:47स्वाम, भुजन, भुजन, भुजन, भुजन, भुजन,
08:17मुझे भुजन की ख्चा नहीं है, और वैसे भी सभा के लिए देर हो रही है, स्वामी, सभा से आकर तो अच्चारे बहुत देखे, भुजन के लिए वापस आना संभव नहीं है,
08:33अपना दुख व्यक्त करना निर्बलता का प्रतीक नहीं होता, स्वामी,
08:50कब तक, कब तक ये पिता, उस प्रजापती से हारता रहेगा, कब तक?
08:58कल की तरह आज भी, कमल के फूल मिलना दोभार लग रहा है,
09:23पर भगवान विश्णू की क्रिपास से कोई न कोई रास्ता अवश्चे निकलेगा,
09:53कि तरह रहेगा है, कि तरह रहेगा है,
10:23कि तरह रहेगा है, कि तरह रहेगा है,
10:53परजापती डक्ष की पुत्री देवी सती को प्रणाम,
11:07प्रणाम और आप जिस मूर्तिकार ने भवान विश्णों की वो बव्य मूर्ति बनाई थी हम उसी के समुदाय के हैं
11:19देवी शिवलिंग स्थापित कर दीजिये भूर्ति का मंदीर में प्रेश्ट ना करना आपके पिता के लिए अपमांग जनक होगा प्रजा का उन पर से विश्वा सुर जाएगा
11:34पर आप सब जा कहां रहे हैं पिता जी ने घाओ दिया पुत्रियों में नमक लगा रही है जैसे कि ये कुछ जानती नहीं है इन्हीं की वज़े से थो हमारी ये दशा हुई है
12:04जब पूरे सत्य का पता ना हो तो चुप रहा करो
12:09इसमें देवी का क्या दोश है वो क्या कह रही है क्या हुआ
12:18उस तिन मंदिर में मूर्थी स्थापना के समय जो कुछ भी हुआ उसके लिए प्रजापती ने अपने क्षेतर से हमें बहिश्कृत कर दिया है
12:32क्या
12:33आप दुखी ना हो
12:40किन्तो आप सब जाएंगे कहां
12:45वही जहां नियम रीती नीती आडंबर से मुक्तोने के परच्छा थी
12:53मुनुष्य का जाना सम्भव हो सकता है
12:55महादेव की शर्ण होने
12:58और प्रजापती ने तो सोयम हमें ऐसी जीवन शैली से मुक्त करके
13:05महादेव के पास जाने का अफसर दे दिया है
13:08हमें दोनका आभारी होना चाहिए
13:10आप चिंतित क्यों है
13:16कमल के फूलों की खोज में है ना आप
13:21यहां से तीस कोस दूर एक विशाल कुंड है
13:27उसकी विशेश्टा यही है
13:30कि वहाँ सदैव अंगिनत कमल के लिए रहते
13:34सच?
13:37हाँ
13:39लेकिन वहाँ पहुचना रास्ता बहुत कठिन है
13:46यदि असंभव भी हो तो भी मैं अवश्य जाऊंगी
13:50मैं कबसे भटक रही थी
13:55दुशा बताने के लिए धन्यवाद
13:57अनुमती दीजे
14:07अनुमती अनुमती दीजे
14:09प्सक्राव
14:11आटक्शा रहाँ
14:13मैं अनुमती दीजे
14:15अनुमती यहाँ
14:17हुआ है।
14:47झाल
15:17वाहाय...
15:27वाहा...
15:32वाँ
16:02वाँ
16:32वाँ
16:33वाँ
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