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  • 3 months ago
RadhaKrishn Krishn se niraash huye Nand Baba राधाकृष्ण #radhakrishna#starbharat EPISODE-29

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Transcript
00:00बहुत अच्छा राधा
00:16तुमने आज जो प्रमान प्रस्तुत किया
00:21उसने बरसाने को ना केवल अपयस से बचाया
00:24बल्कि बरसाने के मान के शत्रों को
00:27हम सब के सामने लाकर खड़ा कर दिया
00:29सत्य और अपराद दोनों आपके सामने सिद्ध हो चुके हैं
00:42मुख्या जी
00:42अब निर्णे आपको लेना होगा
00:47एक निर्णे ने
00:49दो दो निर्णे
00:51प्रथम निर्णे
00:55हम सब से छल करके
00:57बरसाने की लाज को लूटने का प्रयास करने वाला ये भैरव
01:02इसको क्या दंड दिया जाएं
01:04और दूसरा निर्णे हमारे समाज के रीती नीती को तोड़ने का शडियंत्र रचने वाला ये क्रिश्न
01:13इसके साथ कैसा व्यवहार किया जाएं
01:19कभी सोच के देखा है आप लोगों ने यदि आज इसकी योजना सफल हो जाती तो सदा के लिए एक नई प्रथा का प्रारंध हो जाता
01:32आज अगर भैरव का विवहा मंडप में हो गया होता तो कल कोई और किसी और दूले का अपहरन करके उसके स्थान पर बैठके विवहा कर लेता
01:44और उसका परिणाम बरसाने के हर एक कन्या इस भैसे चीती कि नजाने उसके पास उसके विवा मंदप में दूले के भेश में कौन बैठा है
01:56इस कृष्ण को बरसाना छोड़ कर जाना होगा
02:14जान दो जाईए दोनों बातों को एक साथ जोड़ने से कोई लाब नहीं
02:29प्रिष्ण के अपराद का डं निश्चित करना अवश्चक है
02:35प्रिष्ण को बरसाना छोड़ कर जाना अर्थार्थ समस्त गोकलवासियों को बहार करना
02:44ऐसा करना अनुचित है यही उचित होगा मित्रा
02:49बरसाना के लोगों का मन बहुत विशाल है
03:00आपने हमें आश्रे दिया हमारा मान रखा पर हृदे जितना विशाल हो ते इस भी उतनी ही अधिक पहुंचती है
03:10बरसाना के लोगों की आग्या है कि हम यहां से चले जाए हम अवश्य जाएंगे
03:18पुत्र पुन्य करे तो परिवार का मान बढ़ता है
03:31और यदे पुत्र अपरात करे तो परिवार को उसका उत्तरदायत भी देना पढ़ता है
03:38मैं मेरा परिवार मेरा गाउं हम लोग अवश्य यहां से चले जाएंगे
03:46देना
04:00नहीं में तो हम गोकुल से यहां आएंगे
04:04हर बरसाना से जाने में हमें कोई संखोच नहीं
04:08कोई दुख नहीं
04:10पजतावा तो बस इस बात का है कि जिस पुत्र को कभी हारना नहीं सिखाया
04:15उसने आज हमें हरा दिया
04:28आज तक तेरी हर शरारत और मैने तेरे कान पकड़े है
04:33किन्तु प्रेम से
04:36क्यूंकि तेरी शरारत सबको भाती भी
04:40किन्तु आज आज तुने एक व्यक्ती को नहीं
04:46हर एक व्यक्ती को आख किया
04:48इसके लिए क्या दर्ड़ दू तुझे बता
05:00आज सके तेरे कारे मिली हर निंदा
05:10हर ताने को मैने पलट कर जवाब दिया है
05:15किन्तु आज हान मेरे काना ने अपनी महिया के मुह से सारे शब्दे जीन लिया है
05:22शर्मिंदा कर दिया सब के सांद मुझे
05:39शमा कर दीजी काकी
05:43परन तु क्या करती
05:46सत्य जानने के पस्चार मौन ना रह सकी
05:49राधा तुम क्यों शमा मांगो
05:52तुमने तो अपने समाज का
05:55अपने माभाप का मान रखा है
05:58शमा तो वो माभाप मांगेंगे
06:04जिनकी संतान ने
06:07सब के जामने आज उनका सर जुका दी
06:10राधा ने सत्य बताकर
06:17एक अनर्थ होने से बचा लिया
06:20पर
06:23मैं इस घटना का पून्य सत्य जानना चाहता हूँ
06:29तो भी मैं पूछूंगा उसका सत्य उत्तर देना पुत्री
06:35कोई भी लड़का यूही इस भाती तूले का हरन करके मंडप में नहीं बैच सकता हूँ
06:45क्या तुम भी वहरफ से प्रेम करती हो
06:53यदि मेने अपनी प्रेम को स्विकार कर लिया तो मा बाबा का मान तो चाहेगा ही वहरफ के प्रान भी जा सकते हैं
07:07में प्रान भी जा सकते हैं
07:09मैं भैरफ से प्रेम
07:11दही करती
07:15क्या तुम उस लड़के से विवा करना चाहती हो जिससे तुमारे माता पिता विवा करवाना चाहते हैं
07:35अच्छे तुमारे माता पिता विवा करवाना चाहते हैं
07:51इसमें ना सुदेवी का दोश है
07:53और नाहीं उसके माता पिता का दोश है
07:57मैं आपसे अनुगरह करता हूं
08:00विवा संपन होनी दीची
08:02मुझे विवा से कोई अपत्ति नहीं है
08:03पर अंतु नयाय पूरा चाहिए
08:06विवा केवल एक ही शर्थ पर संपन हो सकता है
08:11कि जिस वेक्ति ने पीट पीछे हमारे मान समान को छीनना चाहा
08:15उस वेक्ति को विवा की वेदी के सामने पीट पर सो कोड़े लगाए जाए
08:33आपकी मांग उचित
08:35इसे दंड देना वश्चक है ताकि भविश्व में कोई भी बरसाना के मान समान से खेलने का प्रियास न कर सके
08:46भैरव को सौ कोड़े मारे जाए
08:51और फिर बरसाना से बहिश्क्रित किया जाए
09:03आयान
09:33कुछ करते क्यों नहीं काना
09:47तुम चाहो तो पल में पुरी स्रिष्टी बदल सकते हो
09:51कुछ करते क्यों नहीं काना
09:55कुछ करते क्यों नहीं काना
09:59तुम चाहो तो पल में पुरी स्रिष्टी बदल सकते हो
10:03स्रिष्टी बल से नहीं दम
10:05प्रेम के संभल से चलती है
10:07यह मेरी माया की नहीं
10:09सुदेवी और भैरव की प्रेम की परेक्षा है
10:13अब प्रेम की कसोटी पर परके जाने की पीड़ा तो इन्हें सहनी होगी
10:25प्रेम का दावा बहुत लोग करते हैं
10:29इंतों प्रेम की शक्ती केवल उन्हें प्राप्त होती है
10:34जो बिना किसी भैक प्रेम निभाने का सास रखते हैं
10:39यदि उनका साथ नहीं देना है काना तो
10:53उनकी पीड़ा स्वायम क्यों सह रहे हो
10:57क्योंकि हरी भी तो मैं ही हो दाव
11:01मित्रे ने सहायता मांगी तो उसका दुख हर रहा हूँ
11:05बाच रहा हूँ
11:07पर इनके मन की पीड़ा तभ ही दूर होगी
11:13जब इनके मन का प्रेम इने पुकारे का
11:17साथ सुदेवी और भैरव को स्वयम अपना हरी बनना होगा
11:21सुदेवी और रहा हूँ
11:31कुदेवी
11:45बस अब और नहीं आया याई
12:15प्रेम का सोटी पर खड़ी उत्री तुम सुदेवी
12:20मैं ही प्रेम हूँ
12:24तुमने अपनी अंदर का प्रेम जगा लिया
12:29अपनी अंदर का क्रिश्न जगा लिया
12:32अब एक और प्रहार नहीं
12:38नहीं
12:45ये तुम क्या कर रहे हो सुदेवी
12:48वही जो बहुत पहले करना चाहिए था
12:51अपने अंदर का साहस पहले जगा लिया होता
12:55तो आज ये घड़ी नहीं आती
12:57प्रिश्भान काका
13:02मैंने आप से जूट कहा था
13:05कि मैं भेरा से प्रेम नहीं करती
13:15दर गही थी मैं
13:16कुछ मा बाबा के सम्मान कब है
13:22भेरव के प्रान कब है
13:25पर अब मैं समझ गई हो
13:31प्रेम दो लोग करते हैं
13:34तो उसका मोल दोनों को ही साथ में चुकाना पड़ता है
13:37और यदि प्रेम करना अफराद है
13:43तो उसका दंड केवल एक को दिया नहीं जा सकता
13:47मैं और भेरव
13:50हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं
13:54तो इसका मोल भी हम एक साथ में चुकाएंगे
14:09क्रिश्न ने तो हमारी सहायता करनी चाहिए
14:17क्रिश्न ने हमसे कहा था कि अपने मा बाबा के सामने जाकर अपने प्रेम को स्विकार कर ले
14:27पर वह राधा थी
14:31इसने मा बाबा के सम्मान को खो जाने का भैर मेरे मन में जगाया
14:39प्रेम को झातल
14:44क्रिश्न ने
14:47कि स्विकल
14:48क्रिश्न
14:56मा लिए् Свyang
15:00स्विके
15:03झाल झाल
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