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RadhaKrishn Sudevi-Bhairav ka vivaah राधाकृष्ण #radhakrishna #starbharat EPISODE-30

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Transcript
00:00इसलिए दोश क्रिश्न का नहीं, तुम्हारा है राधा
00:30अब मुझे किसी बात कब है नहीं, ना अपने प्राण का और ना इस समाज का
00:42और हम सब के सामने ये स्विकार करते हैं, कि हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं
00:52अब माद कृष्णा ये समझाने के लिए प्रेम पाना है तो ये प्राठाव को पार करना होगा
01:11मैं अपने प्रेम को समझ गई हूं
01:17और मुझे इस बात से कोई अंतर नहीं पड़ता कि ये समाज मेरे प्रेम को समझता है कि नहीं
01:25कि कुलक्षणी तुने मेरे कुल का नाम भर्ष किया है मैं तुझा जिवीत नहीं चोड़ूगा
01:46आप क्या करोगे काना प्रेम ने अपना साहस दिखा दिया है दाओ अब परमेश्वर को सहायता के लिए जाना होगा
02:16क्या करने जा रहे थे काकर मेरा मार्क छोड़ दो केशन मैं सुदेवी के प्राल दे लूँगा और आपको क्यों लगता है कि आपके पास या अधिकार है अधिकार में इसका पिता हूँ पिता है या भगवान है
02:34कि इसने मेरा मान भग किया है जिसे अपनी संतान की सच्चे प्रेम से अधिक जूटे मान की पड़ी हो वो पिता नहीं हो सकता
03:00आप क्यों उसके जीवन साती को चुनना सोयम का अधिकार समझ लेते हैं
03:07जब वो जीवन आपकी संतान को जीना है आपको नहीं
03:11क्यों इतना गर्ब हमें हो जाता है कि हमें लगता है कि संतान के लिए हमारा ही चैन श्रीष्ट रहेगा
03:18क्यों संतान की चैन को हम बिना जाचे परके नकार देते हैं
03:26क्यूं कारण है अभी मार्ण
03:32माता पिता सूचते हैं कि हमने ही इस संतान को जन्द दिया है
03:35हमने जीवन में सब कुछ इसके उपर नौचावर कर दिया
03:39तो इसके भागय का निर्नाय लेना भी हमारा ही अधिकाद
03:43काका सुदेवी ने आपके मान के लिए अपना धरम निभाया
03:49अपने प्रेम को भूलने के लिए सज्जे हो गई थी वो
03:52और हाद
03:55आप तो उसके प्रांध लेने के लिए सज्जे वो गये
04:02यदि आप उसके पिता हैं, तो उसे उसकी प्रसनिता दे दीजिए
04:10यदि आप भगवान बनना चाहते हैं, तो ये रही आपकी पुत्री, मार दीजिए इसे
04:20जिसने आपको नया जनम दिया है, उसे उसके प्राण ले लीजिए
04:32ये आपकी भेशा कोते हैं, इसे उसके प्राण डेले आपकी हैं, जो भाओ जोओ्वा लेजिए प्राण लिए, नच है थिसे विए
04:48कर दो कर दो दो
05:18कर दो कर दो कर दो को दो हुआ है
05:48मैं समझ चुका हूँ कि मेरी बेटी की परसंता किसमे है
05:52यदि मैंने इसका विभा बहरव के इतरित किसी और से कर्वा दिया
05:57तो ये जीवन पर दुखी रहेगी
05:59और इसे दुखी देखकर हम दुखी रहेंगे
06:01मुखह जी यदि अनुमती हो
06:06तो मैं अपनी बेटी का विवा बहरव के साथ करवाने चाहते हूँ
06:09अरे आप देख क्या रहे हो विवा का मूरत बीता जा रहे है
06:25विवा की रितिया आप आरंप की जाएं
06:36अरे आप आरंप आरंप की रहे है
07:06महिया ने तुम मौन वरत रख लिया है अब क्या आप भी हमसे रुष्ट है तुझे ग्याद भी है काना आज तुने जो कुछ किया है उससे तेरे बाबा अतियंत आहत हुए तूने और बल्ले कितने पीड़ा पहुंचाई आज उन्हे बाबा आप हमें दंड दीजिए
07:36किल तु इस परकार मौन मत रही है दे दो धन्ड बाबा तुझ में ये सारी बाते करने की सोच आई कहां से काना किसने सिखाई तुमें ये इतनी बड़ी-बड़ी बाते है दाउने सिखाई वो हम
08:06बाबा वो वो तो ऐसे ही वो मन में हाई और मुख से निखल गई ये बाते
08:21क्यों कहाना है हाँ
08:27बाबा दाउन तो फिर भी छोटे हैं आप बताईए ये जो भी हुआ है क्या आपकी दृष्टी में अनुचित है
08:41शक्त प्रतिशत अनुचित है ना किवल मेरे मित्र नंद के लिए बरसाना के द्वार बंद करवा दिये क्रिश्ण ने बलकि एक अनुचित प्रथा का प्रारम भी कर दिया
08:55कैसी प्रथा बाबा प्रथा मनुष्य के लिए बनी है मनुष्य प्रथा के लिए तो नहीं अब अपने जीवन के महतुपूरा निर्णे लेने का अधिकार व्यक्ति को होना चाहिए ना बाबा रंतु किस मुल्या पर क्या अपने परिवार की मान मर्यादा से समझाता करके �
09:25कि उनका प्रेम उनके जीवन को जलाने वाली आच नहीं उन्हें शक्ति देने वाली गाठ बन जाया जब प्रेम में सौर्थ की गाठ पड़ी हो तो वो शक्ति नहीं दुर्बलता बन जाती है
09:39अपने दो दिनों के प्रेम के सौर्थ के लिए सौदेवी ने अपने माता पिता के परसों के प्रेम को विस्रा दिया
09:49किन्तु आरे ये विवास सौदेवी की माता पिता की आग्या से ही तो हुआ है
09:54अब क्यों इतना चिंतित होते हैं
09:57क्योंकि मेरी भी एक पुत्री है और उसकी आउय सुदे भी जितनी है
10:05तो चिंगारी किष्ण ने लगाई है उसकी यहांच एक दिन मेरे घर तक भी पहुँच सकती है
10:13यह मानुक पहुँचके
10:16वो राधा जिसने बच्पन से अपनी छोटी सी छोटी बात मुझे बताए
10:28आज उसी राधा ने मुझे इतनी बड़ी बात छुपाई
10:31तो राधा संसार को मेरी दिष्टी से देखती है आई
10:40आज उसने अपना भिंदिष्टी कोन बना लिया
10:46सुदेवी और बहरोग के विशे में तुम सब जानती थी राधा
10:55पर फिर भी तुमने मुझे कुछ नहीं पताया
10:58आज सुदेवी की बात छुपाई
11:05करना जाने पर
11:07नहीं राधा के बाबा
11:12मेरी बेटी ऐसा कभी नहीं करेगी
11:14आर्या
11:17मैं काना का पक्ष नहीं ले रही
11:20किन्तु काना ने किसे की जीवन में
11:24प्रेम और प्रसंता भर दिये
11:27क्या ये काना की भूल है
11:30और फिर
11:33अन्थ भला तो सब भला
11:37अन्थ में सुदेवी का विवा उसके माता पिता की आज्या से ही हुआ ना
11:41अन्थ में से ही हुआ ना
11:44अन्थ
11:53का अन्थ
11:57बाबा अब तो सब ठीक हो गया ना आप चिंदित क्यों है सब कुछ ठीक नहीं है काना अज पहली बार मैंने वरिशबान की आँखों में कुछ खटकते हुए देखा है
12:27आज के घटना करम के पश्चात कुछ तो ऐसा हुआ है जिसने उसे भीतर तक खेस पहुंचाई है
12:35बाबा आपको अपनी राधा पर संदे है
12:42संदे नहीं है राधा एक पीटी के लिए वो भय है जो आज के घटना के कारण हर पिता के मन में होगा
12:53विश्वास कीजिए बाबा अपनी राधा पर अपने संसकारों पर ऐसा कुछ नहीं होगा
13:01इस भाए को स्वायम से दूर कर दीजिए
13:08है तुमारे कारण आया हरादा और अब तुम ही इसे दूर कर सकती है
13:14आदेश करें बाबा कि कैसे मैं आपका ये भैदूर करूं एक वचन चाहिए राधा वचन दो कि मेरी बेटी कभी मुझे
13:34ऐसा दिन नहीं दिखाएगी कि वहीं विवा करेगी जहां मैं चाहूं
14:04फिर्चल जए बाबा बड़
14:16प् imprison days
14:23बशहती है ऱ बड़ बड़हम
14:28विष्मारा श‍धर
14:34कि ठङूअ है सिरूंपल
14:39है
14:41मत ऊत्री को
14:48थाहन escrito
14:48कि थे समय में लार
14:50कि मत पु техक
14:54पूल
14:55जक प्रीज के थेो
14:59सबस्कार
15:01कि तो दो
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