00:00वचंदो कि मेरी बेटी कभी मुझे ऐसा दिन नहीं दिखाएगी
00:24वचंदिया बाबा, वचंदिया बाबा, वचंदिया बाबा
00:27मैं अपने मा बाबा की सौगंद उठाती हूँ
00:30कि जीवन में इसा कभी कोई कारे नहीं करूगी जिससे आपको आपके सम्मान को ठेज पहुचे
00:38कि मेरे कारण आपका सर तदा गर्व से उठेगा, लग्जा से जुकेगा नहीं
00:47जन्द आपसे मिला है, अपने जीवन की डोल भी मैं आपको सौपती हूँ
00:58मैं बचन देती हूँ, कि कभी भी प्रेम की पाखण में नहीं फसूँगी
01:06मेरे लिए प्रेम भी आप है, पिता भी और परमेश्वर भी
01:16और राधा के जीवन का निरने उसके परमेश्वर करेंगे
01:28इस वचन के पश्चाद
01:58अब कैसे संभव हो गई
02:00प्रेम वो है जो असंभव को संभव बनाता है दाव
02:09जिन बंधनों को मैं तोडनी आया
02:11वो बंधन पहले होने भी तो चाहिए
02:16अच्छा और यह जो बर्साने से भी दूर जा रहे हो उससे क्या लाद
02:29लाब और हनी के विशे में सोचना व्यापारी का काम होता है दाव
02:34मैं गोकुल छोड़कर दूर बर्साने आया प्रेम सिखाने के लिए अब अब राधा को बर्साना छोड़कर आना होगा बंधन तोड़कर प्रेम पाने हो
02:54इन तो उसके लिए इतनी प्रतिक्षा क्यों काना
02:56अब आप कल पूछेंगे कि अवतार के हूं जबकि यदि मैं चाहूं तो एक छुटकी बशाते ही सब कुछ ठीक करते हूं
03:08प्रेम में माया नहीं
03:23समर्पन की छाया होती है चल में आस्था का संबल होता है
03:33प्रेम को पाने की प्यास नहीं
03:38उसके आने का विश्वास होता है
03:43यह मृत्ति लोग है दाओ और यदि यहां पे प्रेम समझाना है तो माया से नहीं
03:50मन से राधा ने अपना मार्ग चुना यह उसका अधिकार है
04:00अपनी प्रेम की प्राप्ति के लिए मैं अपना मार्ग बदलू यह मेरा अधिकार है
04:10जब जब राधा अपनी धारा बदलेगी तब तब मेरे प्रेम की धारा भी बदलेगी दाओ
04:16हाँ राधा के विरा में जलूंगा वश्य किन्तु जल की भाती उस तक पहुचने का मार्ग भी बना लोगा
04:28अपनी सिंत्रे यह अंत नहीं एक नए अध्याय का प्रारम है अर्थार अब एक और नहीं लीला गरो
04:48अब कृष्णि और लीला तो एक ही सिक्के के दो छोर है ने दाओ
04:57प्रिश्वान भले ही जीवित है परत कृष्णि और गोकुल वाले बरसानी से पाहर हो जाएगे
05:09मेरा कार यह संपन हुआ अब इसिके का कोई काम नहीं
05:15मैं जानता हूं रादा कि तुम बहुत क्रोध में हो कि तुम ये क्रोध जताने का नहीं
05:27कुछ करके दिखाने का समय है अन्य था वो कृष्ण पूरे बरसाना में अपनी सोच की आंधी से अंधकार फैला देगा
05:36तुम जानती होना रादा वो कृष्ण माया वी है अपनी चतुराए से भरी बातों में नंद काका को उल्जा लेगा और तुम्हारे बाबा को भी फिर यहां रहकर वो अपने पाखन से भरे प्रेम का प्रचार करेगा समाज को भ्रश्ट करेगा
05:48राधा क्या तुम्हारे बाबा को भी फिर यहां रहकर वो अपने पाखन से भरे प्रेम का प्रचार करेगा समाज को भ्रश्ट करेगा
06:01राधा क्या तुम्हें नहीं लगता कि कृष्ण को यहां से चले जाना चाहिए कि उसका यहां रहना बरसाना के हित में नहीं है
06:12मैं नहीं कि बहुत प्रसंद होगे ना तुम भेरव और सुदेवी का विवाह करवा दिया और मुझे भी सब के सामने हरा दिया
06:25राधा प्रश्ण तुम्हारी जुनोति या हारजीत का था ही नहीं प्रश्ण था प्रेम का उचद कहां बात तो प्रेम की थी
06:36पर क्या सुदेवी और भहरफ का प्रेम ही प्रेम है उनका प्रेम जीत गया किन्तु मेरे बाबा का मुझे पर से विश्रिवास हर गया
06:46तुम्हारे कारण आज मेरी बाबा की आँखों में मेरे लिए प्रेम नहीं
06:53प्रेम के स्थान पर संदे है उसका क्या
06:57ने के स्थान पर संशे है उसका क्या
07:02हाज राधा सिवचन लेकर आपने वही भूल कर दी जो सुदेवी के पिता करने जा रहे थे
07:18हाज आप पिता सिव आगे विधाता बन गई
07:25अब से राधा जीवन में कोई भी निर्ने स्वेम नहीं ले पाएगी
07:31हर पल डरेगी कि कहीं वो अपने बाबा के संधे को सत्ते में न मतल दे
07:37आज मैंने अपने बाबा को डरा हुआ पाया केवल तुम्हारे कारण क्रिश्ट
07:45सुदेवी और बहरफ के आँचल में भले ही प्रसंता भर दी तुमने
07:52किन्तु बरसानी की हर सयानी होती बेटी के पिता के मन में ये संधे भर दिया
07:58कि कहीं उनकी बेटी उने कलंग कितना कर दे
08:01बरसाना की हर बेटी हर शन हर घड़ी अपने माता पिता को यही प्रमानित करने में व्यास जहेगी
08:10कि उनके माता पिता की सम्मान से बढ़कर उनके लिए कुछ नहीं है
08:14अब से ना दिखने वाली बेडिया होगी हमारे पाओं में
08:19बरसाने की बेटिया जो आज तक बिना किसी डर के जीवन जीती आई है अब स्वायम से डरेंगी के वग तुम्हारे कारणी
08:29सब की द्रिश्टी हमारे पैरो पर होगी कि हम कि स्थान पर है कि सदिशा में जा रहिए
08:39मस्कान कार्णी से पहले साँ बढर सोचना होगा की कहीं इस मुस्कान का आर्थ कोई प्रेम ना समझ ले
08:46अब ये सब कुछ होगा, तुम्हारे उस प्रेम के कारण, प्रेम के कारण, प्रेम के कारण, प्रेम के कारण, यही देता है ना प्रेम, दर्श, संदे, बेडिया, घुटन, नहीं रादा, ऐसी बात नहीं, कुछ नहीं सुनना, ना तुम्हारी कोई बात, ना तुम्हारी बास
11:46जिस राधा का प्रेम पाने के लिए तुम बरसाना आये थे, आज वही राधा, तुमसे इतनी घ्रणा करती है, कि तुम्हारा मुख तक नहीं देखना चाहती है, इतनी घ्रणा करती है, कि तुम्हें बरसाना से जाने को तक कह दिया, तुम्हारे पवित्र प्रेम को छूटा क
12:16कि तु अब इस इस परिस्थती में तुम्हारा मनोबल कौन बढ़ाएगा
12:24मैं बढ़ाओंगा
12:28मेरी एक बात मानाओ
12:31तुम्हारी भलाई के लिए कह रहाओं मैं
12:36तुम यहां से चले जा
12:37और वापस मत आना
12:41ठीक का अपने बड़े भाईया
12:45अब राधा की इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए
12:50मुझे बरसाना से जाना ही होगा
12:52और मैं जाओंगा
12:54क्योंकि राधा की इच्छा मेरे लिए आदेश है
12:59किन्तु आप
13:07आप बड़े भाईया आपने एक भूल कर दी है
13:13कैसी भूल?
13:19राधा को मुझे यहां से दूर जाने को कहने का विचार देने की
13:23अब सोयम सोचिए ना
13:26मनुष्य क्या करता है
13:27किसे भूल जाता है और किसे याद रखता है
13:30सोचिए
13:31जो हमारे पास रहते हैं उन्हें हम भूल जाते हैं बड़े भाईया
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