00:33पहादेव आप तक पहुँचने की यात्रा भले कितनी ही कठिन क्यों न हो
00:38आपके दर्शन पाकर सारी थकान उतर जाती है
00:43धन्य हो जाता हूँ मैं
00:45रभू पीचे आपके गण प्रेत आदी मिले थे
00:52तीन लोग के समचार पूछ रहे थे मैंने बताया उन्हें के संसार में बहुत सारे परिवर्तन होने वाले हैं
01:01पूछने लगे कैसे परिवर्तन अब उन्हें क्या बताता के के दक्ष प्रजापती ने एक बहुत बड़े यज्यका आयोजन किया है
01:14जहां मानव सभ्यता को वो आपकी पूजा ना करने से नियंबत करेंगे
01:20दूसरी और दक्ष प्रजापती की पुत्री सती
01:29पेचारी की मानसिक स्थिति कुछ ठीक नहीं चल रही है
01:35आपके दर्शन करने के बाद नजाने क्या हो गया है उसे
01:40आपने तो देखा होगा उसे
01:44अतीमन मोहक छवी सर्वगुण संपन
01:48रभू मैंने जैसे ही आपका नाम लिया
01:56उसके नैनों की विक्षिप्तता देखने लायक थी
02:00क्यों ऐसी विर्थ बातों में समय नष्ट करते है नारत
02:03दक्ष प्रजापती आपके विरुद्ध इतना बड़ा शडियंत्र रश रहे हैं
02:13और आपको उसकी कोई चिंता नहीं है
02:15दक्ष को मुझसे ध्वेश पर यह समस्या उनकी मेरी नहीं
02:23परंतु सती? उसके बारे में आपको कुछ नहीं जानना?
02:30सती लिए
02:31उसका क्या?
02:36प्रभु आपने उसे ऐसा मोहित कर दिया है कि क्या बताओं
02:40ऐसी अवस्था हो गई है उसकी के कुछ नखा रही है, नपी रही है
02:45प्रभू आप उसे ऐसी हिस्थिती में छोड़ देगी है
02:50नारत
02:52मैं तक्ष के उस मंदिर में सती के बुलाने पर गया आवश्य था था
02:57पर केवल इसी लिए
03:00क्योंकि सती ने सचे मन से
03:03सची श्रथा से मुझे पुकारा था
03:06एक वक्त के अलावा मेरे चीवन में न सती का कोई मैत्व है ना हिस्थान
03:14प्रभू तो क्या आप सदे वुवेरागी ही बने रहेंगे
03:22पिता ब्रह्मा और माता सरस्वती भगवान विष्टु और माता लक्ष्मी
03:28इनके दामपर्थ्य सुख देख आपके मन में ग्रहस्थी का मोह नहीं उत्पर्न होता जैसे माता लक्ष्मी की उपस्तिती से वैकुंठ
03:40मा सरस्वती से ब्रह्मा लोक वैसे ही क्या कभी ये कैलाश भी धन्य होगा प्रफू कभी आपकी इच्छा नहीं होती कि इस बंजर विरान कैलाश पर भी देवी माता के चरन कमल पड़े और इसका उद्धार हो
03:59क्या इसका अधूरापन आपको एका किपर और आपको व्यागुल नहीं करता प्रफू-मपत्य संसारिक मोसे बंदने का एक मात्यम है
04:14एक कु Currently के जीवन में इसका कोई अर्थ नहीं है क्या योगेश्वर्षिव के जीवन में प्रेम का भी कोई अर्थ नहीं है
04:25प्रेम का अर्थ अवश्य है, मेरे बर्थ, मेरे गण, इनसे मेरा संबंध प्रेम का ही तो है, खले ही वो प्रेथ हो, विशाच हो, पशू, या फिर मनुष्य, और जिस प्रेम की और आप संकेत कर रहे हैं, वो तो स्वार्त और हम से परिपूर्ण होता है,
04:52और मेरी साधना का थे, उसी स्वार्त और उसी एहन का त्याद है, मैं जानता हूँ, विश्णु मुझे विवा के बंदन में बांधने का प्रेत्न कर रहे हैं, पर मैं हर बंदन से मुक्ठ हूँ, तंदुष्ठ हूँ,
05:17टω लो, उस ड textures, विश्णु पोला कर रहे हैं,
05:24तंदुशप जएठग विवार्त पूल्गं,
05:27प्लिए हूँ है ऋड़्मार प्रेत्न का प्रेक电ा,
05:31बीदो भी आए मापना, आजव आए मापने नशा प्रश पिर्ग
05:47सती, तू तो अती कर रही है
06:05पिताजी ने तुझे अन्नग रहन करने से मना किया था
06:08तू फल क्यों नहीं खा रही
06:11बस, इतने कमल के फूल और है
06:15पहले इन पर विश्णू नाम लिख दू, फिर खा लोगे
06:19थोड़ा जलक रहन कर ले
06:24तुझे भूख प्यास नहीं लग रही क्या
06:29केवल आस है
06:36पिताजी को दुबारा प्रसन ने देखने की आस
06:40उनके लाट से परिपून स्वर में अपना नाम सुनने की आस
06:45उनकी दृष्टी में
06:49अपने आपको दोश्मुक पाने की आस
06:53पिताजी कैसे हैं
07:02पता नहीं क्या हो गया है उन्हें
07:04भोजन ग्रहनी नहीं कर रहे है
07:08कह देते हैं कि समय नहीं है
07:12सती
07:19यह सब कुछ मेरे कारण हो रहा है दिली
07:24नहीं सती नहीं
07:26इसी बात नहीं है
07:29बैठ यहाँ पर
07:33सती
07:37यह क्या है
07:44मैं अभी एक दासी को भेजती हूं लेब के साथ
07:48नहीं दीदी
07:51सती तुझे दुख नहीं रहा
07:56जो दुख मैने पिताजी को दिया है
07:59उसके आगे मेरा दुख कुछ भी नहीं
08:02लौण
08:04कुछ
08:07कुछ
08:10कुछ
08:13कुछ
08:17क्यों हम लोगों के होते हुए महादयों का जीवन अधूरा कैसे हुआ रहे क्या हम उनका थ्यार नहीं रखते क्या उनकी सेवा नहीं करते और अगर तुझे वैकुट की इतनी इच्छा है तो वहीं जाकर घंटी क्यों नहीं बजाता है
08:41स्थीका स्वागतम यानि दुख और पीड़ा का आगमन अरे उसने कहीं महादयों को अपने वश में कर अब दोनों को यहां से पैशिक करा दिया तो और हमारे इस सबसान को अपसे छीड कर अपने बलुरंजन के है तू कहीं इसे उत्यार प्रवादिया तो
09:03अरे वैसे भी नंदी इस यह बुगारी वाता वरल में महादयों के साथ तिरवा संभाओ है संभाओ
09:11नंदी यहाँ पर कोई भी स्थ्री नहीं टिक सकती नहीं टिक सकती
09:16देवर्शी अब आपे कुछ किजी कब तक ऐसा चलेगा कब तक
09:23चिंता ना करो नंदी यह प्रक्रिया तो आरम हो चुकी है अब तुम्हे मुझे या और किसी को कुछ भी करने के आवश्चता नहीं है
09:36जो भी करना है देवी सती ही करेगी नारायन नारायन
10:06जो आरायन
10:17लुप करते ही एट
10:19लुप करेश प्रुप करते ही
10:24जो आब दो किसी दो आखएवान
10:30हाई दो आब तक तक ईम हा दो प्रक्रिया वस्त तक रखएवान
10:35झाल लुज कि वारिय में व्हुड़ न कर दो दो खना राज वारिय झाल
11:05झाल झाल
11:35झाल
12:05यह क्या हो गया है मुझे
12:07वही आकरिती
12:11उन्हें शिव का स्मरन
12:16नहीं
12:20मैंने तो पिताजी को वचन दिया है
12:24कि मैं शिव का विचार भी अपने मन में नहीं लाओंगे
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