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Credit - starbharat/youtube

RadhaKrishn __ Radha ne diya Krishn ka saath __ राधाकृष्ण #radhakrishna #starbharat _ EPISODE-18

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Transcript
00:00महादेव, खड़े खड़े इतनी बड़े योजना बना लिए
00:14क्या?
00:19योजना
00:20कैसी योजना?
00:24मैं क्यों बनाऊंगी योजना?
00:25नहीं, नहीं, तुम इतना सोच विचार कर रही थी, तो मुझे लगा कहीं कोई योजना तो नहीं बना रही है
00:31ऐसा कुछ नहीं है
00:33वो माने बच्पन से सिखाया है
00:39जीवन में कोई भी निर्ने लेना हो तो सोच समझ कर लेना चाहिए
00:43और हमारी मित्रता होगी तो नम भी चलनी चाहिए
00:49इसलिए सोच समझ कर विचार करके निर्ने ले रही थी
00:53तो क्या निर्ने लिया है हाँ ठीक है आज से हम मित्र है
01:03दन्यवाद राजा अब इस मित्रता का शुभारम करने के लिए मिठाई नहीं तो
01:19माखनी से अब मित्रता तो मित्रता होती है मीठी नहीं तो नमकीनी से क्यों
01:29हाथ अगे करो और यतना नहीं
01:37खाओ
01:45अब शेश्का क्या करो
01:54मित्र हूँ तुमारा मुझे खिला दो तुम्हें
02:01जूटा मुझे जूटा नहीं लगता
02:10तुम जितना समय यहां लगाओगी उत्रा ही दाओ वहां पे लोगों को मारें गया
02:22क्रिश्न हे विस्तायदी तो सार हे राधा
02:31क्रिश्न की हर बात का आधार हे राधा
02:40राधा बिना क्रिश्न नहीं क्रिश्न बिना नहीं राधा
02:44राधा बिना क्रेश्न नहीं, क्रेश्न बिना नहीं राधा
03:02जिस कण में राधा बसी, उस कण में बसे है क्रेश्न सदा से
03:12अब चलो भी, यही रुखने का विचार है
03:35रुख तो और सौ वर्ष भी सकते थे
03:39किन्तु समझाना भी तो है
03:43समझाना है?
03:48क्या? और किसे?
03:51दाओ को समझाना है ना? है ना?
03:58तो चलो, रुको
04:03करन करना है
04:05जाओ को समझाना है
04:07करना है
04:09पूलो, बस्तु समझाना
04:11विलनलो, जाओ काना है
04:13पूलो, पूलो, यही रुट यही रुटन्द।
04:15और कुछन भी यही रुटन्द।
04:19दूर्णू बाद हुआ का मिलत है आपका
04:41मुंख कि अधियुकर के वह फो फुटे कृमकर मारने के लिए और लोगों को बुलाने के
04:48अच्तो गमासान यो दोगा
04:50बस वोगे दाउद, ठीक है
05:18यह प्रभू, हाँ गोलो
05:24तुम्हे नहीं कह रही
05:27पल्राम
05:30पल्राम, हम तुम्हे छोड़ेंगे नहीं
05:37तो आओ ना, पहले हाथ पकड़ के तो दिखाओ
05:40ठोड़ने की बात तब करने
05:48इसकी ऐसी तशा करेंगे
06:04कि महीनों तो काड़े में पाउ तक नहीं रख पाएगा
06:07दुकोए
06:09तुम बीच से हच जाओ राधार
06:17अब हम नहीं रुकेंगे
06:21इसने नृत्या के नाम पर अपनी पहलवानी दिखाई है
06:25चल की आया हमारे साथ
06:27हाँ राधा, केवल प्रसाद से तुम्हारे मित्र का मन नहीं भरा है
06:31पूरा महाभोग खाकर जाना चाहता ही है
06:35हट जाओ मध्य में से
06:36तुम में
06:37और तुम भी आयान
06:42मेरी बात सुनो, दोश तुम्हारा है
06:45मैं भी तो कबसे यही कह रहा हूँ
06:59कि दोश इनका है
07:04राधा
07:10ठीक है रही हूँ
07:14ठीक है रही हूँ
07:15आरहम तो तुम ही नहीं किया है न
07:17वो लोग तुम से लड़ने नहीं आये थे
07:23रित्य वे भाग लेने आये थे आयान
07:25तुम्हे दाओ का आप मानुरुभास नहीं करना चाहिए था
07:31तो इसे रित्य आता भी कहा है
07:33तो सीधे सीधे मना कर देते ना
07:37लडाई मोल देने की क्या विश्रक्ता थी
07:40मुझे और लडाई नहीं चाहिए बस तुदेवी का विवा है
07:44कोई रणभू भी नहीं
07:47राधा
07:56तुम्हे स्थूर्थ कृष्ण और उसके मित्रों का साथ दे रहे हो
08:03अब राधा हमारा साथ दे रहे है उसके दो कारणी है
08:13पहला ये कि दाव ने ये सब आरम नहीं किया था
08:18अब ये बात तो राधा ने भी स्विकार कर लिये है और दूसरा कारण ये
08:30कि अब राधा की और मेरी मित्रता जो हो गई है
08:38क्यों राधा बताओ बड़े भाईया को अब तो हम मित्र हो गए है ना
08:53राधा तुमने इस से आयन मैंने कृष्ण से मित्रता कर ली है
09:03अब एक ही गाव में रहकर आपस में बहर पालने का क्या अर्थ
09:11मेरी मालो तो तुम भी कृष्ण से मित्रता कर ली है
09:18मुझे
09:23किसी से कोई मित्रता नहीं करने
09:27किसी भी मूले पर नहीं
09:35क्या हुआ
09:49क्या हुआ
10:01मुटो ऐसे बुना कर रखा है जैसे किसी काली बिल्ली ने मार्ग कार दिया
10:07काली बिल्ली नहीं माँ वो क्रेश्ण
10:09क्रेश्ण
10:13अब तक तो वो केवल मेरे मार्ग में आता रहा है
10:16कि तु आच
10:18तो मेरे लिरक्षे के बीच में आया है माँ
10:21मा, उसने अपनी चतुरता से राधा को अपने माया जाल में फसाकर उसका मन परिवर्टत कर लिया मा, मित्रता कर लिया उससे
10:29सीमा तो तब पार हो गई, जब मेरी राधा ने सब के सब
10:35मुझे, मुझे अनुचित सिद करके उस कल के आए ग्वाले का पक्ष लिया
10:42कहा था उस क्वाले से की अपनी मज्यादा में रहना अन्य था?
10:51बसमा, अब बहुत हो गया
10:54अब मेरे मन की अगनी के वन तभी शांत होगी
10:59जब मैं उस कृष्ण को उसके इस दुस्तास का दंड अपने शस्तर से दूनगा
11:05मैंने पहले भी तुम से कहा था ना, आयन
11:07ये जो युद्ध है, इसमें शस्तर नहीं, बुद्धी का प्रायोग करना होगा
11:14चुपचाप मौन रहकर थमाशा देखना सीख लो
11:21क्योंकि जो राजा होते हैं ना, वो स्वयम अपने हाथ से कुछ करते नहीं
11:26चुपचाप बैठकर साब कुछ देखते रहते हैं
11:29तुम भी सीख लो, कैसा राजा
11:34अयन तुमने एक बांड से दो लक्ष भिदने की बात सो सुनी होगी
11:40है ना, तुम्हारी माने एक बांड से तीन लक्ष भिदे
11:47मैंने महराज कंस को एक पत्र भेजा है, और क्या लिखा उस पत्र में?
11:52कि व्रिश्भान ने उनके साथ विश्वाज खात किया, उनके आदेश के विरुध जाकर, नंद और उसके परिवार और सारे गोकुलवासियों को यहां
12:01बरसाने में शरंदी
12:04यही तुम्हे चाहती हूँ अयन
12:14कंस के हातों व्रिश्भान की मृत्यों और कंस के ही हातों तुम्हे बरसाने की गद्य और मुकुट की प्राम्ति
12:24के तु क्यासे?
12:28वो ऐसे कि मैंने उस पत्र के साथ अपने एक पहचान चिन्ह भी भेजा है
12:42उस सिक्य का दूसरा भाग मेरे पास है
12:45देखो
12:48महराज कंस जब बरसाने पर आकरमन करेंगे
12:52और सारी गोकुलवासियों मिल जाएंगे
12:55तब
12:58तब मैं ये सिक्का दिखाकर अपनी पहचान बताओं कि उन्हें
13:03कि मैंने ही उनकी सहायता की है
13:07और उसके बदले
13:09तुम्हारे लिए बरसाने की गद्दी माग लूगे
13:12मुर्कता
13:23मुर्कता बहुत बड़ी मुर्कता की मैंने
13:38कि ये माहन बटा की गोकुलवासियों के साथ साथ कृष्ण भी मृ्त्यू को प्राप्त हो गया
13:47क्यों
13:48हुई ना मुझसे मुर्कता
13:50हुई ना
13:53कि दने अभीमान और विश्वास के साथ मैंने देवक्य के सामने दावा किया था
14:04कि यगा श्वानी गलत सिद्ध हुई
14:07पर इस छोटे से पत्र ने
14:16मेरे दावे को जुनोती देटा ली
14:20क्यों
14:26खुआना में तोशी सित्ध
14:29कर बेटाना भूल
14:32संथ महराज
14:36संभभय ये पत्र जोटाओ
14:41हमें भ्रमित क्या जा रहा हो
14:45जूट और सच का तो पता नहीं
14:51परं तो ये निश्यत है
14:53इस कता का अरंग और अंत एक ही है
14:57कुष्ण
14:59कुष्ण
15:01कुष्ण
15:03कुष्ण
15:05कुष्ण
15:07कुष्ण
15:09कुष्ण
15:11कुष्ण
15:13कुष्ण
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