00:02कभी-कभी सेल्फ डाउट होता है कि जो मैंने रास्ता चुना है
00:04क्या वो ठीक है नहीं है
00:05ये भी फिर रहते है कि अगर इस रास्ते पर चलता रहा
00:08तो ये सारे लोग हो सकते हैं मुझसे छूट जाएं
00:10थूट जाएं वो तुम्हारे पास हैं ही कब
00:13बहुत सारी चीजें तो जो हम मानेव होते हैं ना कि हमारी है
00:16वो हमारी होती नहीं है ये सब उपरी बाते होती है
00:19उम्हारा शायद वो चुनाओ है तुमने जो करा है अगर दिल से करा है तो
00:22समझते हो चुनाओ क्यों करा है
00:23तुम्हारे साथ सिर्फ वही चल सकता है जिससे आत्मिक रिष्टा
00:29ना सायोगिक चलता ना सामाजिक चलता ना शारीरिक चलता
00:34कुरुक्षेत का मैदान है अर्जुन का साथ
00:36ना तो उसके भाई खड़े हो हैं आपे चार वो दे रहे हैं
00:40ना मा है वो दे रही है ना पत्नी है वो दे रही है
00:43और जो मेरे साथ इंजिनरिंग में थे
00:44उन लोग का ये कहना है कि हम लोग अब बैमेंसी में हैं
00:48अब senior position में क्योंकि वो लोग आने वाले हैं तो उनकी salary लाक रुपे, दो लाक रुपे महीने की है
00:53कई बार relatives भी है कहते हैं इससे क्या इतनी आंधनी है
00:57ऐसा चाहिए होता है, बिल्कुल चाहिए होता है
00:59पर देख तो लोग कितना चाहिए है, जो अभी तुम्हारी उम्र है
01:03इस उमर में तुम बहुत ज्यादा पैसे का करोगे क्या यह तुम्हें खुद से पूछना होगा
01:06क्या करोगे बहुत पैसे का
01:08प्रणाम अचार्य जी
01:13मेरा नाम सत्यम प्रकाश है और मैं आइटी डेली से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहा हूँ
01:19अपने सब्जेक्ट के उपर आपके विचार जाना चाहूँगा
01:22मैंने अपनी ग्रेजुएशन कॉंप्यूटर साइंस और इंजिनिरिंग में की है
01:26और जब मैं अंतिम वर्ष में था तब मेरे को एक MNC से जॉब रोल उफर हुआ था
01:31खेर वो जॉब रोल मैंने लिया नहीं उसमें मुझसे यह एक्सपेक्ट किया जा रहा था कि मैं एक
01:37सॉफ्वेर प्लाटफॉर्म पर काम करूं जिससे हम कंजूमर का कंजम्शन बढ़ा सकें तो जस्ट गिव एंग्जांपल हम लोग जैसे 10 मिनिट फूट डिलिवरी आप देखते हैं जिसमें इंटरफेस इतना इजी बनाया जाता है कि आप जो चाहा रहा फटा-फट उसको
02:07मास्टर इन पब्लिक पॉलेसी स्पेशलाइजेशन इन साइंस टेकनोलोजी इनोवेशन और सस्टेनेवल डवलपमेट वह अच्छा लगा मैंने एंटरेस एक्जाम दिया और अडिमिशन सेक्योर किया तो यहां पर हमको जैसे क्लीन अनरजी सस्टेनेवल डवलपमेंट ग
02:37वह जाता है कि अगर इस रास्ते पर चलता रहा तो ये सारे लोग होग सकते हैं
03:07उससे छूट जाए, so how to face this thing?
03:37तो ये दूनों चीजें साथ साथ कैसे चलेंगी?
03:40बहुत सारी चीजें तो जो हम माने वो होते हैं ना कि हमारी है वो हमारी होती नहीं है
03:45हमारे पास उनकी कलपना होती है
03:47वो चीज हमारी नहीं होती है
03:49हमारी कलपना होती है
03:51यह मेरी है, जिन्दगी मेरी है
03:53बीवी मेरी है, दोस्त मेरे है
03:56पलाना मेरा है
03:57क्या है तुम्हारा क्या है
03:58तुम्हारा शायद हो चुनाओ है तुमने जो करा है अगर दिल से करा है तो
04:05समझते हो चुनाओ क्यों करा है
04:07अगर समझते हो तो वही तुम्हारे साथ चलेगा
04:11ये दोस्तियार नहीं साथ चलने वाले
04:13ये सब उपरी बाते होती है
04:15स्वारत के सामने सब दोस्तियां यारियां एकदम बिखर जाती है रेत की तरह
04:21तुम्हारे साथ सिर्फ वो चीज चलेगी है
04:25सब आप लोग समझ लीजिए
04:26ब्रह्म में मत रहिएगा नहीं तो दिल तूटता है बहुत बुरा लगता है
04:29अपने साथ जो चले
04:31जानने वालों ने उसको बस एक नाम दिया है
04:36बोले तुम्हारे साथ जो चले वो भी नहीं हो सकता जो तुम्हारे बगल में खड़ा हो
04:41वो भी नहीं हो सकता जो तुम्हारी जेब में रखा हो
04:44पैसा
04:45तुम्हारे बगल में खड़ा वो भी नहीं हो सकता
04:48साथ कैसे चलेगा वो बगल में है तो हट भी सकता है
04:50जेब में है तो जेब कट भी सकती है
04:52तो वो भी नहीं हो सकता
04:55जो तुम्हारे शरीर में बसता है
04:57क्योंको जो शरीर में है वो भी तो निकली जाता है
05:14ये कौन सा सेल्फ है जिसकी बात होती है जो हमारे साथ चल सकता है उसी को आत्मा कहा गया है आत्मा सिर्व वही चीज चलेगी और कुछ नहीं है तुम्हारा
05:23तो रिष्टे कैसे बनाएं फिर जब कोई साथ नहीं चलना तो क्या बिल्कुल एकाकी जीवन जी हैं नहीं नहीं नहीं
05:29आत्मा की राह पर चल रहे हो कोई हम राह मिल गया तो वो दोस्त हो सकता है तुम्हारा पर राह आत्मा की होनी चाहिए
05:40सही राश्ते पर चल रहे हो कोई इसलिए मिल गया क्योंकि वो खुद भी सही राश्ते पर चल रहा є
05:47तो वो तुम्हारा दोस्त बन जाएगा गारेंटी वहा भी नहीं है कि वो भी उमर भर के लिए बन जाएगा
05:52पर वो अच्छा रहेगा, वो अच्छा है जो बनेगा, कम से कम उसने रहा तो वही चुनी है न जो तुम्हारी है, और दूसरे वो तुम्हारा साथ नहीं दे रहा, वो अपनी रहा का साथ दे रहा है, तुम भी उसका साथ नहीं दे रहे, तुम भी अपनी रहा का साथ दे रह
06:22से सायोग से
06:23वो तुम्हारे दोस्तियार कहां से हो पाएंगे भाई
06:27कहां से हो पाएंगे
06:30वो भले ही तुम्हारे घर में तुम्हारा अपना सगा भाई हो
06:33वो भी तुम्हारे साथ नहीं चलने वाला
06:35ये बाते कड़वी लग जाते हैं
06:39हैं यहीं थोड़ी होता है जिससे आत्मिक रिष्टा हो न सायोगिक चलता ना सामाजिक चलता ना शारीरिक
06:50चलता थे हैं हास्टल में बगल वारे rooms में था we citizen है ही अगी रूमी था रूम
07:02संत्रूमी नहीं, रूममेट, यह रूममेट था तो इसलिए मेरा यह बिल्कुल बेस्ट फ्रेंड हो गया, यह संयोग करिष्टा एक इतने दिन चला लो गया, यह नहीं चलने वाला, क्यों बेकार में इसमें अपनी उर्जा समय निवेशित कर रहे हो, फसो मत इसमें, कोई मे
07:32ठीक है, तो अब मेरा भी, क्या नाम आपका, अब आप सत्यम हो, तो संतोष, सत्यम और संतोष चड़ी बदल यार हो गए, क्योंकि एक ही डिपार्टमेंट है, और आमने सामने के हैं, और पता चला कि एक ही जिले से भी थे, तो जब ब्रेक्स होते थे, तो एक साथ ट्रेन क
08:02पर शरीर का रिष्टा होता है, कि किसी से रिष्टा बसे इसलिए बनाया है, क्योंकि शरीर की मजबूरी है, तो रिष्टा बना लिया, और शरीर और संयोग जब एक साथ मिल जाते हैं, तो परिवार का रिष्टा कहलाता है, वो भी शरीर का ही है, परिवार जनों से और का �
08:32भाई खड़े हो हैं आपे चार वो दे रहे हैं
08:50कोई नहीं आ रहा साथ दिने
08:52साथ तो वही आएंगे जो आत्मक है
08:56तो भगवद गीता में उनके लिए नाम है कृष्ण
08:59तुम चाहो तो कोई और नाम दे सकते हो
09:01पर बात आत्मिक होनी चाहिए
09:03ये तो कभी बुरा मानना ही नहीं कि
09:07फलाने लोग थे कभी साथ अब साथ नहीं है
09:09बुराई ये नहीं है कि वो अब साथ नहीं है
09:12बुराई ये है कि तुमने उमीद रखी की साथ चलेंगे
09:15जो ये उमीद रखे हो पागल
09:17क्यों ऐसी उमीद रख रहे हो
09:20तुम्हारी पहली निष्ठा
09:23होनी चाहिए
09:25एक सही जिन्दगी जीने की तरफ
09:28और उस सही जिन्दगी में
09:30क्लीन एनरजी सस्टेनिबिलिटी
09:31ये आते हैं निसंदे आते हैं
09:34जो तुमने अपने लिए चुना है
09:35वो तुम्हारी निष्ठा होनी चाहिए
09:37मैं वो जी हूँगा
09:39और उस रास्ते पर चलते हुए
09:41हम कह रहे हैं कोई हमसफर मिल गया
09:43बहुत अच्छी बात है
09:43अच्छा आदमी मिलेगा अच्छे रास्ते पर
09:47और रास्ता ही गलत चुनोगे अगर
09:49अब रास्ता ही जा रहा है
09:53वहाँ पर मचली बजार की तरफ
09:54तो उसमें सब मच्छी खोरी तो मिलेंगे
09:56और कौन मिलने वाला है
09:58सही रास्ता चुनोगे उस पर सही लोग मिलेंगे
10:03और अच्छी बात ही होगे कि
10:04उन्हें बांध के नहीं रखना पड़ेगा
10:06क्योंकि वो खुद उस रास्ते के
10:08प्यार में है
10:09वो तुम्हारे साथ नहीं भी चलेंगे तो अपना रास्ता थोड़ी छोड़ने वाले हैं
10:13वो वहाँ तुम्हारी खातिर नहीं चल रहे हैं
10:15वो भी अपनी खातिर चल रहे हैं
10:16वो भी अपनी आत्माई खातिर चल रहे हैं।
10:19वो संबंध अच्छे होते हैं।
10:22तुम्झे?
10:31और पैसा कि वो लोग अब लाखों में कमा रहे हैं, जो भी है।
10:36पैसा चाहिए होता है, बिल्कुल चाहिए होता है।
10:41पर देख तो लोग कितना चाहिए है।
10:44पैसा तुम्हें अपने लिए चाहिए है, न सेल्फ, वो सबसे पहले आता है।
10:50कुछ भी तुम्हें किसके लिए चाहिए है, अपने लिए चाहिए है।
10:54अपने लिए चाहिए, पैसा पैसे के लिए तो नहीं चाहिए है।
10:57पैसा एक infinite number बन जाए
11:00तो पैसा infinite हो गया ना तुम थोड़े infinite हो गए
11:04या हो गए
11:05तो पैसे का उपियोग तब तक है जब तक वो self के काम आ रहा है
11:11तुम्हारे तुम्हें पता हो कि मेरा अभी जो लक्ष है
11:15मेरा हित है वो अभी पैसे से जड़ा हुआ है तो ठीक है पैसा होना चाहिए
11:19पर एक सीमा के बाद आम तोर पर
11:24पैसे से हित सधता नहीं है
11:27पैसे की भी जो marginal utility है ना
11:32वो एक बिंदू के बाद बहुत कम हो जाती है जीरो हो जाती है
11:36और आगे एक और बिंदू आता है जिसके बाद negative हो जाती है
11:40उसके बाद सारी energy इसमें जाती है कि पैसा समाले कैसे
11:43पहले तो ये था कि समय बरबाद हो रहा था कि पैसा कमाई कैसे
11:49और फिर एक बिंदू आता है इतना पैसा हो जाता है पैसा समाले कैसे
11:53तो लेकर जीने को तो अभी भी नहीं मिला
11:55जीने को तो अभी भी भी नहीं मिला
11:58जब पैसा बहुत कम था तब भी नहीं जी पा रहे थे
12:00और जिनके पास पैसा ज्यादा हो जाता है वो भी नहीं जी पाते
12:03तो तुम्हें बीच का एक
12:05sweet range खोजनी है
12:07कि इतना पैसा हो तो ठीक है अब ये ना कम है ना ज्यादा है पैसा कम भी नहीं होना चाहिए बहुत इतना भी कम नहीं होना चाहिए कि तुम्हें सोचना पड़ रहा है कि यार खाने वगरा कैसे चलेगा
12:20इतना भी कम नहीं होना चाहिए कि तुम अपने रहने के लिए कोई ठीक ठाक जगह ना किराई पे ले सकते हो ना खरीच सकते हो इतना कम भी नहीं होना चाहिए पैसा और पैसा इतना ज्यादा भी नहीं होना चाहिए कि उसी पैसे के लिए जिन्दगी लगाए दे रहे हो एक �
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