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  • 6 weeks ago

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00:00एंजिनियर्स ने अपनी जान जोकिम में डाल कर दुनिया के सबसे उंचे ब्रिज पिलर्स खड़े कर दिये थे
00:06लेकिन अब इनको आफस में कनेक्ट करने का मामला इनके गले पड़ चुका था
00:11फ्रांस में दुनिया के सबसे उंचे मिलाव वायरडक्ट ब्रिज की कंस्ट्रक्शन के दुरान एंजिनियर्ज अब एक बड़े मसले में भस चुके थे
00:20इनके उपर बने-बनाए रोड सेक्शन्स रखने थे
00:24दो पिलर्स की दर्मियान रखे जाने वाले एक रोड सेक्शन्स का वजन ही 25 लोकोमोटिव एंजिन के बराबर था
00:31और ऐसे टोटल आठ सेक्शन्स थे
00:34दुनिया में ऐसी कोई क्रेन ही नहीं थी जो 5000 टन वजन को 800 फिट की उन्चाई तक पहुँचा सके
00:41दो पिलर्स के उपर क्रेन लगा कर अगर रोड सेक्शन को खींचा गया तो पिलर्स उन्चे होने की वज़ा से अंदर की तरफ आसानी से कुलैप्स हो जाएंगे
00:51जितना उन्चा पिलर होगा उसका टॉप उतना ही कमजोर होगा
00:55ये मसला कंस्ट्रक्शन टीम के लिए किसी डराउने खौब से कम नहीं था
01:00इस मसले को लेकर मिलाव वायडक्ट की कंस्ट्रक्शन में डिले आ रहा था
01:05और हर गुजरते दिन कंस्ट्रक्शन कंपनी को 30,000 डॉलर्स का फाइन लग रहा था
01:11जैम टीवी की वीडियोज में एक बार फिर से खुशाम दीद
01:14नाजरीन फ्रांस में मौजूद मिलाव वायडक्ट दुनिया का उंचा तरीन ब्रिज है
01:19जिसको 2004 में 394 मिलियन योरो की लागत से तयार किया गया था
01:25ये जमीन से 1125 फीट की उंचाई पर खड़ा इंजिनिरिंग की दुनिया का एक अजुबा है
01:31आइफल टावर से भी 45 फुट उंचा ये ब्रिज इतनी उंचाई पर है कि अक्सर ये बादलों पर तेहरता हुआ दिखता है
01:38इंजिनिरिंग कमपनी जिसने इस ब्रिज को बनाने की हिम्मत दिखाई थी वो असल में ये प्रोजेक्ट लेकर फस चुगे थे
01:45फ्रांस की इन वादियों में लेंड स्लाइड्स और 130 किलो मीटर्स पर आर की तुफानी हवाएं इनके काम को मुश्किल से नाममकिन की तरफ धकेल रही थी
01:56इतना उंचा चार लेन हाईवे ना इससे पहले कभी बनाया गया था ना आज तक किसी ने बनाने की हिम्मत की है
02:15बन चुकी थी 1980 में फ्रेंच गवर्मेंट फ्रांस से इस्पेन जाने वाले टूरिस्ट से बहुत परिशान थी खास तोर पर हॉलिडे सीजन में ये ट्रैफिक तमाम शहरों से होकर गुजरता था और हर शहर की सड़कें जैम करता हुआ जाता था खास तोर पर यहां की सिट
02:45उपर चड़ना पड़ता था एक तो इस जिगजग सफर में घंटों लग जाते और उपर से मिलाव सिटी में ट्रैफिक जैम के कमज कम 6 घंटे अलग से जाया होते थे लहाजा टूरिस्ट को फैसिलिटेट करने के लिए फ्रेंच गवर्मेंट ने पैरिस से इस्पेन तक ए
03:15इस कॉम्प्लिकेटिट कंडिशन को बाइपास करने का एक ही तरीका था कि यहां लगबग पहाड की उंचा ही जितना ही ब्रिज बनाया जाए पर यह बोलना तो असान था लेकिन करना करीब ना मुमकिन क्योंके 1980s में जब यह प्लैन बनाया जा रहा था उस वक्त दुनिया
03:45प्रिज बनाया जा सकता और अगर इतना उंचा ब्रिज बन भी गया तो यह एक बहुत बड़े हादसे को दावत देने जैसा ही होगा
03:59कई सालों तक ब्रिज बनाने का ये खौब सिद्फ खौब बन कर ही रहा लेकिन आखिरकार जब ट्रैफिक जैम्ज हद से बढ़ गई तो फ्रेंच गवर्मेंट के पास ये कड़वा घूंट पीने के इलावा और कोई आप्शन नहीं था
04:11डिजाइन से लेकर ब्रिज की कंस्ट्रक्शन तक एंजिनिरिंग टीम को तीन मुश्किल तरीन चेलेंजिस का सामना करना पड़ा
04:18पहला दुनिया के सबसे उंचे ब्रिज बिलर्स खड़े करना वो भी पहाडों की सिलोप पर
04:24दूसरा उसके उपर 36,000 टन वजनी फोर लेन हाईवे रखना
04:29और तीसरा ब्रिज के उपर स्टील पाइलॉन्स को खड़ा करना
04:34एक-एक स्टील पाइलॉन एर बस A380 से भी टू टाइम्स वजनी
04:39और सबसे बढ़कर ये सारे टास्क उनको जमीन से कई सो फुट उपर करने थे
04:45इस काम के लिए दुनिया के बेस्ट आर्किटेक्ट लॉर्ड नॉर्मन फॉस्टर को हायर किया गया
04:50ये ब्रिजिस की डिजाइनिंग में पहले ही दुनिया में अपना नाम बना चुके थे
04:54इनका काम एक ऐसे ब्रिज को डिजाइन करना था जिसकी नजाकत तितली जैसी हो
05:00लेकिन ये तितली हजारों टन वजन तेज हवाओं में भी जेल सके
05:04इस डिजाइन में चोटी सी भी गलती किसी आफ़त का बाइस भी बन सकती है
05:08दो सालों के बाद अभी लॉर्ड नॉर्मन फॉस्टर का डिजाइन ड्राइंग बोर्ड पर ही था
05:13कि उनकी रेपूटेशन को एक बड़ा जटका लग गया
05:17कुछ सालों पहले उन्होंने लंडन का फेमस मिलिनियम फुट ब्रिज भी डिजाइन किया था
05:22येर 2000 में जब इस ब्रिज को पबलिक के लिए कोला गया
05:26तो सिर्फ इनसानों के चलने की वज़ा से ही ये ब्रिज बुरी तरह से जूलने लगा
05:31इसके डिजाइन में एक बहुत बड़ा लेकिन छुपा हुआ नुक्स था
05:35लेड़ सालों तक ब्रिज को दुबारा बंद करना पड़ा
05:38जिसकी रिपेर में एक्स्ट्रा 50 लाक पाउंड्स लग गए थे
05:42अगर ऐसा ही डिजाइन फलौ मिलिनियम ब्रिज से 15 टाइम्स ज्यादा उंचे मिलाओ वायर डक्ट में निकला
05:48तो तबाही का अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा
05:51सालों की मेहनत के बाद फॉस्टर एक शानदार डिजाइन पेश कर चुके थे
05:56ब्रिज के टोटल साथ पिलर्स डिजाइन किये गए और इसके उपर रोड कर्व शेप में होगा
06:02पर मसला ये था कि पिलर नमबर टू की हाइट सबसे बड़ी होगी जबके बाकी छे पिलर्स सिलोप पर बनेंगे
06:10मसला सिर्फ इस अनुखे डिजाइन को पेपर से निकाल कर हकीकत में बदलना ही नहीं था
06:15कंस्ट्रक्शन टीम जिसने इस ब्रिज को बनाने की हिम्मत की थी उनको सिर्फ चार सालों की डेडलाइन दी गई
06:22डेडलाइन के बाद हर एक दिन का फाइन 30,000 टॉलर्स ते पाया था
06:27यानि करीब 25 लाक रुपे हर गुजरते दिन का जुर्माना
06:31अक्टूबर 2001 में मिलाव वायर डर्ट की कंस्ट्रक्शन का आगाज हो गया
06:36ये बिरिज 120 सालों के लिए बनाया जा रहा था
06:40कंस्ट्रक्शन की शुरुवात पिलर्स की फांडेशन डालने से हुई
06:43लेकिन उठते साथ ही जियोलोजिस्ट की तरफ से एक बुरी खबर आ पहुँची
06:48उन्होंने खबरदार किया कि इस एरिया के नीचे फ्रेक्चरड लाइम स्टोन है
06:53जिसकी वज़ा से पत्थरों के बीच काफी खाली जगाएं मौझूद है
06:57इन कैविटीज में केव्स बनी है जहां बैक्टेरिया की एक यूनीक किसम रहती है
07:03ये ब्लू मोल्ड नामी बैक्टेरिया दुनिया की सबसे मशूर रॉक फोर्ड चीज बनाने के काम आते है
07:09पर जो चीज के लिए सबसे परफेक्ट है वो दुनिया के सबसे उंचे ब्रिज की फाउंडेशन बनाने के लिए नहीं
07:16जियोलोजिस्ट ने यहां डिलिंग और एक्सकवेशन की दौरान लैंड स्लाइड्स का खतरा जाहिर किया
07:22इन तमाम वार्निंग्स के बावजूद भी फाउंडेशन डालने का काम स्टार्ट कर दिया गया
07:28लेकिन फिर वोही हुआ जिसका डर था
07:30मिलाओ वायडक्ट की कंस्ट्रक्शन में एक ड्रमेटिक मोड आ गया
07:35एक खतरनाक लैंड स्लाइड
07:37इस लैंड स्लाइड ने पहले पिलर की फाउंडेशन को पत्थरों से ढख दिया
07:41लेकिन खुशकिसमती से कोई नुकसान ना हुआ
07:44कंस्ट्रक्शन टीम ने ढलान को सिमिंट से स्टेबलाइस किया
07:48और प्रोजेक्ट को जारी रखा
07:50ब्रिज के साथ बड़े बड़े पिलर्ज बनाने में करीब दो लाख टन वजनी कॉंक्रीट की जरूरत थी
07:56जिसके लिए साइट पर ही एक फैक्टरी बनाई गई
07:59ये री इन्फोस्ट कॉंक्रीट था जिसमें 16,000 टन स्टील बार्ज यूज होनी थी
08:05अगर मिलाव वायर डक्ट में इस्तमाल होने वाले सरीए को सीधा बिछा दिया जाए
08:10तो ये 4000 किलो मिटर का डिस्टेंस कवर कर सकता है
08:14यानि दुबई से लेकर चाइना तक
08:16आर्किटेक्ट का डिजाइन कंस्ट्रक्शन टीम के गले पड़ चुका था
08:20इस पॉइंट पे उनको ख्याल आया कि क्या उन्हों ने ये प्रोजेक्ट लेकर कोई गलती तो नहीं की
08:26मसला ये था कि पिलर्स की शेप युनिफॉर्म नहीं थी
08:29यानि एक जैसी नहीं थी नीचे से मोटे और उपर से पतले
08:34एक टाइम पे सिर्फ चार मिटर सेक्शन के पिलर को बनाया जाता
08:38स्टील के भारी फ्रेम से डाई बनाई जाती फिर उसके अंदर कॉंक्रीट डाला जाता था
08:44और फिर अगले चार मिटर में डाई उतारी जाती और फिर दूसरी शेप की डाई चड़ाई जाती थी
08:49पंदरा हजार टन वजनी इस डाई को बार बार चड़ाने और उतारने में ही काफी टाइम जाया हो रहा था
08:56ये दौर वक्त के खिलाफ थी
08:59पिलर्स की कास्टिंग को जितना टाइम दिया गया था असल में उससे 6 महीने ज्यादा लग चुके थे
09:05पर इंजिनिरिंग टीम के मसले सिर्फ यही नहीं थे
09:08एक एक पिलर की लोकेशन अगर पिन पॉइंट जगा पर नहीं होगी तो उसके उपर रखा जाने वाला रोड सेक्शन कभी भी सीधा नहीं होगा
09:17पिलर का बॉटम अगर 10 सेंटी मीटर भी जगा से हट कर बनाया गया तो टॉप पर ये 6 मीटर का डिफरिंस पैदा करेगा
09:25इस पिन पॉइंट एकुरेसी के लिए GPS टेकनॉलजी को इस्तमाल किया गया
09:30आस्मान में मजूद मल्टीबल सेटलाइट्स की मदद से पिलर्ज की पिन पॉइंट एकुरेसी पता करके वहीं बन्याद ढली गई
09:37और पिलर्ज की कास्टिंग के दौरान भी GPS का इस्तमाल किया गया ताके पिलर्ज का टॉप बिलकुल वहीं हो जहां उसको होना चाहिए
09:46दिन गुजरते गए महीने और फिर साल नवेंबर 2003 में साथ पिलर्ज अपनी फाइनल उन्चाई तक पहुंच चुके थे
09:54245 मीटर लंबा पिलर नमबर टू दुनिया का सबसे उन्चा पिलर हो चुका था
10:01लेकिन इस काम्याबी के बाद उनको रिलेक्स करने का टाइम नहीं मिला
10:05क्यूंके बिरिज कंस्रक्शन का अगला मरहला सबसे मुश्किल था
10:09इतनी उन्चाई पर डाई किलो मीटर लंबा रोड सेक्शन बिठाना कोई मजाग नहीं था
10:15इस पूरे रोड सेक्शन का वजन अंदाजन 36,000 टन था
10:19ये वजन 90 एर बस A380 जितना बनता है
10:24इस प्रोसेस के दुरान एक छोटी सी भी गलती इनसानी जान और करोडों डॉलर्स का नुकसान कर सकती है
10:30आपको बतातें चलें कि न्यू यॉक के ब्रुकलिन बिरिज पर 34 वर्कर्स की जान गई थी
10:36और 1970 में आस्टेलिया के वेस्ट केट बिरिज पर भी 35 वर्कर्स जान से हाथ दो बैटे थे
10:44इतिहास के इन नुकसानात को मद्दे नजर रखते हुए मिलाव वायडक्ट पे रोड स्टील के पॉर्शन्स में बनाने का फैसला किया गया
10:53इस काम के लिए कई सो किलो मिटर दूर आइफ़ल स्टील वर्क्स की मदद ली गई
10:59ये उस वक्त वाहिद ऐसी कंपनी थी जो स्टील के इतने बड़े सेक्शन्स बनानी की काबलियत रखती थी
11:05रोड के लिए 22 सो स्टील के 2 कामत सेक्शन्स बनाए गए
11:10वो भी अलग-अलग डिजाइन्स के एक-एक सेक्शन का वजन 90 तन था और इनको इतनी एक्यूरिसी से बनाया गया कि एक बाल जितना भी डिफरेंस ना आने पाए
11:21कटिंग और वेल्डिंग का काम तो मुश्किल था ही लेकिन अब चैलिंज इनको कई सो किलो मिटर दूर कंस्ट्रक्शन साइट तक पहुंचाने का था
11:29रूट्स प्लैन किये गए पुलीस को आन बोर्ड लिया गया और कॉन्वाई की सूरत में एक एक करके रूट सेक्शन्स रवाना किये गए
11:38इन तमाम स्टील सेक्शन्स को बाहिफाज़त कंस्ट्रक्शन साइट तक पहुंचाने में टोटल 2000 से ज्यादा कॉन्वाईज लगे थे
11:47प्लैन ये था कि इन तमाम स्टील सेक्शन्स को वेल्ड करके इनको पिलर्स के उपर सिलाइड गरवा कर आगे धकेला जाएगा
11:55जैसा के नॉर्मल ब्रिजिस की कंस्ट्रक्शन में होता है लेकिन मिलाव वाई अटक्ट किसी भी तरह से नॉर्मल नहीं था करीब 200 मीटर उंचे पिलर्स के दर्मयान 342 मीटर का फासला है
12:07अगर पांच टन वजनी सेक्शन को सिलाइड करवाया गया तो जब तक वो एक पिलर से दूसरे पिलर तक पहुँचेगा उसके बीच में ही सपोर्ट ना होने की वज़ा से पूरा सेक्शन नीचे भी गिर सकता है
12:19अगर नीचे ना भी गिरे तो इतने उंचे पिलर्स पर रोड सेक्शन को सिलाइड करवाने से पिलर्स एक एक करके गिरते चले जाएंगे
12:28यह मसला कंस्ट्रक्शन टीम के गले पर चुका था इस किसम के ब्रेजिस को बनाने के लिए कोई नया तरीका इन्वेंट करने की जरूरत थी
12:36यहां पर कंस्ट्रक्शन टीम के एक सीनियर इंजिनियर को आइडिया आया
12:41उन्होंने demonstration करके दिखाई कि अगर एक कमजोर पाये वाली टेबल के उपर भारी बॉक्स रखा जाए और उसको जमीन से खड़े होकर धक्का दिया जाए तो पूरी टेबल साथ ही मूव करेगी
12:53लेकिन अगर बॉक्स को टेबल के उपर चड़कर पुश किया जाए तो फिर टेबल को कोई फरक नहीं पड़ेगा
13:00फिजिक्स के इसी कानौन की मदद लेते हुए ये फैसला किया गया कि मिलाओ वायर डक्ट के पिलर्स के उपर एक ऐसा सिस्टम लगाया जाए जो रोड सेक्शन को उठा कर आगे पुश करे
13:11इससे पहाड की तरफ से लगाया जाने वाला जोर डायरेक्ट पिलर्स पर नहीं पड़ेगा
13:17इस काम के लिए पिलर्स के धर्मियान 170 मीटर के फासले पर टेंपररी स्टील स्ट्रक्चर भी खड़े किये गए जो के रोड सेक्शन के आधे वजन को बरदाश्ट करेंगे
13:28ये नया सिस्टम एक तरहां का प्रोटोटाइप था और उसको टेस्ट करने का भी टाइम नहीं था
13:34दुनिया के सबसे उंचे ब्रिज का फ्यूचर सिर्फ एक प्रोटोटाइप पे लटका हुआ था
13:3926 फेबरी 2003 का दिन कंस्ट्रक्शन टीम के लिए बहुत इंपॉर्टेंट था
13:45आज के दिन इनकी सालों की मेहनत को एक ही दिन में टेस्ट किया जाना था
13:50पिलर्ज और रोड सेक्शन की मजबूती और पिलर्ज के ऊपर लगाया गया हाइडरोलिक रेंप सिस्टम
13:56इस नए सिस्टम के तमाम रेंप्स को एक ही साथ एक ही स्पीड से रोड सेक्शन को उठा कर आगे पुश करना था
14:04अगर इनकी सिंक्रोनाइजेशन में थोड़ा सा भी फरक आ गया तो सारा वजन किसी एक पिलर पर पड़ेगा और इससे पूरा ब्रिज कोलैप्स भी हो सकता है
14:14खुश किस्मती से हाइडरोलिक रैंप सिस्टम काम कर गया और पूरे दो दिन लगा कर सिर्फ 200 मिटर के रोड सेक्शन को पिलर नमबर वन तक पहुंचा दिया गया
14:24ये सारा काम मौसम देख कर किया जा रहा था सिर्फ उन तीन दिनों को सलेक्ट किया जाता जिसमें तेज हवाएं चलने का कोई चांस नहीं था
14:33इसकी वज़ा सिंपल है तेज हवाएं ब्रिजिस को आसानी से गिरा सकती हैं खास तोर पर जब रोड सेक्शन की एक साइड हवा में बगएर सपोर्ट के लटक रही हो
14:441940 में वाशिंग्टन स्टेट में टकोमा नेरो सस्पेंशन ब्रिज के पिलर्ज हवा को रोक रहे थे और उसके नतीजे में पूरा ब्रिज बुरी तरहां से जोलने लगा
14:55अपनी लाँच के कुछ दिनों के बाद पूरा ब्रिज तूट कर पानी में गिर गया
14:59दिन गुजरते गए रोड सेक्शन को पिलर्ज के उपर रखने का काम जोरों शोरों से चल रहा था
15:06मेई 2004 तक दोनों साइडों से रोड सेक्शन बिचाए जा चुके थे अब बचा था सिर्फ रिवर के उपर वाला पार्ट
15:14अगर ये आखरी सेक्शन ठीक से नहीं बैठा तो सारी मेहनत जैसे जीरो से मल्टिप्लाइ हो जाएगी
15:20इस सेक्शन में रोड कर्व भी हो रहा है इसी वज़ा से इसका पिन पॉइंट जगा पर बैठना बहुत जरूरी है
15:27इस मॉमिंट को पूरा फ्रांस लाइव ब्राड कास्ट पे देख रहा था जबके फ्रेंच प्राइम मिनिस्टर हुद मौके पर मौगे पर मौजूद थे
15:35हाइडरोलिक रैंप का आखरी बार बटन दबाया गया
15:39चार सालों में पहली बार नौर्थ और साउथ सेक्शन के रोड्स आपस में मिल चुके थे वो भी 99.9% एकुरेसी से
15:48रोड कनेक्ट होने के बाद एक्स्टरा सपोर्ट के लिए 90 मीटर उंचे स्टील पाइलॉन्स को भी लगाना था
15:55एक पाइलॉन साथ सो टन वजनी और ऐसे साथ पाइलॉन्स थे
16:00इतनी उंचाई पर इतने भारी पाइलॉन्स को लगाना दुनिया में पहली बार अटेम्ट किया जा रहा था
16:06मिलाव वायर डक्ट के सिर्फ रोड का टोटल वजन 40,000 टन्स है
16:12इसके बाद इसके उपर डामबर का रोड बिचाया गया जिसने 10,000 टन्स की एडिशन करके रोड का टोटल वेट 50,000 टन्स कर दिया
16:22अंदाजे के लिए आपको बताते चलें कि ये वजन 1200 बैटल टैंक्स के वजन के बराबर बनता है
16:28या फिर एक बड़ी क्रूज शिप चितना
16:31इसकी मजबूती चेक करने के लिए एक साथ इसके उपर से 28 ट्रक्स गुजारे गई
16:36हैरानी की बाद ये थी कि रोड सेक्शन जिसको 50 सेंटी मीटर तक जूलने के लिए डिजाइन किया गया था
16:43वो इन तमाम ट्रक्स के वजन से सिर्फ 25 सेंटी मीटर तक जूला था
16:4816 डिसेंबर 2004 को मिलाव वायडक्ट पहली बार पबलिक के लिए खोला गया
16:55ये इंजिनियरिंग टीम की दिन रात खून पसीने की मेहनत का ही नतीजा था
17:00जिन्होंने ना सरफ काम्याबी से दुनिया के सबसे उंचे ब्रिज की कंस्ट्रक्शन की बलके वक्त से पहले काम खतम करके एक नया रिकॉर्ड बना लिया
17:10उमीद है जैम टीवी की ये वीडियो भी आप लोग भरपूर लाइक और शेयर करेंगे
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