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  • 7 weeks ago

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00:00दुनिया की सबसे लंबी माउंटेन रेंज के ठीक इस पॉइंट पर आज से 52 एर्स पहले एक प्लेन सीधा पहाड से जा टकराया था।
00:10हैरत की बात तो ये थी के प्लेन टकराने के फौरण बाद कहीं गायब हो गया।
00:15ये 8,900 किलो मिटर लंबी साउथ अमेरिका की एंडीज माउंटेन रेंज है जहां 15,000 फीट उन्चे पहाड नाकाबले बरदाश ठंड और खामोशी के इलावा कुछ नहीं मिलता।
00:28कई दिनों तक जब जहाज का ना मलबा मिला ना ही कोई डेड बोडीज तो अथारिटीज के सामने ये बात किलियर हो गई कि अब कोई पैसिंजर नहीं बचा होगा।
00:39लहाज़ा उन्होंने सर्च आपरेशन बंद करने का ऐलान कर दिया।
00:43न्यूज मीडिया में भी अगले कुछ दिनों तक प्लेन करेश की बातें चलती रही और उसके बाद सब कुछ आहिस्ता आहिस्ता वापस नॉर्मल होने लगा।
00:52लोग अब इस हादसे को भूल ही चुके थे लेकिन इस हादसे के करीब ढ़ाई महीनों के बाद एक्जेक्टली 72 डेस के बाद अथॉर्टीज को गाइब हुए प्लेन की तरफ से एक मैसेज रिसीव हुआ।
01:05जेम टीवी की वीडियोज में एक बार फिर से खुशाम दीथ।
01:09नाजरीन ये यूरुगॉए एरफोस की फलाइट 571 थी जिसने रियल लाइफ में एक चमतकार एक मुज़ा करके इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए अपना नाम लिखा है।
01:2112 अक्टूबर 1972 को ये फलाइट यूरुगॉए के कैपिटल मौन्टे वीडियो से उड़ान भरती है।
01:28जहाज में रगबी के प्लेयर्स थे जिनको मौन्टे वीडियो से चिली के कैपिटल सेंटियागो तक एक मैच खेलने जाना था।
01:36रगबी प्लेयर्स समेत जहाज में टोटल 40 पैसेंजर्स और 5 क्र्यू मेंबर्स मौजूद थे।
01:42टेक ओफ के बाद अभी जहास अरजन्टीना के उपर ही पहुँचा था कि अचानक मौसम की खराबी की वज़ा से उनको अरजन्टीना के शहर मेंडोजा में लेंड करना पड़ा।
01:52कैप्टिन ने ये फैसला इस वज़ा से किया क्यूंके आरजन्टीना और चिली के दरमयान दुनिया की सबसे उन्ची एंडीज मौंटेन रेंज दिवार बन कर खड़ी है।
02:03यहां के उन्चे पहाड वैसे ही काफी खतरनाक हैं और मौसम की खराबी में इनके उपर से गुजरना खतरे से खाली नहीं था।
02:11पाइलेट का प्लैन था कि एक रात मेंडोजा में ही गुजरी जाए और फिर अगले दिन मौसम ठीक होने पर एंडीज के पहाड़ों को पार किया जाए।
02:20पर क्या मालूम था पाइलेट और तमाम पैसेंजर्स को कि अगले दिन उन पर कौन सी मुसीबत तूटने वाली है।
02:27अगले दिन यानि फ्राइडे 13 अक्टूबर को फ्लाइट 571 ने मेंडोजा से टेक आफ किया।
02:33मैप पे देखा जाए तो मेंडोजा और उनकी मंजिल सेंटियागो के बीच सिर्फ 180 किलो मेटर्स का फासला है।
02:41लेकिन इन 180 किलो मेटर्स में सिर्फ एंडीज की 15,000 फिट उन्ची पीक्स हैं।
02:47लेहाजा फ्लाइट का प्लैंड रूट कुछ इस तरहां का था कि पहले जहाज मेंडोजा के साउथ में जाएगा अपनी हाइट गेन करेगा और फिर प्लैंचोन पास के बराबर पहुंचकर एंडीज की तरफ टरन करके इन खतरनाक पहाडों को क्रोस करेगा और फिर चिली
03:17पर काफी भरोसा था मेंडोजा से टेक आफ करते ही प्लैन के मताबिक जहाज साउथ की तरफ रवाना हुआ जहाज की हाइट गेन करने के दौरान पाइलेट ने नोटिस किया कि बादलों की एक मोटी लेर ने नीचे का सारा मनजर चुपा दिया है अब इस कंडिशन में पा
03:47लगा सकते हैं इसमें एरक्राफ्ट की आखरी नोन लोकेशन को मद्दे नजर रखते हुए एरक्राफ्ट की स्पीड के जरीए कैलकुलेशन करके अपनी करन्ट लोकेशन का अंदाजा लगाया जाता है इस तरीके को एविएशन की जबान में डेट रेकनिंग कहा जाता है �
04:17और नीचे सफेद बादल पाइलेट पूरी तरह से सैंटियागो एर ट्राफिक कंट्रोल टावर पे डिपेंडनेट था जैसे ही वो प्लेंचोन पास के करीब पहुंचे तो फलाइट 571 कंट्रोल टावर के रेडार से घायब हो गई ये एक नॉर्मल बात थी क्योंके पहा�
04:47किया कि हम एक मिनिट के बाद चिली की शहर कुरीको के उपर पहुंच जाएंगे और उनसे अपनी उन्चाई कम करने की परमीशन मांगी अब नॉर्मली प्लेंचोन पास से कुरीको तक पहुंचने में जहाज को यारा मिनिट लगते हैं लेकिन उन्होंने ये फासला सिर्फ
05:17को डिसेंड करने की परमीशन दे दी पर उनको इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि असल में को पाइलिट ने जहाज की जो लोकेशन केलकुलेट की थी वो घलत थी पाइलिट समझ रहा था कि वो कुरीको के उपर है लेकिन असल में वो उस वक्त प्लेंचोन पास
05:47करना शुरू करती शुरू में उनको खतरनाक टर्बुलिंस का सामना करना पड़ा लेकिन जब उन्होंने सफेद बादलों की लेर को क्रॉस किया तो क्या देखते हैं कि उनके सामने एक बहुत बड़ा पहार खड़ा है जी हाँ इस पॉइंट पे पाइलिट को अंदाजा ह�
06:17फलाइट फाइफ सेवन वन की टेल पहाड की चोटी से टकराई और जहाज से अलग हो गई इस वक्त ये पहाड पूरी तरहां बरफ से ढखा हुआ था बिना टेल और विंग्स के फलाइट फाइफ सेवन वन का फ्यूज लाज बरफ में सलाइट करता सीधा नीचे की तरफ �
06:47मुझजाती तोर पे प्लेन के फ्यूज लाज में 33 पैसिंजर्स की जान तो बच गई लेकिन उनको काफी चोटें लगी थी।
06:55टेल अलग हो जाने की वज़ा से प्लेन का पिछला हिसा खुला हुआ था और उसमें से जबरदस्त ठंड अंदर आ रही थी।
07:02ये इस वक्त 11,500 फीट की उनचाई पर एंडीज में फस चुके थे जहां का टेमपरेचर माइनस 30 डिगरी सेल्सियस था।
07:11बाहर निकलते साथ ही जहां तक उनकी नजर जा रही थी बरफ से ढखे पहाड ही नजर आ रहे थे।
07:18सबसे पहले उन्होंने अपने साथियों की बाडीज को बरफ में दफना दिया।
07:23उधर प्लेइन क्रेश की खबर ने चिलियन अथॉरिटीज को अलर्ट कर दिया था।
07:28पर उनको ये मालूम नहीं था कि वो असल में आरिजन्टीना में ही क्रेश हुए थे।
07:33बिना टाइम्स आया किये उन्होंने सर्च ऑपरेशन स्टार्ट किया जिसमें चार एर प्लेइन्स ने हिस्सा लिया था।
07:40सुबह से लेकर शाम तक सस्पेक्टेड एरिया को सर्च करने के दुरान उनको ना ही कोई प्लेइन नजर आया और ना ही कोई मलबा।
07:48ये एक बहुत ही मुश्किल सर्च ऑपरेशन था क्यूंके नीचे सारे पहाड बरफ की वज़ा से लाइट को रिफलेक्ट कर रहे थे।
07:56इस सर्च ऑपरेशन में यूरोगॉय और अरजंटीना ने भी हिस्सा लिया और अब टोटल 11 एरक्राफ्ट पूरा दिन फलाइट 571 को ढूनने में गुजार देते।
08:07इधर क्रेश साइट पे बचे हुए पैसेंजर्स के उपर से कई बार रेस्क्यू प्लेन गुजर कर गए लेकिन उनके लाख इशारे देने के बावजूद भी रेस्क्यू प्लेन्स की नजर उन पर ना पढ़ सकी।
08:19बाद में उन्हें एक लगिज में से लिपिस्टिक मिली जिससे उन्होंने प्लेन के फ्यूजलाज के उपर बड़ा बड़ा SOS लिख दिया।
08:28लगिज बैक से बरफ पर क्रॉस भी बनाया लेकिन रेस्क्यू प्लेन्स की नजर फिर भी उन पर नहीं पढ़ सकी।
08:35टोटल आठ दिनों तक सर्च आपरेशन चलाने के बाद 21st October 1972 को तमाम पैसेंजर्स को डेड डिकलेर करके सर्च आपरेशन खतम कर दिया गया।
08:4711 दिन क्रेश साइट पे मौजूद पैसेंजर्स को कॉक्पिट में ही एक रेडियो मिला जिसको ट्यून करके उनोंने खबर सुनी कि उनको ढूनने के लिए चलाया जाने वाला सर्च आपरेशन अब बंद कर दिया गया है।
09:01जहां वो लोग पहले ही इतनी मुसीबत में थे वहीं ये खबर उनको मजीद अफसोस में डाल गई।
09:07अपने बचने की जो आखरी उमीद नजर आ रही थी वो भी खतम हो चुकी थी।
09:13पहले हफ़ते में ही पांच और पैसेंजर्स जखमों की वज़ा से जान से हाथ दो बैठे।
09:19अब क्रेश साइट पे सिर्फ 28 पैसेंजर्स बज़े थे।
09:23उन्होंने जहाज के मलबे और लगेज को एकटा करके प्लेन के फ्यूजलाज को बंद किया ताके ठंड से बचा जा सके।
09:31उन्होंने कॉक्पिट के प्लास्टिक वाइजर को काट कर अपने लिए ग्लासेज भी बनाए जो के बरफ से रिफलेक्ट होने वाली लाइट से कुछ हद तक बचा रहे थे।
09:41सीट कवर्स को गरमाईश के लिए इस्तमाल किया और सीट के कुशन से सनो शूज बना दिये।
09:47इस वक्त तक उनके पास खाने के लिए आठ चॉकलेट बार्स, तीन जैम के जार्स, कुछ ड्राइफ रूर्ट्स और गिनी चुनी पानी की बोदने थी।
09:56पहला हफ़ता तो उन्होंने बड़ी मुश्किल से ये खाना आपस में डिवाइड करके खा लिया, लेकिन जब ये तमाम चीजें भी खतम हो गई, तो उन्होंने कपड़े और कौटन को खाना शुरू कर दिया, जिससे वो मजीद बिमार पढ़ने लगे।
10:11एंडीज के इस हिसे में उनको एनरजी के लिए कोई चीज दिखाई नहीं दे रही थी और उपर से वो जिस रिच पर क्रेश हुए थे ना वहां से उतरना पॉसिबल था और ना ही उपर की तरफ हाई करना।
10:24इस दोरान पैसेंजर्स की हालत ये थी कि इनका बॉडी वेट 40% तक कम हो चुका था।
10:30आखर जब उनको कुछ समझ नहीं आया तो उन्होंने अपने मरे हुए साथियों के बॉडी पार्ट्स खाना शुरू कर दिये।
10:38जाहिर है ये फैसला बहुत ही मुश्किल था लेकिन भूग प्यास और कमजोरी ने उनको ये कदम उठाने पर मजबूर कर दिया था।
10:46क्रेश के 17 दिनों के बाद 29 अक्टूबर को अचानक रात के वक्त एवलांच आया और उसने फ्यूज लाज पर बुरी तरहां हमला किया।
10:56बर्फानी तोदे की स्पीड इतनी तेज थी कि पूरा फ्यूज लाज अंदर तक बरफ से भर गया।
11:02इस हादसे में 9 सर्वाइवर्स मारे गए बचे हुए 19 लोगों के हाथ जो कुछ लगा उन्होंने उससे बर्फ को हटाया और आक्सीजन के लिए जगा बनाई।
11:13दिन गुजरते जा रहे थे सर्वाइवर्स की हालत बद से बद्दर होती जा रही थी।
11:18एक एक करके सारे मौत की नजर हो रहे थे और बचे हुए अपनी मौत का इंतजार कर रहे थे।
11:2512 डिसमबर यानी क्रेश के 60 दिनों के बाद तक तीन और सर्वाइवर्स जिन्दगी की बाजी हार गए।
11:32पीछे बचे 16 लोगों के पास सिर्फ दो आप्शन्स थे।
11:36या तो वो अपने बचे हुए दिन गिनना शुरू कर दें या फिर हिम्मत करके वेस्ट में मौजूद इस वर्टिकल क्लिफ को कैसे भी करके हाइक कर ले।
11:4712 दिसेंबर 1972 को तीन रगबी प्लेयर्स पराडू, कनीसा और विजन्टीन ने वेस्टन पीक को हाइक करने का इरादा किया।
11:56इस उमीद में कि पहाड की दूसरी साइड ग्रीन वैली होगी जहां से शायद कोई मदद मिल सके।
12:03ये एक बहुत ही तकलीफ देने वाली हाइक थी क्यूंकि ना ही उनके पास प्रोफेशनल गेर्स थे और सबसे बढ़कर टेमपरेचर माइनस 30 डिगरी सेलसियस था।
12:13उन्होंने हाथ से बनाए हुए स्लीपिंग बैग्स और जहाज की सीटों से बनाए हुए गरम कप्रे लपेटे और हाइक पे निकल गए। पूरे तीन दिन तक लगातार हाइक करने के बाद जब वो आखिरकार पहाड की चोटी पर पहुँचे तो क्या देखते हैं कि पहा�
12:43और कनीसा मदद की तलाश में पहाड की दूसरी साइट पर डाउन हिल चल पड़े। अगले दस दिनों तक ट्रेकिंग करने के बाद और 61 किलो मिटर्स का सफर बुरी हालत में गुजारने के बाद आखिरकार वो एक वैली में पहुँचे जहां पर हर्याली थी। जानवर भ
13:13तक नहीं पहुचा पा रहे थे। गोड़े पर बैठे उस लोकल को आइडिया आया और उसने एक कागज और पैन को पत्थर में लपेट कर नदी के उस पार फैंक दिया। पराड़ो और कनीसा ने उस कागज पर सारा माजरा लिखा और वापस फैंक दिया। वो शक्स घोड
13:43लेकिन अतौरटीज ने फोरण पहले पराड़ो और कनीसा को रिस्क्यू किया और उनकी मरम पट्टी करने के बाद उनसे तफसील में इंटर्वियू लिया। 22 डिसेंबर 1972 को यानी क्रेश के 72 डेज के बाद तीन हेलिकॉप्टर्स पराड़ो और कनीसा की निशान दही पर क
14:13सर किया होगा। आखिरकार फ्यूज लाज में मौजूद तमाम सर्वाइवर्स को रेस्क्यू कर लिया गया और उनके मरे हुए साथियों को वहीं पर एक बड़ी कबर खोद कर दफन कर दिया गया। उस कबर के उपर कुछ पत्थर रखकर एक मेमोरियल बनाया गया जो उसी
14:43वीडियो भी आप लोग भरपूर लाइक और शेयर करेंगे। आप लोगों के प्यार भरे कॉमेंट्स का बेहद शुक्रिया मिलते हैं अगली शांदार वीडियो में।
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